जान लिजिए अब भारत में पहला आधार कार्ड किसका बना

‌‌‌आधार कार्ड भारत सरकार के द्वारा नागरिकों की पहचान के लिए जारी किया जाता है। इसके अंदर 12 अंकों की पहचान संख्या छपी होती है।इसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण जारी करता है।‌‌‌आधार कार्ड व्यक्ति की पहचान का प्रमाण होता है। इसके उपर व्यक्ति की जन्म तिथि और उसका नाम ,पिता का नाम , और एड्रस दिया हुआ होंता है। इसके अलावा आधार कार्ड बनाने के लिए कई प्रकार के प्रिंट लिये जाते हैं। जैसे आंखों की पुतलियों को स्कैन किया जाता है और फ्रिगर प्रिंट भी लिये जाते हैं।

जान लिजिए अब भारत में पहला आधार कार्ड किसका बना

‌‌‌आधार कार्ड वैसे तो कोई भी बनवा सकता है। लेकिन वह भारत का नागरिक होना चाहिए । आपको बतादें कि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण पत्र नहीं है।‌‌‌जब आधार कार्ड बनाने का कार्यक्रम हुआ था तो सरकार ने अपने खर्च के उपर गांवों और शहरों के अंदर कैंप लगाए थे ।उस वक्त आपने भी आधार कार्ड बनाया होगा । यदि आपने अभी तक आधार कार्ड नहीं बनाया है तो आप किसी भी ईमित्र पर जाकर आधार कार्ड बना सकते हैं।‌‌‌लेकिन ई मित्र पर आधार कार्ड बनाना फ्री नहीं है। आपको इसके लिए कुछ पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं।

‌‌‌डाक से प्राप्त आधार कार्ड और यू.आई.डी.ए.आई की वेबसाइट से प्राप्त किया गया आधार कार्ड समान रूप से मान्य है। दोस्तों अब तो आधार कार्ड पूरी तरह से अनिवार्य कर दिया है। बिना आधार कार्ड के कोई भी काम नहीं होता है।आधार दुनिया की सबसे बड़ी बॉयोमीट्रिक आईडी प्रणाली है। ‌‌‌अब आइए जानते हैं भारत का पहला आधार कार्ड किस व्यक्ति का बना था ?

भारत में सबसे पहला आधार कार्ड किसका बना था

रंजना सोनवणे आधार कार्ड पाने वाली पहली महिला था। उस समय प्रधान मंत्री मनमोहनसिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से 29 सितंबर 2010 को भारत में पहला आधार कार्ड बना था। ‌‌‌यह एक गरीब महिला थी और महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले के तंभाली गांव की यह रहने वाली थी। पहला आधार कार्ड नंबर जो 12 डिजिट का था। उसके बाद यह महिला काफी सुर्खियों के अंदर आ गयी थी।

‌‌‌महिला को आधार कार्ड मिलने के बाद यह लगा कि उसे बहुत जरूरी चीज मिल चुकी थी।

‌‌‌खेतो मे मजदूरी करती है यह महिला

दोस्तों मिडिया रिपोर्ट के अनुसार रंजना सोनावने (48) तीन बच्चों की मां है और खेतों के अंदर मजदूरी करती है। मजदूरी के काम के अंदर इनके पति भी इनका साथ देते हैं।उनके घर के अंदर उस वक्त टॉयलेट तक नहीं था।

‌‌‌आधार कार्ड से मिलेगी नौकरी

रंजना सोनवणे सुप्रिम कोर्ट के फैसले  के बारे मे उस वक्त कुछ नहीं जानती थी । जब इनका भारत में सबसे पहला आधार कार्ड बना था। उन्होंने यह सोचकर जल्दी ही आधार कार्ड बनाने का फैसला कर लिया क्योंकि उनका विश्वास था कि इस कार्ड की मदद से उन्हें अच्छी नौकरी मिल सकती ‌‌‌है। लेकिन बाद मे उनका यह विचार गलत साबित हो गया । क्योंकि उन्हें पता चल गया कि यह एक पहचान दस्तावेज के सिवाय कुछ नहीं है।

आधार कार्ड का सबसे अधिक उपयोग सिम प्राप्त करने मे

सोनवणे ने एक न्यूज को दिए गए इंटरव्यू के अंदर बताया था। कि जब उसका आधार कार्ड बना था तो उसके परिवार के सदस्यों ने उसके आधार कार्ड का सबसे अधिक उपयोग नए सिम प्राप्त करने मे किया था। ‌‌‌वैसे तो आपको भी पता होगा कि जब आधार कार्ड बन गया था तो सिम अधिकतर आधार कार्ड से ही दी जाने लगी थी।

‌‌‌बाद मे मिला परिवार को आधार नंबर

इनके पति का नाम पति सदाशिव है । और इनके बच्चों को भी बाद मे आधार कार्ड का नंबर मिल गया । गांव में रहने वाले सभी 1,505 लोगों के पास अब आधार कार्ड  हो चुका था।आधार कार्ड को बनवानें के लिए जगह जगह कैंप लगवाए गए थे ताकि अधिक से अधिक लोग आधार से जुड़ सकें ।

‌‌‌आधार कार्ड से मिले अनेक लाभ

रंजना सोनावने ने बताया कि आधार कार्ड बनने के बाद से उनको अनेक लाभ मिले उनके घर के अंदर कच्चे मकान को पक्का बनाया गया । घर के अंदर एलपीजी कनेक्सन नहीं था ,वह भी मिला ।इसके अलावा अधिकारियों ने गांव का दौरा किया और जिन घरों के अंदर बिजली कनेक्सन नहीं था ,उनके ‌‌‌घरों के अंदर बिजली लगाई गई।

‌‌‌जब आधार कार्ड बनाना आरम्भ हुआ था तो किसी को भी पता नहीं था कि एक दिन ऐसा आ जाएगा कि बिना आधार कार्ड के कोई काम नहीं होगा । सन 2010 के अंदर तंभाली गांव मे जब यह बनाया जा रहा था तो लोग इसके बारे मे पूरी तरह से अनजान थे । एक वह समय था और एक आज समय है ‌‌‌लोगों को भी समझ आ चुका है कि बिना आधार कार्ड के कुछ भी नहीं हो सकता । जिन लोगों का आधार कार्ड पहले नहीं आया था । उन लोगों ने दूबारा आधार कार्ड बनाया ।

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arif khan

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