जेबरा के बारे मे जानकारी और जेबरा के प्रकार

‌‌‌ ‌‌‌क्या आप जानते हैं जेबरा के बारे मे ,zebra information in hindi zebra animal information in hindi ।जेब्रा अफ्रिकी प्रजाति है।यह विशिष्ट काले और धारीधार कोट के साथ होते हैं।यह मुख्य रूप से मैदानी जेब्रा और पहाड़ी जेब्रा प्रकार के होते हैं। ज़ेबरा धारियाँ अलग-अलग पैटर्न में आती हैं, प्रत्येक जेब्रा के लिए अद्वितीय होती हैं। ज़ेब्रा पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका में निवास करते हैं और विभिन्न प्रकार के निवास स्थानों जैसे सवाना , घास के मैदान , वुडलैंड, झाड़ी और पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जा सकते हैं।

‌‌‌जेब्रा मुख्य रूप से निम्न  गुणवकता  वाले घास को खाकर भी जिंदा रह सकते हैं।वैसे यह लात भी मार सकते हैं और अपने शिकार को भगा सकते हैं। जब्रा की अलग अलग प्रजाति का सामाजिक व्यवहार भी अलग अलग होता है। कुछ जेब्रा प्रजाति के अंदर केवल एक नर जेब्रा होता है और कई मादा जेब्रा के साथ रहता है। जबकि ‌‌‌ कुछ जेब्रा नर और मादा मिलकर झुंड के अंदर रहते हैं।इसके अलावा कुछ नर जेब्रा मादा को आकर्षित करने के लिए संकेतों का भी प्रयोग करते हैं। ज़ेब्रा विभिन्न स्वरों, शरीर की मुद्राओं और चेहरे के भावों के साथ संवाद करते हैं। मैदानी और पहाड़ी ज़ेब्रा में सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं।

‌‌‌जेब्रा के शरीर पर मौजूद धारियां उसको काफी आकर्षक बनाती हैं ।अफ्रिका की अनेक कहानियों के अंदर जेब्रा का उल्लेख मिलता है।लेकिन गधों और घोड़ों के विपरित जेब्रा को कभी भी पालतू नहीं बनाया गया है।जेब्रा को आमतौर पर संरक्षण के अंदर रखा जाता है। ज़ेबरा को जीनस इक्विस के नाम से जाना जाता है। 

घोड़े और गधे इसी जीन्स से आते हैं।2013 के एक फ़्लोजेनेटिक अध्ययन में पाया गया कि मैदानी ज़ेबरा पर्वत ज़ेब्रा की तुलना में ग्रैवी के ज़ेब्रा से अधिक निकटता से संबंधित है। विलुप्त कुग्गा को मूल रूप से एक विशिष्ट प्रजाति के रूप मे रखा गया था।लेकिन बाद के रिसर्च के अंदर इसको एक उपप्रजाति के रूप ‌‌‌मे माना गया था।

उत्तरी अमेरिका में इक्वस की उत्पत्ति हुई और कनाडा से 700,000 साल पुराने मध्य प्लेइस्टोसिन घोड़े की मेटापॉडियल हड्डी के प्रत्यक्ष पेलोजेनोमिक अनुक्रमण 4.0 से 4.5 के बीच रेंज के सबसे हाल के सामान्य पूर्वजों 4.07 मिलियन वर्ष पहले मौजूद थे ।ज़ेब्रा और गधे एक दूसरे के करीब 2.8  मिलियन साल पहले अलग हो गए ‌‌‌थे ।

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zebra information in hindi ग्रेवी की ज़ेबरा ( इक्विस ग्रेवी )

‌‌‌ग्रेवी जेबरा को शाही ज़ेबरा के नाम से भी जाना जाता है।यह केन्या और इथियोपिया में पाया जाता है । अन्य ज़ेबरा के साथ तुलना में, यह लंबा है, बड़े कान हैं, और इसकी धारियां संकरी हैं।‌‌‌ग्रेवी जेब्रा अर्धशुष्क मैदानों के अंदर रहता है।यह फलियां ,धास और ब्राउन पर फीड करना पसंद करता है।इसके अलावा बिना पानी के 5 दिन तक जीवित रह सकता है। यह प्रजातियां हरम के अंदर नहीं रहती हैं वरन इनके अपने सामाजिक बंधन होते हैं।1970 के बाद से इसकी आबादी 15,000 से 3,000 तक घट गई है। वर्तमान मे ‌‌‌ इसको लुप्तप्राय माना जाता है।

ग्रेवी की ज़ेबरा ( इक्विस ग्रेवी )

1882 में फ्रांसीसी प्रकृतिवादी Omile Oustalet द्वारा ग्रैवी के ज़ेबरा का पहली बार वर्णन किया गया था । उन्होंने इसका नाम फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति जूल्स ग्रैवी के नाम पर रखा गसा था।यह 2.5-2.75 मीटर  सिर-शरीर में 55-75 सेमी (22-30 इंच) की पूंछ के साथ है, और 1.45-1.6 मीटर  की ऊंचाई पर स्थित है। इन ज़ेब्रा का वजन 350-450 किलोग्राम तक होता है।इसके कान बड़े होते हैं और इसकी गर्दन लघु और मोटी होती है।इसके होंठ पर मूंछो वाले बाल होते हैं।

सभी ज़ेबरा प्रजातियों के साथ, ग्रेवी के ज़ेबरा के पेलेज़ में एक काले और सफेद रंग की पट्टी है। धारियां संकीर्ण और बंद-सेट होती हैं, गर्दन पर व्यापक होती हैं।ज़ेबरा की धारियां रात के अंदर द्रश्य भ्रम पैदा करती हैं। और ऐसा करके वह शिकारियों से खुद को बचाने मे सफल हो सकता है।

ग्रैवी की ज़ेबरा बड़े पैमाने पर उत्तरी केन्या में बसी है , इथियोपिया में कुछ अलग आबादी है।सोमालिया और दक्षिणी सूडान के अंदर भी यह पाया जाता है।ह बबूल – झाड़ियों और बंजर मैदानों में रहता है।

ग्रेवी के ज़ेब्रा घास , फलियां को खाता है और कम भोजन होने की स्थिति के अंदर इनका पाचन तंत्र कम पोषक तत्वों वाले घास को खाकर निर्वाहन करने की आजादी देता है।वैसे ग्रेवी जेब्रा बिना पानी के एक सप्ताह तक रह सकता है लेकिन यदि पानी मौजूद है तो यह रोजाना पीता है। शुष्क मौसम मे यह पानी वाले स्थानों ‌‌‌पर चला जाता है और जब यह स्तनपान कराते हैं तो इनको अधिक पानी की आवश्यकता होती है।अफ्रीकी शिकार कुत्ते , चीता और तेंदुए ग्रीवी जेब्रा का शिकार करते हैं और हालांकि बच्चे जेब्रा को उनके माता पिता के द्धारा सुरक्षा की जाती है।

ज़ेब्रा कई ध्वनियाँ और स्वर उत्पन्न करते हैं। घबराहट होने पर, वे गहरी, कर्कश ग्रन्ट्स का उत्पादन करते हैं। झगड़े के दौरान, डरने पर या दर्द होने पर सीटी और चीटियां भी बनाई जाती हैं।मक्खियों या परजीवियों से छुटकारा पाने के लिए वे कीचड़ के अंदर लौट सकते हैं या अपने शरीर को किसी स्थान पर रगड़ सकते हैं।

‌‌‌गे्रवी जेब्रा के अंदर प्रजनन

वैसे तो ग्रेवी जेब्रा सालभर प्रजनन दे सकते हैं और देते भी हैं लेकिन ज्यादातर बारिश के शूरूआत के समय ही प्रजनन देते हैं।संभोग के बाद जब बेबी जेब्रा का जन्म होता है तो वे किसी भी चीज का अनुसरण करते हैं।और यही वजह है कि मादा बेबी के पास अन्य जेब्रा को आने से रोकती ‌‌‌ है।‌‌‌ग्रेवी जेब्रा काफी लंबे समय तक अपने माता के साथ रहता है।जब तक कि वे पानी पिना नहीं शूरू कर देते हैं। पानी पिना शूरू करने के बाद वह माता पर कम निर्भर हो जाता है। हालांकि माता का साथ 3 साल तक बना रहता है।

‌‌‌ग्रेवी जेब्रा का इंसानों के साथ रिश्ता

दोस्तों ग्रेवी जेब्रा का इंसानों के साथ रिश्ता रहा है।इस जेब्रा का प्रयोग रोमन लोगों के द्धारा सर्कस मे किया जाता था। 17 वीं शताब्दी के अंदर शोय राजा के द्धारा जेब्रा का निर्यात किया गया था। एक जेब्रा तुर्की के सुल्तान के लिए भेजा गया था तो दूसरा ‌‌‌डच गर्वरन को भेजा गया था।

zebra information in hindi मैदान ज़ेबरा ( इक्वस क्यूगा )

मैदान ज़ेबरा ( इक्वस क्यूगा ) को आम जेबरा के नाम से भी जाना जाता है।यह बड़े पैमाने पर पाया जाता है। दक्षिण और पूर्वी अफ्रीका  के अंदर पाया जाता है। अब तक इसकी 6 उपप्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं।मैदानी ज़ेबरा बड़े ग्रैवी ज़ेबरा और छोटे पर्वत ज़ेबरा के बीच आकार में मध्यवर्ती है ; और दोनों की तुलना में व्यापक धारियाँ होती हैं। कोट और व्यक्तियों के बीच कोट पैटर्न में बहुत भिन्नता मौजूद है।

रेगिस्तान, घने वर्षावन और स्थायी आर्द्रभूमि जैसे स्थानों पर यह नहीं रहते हैं।यह बहुत अधिक सामाजिक होते हैं और झुंड के अंदर रहना पसंद करते हैं। शिकारी से रक्षा करने के लिए भौकते हैं और ईशारा भी करते हैं।इन जेबरा का मांस के लिए शिकार किया जाता है। इसको इंसानों से खतरा है। हालांकि वर्तमान मे ‌‌‌इनकी आबादी स्थिर बनी हुई है।

‌‌‌सन 2004 के अंदर इन जेबरा को 6 उपप्रजातियों के अंदर विभाजित किया गया था।

  • Maneless zebra Equus quagga borensis – Lönnberg, 1921
  • Grant’s zebra, Equus quagga boehmi – Matschie, 1892
  • Crawshay’s zebra, Equus quagga crawshayi – De Winton, 1896
  • Chapman’s zebra, Equus quagga chapmani – Layard, 1865
  • Burchell’s zebra, Equus quagga burchellii – Gray, 1824
  • Quagga, †Equus quagga quagga – Boddaert, 1785

मैदानी ज़ेबरा 127–246 सेमी  की सिर-शरीर की लंबाई के साथ 127-140 सेमी  की ऊंचाई पर है और पूंछ की लंबाई 47-56.5 सेमी  है। । नर का वजन 220-322 किलोग्राम  होता है, जबकि महिलाओं का वजन 175 . 250 किलोग्राम तक होता है।यह प्रजाति प्रजाति बड़े ग्रेवी ज़ेबरा और छोटे पर्वत ज़ेबरा के बीच आकार में मध्यवर्ती है।। अन्य प्रजातियों की तुलना में, मैदानी ज़ेबरा में व्यापक धारियाँ होती हैं। धारियां शरीर के सामने वाले भाग पर लंबवत होती हैं। और कोई भी दो जेबरा एक जैसे नहीं होते हैं। दक्षिणी आबादी में काले और सफेद रंग के बीच भूरे रंग की धारियां भी हैं। ये उत्तरी ज़ेबरा में अनुपस्थित या खराब रूप से व्यक्त होते हैं।

‌‌‌सन 2012 के अंदर हुए एक रिसर्च मे यह बात सामने आई है कि मक्खी से काटने से बचाने के लिए जेब्रा के अंदर यह धारियां विकसित हुई होंगे । कारण यह है कि जेब्रा अधिकतर मक्खी वाले क्षेत्रों के अंदर निवास करता है।इसके अलावा इस पर हुए कई अन्य रिसर्च भी यह सुझाव देते हैं।

मैदान ज़ेबरा का निवास स्थान

दक्षिण सूडान और दक्षिणी इथियोपिया के अंदर यह निवास करते हैं। इसके अलावा मैदानी जेबरा ज़ाम्बिया, मोज़ाम्बिक और मलावी के अंदर रह सकते हैं। यह बिना घास वाले घास के मैदान और सवाना वुडलैंड्स में रहते हैं, लेकिन उष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण दोनों प्रकार के आवासों में पाए जा सकते हैं।  ‌‌‌इन सबके अलावा वे पानी के स्त्रोत के आस पास भी रहना पसंद करते हैं।क्योंकि उनको 5 से 7 दिन के अंदर पानी पीने की जरूरत होती है।

‌‌‌मैदानी जेबरा के आहार के बारे मे जानकारी

दोस्तों मैदानी जेबरा के आहार भी ग्रेवी जेबरा के जैसे ही होते हैं।यह आमतौर पर घास खाते हैं व पतियों और टहनियों का भी सेवन करना पसंद करते हैं।नई उभरती हुई घास को यह खाना पसंद करते हैं। जुगाली करने वालों की तुलना मे कम कुशल पाचन तंत्र होता है।

‌‌‌जेबरा को भोजन के रूप मे प्रयोग करने वाले जानवरों के अंदर शेर ,चित्ते और जंगली कुत्ते आते हैं। आमतौर पर जेबरा का शिकार करने मे शेर सबसे अधिक सफल होते हैं।शिकार से बचने के लिए एक जेब्रा 37–43 मील प्रति घंटे चल सकता है।और मादा ‌‌‌व नर दोनों शिकारियों से अपने बच्चों की रक्षा भी करते हैं।

‌‌‌यह अपने रहने के 30 किलोमीटर के आसपास ही रहते हैं।दिन के दौरान यह अधिक सक्रिय होते हैं और अधिकांश समय भोजन मे लगाते हैं। दिन मे वे आराम भी करते हैं और इसके अलावा धूल के अंदर खुद को रगड़ना व खेलना आदि भी करते हैं।

‌‌‌मैदानी जेबरा की सामाजिक संरचना

मैदानी जेबरा एक हरम के अंदर रहते हैं जिसके अंदर कई सारी संताने होती हैं।इस हरम के अंदर युवा रहते हैं और वे इस हरम से तब तक अलग नहीं होते हैं जब तक कि उनके अंदर दूसरे हरम को बनाने की क्षमता ना आ जाए ।

‌‌‌जब एक मादा जेबरा यौन परिपक्वता तक पहुंचती है तो उसके बाद वह अपने हरम के अन्य नर को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश करती है।इस दौरान कई नर उसके साथ संभोग करने के लिए लड़ सकते हैं। और यह लड़ाई तक तक जारी रहती है जबतक कि ओस्ट्रोस चक्र खत्म नहीं हो जाता है। 

स्टालियन अपने समूह को दूसरे नर से बचाता है। और इसके अंदर झगड़े भी होते हैं।दूसरे नर को नाक रगड़ कर चेतावनी भी दी जाती है। ज़ेबरा के झगड़े अक्सर बहुत हिंसक हो जाते हैं, जिसमें जानवर एक-दूसरे के गर्दन, सिर या पैर पर काटते हैं, जमीन पर कुश्ती करते हैं, और कभी-कभी लात मारते हैं।और यदि स्टालियन कमजोर ‌‌‌ हो जाता है तो उसके स्थान पर नए स्टालियन का प्रवेश हो जाता है।

‌‌‌जेबरा के बीच संचार

दोस्तों जेबरा के बीच अब तक 6 प्रकार की ध्वनी को पहचान किया गया है। यह अलग अलग स्थिति के अंदर करते हैं। जैसे वे खतरे के अंदर हैं तो अलग प्रकार की ध्वनी करेंगे इसी प्रकार से वे यदि मस्त स्थिति मे हैं तो अलग  प्रकार की ध्वनी करेंगे और चेतावनी की स्थिति मे अलग प्रकार ‌‌‌की ध्वनी को निकालेंगे । ‌‌‌इसके अलावा वे चेहरे के भाव से भी ईशारा करते हैं।यह होठों से अभिवादन और डर का संकेत दे सकते हैं।

‌‌‌मैदानी जेबरा का प्रजनन

स्टालियन सभी मादा के साथ प्रजनन कर सकता है। और प्रजनन के लिए यह मूत्र को सूंघ सकते हैं और मादा भी मैथुन के लिए पूंछ को फैलाती है और इसके अंदर तत्परता दिखाती है। इसके अलावा एक साल के अंदर एक ही बच्चा यह पैदा कर सकते हैं।

नवजात शिशुओं का वजन 30–35 किलोग्राम  तक होता है।और नवजात जेबरा तुरंत खड़े हो सकता है।एक सप्ताह के भीतर ही यह घास खाना शूरू कर देता है।और एक जेबरा की मां अपने बच्चे से अन्य किसी भी जेबरा को दूर रखती है।

‌‌‌इन जेबरा के अंदर मृत्यु दर पहले वर्ष के लिए अधिक होती है। उसके बाद इनके मरने के चांस कम हो जाते हैं।युवा नर ज़ेबरा बाद मे अपने समूह को छोड़ देते हैं क्योंकि अन्य बच्चे के जन्म लेने के बाद इनके माता के साथ वैसे रिश्ते नहीं रह जाते हैं।मादाएं हरम के अंदर तब तक रहती हैं जबतक कि उनका रिश्ता युवा स्टालियन ‌‌‌ से नहीं हो जाता हो ।

2016 में, मैदानी ज़ेबरा की जनसंख्या को 500,000 होने का अनुमान था लेकिन 17 देशों मे से 10 देशों के अंदर इसकी जनसंख्या मे गिरावट दर्ज की गई है।वैसे जेबरा का मांस के लिए शिकार किया जाता है। बाड़ लगाने से इनके मार्ग भी अवरूद्ध हो चुके हैं।इसके अलावा ग्रह युद्ध की वजह से भी मैदानी जेबरा की जनसंख्या ‌‌‌ मे गिरावट दर्ज की गई है।‌‌‌इसके अलावा जेबरा का शिकार इसकी खाल के लिए भी किया जाता रहा है।

Mountain zebra (Equus zebra)

‌‌‌पहाड़ी जेबरा अश्वअंश है। यह दक्षिण-पश्चिमी अंगोला , नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका का मूल निवासी है ।सभी प्रचलित ज़ेब्राओं की तरह, पहाड़ ज़ेब्रा को काले या गहरे भूरे रंग में चित्रित किया जाता है, और कोई भी दो व्यक्ति बिल्कुल एक जैसे नहीं दिखते हैं।इसके पेट को छोड़कर पूरा शरीर धारीधार होता है।और एक वयस्क पर्वतिय जेबरा ‌‌‌के शरीर की लंबाई 2.1 से 2.6 मीटर (6 फीट 11 से 8 फीट 6 इंच) और लंबी पूंछ 40 से 55 सेमी (16 से 22 इंच) होती है। ‌‌‌और इस जेबरा का वजन वजन 204 से 372 किलोग्राम तक होता है।

माउंटेन ज़ेब्रा पहाड़ की ढलानों, खुली घास के मैदानों, वुडलैंड्स, और पर्याप्त वनस्पति वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं, लेकिन उनका पसंदीदा निवास स्थान पहाड़ी इलाके हैं।

‌‌‌यह जेब्रा  समुद्र तल से 2,000 मीटर की उंचाई तक रहते हैं और जब सर्दियों का मौसम होता है तो यह कम घूमते हैं।गुच्छेदार घास खाना यह पसंद करते हैं इसके अलावा खाने की छाल, टहनियाँ, पत्ते, कलियों, फल आदि को भी यह भोजन के रूप मे ग्रहण करते हैं।

‌‌‌पहाड़ी जेबरा के रहन सहन की बात करें तो यह मैदानी जेबरा की तरह बड़े समूह के अंदर नहीं रहते हैं। एक नर जेबरा और उसके साथ 5 मादा जेबरा रह सकती हैं।इसके अलावा उनकी हाल ही की संताने भी निवास करती हैं।जब एक छोटे जेबरा का जन्म होता है तो वह पहले अपनी मां का दूध पीता है और उसके बाद 13 और 37 महीने का हो जाने पर वे अपने माता का साथ छोड़कर इधर उधर जाने लग जाते हैं और इस प्रक्रिया के अंदर वे कई बार भटक भी जाते हैं।

1930 के दशक में, उनकी आबादी लगभग 100 से भी कम हो गई थी। अब यह जेबरा भी विलुप्ति के करीब है। दुनिया भर के चिड़ियाघरों के अंदर ही अब यह बचा रह गया है। इसके आवास नुकसान और शिकार की वजह से यह विलुप्ति के कगार पर है।

Mountain zebra

Facts About Zebras जेबरा के बारे मे कुछ मजेदार तथ्य

दोस्तों जेबरा के हमने कई प्रकार के बारे मे जाना आइए जानते हैं जेबरा के बारे मे कुछ मजेदार तथ्य को ।

  • ‌‌‌जेबरा पर सफेद और धारीदार काले या गहरे भूरे रंग की धारियां होती हैं लेकिन उनके नीचे का कोट काले रंग का होता है।
  • हर जेबरा के अंदर अलग अलग पट्टी पैटर्न होता है।पर्वत के जेबरा की गर्दन पर खड़ी धारियां होती हैं।
  • ज़ेब्रा ज़िग-ज़ैग पैटर्न में चलते हैं। इसी वजह से एक शिकारी के लिए उनका शिकार करना ‌‌‌ उतना आसान नहीं होता है।
  • जेब्रा धारियों का पैटर्न प्रत्येक अलग-अलग ज़ेबरा के लिए अलग-अलग होता है, जिससे वे प्रत्येक को अद्वितीय स्नोफ्लेक बनाते हैं ।
  • जेबरा के कोट के काले और सफेद धारीदार पैटर्न बग रिपेलेंट है जो खून चूसने वाले कीड़े और अन्य मक्खी के हमले से बचाने का कार्य करता है।
  • ‌‌‌जेबरा के समूह को zeal के नाम से जाना जाता है।
  • ज़ेबरा के लिए स्वाहिली का नाम ‘पुंडा मिलिया’ है।
  • रोमन के लोगों ने गाड़ी को खींचने के लिए ग्रेवी जेबरा का प्रयोग किया है जोकि दो पहियों की बनी होती है।
  • हॉर्स-टाइगर एक जेबरा का नाम ही है जोकि रोमन सर्कस के अंदर प्रयोग मे लिया जाता है।
  • जब जेबरा पर कोई शिकारी हमला करता है तो वे एक अर्ध-चक्र बनाएंगे ‌‌‌और अपने बचाव के लिए शिकारी पर भी हमला करेंगे ।सिर्फ इतना ही नहीं वे अपने घायल सदस्य को भी इस सुरक्षा के अंदर लेलेंगे।
  • एक माँ ज़ेबरा अपने शिशु को कुछ समय के लिए अन्य जेब्रा से अलग रखेगी जबतक शिशु जेबरा मां की गंध को सही से पहचानने मे सक्षम नहीं हो जाए ।
  • ज़ेबरा का झुंड शैर जैसे शिकारियों को भी दूर से आसानी से भ्रमित कर सकता है।
  • ज़ेबरा वास्तव में बहुत छोटा है और 3.5-5 फीट लंबा हो सकता है।
  • ग्रैवी के ज़ेब्रा का दूसरा नाम इंपीरियल ज़ेब्रा है।
  • यदि बात करें जेब्रा की रेस की तो यह ज़ेबरा 65 किमी / घंटा या 40 मील प्रति घंटे तक चल सकता है।
  • ‌‌‌जेबरा आमतौर पर सोने के लिए लेटते नहीं हैं।वे खड़े हो कर सोते हैं।
  • जेबरा अपने कानों को किसी भी दिशा मे घूमा सकते हैं इसकी मदद से वे आसानी से एक दूसरे से संवाद कर सकते हैं।
  • ‌‌‌जेबरा एक और खास बात होती है वह यह है कि यह नारंगी रंग को नहीं देख सकता है।

‌‌‌जेबरा की विशेषताएं

दोस्तों ज़ेबरा में बैरल-छाती वाले शरीर होते हैं जिसमें गुच्छेदार पूंछ, लम्बी चेहरे और लंबी, खड़ी  लंबी गर्दन होती है।इनके पतले पैर कठिन खुर से ढके होते हैं।इनके दांत चराई के लिए विशेष प्रकार से बने हुए हैं।इनके पास बड़े दांत हैं जो घास को आसानी से काट सकते हैं। ‌‌‌नर के पास कुदाल आकार के दांत होते हैं जो लड़ने मे उसकी मदद करते हैं।ज़ेब्रा की आँखें सिर के ऊपर और दूर तक होती हैं, जो उन्हें चरने के दौरान ऊंची घास से ऊपर देखने की अनुमति देता है। इसके अलावा उनके कान भी विशेष प्रकार के होते हैं जो ध्वनी के स्त्रोत का आसानी से पता लगा सकते हैं।

‌‌‌जेबरा के अंदर पाई जाने वाली धारियां

‌‌‌जेबरा के अंदर पाई जाने वाली धारियां

ज़ेबरा आसानी से अपने बोल्ड ब्लैक-एंड-व्हाइट स्ट्रिपिंग पैटर्न की मदद से आसानी से पहचाने जा सकते हैं।इनके पेट और पैर सफेद होते हैं और कोट के नीचे की त्वचा काली होती है।धारियाँ सामने की टांगों के ऊपर विभाजित होती हैं, जिससे कंधे की धारियाँ बनती हैं। पैर, कान और पूंछ पर धारियां अलग और क्षैतिज हैं। ज़ेब्रा की आंखों और निचले जबड़े के आसपास भी जटिल पैटर्न होते हैं।

स्ट्रिपिंग पैटर्न हर जेब्रा के लिए अलग अलग होती हैं और जन्म के आठ महिने बाद ही धारियां दिखाई देने लग जाती हैं।प्रत्येक प्रजाति के लिए भ्रूण के विकास में एक बिंदु होता है जहां धारियाँ पृष्ठीय के लंबवत होती हैं ।

‌‌‌युवा जेबरा सफेद और भूरे कोट के साथ पैदा होते हैं और भूरे के साथ बढ़ते हैं।हालांकि 19 वीं शताब्दी के अंदर जेबरा की धारियों पर वैज्ञानिकों ने काफी दिलचस्पी दिखाई और इसके उपर कई रिसर्च भी हुए ।

  • अल्फ्रेड वालेस 1896 में धारियों के उपर रिसर्च किया था। चार्ल्स डार्विन का कहना था कि जेबरा के उपर मौजूद धारियां उसकी शिकारी से रक्षा करने मे मदद करती हैं। आमतौर पर जेबरा खुले मैदानी भागों के अंदर चरते हैं और उनके शरीर के उपर मौजूद धारियों की वजह से शेर और दूसरे जानवर उनको लंबी दूरी से समझ‌‌‌ नहीं पाते हैं कि वो क्या हैं ?लेकिन शेर और दूसरे शिकारी जानवर मात्र जेबरा की गंध से यह पता लगाते हैं कि यह क्या हो सकता है ?
  • ‌‌‌जेबरा की धारियों के संबंध मे एक परिकल्पना भ्रम से संबंधित है।औमतौर पर जेबरा समूह के अंदर होते हैं और खतरा होने की स्थिति मे यह एक दूसरे के काफी करीब आ जाते हैं। यह धारियां काफी कन्फयूजन पैदा कर देती हैं।और यदि कोई शैर जेबरा का पीछा कर रहा है तो यह धारियां काफी भ्रामक जानकारियां प्रदान ‌‌‌ करती हैं।
  • 1971 में, जीवविज्ञानी हा बाल्डविन ने उल्लेख किया कि काली धारियों ने उष्मा को अवशोषित किया जबकि सफेद लोगों ने इसे प्रतिबिंबित किया। यह धारियां जेबरा को ठंडा रखने मे काफी मदद करती हैं।इसके अलावा एक अन्य रिसर्च मे यह भी सामने आया कि धारियों ने ही गर्मी को नियंत्रित करने मे महत्वपूर्ण भूमिका ‌‌‌ निभाई ।
  • ‌‌‌अफ्रिकी घोड़े को अनेक भयंकर बीमारियां होती हैं जिनके अंदर इक्वाइन इन्फ्लूएंजा , इक्वाइन संक्रामक एनीमिया और ट्रिपैनोसोमाइसिस आति हैं।वैज्ञानिकों के अनुसार सफेद और काली धारी होने की स्थिति मे जेबरा के उपर मक्खी के बैठने की संभावना भी काफी कम होती है।2012 के एक अध्ययन ने यह निष्कर्ष निकाला है और यह निष्कर्ष निकाला है कि धारियों को भोजन और पानी का पता लगाने के लिए उपयोग किए जाने वाले समान पैटर्न के बजाय विपरीत प्रकाश पैटर्न को दर्शाते हैं।

‌‌‌जेबरा का व्यवहार और पारिस्थितिकी

‌‌‌जेबरा उन स्थानों पर रहना पसंद करते हैं जहां पर जल अधिक मात्रा मे पाया जाता है।अफ्रीका में स्तनधारियों की सबसे लंबी भूमि प्रवास नामीबिया और बोत्सवाना के बीच 500 किलोमीटर तक यात्रा करते हुए देखा गया है।मैदानी ज़ेबरा अन्य प्रजातियों की तुलना में अधिक जल-निर्भर हैं और अधिक मेसोनिक वातावरण में रहते हैं।

और यह जल स्त्रोंतों से 15 किलोमीटर दूर तक ही जाते हैं।ज़ेबरा दिन में सात घंटे सो सकते हैं। दिन में, वे खड़े होकर सोते हैं, जबकि रात में वे लेट जाते हैं। वे नियमित रूप से पेड़ों, चट्टानों और अन्य वस्तुओं के खिलाफ रगड़ते हैं और मक्खियों और जलन के खिलाफ सुरक्षा के लिए धूल में चारों ओर रोल करते हैं।

‌‌‌जेबरा की सामाजिक संरचना

मैदानी और पर्वतीय ज़ेबरा एक स्थिर, बंद परिवार समूह या हरम में रहते हैं।और इसके अंदर एक स्टालियन होता है और उनकी संताने भी होती हैं। एक स्टालियन भी हरम का निर्माण करता है।मैदानी जेबरा भी बड़े झुंडों में इकट्ठा होते हैं और अस्थायी रूप से एक झुंड के भीतर स्थिर उपसमूह बना सकते हैं।‌‌‌और वे अपने समूह के लोगों के साथ बातचीत कर सकते हैं।

‌‌‌इन समूह के अंदर मादाओं को लाभ होता है क्योंकि नर उनको अधिक समय देते हैं और वे उनकी बच्चों की भी सुरक्षा करने का कार्य करते हैं। जब एक समूह का नर परिपक्व हो जाता है तो वह दूसरी किसी मादा को चुन सकता है।स्टालियन जेबरा के अंदर एक ऐसा नर होता है जोकि एक समूह का अधिकारी होता है। जब तक वह स्वस्थ होता है उनको चुनौती नहीं दी जाती है लेकिन जैसे ही वह कमजोर पड़ता है दूसरे जेबरा उसे स्टालियन के पद से मुक्त कर देते हैं या फिर हरा कर खुद स्टालियन के पद पर काबिज हो जाते हैं।

‌‌‌जेबरा के अंदर संचार

जेबरा जब पहली बार मिलते हैं तो वे एक दूसरे को नमस्कार कर सकते हैं।वे एक दूसरे की नाक को रगड़ कर सूंघ सकते हैं और उसके बाद अपने गालों को भी रगड़ सकते हैं।इसके अलावा वे अपनी नाक को घूमाकर एक दूसरे के जननांगों को भी सूंघ सकते हैं।कंधों को एक दूसरे के खिलाफ रगड़ और दबा सकते हैं और एक दूसरे पर अपना सिर टिका सकते हैं। यह अभिवादन आम तौर पर हरम या क्षेत्रीय नर के बीच या कुंवारे नर के बीच खेला जाता है।

‌‌‌जेबरा आमतौर पर कई प्रकार के स्वर भी निकालते हैं।इसके अलावा वे अपने कान और सिर व होठों की मदद से भी एक दूसरे की तरफ ईशारा कर सकते हैं।

‌‌‌जेबरा मे प्रजनन और पालन पोषण

मैदानी और पहाड़ी ज़ेब्राओं मे मादा केवल एक ही स्टालियन के साथ ही रहती है लेकिन ग्रेवी जेबरा के अंदर नर के अंदर प्रतियोगिता रहती है। मादा कई नर के साथ रह सकती है।मादा ज़ेबरा में ऑस्ट्रस पांच से दस दिनों तक रहता है; शारीरिक संकेतों में बार-बार पेशाब आना, बहना बलगम, और सूजन, इसके अलावा, ओस्ट्रोस में महिलाएं अपने हिंद पैरों को फैलाएंगे।‌‌‌नर घूमावदार होंठ और कांटेदार दांतों के साथ मादा की प्रजनन स्थिति का आंकलन करते हैं।

जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया है मादा बस एक ही बच्चा पैदा करती हैं जो कि जन्म के कुछ ही घंटे के बाद चलने लग जाता है।‌‌‌3 महिने के बाद ही यह जेबरा का बच्चा पानी पीता है।और 13 महिने के बाद यह काफी अच्छे से मादा से दूर भी जाने लग जाता है।

‌‌‌घटती जेबरा की आबादी

2016-2019 तक, स्तनधारियों की IUCN रेड लिस्ट में ग्रेवी के ज़ेबरा को लुप्तप्राय , पहाड़ी ज़ेबरा को संवेदनशील और मैदानी ज़ेबरा को निकट- खतरे के रूप में सूचीबद्ध किया जा चुका है।और आपको बतादें कि ग्रेवी जेबरा की आबादी 2000 से भी कम रह गई है।पर्वतीय ज़ेबरा की आबादी 35000 के आस पास है। इसी प्रकार से मैदानी जेबरा की आबादी 150,000-250,000 तक है। पर्वत को नष्ट होने और खेती के अंदर बढ़ोतरी होने की वजह से जेबरा के लिए भोजन की उपलब्धता तेजी से कम होती जा रही है।

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20 वीं शताब्दी की शुरुआत तक, ज़ेबरा खाल मूल्यवान वस्तुएं थीं और इन्हें आमतौर पर आसनों के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। 21 वीं सदी में, ज़ेबरा खाल अभी भी 1,000 डॉलर और 2,000 डॉलर में बिकती है। सिर्फ इतना ही नहीं है जेबरा के मांस को अफ्रिका के अंदर नियमित रूप से खाया जाता है।‌‌‌वर्तमान मे जेबरा केवल संरक्षित क्षेत्र के अंदर ही पाया जाता है। खासकर सरकार के द्धारा संरक्षित क्षेत्र मे ही आपको जेबरा देखने को मिलेगा । माउंटेन ज़ेब्रा दक्षिण अफ्रीकामें माउंटेन ज़ेब्रा नेशनल पार्क , करूओ नेशनल पार्क और गोएगैप नेचर रिज़र्व के साथ-साथनामीबिया में इटोशा और नामिब- नौक्लुफ़ट पार्क में ‌‌‌इसको आसानी से देखा जा सकता है।

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arif khan

‌‌‌हैलो फ्रेंड मेरा नाम arif khan है और मुझे लिखना सबसे अधिक पसंद है। इस ब्लॉग पर मैं अपने विचार शैयर करता हूं । यदि आपको यह ब्लॉग अच्छा लगता है तो कमेंट करें और अपने फ्रेंड के साथ शैयर करें ।‌‌‌मैंने आज से लगभग 10 साल पहले लिखना शूरू किया था। अब रोजाना लिखता रहता हूं । ‌‌‌असल मे मैं अधिकतर जनरल विषयों पर लिखना पसंद करता हूं। और अधिकतर न्यूज और सामान्य विषयों के बारे मे लिखता हूं ।