What is Long term memory दीर्घकालिक स्मृति के प्रकार

लॉन्ग टर्म मेमोरी इन हिंदी और दीर्घकालिक स्मृति क्या है। इस पर हम इस लेख मे चर्चा करने वालें हैं

मनोविज्ञान के अंदर आपने अनेक प्रकार की स्मृति के बारे मे पढ़ा होगा दीर्घकालिक स्मृति एक प्रकार की स्थाई स्मृति होती है। जिसके अंदर यादें या डेटा काफी लंबे समय तक रहते हैं।जबकि अल्पकालिनस्मृति के अंदर जो सूचनाएं होती हैं वो कम समय तक ही स्टोर रहती हैं।

‌‌‌जैसे कि आप कुछ याद रख पाते हैं जो अभी घटित हुआ हो या दशकों पहले घटित हुआ हो तो यह आपके दीर्घकालिक स्मृति के बारे मे ही बताता है। दीर्घकालिक स्मृति को अच्छी तरह से समझने के लिए आपको नीचे दिये गए कुछ बिंदुओं पर ध्यान देना बहुत अधिक आवश्यक होगा ।

  • दीर्घकालिक स्मृति के अंदर जो यादे होती हैं वे हमारे चेतन मन से बाहर होती हैं लेकिन इनकी जरूरत पड़ने पर हम इनको एक्सेस कर सकते हैं। लेकिन दूसरी यादों को एक्सेस करना बहुत ही कठिन होता है।
  • दीर्घकालिक स्मृति के अंदर यादे समान मजबूती के साथ याद नहीं रहती हैं। कुछ यादे ऐसी होती हैं जोकि बहुत अधिक स्पष्ट तौर पर याद रहती हैं लेकिन बहुत सी एसी होती हैं जो स्पष्ट तौर पर याद नहीं रहती हैं। ‌‌‌जैसे आपके शादी का दिन और आपको पहला बच्चा कब हुआ था ? यह सब बातें स्पष्ट यादों का संकेत होता है।
  • ‌‌‌ऐसी यादें जिनको बार बार एक्सेस किया जाता है वे यादें काफी मजबूती के साथ जुड़ जाती हैं और जिन यादों को बार बार एक्सेस नहीं किया जाता है। या बहुत कम बार एक्सेस किया जाता है। ‌‌‌वे दूसरी सूचनाओं के द्वारा प्रतिस्थापित कर दी जाती हैं।

दीर्घकालिक स्मृति के प्रकार  Types of Long-Term Memory

Types of Long-Term Memory को 3 भागों के अंदर  विभाजित किया जा सकता है। इसके बारे मे भी आइए जान लेते हैं। ट्यूलिंग (1972) द्वारा दीर्घकालिक स्मृति के सबसे शुरुआती और सबसे प्रभावशाली भेदों में से एक का प्रस्ताव किया गया था। उन्होंने एपिसोडिक, शब्दार्थ और प्रक्रियात्मक स्मृति के बीच अंतर का प्रस्ताव दिया।

Procedural Memory

Procedural memory जिसको हिंदी के अंदर प्रक्रियात्मक मैमोरी कहा जाता है। जिसका सीधा सा अर्थ यह है कि यह मैमोरी प्रक्रिया से जुड़ी हुई है। ‌‌‌इसमे सभी शारीरिक प्रक्रियाओं का ज्ञान स्टोर होता है। जैसे आपको साइकिल किस तरह से चलाना है इसका ज्ञान आपकी प्रक्रियात्मक मैमोरी के अंदर आता है। कार चलाना और पैंन से लिखना । मलतब शारीरिक प्रक्रिया का ज्ञान इस मैमोरी मे स्टोर होता है। ‌‌‌जिसमे कि कौशल की आवश्यकता हो ।

Semantic Memory

Semantic memory  दीर्घकालिक स्मृति  का एक प्रकार है। और इसको शब्दार्थ स्मृति  कहा जाता है। जिसका मतलब यह है कि यह आवाज को स्टोर करने का काम करती है। आवाज किसी भी प्रकार की हो सकती है। जैसे आपको यह पता है कि भारत का दूसरा नाम हिंदुस्तान है। दुनिया मे सबसे खतरनाख देश पाकिस्तान है। ‌‌‌मतलब यह सारी चीजें जो आपके नॉलेज का हिस्सा होती हैं वे सारी इसी के अंदर आती हैं। तो आप समझ चुके होंगे कि Semantic Memory ‌‌‌क्या होती है?

Episodic Memory

एपिसोडिक मेमोरी, घटनाओं (यानी एपिसोड) के बारे में जानकारी संग्रहीत करने के लिए जिम्मेदार दीर्घकालिक स्मृति का एक हिस्सा है जिसे हमने अपने जीवन में अनुभव किया है।

‌‌‌इस तरह की मैमोरी का मतलब किसी खास समय से होता है जैसे कि एक दिन मे आपने क्या किया है। या आपने कल क्या किया था। इस तरह के समय से जुड़ी यादों को इस मैमोरी के अंदर सेव किया जाता है। ‌‌‌जैसे आपने कल स्कूल जाते समय बस पकड़ी थी तो यह इसी प्रकार की मैमोरी के अंदर डेटा स्टोर को बताती है।

कोहेन और स्क्वॉयर (1980) ने घोषणात्मक ज्ञान और प्रक्रियात्मक ज्ञान के बीच अंतर  किया था। प्रक्रियात्मक ज्ञान के अंदर किसी काम कैसे करना है? इसमे हमे कौशल की आवश्यकता होती है। जैसें कि बाइक चलाना कार चलाना आदि के जिए । लेकिन घोषणात्मक के अंदर यह जानना” शामिल है, उदाहरण के लिए लंदन इंग्लैंड की राजधानी है, ज़ेब्रा पशु हैं, आपकी मम्मी का जन्मदिन आदि।

सूचनात्मक स्मृति से सूचना को याद करने के लिए कुछ हद तक सचेत प्रयास शामिल हैं – जानकारी को जानबूझकर ध्यान में लाया जाता है।

घोषणा और प्रक्रियात्मक स्मृति के बीच के अंतर के लिए सबूत स्मृतिलोप के रोगियो मे मिले हैं।एम्नेसिया की शुरुआत के बाद एपिसोडिक रोगियों को एपिसोडिक और सिमेंटिक जानकारी बनाए रखने में बहुत कठिनाई होती है।

‌‌‌इनके पूर्व की सभी स्म्रति बरकरार रहती है लेकिन नई यादों को संग्रहीत  नहीं कर सकते हैं। पर प्रक्रियात्मक मैमोरी के अंदर किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं होता है।वे अभी कार और बाइक जैसी चीजों को चला सकते हैं।

दीर्घकालिक स्मृति कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क की तरह होती है

Types of Long-Term Memory

दोस्तों वैज्ञानिक यह मानते हैं कि दीर्घकालिक स्मृति कम्प्यूटर के हार्ड डिस्क की तरह ही होती है। जिस तरह से कम्प्यूटर के अंदर हार्ड डिस्क काम करता है उसी तरीके से यह काम करती है। ‌‌‌सबसे पहले सूचना अल्पकालिक स्मृति के अंदर आती है। और उसके बाद उसमे से कुछ भाग को दीर्घकालिक स्मृति के अंदर भेज दिया जाता है। ‌‌‌और जब आपको इस सहेजी गई मैमोरी यादों की आवश्यकता होती है तो अल्पकालिक मैमोरी के अंदर इन यादों को उपलब्ध करवा दिया जाता है।

‌‌‌एक्सेस से आप अपनी दीर्घकालिक स्मृति मे यादों को बदल सकते हैं

वैज्ञानिकों के अनुसार दीर्घकालिक स्मृति के अंदर एक्सेस से यादों को बदला जा सकता है।इसमे न्यूरॉन्स पहले कॉर्टेक्स और हिप्पोकैम्प मे सांकेतिक शब्दों को बदला जाता है। और जब मैमोरी को वापस बुलाया जाता है तो ‌‌‌सूचनाओं को रि एनाकोडेड किया जाता है। इसका प्रभाव यह हो सकता है कि वे यादें मजबूत भी हो सकती हैं। ‌‌‌री एंनकोडिंग की वजह से स्मृति के कुछ पहलुओं को मजबूत किया जा सकता है, कमजोर किया जा सकता है, या पूरी तरह से खो दिया जा सकता है ।

अतिसंवेदनशील है दीर्घकालिक स्मृति

दीर्घकालिक स्मृति  अतिसंवेदनशील होती है। क्योंकि इसके अंदर हस्तक्षेप करना काफी आसान होता है। एलिजाबेथ लॉफ्टस ने अपने प्रयोगों मे उसने 25 प्रतिशत लोगों को झूंठी यादों मे विश्वास दिलाने मे सक्षम थी। कि वे एक बार शॉपिंग मॉल में एक बच्चे के रूप में खो गए थे।आमतौर पर दिमाग लापता उदाहरणों को भरने के लिए इस प्रकार के उदाहरणों को गढ लेता है।

दीर्घकालिक स्मृति इसके नाम के अनुरूप ही होती है। इसका कार्य काल दीर्घ या लंबा होता है और कभी कभी तो यह अंतहीन होता है।अपने इस गुण के कारण इसको स्थाई मैमोरी के नाम से जाना जाता है। और इसका विस्तार बहुत अधिक होता है। ‌‌‌यह तात्कालिक और अल्पकालिक मैमोरी की तरह जल्दी से नष्ट नहीं होती है। इसके विपरित इसके अंदर अमिट बाते मौजूद होती हैं।

सूचनाओं को निरंतर बनाए रखने के लिए इसमे अभियास या रिहर्सल करने की आवश्यकता नहीं होती है। वरन यह दिमाग के अंदर अपने आप ही होता रहता है। ‌‌‌दीर्घकालिक स्मृति के अंदर शहर का नाम ,गांव का नाम , विवाह की दिनांक  आदि आते हैं।‌‌‌‌‌‌दीर्घकालिक स्मृति के सबंध मे एक बात यह है कि  इसमे जब सूचनाओं को एनकोडिंग किया जाता है तो सूचनाओं मे प्रतिबद्वता सबंधता और संगठनात्मकता पर विशेष ध्यान दिया जाता है।‌‌‌जो कोड भाषा काम मे ली जाती है वह इस प्रकार की होती है कि वह व्यक्ति के दिलो दिमाग मे इस प्रकार से बैठ जाती है कि वह अधिक समय तक इसको आसानी से याद रख पाता है।

स्पष्ट स्मृति क्या होती है? Explicit memory

‌‌‌ ‌‌‌‌‌‌दीर्घकालिक स्मृति को अलग अलग मॉडल के अंदर अलग प्रकार मे बांटा गया है। स्पष्ट स्म्रति भी इसका एक प्रकार है।जिसका अर्थ यह है कि वे यादे जो सचेत रूप से होती हैं और जिनको आप लंबे समय से याद रखे हुए होते हैं। वे इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। ये हिप्पोकैम्पस , एंटोरहिनल कॉर्टेक्स और पेरिहाइनल कॉर्टेक्स द्वारा एन्कोडेड होते हैं, लेकिन कहीं और समेकित और संग्रहीत होते हैं। भंडारण का सटीक स्थान अज्ञात है, लेकिन टेम्पोरल कॉर्टेक्स को एक संभावित उम्मीदवार के रूप में प्रस्तावित किया गया है।

Van der Linden 2003 मे किये गए रिसर्च के अंदर यह बात सामने आई है कि दिमाग के कुछ खास हिस्सों मे क्षति हो जाने पर यह मैमोरी प्रभावित होती है।

आत्मकथात्मक स्मृति क्या है ? Autobiographical memory

यह मैमोरी भी ऐपिसोडिक मैमोरी के समान ही होते है लेकिन इसके अंदर जीवन के अनुभव होते हैं ,जो किसी व्यक्ति से सीधे संबंधित होते हैं। कुछ वैज्ञानिकों ने इस मैमोरी को दूसरे दीर्घकालिक मैमोरी के प्रकारों से अलग माना है।

अंतर्निहित स्मृति     Implicit memory

‌‌‌ अंतर्निहित स्मृति के अंदर कार ड्राइव कैसे करें , पेंसल का उपयोग कैसे करें ? जैसी सूचनाएं संग्रहित होती हैं।भावनात्मक स्मृति , एक विशेष रूप से मजबूत भावना को पैदा करने वाली घटनाओं के लिए स्मृति, एक ऐसा डोमेन है जिसमें घोषणात्मक और प्रक्रियात्मक दोनों स्मृति प्रक्रियाएं शामिल हो सकती हैं। भावनात्मक यादें सचेत रूप से उपलब्ध हैं, लेकिन एक शक्तिशाली, अचेतन शारीरिक प्रतिक्रिया के लिए उत्सुक हैं। अनुसंधान इंगित करता है कि एमिग्डाला भावनात्मक स्थितियों के दौरान बेहद सक्रिय है।

दीर्घकालिक स्मृति  अनिश्चित काल तक सूचनाओं को संग्रहित करती है

दीर्घकालिक स्मृति के बारे मे अभी भी वैज्ञानिक ठीक से पता नहीं लगा पाये हैं। यदि हम बात करें कि दीर्घकालिक स्मृति कितने समय तक डेटा को स्टोर कर सकती है तो इसकी कोई सीमा नहीं है। ऐसा माना जाता है कि यहां पर बहुत सारे डेटा अचेत अवस्था के अंदर रहते हैं। ‌‌‌यदि हम भारतिए दर्शन की बात करें तो योगिक परम्परा के अंदर यह माना जाता है कि दीर्घकालिक स्मृति के अंदर इंसान के सारे जन्मों का डेटाफीड होता है। और यदि इंसान योग करे तो वह इस डेटा को आसानी से पा सकता है।

‌‌‌कई बड़े बड़े योगियों के बारे मे यह कहा जाता था कि वे इस मैमोरी तक पहुंच चुके थे ।

दीर्घकालिक स्मृति मे सूचनाएं अल्पकालिक स्मृति से आती हैं

‌‌‌अल्पकालिक स्मृति  के बारे मे आप जानते ही होंगे यह सूचनाओं को कम समय के लिए ही स्टोर होती है। और इसके अंदर बहुत प्रकार की सूचनाएं होती हैं जो सूचना काफी उपयोगी होती है । वह दीर्घकालिक स्मृति  मे भेज दी जाती है। और बाकी की सूचनाएं नष्ट हो जाती हैं।

मस्तिष्क का हिप्पोकैम मवाद क्षेत्र अनिवार्य रूप से दीर्घकालिक यादों के लिए एक प्रकार का अस्थायी पारगमन बिंदु के रूप में कार्य करता है और इसका उपयोग स्वयं जानकारी संग्रहीत करने के लिए नहीं किया जाता है। हालांकि, यह अल्पकालिक से दीर्घकालिक स्मृति तक सूचना के सांत्वना के लिए आवश्यक है।

‌‌‌हमारे दिमाग के अंदर कई प्रकार के न्यूरॉन्स के सर्किट होते हैं और एक जंक्सन के माध्यम से यह एक दूसरे को सूचनाएं भेजते हैं जिसको सिनेप्स के नाम से जाना जाता है।मस्तिष्क में न्यूरॉन्स के कुछ सर्किटों की संचार शक्ति प्रबलित होती है। बार-बार उपयोग के साथ, इन सिनैप्स कनेक्शनों की दक्षता बढ़ जाती है।

दीर्घकालिक स्मृति ‌‌‌और भूलना  Long-term memories Forgetting

‌‌‌दोस्तों Long-term memories के अंदर यदि कोई चीज चली जाती है तो इस बात का पता लगाना बहुत ही कठिन होता है कि हम इन चीजों को भूले हैं या नहीं ?क्योंकि उन चीजों का पता लगाने के हमारे पास कोई आधार नहीं होता है। ‌‌‌यह कहना मुश्किल है कि Long-term memories  के अंदर सूचनाएं जाने के बाद हम भूल जाते हैं। सही भूलना और पुनर्प्राप्ति की विफलता के बीच अंतर करना कठिन है।

‌‌‌बहुत बार हम चीजों को याद करने की कोशिश करते हैं और वो हमारे दिमाग के अंदर होती हैं लेकिन उसके बाद भी हम उनको याद नहीं कर पाते हैं । लेकिन जब वे सामने आती हैं तो अचानक से हम उनको याद कर पाते हैं।

‌‌‌दीर्घकालिक स्मृति ‌‌‌और भूलना  के संबंध मे दो सिद्वांत हैं।इनमें से पहला, क्षय सिद्धांत, तर्क है कि यादें समय के साथ क्षय होती हैं। दूसरा सिद्धांत, हस्तक्षेप सिद्धांत, इसके बजाय यह मानता है कि संबंधित वस्तुओं के सीखने से एक या दोनों वस्तुओं के बाद के विस्मरण के साथ हस्तक्षेप होता है।

‌‌‌बहुत से ऐसे काम होते हैं जिनके बारे मे हम अच्छे से जानते हैं लेकिन कई बार हम उन कामों को भूल जाते हैं । किसी भी ऐसी चीज को भूल जाना जिसको आप बहुत पहले से ही जानते हों यह आपकी मैमोरी को समाप्त होने के बारे मे नहीं है।स्मृति पुनर्प्राप्ति मे विफलता की वजह से ऐसा होता है।

‌‌‌5 साल हो चुके हैं हमारी शादी को और हम ज्यादा तर भूल चुके हैं कि शादी किस तरह से हुई थी। लेकिन जब शादी का एलबंम देखा तो सारी बातें याद आ गई। दोस्तों आमतौर पर कई बार हम सही सूचनाओं को दीर्घकालिक स्म्रति से रिकॉल नहीं कर पाते हैं।

‌‌‌बहुत बार हमे यह लगता है कि हम कुछ भूल गए हैं लेकिन स्मृति  का छोटा सा क्यू हमारे सामने आते ही हमे सब कुछ याद आ जाता है। यह क्यू स्मृति को ट्रिगर करने का काम करता है।‌‌‌एक बार ऐसा हुआ कि एक व्यक्ति मेरे सामने आया और बोला कि यार तु मुझे जानता है । मैंने उसको नहीं पहचाना क्योंकि उसकी शक्ल पहले जैसी नहीं रही थी। उसके बाद उसने बोला की आज से 4 साल पहले हम लोग कॉलेज मे एक साथ थे मेरा नाम दिनेश है।‌‌‌उसके बाद मुझे उसके बारे मे सारी बातें याद आ गई।‌‌‌इस घटना के अंदर हम यह नहीं कह सकते हैं कि हम अपने उस क्लासमेट को भूल गए थे । बस हम उस सूचना को सही ढंग से ट्रिगर नहीं कर पा रहे थे । ‌‌‌क्या हम सूचनाओं को भूल चुके हैं ? इसको मैजर करने के कई तरीके हैं।

Recall

‌‌‌रिसर्च कर्ता यह पता लगा सकते हैं कि आपने किन सूचनाओं को भूला दिया गया है। हालांकि वे इसके लिए आपको कुछ शब्दों की सूचि दे सकते हैं और बाद मे यह पता लगाने के लिए कि आपने कितनी चीजों को याद किया है। इसके लिए वे संकेत के बिना आइटम को याद रखना और संकेत का प्रयोग कर सकते हैं।

Recognition

पद्धति में उन जानकारियों की पहचान करना शामिल है  जिसको पहले से सीखा जा चुका है। जैसे छात्रों को यह पूछा जा सकता है कि उन्होंने पहले के पाठ मे किन शर्तों के बारे मे पढ़ा था।

Theories About Why We Forget

Theories About Why We Forget

‌‌‌कई कारक भूलने के पीछे काम करते हैं। और कभी कभी जब हम किसी नई सूचना को याद करते हैं तो फिर कुछ पुरानी सूचनाओं को भूल जाते हैं।एलिजाबेथ लॉफ्टस  ने भूलने के पीछे कुछ कारणों को बताया है। जिनके बारे मे आपको भी जान लेना चाहिए ।

  • Retrieval failure
  • Motivated forgetting
  • Interference
  • Failure to store

 The Interference Theory हस्तक्षेप सिद्धांत

‌‌‌हस्तक्षेप के सिद्वांत को समझना बहुत ही सरल है। यह सिद्वांत यह बताता है कि नई यादें पुरानी यादों के अंदर हस्तक्षेप करती हैं। ‌‌‌जिसकी वजह से हम पुरानी यादों को भूल जाते हैं। जैसे आपसे कोई यह पूछे कि आपने कल क्या खाया था तो आप आसानी से बता सकते हैं। लेकिन आपसे यदि यह पुछा जाए कि आपने 10 दिन पहले क्या खाया था तो आप यह नहीं बता पाएंगे । ‌‌‌क्योंकि 10 वें दिन के बाद ऐसे अनेक दिन गुजर चुके हैं जिनकी यादों की वजह से आपकी पुरानी यादें समाप्त होती चली गई हैं। ‌‌‌कहने का मतलब है एक या एक से अधिक समान घटक एक दूसरे पर हस्तक्षेप करते हैं।

The Decay Theory of Forgetting

‌‌‌मेमोरी के ट्रेस सिद्धांत के अनुसार, नई यादों के गठन से मस्तिष्क में शारीरिक और रासायनिक परिवर्तन होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप एक मेमोरी ट्रेस होती है।अल्पकालिक मेमोरी के अंदर यादे मात्र 15 से 30 सैकिंड ही रह सकती हैं। यदि उनको दुबारा से रिहर्सल नहीं किया जाता है तो उसके बाद वे समाप्त होने लग जाती है।

‌‌‌इस सिद्वांत के अनुसार यादों के संग्रहण और समाप्त होना इस बात पर निर्भर करता है कि यादों के ग्रहण और उनके रिहर्सल के बीच समय कितना है। अधिक समय उन यादों को धुंधला कर देता है।

The Retrieval Failure Theory

कभी-कभी यादें वहाँ होती हैं, हम बस उन्हें एक्सेस नहीं कर सकते। स्मृति पुनर्प्राप्ति में इस विफलता के मूल कारणों में से दो एन्कोडिंग विफलताओं और पुनर्प्राप्ति संकेतों की कमी हो सकती है। कई बार हम चीजों को इस वजह से याद नहीं कर पाते हैं क्योंकि उन चीजों को ट्रिगर करने वाले सही संकेतों मे कमी होती है।‌‌‌इसके अलावा यह भी हो सकता है कि वह जानकारी जो आप ढूंढ रहे हैं वह कभी  दीर्घकालिक स्मृति के अंदर गई ही नहीं हो ।

‌‌‌जैसे कि यदि हम आपसे पूछे कि एक सिक्के का पिछला हिस्सा कैसा दिखता है तो बहुत से लोग इसका जवाब दे ही नहीं पाएंगे । क्योंकि सिक्के पिछले हिस्से के बारे मे जानकारी रखने का आपके पास कोई प्रयोजन ही नहीं है।‌‌‌बस आप सिक्के को देखते हैं और उसके बाद उसका यूज कर लेते हैं।‌‌‌लेकिन यदि एक सिक्के संग्रह कर्ता से यही बात पूछी जाए तो वह आपको बता सकता है। क्योंकि उसे सिक्के के हर भाग के बारे मे जानकारी को अपने मैमोरी के अंदर सेव किया हुआ है।

The Cue-Dependent Theory of Forgetting

‌‌‌यह सिद्वांत यह कहता है कि वास्तव मे दीर्घकालिक स्मृति  के अंदर वो सूचनाएं तो मौजूद होती हैं जिनको कि हम भूल चुके होते हैं लेकिन उन सूचनाओं को वापस लाने के औजार हमारे पास नहीं होते हैं।

 ‌‌‌हालांकि जब हम वो सूचना सेव कर रहे होते हैं तो या एनकोडेड कर रहे होते हैं तो उस वक्त वे संकेत मौजूद होते हैं लेकिन उसके बाद संकेत मौजूद नहीं होने की वजह से हम कभी भी उन सूचनाओं को वापस नहीं ला सकते हैं।

‌‌‌इसका मतलब यह कतई नहीं होता है कि दीर्घकालिक मैमोरी के अंदर पड़ी हुई यह सूचनाएं नष्ट हो गई हैं । वरन इन सूचनाओं को प्राप्त करने का संकेत हमारे पास नहीं हैं।

‌‌‌जैसे शादी की पहली रात को आपने अपनी पत्नी के साथ जो अनुभव किया आप उसे फिर से याद नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन  इस विवरण को ट्रिगर करने के लिए आपको उसी इत्र की आवश्यकता है जोकि आपकी पत्नी ने लगाया था। ‌‌‌यदि आप ऐसा कर पाते हैं तो आप उन यादों को ट्रिगर कर सकते हैं।

दीर्घकालिक स्मृति के प्रकार लेख के अंदर हमने यह जाना कि दीर्घकालिक स्मृति क्या होती है और यह कितने प्रकार की होती है। इसके अलावा विस्मरण के बारे मे भी जाना । किस तरह से हम सूचनाओं को भूल जाते हैं ?

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arif khan

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