जूते का आविष्कार किसने किया history of shoes

‌‌‌आप जूते पहनते हैं लेकिन क्या आपने सोचा कि जूते का आविष्कार किसने किया ? इस लेख मे हम जूते के इतिहास के बारे मे बता रहे हैं।जूते के बारे मे हम सभी जानते हैं जूता कपड़े या चमड़े या फिर प्लास्टिक का बना होता है। इसको पैरों के अंदर पहना जाता है।और यह पैरों को कांटों से बचाने का काम करता है।वैसे आजकल जूता पहनने का फैसन भी बन चुका है। आज से 20 साल पहले ग्रामिण इलाकों के अंदर जूते जैसी चीज नहीं होती थी।

 हमे याद है हम ‌‌‌लोग बिना जूते के घूमा करते थे यहां तक चप्पल भी नहीं थी।समय समय पर जूते की डिजाइन के अंदर और रंग के अंदर काफी कुछ बदलाव हुए हैं।जूतों को अलग अलग तरीके से बनाया जाता है। जैसे पतले तले वाले जूते अक्सर दौड़ने के लिए काम आते हैं। इसी प्रकार से कुछ जूते मोटा तले वाले होते हैं जो फैसन के लिए होते ‌‌‌ हैं। सस्ते और महंगे दोनो ही प्रकार के जूते मार्केट के अंदर उपलब्ध हैं।पर्वतारोहण के लिए डिजाइन किये गए जूते विशेष प्रकार के होते हैं जो सिर्फ पहाड़ों पर चढ़ने के लिए ही पहने जाते हैं।

‌‌‌पहले जूते चमड़े, लकड़ी या कैनवास से तैयार किए जाते थे लेकिन 2010 आने के बाद इनके तैयार की जाने वाली सामग्री के अंदर बहुत ही तेजी से बदलाव आया और अब जूते  रबर , प्लास्टिक और अन्य पेट्रोकेमिकल से बनाये जाते हैं। और इन जूतों को अलग अलग स्थितियों के अनुकूल बनाया जाता है। ‌‌‌जैसे सर्दी के अंदर पहनने के लिए आपको अलग जूते मिलेंगे तो बर्फ मे आपको अलग जूते लेने होंगे । एक कम्पनी मे काम करने के लिए अलग प्रकार के जूतों की आवश्यकता होगी । ‌‌‌कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि जूते वातावरण के हिसाब से बनाये जाते है।जैसे यदि आप एक कम्पनी मे काम कर रहे हैं तो आपको इस प्रकार के जूते दिये जाएंगे कि इनसे आपको पूरी सुरक्षा मिलेगी । ‌‌‌आइए जानते हैं जूते का आविष्कार किसने किया ?

जूते का आविष्कार किसने किया

जूते का आविष्कार किसने किया

  • ‌‌‌सबसे पुराने ज्ञात जूते नागदौना छाल हैं  और यह 7000 या 8000 ईसा पूर्व के हैं, रॉक गुफा में अमेरिका के राज्य ओरेगन 1938 में इन जूतों की खोज की गई थी।
  • दुनिया की सबसे पुरानी चमड़े के जूते , चमड़े की पहली परत सजी के साथ एक के एक टुकड़े से बना आगे और पीछे के हिस्सों में चमड़े की नाल, 2008 में आर्मेनिया में अर्नी -1 गुफा परिसर में पाई गई थी और माना जाता है कि यह 3500 ईसा पूर्व की है।
  • Iceman’s shoes 3500 ई पूर्व के थे जो कि छाल से बने हुए थे और Jotunheimen shoe की खोज 2006 के अंदर की थी यह 1800 ई के आस पास बनाया गया था।

‌‌‌यह माना जाता है कि जूतों का विकास बहुत ही पहले हो चुका था लेकिन इसके कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। इसके पीछे कारण यह है कि जूतों के अंदर इसप्रकार की सामग्री इस्तेमाल होती थी कि वह बाद मे नष्ट हो जाती थी। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि जूते पहनने से अंगूलियों का विकास होना कम हो गया था।

‌‌‌अक्सर अपने पैरों को गर्मी और ठंड से बचने के लिए पहले चमड़े के जूते बनाए जाते थे । उत्तरी अमेरिका के कई लोग इस प्रकार के जूते पहना करते थे इन जूतों को जिन्हें मोकासिन कहा जाता है । ये तंग-फिटिंग, मुलायम-तल वाले जूते हैं जो आमतौर पर चमड़े या बाइसन खाल से बने होते हैं।

‌‌‌इनको विभिन्न प्रकार के मौतियों से सजाया जाता था।लेकिन यह जलरोधी नहीं थे और गर्मी के अंदर काफी अच्छा काम कर सकते थे ।जैसे जैसे सभ्यताओं का विकास होता गया जूतों के अंदर बदलाव हुए बाद मे पैंटी सैंडल आये ।‌‌‌इसका उल्लेख 4000 ई पूर्व मिस्र के चित्रो के अंदर भी मिलता है। इसके अलावा इस प्रकार का एक जोड़ी जूता यूरोप के अंदर भी मिला था जो पेपरिस पतियों से बना हुआ था।यह जूता 1500 साल पुराना है ।

 थोंग सैंडल तो कई सभ्यताओं ने पहने थे और यह ‌‌‌इनको पपीरस और ताड़ के पत्तों से बनाया जाता था ।भारत में इन्हें लकड़ी से बनाया जाता था। चीन और जापान में, चावल के भूसे का उपयोग किया जाता था। सिसल प्लांट की पत्तियों का उपयोग दक्षिण अमेरिका में सैंडल के लिए सुतली बनाने के लिए किया जाता था।

‌‌‌आपको यह भी जानकर हैरानी होगी कि मिस्र के लोग और हिंदु लोग काफी कम ही जूते पहनते थे और यह अधिकतर नंगे पांव ही रहना पसंद करते थे ।सजावटी जूते का प्रयोग भी होता था जिसको क्लियोपेट्रा कहा जाता था।यह सिर्फ सजावट के लिए था और पैरों को किसी प्रकार की सुरक्षा नहीं देता था।

‌‌‌इसके अलावा कुछ लोग कद को बड़ा दिखाने के लिए भी जूते पहना करते थे ।प्राचीन ओलंपिक खेलों के अंदर एथेलिटो ने नंगे पांव भाग लिया था। इसके अलावा देवताओं को भी नंगे पर दिखाया जाता था। सिकंदर महान की सेना ने तो नंगे पैर लड़ाई लड़ी थी और अनेक युद्धों को जीत लिया था।

‌‌‌आपको बतादें कि रोमन लोगों के बनाए जूते को सभ्य दुनिया के जूतों के रूप मे देखा जाता है।आपको बतादें कि सैनिकों के लिए रोमन लोग चमड़े के जूते जारी करते थे और उसके उपर प्रतीक चिन्ह बना हुआ होता था रोमन दास और पैपर्स नंगे ही रहते थे । 

‌‌‌लगभग 4 ईसा पूर्व यूनानियों ने भी जूते को पहनना शूरू कर दिया था ।यह जूते चमड़े के बने हुए होते थे और इनको अच्छी तरह से नीले पीले और हरे रंग मे सजाया जाता था।नवविवाहित महिलाएं सफेद जूते पहनती थी । इसके अलावा जूते के तले को अच्छे से उकेरा जाता था ताकि जलते वक्त जमीन पर अंकित हो जाए ।

‌‌‌मध्य युग और जूते और आधुनिक काल

निर्माण के टर्नशो विधि का उपयोग करके कई मध्ययुगीन जूते बनाए गए।इसका तलवा जूट की मदद से बनाया जाता था और इसको किसान अपने खेतों के अंदर पहना करते थे ‌‌‌इन जूतों के अंदर पैर के चारो ओर चमड़ा लगा होता था और कसने के लिए  टॉगल फ्लैप्स का उपयोग किया गया था।पहले टर्नशो पद्धति से यह जूते बनाये गए थे बाद मे लगभग 1500 ई के आस पास  वेल्डेड रैंड विधि से जूते बनाए जाने लगे ।टर्नशो पद्धति का उपयोग अभी भी कुछ नृत्य और विशेष जूतों के लिए किया जाता है।

‌‌‌15 वीं शताब्दी तक यूरोप मे महिला और पुरूष दोनों के अंदर जूते समान रूप से लोकप्रिय हो गए थे ।यह आधुनिक उंची ऐड़ी के जूतों की तरह हुआ करते थे ।जबकि यूरोप मे ही गरीब लोग बिना जूतों के ही रहा करते थे ।

क्राको फैशनेबल जूते उस समय काफी लोकप्रिय थे ।इन जूतों का आविष्कार पौलेंड की राजधानी क्रोको के अंदर किया गया था।15 वीं शताब्दी के अंदर तुर्की में चॉपाइन बनाए गए थे जो वेनिस के अंदर काफी लोक प्रिय रहे ।उसके बाद 16 वीं शताब्दी मे इंगलैंड की मैरी ने लंबी ऐड़ी बाले जूतों को पहनना शूरू कर दिया था।

‌‌‌1550 ई के आस पास वे पुरूष भी उंची ऐडी वाले जूते पहना करते थे जिनके पास काफी अधिक धन हुआ करता था।17 वीं शताब्दी के अंदर केवल शाही परिवार के लोग ही उंची ऐड़ी के जूते पहनते थे बाकी ने यह सब छोड़ दिया था।‌‌‌17 वीं श्ताब्दी तक चमड़े के जूते का प्रयोग किया जाता था।

औद्योगिक युग और जूते

‌‌‌18 वीं शताब्दी के आने के बाद जूतों का भी व्यवसायिक करण हो गया ।कई बड़े व्यापारियों ने जूते का स्टॉक करना शूरू कर दिया और वे छोटी व्यापारियों से जूते खरीद रहे थे ।19 वीं शताब्दी तक जूतों का उत्पादन मशीनों से होने लगा था।

इंजीनियर मार्क ब्रुनेल द्वारा नेपोलियन युद्धों के दौरान ब्रिटिश सेना के लिए जूतों का निर्माण किया गया था ।इसके लिए एक कारखाना भी लगाया गया और बड़ी संख्या के अंदर जूतों का उत्पादन शूरू कर दिया गया था।1812 में, उन्होंने नेस्ट-बूट-मेकिंग मशीनरी बनाने के लिए एक योजना तैयार की जो कि तलवों का उत्पादन करती थी।

‌‌‌“आप चित्र के अंदर एक जूते बनाने की फैक्ट्री को देख सकते हैं।यह 19 वीं शताब्दी की बात है। इसमे सिर्फ जूते की खास चीजों जैसे ढलाई वैगरह मशीन से बनी होती थी बाकी एक जूता तैयार होने से पहले 25 लोगों के हाथों से गुजरता था।‌‌‌इस उधोग के अंदर काफी सारे मजदूर काम करते थे । नए मजदूरों की भर्ती होने पर उनको पहले जूते बनाना सीखाया जाता था और उसके बाद ‌‌‌उनको इस काम पर लगा दिया जाता था।हालांकि, जब युद्ध 1815 में समाप्त हो गया, तो मैनुअल श्रम बहुत सस्ता हो गया, और सैन्य उपकरणों की मांग कम हो गई। नतीजतन, ब्रुनेल की प्रणाली अब लाभदायक नहीं थी और यह जल्द ही व्यापार बंद हो गया।।“

 19th century, the shoe making industry had migrated to the factory

‌‌‌इनसबके बाद मशीनिकरण का बहुत तेजी से विकास हुआ ।टामस क्रिक ने रिवेटिंग मशीन के लिए डिजाइन का पेटेंट कराया। जिससे चप्पल उत्पादन की दक्षता बहुत अधिक बढ़ गई।1850 के दशक मे लौहे की बनी भाप से चलने वाली रॉलिंग मशीनों का विकास हुआ ।

सिलाई मशीन 1846 में शुरू की गई थी।अमेरिका और इंग्लैंड के क्षेत्रों में। 1856 में अमेरिकन लिमन ब्लेक द्वारा एक जूता सिलाई मशीन का आविष्कार किया गया था। उसके बाद जूते की डिजाइन मशीनरी का भी विकास किया जाने लगा ।1890 के दशक तक, मशीनीकरण की प्रक्रिया काफी हद तक पूरी हो चुकी थी।

‌‌‌20 वीं शताब्दी के बाद जूते के अंदर चमड़े का प्रयोग कम होने लगा था ।और अब तो सिर्फ महंगे जूतों के अंदर ही चमड़े का प्रयोग होता है। बाकी के जूते तो रबड़ और प्लास्टिक के ही बनाए जाते हैं।

 2007 में, वैश्विक जूता उद्योग का राजस्व के मामले में कुल $ 107.4 बिलियन का बाजार था , और 2012 के अंत तक $ 122.9 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है। चीन के पीपुल्स रिपब्लिक में जूता निर्माता 63% उत्पादन करता है।

‌‌‌जूतो का घर

‌‌‌जूतो का घर
By CrazyLegsKC – Own work, CC BY-SA 3.0, wiki

जूतों के साथ भी अनेक प्रकार की संस्क्रति को जोड़ दिया गया है।जैसे भारत के अंदर या विदेशों मे किसी भी मंदिर और मस्जिद के अंदर जूते लेकर जाना अलाउ नहीं होता है।1948 में , पेंसिल्वेनिया के अंदर एक व्यक्ति ने एक ऐसा घर बनाया था जिसका डिजाइन हूबहू जूते के रूप ‌‌‌ मे मिलता है।हैंस जूता हाउस शादी के लिए किराये पर भी दिया जाता है।1962 तक यह ठीक रहा लेकिन इसके मालिक की मौत के बाद संग्रालय वैगरह वहां पर आज भी बचे हुए हैं।

‌‌‌दुनिया के सबसे अजीब जूते

दोस्तों आज टेक्नॉलाजी का जमाना है और रोजाना कुछ ना कुछ मार्केट के अंदर नया आता ही रहता है तो जूते भी खास प्रकार के मार्केट के अंदर आ चुके हैं।‌‌‌यह जूते देखने मे आम जूतों के जैसें नहीं हैं।वरन इनको किसी खास प्रकार से बनाया गया है।

Walk Wings

Walk Wings

Walk Wings जूते के आने से मार्केट मे इनकी धूम मच गई है। यह आम  स्केटिंग शूज की तुलना मे काफी उपयोगी होते हैं। और इनके अंदर कई प्रकार के एक्स्ट्रा फैचर दिये हुए होते हैं।‌‌‌इनको पहनने के बाद आपको कुछ ज्यादा मेहनत नहीं करनी होती है। Toe Cover, Ankle Strap, Heal Strap, Switch, Heel break जैसी एडवांस चीजों के साथ यह पूरी तरह से आधुनिक लुक के अंदर आता है। और एक बार आप इसका यूज कर लेते हैं तो फिर आप इनके दीवाने हुए बिना नहीं रह पाएंगे ।

hickies shoes

hickies shoes

hickies shoes तो आपको अमेजन पर कम से कम 300 रूपये मे मिल जाएंगे । वैसे इनके अंदर कुछ खास नहीं है लेकिन इनमे स्पेसल प्रकार के फीते आते हैं। यदि आप अपने जूतों के फीतों को बांधते हुए थक गए हैं तो hickies shoes को आजमा सकते हैं।‌‌‌इन जूतों मे एक बार फीते बंध जाने के बाद उनके खुलने का डर कभी नहीं होगा । बहुत बार आम जूतों मे फीते हमे परेशान करते हैं। इसी समस्या को ध्यान मे रखकर यह जूते बनाए गए हैं।

Enko Running Shoes

‌‌‌यह जूते सच मे काफी शानदार होते हैं।इस प्रकार के जूते तेज दौड़ने मे काफी मदद करते हैं। हालांकि यह काफी महंगे आते हैं लगभग 5000 के आस पास लेकिन इनके अंदर स्प्रींग लगी होती है जो आपको बहुत तेजी से भागने मे मदद करती हैं।‌‌‌इन जूतों को दुनिया के कई देशों के अंदर पहना जाता है और इनको इस प्रकार बनाया गया है कि यह आम जुतों की तुलना मे अधिक सुरक्षा प्रदान करते हैं।

Smart Shoe

‌‌‌जैसा का नाम से ही स्पष्ट है ।यह जूते स्मार्ट जूते हैं और इनको एप्प से कंट्रोल किया जाता है। इनको आप यूएसबी से चार्ज कर सकते हैं। यह जूते एप्प से कनेक्ट रहते हैं। इन जूतों को पहनकर यदि आप कहीं पर जाते हैं तो यह दूरी को बता सकते हैं और कितनी कैलोरी अपने खर्च की यह भी बता सकते हैं।‌‌‌यह पहनने मे काफी सुविधाजनक हैं और इनको बनाने के लिए हाईक्वालिटी का मटैरियल का यूज किया गया है।

Bionic Boot

Bionic Boot

Bionic Boot  रोबोट के जैसे होते हैं और इनको पहन कर चलने पर एक अलग ही एहसास होता है।यह जूते काफी तेज भागने मे मददगार होते हैं। इनको पहनकर कर आप 40 किलोमिटर प्रतिघंटा की स्पीड से भाग सकते हैं।‌‌‌इसके अलावा आप इनको पहनने के बाद बेहद ही उंचाई पर उछल सकते हैं।‌‌‌कुल मिलाकर यह जूते दिखने मे काफी अजीब लग सकते हैं।आपने इस प्रकार के जूते हॉलिहुड की फिल्मों मे देखा होगा ।

‌‌‌पहली बार जूते कब दिखाई दिये थे ?

1991 ई को पहली बार ऑस्ट्रिया और इटली की सीमा पर जूते मिले थे जो ओटजी नामक मानव के थे और यह जूते पाषाण युग के थे ।यह इंसान लगभग 3300 साल पहले मर गया था। और यह जूते चमड़े से बने हुए थे ।इसके अंदर घास को दाबा गया था।‌‌‌इसके अंदर कम टांके दिये गए थे और जूते के आगे का भाग चमड़े से बना हुआ था।आपको बतादें कि यह चिन्हित किये गए निश्चित जूते नहीं है। अलग अलग जगह पर अलग अलग प्रकार से जूते बनाए जाते थे ।जैसे यदि बात करें उत्तरी क्षेत्रों की तो वहां पर जूतों को मोटे चमड़े से बनाया जाता था और दक्षिण क्षेत्रों के ‌‌‌ अंदर बने जूते फाइबर से बनाये जाते थे ।‌‌‌जैसा कि हम आपको बता चुके हैं। प्राचीन काल से लेकर आज तक जूतों के इतिहास मे बहुत अधिक बदलाव आये हैं।

1250 ईसा पूर्व – 476 ईसा पूर्व पुरातन जूतों का युग

‌‌‌5500 साल पुराने जूतें
By Pinhasi R, Gasparian B, Areshian G, Zardaryan D, Smith A, et al. wiki

प्राचीन मिस्र के अंदर सैंडल उभरे थे । इनको खींच कर पैर के पिछले हिस्से के अंदर बांधा जाता था। पहले यह केवल अमीर लोगों के लिए ही थे लेकिन बाद मे इनको मिस्र की आम जनता के लिए  दे दिया गया था।क्लासिक पुरातनता ग्रीक और रोमन काल की संस्कृति से मिलती है।

‌‌‌यदि हम ग्रीक और रोमन जूता मॉडल की बात करें तो इनमे सबसे अधिक लोकप्रिय इनके अंदर एक सैंडल थी ।यह सैंडल काफी लंबी हुआ करती थी और हर कोई इसी को पहना करता था। इसमे महिला और पुरूषों के अंदर कोई फर्क नहीं था । ग्रीक में, सैंडल केवल स्वतंत्र नागरिकों द्वारा पहना जा सकता था जो आसानी से दासों से अलग हो सकते थे।‌‌‌प्राचीन रोम के अंदर कपड़े से बने जूतों को पहना जाता था ।यह जूते शक्ति का प्रतीक हुआ करते थे।और रोमन सैनिक चप्पले पहना करते थे ।

सेल्टिक भूमि में आरामदायक, पर्ची-बुनाई वाले जूते थे, जो अक्सर लकड़ी से बने होते थे। वे जल्दी से किसानों और गरीबों के लिए जूते बन गए।

मध्य युग (476 – 1453)

‌‌‌मध्य युग के अंदर कई सारे जूते मार्केट के अंदर आये । इस युग मे ऐड़ी की खोज की गई थी और अब लंबी ऐडी वाले जूते भी मार्केट मे आने लगे थे । espadrilles Pyrenees मध्य युग का एक लोकप्रिय जूता था जो जूट से बनाया जाता था।‌‌‌यह पहनने मे काफी आरामदायक थे और गर्म जलवायु के लिए सबसे अधिक उपयोगी जूते थे ।

‌‌‌उत्तरी यूरोप के अंदर चमड़े से बने जूते का प्रयोग किया जाता था।यह जूते काफी सुरक्षा प्रदान करने वाले थे और ठंड से भी पैरों की रक्षा करते थे । आपको यह बतादें कि इन जूतों को लोग गर्मी के अंदर घास भरकर पहना करते थे ।

पोलीनेस नामक जूते अक्सर अभी भी देखने को मिल जाते हैं। उस समय इनकी आगे की नोक बहुत लंबी हुआ करती थी। बाद मे इसको छोटा कर दिया । कई लोग आज भी जूते की अगली नोक लंबी हो उसको पहनते हैं।‌‌‌यह जूते मखमल और फैंसी चीजों से बनते होते हैं।

‌‌‌पुनर्जागरण काल (1453- 1918)

‌‌‌इस अवधी के दौरान पुरूषों और महिलाओं के दौरान फैसन अलग अलग हो गया था।18 वीं शताब्दी तक महिलाओं के जूतों की फैसन पुरूषों के द्वारा ही तय की जाती थी। फैसन अधिक अच्छी आर्थिक स्थिति वाले देशों मे तेजी से बदला और सौंदर्यशास्त्र को अधिक उपयुक्त माना जाने लगा ।

पुनर्जागरण काल के दौरान राजाओं ने अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए उंची ऐडी से बने जूते पहने थे इनकी उंचाई 30 सेमी तक हुआ करती थी। फ्रांस के राजा लुई XIV ने उंची ऐड़़ी के जूते पहनने मे काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।‌‌‌इस काल के दौरान अनेक शूरवीर हुए और वे इस प्रकार के जूते पहनना अधिक पसंद करते थे जोकि घुड़सवारी करने के लिए काफी आसान रहते थे ।‌‌‌

इस काल के अंदर जूतों को काफी सजाया जाता था ,मखमल, साटन, रेशम और जूते कृत्रिम फूलों, रिबन और रत्नों से सजाए गए थे। पुरुषों ने अपनी स्थिति दिखाने के लिए लाल ऊँची एड़ी के जूते पहने।

‌‌‌17 वीं शताब्दी आने के बाद पुरूषों ने जूते के अंदर फैंसी मौजे भी पहनना शूरू कर दिया था।लेकिन अभी भी जूतों को काफी अधिक सजाया जाता था। उसके बाद 19 वीं शताब्दी के अंदर जूते महिलाओं और पुरूषों के अलग अलग होने लगे ।‌‌‌आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस युग के अंदर भी पुरूष महिलाओं की तुलना मे उंची ऐडी के जूते पहना करते थे ।

1918 से अब तक

‌‌‌20 वीं शताब्दी के आते आते जूतों का पूरा रंग रूप ही बदल दिया गया ।अब जूतों के अंदर नया कच्चा माल ,नई डिजाइन और नया रंग जोड़ा जाने लगा ।इसी समय फिल्मी सितारों ने जूतों को बहुत अधिक प्रभावित किया यह लोग हमेशा नए जूते पहना करते थे । जिससे जूतों को काफी लोकप्रियता मिलने लगी।

‌‌‌इसी युग के अंदर कामकाजी महिलाओं की संख्या काफी तेजी से बदली और उंची ऐडी के जूते काम काजी महिलाओं के लिए अनुपयुक्त थे तो कम ऐडी के जूते मार्केट मे आने लगे ।‌‌‌उसके बाद सन 1917 ई के अंदर बॉस्केट बॉल के खिलाड़ियों के लिए जूते का आविष्कार किया जो जिसको बाद मे स्पोर्ट जूते के नाम से जाना गया ।

19 वीं शताब्दी के अंत में, 1892 में यूएस ए की एक रबर कम्पनी ने आधुनिक और आरामदायक जूते को बनाया गया इसको स्पोर्ट्स शू मॉडल  कहा गया । इसका पेटेंट करवाने के बाद इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन शूरू हुआ और यह जूता सभी के लिए आसानी से उपलब्ध हो गया ।

‌‌‌वैसे हम जूतों के इतिहास को देखा तो यह काफी दिलचस्प रहा ।जूतों का इतिहास हर 10 से 100 साल के अंदर बदल जाता है। आज आप जो जूते पहनते हैं आज से 50 साल बाद देखना कि वे जूते आपको मार्केट मे नहीं मिलेंगे ।

‌‌‌पहले के जमाने मे कूलीन लोग एक दूसरे से अच्छे जूते पहनते थे और खुद को बहुत ही अच्छा साबित करने का प्रयास करते थे जबकि दासों के पास जूते नहीं थे । खैर आज ऐसा कुछ नहीं है। आप किसी भी प्रकार के जूते मार्केट से खरीद सकते हैं।‌‌‌आपके जूतों पर कोई भी प्रतिबंध नहीं लगा सकता है। मुझे तो यह सोच कर ही अजीब लगता है कि पुरूषों ने 30 सेमी लंबी ऐडी के जूते किस प्रकार से पहने होंगे ।

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‌‌‌जूतों का Construction

‌‌‌आपको जूते की बनावट के बारे मे भी जानने की आवश्यकता है।और हम आपको जूते की सामान्य बनावट के बारे मे बता रहे हैं।

‌‌‌जूते के तलवे काफी मजबूत होते हैं यह तलवे प्राकृतिक रबर , पॉलीयुरेथेन या पॉलीविनाइल क्लोराइड से बने होते हैं और इनको कई परत से बनाया जाता है। वैसे यह अलग अलग प्रकार से बने होते हैं।

‌‌‌जूते के भीतरी तले मुख्य रूप से बाहर निकाले जा सकते हैं। यह आपके पैरों को आराम देने के लिए बनाये जाते हैं। ताकि जूते आपको परेशान ना करें । इन तलों को आप बाहर निकाल सकते हैं और उसके बाद धो सकते हैं ।

मिड्सोल आमतौर पर जूते के नीचे के तले और उपर के तले के बीच मे होता है जो खास कर दौड़ के लिए प्रयोग मे लाये जाने वाले जूतों मे होता है क्योंकि यह घर्षण से बचाने का काम करता है।‌‌‌जूते की एड़ी को काफी आराम दायक रूप से बनाया जाता है। और यह फैसन के अनुसार अलग अलग हो सकती है। महिलाओं के जूते अक्सर उंची ऐडी वाले होते हैं। लेकिन कभी भी पुरूष भी उंची ऐडी के जूते पहना करते हैं।

‌‌‌जूते का उपर भाग जो होता है वह प्लास्टिक ,रबर या कपड़े या फिर चमड़े का बना होता है। इसके उपर भाग मे रिबन होंता है। जिसकी मदद से आप आसानी से जूते को अपने पैर के अंदर फिट कर सकते हैं।‌‌‌जूते को उपर से कई तरह से सजाया भी जाता है।जूते को अलग अलग डिजाइन से उकेरा भी जाता है।

‌‌‌बूट

बूट एक विशेष प्रकार का जूता होता है जो आपके घूटने तक को कवर करता है।यह जूते रबर और चमड़े से बने होते हैं। आजकल यह जूते वाटर प्रुफ आते हैं। पानी और किचड़ व खतरों से सुरक्षा करने के लिए होते हैं। लेबर भी इन जूतों का उपयोग करते हैं।

बूट

‌‌‌यह 19 वीं शताब्दी के दौरान पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका में काउबॉय के बीच लोकप्रिय हो गए ।।वे सामान्य रूप से काउहेड चमड़े से बने होते हैं, लेकिन अधिक विदेशी खाल जैसे शुतुरमुर्ग , एनाकोंडा या हाथी की खाल से बनाए जा सकते हैं ।

‌‌‌यदि आप लंबी दूरी तक चल रहे हैं खास कर चटाने और कीचड़ और किसी बेकार जगह पर तो यह जूते आपके पैरों की सुरक्षा करते हैं।लेकिन यह काफी कठोर सामग्री से बने होने की वजह से चलने मे काफी समस्याएं आती हैं।गीले या बर्फीले मौसम के दौरान , पैर को गर्म और सूखा रखने के लिए बर्फ के जूते पहने जाते हैं। वे आम तौर पर रबर या अन्य जल-प्रतिरोधी सामग्री से बने होते हैं, जिसमें इन्सुलेशन की कई परतें होती हैं, और बर्फ को बाहर रखने के लिए एक ऊँची एड़ी होती है।

वे आम तौर पर मजबूत चमड़े की खाल और गैर-चमड़े के बाहरी हिस्सों से बने होते हैं। उनका उपयोग पुलिस या सेना की वर्दी के साथ-साथ खनन और निर्माण जैसी औद्योगिक सेटिंग्स में सुरक्षा के लिए किया जा सकता है ।

जूते का आविष्कार किसने किया लेख के अंदर हमने जूते के आविष्कारों के बारे मे विस्तार से जाना है

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arif khan

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