शंख क्या है? शंख कैसे बनता है और यह कहां पाया जाता है?

‌‌‌इस लेख के अंदर हम बात करेंगे शंख क्या होता है? शंख कैसे बनता है? और शंख कहा पाया जाता है इसके अलावा शंख का महत्व दोस्तों शंख एक जलचर का बनाया हुआ ढांचा होता है। हिंदु धर्म के अंदर शंख को बहुत अधिक पवित्र माना जाता है। अधिकतर शंख दक्षिणावर्त होते हैं और पूजा के अंदर शंख का प्रयोग बहुत अधिक किया जाता है। मुख से फूंक मारकर इसको बजाया जाता है।हिंदू पौराणिक कथाओं में के अंदर शंख को भगवान विष्णु के प्रिय प्रतीक के अंदर बताया गया है।

शंख क्या होता है

यह हिंदु अनुष्ठानों के अंदर तुरही के रूप मे प्रयोग किया जाता था।इसके अलावा युद्व के अंदर भी यह तुरही के रूप मे प्रयोग मे होता आया है।शंख की प्रशंसा प्रसिद्वी , दीर्घआयु , और देवी लक्ष्मी के निवास के रूप ‌‌‌मे की जाती है।यह महिला प्रजनन और नागों के साथ भी जुड़ा हुआ है। इसके अलावा यह केरल राज्य का राजकिय प्रीतक है।  त्रावणकोर की भारतीय रियासत और कोचीन साम्राज्य का राष्ट्रीय प्रतीक भी था।

बौद्ध धर्म की व्यापक ध्वनि का प्रतिनिधित्व करता है।पेट की बीमारियों के उपचार के लिए शंख की मदद से दवाएं भी बनाई जाती हैं।पश्चिम दुनिया के अंदर शंख को  दिव्य शंख या पवित्र मंत्र के नाम से भी जाना जाता है।‌‌‌इसकी खोल के सामान्य रूप को बाएं-मोड़” के रूप में जाना जाता है, हालांकि वैज्ञानिक इसे “डेक्सट्रल” के नाम से जानते हैं। कुछ दुर्लभ शंख के अंदर  रिवर्स कॉइलिंग होती है जिसे धार्मिक संदर्भ में “राइट-टर्निंग” कहा जाता है, लेकिन एक वैज्ञानिक संदर्भ में “साइनिस्ट्राल” या के रूप में जाना जाता है ‌‌‌तो चलो दोस्तों आइए जानते हैं शंख क्या होता है? शंख कैसे बनता है? और शंख कहा पाया जाता है ।

शंख कैसे बनाते हैं

‌‌‌दोस्तों जब भी आप किसी मंदिर के अंदर या किसी और जगह पर शंख देखते हो तो आपके मन मे पहला सवाल यही आता है कि शंख कैसे बनता है?

दोस्तों शंख को  टर्बिनेला पाइरुम , सामान्य नाम चाक शेल , पवित्र चैंक या चेंक , जिसे दिव्य शंख भी कहा जाता है, गिल और ओपेराकुलम , समुद्री गैस्ट्रोपॉड मोलस्क के साथ बहुत बड़े समुद्री घोंघे की एक प्रजाति होती है। जोकि हिंद महासागर के अंदर रहती है।‌‌‌इस प्रजाति के खोल हिंद महासागर के अंदर बड़े पैमाने पर पाये जाते हैं।यह आमतौर पर शुद्व और सफेद रंग के होते हैं। लेकिन यह गहरे भूरे रंग के भी हो सकते हैं।अधिकांश अन्य गैस्ट्रोपॉड्स की तरह इस प्रजाति के खोल भी दाहिने हाथ या डेक्सट्रल होते हैं और बहुत ही कम खोल ‌‌‌बांए हाथ के पाये जाते हैं। लगभग 200,000 खोल के अंदर सिर्फ एक खोल ऐसा मिलता है जो बाएं हाथ का होता है।

 ‌‌‌इसको  दक्षिणावर्ती शंख के रूप में जाना जाता है, और अधिक सामान्य दाहिने हाथ ‌‌‌के खोल को वामावर्ती के रूप में जाना जाता है। दक्षिणावर्ती ‌‌‌खोल धार्मिक महत्व के संदर्भ में विशेष रूप से अत्यधिक मूल्यवान है।‌‌‌वैसे शंख एक सामान्य नाम है जो छोटे या बड़े खोल पर लागू होता है। समान्य रूप से यह माध्यमों से लेकर बड़े आकार के गोले तक पर लागू होता है । यह शब्द आम तौर पर बड़े घोंघों से प्राप्त होता है।

‌‌‌उतरी अमेरिका के अंदर एक शंख को रानी शंख के नाम से जाना जाता है।यह मुल्यवान होता है और समुद्री मछली इसका यूज चारे के रूप मे भी करती है।इसके अलावा कुछ अन्य प्रजातियों को भी शंख के नाम से जाना जाता है।, जिनमें मेलोंगिना प्रजातियां (परिवार मेलोंगेनिडे ), और घोड़ा शंख त्रिपलोफुसस पेपिलोसस (परिवार फैसिओलियाराइडे ) शामिल हैं।

‌‌‌उपर दिए गए वर्णन का एक मात्र सारांश यह है कि शंख एक प्रकार के घोंघे से प्राप्त किया जाता है। यह घोंघे का एक खोल होता है।

‌‌‌ ‌‌‌शंख क्या होता है? रानी शंख

एक रानी शंख (लोबैटस गिगास) एक अकशेरुकी मोलस्क है । यदि आप कोंकण का उंचारण करते हैं तो आप इस शंख की मदद से खुद की नाड़ी सुन सकते हैं।

  • वैज्ञानिक नाम: लोबैटस गिगास
  • आम नाम: रानी शंख, गुलाबी शंख
  • मूल पशु समूह: अकशेरुकी
  • आकार: 6-12 इंच
  • वजन: 5 पाउंड
  • उम्र: 30 साल
  • आहार: शाकाहारी
  • पर्यावास: कैरिबियन सागर से सटे समुद्र तट

शंख मोलस्क, समुद्री घोंघे हैं जो एक घर के रूप में विस्तृत शेल का निर्माण करते हैं जो शिकारियों से सुरक्षा का एक रूप भी होता है। रानी शंख गुलाबी रंग का होता है और यह 6 से 12 इंच तक का होता है। ‌‌‌वयस्क रानी शंख के अंदर एक बहुत बड़ा खोल होता है। इसके बाहरी आवरण को पेरीओस्ट्रैकम  के नाम से जाना जाता है। चमकदार गुलाबी इंटीरियर होता है। खोल मजबूत, मोटा, और बहुत आकर्षक होता है। जिसका प्रयोग शैल उपकरण बनाने के लिए किया जाता है। जानवर को भी मांस के लिए बेच दिया जाता है।

‌‌‌समुद्री घोघें की प्रजाति

‌‌‌समुद्री घोघें की प्रजाति

समुद्री घोघें की लगभग 60 प्रजातियां होती हैं । और उनमे से लगभग हर प्रकार की प्रजाति से एक खोल निकलता है। जिसका आकार अलग अलग हो सकता है। कुछ शंख रंगीन होते हैं। एनीमलिया, द फीलम: मोलस्का और द क्लास: गैस्ट्रोपोडा आदि । इसके अलावा रानी शंख के परिवार के अंदर स्ट्रोमबिडे में गैस्ट्रोपोड हैं ‌‌‌शंख शब्द हर प्रकार के परिवार पर लागू होता है।

‌‌‌शंख या घोंघों का खान पान और रहन सहन

दोस्तों कोंच शाखहारी होते हैं वे समुद्री सैवाल के साथ साथ म्रत जानवरों को भी खा लेते हैं।इसके विपरित कोंच को मनुष्यों के द्वारा खाया जाता है।एक रानी शंख एक फुट लंबा हो सकता है और जब तक 30 साल तक जीवित रह सकते हैं । जबकि इसकी अन्य प्रजातियां 40 साल तक ‌‌‌जीवित रहती हैं।‌‌‌रानी शंख भी शाकहारी होता है जो लार्वा और शैवाल खाते हैं। लेकिन बढ़ती उप-प्रजातियों के रूप में, वे एक लंबा थूथन विकसित करते हैं जो उन्हें शैवाल के बड़े टुकड़ों  को खाने मे सक्षम बनाता है।

वयस्क शंख मिलों की दूरी तय कर सकते हैं। तैयरने की बजाय वे एक विशेष तरीके से पानी के अंदर चलते हैं। शंख भी एक अच्छे पर्वतरोही भी होते हैं।प्रजनन के समय पुरूष साथी की तलास करते हैं और मादा सामाजिक बस्तियों की तलास करती हैं। शंख एक सामाजिक प्राणी होते हैं।

‌‌‌एक शंख की उत्पति किस तरीके से होती है ?

शंख कैसे बनाते

‌‌‌नर और मादा शंख आपस मे प्रजनन करते हैं । मादा अंड़े के निषेचन के बाद हफतों तक अंदर स्टोर करके रख सकती है। इस दौरान कई नर अंडों का निषेचन कर सकते हैं। इसके बाद अंडे उथले तटीय पानी में रेतीले सब्सट्रेट के साथ रखे जाते हैं।एक स्पॉन सीजन के दौरान एक घोंघे द्वारा 10 मिलियन तक अंडे ठीक किए जा सकते हैं। अंडे देने के चार दिन बाद तक उनका सेया जाता है।उसके बाद उनसे लार्वा निकलते हैं।लगभग आधा इंच की लंबाई तक पहुंचने के बाद, वे किशोर रूपों में रूपांतरित होते हैं और लगभग 4 इंच की लंबाई तक बढ़ते हैं।

अंत में वे पास के समुद्री शैवाल बेड में चले जाते हैं।‌‌‌यहां पर वे बड़ी संख्या के अंदर रहते हैं और परिपक्व अवस्था तक बने रहते हैं ।इनकी परिवक्व अवस्था लगभग 3.5 वर्ष की के बाद आती है।रानी शंख परिपक्व होने के बाद खौल के आकार के अंदर बढ़ोतरी होनी शूरू हो जाती है।

शंख का महत्व ‌‌‌और शंख के उपयोग

‌‌‌दोस्तों शंख का उपयोग बहुत जगहों पर किया जाता है। और इस वजह से शंख बहुत ही महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं। विभिन्न क्षेत्रों के अंदर शंख के महत्व के बारे मे और इससे जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य के बारे मे ।

‌‌‌शंख का उपयोग और खाध्य पदार्थ के रूप मे

शंख का मांस खाने के रूप मे प्रयोग किया जाता है। जैसे कि बर्गर, पाउडर , फ्रिटर और गंबो में इसका यूज होता है।शंख बहामास को सूप और सलाद के रूप मे परोशा जाता है। शंख को वेस्ट इंडीज (विशेष रूप से जमैका ) में भी खाया जाता है; जमैका में स्थानीय लोग सूप, स्ट्यू और करी में शंख खाते हैं।

तुर्क और कैकोस द्वीप समूह में , वार्षिक शंख उत्सव प्रत्येक वर्ष नवंबर में मूल शंख व्यंजनों के अंदर प्रतिस्पर्धा होती है। प्यूर्टो रिको में , शंख को एक सेवई के रूप में परोसा जाता है, जिसे अक्सर अस्सलाडा डे कार्रचो के नाम से जाना जाता है।

शंख इटली में और इतालवी अमेरिकियों के बीच बहुत लोकप्रिय है। स्केन्जिल कहा जाता है।अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में रानी शंख मांस का 80% संयुक्त राज्य अमेरिका में आयात किया जाता है। फ्लोरिडा कीज़ 1970 के दशक तक रानी शंख का एक प्रमुख स्रोत था पर अब, शंख अब दुर्लभ हैं

‌‌‌शंख का उपयोग एक संगीत वाद्ययंत्र के रूप मे

‌‌‌शंख का प्रयोग एक संगीत यंत्र के रूप मे भी किया जाता है।भारत के अंदर कई मंदिरों के अंदर शंख रखा जाता है। और बहुत बार उसको लोग बजाते भी हैं। प्राचीन काल के अंदर शंख का प्रयोग सूचनाओं को देने के लिए भी किया जाता था।बड़े समुद्री गैस्ट्रोपॉड के गोले की विभिन्न प्रजातियों को “उड़ाने वाले गोले” में बदल दिया जाता था।

‌‌‌मोती के रूप मे उपयोग

दोस्तों कई अलग अलग प्रकार के मोलस्क मोती पैदा कर सकते हैं।एस गिगास के मोती काफी दुर्लभ होते हैं। यह कलेक्टरों को काफी पंसद होते हैं।शंख मोती सफेद भूरे और नारंगी रंग के हो सकते हैं।इसके अलावा वे गुलाबी रंग के भी होते हैं।

‌‌‌   शंख का महत्व और अन्य उपयोग

  • शंख का  प्रयोग सजावट के रूप में, सजावटी प्लांटर्स के रूप में, और कैमियो मेकिंग में उपयोग किया जाता है।
  • क्लासिक माया आर्ट के अंदर शंख का इस्तेमाल कई जगहों पर किया जाता है। जैसे पेंट और स्याही धारकों के रूप में कुलीन शास्त्रियों के लिए, बगलों या ट्रम्पेट्स के रूप में, और हाथ के हथियारों के रूप में।
  • ‌‌‌कई जगह पर शंख को शंख मुद्रा के रूप मे इस्तेमाल किया जाता है।
  • अमेरिकी एबोरिजिनल्स ने बेलनाकार शंख का उपयोग ब्रेस्टपेपर और अन्य व्यक्तिगत श्रंगार के हिस्से के रूप में किया जाता है।
  • भारत में, बंगाली दुल्हन शंख पुला पहनती है जो शंख और मूंगा की चूड़ियों से सुशोभित होता है। यह प्रत्येक बंगाली दुल्हन के लिए एक महत्वपूर्ण शादी की रस्म है
  • एफ्रो-कैरिबियन और अफ्रीकी-अमेरिकी कब्रिस्तानों में, कब्रों पर शंख रखे जाते हैं।
  • कैरेबियाई देशों जैसे कि जमैका और बहामा में रानी शंख के पॉलिस किये गए टुकड़ों को गहनों के रूप मे बेचा जाता है।सीआईटीईएस की 2003 की सिफारिश के बाद इस प्रकार के शंख पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। और जो पर्यटक वहां से इस ‌‌‌प्रकार के सामान को लेकर आता था ।उसे जब्त कर लिया जाता था।
  • शंख का उपयोग कभी-कभी एक निर्माण सामग्री के रूप में किया जाता है, या तो ईंटों के स्थान पर, या लैंडफिल के लिए थोक के रूप में भी किया जाता रहा है।
  • ग्रेनेडा में, मछुआरे समुदाय के लोग जब मछलियों को पकड़कर ले आते हैं तो वे शंख बजाकर यह सूचना देते हैं की मछलियां बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।‌‌‌इसके अलावा यहां पर दीएब डायब उत्सव के अंदर भी शंख बजाया जाता है।
  • बहामास में दीवार के उपर शंख को गाड़ दिया जाता है। जब कोई घुसबैठिया दीवार के उपर से रैंगने या कूदने की कोशिश करता है तो यह उसके चुभ जाते हैं।
  • तमिलनाडु , भारत में, शंख सींग अंतिम संस्कार के ध्वनिक संकेत के रूप में  व बुरी आत्माओं को दूर करने के लिए किया जाता है।
  • प्राचीन पेरू के मोचे लोग समुद्र की पूजा करते थे और अक्सर अपनी कला में शंख का चित्रण करते थे।

‌‌‌ शंख कहा पाया जाता है

‌‌‌ शंख कहा पाया जाता है

‌‌‌दोस्तों शंख अधिकतर हिंद महासागर के अंदर और फलोरिड़ा जैसी जगहों पर पाए जाते हैं। शंख प्रजाति कैरिबियन, वेस्ट इंडीज और भूमध्य सागर सहित पूरी दुनिया में उष्णकटिबंधीय जल में रहती है। वे आमतौर पर उथले पानी के अंदर पाये जाते हैं। जिसके अंदर  रीफ और समुद्री घास पाये जाते हैं। मैक्सिको के खाड़ी तटों और दक्षिण अमेरिका में, रानी शंख कैरेबियन के अंदर कई जगहों पर निवास करते  हैं। सांबा शंख रानी की तरह ही प्रजाति होती है, यह रानी शंख की तुलना में, सांबा उथले वातावरण में रहता है,  बहुत ही गहरे रंग की पेरीओस्ट्रैकम परत के साथ घना होता है।

हालांकि अब अधिकतर जगहों पर इन घोंघों को पकड़ना अपराध है। आप किसी जीवित घोंघे को नहीं पकड़ सकते हैं। ‌‌‌पीछले दिनों एक न्यूज आई थी कि फलोरेडा के अंदर एक पर्यटक ने अनेक जीवित घोंघों को पकड़लिया था जोकि वहां के खारे पानी के अंदर रहते थे । उसके बाद वहां की पुलिस ने उस पर्यटक को पकड़कर जेल मे डाल दिया था।

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This Post Has One Comment

  1. rj kumar

    sir nice post likha hai apne

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arif khan

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