इस तरह से करें राम नाम का जाप होगा परमकल्याण

‌‌‌‌‌‌इस लेख मे हम जानेंगे राम नाम का जाप कैसे करें ram naam ka jap kaise kare ? राम नाम जाप की विधि के बारे मे विस्तार से जानेंगे।राम नाम के अंदर बड़ी शक्ति है। इसीलिए तो कहा जाता है कि राम से भी बड़ा उनका नाम है। इस संबंध मे एक कहानी आती है। एक बार जब राम रावण की नगरी पर आक्रमण करने के लिए जा रहे थे तो रस्ते के अंदर समुद्र था। राम ने 3 दिन तक समुद्र देवता से रस्ता मांगा लेकिन कहते हैं कि विनय को कौन सुनता है तो ‌‌‌अंत मे राम ने समुद्र को सुखाने के लिए अपना तीर उठाया कि समुद्र देवता प्रकट हुए और गिड़गिड़ाने लगे उसके बाद बताया कि नर और नील की मदद से समुद्र पर पुल बनाया जा सकता है। उसके बाद हनुमाजी ने राम नाम हर पत्थर पर लिखा तो वह समुद्र के अंदर तैरने लगा ।

‌‌‌राम खुद को भी यह विश्वास नहीं हुआ कि उनके अंदर इतनी अधिक शक्ति है जो उनके नाम लिखने मात्र से ही पत्थर तैरने लगते हैं। इस कहानी का मर्म यह है कि यदि पत्थर पर राम नाम लिखने पर पत्थर तैरने लग जाता है तो फिर ‌‌‌यदि हम राम नाम अपने ह्रदय पर लिखलें तो सचमुच हम भी तैरने लग जाएंगे । यानी भव सागर से पार होने के लिए राम नाम का जाप अनिवार्य है।

  ‌‌‌वैसे आजकल राम नाम की महिमा कम हो गई है।क्योंकि बहुत से पाखंड़ी गुरू पैदा हो चुके हैं जो अब दिक्षा देने लगे हैं। पीछले दिनों एक न्यूज के अंदर एक गुरू घंटाल आया था जिसने 50 हजार लोगों को दीक्षा दी और उसके बाद यह बोल रहा था कि दीक्षा तो झूठ थी तो अब उन 50 शिष्यों की मेहनत पर पानी फिर गया । ‌‌‌इस तरह के गुरू घंटालों से आपको सावधान रहने की जरूरत है।वरना गुरू तो घोर नरक मे जाएंगे ही इसके अलावा आप भी नरक मे पड़ेंगे ।

‌‌‌भगवान स्वयं विकार रहित हैं उनका ना नाम है ना रूप  है। नित्यानंद और चिन्मय परमब्रह्म में योगी लोग रमण  करते हैं उसी राम-नाम से परमब्रह्म प्रतिपादित होता है।

राम नाम का जाप कैसे करें

‌‌‌राम नाम के संबंध मे एक दिलचस्प कथा यह भी प्रचलित है कि वाल्मीकि ने सौ करोड़ श्लोकों की रामायण बनाई ।उसके बाद उस रामायण को वे भगवान शंकर को देकर आ गए उसके बाद भगवान शंकर ने तीन लोंकों को तैतीस करोड़ दिये उसके बाद उसके तीन टुकड़े हुए तो एक लाख बचे फिर एक श्लोक बचा और फिर यह कहा गया की ‌‌‌पुरी रामायण मे केवल राम ही है और यह सर्व क्ष्रेष्ठ हैं।

‌‌‌इसके अलावा राम नाम की महिमा मे यह कहा जाता है कि यह अविनाशी है और पूर्ण रूप से सर्वत्र व्याप्त है। समय बदल जाता है , व्यक्ति नष्ट हो जाते हैं और हर जगह पल पल बदलाव हो रहा है लेकिन राम नाम से हर व्यक्ति हर समय और हर स्थान भरा हुआ रहता है। यह निर्गुण है जो सदा रहता है यह कभी बदलता नहीं।

‌‌‌उपर हमने राम नाम की महिमा के बारे मे उल्लेख किया। अब आते हैं राम नाम के जाप के तरीके पर । बहुत से लोगों को राम नाम लेने का तरीका पता नहीं होता है। इससे उनको अधिक फायदा नहीं हो पाता है। यदि आप इसको सही तरीके से नहीं करोगे तो आप कुछ खास हाशिल नहीं कर पाओगे ।

‌‌‌इस संबंध मे तुलसीदास ने लिखा है कि

उलटा नामु जपत जगु जाना वाल्मिकी भए ब्रहम समाना ।।

‌‌‌जिसका मतलब यह है कि यदि आप मरा मरा नाम भी जपते हैं तो फिर आप ब्रहम के समान हो जाते हैं । लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस प्रकार से नाम जपते हैं।

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‌‌‌राम नाम का जाप कैसे करे जीभ से राम नाम जपे

सबसे पहला तरीका यह है कि आप अपनी जीभ से राम नाम जपे जितना हो सके उतना राम नाम जपे । यह सिर्फ एक फोरमलटी नहीं है। पहली बार जब आप राम नाम जपेंगे तो यह आपके लिए याद करना कठिन होगा । आप बार बार भूल जाएंगे लेकिन आपको जैसे ही याद आए राम नाम जपते रहें ।

जब भी आपकी जीभ खाली हो ‌‌‌आपको राम नाम जपते रहना चाहिए ।कुछ समय के लिए यह करना आसान नहीं होगा लेकिन उसके बाद धीरे धीरे आपको इसकी आदत हो जाएगी ।

कुछ लोग गलत तरीका आज मानते हैं वे माला का उपयोग करते हैं। ‌‌‌मेरी एक दादी थी तो वह माला के द्वारा राम नाम का जाप करती थी । वह सुबह और शाम राम जपती थी लेकिन असल मे वह फोरमलटी ही करती थी। आपको इस तरह से फिक्स नहीं करना है। ‌‌‌यदि आप राम नाम जाप मे भी फिक्स कर लेते हो तो फिर यह कोई काम नहीं आएगा । ‌‌‌जब आप दिमागी काम के अंदर लगे हो जहां पर आप दो काम नहीं कर सकते हो तो राम नाम का जाप बंद कर सकते हो ।

‌‌‌खुद को याद दिलाते रहो

आमतौर पर जब हम पहली बार राम नाम का जाप करते रहते हैं तो कई बार यह भूल जाते हैं कि राम नाम भी जाप करना है तो इसको याद करने का एक तरीका यह है कि आप अपने कमरे के अंदर एक राम नाम का पोस्टर लगवा सकते हो और आपने मोबाइल के अंदर राम नाम की फोटो लगवा सकते हो । ऐसा करने का फायदा ‌‌‌यह होगा कि आपको यह हमेशा याद रहेगा कि राम नाम का जाप करना है। ‌‌‌हालांकि बार बार भूलने की समस्या पहले पहले आएगी ।और उसके बाद यह सब चीजें आपको याद हो जाएगी और आपको किसी पोस्टर की आवश्यकता नहीं होगी ।

‌‌‌राम नाम का ध्यान करें

राम नाम का जाप ही आपको नहीं करना है वरन आपको राम नाम का ध्यान भी करना चाहिए । ध्यान आप दो तरीके से कर सकते हैं। सबसे पहला तरीका तो यह है कि आप राम की फोटो अपने सामने रखें और उस फोटो को देखते हुए राम नाम का जाप करें । कुछ दिन बाद जब मन स्थिर हो जाएगा तो बिना फोटो के ‌‌‌राम नाम का जाप करें ।आंखें बंद करें और राम नाम का जाप करते जाएं । ध्यान दे इस दौरान राम नाम के अलावा मन मे कोई भी विचार ना लाएं । यदि मन मे विचार आते हैं तो उनसे दूरी बनालें ।

‌‌‌मन को राम नाम मे लगाएं

‌‌‌मन को राम नाम मे लगाएं

यदि आप बिना मन के राम नाम का जाप करते हैं तो यह कोई खास फायदा नहीं कर पाएगा ।इस संबंध मे तुलसीदास जी कहते हैं।

तुलसी हठि हठि कहत नित चित सुनि हित करि मानि।

लाभ राम सुमिरन बड़ो बड़ी बिसारें हानि।।

‌‌‌अर्थात तुलसीदास जी कहते हैं कि हे मन तू मेरी बात सुन सब चीजों को भुलादें और राम नाम का जाप कर उसके अंदर ही लाभ  है।

‌‌‌आपको अपने मन को राम नाम के अंदर लगाना होगा ।हालांकि यह करना आसानी नहीं है लेकिन यदि आप निरंतर अभियास करेंगे तो कठिन भी नहीं होगा । पहले पहले आपका मन दूसरी फालतू चीजों के अंदर भागेगा लेकिन फिर धीरे धीरे वह कंट्रोल होना शूरू हो जाएगा । ‌‌‌जैसे जैसे आपकी भक्ति बढ़ती जाएगी ।वैसे वैसे आपका मन राम नाम के अंदर रमता हुआ चला जाएगा । और समय के साथ आप राम नाम के ही होकर रह जाओगे ।

‌‌‌बहुत से लोग राम नाम को तो जपते हैं लेकिन वे इस स्टेप्स को भूल जाते हैं।वे अपने मन को राम नाम मे नहीं लगा पाते हैं।

‌‌‌राम नाम मे भी तड़प हो

आपने अक्सर प्रेमी और प्रेमिका को देखा होगा जो एक दूसरे के बिना व्याकुल रहते हैं और घंटों फोन पर बात करते रहते हैं। आपकी व्याकुलता भी राम नाम के प्रति वैसी ही होनी चाहिए । या आपको वैसी व्याकुलता विकसित करनी होगी । ‌‌‌परम कल्याण तो तभी हो सकता है। यदि आप वैसी व्याकुलता विकसित कर लेते हैं तो यह आपकी सबसे बड़ी उपलब्धी होगी । ‌‌‌जब एक क्षण भी आपका राम नाम के बिना रहना मुश्किल हो जाए तो समझो हो गया आपका काम ।

‌‌‌शबरी का नाम तो आपने सुना ही होगा शबरी का वास्तविक नाम श्रमणा था ।यह भील समुदाय की महिला थी लेकिन इनके बारे मे यह कहा जाता है कि इनका विवाह एक दुराचारी इंसान से हुआ था।कहा जाता है कि शबरी का पति उनके उपर बहुत ही अत्याचार करता था और वह एक पशु के समान व्यवहार करता था।

ऋषि मातंग के आश्रम के अंदर शबरी रहने लगी ।बाद मे ऋषि मातंग ने अपने योग बल का प्रयोग करके शबरी को यह बताया कि भगवान राम उनके आश्रम मे आएंगे । इसके बाद ऋषि मातंग तो दिव्य लोक पहुंच गए थे । ‌‌‌शबरी भगवान का इंतजार करते हुए बुड़ी हो गई थी। लेकिन उसे आज भी इंतजार था भगवान राम का ।

‌‌‌उसके बाद जब भगवान राम आश्रम के अंदर आए तो शबरी उनके पैरों के अंदर लिपट गई और रोने लगी । जिसको तुलसीदास ने कुछ इस प्रकार से व्यक्त किया है। यह भगत की भगवान के प्रति व्याकुलता ही है।

सरसिज लोचन बाहु बिसाला। जटा मुकुट सिर उर बनमाला।। स्याम गौर सुंदर दोउ भाई। सबरी परी चरन लपटाई।। प्रेम मगर मुख बचन न आवा। पुनि पुनि पद सरोज सिर नावा।। सादर जल लै चरन पखारे। पुनि सुंदर आसन बैठारे।।

‌‌‌उसके बाद यह कहा जाता है कि शबर वन के अंदर गई और वहां से बेर तोड़ कर लेकर आई । शबरी भक्ति के अंदर वशीभूत होकर एक एक बेर को चख कर राम को दिया ताकि वे खटटे ना हो राम ने उनके बेर को खाया । ‌‌‌इस संबंध मे कुछ जगह पर यह लिखा हुआ मिलता है कि शबरी के जूठे बेर को राम ने खाया था लेकिन लक्ष्मण ने उनको फेंक दिया था तो वहां पर बाद मे संजीवनी बूंटी उग आई थी । जब राम और रावण युद्ध के दौरान लक्ष्मण गिर पड़े तो उनको वापस जीवनदान देने के लिए

‌‌‌हनुमानजी इसी जड़ी बूटी को लेकर आए थे ।

कंद मूल फल सुरस अति दिए राम कहुँ आनि।

प्रेम सहित प्रभु खाए बारंबार बखानि।।

राम ने ना केवल शबरी के जूठे बेर खाए वरन राम ने उनको खाने के बाद शबरी की प्रसन्सा भी की ।

‌‌‌कहा जाता है कि राम को शबरी के बेर का जैसा स्वाद  मिला वैसा स्वाद कहीं ओर नहीं मिला ? खैर बाद मे राम दूसरे बड़े आश्रमों के अंदर भी गए थे । इस तरह का वर्णन करने का उदेश्य यह है कि राम नाम मे भी आपके अंदर तड़प होनी चाहिए ।

‌‌‌अपने कर्मों को भगवान को समर्पण करदो

‌‌‌सिर्फ राम नाम ही नहीं जपना है वरन आपको अपने कर्मों का समर्पण भी भगवान को करना होगा । मतलब मन के अंदर आपको ऐसा भाव करना होगा कि आप कुछ भी नहीं करते हैं सब भगवान करते हैं। आप करने वाले हैं ही नहीं ।

 इस प्रकार का भाव मन मे करते रहें और राम नाम का जाप करते हैं।‌‌‌कर्मों का समर्पण इसलिए जरूरी हो जाता है क्योंकि इनके बिना आप कर्मबंधन मे फंस सकते हैं जब आप कर्मों का समर्पण कर देते हैं तो आपको अच्छे और बुरे के फेर मे नहीं पड़ना है जो जीवन के लिए जरूरी है वो काम करना है और बाकी सब चीजों को छोड़ देना है।

‌‌‌बहुत से लोग यहां पर गलती करते हैं।वे राम नाम तो जपते हैं लेकिन अच्छे और बुरे से मुक्त नहीं होते हैं। मतलब कर्मों को समर्पित नहीं करते हैं तो आपको यह गलती नहीं करनी है।

‌‌‌राम नाम जपते हुए क्रोध को छोड़दो

यदि आपने राम नाम को अपना लिया है तो आपको क्रोध छोड़ देना चाहिए । जिसका अर्थ है कि आपको क्रोध का वशीभूत नहीं बनना है क्रोध को अपने वश मे कर लेना है।यदि कोई इंसान आपको भला बुरा कहता है तो उसके प्रति क्रोध ना करों।‌‌‌क्रोध को आपको समझदारी से ही छोड़ना होगा ।आपके मन मे कुछ चीजे फीड हो चुकी हैं उनपर आपको काम करना होगा और इस क्रोध पर भी काम करना होगा ।

‌‌‌सब कुछ राम की महिमा मानते हुए क्रोध का आपको त्याग कर देना है।क्योंकि क्रोधी इंसान का कभी भी कल्याण नहीं हो सकता है तो राम नाम लेते रहो और मन को शांत करलो ।

‌‌‌अभिमान को नष्ट करो और राम का गुणगान करो

बहुत लोगों को अपनी संपति अपने ,पद अपने कद और सुंदरता पर अभिमान होता है।आप इस दुनिया के अंदर बहुत से अभिमानी पुरूष देख सकते हैं तो आपको किसी भी तरह का अभिमान नहीं होना चाहिए ।‌‌‌अभिमान करना इसलिए भी व्यर्थ होता है ,क्योंकि यहां पर जो पद कद और धन है वह सब नष्ट होने वाला है बस राम ही सत्य है राम रूपी धन से ही तुम सुखी हो सकते हो ऐसा जानकार अभिमान का त्याग करने वाला ही संत है।

‌‌‌राम नाम और उनकी लीलाओं मे अपने मन को लगाओ

पहले पहले राम नाम के अंदर हर किसी साधक के लिए मन लगाना बहुत ही कठिन होता है लेकिन जैसे जैसे राम नाम का जाप करते हैं मन स्थिर हो जाता है। आप राम की लिलाओं को सुन सकते हो देख सकते हो और आनन्द ले सकते हो । यहां पर लीला का मतलब होता है जो उसमे हो कर ‌‌‌ भी उसमे नहीं है उसी को लीला कहते हैं।‌‌‌भगवान राम के भगत भगवान की लीला को सुनते हैं उनकी कथाएं पढ़ते हैं और इस तरह से अपने पापी मन को काबू मे कर लेते हैं।

‌‌‌राम नाम जाप की विधि भगवान को एक रूप मानकर भक्ति करो

असल मे भगवान राम को आप किसी एक रूप मे मानकर भक्ति कर सकते हो जैसे मीरा ने क्रष्ण को अपना पति प्रियतम माना था । उसी तरह से आप भगवान को गुरू या मालिक रूप मे मान सकते हो । और उसी भाव से आपको भगती करनी चाहिए ।‌‌‌

ऐसा करने से फायदा यह है कि हमे भगवान के साथ अपनापन लगता है और हमारे भाव भगवान से आसानी से जुड़ सकते हैं। जब हम भगवान के साथ एक रिश्ता कायम कर लेते हैं। हालांकि भगवान को इनकी जरूरत नहीं होती है क्योंकि वो तो सदा हमारे साथ ही होते हैं।‌‌‌लेकिन भगती को बेहतर ढंग से करने के लिए यह काफी उपयोगी चीज होता है।

‌‌‌भगवान की मूर्ति की पूजा करें

‌‌‌भगवान की मूर्ति की पूजा करें

बहुत से लोग कहते हैं कि मूर्ति पूजा बेकार मूर्ति के अंदर भगवान नहीं होता है वह तो निर्गुण है । खैर हम इस पर नहीं जाएंगे लेकिन आप राम की पूर्ति को अपने सामने रखें और कल्पना करें कि वह असली है। और ‌‌‌ आप उनके साथ हैं।

भगवान की मूर्ति होने का फायदा यह है कि आप आसानी से उनको अपनी भावना को अर्पित कर सकते हैं और आप अपने मन को छवी पर टिका सकते हैं। यदि हम यह कहें कि आपको निर्गुण का ध्यान करना है तो यह संभव नहीं है।‌‌‌और वैसे भी जो इंसान उस निर्गुण को प्राप्त कर चुका होता है वह उसी के समान हो जाता है। जबकि हर इंसान के लिए निर्गुण को पाना आसानी नहीं होता है।

‌‌‌लालच को छोड़दें

यदि आप भगवान राम का नाम जाप कर रहे हैं तो अपने लालच का त्याग कर देना चाहिए आपके मन मे किसी भी प्रकार का लालच नहीं होना चाहिए । ऐसे कई लोगों को मैं जानता हूं जो राम नाम का जाप तो करते हैं लेकिन अभी भी वे धन के लालच मे फंसे हुए हैं तो आपको ऐसा नहीं करना है। ‌‌‌

आपको धन और माया जैसी सभी लालच को छोड़ देना चाहिए और सिर्फ भगवान के नाम का लालच ही रखना चाहिए ।जब आप लालच मे ही भगवन नाम का जाप करेंगे तो आपका मन उसी लालच के अंदर फंसा रह जाएगा और आपकी सदगति नहीं होगी । ‌‌‌एक अच्छा भगत वह होता है जिसे किसी तरह की भौतिक वस्तुओं का लालच नहीं होता है। वह सदा भगवान के नाम मे डुबा रहता है। और लालची मन उपर जाने के बाद भी पतन का कारण बन सकता है।

‌‌‌राम नाम मे मोह नहीं चलता है

यदि आप राम नाम का जाप कर रहे हैं तो अपने मन मे किसी भी चीज के प्रति मोह नहीं रखें । इस संसार मे पैदा होने के बाद हमे अनेक चीजों के प्रति मोह हो जाता है। तो हमारे मन को हमे एक करना होगा और मोह को नष्ट करना है। यदि पुत्र या पुत्री के प्रति मोह है तो यह सोच लेना ‌‌‌ चाहिए कि यह तो सिर्फ शरीर के साथी हैं और मैं तो सदा अकेला ही आया था और अकेला ही जाउंगा मेरे साथी तो भगवान राम हैं । ऐसा निरंतर सोचने से मोह से छूटकारा मिल जाता है।

‌‌‌इस संसार मे मोह रखने का कोई तुक नहीं है।यहां पर आप जो कुछ भी देख रहे हैं वह सब नश्वर है कुछ भी यहां पर शाश्वत नहीं है तो फिर मोह कैसा ?

‌‌‌राम नाम मे खो जाएं  Get lost in Ram’s name

राम नाम बहुत ही चमत्कारी है।यदि आप राम नाम मे खो जाएं तो आपका परमकल्याण निश्चित है इसमे कोई शक नहीं है। जिस तरह से मीरा क्रष्ण के प्रेम मे दीवानी हो गई। वह जगह जगह जाती और अनेक दुख सहने के बाद भी उनके मुख से सिर्फ गोविंद ही निकलता था। ‌‌‌राम नाम मे आपको इस प्रकार से रंगना होगा कि आप भुल जाएंकि आप क्या हैं ? आपको अपने असितत्व को भूल जाना होगा और अपने भगवान की भक्ति मे सब कुछ दाव पर लगा देना होगा । ‌‌‌जिस दिन आपके अंदर होश नहीं होगा और आप खुद उस राम नाम मे इतने खो जाएंगे तो आप उसे पालेंगे ।

‌‌‌सांसों से करें नाम जाप Chant the name with your breath

‌‌‌सांसों से करें नाम जाप

जब आप काफी समय तक नाम जाप करलेंगे तो उसके बाद आपको इसका अभियास हो जाएगा और फिर आप अपनी सांसों के उपर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। सांसों से नाम जाप करने का फायदा यह है कि आप हर एक सांस के अंदर नाम जाप करते जाएंगे । हालांकि इसके लिए आपको अभियास करने की आवश्यकता है।

‌‌‌अहंकार को नष्ट करो Destroy ego

दोस्तों राम नाम लेते हुए आपको अपने मन के अहं को नष्ट करना होगा आपको अपने आपको भूल देना होगा । यदि कोई आपको बुरा भला कहता है तो आपके अहं के उपर चोट नहीं लगनी चाहिए । ‌‌‌देखिए भक्ति मे अहंकार का कोई स्थान नहीं होता है तो आपको अहंकार छोड़ देना चाहिए ।यदि मन के अंदर अहंकार है तो उसको छोड़ने के लिए आपको यह सोचना चाहिए कि मन मे जो कुछ है वह सब भ्रम है और बाहर भी जो हो रहा है वह सब माया है। इस तरह के भाव को करते हुए आप अहंकार को छोड़ सकते हैं।

‌‌‌राम नाम मे रस आने लगे

जब आपको राम नाम मे एक बार रस आने लग जाएगा तो उसके बाद आप उसे चाहकर भी नहीं छोड़ पाओगे । खैर उस वक्त बस राम नाम के रस का पान करने के बारे मे ही आप सोचोगे तो यह काफी मजेदार होगा । उसके बाद आपका मन कहीं पर नहीं भटकेगा और वह बस राम नाम मे ही रम जाएगा । ‌‌‌राम की क्रपा से आपके सारे बंधन कट जाएंगे और उसके बाद आपको परमधाम मिलेगा ।

‌‌‌यहीं पर हो जाता है मुक्ति का एहसास

दोस्तों बहुत से लोगों को यह विश्वास रहता है कि मरने के बाद हम मुक्त हो जाएंगे । वे जीवन के अंदर कुछ प्रयास करते नहीं हैं। खैर आपको यह बतादें कि हम मुक्त हैं या नहीं इसका एहसास हमे यहीं पर हो जाता है। ‌‌‌इसके लिए हमे मरने की जरूरत नहीं है।जब हम भगती के अंदर होते हैं या मुक्त होते हैं तो कोई भी बाहरी चीज हमे अंदर से प्रभावित नहीं कर सकती है। वह हमे आकर्षित नहीं करती है। उस वक्त सब कुछ हमारे लिए समान हो जाता है। हमारे अंदर का आनन्द सर्वोपरी हो जाता है। ‌‌‌बाहर की चीजें तो हमें सिर्फ माया ही लगती हैं।

मन एव मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयोः ।

बन्धाय विषयासक्तं मुक्त्यै निर्विषयं स्मृतम् ॥

मन ही सभी मनुष्यों के बन्धन एवं मोक्ष की प्रमुख कारण है। विषयों में आसक्त मन बन्धन का और कामना-संकल्प से रहित मन ही मोक्ष का कारण होता है।

‌‌‌इसी प्रकार से अष्टावक्र गीता मे यह कहा गया है कि

मुक्ताभिमानी मुक्तो हि

बद्धो बद्धाभिमान्यपि।

किवदन्तीह सत्येयं

या मतिः सा गतिर्भवेत्॥

स्वयं को मुक्त मानने वाला मुक्त ही है और बद्ध मानने वाला बंधा हुआ ही है, यह कहावत सत्य ही है कि जैसी बुद्धि होती है वैसी ही गति होती है

राम नाम रति राम गति राम नाम बिस्वास ।

सुमिरत सुभ मंगल कुसल दुहुँ दिसि तुलसीदास।।

राम ही जिसकी एकमात्र गति हैं और रामनाम में ही जिसका विश्वास है , उसके लिये रामनाम का स्मरण करने से ही दोनों ओर ( इस लोक में और परलोक में ) शुभ , मंगल और कुशल है।

‌‌‌फुलीबाई का राम नाम से भवसागर को पार करना

फूलबाई का जन्म 1568 ई। में नागौर जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गाँव मंझवा में जाट सरदार हेमा राम के परिवार में हुआ था। उसने 1646 ई। में मांझवास में समाधि ली। वह बचपन से ही भगवान राम के प्रति पूरी तरह समर्पित थीं और अपना अधिकांश समय श्री राम की भक्ति और “कीर्तन” में व्यतीत करती थीं।

‌‌‌राजस्थान की फुलीबाई भक्त बहुत अधिक प्रसिद्ध है वे रामभक्त थी।कहा जाता है कि उनके पति की मौत काफी कम उम्र मे ही हो गई और उसके बाद फुलीबाई के माता पिता ने कहा कि ……चल बेटा तुम्हारे पति तो परमात्मा हैं और उन्हीं से तुमको दीक्षा दिलादेते हैं ।

‌‌‌उसके बाद उनको महन्त भूरी बाई से दीक्षा दिलादी गई और उसके बाद फुलीबाई और अधिक भक्ति के अंदर लीन रहने लगी । ध्यान ,जप और प्राणायाम से उनको यह एहसास होगया था कि प्राणी के सच्चे हितौषी तो राम ही हैं।

‌‌‌धीरे धीरे राम नाम का स्मरण करते करते और प्रेम अपने हद्रय के अंदर भरते भरते उनको ज्ञान हो गया और अनेक प्रकार की अलौकिक शक्तियां उनके अंदर प्रकट हो गई। ‌‌‌वैसे तो फुलीबाई बहुत अधिक गरीब थी लेकिन उन्होंने वास्तिवक धन को पा लिया था। उस धन को बहुत ही कम लोग प्राप्त कर पाते हैं।

‌‌‌वह गोबर के कंडे बनाकर अपना जीवन चलाती थी ,उनकी एक पड़ोसन थी जो काफी लालची औरत थी वह फुलीबाई के कंडे चुरालेती थी तो एक बार फुलीबाई ने उससे कहा …..बहन तू कंडे की चोरी करके अपने मन और बुद्धि को अपवित्र मत कर । ऐसा करने से तेरा मन मलिन होगा और भगवान तुझसे नाराज हो जाएंगे । यदि तुझे कुछ कंडे ‌‌‌ चाहिए तो मुझे बोल दिया कर मैं कुछ कंडे तुझे देदिया करूंगी ।

‌‌‌स्वाभाव से तो वह दुष्ट स्त्री थी ही लेकिन ऐसा बोलने पर वह और अधिक चिढ़ गई और वह फुलीबाई को गालियां पर गालियां देने लगी । लेकिन फुलीबाई के मन मे कोई क्षोभ नहीं आया और बोली …….बहन मैंने तेरी भलाई के लिए ही कहा है। इसमे मेरा कुछ नहीं होगा तेरे लिए यह सही नहीं है।

‌‌‌तो उसके बाद फुलीबाई समझ गई की यह दुष्ट महिला ऐसे नहीं सुधरने वाली है तो फुलीबाई ने उसको थोड़ा सुना दिया तो झगड़ा बढ़ गया तो पंचायत बुलाई गई वह दुष्ट स्त्री पंचायत के सामने बोली ……फुलीबाई चोर है और यह मेरे कंडे चुरा ले जाती है।

– ‌‌‌फुलीबाई बोली ……..मैं चोर नहीं हूं चोरी करना मैं पाप समझती हूं ।

‌‌‌उसके बाद मुखिया ने पूछा …..हम कैसे यह निर्णय करें कि कंडे किसके हैं क्योंकि दोनों के कंडो का आकार भी समान है।और इनमे से किसी के उपर लिखा भी नहीं है यह तो धर्मसंकट की स्थिति है।

‌‌‌जो स्त्री कंडे की चोरी करती थी ,उसका पति अच्छा कमाता था लेकिन वह मलिन मन की वजह से चोरी करती थी।ऐसा नहीं है कि हर कोई गरीबी की वजह से चोरी करता है। असल बात तो यह है कि आपको गरीबी की वजह से चोरी करने वाले लोग बहुत कम मिलेंगे वरन अमीर लोग अधिक चोरी करने वाले मिलेंगे ।कोई राजनेता बनकर चोरी ‌‌‌करता है तो कोई रिश्वत लेकर चोरी करता है। इस प्रकार के इंसान इसलिए चोरी करते हैं ताकि वे अपनी वासनाओं की पूर्ति कर सकें ।इन इंसानों की बुद्धि पर अज्ञान की छाप होती है। और जब अज्ञान की छाप हट जाती है तो सारे बुरे काम बंद कर देते हैं।

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‌‌‌उसके बाद फुलीबाई ने राम नाम का स्मरण किया और बोली …..मेरे कंड़ों से राम नाम की ध्वनी निकलेगी कंडों को कान के लगाकर देखलेना जिन कंडों से राम नाम की ध्वनी निकले वो मेरे हैं और बाकी सब इसके हैं।

‌‌‌उसके बाद पंचायत के लोग उस महिला के घर गए और एक एक करके कंडे को कान से लगाकर देखा तो राम नाम की ध्वनी के 50 कंडे निकले । कहा जाता है कि मंत्र शक्ति का संचार फुली बाई के अंदर इस प्रकार से हो गया था कि वह जो जो छूती उसके अंदर यही ध्वनी निकलने लगती थी।‌‌‌उसके बाद सबके मन मे फुलीबाई के प्रति आदर का भाव पैदा हो गया था।

‌‌‌राम नाम मे कितनी शक्ति है ? इसका अंदाजा किसे हो सकता है। फुलीबाई के एक और चमत्कार की कहानी हम आपको यहां पर बताना चाहते हैं। यह सब तो प्रभु राम का चमत्कार ही तो था।हम तो सिर्फ राम के दास हैं। राजा यशवंतसिंह ‌‌‌के सैनिकों की टुकड़ी जब दौड़कर आई तो उनमे से एक सेनिक फुलीबाई की झोपड़ी मे पहुंचा ।और उनसे पानी मांगा तो फुलीबाई ने कहा …… बेटा अभी आप दौड़कर आये हो और बिना कुछ खाए ही पानी पीना ठीक नहीं है। इससे स्वास्थ्य खराब हो जाता है।‌‌‌पहले थोड़ी सी रोटी खालो और उसके बाद पानी पी लेना लेकिन सेनिक ने मना करते हुए कहा …….. यदि मैं कुछ खाउंगा तो मेरे साथी भी इसकी मांग करेंगे भला मैं अकेला कैसे खा सकता हूं ?

‌‌‌फुलीबाई बोली …….मैंने दो रोटली बनाई हैं और सब्जी बनाई है।सब लोग इसके अंदर एक एक टुकड़ा खा सकते हैं ?

फुलीबाई का राम नाम से भवसागर को पार

.. लेकिन पूरी सैना इतने खाने को कैसे खाएगी यह तो कम होगा ?

फुलीबाई ने कहा …..उसकी चिंता तुम मतकरो भगवान राम मेरे साथ हैं ?

‌‌‌उसके बाद फुलीबाई ने भगवान राम का नाम लिया और रोटी और सब्जी को कपड़े से ढक दिया और मंत्र जाप किया । उसके बाद वह एक एक सैनिक को सब्जी और रोटी देने लगी ।‌‌‌उसके बाद पुरी सैना ने रोटी खाई और सैनिक फुलीबाई के हाथो से बनी रोटी खाकर बहुत प्रसन्न हुए । उनको आज तक ऐसा अनुभव कहीं पर भी नहीं हुआ था। उनको यह भी समझ नहीं आ रहा था कि इतना सारा भोजन इतनी छोटी से झोपड़ी के अंदर कहां से आ गया ?

यशवंतसिंह को जब इस घटना की जानकारी हुई तो वह भी फुलीबाई से मिलने के लिए गये और झोपड़ी से दूर अपने मुकुट और एक साधारण इंसान की भांति फुलीबाई की झोपड़ी मे गया । और वहां पर नम्र भाव से खड़ा रहा यही भक्ति की महिमा है।उसके बाद यशवंतसिंह ने फुली बाई को अपने अनुभव की बातों को सुनाया और फुलीबाई के ‌‌‌ चरणों मे प्रणाम किया ।

‌‌‌उसके बाद फुलीबाई ने कहा … बेटा तू बाहर का राज्य तो कर रहा है लेकिन अपने अंदर के राज्य के बारे मे भी तो जानले । कब तक बाहर के विषय वासनाओं के अंदर पड़ा रहेगा । यदि राज्य करना ही है तो अपने अंदर का राज्य कर क्योंकि वह तुम्हारा है। बाहर सब कुछ जो तू देख रहा है वह एक ना एक दिन नष्ट होने ‌‌‌ ही वाला है।जो भी कार्य करे वह तटस्थ होकर कर । राग द्वेष उसके अंदर मत रख यदि यह राग दवेष रखेगा तो यह बंधन मे डालेगा ।

‌‌‌उसके बाद आगे फुलीबाई ने कहा कि हे राजन तेरा यह जो धन है वह तेरा नहीं है यह प्रजा का है और जो राजा प्रजा के धन का दुरपयोग करता है वह नरक के अंदर पीड़ा भोगता है। प्रजा के धन को प्रजा के कल्याण के लिए ही प्रयोग करना चाहिए । इससे स्वर्ग मिलता है। ‌‌‌और जो भगवान राम की भक्ति करता है वह उनके लोक के अंदर चला जाता है।और भगवान को पा लेता है।और जो भगवान को जानने की इच्छाकरता है वह भगवतस्वरूप हो जाता है।फुलीबाई की वाणी को सुनने के बाद यशवंत सिंह ने फुलीबाई के चरणों मे प्रणाम किया और सोचने लगा कि मेरे पास ,धन दौलत और स्त्री राज्य सब कुछ है

‌‌‌लेकिन उसके बाद भी मुझे  शांति नहीं मिल रही है जबकि फुलीबाई के पास धन दौलत कुछ भी नहीं है उसके बाद भी वह हमेशा शांत रहती है उसे किसी भी प्रकार की चिंता नहीं रहती है। सचमुच यह अदभुत है और सच्चा सुख तो भगवान की भक्ति के अंदर ही है। यह संसार तो एक नाटक ही है उससे अधिक कुछ नहीं है।

‌‌‌उसके बाद यश्वंतसिंह के मन मे एक विचार आया कि राजमहल के अंदर अनेक रानियां हैं लेकिन वे पूरे दिन एक दूसरे से लड़ती रहती हैं और झगड़ती रहती है इतना ही नहीं चुगली भी करती हैं और बीमार रहती हैं।यदि वे इस महान आत्मा के संग मिले तो उनके अंदर कुछ बदलाव आ सकता है। उसके बाद यश्वंतसिंह हाथ जोड़ ‌‌‌ कर कहा कि आप  मुझे एक भिक्षा दें कि मेरा जीवन सदा अच्छा करने मे ही बीते और मेरा संग सदा संतों के संग ही रहे और उसके बाद फुलीबाई ने उनके सर पर हाथ रखदिया । फिर राजा ने फुलीबाई से एक और विनती करते हुए कहा कि आप मेरे निवास स्थान पर चलें और उनको उपदेश देने की क्रपा करें ।

‌‌‌उसके बाद फुलीबाई रानी के निवास मे गई और जब रानियों ने फुलीबाई को आया देखा तो वे उसे देखकर हैरान रह गई कि यह औरत कौन आई है ?उन्होंने फुलीबाई का अनादर किया लेकिन उन्हें किसी प्रकार का दुख नहीं हुआ क्योंकि वे सब दुखों को जीत चुकी थी। उन्होंने रानियों को अपने पास आने को कहा तो दासियों ने ‌‌‌ बताया कि राजा ने इनको आपके पास उपदेश देने के लिए भेजा है और राजा इनका आदर करते हैं तो रानियों को भी फुलीबाई का आदर करना पड़ा ।

‌‌‌उसके बाद फुलीबाई ने कहना आरम्भ किया कि हे रानियों अपने हांड मांस के शरीर को सजा कर क्या बैठी हो इससे कुछ फायदा नहीं होने वाला है। क्योंकि हांड मांस का शरीर तो नष्ट होने ही वाला है। ‌‌‌यदि श्र्रंगार करना है सात्त्विक करना होगा जिससे मन मे विकार पैदा नहीं होगा ।हे रानियों यह तुम्हारे शरीर की जो सुंदरता है उसे अपने मन की सुंदरता के अंदर बदलो । अपने मन को शरीर से भी सुंदर बनाओ तभी कल्याण हो सकता है। समय कम है जीवन बार बार नहीं मिलता है। इसलिए राम नाम का जाप करो उसी मे ‌‌‌कल्याण होगा ।

 गहनो गाँठो तन री शोभो, काया काचो भाँडो।

 ‘फुली‘ कहे थे राम भजो नित, लड़ो क्यों हो राँडो?

राम नाम का जाप कैसे करे लेख के अंदर हमने राम नाम के जाप के बारे मे विस्तार से जाना यदि आप उपर दिये गए तरीकों से राम नाम का जाप करते हैं तो निश्चय ही फायदा होगा । ‌‌‌यदि आप सही तरीके से आप राम नाम का जाप नहीं करते हैं तो आपको फायदा तो मिलेगा लेकिन परमकल्याण नहीं होगा । यदि परमकल्याण करना चाहते हैं तो रजो ,तमो और सतो गुण से रहित होकर ही राम नाम का जाप करना होगा ।

This Post Has 3 Comments

  1. PushpRaj singh

    अद्भुत है राम नाम की महिमा राम नाम के ऊपर लिखा गया यह लेख भी अद्भुत है आज के आधुनिक जीवन में मनुष्य भगवान श्री राम के चरित्र और श्री राम नाम से बहुत दूर होता चला ज रहा है माया जनित जीवन की कठिन समस्याओं से छूटकारा प्राप्त करने का एकमात्र साधन श्री राम नाम ही है
    राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम

  2. Ashok kumar

    राम राम जी 🙏🏻🙏🏻 hume kis tarh se Ram naam japna chahiye plzzzzz help me mai aapko 2 option send kr rha hu unme se batao 1. राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम 2. श्री राम जय राम जय जय राम, श्री राम जय राम जय जय राम, श्री राम जय राम जय जय राम, श्रीराम जय राम जय जय राम । waise japne me aasaan to राम राम राम राम राम राम राम ही है । baki aap ya jinko bhi achchi jaankari h plzzzz help me

  3. Vipin Vishwakarma

    Aapne hi is lekh me lilha h ki ram naam me jo mja h wo kisi aur me nhi yahi sbkuchh h…
    Fir likhne ka mja sbse bda kaise hua
    Mante hai ki apni apni pasand h aur loge usi me khoye rhna chahte hain.
    Koi bhi ishwar prapti ko mhi sochta aur lekh eeshawar prapti wala hi likhte hain…. Ye apki hi mhi sare sansar ki bt h

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arif khan

‌‌‌हैलो फ्रेंड मेरा नाम arif khan है और मुझे लिखना सबसे अधिक पसंद है। इस ब्लॉग पर मैं अपने विचार शैयर करता हूं । यदि आपको यह ब्लॉग अच्छा लगता है तो कमेंट करें और अपने फ्रेंड के साथ शैयर करें ।‌‌‌मैंने आज से लगभग 10 साल पहले लिखना शूरू किया था। अब रोजाना लिखता रहता हूं । ‌‌‌असल मे मैं अधिकतर जनरल विषयों पर लिखना पसंद करता हूं। और अधिकतर न्यूज और सामान्य विषयों के बारे मे लिखता हूं ।