12 हनुमान जी की सच्ची घटनाएं पढ़कर हैरान रह जाएंगे

‌‌‌ ‌‌‌हनुमानजी बेहद महान हैं हनुमान जी की सच्ची घटनाएं या इस लेख मे हम हनुमान जी की सच्ची घटनाएं hanuman ji ki sachi ghatna के बारे मे उल्लेख करेंगे ।

हनुमानजी के बारे मे हम सभी जानते हैं।उनको राम भगत कहा जाता है। वे राम के प्रिय भगतों मे से एक थे । आज भारत के अंदर जगह जगह पर हनुमानजी के मंदिर बने हुए हैं। और लाखों लोग हनुमानजी की पूजा करते हैं।‌‌‌इतना ही नहीं हनुमानजी अपने भगतों का कल्याण भी करते हैं। यदि आप किसी हनुमानजी के भगत से बात करेंगे तो वह यही कहेगा कि बाबा समय समय पर कष्ट काटने के लिए आते हैं और उनकी मदद करते हैं।

‌‌‌हनुमानजी को चिरंजीवी बताया गया है।जिसका मतलब यह है कि वे हमेशा धरती के उपर रहने वाले हैं । या धर्म की रक्षा के लिए वे हमेशा काम करते रहेंगे । आपने देखा होगा कि राम और क्रष्ण का कार्य पूर्ण हो जाने के बाद वे ‌‌‌अपने लोकों के अंदर लौट गए लेकिन किसी भी ग्रंथ के अंदर इस बात का जिक्र नहीं किया गया है कि हनुमानजी अपने लोक को चले गए हैं। इससे यह साबित होता है कि वे यहीं पर मौजूद हैं लेकिन वे किसी आम इंसान को दिखाई नहीं देते हैं । बस भगतों को ही अपने दर्शन देते हैं।

‌‌‌यदि आप हनुमानजी के दर्शन करना चाहते हैं तो इस कार्य के अंदर राम नाम ही आपकी मदद कर सकता है। बंदरों को भी हनुमानजी बहुत प्रिय हैं। यही कारण है कि राम के युग से लेकर आज तक हनुमानजी के मंदिरों के पास आपको बंदर मिल ही जाएंगे ।

‌‌‌आज हनुमानजी धरती के उपर होने का फायदा इंसानों को मिल रहा है। मानव जीवन को सरल बनाने मे वे लगे हुए हैं। यदि आप नजर डालेंगे तो आपको पता चलेगा कि लोगों की बहुत सी समस्याएं हनुमानजी दूर कर देते हैं। और उनके जीवन के अंदर खुशियां भर देते हैं।‌‌‌यदि हम अपनी बात करें तो हमारे उपर भी हनुमानजी ने अनेक उपकार किये हैं। जिनको हम भूल नहीं सकते हैं।

hanuman ji ki sachi ghatna

1.हनुमान जी की सच्ची घटना hanuman ji ki sachi ghatna

व्यासपीठ पर बैठने वाले एक साधु की यह एक सच्ची घटना है।व्यासपीठ के उपर बैठकर साधु महाराज रामायण कथा सुनाते थे । इस कथा को सुनने के लिए बहुत सारे लोग आते थे । और कथा सुनकर जाते थे । कथा को आरम्भ करने से पहले साधु महाराज का एक नियम था ‌‌‌ कि वे  कहते आइए हनुमानजी विराजिए और उसके बाद ही कथा शूरू करते थे ।वहीं पर एक व्यक्ति कथा सुनने के लिए आता था जो खुद को वैज्ञानिक समझता था। जब कई बार साधु से यह बात सुनी तो उसे लगा कि यदि साधु ऐसा कहते हैं तो क्या सचमुच हनुमानजी आते ही होंगे ।

‌‌‌कुछ दिनों तक वैज्ञानिक के मन मे चलता रहा कि यह बात पूछे या ना पूछे लेकिन एक दिन उन्होंने साधु से पूछा कि महाराज आप हनुमानजी को रोज बुलाते हैं और गदी के उपर बैठने के लिए आग्रह करते हैं तो क्या वे सचमुच आते हैं।

‌‌‌उसके बाद साधु ने कहा कि हां जब राम कथा होती है तो हनुमानजी आते हैं। और रामकथा सुनने के बाद ही जाते हैं।

अब वैज्ञानिक को तो सबूत चाहिए था तो बोला …… ऐसे बात नहीं बनेगी यदि हनुमानजी आपके यहां पर आते हैं तो आपको सबूत देना होगा । हम कैसे मानलें कि हनुमानजी यहां पर आते हैं।

‌‌‌उसके बाद साधु ने कहा कि आस्था और विश्वास को सबूत के साथ नहीं तौला जा सकता है।यदि आपको हमारी कथा पसंद नहीं आती है तो फिर मैं बंद कर देता हूं या फिर आप यहां पर आना बंद कर सकते हैं।

‌‌‌लेकिन वह वैज्ञानिक इस बात को कहां पर मानने वाला था ।उसने कहा कि आप ही तो कहते हैं कि हनुमानजी यहां पर कथा सुनने के लिए आते हैं यदि ऐसा सच मे है तो आपको साबित करके दिखाना चाहिए ।

‌‌‌इस प्रकार से दोनों के बीच खूब विवाद हुआ और उसके बाद साधु मान गए और उन्होंने कहा कि इस गददी को आपको आज घर ले जाना है और उसके बाद वापस लाना है।गद्दी को मैं यहां पर रखूंगा और ‌‌‌हनुमानजी को मैं यहां पर बुलाउंगा । उसके बाद यदि तुम ‌‌‌इस गद्दी को उठा पाए तो इसका मतलब यह होगा कि हनुमानजी नहीं आए और यदि नहीं उठा पाए तो इसका अर्थ होगा कि हनुमानजी आए हैं। इस शर्त को मानने के लिए वह तैयार हो गया ।

‌‌‌उसके बाद दोनों ने अपनी अपनी शर्त रखी वैज्ञानिक ने कहा कि यदि मैं गद्दी को नहीं उठा सका तो वैज्ञानिक पद को छोड़कर आपसे दिक्षा लेलूंगा और संत नें कहा कि यदि हनुमानजी नहीं आए तो मैं आपके यहां पर चपरासी करने लग जाउंगा । ‌‌‌यह तरह की परीक्षा का नाम पूरे शहर के अंदर हो गया और जो लोग कथा सुनने के लिए नहीं आते थे वे भी आज देखने के लिए आये थे । भक्ति, प्रेम और विश्वास  की परिक्षा होने वाली थी।

‌‌‌उसके बाद गद्दी वहां पर रखी गई और साधु बोले आइए महाराज पधारिये । उसके बाद साधु मन ही मन बोले की महाराज आज आस्था का प्रश्न है आप रक्षा करें ।

‌‌‌उसके बाद वैज्ञानिक को बुलाया गया और उन्होंने 3 बार  गद्दी को उठाने का प्रयास किया लेकिन गद्दी एक इंच भी नहीं हिल सकी उसके बाद वैज्ञानिक साधु के पैरो मे गिर पड़े और बोले सच मुच आपकी भक्ति सच्ची है।

श्रद्धा और भक्ति से जब हम किसी देव की आराधना करते हैं तो उसके अंदर बहुत अधिक शक्ति आ जाती है। तभी तो कहा गया है कि मानो तो देव यदि नहीं मानो तो पत्थर ।

‌‌‌2. हनुमान जी की सच्ची घटना बताइए जब हनुमानजी ने बचाया भूतों से

दोस्तों यह बात है राजस्थान के एक छोटे से गांव के अंदर रहने वाले ओम की । वह हनुमानजी का बहुत अच्छा भगत था। ‌‌‌और हर समय हनुमानजी को याद करता रहता था ।एक दिन वह अपने गांव के अंदर ही रात को जागरण देखने के लिए गया था।रात 1 बजे तक तो जागरण देखा और उसके बाद सोचा कि कल काम पर जाना है तो वापस घर चलता हूं । उधर जाने वाला कोई था ही नहीं ।

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‌‌‌वह अंधेरी गलियों के अंदर अकेला ही चलता रहा और उस समय लाइट की व्यवस्था तो थी लेकिन गली के अंदर लाइट नहीं होती थी। दूर जब देखा तो एक व्यक्ति दीवार के सहारे चिपकर खड़ा था। ओम को यह कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि ‌‌‌इतनी रात को दीवार के सहारे आदमी क्या कर रहा है ? उसके बाद वह बुरी तरह से डर गया लेकिन अचानक से वह आदमी ओम के पास आया और बीड़ी मांगी लेकिन ओम बीड़ी नहीं पीता था तो उसने कहा कि उसके पास नहीं हैं। लेकिन अचानक से वह वहां से गायब हो गया ।

‌‌‌उसके बाद ओम ने बजरंगबली का नाम लिया और बोले संकट से आप मेरी रक्षा करो । वे जोर जोर से बजरंग बली नाम का जाप करने लगे । बस उसके बाद क्या था । भूत भाग गया और वे तेजी से दौड़ते हुए घर आये । ‌‌‌इस समय उनकी हालत बेहद खराब थी ।वे बुरी तरह से हांफ रहे थे ।घरवालों ने उनको देखा और पूछा कि क्या हुआ तो ? उन्होंने सारी बात बताई । उसके बाद वे बालाजी के मंदिर के अंदर गये जो घर पर बना था और बालाजी को प्रणाम किया ।

‌‌‌3.जब हनुमानजी ने एक्सीडेंट के अंदर बचाया

यह कोई कहानी नहीं है बल्कि सच्चाई है। एक बार हम तीन दोस्त कार की मदद से टूर पर गए थे  । हमारा टूर एक जंगल के अंदर था। यहां पर हम लोगों ने दिन के अंदर खूब मजे लिये और खाना वाना बनाकर खाया । और पता ही  नहीं चला कि कब शाम हो गई। उसके बाद जब शाम के 7 बजे ‌‌‌तो हम लोगों को लगा कि अब अंधेरा हो चुका है और अधिक समय तक जंगल के अंदर रूकना सही नही है।तो हम लोगों ने जल्दी से सामान अंदर रखा और जंगल की मैन रोड़ पर आ गए । इस वक्त हमारी गाड़ी काफी तेज गति से जंगल को पार कर गई और शहरी ईलाके के अंदर आ चुकी थी ।

‌‌‌लेकिन पता नहीं अचानक से हमारी गाड़ी दूसरी गाड़ी से टकरा गई और हम कुछ समझ पाते उससे पहले ही हमारी गाड़ी इतनी बुरी तरीके से पल्ट चुकी थी कि हम कुछ समझ ही नहीं पाए थे ।

‌‌‌जब यह एक्सीडेंट हुआ तो मैरे मुख से हनुमानजी के नाम ही निकले थे । उसके बाद जब मैंने खुद को देखा तो मैरे को कोई चोट नहीं आई थी। मेरे दूसरे दोस्त को मैंने पूछा तो उन लोगों ने कहा कि वे ठीक हैं। इतनी ही देर मे वहां पर काफी सारे लोग आ गए ।

‌‌‌सब लोगों ने हमको कार से बाहर निकाला और उनको यह देखकर बहुत अधिक हैरानी हुई कि हममेसे किसी को कोई चोट नहीं आई थी। तब हम सब ने बताया कि यह हनुमानजी का ही चमत्कार है जो हम जिंदा बच गए । ‌‌‌वहां खड़े लोग भी इस बात को कैसे इनकार कर सकते थे क्योंकि गाड़ी इतनी बुरी तरह से कुचली गई थी कि उसके अंदर बचना बहुत ही मुश्किल ‌‌‌था।

‌‌‌4.जब भूत पीछे लग गए

मेरा नाम है ओमप्रकाश यह बात है साल 2018 की उस समय मे मैं साउदी अरब के अंदर काम करता था। और वहां पर गए हुए मुझे कुछ ही दिन बीते थे । मैं हनुमानजी का सच्चा भगत था। ‌‌‌मैं जिस कमरे के अंदर रहता था उस कमरे के अंदर हमारे एक साथी ने कुछ समय पहले सुसाइड कर लिया था। एक रात जब मैं सपने मे सोया तो मुझे उसी साथी की आत्मा दिखाई थी। वह आत्मा मुझे बोल रही थी कि आप उसके पास आ जाएं  । मतलब वह मुझे अपने पास बुला रही थी। यह सपना मैंने देखा तो मैं बुरी तरह से घबरागया ।

‌‌‌सुबह जैसे ही उठा कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है।साउदी अरब के अंदर मैं मांस खाने लगा था। इसलिए बालाजी की भगती पर ध्यान नहीं देता था। ‌‌‌एक दिन दिन मे जब मैं कमरे पर बैठा था जो मैंने देखा कि मरे हुए साथी की आत्मा कमरें के अंदर आई है और वह गायब हो गई ।

हनुमान जी की सच्ची घटनाएं

 उस दिन मे बहुत अधिक घबरा गया । घरवालों को फोन कर यह बात बताई तो ‌‌‌घरवालों ने कहा कि आप मांस को आज से ही खाना छोड़दें और रूम के अंदर गूगल की धूनी दें वह बजरंगबाण का पाठ करें । अब बजरंगबाण का पाठ तो मैं नहीं कर पाया क्योंकि मैं पढ़ा लिखा नहीं था।

‌‌‌उसके बाद शाम को मैंने हनुमानजी की मूर्ति के सामने दीप जलाया और फिर गूगल की धूनी दी । सुना था कि गूगल धूनी देने से भूत प्रेत भाग जाते हैं। ‌‌‌उस दिनके बाद मुझे वह प्रेत कमरे के अंदर या मेरे आस पास नजर नहीं आया मैं हनुमानजी का नाम भी जपता रहता लेकिन जब अगले दिन शाम को देखा तो उसके साथ एक साथी और भी था जो पहले ही मर चुका था।

‌‌‌वे मुझे फिर भी दूर से अपने पास बुला रहे थे ।लेकिन वे कभी भी मेरे पास नहीं आ पा रहे थे । मैं यह तो जान ही चुका था कि यह हनुमानजी की ‌‌‌कृपा है। उसके बाद मैरा हौसला थोड़ा बढ़ा ।

‌‌‌लेकिन समस्या एक नई आ गई । वे प्रेत अब मेरे पास तो नहीं आते थे लेकिन वे हर जगह मेरे को दिखने लगे । काम के उपर भी दिख जाते थे । इसके अलावा वे मुझे अपने पास भी बुलाने लगे थे ।

‌‌‌ऐसी हरकतों की वजह से मुझे काफी समस्या होने लगी ।इस संबंध मे मैंने काफी कुछ किया लेकिन समस्या का हल नहीं निकला । उसके बाद घर पर मैंने फोन किया तो घरवालों ने कहा कि आपको 2 साल होने वाले हैं तो आप घर आ जाएं ।‌‌‌उसके बाद मैंने घरवालों का कहना माना और वापस घर आ गया । लेकिन घर आने के बाद भी वे प्रेत मुझे घर के बाहर खड़े दिखाई देते और मुझे अपने पास आने का ईशारा करते थे ।

‌‌‌एक दिन तो वे प्रेत मुझे घर से बाहर बुलाकर ले जाने लगे और जैसे ही मैं घर से बाहर निकला एक तेज धक्का मेरे को लगा और वापस घर के अंदर आ गिरा । उसके बाद मैंने देखा कि एक छोटा बालक हाथ के अंदर गोठा लेकर खड़ा है। यह बात है राजस्थान के चूरू जिले की ।‌‌‌इस दिन यदि मैं घर से बाहर चला जाता तो फिर मेरी मौत निश्चित थी और हनुमानजी ने मुझे बचा लिया नहीं तो पता नहीं मेरा क्या होता ?

‌‌‌5.जब मरी हुई महिला को जिंदा किया हनुमानजी ने

दोस्तों यह बात है मेरी ही दादी की  । अब तो उनकी मौत हो चुकी है लेकिन यह बात है लगभग 1988 ई की। आप तो जानते ही हैं कि आजकल टोना और टोटका का प्रयोग बहुत से लोग करते हैं।‌‌‌मेरी दादी के जो पड़ोसी थे उन लोगों ने मेरी दादी के उपर एक भयंकर तांत्रिक क्रिया करवाई थी । जिसको पूतली मारण प्रयोग कहते हैं। मेरे बाबी पितर हैं मतलब वे देवगण के अंदर हैं। उन्होंने पहले ही बता दिया था अपनी मां को कि वह इतनी तारिख को और इतने बजे मर जाएगी ।

‌‌‌जैसे ही वह समय आया मेरी दादी मर गई थी।उस समय बारिश बरस रही थी तो अचानक से पितर देवता आए और मेरे दादाजी को बोले कि जाओ और हनुमानजी के मंदिर के अंदर जल चढ़ाकर आओ यदि जीवनदान दे सकते हैं तो हनुमानजी ही दे सकते हैं नहीं तो कुछ नहीं होगा ।‌‌‌उसके बाद मेरे दादाजी एक लौटा लेकर गए और कुआ के उपर जल चढ़ाया । उसके बाद वापस आ गए । सब को लग चुका था कि दादी मर चुकी है। सब रो रहे थे ।

‌‌‌1 घंटा बीत जाने के बाद मेरी दादी को होश आया तो वह बोली कि सब क्यों रो रहे हैं? उसके बाद सब घटना दादी को बताई । पितर जी ने बताया कि वे बजरंगबली से प्रार्थना की कि वह मेरी मां को जिंदा करें उनके बिना यह संभव नहीं हो सकता था।

‌‌‌6.जब हनुमानजी ने की देह रक्षा

जब हनुमानजी ने की देह रक्षा

मेरा नाम बिजलाल है।मैं मंडावा का रहने वाला हूं । दिनांक तो याद नहीं है लेकिन काफी समय पहले की बात है। मंडावा हमसे यही कोई 10 किलोमिटर पड़ता है। और हमारे गांव का नाम खालासी है। ‌‌‌एक रात मैं मंडावे से रात को अपने गांव के अंदर रात 11 बजे आ रहा था। हमारे गांव के अंदर भूतों का कुछ ज्यादा ही प्रकोप है। तो उस वक्त मेरे साथ कुछ पेड़े भी थे ।

‌‌‌रात को अचानक से मेरे पीछे से आवाजे आने लगी ।जैसे मुझे कोई पीछे से पुकार रहा है । वैसे मैं शराब पीता हूं और हनुमानजी का भगत नहीं हूं । इस प्रकार की आवाजों से मैं बुरी तरह से डर गया और भागने लगा लेकिन रास्ता बहुत अधिक लंबा था।‌‌‌अचानक से मैंने देखा कि मेरे पास पास एक सफेद कपड़े वाला व्यक्ति चल रहा है।

‌‌‌7. hanuman ji ke chamatkar ki sachi ghatna साउदी अरब का प्रेत

दोस्तों मेरा नाम कजोड़ है। सन 2009 की बात है। उस वक्त मे साउदी अरब मे एक बगीचे के अंदर नौकरी करने के लिए ही आया था। वहां पर हम दो लोग थे और काम भी अच्छा खासा था। मैं तो बालाजी को नहीं मानता था लेकिन मेरे घरवाले और मरी पत्नी उनको मानती थी मैं शराब का आदी था ।‌‌‌पहले दिन जब काम किया तो यहां बहुत ही अच्छा लगा लेकिन हम दोनों की खुशी ज्यादा दिन नहीं रह सकी । हम जिस मकान के अंदर रहते थे वहां पर कोई इंडियन लोग फांसी खाकर मरा हुआ था। हालांकि इसके बारे मे हमें बाद में पता चला था। दिन के अंदर तो कुछ नहीं होता था लेकिन रात को  ‌‌‌वह भूत बहुत बड़ी समस्या पैदा करता था।

‌‌‌जब हम रात को सोने के लिए जाते थे तो एक दिन मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी कोई रजाई खींच रहा है। और जब आंख खोलकर देखा तो रजाई सचमुच वैसे ही पड़ी थी। और कुछ समय नींद आई फिर आंखे खोली तो रजाई बाहर पड़ी हुई थी।‌‌‌मुझे बहुत अधिक डर लग रहा था।मेरे साथी को तो वह उठाकर बेड़ के नीचे तक फेंक देता था। उस बेचारे की मेरे से भी बहुत अधिक बुरी हालत हो चुकी थी।

‌‌‌इसी तरीके से एक दिन जब मेरा साथी सोया हुआ था तो उस प्रेत ने उसको उठाकर बाहर फेंक दिया बेचारा बहुत चिल्ला रहा था। लेकिन प्रेत ने उसको झापट भी मारा । लेकिन उसकी समस्या यह थी की वह किसी देवता के अंदर विश्वास नहीं करता था।

‌‌‌इसी तरीके से एक दिन हमारे साथ बहुत बुरी घटना हुई हम रात को रोटी बना रहे थे तो तवा अपने आप हवा मे उछल गया । उस दिन हनुमानजी की क्रपा से हम बच गए नहीं तो पता नहीं क्या होता । कई दिन बाद मैंने अपने घरवालों से समस्या बताई तो ‌‌‌उन्होंने मुझे हनुमान चालिसा का पाठ करने और खुद भी हनुमानजी का व्रत करने को कहा । जैसे ही मैं सोता तो पूरी हनुमान चालिसा का पाठ करके ही सोता था। उसके बाद मुझे किसी प्रकार की समस्या सोते हुए तो नहीं हुई लेकिन भूत कहीं गया नहीं था और ‌‌‌वह अभी भी वहीं पर अपना डेरा जमाए हुए था ।मेरे साथी को वह बहुत ही बुरी तरीके से परेशान करता था। लेकिन उसके बाद मैंने उसको भी हनुमानजी के नाम लेने के बारे मे बताया तो कुछ आराम मिला । यहां पर मैं एक साल जैसे तैसे काटा उसके बाद वापस उस जगह पर नहीं गया ।‌‌‌भले ही हम माने या ना मानें लेकिन देवता हमेशा काम आते हैं।

‌‌‌ 8.हनुमान जी की सच्ची घटना हनुमानजी ने की मदद

दोस्तों एक रात हम जयपुर से अजमेर को अपनी कार के अंदर शादी मे शामिल होने के लिए जा रहे थे । उस रात हमारी कार के अंदर कुल 5 लौग थे और उनमे से 3 महिलाएं और दो पुरूष थे । इसमे एक मेरा दोस्त था। जयपुर से कुछ दूरी चल ही रहे थे कि मेरे मन मे यह घबराहट होने लगी कि कुछ गड़बड़ ‌‌‌होने वाला है।और मैं कुछ समझ पाता उससे पहले की कुछ दूर जाने के बाद अचानक से कार के अगले दोनो पहिए सड़क के किनारे गडडे के अंदर गिर गए । यह पूरी तरह से सुनसान ईलाका था। अब मैं जल्दी से कार से उतरा तो बहुत ही दुखी हुई क्योंकि कार के वापस निकलने के चांस बहुत ही कम थे ।

‌‌‌कार के पीछले पहिए अभी जमीन पर ही थे लेकिन आगे वाले दोनो पहिऐ पूरी तरीके से फ्री हो चुके थे । गड़डा अधिक गहरा तो नहीं था लेकिन पहियों के फ्री होने से कार के बीच का हिस्सा जमीन पर टिक चुका था।

‌‌‌मैंने कई बार कार को निकालने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुए । एक सुनसान ईलाका होने की वजह से हम डर रहे थे । और सबसे बड़ा डर यह था कि हमारे साथ महिलाएं थी । रात के अंदर महिलाओं का साथ होना बहुत बड़ी समस्या होती है।

‌‌‌इनके अंदर मेरी पत्नी आदिती भी थी।मैंने काफी मेहनत कार को निकालने मे की लेकिन जब वह टस के मस नहीं हुई तो मैंने आदिती से कहा …….. देखो अब हम कुछ नहीं कर सकते हैं। दिन होने तक इंतजार करना होगा और यह रोड़ पूरी तरीके से खाली है किसी की मदद भी नहीं लि जा सकती है।

‌‌‌आदिति भगवान बजरंगबली की बहुत ही अच्छी भगत थी।कुछ देर वह आंखे बंद करके बैठी और फिर आंखे खोलकर बोली बाबा हमारी जरूर मदद करेंगे । यदि रात को यहां रूके तो बहुत बड़ा खतरा हमको हो सकता है।‌‌‌हमारे पास पीने के लिए पानी तक नहीं है।यदि रात भर टिके रहे तो सच मे मर जाएंगे । बस बाबा पर भरोसा रखों । हम 2 घंटे किसी के इंतजार के अंदर बैठे रहे रात को 11 बजे दूर से एक ट्रैक्टर आता दिखाई दिया ।

‌‌‌मैंने सोचा कि शायद यह लोग हमारी मदद करें तो मैंने उस ट्रेक्टर के आगे हाथ दिया तो ड्राइवर ने रोक कर पूछा …… हां जी तो बोलिए आपको क्या परेशानी है ?

…….. जी हमारी कार फंस गई है क्या आप हमारी मदद कर सकते हैं।‌‌‌ट्रेक्टर वाले ने हां भरी और मुझसे बोला की अपनी कार को स्ट्रार्ट करों । उसके बाद मैंने जैसे ही कार स्ट्रार्ट की वह एक ही झटके के अंदर गडडे से बाहर निकल गई । मैंने जैसे ही ट्रेक्टरवाले को ध्यन्वाद बोलना चाहा तो वहां पर कोई ट्रेक्टर वाला नहीं था। मैं हैरान रह गया ।

‌‌‌…………….. अरे आप किससे बात कर रहे थे ।आदिति और बाकी दूसरे लौंगो ने हम से पूछा ।

मैं बोला क्या तुम पागल हो गए हो याहां पर ट्रक्टर आया था।

……..नहीं यहां पर कुछ भी नहीं था । हम तुम्हारी अजीब हरकतों की वजह से तुम्हें आवाज दे रहे थे लेकिन तुमने हमारी आवाज सुनी ही नहीं ।मेरी पत्नी ‌‌‌ने कहा था।

‌‌‌……… सच मुच बाबा का यह चमत्कार है।बजरंगबली को सिर्फ मैं ही अनुभव कर पाया था। और दूसरा कोई भी उनको देख भी नहीं पाया था। सच मे आदिति तुम्हारी भगती सच्ची है। जय बजरंगबली की ।

‌‌‌9.हनुमानजी और प्रेत

दोस्तों सुखी देवी नाम की एक महिला थी । वह पूराने ख्यालात की महिला थी। और देवी देवताओं को भी मानती थी। एक रात वह रात के 12 बजे किसी दूसरे घर से आ रही थी और रस्ते के अंदर उसको एक बहुत ही सुंदर भेड़ का बच्चा दिखा जो बोल रहा था।‌‌‌महिला काफी लालची थी तो उसने उस भेड़ के बच्चे को उठाया और बाकी की महिलाओं के साथ चलने लगी ।

 दूसरी महिलाओं ने उसको हिदायत दी की रात को इस प्रकार से किसी जानवर को नहीं उठाना चाहिए लेकिन सुखी देवी नहीं मानी ‌‌‌। कुछ दूर चलने के बाद सुखी देवी को एहसास हुआ की उसके हाथ मे वजन बढ़ रहा है। और जैसे ही उसने भेड़ के बच्चे की तरफ देखा वह पहले की तुलना मे बेहद बड़ा हो चुका था। वह बुरी तरह से डर गई और ‌‌‌उस भेड़ के बच्चे को वहीं पर गिराकर भागने लगी ।घर आने के बाद वह काफी डरी हुई लग रही थी। उसे यह भी लगने लगा कि कोई उसके साथ घर के अंदर आ चुका है।

‌‌‌उस रात को तो वह आराम से सो गई ।उसे किसी प्रकार का अनुभव नहीं हुआ । लेकिन दिन के अंदर उसने वही भेड़ का बच्चा बार बार दिखना शूरू हो गया । कुल मिलाकर वह बार बार यह चिल्लाने लगती कि वह देखो भेड़ । लेकिन घर के दूसरे सदस्यों को कुछ भी दिखाई नहीं देता था।

‌‌‌उस सुखी देवी की हालत बहुत बुरी हो गई ।वह बार बार डरके मारे चिल्लाती । उसके बाद उसके घरवालों को कोई उपाय नहीं सुझा तो उन्होंने हनुमानजी के मंदिर के अंदर जाकर हाथ जोड़े । कुछ समय बाद उसकी हालत के अंदर सुधार होने लगा । जब वे किसी तांत्रिक के पास गए तो तांत्रिक ने बताया की बाबा की क्रपा होने की ‌‌‌वजह से वह प्रेत तुम्हारे घर का कुछ बिगाड़ नहीं पाया था । यदि बाबा की क्रपा ना होती तो पूरे घर का ही सत्यानाश हो जाता ।

‌‌‌10.जब हनुमानजी ने की प्रेतनी की पिटाई

दोस्तों प्रेत की सबसे बड़ी खास बात होती है कि वे जड़ हो जाते हैं वे अपनी आदत से मजबूर होते हैं और दिमाग उनके पास होता नहीं है। लगभग 1983 की बात है। हमारे घर के पीछे से एक महिला गई और अपने बच्चे के साथ कुए के अंदर कूद कर सुसाइड कर लिया ।‌‌‌सुसाइड करने के बाद उसको कुए से बाहर निकाला गया तो दोनेा मर चुके थे ।उसके बाद उनको जला दिया गया । उसका बेटा तो प्रेत नहीं बना लेकिन वह मां प्रेतनी बन गई जो आज भी अपना प्रभाव दिखा रही है।

‌‌‌उस समय कर्मकांड कुछ होता नहीं था तो मरने वाला प्रेत योनी के अंदर ही भटकता रहता था। उसके कुछ दिन बात ही वह प्रेतनी हमारे घर के पीछे से आई और छत के उपर  ‌‌‌धमाके करने लगी ।मेरे दादाजी सो रहे थे । वहीं पर दादीजी भी सो रही थी। दादाजी ने भूतनी को ललकारा और कहा कि और तेज से धमाके कर तो धमाके और तेज होने लगे । उसके बाद मेरी मां ने बालाजी का नाम लिया कई बार तो धमाके बंद हो गए ।

‌‌‌इस प्रेतनी की सबसे बड़ी खास बात तो यह थी कि यह रात के अंदर हमारे घर से गुजरती थी। और उस समय हमारे घर के पीछे से रस्ता था जो कुवे तक जाता था। अब वह बंद हो चुका है। हमारे घर से पहले दो घर और थे ,जहां पर तो आज भी धमाके होते हैं हालांकि उनका प्रभाव कम हो चुका है।

‌‌‌एक रात जब मेरी दादी सुबह शौच के लिए घर से बाहर गई तो वह प्रेतनी फिर मेरी दादी के साथ आ गई और उस समय महिलाएं 4 बजे उठकर चाक्की से आटा पीसने का काम करती थी । तो जैसे ही मेरी दादी ने आटा पीसना शूरू किया प्रेतनी ने भी ‌‌‌उसके साथ आटा पीसना शूरू कर दिया मेरी दादी को एहसास हो चुका था कि प्रेतनी आ चुकी है। उसके बाद दादी ने जोर से आवाज दी लेकिन प्रेतनी ने उनकी आवाज को दबा दिया दादाजी उस वक्त घर के अंदर ही सो रहे थे । उन्होंने आवाज सुनी तो भाग कर आए इतने मे प्रेतनी छान को उठाकर फरार हो गई ।

‌‌‌इसी तरीके से वह प्रेतनी हमे परेशान करती रही । एक दिन हमारे घर के पितर देवता ने हमको कहा कि बजरंगबली के जात देकर आओ और उसके बाद यह प्रेतनी आपका कोई नुकसान नहीं करेगी । दोस्तों उसके बाद वह हमारा कोई नुकसान नहीं कर पाई ।

‌‌‌जैसा कि आपको पता ही होगा समय के साथ प्रेत का प्रभाव भी कम हो जाता है। उस प्रेतनी  के द्वारा किये जाने वाले धमाके 2016 तक सुनाई देते थे । हमारे घर के पीछले मकानों मे रात को 9 बजे के बाद धमाके होने शूरू हो जाते थे और पूरी रात ऐसे ही होता रहता था।‌‌‌लेकिन जिस मकान के अंदर हम धूप करते थे उसके अंदर कुछ भी सुनाई नहीं देता था। हमने बजरंग बली की मूर्ति उस मकान के अंदर रख रखी है।

‌‌‌हालांकि अब हमारे घर मे किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है।

‌‌‌11.हनुमानजी की रक्षा

हनुमानजी की रक्षा

‌‌‌मेरा नाम सुभाष है । और मैं यूपी का रहने वाला हूं ।यह बात है 19 अप्रेल 2017 की । एक रात मैं अपने पास के दूसरे शहर के अंदर बारात मे गया हुआ था। रात को हम लोगों ने खूब मस्ती की ।‌‌‌हम डीजे बंद हो जाने के बाद हम लोगों ने नास्ता वैगरह किया और थोड़ी सी मिठाई एक पॉलिथिन की थैली के अंदर डाली और दोनो दोस्त बाहर निकल गए ।

‌‌‌उसके बाद हम अंधेरी रात के अंदर पूरे गांव के अंदर इधर उधर घूमने लगे । हम इस बात को भूल चुके थे कि बारात वापस जाने वाले है। कुछ समय बाद यह बात मेरे दिमाग के अंदर आई तो मैंने अपने दोस्त से कहा …….. यार लगता है बारात तो वापस चली गई है और पूरी रात हम यहां कहां पर रूकेंगे । शर्दी का मौसम है ।‌‌‌उसके बाद हम दोनों उस तरफ भागे जहां पर बस खड़ी थी लेकिन वहां पर कोई बस ही नहीं थी। अब मैंने मेरे दोस्त को कहा कि …….. अरे अब क्या करेंगे । बस तो चली गई है।

‌‌‌………….. ठीक है ।हम पैदल ही चलते हैं । क्या तुम चलने के लिए तैयार हो ?

…………लेकिन रस्ता बहुत अधिक डरावना है। और बेहतर होगा हम रात को यहीं पर रूक जाएं ।.

लेकिन मैंने अपने दोस्त को किसी तरीके से माना लिया और उसके बाद ‌‌‌अंधेरे और सुनसान रस्ते के उपर हम लोग बढ़ने लगे ।कुछ दूर चलने के बाद हमे ऐहसास हुआ जैसे कोई बहुत ही बड़ा सांड हम लोगों को मारने के लिए पीछे से आ रहा है। आज तक इतना बड़ा जानवर हम लोगों ने देखा ही नहीं था।

‌‌‌मैंने अपने साथी को भागने के लिए कहा ।लेकिन कुछ समय बाद जब वापस पीछे मुड़कर देखा तो पीछे कुछ नहीं था। इस समय हमारी हालत बहुत पतली हो चुकी थी। हमारे मुंह से सिर्फ जय हनुमान नाम निकल रहा था।

‌‌‌उस वक्त हमारे पीछे से एक तेज आवाज आई कि हमे मिठाई देदो । हम लोगो ने पीछे मुड़कर देखा वहां पर कोई नहीं था। उसके बाद मेरे दोस्त ने कहा …. यार तुम मिठाई फेंक दो नहीं तो हमारी जान नहीं बच पाएगी तो मैंने मिठाई फेंक दी और जल्दी जल्दी अपने घर की तरफ बढ़ने लगा ।‌‌‌मन से हनुमानजी का नाम ही निकल रहा था।दो घंटे बाद ही हम अपने घर पहुंचे और उस रात नींद नहीं आई । सुबह उठे दो यार दोस्तों से इस घटना के बारे मे बताया तो दोस्त हैरान होकर बोले कि यार उस रस्ते के उपर ‌‌‌बेहद ही खतरनाक शहीद रहता है और वह काफी साल पुराना है।किसी ने उसको यहां पर मार दिया था। यह राजा महाराजा के जमाने की बात है। और रात को यदि कोई वहां से गुजरता है तो वह उसे मौत के घाट भी उतार देता है। और यहां पर कई अन्य लोग भी मरे हुए मिलें हैं।

‌‌‌उसी समय हम यह समझ चुके थे कि यह हनुमानजी का चमत्कार है और उनके चमत्कार के बिना यह संभव नहीं हो सकता था ।

‌‌‌12.हनुमानजी ने छूटाया प्रेतनी से पीछा

यह बात है सन 2001 की ।रात को रूकमणी देवी किसी घर से गीत गाकर आई थी। रूकमणी के घर के पास मे ही एक कोना पड़ता है। वहां पर एक प्रेतनी रहती थी। और जब रूकमणी गुड़ लेकर आई तो वह उसके साथ हो गई। रूकमणी ने बताया कि उसको उस वक्त बहुत ही ठंड़ी हवा का एहसास हुआ था।

‌‌‌जैसे ही रूकमणी ने घर के अंदर इंटर किया उसको किसी छोटे बालक ने जोर दार घर से बाहर धक्का दिया और उसके बाद रूकमणी यह समझ चुकी थी कि कुछ गड़बड़ है। उसने बालाजी का नाम लेना शूरू कर दिया और फिर अपने हाथ मे मौजुद गुड़ को बाहर फेंक दिया ।‌‌‌उसके बाद हाथ पैर धोए और घर के बाहर मंदिर के अंदर हाथ जोड़े ।

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‌‌‌इसी तरीके की एक अन्य घटना का उल्लेख करके रूकमणी ने बताया कि उसकी बहु मोहनी को एक बार गांठ हुई थी।‌‌‌हम लोग बालाजी के अंदर बहुत अधिक विश्वास करते हैं और उसके बाद हमने हनुमानजी की की जात बोली और कहा की बाबा आपको भोग लगादेंगे । आप हमारी पीड़ा को दूर करने का प्रयास करें तो हनुमानजी का ही चमत्कार था कि गांठ ठीक हो गई ।

हनुमान जी की सच्ची घटना लेख के अंदर हमने कुछ खास सच्ची घटनाओं का उल्लेख किया है।और नास्तिक लोगों के लिए यह लेख नहीं है। यदि आपके पास कोई सच्ची घटना है तो आप उसको हमें भेज सकते हैं । हम उसको ‌‌‌आपके  नाम के साथ प्रकाशित करेंगे । ‌‌‌घटनाएं आप हमको निम्न ई मेल पर भेजें

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arif khan

‌‌‌हैलो फ्रेंड मेरा नाम arif khan है और मुझे लिखना सबसे अधिक पसंद है। इस ब्लॉग पर मैं अपने विचार शैयर करता हूं । यदि आपको यह ब्लॉग अच्छा लगता है तो कमेंट करें और अपने फ्रेंड के साथ शैयर करें ।‌‌‌मैंने आज से लगभग 10 साल पहले लिखना शूरू किया था। अब रोजाना लिखता रहता हूं । ‌‌‌असल मे मैं अधिकतर जनरल विषयों पर लिखना पसंद करता हूं। और अधिकतर न्यूज और सामान्य विषयों के बारे मे लिखता हूं ।