चूड़ी बनाने वाले को क्या कहते है ?चूड़ियों को पहनने के फायदे

दोस्तों लगभग हर महिलाएं चूड़ी पहनती हैं। भले ही वह किसी भी धर्म की क्योंना हो । इस लेख मे हम बात करेंगे चूड़ी बनाने वाले को क्या कहते हैं और चूड़ियां पहनने के फायदे क्या हैं ? ‌‌‌चूड़ियों का महत्व ,यदि आप एक महिला हैं तो चूड़ी अवश्य ही पहनती होंगी । और आपके मन मे कभी ना कभी यह ‌‌‌सवाल भी आया होगा कि चूड़ी पहनने के क्या फायदे हैं ? हम चूड़ी क्यूं पहने हैं। तो इस लेख के अंदर हम इसी पर बात करेंगे । तो चलिए सबसे पहने चूड़ी बनाने वाले को क्या कहते हैं  ‌‌‌चूड़ियों का महत्व, से पहले चूड़ियों के बारे मे जान लेते हैं।

‌‌‌चूड़ियां एक परम्परिक गहना हैं

‌‌‌चूड़ियां एक परम्परिक गहना हैं जिसका प्रयो‌‌‌ग अधिकतर दक्षिण भारत की महिलाएं करती हैं। हालांकि विश्व के अंदर भी चूड़ियों का प्रयोग चलन मे हैं। लेकिन वहां पर एक या दो चूड़ी महिलाएं फैसन के लिए ही पहनती हैं।‌‌‌इसके अलावा चूड़ियों को हिंदू समाज के अंदर सुहाग की निशानी माना जाता है। इस वजह से अधिकतर महिलाएं लाल रंग की चूड़ियां पहनती हैं। और वे पूरे जीवन काल के अंदर चूड़ियां पहने रखती हैं।और वैसे भी आजकल हर जगह पर अलग अलग प्रकार की चूड़िया पहनने का प्रचलन है। जैसे कहीं पर कांच की चूड़ियां ,कहीं पर ‌‌‌कांच और प्लास्टिक की चूड़ियां पहनी जाती हैं। वैसे आपको बतादें की आजकल सोने की चूड़ियां पहनने का प्रचलन काफी ज्यादा हो चुका है। हालांकि अधिकतर अमीर लोग सोने की चूड़ियां पहनना पसंद करते हैं।

चूड़ी बनाने वाले को क्या कहते है

‌‌‌बहुत बार आपके दिमाग मे यह प्रश्न आया होगा कि चूड़ी बनाने वाले को क्या कहते हैं। तो इस संदर्भ मे बतादें कि प्रचीन काल के समय अंग्रेजों के शासन काल से पहले कि बात करें तो उस समय चूड़ी बनाने का काम मणियार करते थे । और इस वजह से चूड़ी बनाने वालों को मणियार कहते हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि अब ‌‌‌चूड़ी बनाने का काम मणियार नहीं करते हों । अब भी चूड़ी बनाने का काम मणियार ही करते हैं। आप अपने आस पास के क्षेत्र के अंदर चूड़ी बनाने वालों के पास जाएंगे तो आपको पता चल जाएगा की चूड़ी बनाने का काम सिर्फ मणियार ही करते हैं। लेकिन वैसे आजकल धंधे के अंदर कोई विशेष वर्ग नहीं रह गया है। अब ‌‌‌सब्जी बेचने का काम सिर्फ माली लोग ही नहीं करते हैं। मुस्लमान और दूसरी कौम के लोग भी करते हैं।

‌‌‌चूड़ियों का महत्व

चूड़ियों का महत्व

‌‌‌दोस्तों प्राचीन काल से चले आ रहे अनेक रीति रीवाज हैं। जिनमे से कुछ को हम बेकार मानते हैं। जबकि सभी रीति रिवाज बेकार नहीं होते हैं। बहुत से ऐसे होते हैं जिनका अपना वैज्ञानिक महत्व होता है।और कुछ का सामाजिक महत्व भी होता है। चूड़ियां पनने का भी अपना महत्व है। ‌‌‌यदि आप सोचती हैं कि चूड़ियां पहनने का कोई फायदा नहीं है। यह एक फालतू चीज है। तो हम आपको नीचे चूड़ियां पनने के महत्व के बारे मे बता रहे हैं।

‌‌‌पति की लंबी उम्र के लिए

अधिकतर महिलाएं शादी के बाद चूड़ियां पहनती हैं। शादी के दिन तो महिलाएं लाल कलर की चूड़ियां पहनती हैं। जोकि सुहाग की निशानी मानी जाती है। वैसे आपने देखा होगा कि विवाह होने के बाद महिलाएं कभी भी बिना चूड़ियों के नहीं रहती हैं। इसकी वजह है विवाहित महिला जिसका ‌‌‌पति जिंदा हो वह बिना चूड़ियों के नहीं रहती है ।क्योंकि ऐसा करना अपशकुन माना जाता है। हालांकि यह सब विश्वास है। वास्तव मे ऐसा कुछ होता नहीं है। यह एक धार्मिक मान्यता मात्र है। ‌‌‌फिर भी हमारी नजर के अंदर यह महत्व तो होही जाता है।

‌‌‌सजने धजने के लिए

दोस्तों महिलाओं को सजना धजना काफी पसंद होता है। यदि महिलाएं बहुत कुछ करती भी हैं।और चूड़ियां पहनना भी उनके सजने धजने का एक हिस्सा हैं।आप खुद यह देख सकती हैं कि एक महिला जो बिना चूड़ियों के होती है और दूसरी चूड़ियां पहने होती है तो कौनसी महिला ज्यादा अच्छी लगेगी ? ‌‌‌यदि हम हाथों की सुंदरता की बात करें तो । निश्चिय रूप से चूड़ियां पहनने वाली महिला ज्यादा सुंदर लगेगी । तो दोस्तों चूड़िया पहनने का मकसद ज्यादा सुंदर दिखना भी होता है।

‌‌‌लंबी उम्र के लिए

कुछ महिलाएं सोने और चांदी से बनी चूड़ियां पहनती हैं। सोने और चांदी से बनी चूड़ियों के बारे मे यह कहा जाता है कि यह महिलाओं के लिए बलवर्धक होती हैं। और महिलाओं की लंबी उम्र के लिए होती हैं।आयुर्वेद के अंदर ही मान्यता लिखी हुई मिलती है। हालांकि यह कितनी सत्य है और ‌‌‌कितनी गलत है इस बारे मे कुछ कहा नहीं जा सकता है।

‌‌‌रंगों के प्रतीक के रूप मे

कुछ महिलाएं चूड़ियों को रंगों के प्रतीक के रूप मे भी पहनती हैं । लाल रंग प्रेम का प्रतीक माना जाता है। ऐसे रंग की चूड़ियां पनने से प्रेम बढ़ता है। जबकि हरे रंग को प्राक्रतिक का प्रतिक माना जाता है। यह घर के अंदर खुशहाली लाता है।

‌‌‌रक्त संचार को बेहतर

दोस्तों ऐसा माना जाता है कि चूड़ियां रक्त संचार को अच्छा बनाने का काम करती हैं। विज्ञान के अनुसार जब आप चूड़ियां पहनते हैं और काम करते हैं तो चूड़ियां आपके हाथों के अंदर उपर नीचे होती रहती हैं। जिससे चूड़ियों का त्वचा के साथ घर्षण पैदा होता है। यही घर्षण रक्त ‌‌‌संचार को बढ़ाने के लिए काफी फायदे मंद होता है।हालांकि जो महिलाएं एक दो चूड़ियां पहनती हैं।उनको कोई अच्छा फायदा नहीं मिल पाता है।

‌‌‌मानसिक संतुलन

दोस्तों कुछ लोग यह मानते हैं कि मानसिक संतुल को बनाए रखने मे भी चूड़ियां काफी योगदान करती हैं। इस वजह से चूड़ियों को पहनना चाहिए । जो महिलाएं हमेशा चूड़ियां पहने रखती हैं उनका मानसिक संतुलन काफी अधिक होता है। सो चूड़ियां पहनने का एक फायदा मानसिक संतुलन को बनाए रखना भी है।

‌‌‌नकारात्मक उर्जा से बचने के लिए

एक तरह से हमारे समाज के अंदर यह माना जाता है कि जो महिला चूड़ी नहीं पहनती है उसे अशुभ माना जाता है। क्योंकि उसे नकारात्मक उर्जा को बढ़ाने वाली के रूप मे संज्ञा दी जाती है। इस वजह से भी महिलाएं ज्यादा नहीं तो दोनों हाथों के अंदर एक एक चूड़ी पहनकर रखती हैं।

‌‌‌सुहाग की निशानी

जिस तरह से महिलाएं सुहाग की निशानी के रूप मे मांग भरती हैं ।उसी तरीके से सुहाग की निशानी के रूप मे चूड़ियां भी पहनती हैं। आपने देखा होगा कि विधवा महिलाएं चूड़ियां नहीं पहनती हैं। और यदि पहनती भी हैं तो सिंपल एक चूड़ी रखती हैं। सो चूड़ियां को सुहाग की निशानी से जोड़कर ‌‌‌देखे जाने की वजह से भी पहना जाता है।

‌‌‌फैशन

दोस्तों आजकल तरह तरह की डिजाइन की चूड़ियां मार्केट के अंदर आ चुकी हैं। और आज छोटी सी लड़की भी आपको चूड़ी पहने हुए दिख जाएगी । इसकी वजह है फैसन , लड़कियां खुद को मोर्डन दिखने के लिए चूड़ियां पहनती हैं। और वैसे भी यह आजकल एक फैसन बन गया है।

‌‌‌मानसिक और शारिरिक रूप से मजबूती

दरसअल अविवाहित कन्याएं भी चूड़ियां पहनती हैं। लड़कियां अपने हाथों के अंदर मात्र 2 से 3 चूड़ियां पहनती हैं। और ऐसा माना जाता है कि यह कम चूड़ियां लड़कियों को मानसिक और शारीरिक रूप से ताकतवर बनाने का काम करती हैं।

‌‌‌बुरी नजर से बचाना

बुरी नजर से बचाना

दोस्तों हिंदु धर्म के अनुसार विवाहित महिलाएं जोकि बहुत सारी चूड़ियां पहनती हैं। उसके भी अपने फायदे हैं। इसके अनुसार अधिक चूड़िया महिलाओं को बुरी नजर से बचाती हैं और क्योंकि इन से एक विशेष प्रकार की उर्जा का संचार होता है जो महिलाओं को नजर लगने की समस्या हल करती है।

वैसे यदि हम चूड़ियों पहनने के इतिहास की बात करें तो यह हजारों साल पुराना है। आर्य जब भारत मे आये तब से हिंदु धर्म आया और उसके बाद हिंदु धर्म के देवी चूड़ियां पहनती थी। बस इसी वजह से महिलाएं भी चूड़ियां पहनती हैं।इसके अलावा हमारे यहां पर तो यह भी मान्यता है कि विवाहित स्त्री के हाथ कभी खाली नहीं ‌‌‌होने चाहिए। इस वजह से आपने भी देखा होगा कि महिलाएं जब चूड़ियां पहनती हैं तो पहले पहने हुए दोनों हाथों की चूड़ियां एक साथ नहीं निकालती हैं। वरन पहले वे एक हाथ की चूड़ियां निकालती हैं। और उसके बाद दूसरे हाथ की चूड़िया निकालती तब जब वे पहले हाथ की चूड़ियां पहन लेती हैं।

‌‌‌इन सब चीजों के अलावा यह भी माना जाता है कि चूड़ी यदि अचानक से टूट जाए तो बहुत अधिक अशुभ होता है। जैसे आप कुछ काम कर रही हैं और आपकी कलाई की चूड़ी टूट कर गिर जाए किसी चोट की वजह से तो आपको टेंशन लेने की आवश्यकता है। और दरार पड़ी चूड़ी भी नहीं पहननी चाहिए । यह भी अशुभ होता है।

‌‌‌लाख की बनी चूड़ी पहनने का महत्व

लाख एक द्विव्य मांगलिक औषधी है। यह पिपल और प्लास जैसे पेड़ पर लगती है।और इससे बना चूड़ा पहनने से ब्लड प्रेसर और हर्ट रोग से निजात मिलती है।यदि कोई महिला लाख से बना चूड़ा पहनती है तो उसका स्वास्थ्य अच्छा रहता है।‌‌‌और परिवार के अंदर भी खुशहाली आती है।लाख सुहागिन के पति की रक्षा करती है। लाख माता पार्वती के द्वारा स्त्री को दिया हुआ आभूषण है जोकि स्त्री को अभागी होने से बचाता है।

‌कांच की चूड़ियां पहनने के फायदे

‌‌‌दोस्तों वैसे आजकल हमारी माताएं बहिने कांच की चूड़ियां बहुत ही कम पहनती हैं। इसकी वजह भी कई सारी हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि कांच की चूड़ियों को सम्भालना बहुत कठिन होता है। अक्सर थोड़ी सी सावधानी हटने पर यह झड़ जाती हैं।‌‌‌

और जैसा कि आप जानते ही हैं चूड़ियों का झड़ना अशुभ माना जाता है।‌‌‌ज्योतिष के अनुसार कांच की जुड़ी का संबंध चंद्रमा और ब्रहस्पति से होता है। यदि आप पीले रंग की चूड़ी पहनती हैं तो चंद्रमा और ब्रहस्पति आपस मे जुड़ गए।‌‌‌यह दोनों मिलकर सुख और सम्रद्वि को बढ़ाने का काम करते हैं। आजकल की महिलाओं के पास सुख की तो भारी कमी है। इसकी वजहहों मे से एक वजह कांच की चूड़ियों का प्रयोग  ना करना भी है।

‌‌‌अब यदि आप कांच से बनी चूड़ियों साल के अंदर कम से कम 5 से 6 बार नहीं पहनेंगी तो आप अपने जीवन से चंद्रमा के हिस्से को पूरी तरीके से काट देंगी । वह हिस्सा जो आपके सुख का बड़ा आधार होता है।‌‌‌कुछ ज्योतिषी यह बताते हैं कि महिलाओं को हर सप्ताह के दो दिन शुक्रवार और शनिवार को कांच की चूड़ी अवश्य ही पहननी चाहिए । क्योंकि ऐसा करने से आपके जीवन के अंदर चंद्रमा और ब्रहस्पति का प्रभाव अच्छा होगा । और जीवन के अंदर जो सुख की कमी है वह कभी नहीं होगी ।

‌‌‌चूड़ियां पहनते वक्त ध्यान रखने वाली बातें

दोस्तों बहुत सी हमारी माताओं और बहिनों को पता नहीं है कि चूड़ियों को पहनने का भी एक तरीका होता है। जिससे की उनका पहनना अच्छा फलदायी होता है।तो आइए जानते हैं। चूड़ियां पहनने से पहले ध्यान रखने योग्य कुछ बाते ।

  • ‌‌‌यदि कोई चूड़ी टूट जाए तो उनको 3 बार चूम कर डस्टबिन मे डाला जाना चाहिए ।
  • जो बहन और माताएं चिटकी हुई चूड़ियां पहनती हैं। उनके भाई और पिता कर्ज के अंदर डूबते जाते हैं। इस वजह से कभी भी चिटकी हुई चूड़ियां नहीं पहननी चाहिए।
  • ‌‌‌दोनो हाथों के अंदर चूड़ियां एक बराबर नहीं होनी चाहिए । मतलब यदि दोनों हाथों के अंदर एक बराबर चूड़ियां पहनना अशुभ माना जाता है।
  • ‌‌‌कभी भी मंगलवार के दिन चूड़ी ना पहने
  • बाल खोलकर चूड़ी पहनना अशुभ होता है।यदि बाल छोटें हैं तो आप बालों को ढक कर चूड़ी पहन सकती हैं।
  • कभी भी दहलीज पर बैठ कर चूड़ी नहीं पहनना चाहिए। दहलीज का मतलब जोकठ के आस पास की जगह होती है।
  • ‌‌‌गौधूली के समय चूड़ियां नहीं पहननी चाहिए । यदि रात को चूड़ियां पहनते हैं तो कोई समस्या नहीं है।
  • पूरी तरीके से हाथ को खाली करके चूड़ी ना पहने ।
  • मायेके से मिलने वाली चूड़ियों को पहनना बहुत अधिक शुभ होता है।
  • ‌‌‌अपनी पहनी हुई चूड़ियां किसी को उतार कर नादें ।क्योंकि यह अशुभ होता है।
  • चांदी की चूड़ियां सुहागिन महिलाएं ना पहनें । हां यदि आवश्यक हो तो केवल एक हाथ मे चांदी की चूड़ी पहन सकती हैं।
  • संतान की इच्छा रखने वाली महिलाओं को हीरा से जड़ित कंगन या चूड़ी नहीं पहननी चाहिए।
  • ‌‌‌कभी भी दक्षिण दिशा के अंदर मुख करके चूड़ियां ना पहने यह अशुभ होता है।
  • किसी को ना बोले की चूड़ियां अच्छी हैं या नहीं है ?
  • ननन्द को चूड़ियां देने से बहुत अधिक धर्म होता है।

चूड़ी बनाने वाले को क्या कहते है चूड़ियों का महत्व लेख आपको कैसा लगा। हम यकीन करते हैं कि आपको अच्छा लगा होगा । यदि आपकी कोई समस्या है तो आप नीचे कमेंट करें ।

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arif khan

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