9 june ko kya hai 9 जून को क्या मनाया जाता है

9 जून को क्या मनाया जाता है , 9 june ko kya hai  लीप वर्ष में, कैलेंडर में एक अतिरिक्त दिन जोड़ा जाता है। यह अतिरिक्त दिन, जिसे लीप डे कहा जाता है, 29 फरवरी है। ग्रेगोरियन कैलेंडर में हर चार साल में एक अतिरिक्त महीना होता है- फरवरी, मार्च, अप्रैल और अक्टूबर।

इस वर्ष, 2016, एक लीप वर्ष है। इसलिए, जून वर्ष का 160वां दिन (लीप वर्ष में 161वां) है। साल में 205 दिन शेष हैं।

9 june ko kya hai  के बारे मे हम इस लेख के अंदर बात करने वाले हैं। हम आपको बतादें कि 9 जून को आमतौर पर काफी कुछ होता है। और कई सारे दिवस 9 जून को मनाये जाते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । तो यहां पर हम कुछ घटनाओं का ब्यौरा दे रहे हैं जोकि आमतौर पर 9 जून को मनाया जाता है। इसके बारे मे  ‌‌‌आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । तो आइए जानते हैं इसके बारे मे विस्तार से यही आपके लिए सही होगा ।

Table of Contents

‌‌‌9 जून को मानाया जाता है कोरल ट्रायंगल डे

कोरल त्रिकोण दिवस इस क्षेत्र में सीमांत समुदायों की दुर्दशा पर ध्यान केंद्रित करने का दिन है, जिसमें बर्मा, थाईलैंड और लाओस शामिल हैं। यह शैक्षिक पैनल, संगीत कार्यक्रम और प्रदर्शनियों जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से किया जाता है। यह पहली बार 1988 में एक तिब्बती बौद्ध शिक्षक और विद्वान डॉ. चार्ल्स गेशे केलसांग ग्यात्सो द्वारा प्रस्तावित किया गया था।कोरल त्रिकोण दिवस प्रशांत महासागर के कोरल त्रिकोण क्षेत्र में मानव तस्करी और प्रवासी श्रमिकों के शोषण को समाप्त करने के लिए समर्पित जागरूकता और पालन का एक अंतरराष्ट्रीय दिवस है।

ला रियोजा डे (ला रियोजा) 9 जून को मनाया जाता है

9 june ko kya hai

ला रियोजा डे एक प्रकार का दिवस होता है जोकि स्पेन के अंदर बनाया जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और इस दिवस को सरकारी अस्पताल स्कूल और कॉलेज आदि की छूटी होती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।

  • ला रियोजा में रहने वाले कलाकारों के काम की प्रदर्शनी।
  • आधुनिक और पारंपरिक संगीत के संगीत कार्यक्रम।
  • सांप्रदायिक भोजन।
  • पारंपरिक व्यंजन और स्थानीय मदिरा का स्वाद।
  • खेल की घटनाए।

ला रियोजा डे के अंदर बहुत सारे लोग झंडे पहनते हैं और इसका झंड़ा विशेष रूप से लगाने का काम करते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं। इसके अलावा मकानों पर यहां तक की चहरे को भी रंगने का काम करते हैं।

ला रियोजा का दिन 9 जून को ला रियोजा के स्पेनिश स्वायत्त समुदाय में एक सार्वजनिक अवकाश है। इस तिथि पर सार्वजनिक जीवन आम तौर पर शांत रहता है। और आमतौर पर लगभग सभी तरह की दुकाने बंद रहती हैं। और आपको बतादें कि परिवहन के साधन जो होते हैं वे काफी कम चलते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस ‌‌‌बात को समझ सकते हैं।

मर्सिया डे (मर्सिया)

मर्सिया डे (मर्सिया) की यदि हम बात करें तो आपको बतादें कि यह स्पैन के अंदर मनाया जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। और इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और यही आपके लिए सही होगा ।

मर्सिया के क्षेत्र का दिन ( डिया डे ला रीजन डी मर्सिया ) 9 जून को मर्सिया, स्पेन के स्वायत्त समुदाय में एक वार्षिक सार्वजनिक अवकाश है। यह 9 जून को मर्सिया की स्वायत्तता के क़ानून की मंजूरी की सालगिरह का प्रतीक है।

मर्सिया डे के बारे मे आपको बतादें कि मर्सिया के लोग यहां पर कई  तरह के उत्सव को मनाने का काम करते हैं और उसके बाद वहां पर काफी चीजों का आयोजन किया जाता है। और अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाने की दिशा के अंदर काम करते हैं। आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।

खेल की घटनाए।

स्थानीय कला और शिल्प की प्रदर्शनी।

पारंपरिक खाद्य पदार्थों, वाइन और अन्य पेय पदार्थों का स्वाद।

पारंपरिक और आधुनिक संगीत की प्रस्तुति।

सांप्रदायिक भोजन।

‌‌‌इस दिन अवकाश होने की वजह से कुछ भी यातायात के साधन नहीं चलते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और इस दिन मर्सिया के झंडे का स्वायत्त समुदाय मर्सिया क्षेत्र के दिवस पर देखा जाता है। यह लाल रंग की पृष्ठभूमि पर एक ढाल और एक मुकुट दिखाता है। ढाल और मुकुट मिलकर मर्सिया के हथियारों का कोट बनाते हैं

नेशनल हीरोज डे (युगांडा)

नेशनल हीरोज डे को भी 9 जून को मनाया जाता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । यह दिन युगांडा के बुश युद्ध (1981 – 1986) में जान गंवाने वालों की याद में मनाया जाता है। राष्ट्रपति बनने से पहले ओबोटे एक सैन्य जनरल थे, और वह जल्दी ही अमीन के साथ विवाद में आ गए। 1978 में, अमीन ने ओबोटे के चचेरे भाई और प्रतिद्वंद्वी, प्रधान मंत्री अगोस्तिन्हो ओबियांग न्गुएमा को फांसी देने का आदेश दिया। इससे आबादी को गुस्सा आया और उन्होंने अमीन को चालू कर दिया। अक्टूबर 1979 में, ओबोटे की सेना ने राजधानी शहर कंपाला पर नियंत्रण कर लिया। अमीन सऊदी अरब भाग गया और बाद में सउदी द्वारा उसे शरण दी गई।

2006 – म्यूनिख में विश्व कप फ़ुटबाल की रंगारंग शुरुआत।

2006 म्यूनिख में विश्व कप फुटबॉल टूर्नामेंट के लिए एक रंगीन शुरुआत थी। दुनिया भर में, लोग अपने टीवी से चिपके हुए थे क्योंकि सभी टीमों ने प्रतिष्ठित ट्रॉफी के लिए प्रतिस्पर्धा की थी। टूर्नामेंट उत्साह से भरा हुआ था, और कोई भी अपनी पसंदीदा टीम के लिए मदद नहीं कर सकता था। दुर्भाग्य से, कुछ टीमों के निराशाजनक प्रदर्शन के कारण कई करीबी मैच हुए। अंत में, जर्मनी विजयी हुआ, और प्रशंसक उन्हें कप घर ले जाते देख खुश थे।

2001 – ईरान में मोहम्मद ख़ातमी की पुन: जीत, बेनजीर भुट्टो को तीन साल की सज़ा।

2001 में, मोहम्मद खातमी को ईरान के राष्ट्रपति के रूप में फिर से चुना गया। बेनजीर भुट्टो, जो तीन साल तक पाकिस्तान की प्रधान मंत्री रहीं, को इसके तुरंत बाद भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें मिली तीन साल की सजा इस बात का एक उल्लेखनीय उदाहरण है कि राजनीति और न्याय को व्यक्तिगत हित से प्रभावित किया जा सकता है।

भगवान बिरसा मुंडा जयन्ती

भगवान बिरसा मुंडा जयन्ती को भी 9 जून को ही मनाया जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं।

प्रतिष्ठित दक्षिण अफ्रीका के रंगभेद विरोधी प्रचारक बिरसा मुंडा का जन्म 1908 में ट्रांसकेई के एक छोटे से गांव में हुआ था। हाई स्कूल से स्नातक होने के बाद, मुंडा ने एक शिक्षक के रूप में काम करना शुरू किया और बाद में अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस यूथ लीग के सचिव के रूप में कार्य किया। 1944 में, मुंडा को उनकी सक्रियता के लिए गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। अंततः उन्हें रिहा कर दिया गया और 1960 से 1961 तक नेल्सन मंडेला के अधीन शिक्षा उप मंत्री के रूप में कार्य किया।

1897 से 1900 के बीच मुंडाओं  अंग्रेजों का संघर्ष चलता ही रहता था । और कई बार मुंडाओं ने अंग्रेजों को धूल चटाई थी । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । अगस्त 1897 में बिरसा के 400 लोगों ने खूंटी थाने पर धावा बोल दिया था। 1898 में तांगा नदी के किनारे मुंडाओं की भिड़ंत अंग्रेज सेनाओं से हुई जिसमें पहले तो अंग्रेजी सेना हार गयी ‌‌‌लेकिन उसके बाद कई सारे आदिवासियों को पकड़ लिया गया था।

जनवरी 1900 डोम्बरी पहाड़ पर एक काफी भयंकर संघर्ष हुआ था जिसके अंदर बहुत सारी औरतें और बच्चे मारे गए थे ।उसके बाद अंग्रेजों ने बिरसा के कुछ शिष्यों को भी पकड़ लिया था। 9 जून 1900 ई  को रांचि कारागार के अंदर बिरसा को जहर देकर मार दिया गया था। आज भी बिहार, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ और पश्चिम बंगाल के आदिवासी इलाकों में बिरसा मुण्डा को भगवान की तरह पूजा जाता है। बिरसा मुण्डा की समाधि राँची में कोकर के निकट डिस्टिलरी पुल के पास स्थित है

‌‌‌9 जून  1752- त्रिचुरापल्ली में फ्रांसिसि सेना ने अंग्रेजों के आगे आत्मसमर्पण कर दिया।

1752 में त्रिचुरापल्ली का इतिहास एक महत्वपूर्ण घटना से जुड़ा हुआ है, जो फ्रांसिसी सेना और ब्रिटिश सेना के बीच हुई थी।

इस समय, त्रिचुरापल्ली के राजा शाक्यटान ताम्पूरान ब्रिटिश और फ्रांसिसी के बीच एक संघर्ष के केंद्र में था। वह उन दोनों राष्ट्रों से सहयोग मांग रहा था, लेकिन दोनों दलों ने उसे अपने ध्येय से भटका दिया था।

इस संघर्ष के बीच, फ्रांसिसी सेना और उसके प्रमुख बर्ट्राम बॉर्वी, जिसे “द लफ़ब्रादर” के नाम से जाना जाता था, त्रिचुरापल्ली पहुंचे। वहां उन्होंने ब्रिटिश सेना के खिलाफ युद्ध करने के बजाय आत्मसमर्पण कर दिया।

‌‌‌9 जून 1898- चीन ने हॉँगकाँग को 98 वर्षों के लिए ब्रिटेन को लीज पर दिया।

9 जून 1898 को चीन ने हाँगकाँग को 98 वर्षों के लिए ब्रिटिश सरकार को लीज (lease) पर दे दिया था। इस समझौते के अनुसार, ब्रिटिश सरकार को अधिकार मिला कि वह हाँगकाँग क्षेत्र को 99 सालों के लिए संचालित कर सके। इस अवधि के बाद, हाँगकाँग को चीन सरकार को वापस कर देना था।

इस समझौते को बनाने के पीछे कई कारण थे। एक बड़ा कारण यह था कि चीन द्वारा समझौता करने की मुख्य इच्छा यह थी कि वह अपने संगठन को सुधारे और दुनिया के अन्य देशों के साथ अधिक संबंध बनाए। इसके अलावा, चीन ने यह भी सोचा था कि हाँगकाँग को लीज पर देने से वह अपने अर्थव्यवस्था को सुधार सकती है और उसे बढ़ावा मिल सकता है।

‌‌‌9 जून को 1923- बुल्गारिया में सैन्य तख्ता पलट। प्रधानमंत्री अलैक्जेंडर स्टैम्वलयिस्कि अउस्ट्स को 14 जून को मार डाला गया।

9 जून को क्या मनाया जाता है

14 अगस्त, 1923 को बुल्गारिया में एक सैन्य तख्तापलट हुआ, जिसके परिणामस्वरूप प्रधान मंत्री अलेक्जेंडर स्टैमवालिस्की की मृत्यु हो गई। तख्तापलट कर्नल वासिल लेव्स्की द्वारा किया गया था और सेना और ग्रामीण आबादी द्वारा समर्थित था। तख्तापलट के बाद, लेव्स्की प्रधान मंत्री बने और उन्होंने 1927 में अपनी मृत्यु तक बुल्गारिया पर लोहे की मुट्ठी से शासन किया। यह घटना महत्वपूर्ण है क्योंकि इसने बुल्गारिया में अस्थिरता और तानाशाही के दौर की शुरुआत को चिह्नित किया।

‌‌‌9 जून को 1934- कार्टून चरित्र डोनाल्ड डक पहली बार डिजनी वाँल द्वारा निर्मित एनिमेशन फिल्म द वाइज लिटिल हैन में दिखी

यह सही है। डोनाल्ड डक कार्टून चरित्र 1934 में बनाया गया था और उन्हें पहली बार 1934 में जारी की गई Disney के एनिमेशन फिल्म “The Wise Little Hen” में दिखाया गया था। इस फिल्म में डोनाल्ड डक के साथ, मिस्टर माउस और पीटी बर्ड भी थे। फिल्म एक बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानी थी, जो गेहूं की खेती के लिए साथ मिलकर काम करते हैं। डोनाल्ड डक ने अपनी भोलापन और गुस्से की वजह से फिल्म में अपने अंदाज में चर्चा का विषय बना।

‌‌‌9 जून को 1960- चीन में चक्रवाती तूफान मैरी के कारण 1600 लोगों की मृत्यु हो गई।

60 वर्षों के दौरान, चक्रवात मैरी ने चीन में 1600 लोगों की जान ले ली। प्राकृतिक आपदा विशेष रूप से विनाशकारी थी क्योंकि यह फसल के मौसम के दौरान आई थी, जिससे देश में पहले से ही व्याप्त भोजन की कमी बढ़ गई थी। मरने वालों की संख्या इस बात की याद दिलाती है कि चरम मौसम की घटनाओं के प्रति मानव आबादी कितनी कमजोर है।

तूफान मैरी 1960 के जून के 8 और 9 दिनों में चीन के फुजियान प्रांत में आया था। इससे उठी तबाही के कारण जानलेवा हादसे हो गए थे, जिसमें लाखों लोग अपने घरों के ढांचों से बेघर हो गए थे। तूफान से बचने के लिए लोग बेहतर जगहों में शरण लेने के लिए भागने की कोशिश करते रहे थे, लेकिन बहुत से लोग इससे बच नहीं पाए थे।

‌‌‌9 जून 1964- लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने।

9 जून 1964 को लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने। उन्होंने 15 जनवरी 1966 को अपनी मृत्यु तक पद संभाला। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने पड़ोसी देशों के साथ संबंध सुधारने और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए काम किया। विशेष रूप से, उन्होंने अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के निर्माण और कई विश्वविद्यालयों की स्थापना जैसी प्रमुख परियोजनाओं सहित देश के बुनियादी ढांचे के विकास के प्रयासों को निर्देशित किया।

‌‌‌9 जून  1975- ब्रिटेन की संसद की कार्यवाही का आम जनता के लिए सीधा प्रसारण शुरु हुआ।

1975 में, ब्रिटेन की संसद ने आम जनता के लिए अपनी कार्यवाही का सीधा प्रसारण शुरू किया। इसने सांसदों के काम करने और उनके घटकों की सेवा करने के तरीके में एक महत्वपूर्ण बदलाव को चिह्नित किया, और संसद को और अधिक लोकतांत्रिक भागीदारी के लिए खोल दिया।

2001- लिएंडर पेस और महेश भूपति की जोड़ी ने फ्रेंच ओपेन का युगल खिताब जीता।

2001 में लिएंडर पेस और महेश भूपति की जोड़ी ने फ्रेंच ओपन का डबल्स खिताब जीता था. यह कार्यक्रम पेरिस, फ्रांस में आयोजित किया गया था। यह दोनों खिलाड़ियों के लिए एक महत्वपूर्ण जीत थी क्योंकि इसने उन्हें स्टारडम के लिए प्रेरित किया। यह जीत विशेष रूप से उल्लेखनीय थी क्योंकि यह कई पर्यवेक्षकों के लिए एक आश्चर्य की बात थी, जिन्होंने सोचा था कि प्रतियोगिता के लिए अन्य टीमें बेहतर तरीके से तैयार थीं।

‌‌‌इस तरह से दोस्तों 9 जून को और भी कई सारी घटनाएं हुई थी ।जिसके बारे मे हम आपको बताने वाले हैं और हम यहां पर सभी उपयोगी घटनाओं की लिस्ट देने के बारे मे काम करेंगे । आप इस बात को समझ सकते हैं।

‌‌‌9 जून 1912 – वसंत देसाई – भारतीय फ़िल्म संगीतकार का ‌‌‌जन्म

वर्ष 1912 भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण वर्ष था। उस वर्ष, गुजरात, भारत में पैदा हुए एक संगीतकार और संगीत निर्देशक वसंत देसाई ने मूक फिल्म द मदर के लिए अपना पहला फिल्म स्कोर जारी किया। यह केवल एक उपयोगी और प्रशंसित करियर की शुरुआत थी, जिसमें श्री देसाई ने 170 से अधिक फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया, जिनमें से कई भारतीय सिनेमा की क्लासिक बनी हुई हैं। श्री।

1949 – किरण बेदी – भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी

किरण बेदी का जन्म 1949 में भारत में हुआ था और उन्होंने लेडी श्री राम कॉलेज से स्नातक किया, जो अब महिलाओं के लिए लेडी श्री राम कॉलेज है। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कानून का अध्ययन किया, और फिर 1975 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुईं। 1985 में, उन्होंने पुलिस महानिरीक्षक का पद प्राप्त किया और 1992 तक इस पद पर रहीं। 1992 से 1995 तक, उन्होंने उप-निरीक्षक के रूप में कार्य किया- पुलिस जनरल।

1981 – अनुष्का शंकर – भारतीय सितार वादक एवं पंडित रविशंकर की पुत्री

9 june ko kya hai

1981 अनुष्का शंकर के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष था, क्योंकि वह ग्रैमी पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय संगीतकार बनीं। एक संगीत परिवार में जन्मी अनुष्का ने चार साल की उम्र में सितार बजाना शुरू कर दिया था। अपने पिता और चाचा से प्रभावित होकर, उसने जल्दी ही एक सितार वादक के रूप में एक दुर्जेय प्रतिष्ठा विकसित की।

1976 – अमीषा पटेल, हिंदी चलचित्र अभिनेत्री

1976 में महेश भट्ट की रोमांटिक-ड्रामा, शोले में अमीषा पटेल की ब्रेकआउट फिल्म भूमिका रिलीज़ हुई। युवा अभिनेत्री जल्द ही भारत में एक घरेलू नाम बन गई और 1970 के दशक के अंत और 1980 के दशक की शुरुआत में कई सफल हिंदी फिल्मों में दिखाई दी। पटेल को अब हिंदी सिनेमा की अग्रणी अभिनेत्रियों में से एक माना जाता है और वे प्रमुख और सहायक दोनों भूमिकाओं में काम करना जारी रखती हैं।

1985 – सोनम कपूर, हिंदी चलचित्र अभिनेत्री

1985 में सोनम कपूर ने हाथी मेरे साथी फिल्म से हिंदी सिनेमा में डेब्यू किया। कपूर अब तक की सबसे लोकप्रिय और सफल हिंदी फिल्म अभिनेत्रियों में से एक बन गईं। दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, कभी खुशी कभी गम, और ये जवानी है दीवानी जैसी फिल्मों में उनके काम ने उनकी आलोचनात्मक प्रशंसा और तीन फिल्मफेयर पुरस्कारों सहित कई पुरस्कार प्राप्त किए हैं।

1913 – चौधरी दिगम्बर सिंह – स्वतंत्रता सेनानी और प्रसिद्ध नेता का जन्म

दिगंबर सिंह, जिन्हें बापू के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एक स्वतंत्रता सेनानी और नेता थे। उन्हें भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ 1857 के विद्रोह का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है। विद्रोह के असफल होने के बाद, वह ब्रिटिश-नियंत्रित कनाडा में निर्वासन में चला गया। वहां उन्होंने सिख धर्म की शुरुआत की और पहला मुफ्त सिख स्कूल खोला। 1919 में वे भारत लौट आए और दो साल बाद नई दिल्ली में उनकी मृत्यु हो गई।

1933 – अजित शंकर चौधरी – सुप्रसिद्ध भारतीय कवि, संस्मरणकार, कहानीकार, उपन्यासकार तथा सहृदय समीक्षक का जन्म

अजीत शंकर चौधरी एक प्रसिद्ध भारतीय कवि, संस्मरणकार, कहानीकार, उपन्यासकार और आलोचक हैं। उनका जन्म 1933 में उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में हुआ था। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अध्ययन किया और बाद में वर्जीनिया विश्वविद्यालय में भाग लिया। चौधरी के काम की उनके गीतात्मक और विचारोत्तेजक गुणों के लिए प्रशंसा की गई है। वह पद्म श्री और साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों के प्राप्तकर्ता हैं।

1909 – लक्ष्मण प्रसाद दुबे – छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता सेनानियों में से एक।

दुबे का जन्म 1909 में लंबानी, जिला राजनांदगांव, छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गाँव में हुआ था। 1930 के दशक की शुरुआत में, दुबे भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हो गए और ब्रिटिश विरोधी गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया और जेल भेजा गया, लेकिन उन्होंने आजादी की लड़ाई कभी नहीं छोड़ी। दुबे की 1967 में एक शिक्षक के रूप में काम करने के दौरान एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई।

1931 – नंदिनी सत्पथी – उड़ीसा की महिला मुख्यमंत्री तथा लेखिका।

1931 – नंदिनी सत्पथी उड़ीसा की एक महिला मुख्यमंत्री और लेखिका थीं। वह एक राजनीतिज्ञ के रूप में अपने काम के लिए और अपने उपन्यासों के लिए सबसे ज्यादा विख्यात हैं, जो आधुनिकता पर पारंपरिक समाज के प्रभावों का पता लगाते हैं। भारत में महिलाओं के सामने आने वाले मुद्दों की अंतर्दृष्टि और संवेदनशीलता के लिए सत्पथी के काम की प्रशंसा की गई है।

1942 – अनिल मनीभाई नाईक का जन्म

अनिल मणिभाई नाइक का जन्म 1942 में भारतीय राज्य गुजरात में हुआ था। वह भारतीय इंजीनियरिंग समूह, लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के संस्थापक और सीईओ के रूप में अपने काम के लिए जाने जाते हैं। नाइक परोपकार में भी सक्रिय रहे हैं, उन्होंने 1992 में नेशनल फाउंडेशन फॉर एजुकेशन एंड रिसर्च की स्थापना की और 2018 में अपनी मृत्यु तक इसके अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उस भूमिका में, उन्होंने वंचित पृष्ठभूमि के होनहार छात्रों के लिए शिक्षक प्रशिक्षण और छात्रवृत्ति जैसी पहलों का समर्थन करने में मदद की।

1959 – डॉ. किरण मार्टिन

1959 – डॉ. किरण मार्टिन एक डॉक्टर और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने अपना जीवन बच्चों की मदद करने के लिए समर्पित कर दिया है। उन्होंने विश्वविद्यालयों में अध्यापन के साथ-साथ कई अस्पतालों और क्लीनिकों में काम किया है। उन्हें उन बच्चों के साथ काम करने के लिए जाना जाता है, जिन्हें हिंसा या दुर्व्यवहार जैसी समस्याएँ हैं, और उन्हें समाज के अनुकूल बनाने में मदद करने के उनके प्रयासों के लिए जाना जाता है।

‌‌‌9 जून पर हुए निधन के बारे मे जानकारी

‌‌‌9 जून 1716 – बन्दा सिंह बहादुर, भारतीय सेना नायक का निधन

बंदा सिंह बहादुर, जिन्हें पिंडी लांसर के नाम से भी जाना जाता है, सबसे प्रसिद्ध भारतीय सैन्य नायकों में से एक हैं। वह एक बहादुर और करिश्माई सैनिक थे जिन्होंने 1857 के विद्रोह में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। विद्रोहियों के हारने के बाद, उन्होंने 1858 में पकड़े जाने तक ब्रिटिश सेना के खिलाफ लड़ाई जारी रखी। उसके बाद उनके अपराधों के लिए मुकदमा चलाया गया और उन्हें मार दिया गया। बंदा सिंह बहादुर को अब भारत में एक राष्ट्रीय नायक माना जाता है।

1990 – असद भोपाली – गीतकार का निधन

भोपाली को अपनी पीढ़ी के सबसे प्रशंसित और प्रसिद्ध गीतकारों में से एक के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। 1970 में मुंबई, भारत में जन्मे, उन्होंने कम उम्र में विज्ञापनों और फिल्मों के लिए गीत लिखते हुए अपना करियर शुरू किया। 1990 में, उन्होंने अपना पहला एल्बम रिलीज़ किया, जिसमें लोकप्रिय एकल “तुम ही हो” था। भोपाली का काम 1990 के दशक के भारत के जटिल और भावुक राजनीतिक परिदृश्य को दर्शाता है।

1991 – राज खोसला- हिंदी चलचित्र निर्देशक (मैं तुलसी तेरे आँगन की)

अमित रे को हमारे समय के सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली फिल्म निर्माताओं में से एक कहा जाता है। उनकी फिल्में एक निडर, अडिग ईमानदारी के साथ मानवीय स्थिति का पता लगाती हैं। 1951 में जन्मे, राज खोसला एक हिंदी फिल्म निर्देशक हैं जो अपने उत्तेजक और विचारोत्तेजक काम के लिए जाने जाते हैं। उनकी 1991 की फिल्म, मैं तुलसी तेरे आंगन की, एक युवा महिला की कहानी बताती है जो एक अक्षम्य दुनिया में अपना रास्ता खोजने की कोशिश कर रही है।

1993 – सत्येन बोस – हिन्दी फ़िल्म निर्देशक

1993 हिंदी फिल्म निर्देशक सत्येन बोस के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष था। उन्होंने समीक्षकों द्वारा प्रशंसित फिल्म ‘आशिक बनाया आपने’ का निर्देशन किया। इस फिल्म ने कई पुरस्कार जीते और इसे अब तक की सबसे महान हिंदी फिल्मों में से एक माना जाता है। इस साक्षात्कार में, सत्येन ने अपने करियर और कैसे वे एक सफल फिल्म निर्देशक बने, के बारे में चर्चा की।

2011 – मकबूल फ़िदा हुसैन – फ़िल्म निर्देशक, राजनीतिज्ञ, कलाकार, पटकथा लेखक, फ़िल्म निर्माता,

मकबूल फिदा हुसैन एक पाकिस्तानी फिल्म निर्देशक, राजनीतिज्ञ, कलाकार, पटकथा लेखक, फिल्म निर्माता और फोटोग्राफर हैं। उन्हें सिनेमा में उनके काम के लिए कई प्रशंसाओं से सम्मानित किया गया है, जिसमें 2005 में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 2006 में कला में उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार शामिल हैं। उन्हें 2009 में न्यूज़वीक पत्रिका द्वारा दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली मुसलमानों में से एक नामित किया गया था।

2018 – ललितेश्वर प्रसाद शाही- भारतीय राज नेता ‌‌‌निधन

प्रसाद शाही का जन्म 1885 में भारत के उड़ीसा के एक छोटे से गाँव में हुआ था। उन्होंने स्थानीय स्कूल और फिर कटक के हिंदू कॉलेज में अध्ययन किया। स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद, उन्होंने एक स्कूली शिक्षक के रूप में काम किया और बाद में राज्य द्वारा संचालित अखबार द उड़ीसा टाइम्स के संपादक बने। 1921 में, प्रसाद शाही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के लिए चुने गए और कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया।

1995 – एन.जी. रंगा – भारत के स्वतंत्रता सेनानी, सांसद तथा प्रसिद्ध किसान नेता

एन.जी. रंगा का जन्म 1881 में दक्षिण भारत में तमिलनाडु राज्य के एक छोटे से गाँव में हुआ था। उन्होंने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी और एक सांसद और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के नेता के रूप में कार्य किया। 1937 में, उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 1970 में उनका निधन हो गया।

1994 – धीरेन्द्र ब्रह्मचारी – भारतीय योगाचार्य थे।

धीरेंद्र ब्रह्मचारी का जन्म 1934 में, भारत के महाराष्ट्र राज्य के छोटे से शहर ब्रह्मगिरी में हुआ था। 1974 में, वे योग के शिक्षक और एक आध्यात्मिक नेता के रूप में प्रसिद्ध हुए। उन्हें पर्यावरणवाद और पशु अधिकारों की ओर से उनके काम के लिए भी जाना जाता है। 1994 में, 73 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।

1990 – असद भोपाली – प्रसिद्ध गीतकार और शायर

1990 – असद भोपाली एक प्रसिद्ध गीतकार और कवि थे। उन्हें व्यापक रूप से 20वीं शताब्दी के महानतम कवियों में से एक माना जाता है। उनकी कुछ सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में कविताओं का संग्रह, सोहराब और रुस्तम और उपन्यास, द स्टोरी ऑफ़ क़मर अल-दीन शामिल हैं। भोपाली एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद भी थे, जो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति और इसके अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे।

1931 – हरि किशन सरहदी – भारत के प्रसिद्ध शहीद स्वतंत्रता सेनानी।

1931 – हरि किशन सरहदी, जिन्हें शहीद-ए-आज़म के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत की आज़ादी के लिए संघर्ष किया। उन्हें भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने के लिए 1951 में 34 साल की उम्र में अंग्रेजों द्वारा मार दिया गया था। उनकी शहादत ने ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ भारतीय प्रतिरोध को प्रेरित करने और भारत के सबसे प्रसिद्ध नायकों में से एक के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत करने में मदद की।

‌‌‌इस तरह से दोस्तों इस लेख के अंदर हमने 9 जून को होने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे मे विशेष तौर पर जाना और उम्मीद करते हैं कि आपको यह पसंद आएगा  । और यदि आपका कोई सवाल है तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं।

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arif khan

‌‌‌हैलो फ्रेंड मेरा नाम arif khan है और मुझे लिखना सबसे अधिक पसंद है। इस ब्लॉग पर मैं अपने विचार शैयर करता हूं । यदि आपको यह ब्लॉग अच्छा लगता है तो कमेंट करें और अपने फ्रेंड के साथ शैयर करें ।‌‌‌मैंने आज से लगभग 10 साल पहले लिखना शूरू किया था। अब रोजाना लिखता रहता हूं । ‌‌‌असल मे मैं अधिकतर जनरल विषयों पर लिखना पसंद करता हूं। और अधिकतर न्यूज और सामान्य विषयों के बारे मे लिखता हूं ।