ziddi bacho ko kaise samjhaye ? ‌‌‌सबसे आसान psychology trick

‌‌‌जिन माता पिता के जिद्दी ‌‌‌बच्चे हो जाते हैं। उनके मन मे एक सवाल अवश्य ही आता है कि जिद्दी बच्चों को कैसे समझाया जाए ziddi bacho ko kaise samjhaye जिद्दी बच्चों को सुधारने के उपाय।यदि आप किसी बच्चे को समझाना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले उसके मनोविज्ञान को अच्छे तरीके से समझना होगा । यदि आप ऐसा कर पाए तो हम इस बात की गारंटी देते हैं कि आप उसे ‌‌‌आसानी से समझा पाएंगे । दोस्तों आपको बतादें कि जन्म से ही कोई बच्चा जिद्दी नहीं होता है। आमतौर पर हमारे अंदर इस समझ की कमी रहती है कि क्या करने से बच्चा जिद्दी हो जाता है ? बस हम सब कुछ एक मसीन की भांति करते चले जाते हैं।

‌‌‌हम ज्यादा कुछ यह जानने की कोशिश नहीं करते हैं कि बच्चे पर किसी चीज का बुरा असर हो सकता है। उदाहरण के लिए कुछ माता पिता पहले पहले तो उसे हर चीज लाकर देते हैं। और उसे इसी तरह की आदत पड़ जाती है।उसे यही लगता है की सब कुछ लाना संभव है। ‌‌‌उसे यह पता नहीं होता है कि सब कुछ लाना संभव नहीं है। बस उसे यही विश्वास हो जाता है ।

ziddi bacho ko kaise samjhaye

और जब वह आप से कुछ मांग करता है तो आप उसे लाकर नहीं देते और फिर वह इसकी जिद पकड़ता जाता है। यह कई चीजों मे धीरे धीरे या एक साथ हो सकता है।

‌‌‌हमारे यहां पर लक्षिता नामक एक छोटी बच्ची है जो अभी 2 साल की है। उसे आज तक यही सीखाया गया है कि जब तक वह रोएगी नहीं उसे कुछ फायदा नहीं होगा । वह इस एक ही कंडिशन के अंदर हमेशा रही है। वह जब रोती है तो उसकी मॉम उसे कुछ खिलाने पिलाने की चीजे लाकर देदेती है। ‌‌‌लेकिन अब वह समझ चुकी है कि रोने से उसका फायदा होने वाला है और जिद पकड़ लेती है।

‌‌‌इसमे उस लड़की की गलती नहीं है। उसे सिखाया ही इसी तरीके से गया है। ‌‌‌यह तो बच्चों के जिद पकड़ने का एक मात्र तरीका नहीं है। और भी बहुत सारे तरीके हैं। हालांकि इस लेख के अंदर हम यह बात नहीं करेंगे कि बच्चे किस वजह से जिद्दी हो जाते हैं ? हम बस इतना बात करेंगे कि जिद्दी बच्चों को कैसे समझाएं या दूर करें ।

Table of Contents

जिद्दी बच्चों को कैसे समझाया जाता है जिद्दी बच्चों को सुधारने के उपाय जिद्दी बच्चों के प्रकार

‌‌‌जैसा कि आपको पता होगा कि हर बच्चों मे  जिद्दीपन अलग अलग हो सकता है। इसी जिद्दीपन के आधार पर हमने इनको प्रकारों मे बांट दिया है। इसका फायदा यह है कि आप आसानी से यह समझ सकते हैं कि आपका बच्च किस स्टेज के अंदर है।

और उसी के आधार पर आप उपाय कर सकते हैं। इसके लिए आप चाहें तो किसी मनोवैज्ञानिक ‌‌‌की मदद ले सकते हैं या फिर आप खुद भी अपने बच्चों को सुधार सकते हैं। ‌‌‌स्टेज के अंदर बांटना इसलिए आवश्यक है क्योंकि जिद्दीपन भी एक मानसिक रोग की तरह होता है और वह किस स्टेज के अंदर है उसी हिसाब से उपचार की विधियों का प्रयोग किया जाना आवश्यक होता है।

‌‌‌आम जिद्दी बच्चे

‌‌‌आम जिद्दी बच्चे बहुत सारे होते हैं। आम जिद्दी बच्चे अपने माता पिता के लिए कोई परेशानी खड़ी नहीं करते हैं। वे केवल कुछ चीजों पर ही जिद करते हैं। हर प्रकार की चीजों पर जिद नहीं करते हैं। और मनमर्जी नहीं होते हैं। उदाहरण के लिए ‌‌‌कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो स्कूल जाने से पहले कुछ पैसे अपने माता पिता से लेते हैं और वे सिर्फ इसके लिए ही जिद पकड़ते हैं। इसके अलावा वे अपने माता पिता की हर बात मान लेते हैं। ‌‌‌यह बच्चे

कपड़े या खाने पिने की वस्तुएं या कोई और चीज बस इनसे हटकर वे जिद पर नहीं जाते हैं। ‌‌‌यदि आपका बच्चा इस स्टेज के अंदर आ गया है तो आप अपने बच्चे को जिद्दी बच्चे बनाने जा रहे हैं। लेकिन आपकी जानकारी के लिए बतादें कि कुछ माता पिता अपने बच्चे को इसी स्टेज के अंदर बना रखते हैं।

‌‌‌क्योंकि वे अपने बच्चे की अन्य जिद को पूरा नहीं करते हैं। और यह बात बच्चा भी जान लेता है। उसके बाद वह अपने आप ही दूसरी चीजों पर जिद करना छोड़ देता है।

‌‌‌ज्यादा जिद्दी बच्चे

दोस्तों जो बच्चे लगभग 50 प्रतिशत चीजों पर जिद करने लग जाते हैं। वो काफी ज्यादा जिद्दी बच्चों के अंदर आते हैं। यदि आपका बच्चा इस स्टेज के अंदर आ चुका है तो इसका मतलब यह कि आप अपने बच्चे को और अधिक बिगाड़ने पर लगे हुए हैं। और हो सकता है आने वाले समय मे आपके बच्चो को ‌‌‌इसका बहुत अधिक खामियाजा भुगतना पड़े । सो इसको कंट्रोल करना आवश्यक होगा ।

‌‌‌यदि कोई बच्चा इस स्टेज के अंदर पहुंच जाता है तो उसकी पहचान यह है कि उसके लिए कोई फिक्स चीजें नहीं होगी जिद करने के लिए वह अपने ऐरिया से भी क्रोस कर सकता है। जैसे आप अपने बच्चे को कोई सामान लाने के लिए कहें और वह बिना किसी कारण के आपको मना कर सकता है या आपकी बात मानने से इनकार कर सकता ‌‌‌है।

‌‌‌इस तरह के बच्चे अपनी मन की लगभग हर कामना को पूरा करने के लिए जिद करने लगेंगे और आपको धमकी भी दे सकते हैं। कुछ बच्चे अपनी जिद को पुरा करने के लिए अपने माता पिता को ही मारने लग जाते हैं जो बहुत बुरी स्थिति है।

‌‌‌यदि आपका बच्चा बात बात पर जिद करता है तो आपके बच्चे के लिए यह डेंजर स्टेज है। और आपको तुरन्त ही अपने बच्चे का मानसिक उपचार करने की आवश्यकता है।

‌‌‌बहुत ज्यादा जिद्दी बच्चे

‌‌‌यदि आपका बच्चा इस स्टेज मे पहुंच चुका है तो आपको उसका तुरन्त ही उपचार करवाना होगा वरना वह आपके हाथ से निकल सकता है। क्योंकि इस स्टेज के अंदर आपका बच्चा तब आता है जब वह 50 प्रतिशत से अधि जिदी हो जाता है।

‌‌‌और यदि आप अपने बच्चे के जिद्दीपन को रोकने का कोई उपाय नहीं करते हैं तो उसके बाद स्थिति और अधिक गम्भीर हो जाती है। आप अपने बच्चे मे होने वाले बदलावों को नोटिस कर सकते हैं कि उसके अंदर जिद्दीपन दिन ब दिन आगे बढ़ रहा है या कम हो रहा है। और यदि यह आगे बढ़ रहा है तो फिर ‌‌‌ आपके बच्चे को और मानसिक उपचार की आवश्यकता हो सकती है।

‌‌‌जिद के इस स्तर पर पहुंचा बच्चा वापस लौटना बहुत ही कठिन होता है। और यदि आप उसका सही से उपचार नहीं करवाएंगे तो वह आगे चलकर अपने जीवन को नष्ट कर सकता है।

‌‌‌इस तरह के बच्चे केवल अपने मन की करते हैं। बस वे दूसरों को सुनते हैं तो उसमे भी अपना फायदा देखते हैं। इस बात के बहुत कम चांस होते हैं कि वे दूसरो की बात माने । यदि आपका बच्चा 80 प्रतिशत से अधिक जिद्दी  हो जाता है तो उसको सुधारना आपके लिए बहुत अधिक कठिन हो जाएगा । क्योंकि उसे किसी भी ‌‌‌चीज का डर नहीं लगेगा ।

‌‌‌और यदि आपका बच्चा 100 प्रतिशत जिदी हो जाता है तो आप का डर उसके अंदर रहेगा ही नहीं । यहां तक कि उसे किसी की कोई परवाह नहीं होगी ।

जिद्दी बच्चों को कैसे सही करें जिद्द बच्चों के दिमाग मे किस तरह से काम करती है?

‌‌‌जैसा कि हमने आपको बताया । बच्चों के अंदर उतनी सोचने और समझने की क्षमता नहीं होती है। इसी वजह से वे जिदी हो जाते हैं। जैसे आप अपने बच्चे को रोजाना चॉकलेट खाने के लिए देते हैं। लेकिन एक दिन आपके पास पैसे नहीं हैं अब आप बच्चे को यह कैसे समझाएंगे कि ‌‌‌आपके पास पैसे नहीं हैं? ‌‌‌यदि यह पहली बार हो रहा है तो बच्चा जिद नहीं पकड़ेगा । और उसके बाद हर बार ऐसा करते रहेंगे ।

‌‌‌और यदि आप बच्चे को बीच मे आप चॉकलेट देना बंद करते हैं तो वह आपसे द्रढ़ता से इसकी मांग करेगा । कहने का मतलब यह है कि वह जिद पकड़ेगा लेकिन कुछ माता पिता ऐसी स्थिति के अंदर उसे डरा देते हैं। अब यदि किसी वजह से बच्चा डरना बंद हो जाए तो आप उसकी मांग को रोकेगें कैसे यह अब जिद बन जाएगी । जिद इसी तरीके से काम करती है। लगभग इसी तरीके से बड़ों की जिद काम करती है।यह एक बहुत सरल उदाहरण है।

‌‌‌हम किसी जिद को दबाने के लिए उसी बच्चे की दूसरी कमजोरी को उसी के विरूद्व लाकर खड़ा कर देते हैं। मतलब दोनों के बीच एक कनेक्सन की तरह इस्तेमाल करते हैं। इसी तरह से मानव का स्वाभाव काम करता है।

‌‌‌यदि आप बच्चे के दिमाग के अंदर उपर दिया हुआ डाइग्राम बार बार पूर्णकरेंगे तो यह उसके अंदर जिद पैदा करने की स्थिति पैदा करदेगा । यह सिर्फ एक चीज के साथ बने या कई चीजों के साथ बने इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा । ‌‌‌यदि ज्यादा चीजों के साथ ऐसा हो रहा है तो बच्चा ज्यादा जिदी हो सकता है।

D = dimand

S = satisfaction

SD = stop dimand use other effect

‌‌‌आप जो उपर चित्र देख रहे हैं ।उसका मतलब हम आपको बतादेंते हैं। आमतौर पर माता पिता अपने बच्चे की जिद को रोकने के लिए उसे किस चीज का डर दिखाते हैं।यह डर SD ही होता है। मांग के बारे मे आपको पता ही होगा बच्चा किसी चीज को लेने की जिद करता है। और S का मतलब मांग की पूर्णता है।‌‌‌अब यदि SD नहीं मिलता है तो फिर बच्चा जिदी हो जाता है। यह किस तरह से काम करता है। आप समझ ही चुके होंगे ।

‌‌‌ जिद्दी बच्चों को कैसे समझाया जाता है ?जिद्दी बच्चों को सुधारने के उपाय जिद्द ‌‌‌को खत्म करने के नियम

जिद्द ‌‌‌को खत्म करने के नियम

वैसे तो हर प्रकार के बच्चे को समझाने के लिए लगभग एक जैसी ही प्रक्रिया करनी होती है। लेकिन यदि आपका बच्चा एक आम जिद्दी बच्चा है तो उसको सुधारना काफी आसान होता है। जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं। ‌‌‌किसी भी बच्चे को सुधारने का सामान्य नियम क्या है ? सबसे पहले वही जान लेते हैं । वह हर प्रकार के जिद्दी बच्चों के लिए काम करता है।

‌‌‌ शुन्य प्रतिबंध की दशा बच्चों की जिद्द के सामने उससे भी पॉवर फुल प्रभाव को प्रकट कर देने से उस जिद्द का अपने आप ही समापन हो जाता है।

‌‌‌यह नियम हर इंसान के उपर काम करता है। यदि आप किसी की भी जिद को तोड़ना चाहते हैं तो आप उसके उपर यह नियम अप्लाई करदेंगे तो वह जिद करने से अपने आप ही रूक जाएगा ।‌‌‌लेकिन देखने मे यह आपको बहुत ही सरल लगता है लेकिन इसको अप्लाई करना इतना आसान नहीं होता है।लेकिन यदि आपको ट्रिक पता है तो आपके लिए ऐसा करना बहुत आसान हो जाता है।

‌‌‌इस नियम के अंदर एक शब्द आया है और वो यह है कि शुन्य प्रतिबंध जिसका अर्थ है कि नियम उसी दशा मे काम करेगा जिस दशा मे व्यक्ति के अंदर जिद के अलावा कुछ नहीं होगा । मतलब उस जिद को जारी रखने का सही कारण होगा और व्यक्ति इसके अलावा इसमे कोई फेरबदल नहीं किया हो।

‌‌‌एक आम जिदी बच्चे पर इस नियम को सरलता से लागू किया जा सकता है तो आइए इस नियम की मदद से एक जिददी बच्चे की जिद  को कैसे समाप्त करते हैं। ‌‌‌ध्यान दें यह नियम जिद को रोक सकता है । किसी के दिमाग से गायब नहीं कर सकता है। मतलब यह एक अस्थाई समाधान है। स्थाई समाधान यह नहीं है।

‌‌‌आइए इसको एक उदाहरण से समझने का प्रयास करते हैं।

‌‌‌मानलिजिए आपका बच्चा कह रहा है कि वह स्कूल नहीं जाएगा क्योंकि आप उसे कुछ अतिरिक्त पैसे नहीं देते हो । लेकिन आप बिना पैसे दिये उसे स्कूल भेजना चाहते हैं लेकिन वह नहीं जा रहा है तो अब इस बच्चे पर आप यह नियम अप्लाई करते हैं। ‌‌‌अब आप उसकी पिटाई कर देते हैं। पिटाई करने से पहले आपको पता है कि ऐसा करने से वह डर जाएगा तो आप बच्चे की जिद के सामने दूसरा प्रभावशाली प्रभाव पैदा कर रहे  हैं। SD का मतलब उसी प्रभाव से है। ‌‌‌यह नियम यही कहता है कि आपको बच्चे की जिद को रोकने के लिए उसकी ऐसी कमजोरी देखनी है जिसके आगे बच्चा झुक जाए या उसकी जिद झुक जाए ।

‌‌‌उपर आपने देखा कि बच्चे को डरा कर चुप करा दिया । और वज जिद बच्चा बाहर से बंद कर देता है लेकिन अंदर से बंद नहीं कर पाता और जब अंदर से बंद नहीं करेगा तो वह कभी भी वापस बाहर आ सकती है।

‌‌‌एक अन्य उदाहरण मे एक बच्चा स्कूल नहीं जाने की जिद करता है तो उसके माता पिता उसे इसके लिए बहुत मनाते हैं। लेकिन वे उसे मारते नहीं हैं अब वे उसे किसी के प्यार का वास्ता देकर स्कूल भेज देते हैं या वे उसके दोस्तों को बुलाकर उसे स्कूल भेज देते हैं। लेकिन इस तरीके के अंदर भी आप देख सकते हैं। ‌‌‌बच्चे के मन से स्कूल न जाने का विचार जो जिद बन गया है वह पूरी तरह से दबता नहीं है। जिसको नष्ट होना कह सकते हैं।

जिद्द के प्रथम नियम को हम इस तरह से समझ सकते हैं कि दो ट्रेक्टर हैं जो एक दिसा मे चल रहे हैं और आप उन दोनों ट्रेक्टरों के विपरित दिशा मे दूसरा ट्रेक्टर बांध देते हैं। और उनको खींचते हैं। लेकिन वे भले ही काम नहीं करेंगे ।लेकिन जैसे ही रस्सी को खोला जाएगा वे वापस उसी दिसा के अंदर जा सकते हैं।

जिद्द को खत्म करने के  का  नियम 2

‌‌‌जिद का पहला नियम यह कहता है कि किसी भी जिद के विपरित दिशा मे एक प्रभावी प्रभाव लगाओ और जिद दब जाएगी । यह जिद के खत्म होने की गारंटी नहीं देता है।लेकिन ‌‌‌जिद का दूसरा नियम आपको इसकी गारंटी देता है।

‌‌‌शुन्य प्रतिबंध की दशा मे किसी भी जिद्द स्त्रोत के विपरित दिशामे जिद्द प्रभावों से अधिक पॉवर फुल प्रभाव को बांध दिया जाए तो जिद पॉवर फुल प्रभाव की प्रभावशीलता समय तक स्थिर हो जाती है।

‌‌‌यह नियम आपके बच्चे के दिमाग से जिद को पूरी तरह से समाप्त कर देता है। यह नियम कहता है कि आपके बच्चे के दिमाग से जिद को निकालने के लिए उससे अधिक प्रभावी प्रतिबंध आपको उसके दिमाग मे बिठाना होगा ।यदि आप ऐसा करने मे सक्षम रहे तो उस प्रतिबंध के प्रभावी रहने तक आपका बच्चा कम से कम उस ‌‌‌जिद को नहीं पकड़े का जिसके उपर आपने प्रतिबंध लगा दिया है।

‌‌‌यह नियम आप आम जिदी बच्चों पर लगा सकते हैं। बेहतर तरीके से काम करेगा ।‌‌‌इस नियम को समझने के लिए आइए एक उदाहरण का प्रयोग करते हैं।

‌‌‌एक बच्चा टीवी देखने की जिद कर रहा है और वह काफी समझदार भी है। उसके माता पिता चाहते हैं कि वह पढ़ाई करें तो सबसे पहले वे उसे समझाते हैं लेकिन वह नहीं मानता है।

उसके बाद वे उसे इस बात का डर दिखलाते हैं कि वह परिक्षा मे फैल हो जाएगा ।उसके बाद यह होगा वो होगा और अंत मे वह यह मान लेता है।‌‌‌मतलब उसके दिमाग मे यह बात बठाई जाती है। जिदी के इस नियम के अंदर बच्चे के दिमाग मे यह बैठा दिया जाता है कि जिद बुरी है।उसके बाद जिद की जड़ मानसिक रूप से समाप्त हो जाती है।

‌‌‌यह नियम तुरन्त काम नहीं करता है। एक माता पिता को अपने बच्चे के दिमाग मे यह सब बैठाने के लिए हर चीज का सहारा लेना पड़ता है।

‌‌‌इस इस नियम का प्रयोग करने वाली एक दिलचस्प रियल घटना के बारे मे हम आपको बताते हैं।

दोस्तों नरेंद्र नामक एक लड़का था और वह वैसे तो काफी बड़ा था लेकिन उसके अंदर जिद करने की प्रव्रति थी ।‌‌‌वह सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा था। लेकिन वह कई बार एग्जाम दे चुका था पर नंबर नहीं आया । एक के बाद एक उसके साथ वाले सरकारी नौकरी मे चयन होते गए ।

‌‌‌अपने खुद की असफलता की वजह से वह हीनभावना से ग्रस्ति हो गया और पढ़ना बंद कर दिया । उसके माता पिता कहते तो वह बोलता नहीं पढ़ना है।‌‌‌उसके माता पिता ने बहुत समझाया किंतु वह जिद पर अड़ा रहा कि उसे नहीं पढ़ना है। बस उसके बाद उसके माता पिता ने एक युक्ति चली ।

‌‌‌उसके माता पिता ने ऐसा क्रत्रिम माहोल पैदा कर दिया कि उससे जो भी लड़का मिलता वह यही कहता कि वह कुछ नहीं कर सकता । उसके साथ वाले कबके नौकरी लग गए ।‌‌‌

फिर क्या था ।उसे इस तरह की बाते चुभने लगी और उसने वापस निश्चिय किया की वह नौकरी लगेगा और आज वह नौकरी लग चुका है। कहने का मतलब है कि यह किसी भी जिद को तोड़ने के लिए उसके विपरित दिसा मे मारो बस काम हो जाएगा ।‌‌‌यह नियम इंसान की मानसिक स्थिति को बदल देता है। जो कि सबसे बेस्ट स्थिति मे से एक है।

‌‌‌इस नियम मे जरूरी नहीं है कि आप जिद को नियंत्रित करने के लिए पॉजिटिव प्रभावों का ही उपयोग करों आप चाहों तो नगेटिव प्रभावों का भी उपयोग कर सकते हो । बस प्रभाव ऐसा होना चाहिए कि स्वभाव बदल जाए ।

‌‌‌आप पॉवर फुल प्रभाव को एक कणों के रूप मे सामने ला सकते हो या फिर एक साथ ।‌‌‌उदाहरण के लिए तराजू के एक तरफ जिदी स्वभाव या उसके प्रभाव बैठे हैं और दूसरी तरफ कुछ नहीं है । अब आपको करना यह है कि तराजू के दूसरे भाग मे कुछ रखते जाना है। और जब यह जिद से भारी हो जाएगा तो   जिद अपने आप ही भाग जाएगी ।‌‌‌तराजू मे बाट रखने के दो तरीके हो सकते हैं। पहला आप एक साथ बाट रख सकते हैं और दूसरा आप एक एक करके रख सकते हैं।

जिद्द को खत्म करने के  का  नियम 3

जिद्द को खत्म करने के  का  नियम 3

दोस्तों उपर जो नियम दिये गए हैं और इस नियम के अंदर काफी अंतर है। यह नियम इस प्रकार से है।

‌‌‌शुन्य प्रतिबंध की दशा मे जिद के रचात्मक प्रभाव को काट दिया जाए तो उसका अंत हो जाता है।

‌‌‌शुन्य प्रतिबंध की दशा के बारे मे हम पहले बात कर चुके हैं। अब हम बात करते हैं कि रचात्मक प्रभाव क्या होता है। दोस्तों बच्चों मे जिद का रचात्मक प्रभाव पॉजिटिव ही होता है। वैसे रचात्मक प्रभाव का मतलब होता है रचने वाला प्रभाव ।‌‌‌वैसे यह नियम आम नियम से कहीं अधिक जटिल है। इसमे आपको अपने बच्चे की जिद का सही कारण खोजना होता है और उसके बाद उस कारण को नष्ट करना होता है। और प्रभाव की प्रक्रति को बदलना होता है।

‌‌‌सीधे उदाहरण से समझे तो कुछ बच्चे मां का दूध पीने के लिए जिद करने लगते हैं जबकि मां उनको दूध स्तन दूध से दूर करने की कोशिश करती है। पर बच्चे ऐसा होने नहीं देना चाहते । तो ऐसी स्थिति के अंदर माता अपने स्तन पर कुछ खारे पदार्थ का लेप कर लेती है।

‌‌‌और जब बच्चा स्तन से दूध पीता है तो उसे दूध के अंदर वह आनन्द नहीं आता जिसकी वजह से वह दूध पीना ही छोड़ देता है और बाद मे दूध के लिए जिद भी नहीं करता है।

‌‌‌यह तरीका आप अपने बच्चे पर भी अपना सकते हैं।इस तरीके का प्रयोग आप केवल बच्चे की कुछ जिद को समाप्त करने के लिए कर सकते हैं। यह आपके बच्चे को हमेशा के लिए सुरक्षित नहीं रख सकेगा । यह नियम इस बात की कोई गारंटी भी नहीं देता है।

जिद्दी बच्चों को कैसे समझाया जाता है tips

उपर हमने जो नियम बताएं हैं वे जिद्दी बच्चों  को सुधारने के लिए प्रयोग किये जा सकते हैं। यहां पर हम उन तरीकों के बारे मे अब बात करने वाले हैं।

जिसकी मदद से आप अपने बच्चों को सुधार सकते हैं। यह सभी तरीके एक तरह से उपर बताए गए नियमों को ही फोलो करते हैं। आप चाहें तो ऐसे अनेक तरीके खुद ही ‌‌‌विकसित कर सकते हैं। बस इसके लिए आपको थोड़ा सा दिमाग लगाने की आवश्यकता है। जिद्दी ‌‌‌बच्चों को समझाने के लिए भले ही आप कोई भी तरीका यूज करें । बस उसके परिणाम के बारे मे आपको सही सही पता होना चाहिए तो आप और अच्छे से सही तरीके का चुनाव कर सकते हैं।

‌‌‌अपने बच्चों को समझाएं

‌‌‌अपने बच्चों को समझाएं

जिद्दी बच्चों ‌‌‌को सुधारने का पहला तरीका यह है कि आप उनको सबसे पहले समझाएं । सही क्या है गलत क्या है? गलत क्यों है। यह सब बच्चों को उनकी भाषा मे समझाएं । यदि आप बच्चों को बच्चा बनकर समझा सकते हैं तो बहुत अच्छा है। ‌‌‌कुछ माता पिता अपने बच्चे को समझाने के लिए उसी के किसी दोस्त की मदद लेते हैं। इस तरीके का फायदा यह होता है कि बच्चा अपने दोस्त की बात को जल्दी मान लेता है और बच्चो मे एक स्वाभाविक प्रव्रति यही होती है कि वे वैसा ही करते हैं जो  ‌‌‌उनके दोस्त करते हैं। यदि आपका बच्चा जिद करता है तो आप चुपके से आपके बच्चे के दोस्त की मदद ले सकते हैं। यह समझाने का बहुत ही अच्छा तरीका है।

‌‌‌बहुत से माता पिता अपने बच्चों को उस भाषा के अंदर समझाने की कोशिश करते हैं जिस भाषा मे वे समझ ही नहीं पाते हैं। इस तरह से समझाने का कोई लाभ नहीं है।

‌‌‌अपने बच्चों की जिद को तोड़ने के लिए समझाने के अनेक तरीके हो सकते हैं और इसमे आप बच्चे को समझाने के लिए कई इंसानों का यूज कर सकते हैं। जैसे कि आप बच्चे के टीचर से बात कर सकते हैं। लेकिन सबसे बेस्ट तरीका बच्चे बनकर बच्चे को समझाने वाला है।

जिद्दी बच्चों को समझाने के लिए प्रतीकूल करें परिस्थितियां

यदि आप किसी जिद्दी बच्चों को समझाने की सोच रहे हैं तो यह भी एक अच्छा उपाय है।आप परिस्थितियों को प्रतीकूल कर सकते हैं और उन परिस्थितियों के बारे मे बच्चे को बता सकते हैं कि यह सब तुम्हारी जिदका परिणाम है।

‌‌‌जैसे आपका बच्चा शहर जाता है और वहां पर एक खास प्रकार का खिलौना लेने की जिद पर अड़ जाता है। अब बच्चे को रोकने के लिए आप उसके साथ कुछ ऐसा कर सकते हैं जिसकी वजह से उसके मन मे खिलौने के प्रति बुरा भाव आ जाए । ‌‌‌यदि आप ऐसा नहीं कर सकते हैं तो फिर आप वहां से तेजी से जा सकते हैं ताकि बाद मे आप अपने बच्चे को यह कह सकें कि अब वह खिलौना यहां पर नहीं है।

‌‌‌प्रतिस्थापन का प्रयोग करके बच्चे की जिद को खत्म करना

दोस्तों यह भी बच्चों की जिद को ‌‌‌खत्म ‌‌‌ करने का तरीका है। ‌‌‌जैसे कि आपका बच्चा किसी विशेष प्रकार के खिलौने की मांग की जिद पर अड़ गया है और आप उसे नहीं खरीद सकते या खरीदना नहीं चाहते हैं तो आप उसे उसके जैसा कोई दूसरा खिलौना खरीद कर दे सकते हैं। वैसे यह आपके बच्चे की जिदी प्रव्रति को बढ़ा सकता है। तो हर बार बच्चे की जिद को पूरा नहीं किया जाना ‌‌‌चाहिए।

‌‌‌बच्चों की बात सुने और बहलाने की कोशिश करें

यदि आपका बच्चा किसी जिद को पकड़ लेता है तो सबसे पहले आपको उसकी पूरी बात सुननी चाहिए । जैसे कि वह क्या कह रहा है ? और इसकी जिद क्या है? उसके बाद आपको ‌‌‌उसे बहलाने की कोशिश करनी चाहिए । आप उसकी जिद को टाल सकते हैं । बच्चे की मां इस काम को काफी बेहतर ढंग से कर सकती हैं।

‌‌‌जिद पैदा करने वाले तत्वों को खत्म करने की कोशिश करें

यदि आपका बच्चा किसी बात की जिद पकड़ लेता है तो आपको उसे पैदा करने वाले तत्वों को सबसे पहले खत्म कर देना चाहिए । ‌‌‌जैसे कोई बच्चा किसी दूसरे बच्चे के खिलौने को देखकर उस खिलौने की जिद करने लगे तो अपने बच्चे को तुरन्त उस जिद पैदा करने वाले क्षेत्र से दूर लेकर चले जाएं ।

इसी प्रकार से बच्चा टीवी देखने की जिद करे तो आप टीवी मे कुछ गड़बड कर सकते हैं। ‌‌‌लेकिन इन सभी चीजों का एहसास बच्चों को नहीं होना चाहिए।

‌‌‌बस शांत रहें कुछ ना बोलें

दोस्तों यदि आपका बच्चा जिद कर रहा है और आप जानते हैं कि आपका बोलना उसे बहुत अधिक गुस्सा दिला सकता है तो आप शांत हो जाएं और कुछ देर तक वह रोता रह सकता है।उसके बाद वह अपनी उर्जा को खो देता है तो उसके बाद आप उसे समझा सकते हैं। ‌‌‌आमतौर कुछ लोग बच्चे के जिद के साथ ही चिल्लाते हैं यह गलत है इस तरीके से जिददी बच्चो को नहीं सुधारा जा सकता है। ऐसा करने से वे और अधिक बिगड़ जाते हैं।

‌‌‌बच्चे को प्यार से गोद मे लेकर समझाएं

यदि आपका बच्चा आम जिदी है तो यह तरीका उसके लिए काम कर सकता है।अब यदि आपका बच्चा जिद कर रहा है तो बच्चे की मां को चाहिए कि वह अपने बच्चे को गोद मे उठाए और उसके बाद उसे प्यार से समझाए कि उसे क्यों जिद नहीं करनी चाहिए ? ‌‌‌जिद करने के क्या फायदे और नुकसान हो सकते हैं ? इस बारे मे भी बच्चो को बताएं ।

‌‌‌एक बच्चे को गुप्त रूप से शर्मिंदा करें और समझाएं

‌‌‌एक बच्चे को उसकी गलति के लिए गुप्त रूप से शर्मिंदा करना भी उसके जिदीपन को दूर करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है। यदि कोई बच्चा है तो उसके दोस्तों मे भी उसकी कोई इज्जत होती है। ‌‌‌यदि आप उसे रस्ते पर लाना चाहते हैं तो अपने बच्चे की नजर बचाकर सब कुछ उसके दोस्तों को बताएं । बस उसके बाद देखना बच्चे के दोस्त उसे उसकी घटिया आदतों के लिए किस प्रकार से लताड़ लगाएंगे कि वह अपने आप ही मान जाएगा ।

‌‌‌बच्चा किसी तरह की परेशानी मे तो नहीं है?

दोस्तों कई बार बच्चा किसी परेशानी की वजह से भी जिद्दी हो जाते हैं। यदि आपको बच्चे को कोई परेशानी है तो उसे पूछे यदि वह इस बारे मे कुछ छुपा रहा है तो आप अन्य तरीके से उसके बारे मे ज्यादा जानकारी हाशिल कर सकते हैं। जैसे कि स्कूल के अंदर यदि ‌‌‌उसके साथ कुछ गलत हो रहा हो या कहीं और उसके साथ गलत हो रहा हो तो उसे दूर करने की कोशिश आप कर सकते हैं।

‌‌‌ज्यादा लाड़ प्यार आपके बच्चे को जिद्दी बना सकता है

‌‌‌अक्सर कुछ माता पिता अपने बच्चे को बहुत अधिक प्यार करते हैं। वे प्यार के अंदर इतने अंधे हो जाते हैं कि किस तरह से बच्चे के साथ व्यवहार करना चाहिए ? यह नियम वे भूल जाते हैं। और उसके बाद वे बच्चे की हर फरमाइश पूरी करते जाते हैं।

‌‌‌उसके बाद बच्चे को यह लगने लग जाता है कि आप से कुछ भी मांगो मिल जाता है तो वह जिदी होने लग जाता है। यदि आप भी बच्चे की हर फरमाइश को पूरा कर रहे हैं तो सावधान हो जाने की जरूरत है।

‌‌‌अपने परिवारिक माहौल को ठीक करें

यदि आपको लग रहा है कि आपका बच्चा कुछ जिदी होता जा रहा है तो आपको अपने परिवार के माहौल को ठीक रखना होगा । अक्सर देखा गया है कि उन घरों के बच्चे अधिक जिददी होते हैं। ‌‌‌जिनमे कलह या मारपीट होते हैं। क्योंकि बच्चे जैसा देखते हैं वे वैसा ही सीख जाते हैं । इस वजह से आपको अपने घर का माहौल भी अच्छा रखना चाहिए ।

‌‌‌बच्चे को डराएं पर पीटाई ना करें तो बेहतर

दोस्तों कुछ माता पिता को यह लगता है कि यदि बच्चा जिद करता है तो उसकी पिटाई कर देनी चाहिए । लेकिन यह जिद को दूर करने का सौल्युशन नहीं है आप ऐसा करके उसकी जिद को दबा सकते हैं। लेकिन उसके मन से नहीं निकाल सकते हैं। ‌‌‌तो फिर ऐसा करने का कोई फायदा ही नहीं होगा ।

‌‌‌हमारे यहां पर एक राजेश नामक एक लड़का था और वह पहले काफी सही था लेकिन बाद मे काफी जिदी हो गया । और उसके माता पिता उसको बहुत मारते पीटते पहले पहले तो वह मार से डरता था लेकिन बाद मे उसने कह दिया कि भले ही वे उसे जान से मारदें मैं अपने माता पिता की बात नहीं मानूंगा । ‌‌‌मतलब उसके अंदर सारा डर समाप्त हो गया । इस तरह के खतरनाख जिदी बच्चों का उपचार करना बहुत ही कठिन होता है।

‌‌‌एक जिददी बच्चे को अच्छी शिक्षा दिलाने की कोशिश करें

दोस्तों यदि आपका बच्चा जिदी हो चुका है तो आप उसे किसी और से अच्छी शिक्षा दिलाने बात कर सकते हैं। यदि आप इसके लिए किसी बच्चे को चुनते हैं जो लगभग उनके जैसा ही हो तो यह बहुत अच्छा उपाय हो सकता है। ‌‌‌हलांकि इस तरह के बच्चों को सुधारने मे समय लगता है। लेकिन सुधर अवश्य जाते हैं।

‌‌‌बुरे काम के साथ एक काल्पनिक डर जोड़ देना

एक जिदी बच्चे को समझाने का एक तरीका यह भी हो सकता है। यदि आपका बच्चा आपकी बात नहीं मान रहा है तो आप उसे यह बता सकते हैं कि जो बच्चा जिद करता है। उसे रात के अंदर प्रेत दिखते हैं और वो उसे मार सकते हैं।‌‌‌और आप इसका प्रमाण भी बच्चे को दे सकते हैं। ऐसा करने से आपका बच्चा डरेगा जरूरू लेकिन जिद करना छोड़देगा । और आप उसे यह बता सकते हैं कि प्रेत के डर से गलत काम नहीं करना चाहिए ।

‌‌‌बहुत ज्यादा जिद्दी बच्चे को समझाने के आसन स्टेप्स

‌‌‌बहुत ज्यादा जिद्दी बच्चे को समझाने के आसन स्टेप्स

‌‌‌बहुत ज्यादा जिद्दी बच्चे ‌‌‌का मतलब ऐसे बच्चों से होता है जो अपनी जिद को पूरा करने के लिए कुछ भी करेंगे । जैसे वे मिठाई की मांग को पूरा करने के लिए चिल्लाने लगेंगे । इधर उधर भागेंगे और खुद को रेत के अंदर गिरालेंगे । यहां तक की कुछ भी खाने पीने से इनकार करदेंगे ।

‌‌‌जिद पैदा करने वाले या उकसाने वाले माहौल की पहचान

आपको पता ही होगा कि बच्चों के अंदर जिद किसी माहौल की वजह से पनप जाती है। वह माहौल जाने अनजाने मे हम भी पैदा कर सकते हैं या बच्चे के दोस्त ऐसा कर सकते हैं।‌‌‌सबसे पहले उस माहौल की पहचान करनी है ताकि उस माहौल को दूर किया जा सके ।

‌‌‌बेकार माहौल से बच्चे को अलग करना

यदि आप चाहते हैं कि आपका बच्चा जिद को छोड़दे तो जिद पैदा करने वाले माहौल से अपने बच्चे को अलग करलें । हालांकि ऐसा करना आपके बच्चे को परेशान कर सकता है। लेकिन कोई बात नहीं है। यह आपके बच्चे के लिए आपका महत्वपर्णू कदम है।

‌‌‌बच्चे के माहौल को पॉजिटिव और प्रतिबंध युक्त करना

दूसरी स्टेज के अंदर आपको बच्चे के माहौल को पॉजिटिव और प्रतिबंध युक्त बनाना है। जिसमे आप बच्चे को एक ऐसे महौल मे ले जा सकते हैं जहां पर उसे जिद करने के नुकसान के बारे मे और जिद न करने के फायदे के बारे मे और एक अच्छा बच्चा बनने के बारे ‌‌‌बताया जाता हो ।और उस माहौल के अंदर बस हर बच्चा अच्छा ही रहता हो तो आपका बच्चाद जिद जैसी बुरी आदतों को छोड़ने को मजबूर हो जाएगा ।

‌‌‌धीरे धीरे होगा असर

यदि आपका बच्चा बहुत अधिक जिददी हो चुका है तो उसके उपर कोई भी तरीका सही से काम नहीं करेगा ।वरन उसे सही करने मे काफी वक्त लग सकता है। क्योंकि बच्चों को सोचने और विचारने की ताकत उतनी नहीं होती है।

‌‌‌बच्चे को जिद्दी होने से कैसे बचाएं

‌‌‌दोस्तों अब तक आपने यह जाना कि आप किसी जिद्दी बच्चे को कैसे सुधार सकते हैं। अब हम सह जानेंगे कि बच्चे को जिद्दी होने से कैसे आप रोक सकते हैं। ‌‌‌यदि आपको इस तरह के तरीके पता नहीं होगे तो आप बच्चे को जिद्दी होने से नहीं बचा पाएंगे ।

‌‌‌अपने बच्चे के दिमाग मे जिद्द के प्रति जहर घोलें

‌‌‌यदि आप चाहते हैं कि आपका बच्चा जिद्द ना हो या इसकी संभावना को खत्म करने का सबसे बेस्ट तरीका यह है कि आप अपने बच्चे के दिमाग मे जिद्द के प्रति जहर भरदें ।

आप उसे इस बारे मे विस्तार से बताएं कि जिद्दी होना किस तरह से खतरनाख हो सकता है। हालांकि इसको ज्यादा ना भरें क्योंकि सफलता के  ‌‌‌लिए जिद्दी पना होना आवश्यक होगा ।ऐसा करने का फायदा यह होगा कि जब भी बच्चा जिद्दी इंसान को देखेगा तो उसे पसंद नहीं करेगा और खुद ऐसा करने के बारे मे सोचेगा ही नहीं ।

‌‌‌बस समय समय पर अपने बीज या विचार को सम्हालते रहें  कि काम कर रहा है या नहीं ?

‌‌‌बिना काम की आशक्ति विकसित ना करें

दूसरा यह है कि कुछ माता पिता अपने बच्चे को खुद ही जिदी बना देते हैं वे उसके अंदर बिना काम की आशक्ति पैदा कर देते हैं।यदि आपका बच्चा अच्छा करता है तो पुरूस्कार दें लेकिन बिना किसी कारण के किसी कार्य के साथ पुरूस्सकार ना जोड़ें।

जिद्दी बच्चों को कैसे समझाया जाता है  ‌‌‌लेख के अंदर हमने आपको जिद्दी बच्चों को कैसे सुधारा जाए के बारे मे विस्तार से बताया है। यदि आप उपर दिये गए तरीकों का प्रयोग सही ढंग से करेंगे तो आपके बच्चे एकदम से लाइन पर आ जाएंगे ।

‌‌‌बच्चे बहुत अधिक जिद्दी क्यों हो जाते हैं कारण ?

‌‌‌देखिए बच्चे के जिद्दी  होने के पीछे कई कारण काम करते हैं। जिसके बारे मे हम यहां पर बात करने वाले हैं। हर बच्चा सिर्फ एक ही कारण की वजह से जिद्दी नहीं होता है। वरन हर बच्चे के अंदर जिद्दी पन आने के अलग अलग कारण हो सकते हैं। यदि आप उस कारण को जानते हैं तो आप अपने बच्चे का बेहतर तरीके से ‌‌‌उपचार करने मे सक्षम हो जाएंगे । तो चलिए जानते हैं कि बच्चे जिद्दी क्यों हो जाते हैं ?

‌‌‌नगेटिव क्रिया के साथ पॉजिटिव प्रभाव को जोड़ना

दोस्तों बच्चे जिद्दी होने का सबसे बड़ा कारण यही होता है। आपको हमेशा इस बात को ध्यान रखना चाहिए कि अपने बच्चे की किसी भी नगेटिव क्रिया के साथ पॉजिटिव प्रभावों को जोड़ने की कोशिश ना करें । यदि आप ऐसा करेंगे तो आपका बच्चा अपने आप ही जिद्दी ‌‌‌हेा जाएंगे आपको इस बात का पता ही नहीं चलेगा ।ऐसे कामों के के बारे मे हम आपको नीचे कुछ बता रहे हैं।

  • ‌‌‌यदि  आपका बच्चा मां का दूध पिने के लिए रोता है तो अधिकतर माएं उसे दूध पिला देती है। पहली दफा जब वह जन्म लेता है तो उस समय से ही उसके साथ ऐसा होता रहता है। वह जैसे ही रोता है तो उसे दूध मिलता है। मतलब उसे वह पता चल जाता है कि रोने का मतलब दूध । ‌‌‌आगे चलकर यही बच्चा खाना कम खाता है और माता का दूध पीने की जिद करने लग जाता है। ऐसा बहुत सारे बच्चे करते हैं।
  • ‌‌‌बच्चा जब कुछ बड़ा होता है तो वह किसी बात को लेकर रोता है। कई बार तो वह बहुत रोता है। खास कर बच्चे खाने पीने की चीजों के से ही रोना शूरू करते हैं।उसके बाद उसके माता पिता उसे कुछ खाने के लिए लाकर देते हैं। और वह चुप हो जाता है। ‌‌‌ऐसा बहुत बार होता है और बच्चा इस क्रिया को सीख कर जिद पकड़ता चला जाता है।
  • ‌‌‌इसके अलावा जब हम बार बार बच्चे के रोने या उसके नाराज होने पर उसको मनाने के लिए उसकी मांग को पूरा करते जाते हैं तो वह जिद पकड़ता जाता है।
  • ‌‌‌यदि आप अपने बच्चे को लाड प्यार करते हैं या उसकी केयर करते हैं तो ऐसा करने से वह जिद्दी नहीं होगा ।लाड़ प्यार जिद का कोई कारण नहीं होता है। लेकिन लाड़ प्यार की वजह से उसकी मनमानी को पूरा करते हो वह जिद का कारण बनता है।
  • Example story ‌‌‌आज रमेश की शर्ट फट गई तो उसने अपनी माता को बताया कि उसकी शर्ट फट गई है। वह पूरानी शर्ट नहीं पहनेगा ।उसे इसी वक्त नई शर्ट चाहिए ।उसकी मां ने ऐसा करने से मना कर दिया और बोली की उसके पास पैसा नहीं है। लेकिन बच्चा रोने लगा तो उसे मंगवाकरदी । ‌‌‌कुछ दिन बाद जब बच्चे का जूता फट गया तो उसने नया लाने का जिद किया उसकी मां ने नहीं माना तो वह रोने लगा ।उसके बाद उसकी मां को मंगवाकर देना पड़ा । ‌‌‌ऐसा बार बार करना आपके बच्चे को जिद्दी बनाना ही है।

‌‌‌कंट्रोलर प्रभाव ही खत्म हो जाना

‌‌‌कंट्रोलर प्रभाव ही खत्म हो जाना zidg

‌‌‌एक इंसान भी एक मशीन की तरह काम करता है। कंट्रोल प्रभाव का मतलब एक ऐसा प्रभाव जो किसी काम को होने से रोकता है। हमारे दिमाग के अंदर बहुत सारे कंट्रोलर प्रभाव होते हैं। जिसकी वजह से हम सामाजिक नियमों मे बंधे होते हैं। ‌‌‌यदि आपके बच्चे मे कोई कंट्रोलर प्रभाव काम करता है तो आपका बच्चा जिदी हो ही नहीं सकता है। वह जिद कर सकता है। लेकिन आप उसे आसानी से रोक सकते हैं।

  • ‌‌‌यदि आपका बच्चा बार बार जिद्दीपन दिखा रहा है और उसके बाद भी आप उसके कंट्रोलर प्रभाव को काम मे नहीं ले रहे हैं तो एक समय ऐसा आता है जब वह कंट्रोलर प्रभाव खुद ही खत्म हो जाता है।उस समय यह कहा जा सकता है कि आपका बच्चा पूरी तरह से जिद्दी हो चुका है।उसे सुधारना बहुत मुश्किल होगा ।
  • ‌‌‌जब हम कंट्रोलर प्रभाव को जाने अनजाने के अंदर खुद ही खत्म कर देते हैं। उसे घास पानी देने की बजाय उसकी जड़ काट देते हैं तो ऐसा हो सकता है।
  • ‌‌‌समय के साथ जिद्दी प्रभाव या जो पॉजिटिव होता है वह कई बार इतना अधिक पॉवर फुल हो जाता है कि उसके सामने कंट्रोलर प्रभाव दब जाता है तो यह स्थिति बहुत अधिक भयानक हो जाती है। ऐसे बच्चे को रोकना कठिन होता है।
  • Example story ‌‌‌एक महिला का बच्चा मिठाई खाने की जिद  करता है। महिला उसकी यह जिद बार बार पूरी करती है। और उसके लंबे समय बाद महिला को यह लगता है कि वह गलत कर रही है। वह उसकी जिद को रोकने के लिए उसे डराती है और मारती पिटती है। लेकिन कुछ दिनों तक तो बच्चा ठीक रहता है लेकिन उसके बाद वह ‌‌‌डरना ही बंद कर देता है। फिर क्या उसकी मां उसे बहुत मारती है लेकिन कुछ नहीं होता है। बस अब उसकी मां उसके सामने ही हथियार डाल देती है।

‌‌‌संस्कार की कमी

‌‌‌कुछ बच्चों के अंदर जिद पैदा होने का कारण संस्कार की कमी भी होती है।मतलब की वे दूसरों की देखा देखी के अंदर रहते हैं। उन्हें बाजार के अंदर कुछ दिख जाए या अधिकतर केसों के अंदर यदि दूसरे बच्चे किसी खिलौने को लेकर खेल रहे हैं तो वे वैसा ही खिलौना लेने की मांग करने लगते हैं।

‌‌‌यदि आप ऐसे बच्चों को सही शिक्षा देते हैं कि किसी को देखकर उसके जैसा करने या बनने का प्रयास नहीं करना चाहिए । और जिद नहीं करनी चाहिए । इस प्रकार की अच्छी बातें आप अपने बच्चे के दिमाग के शुरू से ही भरते जाएंगे तो वह कभी जिद नहीं करेगा।

‌‌‌ऐसा करके आप अपने बच्चे के कंट्रोलर प्रभाव को अधिक प्रभावी बनाते हैं जोकि उसके लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण हो सकता है।

‌‌‌संगत का असर

यह भी बच्चे के जिद्दी होने का बड़ा कारण है। कुछ माता पिता इस बात की तरफ कोई भी ध्यान नहीं देते हैं कि उनका बच्चा कहां पर उठ बैठ रहा है? वह किसके साथ रह रहा है? इसका परिणाम यह होता है कि यदि वह जिद्दी   बच्चों के साथ रहता है तो वह उनके जैसा ही हो जाता है। क्योंकि बच्चे का ‌‌‌दिमाग तो कोरे कागज की तरह ही होता है। वह जो देखता है और वही सीखता है। ‌‌‌यदि माता पिता सही से अपने बच्चे पर ध्यानदें तो वह एकदम से अच्छा हो सकता है।

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arif khan

‌‌‌हैलो फ्रेंड मेरा नाम arif khan है और मुझे लिखना सबसे अधिक पसंद है। इस ब्लॉग पर मैं अपने विचार शैयर करता हूं । यदि आपको यह ब्लॉग अच्छा लगता है तो कमेंट करें और अपने फ्रेंड के साथ शैयर करें ।‌‌‌मैंने आज से लगभग 10 साल पहले लिखना शूरू किया था। अब रोजाना लिखता रहता हूं । ‌‌‌असल मे मैं अधिकतर जनरल विषयों पर लिखना पसंद करता हूं। और अधिकतर न्यूज और सामान्य विषयों के बारे मे लिखता हूं ।