ऑक्सीजन के 11 उपयोग use of oxygen in hindi

ऑक्सीजन के उपयोग , use of oxygen in hindi ऑक्सीजन या प्राणवायु या जारक (Oxygen) रङ्गहीन, स्वादहीन तथा गन्धरहित गैस है।इस धरती पर जो भी जीवन संभव है वह ऑक्सीजन की वजह से है। सभी जीव ऑक्सीजन को अपने अंदर लेते हैं और उसके बदले मे कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते है। तत्वों की आवर्त सारणी में ऑक्सीजन तत्व संख्या 8 है। आण्विक ऑक्सीजन, या ऑक्सीजन गैस, का सूत्र O_ 2 _ है और इसलिए यह द्विपरमाणुक है। और ऑक्सीजन बहुत ही कम तापमान पर तरल के अंदर भी मौजूद रह सकती है।

ऑक्सीजन हमे पेड़ पौधों से प्राप्त होती है। यह एक रासायनिक तत्त्व है। सन् 1772 ई॰ में कार्ल शीले ने पोटैशियम नाइट्रेट को गर्म करके आक्सीजन गैस तैयार किया था।सन् 1774 ई॰ में जोसेफ प्रिस्टले ने मर्क्युरिक-आक्साइड को गर्म करके ऑक्सीजन को प्राप्त किया था।इसके गुण धर्म की वजह से इसका नाम ऑक्सीजन रखा गया था।

‌‌‌जैसा कि आपको पता ही होगा कि कोरोना काल से पहले केवल पढे लिखे लोग ही ऑक्सीजन के बारे मे जानते थे लेकिन कोरोना आने के बाद ऑक्सीजन के बारे मे सबको पता चल गया । कारण यह है कि कोरोना के डर को लोगों मे इतना अधिक बैठा दिया गया कि लोग काफी डर गए और बार बार आपना ऑक्सीजन का लेवल चैक करते रहे ।

ऑक्सीजन के उपयोग

‌‌‌हमारे घर के अंदर कुल 5 लोग थे जिनके अंदर 3 लोगों को कोरोना हुआ लेकिन अस्पताल न जाकर घर पर ही ईलाज किया लेकिन बस जैसे ही बुखार हुआ ऑक्सीजन लेवल को चैक करवा आये । सच मायेने मे कोरोना से बचने के लिए नैचुरल तरीकों का कोई भी विकल्प नहीं है।

‌‌‌कोरोना काल मे देश मे ऑक्सीजन की काफी किल्लत रही और भारत के महान लोग जो हमेशा आपदा को अवसर मे बदलने मे सक्षम हैं ने इस ऑक्सीजन सिलेंडर को 1 लाख रूपये तक में बेचा था। खैर कोरोना मरीज के लिए ऑक्सीजन काफी अधिक महत्वपूर्ण थी। लेकिन अधिकतर लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत इसलिए पड़ रही थी कि वे ‌‌‌सही समय पर सही निर्णय नही ले पा  रहे थे ।उस समय अधिकतर केस मे आम बुखार ही एक कोरोना ही था। और उसका यदि पहले से ही कोरोना को मानकर ‌‌‌ईलाज करते तो शायद बच जाते ।और सबसे बड़ी बात जो आपको कोई भी न्यूज वाला नहीं बताएगा । भारत के हर घर  मे और हर इंसान को कोरोना हुआ था। लेकिन आंकड़े सामने नहीं आए । अधिकतर मरीज ऐसे ही रिकवर हो गए बिना किसी ऑक्सीजन के ।

‌‌‌ऑक्सीजन का कोरोना काल मे सबसे अधिक उपयोग हुआ था।सरकार ने इंडस्ट्री के लिए भी ऑक्सीजन की सप्लाई बंद करदी थी। खैर यह तो थी कोरोना काल और ऑक्सीजन की बात ।

‌‌‌कोरोना काल मे लोगों को ऑक्सीजन का महत्व जितना अधिक पता चला शायद उतना कभी भी पता नहीं चला । लोगों को यह समझ आया कि पेड़ पौधों को लगाना कितना उपयोगी होता है ?

‌‌‌तो आप और हम सभी को मिलकर पेड़ पौधों को लगाना चाहिए । यदि आप एक पेड़ को काटते हैं तो उसके बदले 2 लगाएं ताकि आपको जीवन के लिए प्राण वायु मिलती रहे । बिना ऑक्सीजन के जीवन संभव नहीं है।

‌‌‌ 1.ऑक्सीजन के उपयोग   सांस के रूप मे

दोस्तों सांस लेने के लिए सभी जीव जंतु ऑक्सीजन का ही प्रयोग करते हैं।शरीर के अंदर हम वातावरण से ऑक्सीजन लेते हैं और उसके बाद उसके बदले मे कार्बनडाई ऑक्साइड निकाल देते हैं। अभि हाल ही मे हमने देखा कि कोरोना काल मे 90 प्रतिशत तक शुद्ध ऑक्सीज के सिलेंडर का ‌‌‌प्रयोग कोरोना के मरीजों को सांस देने के लिए किया जा रहा था।और एक बार तो पूरी दुनिया के लिए ही ऑक्सीजन काफी उपयोगी हो गई थी। हालांकि समय के साथ इन सब चीजों को लोग भूल जाते हैं।

ऑक्सीजन के बिना प्रथ्वी पर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। ऐसा बताया गया है कि हमारे शरीर की 90 प्रतिशत ‌‌‌क्रियाएं ही ऑक्सीजन की मदद से पूरी होती हैं।हीमोग्लोबिन  की मदद से ऑक्सीजन को शरीर से लिया जाता है और उसके बाद ऑक्सीजन को शरीर के अलग अलग हिस्सों के अंदर पहुंचाया जाता है।और जब हम नाक से सांस लेते हैं तो नाक मे फिल्टर लगे होते हैं जो ऑक्सीजन को साफ करके हमारे शरीर के अंदर भेजते हैं।‌‌‌इसलिए मुंह की बजाय नाक से सांस लेना अधिक बेहतर होता है।‌‌‌जीव को जीने की लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है यदि शरीर के अंदर ऑक्सीजन की कमी हो जाती है तो फिर सिलैंडर की मदद से ऑक्सीजन दी जाती है।

‌‌‌नाक और मुंह से हवा विडपाइप की मदद से फेफड़ों मे पहुंचती है।डायफ्राम मानव शरीर के अंदर एक ऐसा अंग है जो ऑक्सीजन के वितरण की भूमिका निभाता है।ऑक्सीजन ब्रांकाई नामक नलियों में चली जाती है और फिर, छोटी, शाखाओं वाली नलियों में, जिन्हें ब्रोंचीओल्स कहा जाता है, जो हवा को वायुकोशिकाओं के रूप में जानी जाने वाली हवा की थैलियों में धकेलती हैं।

‌‌‌ऑक्सीजन आपके शरीर के द्रव्यमान का 65 प्रतिशत होती है और यह आपके शरीर के अधिकांश कार्यों को विनियमित करने के लिए जिम्मेदार होती है।

2.ऑक्सीजन के उपयोग  पर्वतारोहियों के लिए

पर्वतारोहियों के लिए ऑक्सीजन का प्रयोग किया जाता है।एवरेस्ट जैसे पर्वतों पर यात्रा करने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है। जैसे जैसे पर्वतरोही उंचाई पर जाते हैं ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है जिसकी वजह से उनको सांस लेने मे समस्या होने लगती है। इसलिए अपने साथ सिलेंडर लेकर जाते हैं। जरूरत होने पर उन सिलेंडरों मे से ऑक्सीजन का इस्तेमाल करते हैं।एवरेस्ट पर चढने वालो लोग बातते हैं कि पर्वतरोही अपने साथ ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर जाते हैं। लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि आजकल ऑक्सीजन सिलेंडर भी यात्रा मे चोरी हो रहे हैं। जिससे कि जान का खतरा हो सकता है।

‌‌‌कई विदेशी लोग जो ऐवरेस्ट की चढ़ाई कर चुके हैं ने लिखा है कि उनके ऑक्सीजन सिलेंडर की चोरी हुई है। ऐवरेस्ट पर चढ़ने के लिए एक पर्वतरोही 7 ऑक्सीजन सिलेंडर का इस्तेमाल करता है। ऐसी स्थिति मे कुछ लोग काफी तेजी से सांस लेते हैं जिससे कि ऑक्सीज सिलेंडर जल्दी खाली हो जाते हैं।‌‌‌इसके अलावा किसी भी दुर्गम पहाड़ पर कई बार ऐसा मौसम आ जाता है कि आगे की यात्रा संभव नहीं होती है तो फिर कुछ समय रूकना भी पड़ता है तो ऑक्सीजन खर्च हो जाती है।

3.लकवाग्रस्त लोगों के लिए ऑक्सीजन का प्रयोग

use of oxygen in hindi

‌‌‌दोस्तों लकवा हो जाने की वजह से सांस लेने मे भी समस्या हो सकती है।यदि मरीज सांस सही से नहीं ले रहा है तो उसे कृत्रिम सांस दिया जाता है।‌‌‌हालांकि पिछले दिनों आये एक रिसर्च मे यह कहा गया था कि यदि लकवा ग्रस्त मरीजों को ऑक्सीजन अच्छी मात्रा मे दी जाती है तो यह जल्दी से उनकेा अंगो को क्रियाशील बनाने के लिए काफी होगी ।

4. स्टरलाइज़िंग एजेंट के रूप में

स्टरलाइज़िंग ऐजेंट के रूप मे भी ऑक्सीजन का प्रयोग किया जाता है। यहां पर ऑक्सीजन की मदद से कुछ बेकार के जीवाणुओं को नष्ट किया जा सकता है।2016 के एक अध्ययन से पता चला है कि बिस्तर कीड़े बहुत कम ऑक्सीजन के स्तर के लिए अतिसंवेदनशील थे और लगभग पूर्ण मृत्यु दर 8 घंटे में हासिल की जा सकती थी। लेकिन इस ‌‌‌का परिक्षण करने के लिए वैज्ञानिकों ने जिन उपकरणों का प्रयोग किया था वे आम लोगों के लिए नहीं थे । सो आप और हम इस प्रकार के प्रयोग को नहीं कर सकते हैं। ‌‌‌लेकिन रियल मे आप ऑक्सीजन के स्तर को इतना कम नहीं कर सकते हैं कि बेड बग मर जाएं । हालांकि वैक्यूम वाली स्थितियों के अंदर ऐसा होना संभव हो सकता है।

5.reaction के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है

दोस्तों रियक्सन के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। अक्सर फैक्ट्री मे स्टील के काम में कार्बन को कार्बन डाइऑक्साइड गैस में परिवर्तित करती है, जो एक ब्लास्ट फर्नेस में उच्च तापमान के तहत होती है।

6.Oxygen use for welding

‌‌‌ऑक्सीजन को अब welding र कच्चे माल के रूप मे माना जाता है।इस्पात को बनाने के लिए ऑक्सीजन का प्रयोग किया जाता है। और ब्लूम स्लैब और बिलेटस के अंदर आने वाले दोषों को कम करने के लिए भी ऑक्सीजन का प्रयोग किया जाता है।

‌‌‌घातु को काटने के लिए ऑक्सीजन का प्रयोग किया जाता है। आक्सीजन की मदद से आसानी से धातु को काटा जा सकता है। इसके अलावा वैल्ड के लिए आवश्यक गर्मी भी ऑक्सीजन की मदद से प्रदान की जाती है।

‌‌‌इसके लिए हवा से वायु को एकत्रित किया जाता है और उसके बाद ऑक्सीजन का निर्माण किया जाता है।फिर इस वायु को किसी दूसरे बर्तन के अंदर एकत्रित किया जाता है और प्यूरीफायर से शुद्ध किया जाता है।संपिड़ित करने के बाद सिलेंडरों मे एकत्रित कर लिया जाता है।

‌‌‌जिन सिलैंडरों के अंदर ऑक्सीजन को भरा  जाता है वे स्टील के बने होते हैं।कैल्शियम, क्रोमियम, मिश्र धातु तत्व, निकल, मैंगनीज जैसे तत्व भी इसके अंदर मिक्स होते हैं।

‌‌‌तो दोस्तों वैड करने के लिए आक्सीजन की जरूरत होती है। यदि आप भारी चीजों को वैल्ड करते हैं तो ऑक्सीजन की आवश्यकता सिलैंडर से पूर्ण करते हैं। लेकिन छोटी मोटी वैल्ड के लिए ऑक्सीजन बस आग लगाने का कार्य करती है।

7.मिसाइलों और रॉकेटों में उपयोग

दोस्तो मिसाइलों और रॉकेटों मे भी ऑक्सीजन का प्रयोग किया जाता है। 1926 में रॉबर्ट एच। गोडार्ड द्वारा आविष्कार की गई थी।तरल ऑक्सीजन का रंग हल्का नीला होता है और यह अत्यधिक अनुचुंबकीय होता है : इसे एक शक्तिशाली घोड़े की नाल चुंबक के ध्रुवों के बीच निलंबित किया जा सकता है । 1,141 g/L तरल ऑक्सीजन का घनत्व होता है जोकि पानी की तुलना मे थोड़ा संघनन होता है।इसका फ्रिजिंग पॉंइट 54.36 K होता है।

इसकी क्रायोजेनिक प्रकृति के कारण, तरल ऑक्सीजन इसके द्वारा स्पर्श की जाने वाली सामग्री को अत्यधिक भंगुर बना सकती है। तरल ऑक्सीजन भी एक बहुत शक्तिशाली ऑक्सीकरण एजेंट है: कार्बनिक पदार्थ तरल ऑक्सीजन में तेजी से और ऊर्जावान रूप से जलते हैं।

तरल ऑक्सीजन अंतरिक्ष यान रॉकेट अनुप्रयोगों के लिए सबसे आम क्रायोजेनिक तरल ऑक्सीडाइज़र प्रणोदक है , आमतौर पर तरल हाइड्रोजन , मिट्टी के तेल या मीथेन के संयोजन में इसका प्रयोग किया जाता है।

‌‌‌पहले केवल रॉकेट के अंदर ही तरल ऑक्सीजन का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन बाद मे  द्वितीय विश्व युद्ध के वी -2 मिसाइल मे भी नाम के तहत तरल ऑक्सीजन का इस्तेमाल किया गया था।

1950 मे शीत युद्ध के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका के रेडस्टोन और एटलस रॉकेट और सोवियत आर -7 सेमायोरका दोनों ने तरल ऑक्सीजन का इस्तेमाल किया था।और 2020 के बाद तरल ऑक्सीजन का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है।

8.ऑक्सीजन गैस (O 2 ) का प्रयोग जल शोधन मे प्रयोग

सीवेज-उपचार और जल-शोधन संयंत्रों में किया जाता है । यह पानी के माध्यम से बैक्टीरिया के उत्पादन को बढ़ाने के लिए मजबूर किया जाता है ।

‌‌‌9.वाहनों मे उर्जा उत्पन्न करने के लिए

दोस्तों ऑक्सीजन का उपयोग वाहनों मे उर्जा को उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।ऑक्सीजन सेंसर का उपयोग विभिन्न अनुप्रयोगों जैसे मोटर वाहन उद्योग, चिकित्सा सुविधाओं, औद्योगिक सुरक्षा मे किया जाता है।

सामान्य तौर पर, अधिकांश ऑक्सीजन सेंसर तीन तकनीकों में से एक का उपयोग करके गैस या तरल में ऑक्सीजन के स्तर को मापते हैं। ऑक्सीजन सेंसर कई प्रकार के होते हैं।

10.हाइपोक्सिमिया मे ऑक्सीजन का यूज

हाइपोक्सिमिया होने की स्थिति मे मरीज को ऑक्सीजन दी जाती है।श्वसन पथ के संक्रमण ऊपरी वायुमार्ग की रुकावट, गंभीर अस्थमा , जन्म के समय श्वासावरोध जैसी सामान्य नवजात स्थितियों और श्वसन संकट सिंड्रोम , गंभीर सेप्सिस , दिल की विफलता ‌‌‌आदि समस्याएं होने पर ऑक्सीजन दी जाती है।

11.सिरका, वार्निश इत्यादि बनाने मे

दोस्तों ऑक्सीजन का प्रयोग सिरका वार्निश आदि को बनाने मे भी किया जाता है।

‌‌‌तो दोस्तों ऑक्सीजन के उपयोग बहुत सारे इस धरती पर जो कुछ भी जीवन आपको दिखाई दे रहा है वह सब कुछ ऑक्सीजन की वजह से ही संभव है। ब्रह्रमांड के किसी दूसरे ग्रह पर जीवन नहीं होने का सबसे बड़ा कारण यही है कि वहां पर आक्सीजन का स्तर बहुत ही कम है। ‌‌‌यही वजह है कि ऑक्सीजन को प्राण वायु कहा गया है।यदि इस ग्रह पर ऑक्सीजन को समाप्त कर दिया जाए तो जीवन अपने आप ही समाप्त हो जाएगा ।

‌‌‌आप के सांस लेने से लेकर आप जो आग जलाते हैं उसके अंदर भी ऑक्सीजन होती है। यदि आग को ऑक्सीजन मिलना बंद हो जाएगी तो आग अपने आप ही बुझ जाएगी । आप वैक्यूम के अंदर आग नहीं जला सकते हैं।

‌‌‌इसके अलावा ऑक्सीजन बहुत ही उपयोगी गैस है हमारे पेड़ पौधे हमे आक्सीजन प्रदान करते हैं लेकिन दुर्भाग्य से इंसान पेड़ों को तेजी से काट रहा है उसे तूफानों वाला और सुनामी वाला विकास चाहिए । विकास के नाम पर नैचर की गोद मे रहने की बजाय नकली दुनिया मे रहना अब इंसान को अधिक भाने लगा है। ‌‌‌यदि इसी प्रकार से तेजी से पेड़ कटते रहेंगे तो एक दिन धरती पर ऑक्सीजन का स्तर काफी कम हो जाएगा और इसकी वजह से अनेक प्रकार की समस्याएं पैदा हो जाएंगी ।

‌‌‌ऑक्सीजन के बारे मे रोचक तथ्य

दोस्तों अब तक हमने ऑक्सीजन के अलग अलग उपयोग के बारे मे जाना आइए अब जानते हैं ऑक्सीजन के रोचक तथ्यों के बारे मे उम्मीद करते हैं कि आपको यह पसंद आयेगा ।

  • ‌‌‌जानवरों और पौधों के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है क्योंकि वे इसके अंदर सांस लेते हैं।
  • ऑक्सीजन गैस रंगहीन, गंधहीन और स्वादहीन होती है।
  • तरल और ठोस ऑक्सीजन हल्के और नीले रंग की होती है।
  • लाल, गुलाबी, नारंगी और काला रंग के अंदर भी ऑक्सीजन होते है। जिसके बारे मे शायद आपने नहीं सुना होगा ।
  • ऑक्सीजन एक है गैर धातु  ।
  • वैसे ऑक्सीजन की वजह से दहन होंता है। लेकिन शुद्ध ऑक्सीजन खुद नहीं जलती है।
  • ऑक्सीजन कमजोर रूप से चुंबकीय क्षेत्र की ओर आकर्षित होती है, लेकिन यह स्थायी चुंबकत्व को बरकरार नहीं रखती है।।
  • मानव शरीर के 2/3 भाग ऑक्सीजन  होती है।
  • शरीर में ऑक्सीजन परमाणुओं की तुलना में अधिक हाइड्रोजन परमाणु होते हैं, लेकिन उनका द्रव्यमान बहुत कम होता है।
  • ‌‌‌वैसे आपको बतादें कि ऑक्सीजन आपके जीने के लिए आवश्यक होती है लेकिन यदि यही अधिक मात्रा मे आपके शरीर मे पहुंच जाती है तो हत्या का कारण बन सकती है।शरीर अतिरिक्त ऑक्सीजन को एक प्रतिक्रियाशील नकारात्मक चार्ज आयन मे तोड़ देता है जिससे कि हाइड्रॉक्सिल रेडिकल उत्पादन बढ़ जाता है।
  • शुष्क हवा में लगभग 21% ऑक्सीजन, 78% नाइट्रोजन और 1% अन्य गैसें होती हैं। और पौधे प्रकाश संश्लेषण की मदद से लगातार ऑक्सीजन को वातावरण मे छोड़ते रहते हैं। किसी ग्रह पर जीवन संभव है या नहीं ? इसका पता वहां पर मौजूद ऑक्सीजन की मदद से लगाया जाता है।
  • प्रागैतिहासिक काल में जीव काफी बड़े थे क्योंकि उस समय अधिक मात्रा मे ऑक्सीजन मौजूद हुआ करता था। यह कोई 300 मिलियन साल पहले ।
  • ऑक्सीजन ब्रह्मांड में तीसरा सबसे प्रचुर तत्व है। यह तत्व हमारे सूर्य से लगभग 5 गुना अधिक विशाल तारों में बना है। कार्बन या हिलियम के जलने से ऑक्सीजन बनती है।
  • ताजे पानी में प्रति लीटर लगभग 6.04 मिली घुलित ऑक्सीजन होती है, जबकि समुद्री जल में केवल 4.95 मिली ऑक्सीजन ही होती है।
  • हीलियम और नियॉन दो ऐसी गैसे होती हैं जोकि ऑक्सीजन का यौगिक नहीं बनाते हैं।
  • जोसेफ प्रीस्टली ने 1774 में ऑक्सीजन की खोज की थी।
  • आप यदि घर पर ऑक्सीजन बनाना चाहते हैं तो हरी पत्ती को लें और पानी मे डूबों कर धूप वाले स्थान पर रखें आपको पानी मे डूबोने पर बुलबुले बनते दिखेंगे । इनके अंदर ऑक्सीजन होती है।पानी के माध्यम से एक पर्याप्त विद्युत प्रवाह चलाने से अणुओं को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के बीच के बंधन को तोड़ने के लिए पर्याप्त ऊर्जा मिलती जाती है। जिससे भी शुद्ध ऑक्सीजन को प्राप्त किया जा सकता है।

‌‌‌कोरोना और ऑक्सीजन का उपयोग

‌‌‌कोरोना काल के अंदर ऑक्सीजन की किस प्रकार से मारा मारी रही यह सबको पता है। कारोना की दूसरी लहर 2021 मे आई और इस दौरोन 20 फिसदी मरीजों की ही ऑक्सीजन पूर्ति सही ढंग से नहीं हो सकी तो आप समझ सकते हैं कि यदि 80 फीसदी जनता बीमार हो जाती तो हालत क्या होती ?

‌‌‌कोरोना की दूसरी लहर के अंदर दिल्ली के कई अस्पताल ऑक्सीजन की कमी का रोना रोते देखे गए सोसल मिडिया पर इस प्रकार के अनेक संदेश भी काफी वायरल हुए । जिसके अंदर मरीजों के परिजन ऑक्सीजन की आपूर्ति को लेकर चिंतित थे ।

‌‌‌इसके अलावा मरीजों के परिजनों का हाल तो इससे भी बुरा था। वे ऑक्सीजन का सिलेंडर लेकर दर दर की ठोकरे खा रहे थे ।एक मई 2021 को महरौली स्थित बत्रा अस्पताल के आईसीयू में भर्ती किए गए 12 कोविड मरीज़ों की मौत हो गई थीं और यह बताया गया कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से ही मरीजों की मौत हुई है।

दिल्ली के रोहिणी में मौजूद जयपुर गोल्डन अस्पताल के आईसीयू  मे भी 20 लोगों की मौत हुई थी । जिसके बारे मे भी यह कहा गया कि इनकी मौत भी ऑक्सीजन की कमी की वजह से ही हुई है।

‌‌‌उधर इन मौतों के लिए हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई तो सरकार ने कहा कि यह मौते ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई हैं। इस प्रकार से सरकार ने भी इससे अपना पल्ला झाड़ लिया ‌‌‌दिल्ली के ही सर गंगाराम अस्पताल में भी 22 रोगियों की मौत ऑक्सीजन की कमी की वजह से हो गई।

‌‌‌उसके बाद भी प्रसाशन ने ने इस बात को स्वीकार नहीं किया की मरीजों की मौत ऑक्सीजन की कमी की वजह से हो रही हें ‌‌‌उसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्रसरकार को लोगों की जान बचाने के लिए कहा । और कहा कि वे इस कार्य को सम्हाले ।

‌‌‌दिल्ली के अंदर काफी भयंकर ऑक्सीजन संकट रहा और दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच तकरार का माहौल बना रहा । जहां दिल्ली सरकार ने केंद्र पर यह आरोप लगाए कि केंद्र ने उसके हिस्से की ऑक्सीजन को नहीं दिया है वहीं केंद्र ने कहा कि दिल्ली सरकार टैंकरों की व्यवस्था नहीं कर रही है।

‌‌‌उसके बाद केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार पर यह आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ऑक्सीजन प्लांट नहीं लगा पाई थी लेकिन जैसा कि आप जानते ही हैं केजरीवाल ने इसका कारण भी केंद्र सरकार को बताया । बाद मे केजरीवाल ने केंद्र पर उसके ऑक्सीजन टैंकरों को रोकने का आरोप भी लगाया था। यह थी ऑक्सीजन पर राजनिति।

‌‌‌उसके बाद दिल्ली के उप मुख्यमंत्री ने राजनिति करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा के राज्यों की वजह से उनके यहां पर ऑक्सीजन नहीं पहुंच पा रही है। खैर सच को आप हमसे बेहतर जानते ही हैं।

‌‌‌आपको पता ही है कि जब कोरोना फैला तो अचानक से ऑक्सीजन की मांग इतनी अधिक बढ़ गई की बढ़ी हुई मांग की पूर्ति करना इतना आसान भी नहीं था। इसके अलावा अधिकतर ऑक्सीजन प्लांट ओडिसा और झारखंड जैसे राज्यों के अंदर पड़ते हैं क्योंकि यहां पर बिजली काफी सस्ती रहती है।

‌‌‌इन राज्यों से ऑक्सीजन को भरकर दिल्ली लाने मे काफी समय लग जाता है। यह 1500 किलोमीटर का सफर है।फ़रवरी और मार्च के महीनों में भारत में औसतन 850 टन ऑक्सीजन प्रतिदिन मेडिकल क्षेत्र में उपयोग हो रही थी उसके बाद अप्रेल 2020 से यह 3000 से अधिक टन पहुंच गई थी।

‌‌‌और उसके बाद जब कोरोना की तीसरी लहर आई तो ऑक्सीजन की मांग 8000 से अधिक टन पहुंच चुकी थी।पूरी दुनिया के अंदर 85 प्रतिशत ऑक्सीजन को केवल उधोगों मे ही प्रयोग मे लाया जाता है। 18 प्रतिशत ऑक्सीजन का प्रयोग मेडिकल सप्लाई मे ही किया जाता है।

क्रायोजेनिक टैंकरों की आवश्यकता ऑक्सीजन को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने की होती है। ऑक्सीजन उत्पादन उतनी अधिक समस्या नहीं है लेकिन ऑक्सीजन प्लाट काफी दूर होने की वजह से इसके परिवहन मे काफी समस्याएं आती हैं।

‌‌‌भारत सरकार ने ऑक्सीजन एक्सप्रेस की शूरूआत की थी । जिसकी मदद से ऑक्सीजन को इधर से उधर ले जाने का कार्य हुआ था।

‌‌‌जब अचानक से कोविड मेरीजों को मांग की तुलना मे 10 गुना अधिक ऑक्सीजन की जरूरत होने लगी तो ऐसी स्थिति के अंदर क्या किया जा सकता था ? जबकि ऑक्सीजन के उत्पादन का ढांचा पहले की तरह की पुराना ही था। ऑक्सीजन की पूर्ति के लिए उचित प्लांट भी लगाने चाहिए थे ।

‌‌‌दिल्ली के अंदर ऑक्सीजन की कमी का कारण यह भी रहा कि दिल्ली ने कभी भी खुद के राज्य के अंदर ऑक्सीजन प्लांट के बारे मे नहीं सोचा दिल्ली हमेशा ही राजस्थान में भिवाड़ी से, उत्तर प्रदेश में नोएडा, उत्तराखंड में देहरादून और हरियाणा पर ऑक्सीजन के लिए निर्भर रही थी।‌‌‌जब कोरोना के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी तो फिर राज्यों ने दूसरे राज्यों के अंदर जाने वाली ऑक्सीजन को रोक दिया और अपने राज्य के अंदर इस्तेमाल करने लगे । ऐसी स्थिति के अंदर ऑक्सीजन संकट पैदा तो होना ही था।

‌‌‌इन सबके अलावा कोरोना काल मे ऑक्सीजन की बरबादी भी काफी अधिक हुई ।खास कर उन अस्पतालों के अंदर ऑक्सीजन की अधिक बरबादी हुई जहां पर पहले ऑक्सीजन का प्रयोग नहीं हुआ था। मरीज को भी सही तरीके से पता नहीं था कि कब ऑक्सीजन सिलेंडर बंद करना है।

‌‌‌सिर्फ इतना ही नहीं । डॉक्टरों ने भी कभी भी यह जहमत उठाने की कोशिश नहीं कि कि मरीजों को अच्छे तरीके से बताया जाये । कई बार ऑक्सीजन कितनी मात्रा मे देनी है इसके बारे मे सही से  निर्णय नहीं किया गया था।

‌‌‌जानकार बताते हैं कि बिजली की बढ़ती दरों की वजह से ऑक्सीजन प्लांट बंद हो गए । क्योंकि ऑक्सीजन बनाने मे सबसे अधिक बिजली का ही उपयोग होता है। यदि सरकारें चाहती हैं कि ऐसी स्थिति दुबारा नहीं आए तो ऑक्सीजन प्लांटों को विशेष छूट प्रदान करें और बंद हो चुके उधोगेां को दुबारा जीवित करें ।

ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी

use of oxygen in hindi

‌‌‌भारत मे ऑक्सीजन सिलेंडर की काफी अधिक चोरी हुई थीं । और जिन लोगों को सिलेंडर की जरूरत थी उन तक सिलेंडर पहुंच नहीं पा रहे थे । वरन कुछ लोग अपने फायदे के लिए सिलेंडर का स्टॉक भी कर रहे थे । और एक विडियों मे एक महिला रो रो सिलेंडर की गुहार लगा रही थी। ‌‌‌बाद मे उसकी किसी ने मदद करने की पेशकस की और जब उसने अपने परिजनों को किसी पराइवेट अस्पताल मे भर्ती कराया तो वेही लोग ऑक्सीजन सिलेंडर के 40 हजार रूपये वसूलने लगे । आप समझ सकते हैं कि भारत की स्थिति क्या है।

‌‌‌और उसके बाद सबको पता है कि अपने परिजनों को बचाने के लिए हर कोई कुछ भी करने को तैयार हो जाएगा । और इसप्रकार से ऑक्सीजन सिलेंडर भारत के अंदर काफी उंचे दामों पर बिके ।

‌‌‌ऐसी बात नहीं है कि इन सबके अंदर पुलिस ने कार्यवाही नहीं की पुलिस भी कई लोगों को पकड़ रही थी जिन्होंने ऑक्सीजन की चोरी की थी। लेकिन इस धंधे के अंदर कई बड़े नाम भी शामिल थे जिसके गर्दन तक पुलिस भी नहीं पहुंच पा रही थी।

‌‌‌आमतौर पर भारत मे यह हमेशा से ही होता आया है।जब कोरोना की वजह से देश के अंदर ऑक्सीजन की कमी होने लगी तो कुछ लोग ऑक्सीजन सिलेंडर का अपने पास ना केवल स्टॉक कर रहे थे वरन उनको मनमर्जी की कीमतों पर बेच रहे थे। ऐसी स्थिति मे जो बीमार है उसे खरीदने पड़ रहे थे ।

‌‌‌तो दोस्तों ऑक्सीजन कितनी उपयोगी होती है उसके बारे मे आप जान ही चुके हैं। तो यदि आप चाहते हैं कि वातावरण के अंदर संतुलन बना रहे तो अपने घर के अंदर एक दो पेड़ अवश्य लगाएं । यदि हमारे घर का एक सदस्य एक पेड़ लगाता है तो वह भी कई पीढ़ी तक ऑक्सीजन दे सकता है।

‌‌‌पेड़ ही वह चीज है जो धरती पर जीवन को संभव बनाती है। बिना पेड़ के धरती पर जीवन का होना संभव ही नहीं हो सकता है। यदि ऑक्सीजन ही नहीं होगी तो जीवन कैसे होगा ? लेकिन अब बहुत से लोग इसको भी समझना बंद कर चुके हैं।

‌‌‌लेकिन लोग इनको समझना बंद कर चुके हैं। जो लोग   पेड़ नहीं लगा पाते हैं वे उससे अधिक पेड़ों को काट लेते हैं। और यही वजह है कि धरती पर पेड़ों की संख्या तेजी से कम होती जा रही है। ऐसे ही चलता रहा तो आने वाले दिनों मे इंसानों का विनाश होगा ।

ऑक्सीजन के उपयोग  लेख के अंदर हमने जाना कि ऑक्सीजन के क्या क्या उपयोग होते हैं? उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा यदि आपका कोई सवाल हो तो नीचे कमेंट करके बताएं ।

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  1. manawar

    good information yaar

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arif khan

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