‌‌‌कंगारू के बारे मे जानकारी और कंगारू से जुड़े तथ्य

‌‌‌ kangaroo information in hindi  . कंगारू के बारे में बताइए दोस्तों आपने कंगारू को देखा होगा आपको बतादें कि इसके आगे के पैर काफी उंचे होते हैं और यह कुछ हद तक खड़ा भी हो सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । कंगारू ऑस्ट्रेलिया और न्यू गिनी के मूल निवासी हैं । ऑस्ट्रेलियाई सरकार का अनुमान है कि 2019 में 42.8 मिलियन कंगारू ऑस्ट्रेलिया के वाणिज्यिक फसल क्षेत्रों में रहते थे, जो 2013 में 53.2 मिलियन से कम है।

‌‌‌दोस्तों कंगारू के काफी ताकतवर पैर होते हैं और इसकी मदद से वे आसानी से लंबी छलांक को लगा सकते हैं। और इनके पास एक छोटा सा सिर होता है। अक्सर आपने भले ही कंगारू को रियल मे नहीं देखा है लेकिन आपने इनको विडियों मे कई बार देखा भी होगा । आप इसकी फोटो को भी गूगल पर देख सकते हैं।

‌‌‌इसके अलावा आपको बतादें कि कंगारू के अंदर एक तरह के विशेष दांत होते हैं जोकि अन्य स्तनधारियों के अंदर होने के चांस काफी कम ही होते हैं। इसकी दाढ जो घास को काटने मे मदद करती है।इसके अलावा कंगारू इंसानों के साथ रहने के लिए अच्छी तरह से अनुकूलित किये गए हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए।

कोआला के साथ कंगारू ऑस्ट्रेलिया के प्रतीक हैं  और आपको ऑस्ट्रेलिया के अंदर अक्सर कंगारू देखने को मिल जाएगी । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं। हालांकि कंगारू के मांस को भी मानव उपयोग के लिए काफी अच्छा माना जाता है और कई बार खेतों को नुकसान पहुंचाने की वजह से कंगारू को गोली ‌‌‌ मार दी जाती है इसके बारे मे भी आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌ कंगारू के बारे में बताइए कंगारू की गति के बारे मे जानकारी

दोस्तों आपको बतादें कि कंगारू एक लाल कंगारू के लिए आरामदायक कूद गति लगभग 20-25 किमी/घंटा (12-16 मील प्रति घंटे) है, लेकिन कम दूरी पर 70 किमी/घंटा (43 मील प्रति घंटे) तक की गति प्राप्त की जा सकती है।

‌‌‌जैसा कि आपने देखा होगा कि कंगारू एक जानवर की तरह सीधे नहीं दौड़ती है वह काफी तेज छलांग लगाती है और काफी तेजी से आगे की तरफ बढ़ती है। यह इनकी सबसे बड़ी खास बात होती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌कंगारू का भोजन

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दोस्तों यदि हम कंगारू के भोजन की बात करें तो यह शाकहारी होती है। इसको कभी भी मांस खाते हुए नहीं देखा जा सकता है। और इनके पेड़ के अंदर चार डिब्बे होते हैं। यह निगले हुए भोजन को फिर से चबाने के लिए जाने जाते हैं। और यह आमतौर पर दिन के अंदर आराम करते हैं और रात के अंदर अपने ‌‌‌ भोजन की तलाश करने के लिए निकलते हैं। हालांकि यह झुंड के अंदर भी देखे जा सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌आपको बतादें कि कंगारू पाचन के दौरान बड़ी मात्रा के अंदर मिथैन गैस को छोड़ते हैं जोकि इनको एक तरह से अलग किस्म का जानवर बनाने का काम करता है। मीथेन का ग्रीनहाउस गैस प्रभाव प्रति अणु कार्बन डाइऑक्साइड से 23 गुना अधिक है

‌‌‌कंगारू का सामाजिक और यौन व्यवहार

‌‌‌कंगारुओं के समूह को मॉब , कोर्ट या ट्रूप कहा जाता है। इसके अंदर 10 से अधिक कंगारू होते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।हालांकि कंगारू की संख्या इस बात  पर निर्भर करती है कि स्थान पर खाने को कितना है। यदि बड़ी मात्रा के अंदर खाने को घास वैगरह है तो वहां पर आसानी से कई सारे कंगारू ‌‌‌एकत्रित हो सकते हैं लेकिन यदि खाने को कम है तो फिर कंगारू एकत्रित नहीं होंगे ।इनके अंदर सूंघने की अच्छी क्षमता होती है। जैसे कि यदि कोई कंगारू छोटा है तो उसको सूंघा जाता है इस दौरान वह जमीन पर बैठ सकता है।

‌‌‌इसके अलावा इनके अंदर अभिवादन सिस्टम भी होता है। इसके अंदर बड़े लोगों का अभिवादन करते हैं। और माता अपने बच्चों को दूध पिलाती है और उनकी अच्छी तरह से देखभाल करती है।  और यदि हम कंगारू की यौन गतिविधियों की बात करें तो इनके अंदर पति पत्नी जोड़े होते हैं। और ओस्ट्रस मादाएं मादाएं भी बड़ी संख्या के अंदर घूमती हुई देखी जा सकती हैं जोकि नर का ध्यान आकर्षित करती हैं। उसके बाद नर धीरे धीरे उनका अनुसरण करने लग जाएगा । और फिर उनके मूत्र वैगरह को सूंघेगा । यदि मादा भी संबंध के लिए तैयार होती है तो उसके बाद संबंध बंध जाएगा । आप इस बात को अच्छी तरह से समझ ‌‌‌सकते हैं। यदि हम कंगारू की बात करें तो यहां पर मादाओं की अक्सर लड़ाइयां नहीं होती हैं लेकिन नर जो होते हैं उनको आपस मे लड़ता हुआ देखा जा सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । जैसे कि नर एक साथ चर रहे होते हैं तो वे अचानक से लड़ सकते हैं। जिसके अंदर मुक्के बाजी भी हो सकती है।

‌‌‌और इसके अंदर होता यह है कि कई बार मादाओं को लेकर भी दो नरों के अंदर झगड़ा हो जाता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । हालांकि यह लड़ाई अधिक समय तक नहीं चलती है। यदि एक नर बूढ़ा है तो वह चुनौती को अस्वीकार कर सकता है और वह लड़ने के लिए तैयार नहीं होगा ।

ऐसा लगता है कि हारने वाला लड़ाका अधिक बार किकिंग का उपयोग करता है, शायद अंतिम विजेता के जोर को कम करने के लिए। एक विजेता का फैसला तब किया जाता है जब एक कंगारू लड़ाई को तोड़कर पीछे हट जाता है। विजेता अपने विरोधियों को पीछे या नीचे जमीन पर धकेलने में सक्षम होते हैं।

‌‌‌इसका मतलब यही है कि कंगारू के अंदर भी यदि किसी की जीत हो जाती है तो इसका जश्न मनाया जाता है और दूसरा पक्ष वहां से चला जाता है। वैसे देखा जाए तो यह कुछ हद तक इंसानों की तरह ही होता है।

‌‌‌कंगारू के शिकारी

कंगारू के बारे में बताइए

दोस्तों आपको बतादें कि कभी जमाने के अंदर कंगारू के भी प्राकृतिक शिकारी हुआ करते थे । उनके अंदर थायलासीन एक प्रकार का चित्ते जैसा प्राणी था । इसी तरह से अन्य विलुप्त शिकारियों में मार्सुपियल शेर , मेगालानिया और वोनाम्बी शामिल थे ‌‌‌हालांकि अब डिंगो जैसे जानवर हैं जोकि कंगारू के शिकार के लिए जाने जाते हैं। डिंगों एक प्राचीन नस्ल का कुत्ता है जोकि आज से 5000 साल पहले आया था।

‌‌‌दोस्तों आपको बतादें कि कंगारू ने शुष्क मौसम और दूसरे मौसम बदलाव के अंदर खुद को अनुकूलित कर लिया है।इसकी वजह से वह कई तरह के मौसम के अंदर बहुत ही आसानी से रह सकते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌यदि हम मादा कंगारू की बात करें तो इसके पास एक खास प्रकार की क्षमता होती है। इसका मतलब यह है कि जब एक भ्रूण थैली को छोड़ने के लिए उचित रूप से तैयार नहीं होता है तो वह पेट मे पल रहे भ्रूण के विकास को स्थिर करने मे सक्षम होती है।इसे भ्रूणीय डायपॉज के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा आपको बतादे ‌‌‌की जो मादा होती है वह दो अलग अलग प्रकार के दूध का उत्पादन करने मे सक्षम होती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।इसके अलावा यदि मौसम काफी शुष्क होता है तो मादा सफेद को पैदा करने मे सक्षम नहीं होंगे ।

‌‌‌कंगारू के अंदर अंधापन

दोस्तों आपको बतादें कि कंगारू के अंदर इस तरह का रोग भी होता है जिसकी वजह से वे अंधेपन का शिकार हो सकती हैं। कंगारू अंधेपन की पहली आधिकारिक रिपोर्ट 1994 में सेंट्रल न्यू साउथ वेल्स में हुई थी । अगले वर्ष, विक्टोरिया और दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में नेत्रहीन कंगारुओं की रिपोर्ट सामने आई।‌‌‌इसके अलावा वालल नामक एक वायरस की पहचान की गई थी । जिसकी मदद से कंगारू काफी अंधी हो सकती हैं। और इस वायरस का असर इंसान के उपर भी हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं।

‌‌‌कंगारू के अंदर प्रजनन

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दोस्तों यदि हम कंगारू के अंदर प्रजनन की बात करें तो सबसे पहले एक अंडा अंडाशय से गर्भाश्य के अंदर उतरता है। इसके अंदर केवल जर्दी होती है।और नवजात सिर्फ 33 दिन बा ही निकलता है। यह अंधा होता है और इसके उपर बाल हनीं होते हैं। उसके बाद यह थैली के अंदर घुस जाता है और फिर से

‌‌‌माता का दूध चूसने लग जाता है।और बच्चे के जन्म के तुरंत बाद ही यौन चक्र शूरू हो जाता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।और उसके बाद यदि मादा संबंध बनाती है और दूसरे अंडे को निषेचित करती है तो उसका विकास अस्थाई तौर पर रूक जाता है।

‌‌‌इसके अलावा थैली के अंदर जो शिशू होता है वह काफी तेजी से बढ़ता रहता है और जब वह 190 दिन का हो जाता है तो अपने सिर को बाहर रखने लग जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।जब तक वह खुद को काफी सुरक्षित महसूस करता है तो उसके बाद थैली से बाहर आ जाता है।

अंतत: लगभग 235 दिनों के बाद थैली को आखिरी बार छोड़ देता है। और इनका  का जो कुल जीवन काल होता है वह 20 साल के आस पास होता है।

‌‌‌मनुष्यों के साथ कंगारू का संबंध

दोस्तों यदि हम मनुष्यों के साथ कंगारू के संबंध की बात करें तो यह आमतौर पर  ऑस्ट्रेलियाई आदिवासियों के लिए अपने मांस , खाल, हड्डी और कण्डरा के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण जानवर रहा है। और इसके अलावा कंगारू का इस्तेमाल कई तरह के मनोरंजन के लिए भी किया जाता है।

‌‌‌लेकिन जंगलों पर इंसानी अतिक्रमण की वजह से इनकी आबादी के अंदर काफी तेजी से कमी आई इसके बारे मे आपको पता ही होगा । और जंगलों को काटने के बाद इंसान उन जंगलों के अंदर बस गए थे ।

‌‌‌कंगारू की सबसे बड़ी खास बात यह होती है कि यह इंसानों को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाते हैं और 2003 के अंदर एक घटना प्रकाश मे आई थी जिसके अंदर एक कंगारू ने एक पेड़ से गिरे किसान की जान बचाई थी । इसलिए उस कंगारू को सम्मानित भी किया गया था।

ऑस्ट्रेलिया में कंगारू हमले से हुई मौत के केवल दो विश्वसनीय रूप से प्रलेखित मामले सामने आए हैं।हालांकि यह काफी डेंजर नहीं होते हैं। और कभी कभी हमला कर सकते हैं। खासकर तब जब इनको काफी अधिक खतरा महसूस होता है तो इनके हमले करने का चांस काफी अधिक बढ़ जाता है।

‌‌‌कंगारू से वहानों की टक्कर

दोस्तों ऑस्ट्रेलिया के अंदर कंगारू से वाहनों की टक्कर सबसे अधिक आम होती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप अच्छी तरह से समझ सकते हैं।आमतौर पर लाइट के चकाचौंध के अंदर कंगारू कार के आगे उछलते हैं और इसकी वजह से वे कार से टकरा जाते हैं और इससे एक भयंकर ‌‌‌एक्सीडेंट हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । इसलिए ऑस्ट्रेलिया के अंदर कई जगहों पर इस तरह के बार्ड लगाए गए हैं कि वहां पर रोड़ पर कंगारू आने का खतरा है इसलिए गाड़ी को धीरे चलाना सबसे अधिक जरूरी होता है आप इस बात को समझ सकते हैं।

कंगारू हजारों वर्षों से स्वदेशी आस्ट्रेलियाई लोगों के लिए भोजन का स्रोत रहा है । कंगारू मांस प्रोटीन में उच्च और वसा में कम (लगभग 2%) होता है। कंगारू मांस में अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में संयुग्मित लिनोलिक एसिड (सीएलए) की उच्च सांद्रता होती है, और कंगारू मांस को दुनिया के कई देशों के अंदर

‌‌‌निर्यात किया जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

बॉक्सिंग कंगारू

बॉक्सिंग कंगारू के बारे मे आपको बतादें कि यह औस्ट्रेलिया का एक राष्टि्रय प्रतीक होता है। जिसे अक्सर पॉप संस्कृति में देखा जाता है। आपको बतादें कि क्रिकेट ,टेनिस बॉस्केटबाल और फुटबाल  राष्ट्रमंडल और ओलंपिक खेलों जैसे खेल आयोजनों में ऑस्ट्रेलियाई दर्शकों द्वारा प्रतीक को ‌‌‌ दिखाया जाता है।यदि हम बॉक्सींग कंगारू की बात करें तो कंगारू अक्सर अपने दूसरे साथी के साथ कई बार बॉक्सींग करता हुआ दिखाया जाता है। यही से इसके विचार को लिया गया है।जैक, फाइटिंग कंगारू विद प्रोफेसर लेंडरमैन” शीर्षक वाला एक कार्टून दिखाई दिया  उसके बाद से बॉक्सींग कंगारू का रूप प्रयोग मे ‌‌‌आने लगा था। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।1983 में बॉक्सिंग कंगारू को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व मिला, जब इसने अमेरिका के कप के लिए सफल ऑस्ट्रेलियाई चुनौती के प्रतीक के रूप में कार्य किया।

  • बेबी कंगारू – जिसे जॉय कहा जाता है और जब इसके बच्चे का जन्म होता है तो यह 2 ग्राम तक का होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और जन्म लेने के बाद यह मादा की थैली के अंदर चला जाता है और उसके बाद यह वहां पर तब तक रहता है जब तक कि यह पूरी तरह से परिपक्व नहीं हो जाता है।
  • अपने लंबे पैर और बड़ी पूंछ के कारण कंगारू की सबसे बड़ी खास बात यह होती है कि यह ना तो पीछे की और चल सकते हैं और ना ही कूद सकते हैं। यदि इनको जाना है तो फिर इनको आगे की तरफ जाना होगा । यह कंगारू की सबसे बड़ी खास बात होती है।
  • ‌‌‌अब यदि हम कंगारू की प्रजातियों की बात करें तो कंगारू की दुनिया भर के अंदर 60 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। कुछ प्रजातियां काफी छोटी होती हैं तो कुछ बड़ी होती हैं। और इनका निवास स्थान अलग अलग होता है। तो आप समझ ही गए होंगे कि कंगारू की दुनिया मे कितनी प्रजातियां हैं।
  • ‌‌‌दोस्तों आपको बतादें कि कंगारू पेड़ के उपर भी चढ़ सकता है इनकी बनावट ही कुछ इस प्रकार से होती है कि यह आसानी से पेड़ पर चढ़ सकते हैं। और वर्षावन के अंदर यह कई बार पेड़ पर चढ़कर आराम फरमाते हुए देखे जा सकते हैं तो है ना कंगारू के संबंध मे एक अजीब बात ।
  • सबसे बड़े कंगारू एक छलांग से 8 मीटर (25 फीट) की दूरी तय कर सकते हैं। इतनी ही दूरी तय करने के लिए आपको लगभग 10 कदम उठाने होंगे। मतलब यही है कि यह छलांग को लगाने मे काफी आगे होते हैं। और इसकी मदद से ही यह अपनी जंगल के अंदर रक्षा करने मे सक्षम होते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । ‌‌‌इस तरह से कंगारू की छलांग काफी लंबी होती है। इसके बारे मे आप जान ही चुके हैं।
  • ‌‌‌कंगारू के अंदर जो सबसे बड़ी बात जो हमने देखी वह यह है कि मादा कंगारू अपने गर्भ को रोकने मे सक्षम होती है। आजतक मेरे सामने ऐसा नहीं आया कि कोई मादा अपने गर्भ के विकास को अपनी इच्छा से रोक दे तो यह नहीं हो सकता है। लेकिन कंगारू के अंदर यह क्षमता पाई जाती है कि यह शिशू के विकास को रोक सकता है।
  • ‌‌‌अब यदि हम कंगारू के पूंछ की बात करें तो यह काफी ताकतवर होती है। और कंगारू पूंछ का प्रयोग अपने पांचवे अंग के लिए करते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । पूंछ की ताकत का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि ‌‌‌जब यह किसी दूसरे कंगारू को दोनौं पैरों से लात मारते हैं तो पूंछ पर ही इनका सारा वजन होता है। तो यह सिस्टम दूसरे किसी जानवर के अंदर नहीं पाया जाता है। आप इसको समझ सकते हैं।
  • कंगारू पूरे ऑस्ट्रेलिया में आदिवासी और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर लोगों के लिए सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। और यह कंगारू नाम गंगरूसे आया है जोकि एक प्राचीन आदिवासी का नाम है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।उष्णकटिबंधीय उत्तर के गुगा यिमिथिर लोगों द्वारा पूर्वी ग्रे कंगारुओं को दिया गया नाम है।
  • ‌‌‌दोस्तों आपको पता होना चाहिए कि कंगारू अकेला रहने वाला प्राणी नहीं है। यह समूह के अंदर रहते हैं और इनके समूह को भीड़ के नाम से जाना जाता है। यह अपने लोगों के साथ संवाद भी कर सकते हैं। कंगारू अपने बच्चों को वापस बुलाने के लिए एक खास प्रकार की आवाज को निकालती है। ‌‌‌जिसको सुनकर कंगारू के बच्चे अपनी मां के पास वापस आ जाते हैं आप इस बात को समझ सकते हैं।

benefits of eating kangaroo meat

benefits of eating kangaroo meat

‌‌‌दोस्तों हम इंसान सभी तरह के जानवरों का मीट खाते हैं और इसके अंदर कंगारू भी आते हैं। हालांकि भारत के अंदर कंगारू का मीट नहीं खाया जाता है। लेकिन ऑस्ट्रेलिया के अंदर कंगारू का मीट खाया जाता है। वैसे आपको बतादें कि कंगारू का मीट खाना उतने अधिक फायदेमंद नहीं होता है। इसके अंदर बस प्रोटीन ही उच्च ‌‌‌मात्रा के अंदर होता है। बाकि और कुछ भी अधिक मात्रा के अंदर नहीं होता है। कंगारू के मीट के अंदर काफी कम वसा होती है। इसके बारे मे भी आपको पता होना चाहिए । लेकिन उसके बाद भी लौग कंगारू का मीट खाते हैं। हालांकि यह उतना अधिक स्वादिष्ट भी नहीं होता है। खैर कंगारू की आबादी को नियंत्रित करने ‌‌‌के लिए तो वैसे यह एक बहुत ही जरूरी हो सकता है। इसका कारण यह है कि जब कंगारू की आबादी काफी अधिक बढ़ जाती है तो यह फसलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं इस वजह से कंगारू का मीट खाना सबसे अधिक जरूरी होता है।

‌‌‌क्या आपने कभी कंगारू का मीट खाया है ? यदि आपका जवाब हां है तो आप हमें अपने अनुभव के बारे मे बता सकते हैं । जैसे कि यह मीट किस तरह का होता है और आपको इसके अंदर क्या बेहतर लग सकता है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि कंगारू मांस में एल-कार्निटाइन की उच्च मात्रा होती है , एक लाल मांस यौगिक जो धमनी पट्टिका को हृदय रोग, स्ट्रोक और दिल के दौरे के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।वैसे आपको बतादें कि औस्ट्रेलिया के अंदर कंगारू के शिकार के संबंध मे  अलग अलग तरह के नियमों को बनाया गया है

‌‌‌फिर भी दोस्तों कंगारू का मांस एक अच्छा उपाय नहीं है। अधिकतर केस के अंदर यह आपके लिए उपयोगी नहीं रहता है लेकिन आपको पता ही है कि दुनिया के लोग हर तरह के मांस का टेस्ट करने के इच्छुक रहते हैं ।भले ही यह उनके लिए फायदेमंद ना ही हो तो भी यह उनके लिए चलता है।

‌‌‌वर्तमान मे कई इस तरह के खाने पीने की चीजें होती है जोकि कंगारू से बनाई जाती हैं और उसके बाद इसको बड़े ही चाव से खाया जाता है आप इस बात को समझ सकते है।

‌‌‌इस तरह से दोस्तों कंगारू के  बारे मे हमने इस लेख के अंदर विस्तार से जाना उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आएगा । यदि आपको यह लेख पसंद आया तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं।

arif khan

‌‌‌हैलो फ्रेंड मेरा नाम arif khan है और मुझे लिखना सबसे अधिक पसंद है। इस ब्लॉग पर मैं अपने विचार शैयर करता हूं । यदि आपको यह ब्लॉग अच्छा लगता है तो कमेंट करें और अपने फ्रेंड के साथ शैयर करें ।‌‌‌मैंने आज से लगभग 10 साल पहले लिखना शूरू किया था। अब रोजाना लिखता रहता हूं । ‌‌‌असल मे मैं अधिकतर जनरल विषयों पर लिखना पसंद करता हूं। और अधिकतर न्यूज और सामान्य विषयों के बारे मे लिखता हूं ।