बकरे की बलि क्यों दी जाती है बलि देने से क्या होता है ?

बकरे की बलि क्यों दी जाती है- दोस्तों बलि के बारे मे तो आप अच्छे से जानते ही होंगे । और हिंदु धर्म हो या मुस्लिम इन सब के अंदर बकरे की बलि और पाड़े की बलि दी जाती हैं। और कई बार तो इंसान की बलि देने की खबरे भी आती हैं। ‌‌‌बहुत से लोगों को आज भी यह समझ मे नहीं आता है कि हम बलि क्यों देते हैं ?

यदि हम बलि देने के असली रहस्य को जान जाएंगे तो हमारी आंखों से पर्दा उठ जाएगा । ‌‌‌कुछ लोगों को लगता है कि बलि देना एक फालतू चीज है। बकरे की बलि देने या पाड़े की बलि देना मात्र अंधविश्वास है। तो दोस्तों आपके ज्ञान के लिए बतादें की धार्मिक जानकार लोग यह मानते हैं कि बलि देने से वास्तव मे कुछ होंता है।

बकरे की बलि क्यों दी जाती है

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‌‌‌बकरे की बलि क्यों दी जाती है या पशु बलि इन हिंदु धर्म

‌‌‌दोस्तों मेरे जैसे बहुत से ऐसे लोग हैं। जिनको यह लगता है कि हिंदु धर्म के अंदर बकरे की बलि देना , या पाड़े की बलि देना लिखा गया है। लेकिन बात सच नहीं है। हिंदु धर्म के सबसे पौराणिक ग्रंथ वेदों के अंदर पशु बलि देना पाप बताया गया है।‌‌‌

हिंदु धर्म के अंदर कुछ देवता ऐसे हैं। जिनको बलि चढ़ाई जाती है। वैसे यदि हम हिंदु धर्म के सबसे पौराणिक ग्रंथ  वेद, उपनिषद और गीता की बात करें तो बलि देना पाप है।‌‌‌और इस संबंध मे  ”मा नो गोषु मा नो अश्वेसु रीरिष:।”- ऋग्वेद 1/114/8 का मंत्र आप देख सकते हैं। दोस्तों वेदों के अंदर या हिंदु धर्म के अंदर बलि को निषेध किया गया है। लेकिन आपको बतादें कि उसके बाद भी बहुत से लोग बलि को हिंदु धर्म से जोड़कर देखते हैं।

‌‌‌आपको बतादें कि हिंदु धर्म की किसी ने भी सही सही ‌‌‌व्याख्या नहीं की है। आप यदि भगवद गीता पढ़ना चाहेंगे तो वह भी आपको ऑरेजनल नहीं मिलेगी । मतलब सच आपके सामने ही नहीं आने दिया गया है। सब कुछ झूठ है।‌‌‌आप गीता पढ़ सकते हैं आपको पशु बलि देने की आज्ञा कहीं पर भी नहीं दी गई है। दोस्तों एक बार आप घर पर गीता मंगवाकर अवश्य ही पढ़ें ।

‌‌‌यदि आप बलि देते हैं तो आप असुर और दानव है । दोस्तों वेद सबसे प्राचीन हैं और इनकी सत्यता दूसरे ग्रंथों की तुलना मे सबसे अधिक है। इस वजह से इनके अंदर यह माना गया है कि यदि आप बलि देते हैं मतलब यदि आप बकरे की बलि देते हैं या किसी भी प्रकार की बलि देते हैं ‌‌‌तो इनके अनुसार आप घोर पापी हैं और मरने के बाद नरक मे जाएंगे ।

बकरे की बलि क्यों दी जाती है

‌‌‌बकरे की बलि या पशु बलि इन हिंदु धर्म

‌‌‌दोस्तों बलि क्यों दी जाती है ? इस प्रश्न के अनेक उत्तर हैं और हम आपको इसके कई उत्तर बताने का प्रयास करेंगे । एक तरफ वेद कहते हैं कि बलि देना गलत है। और दूसरी तरफ आम हिंदु धर्म की किताबे कहती हैं कि बलि देना सही है? कई किताबों के अंदर देवताओं को बलि देने के बारे मे लिखा गया है। ‌‌‌और हम जो बलि देते हैं उसे अपने बनाए देवताओं को ही बलि देते हैं। क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि वेदों के अंदर क्या लिखा है ?

वेदों के अंदर यह लिखा है कि ईश्वर ना ईश्वर न तो भगवान है, न देवी है, न देवता और न ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश उसका कोई पिता नहीं है। वह अजर अमर है। ‌‌‌कहने का मतलब है ईश्वर को किसी भी चीज की आवश्यकता नहीं है। उसे ना बलि की आवश्कता है ना पूजा की । क्योंकि वह सर्वव्यापक है और निराकार है। हम जो बलि देते हैं वह देवताओं को देते हैं।

‌‌‌देवताओं को खुश करने के लिए

बकरे की बलि देने का सबसे बड़ा कारण यह है कि ऐसा करके आप देवताओं को खुश करते हैं।बलि देने से देवता प्रसन्न हो जाते हैं। आप जिस देवता को पूजते हैं यदि वह बलि स्वीकार करता है तो आप उसे बलि देकर क्रपा प्राप्त कर सकते हैं। ‌‌‌बहुत से लोग जो देवी काली को पूजते हैं या भैरव को पूजते हैं वे बलि देकर देवी को खुश कर देते हैं। ऐसा करने से वे देवी की क्रपा अपने उपर बनाए रखते हैं।

‌‌‌बकरों की बलि क्यों दी जाती है अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए

कुछ लोग देवताओं से कुछ मांगते हैं और यह बोलते हैं कि यदि उनकी मानोकामना पूर्ण हो जाती है। तो वे बदले मे बकरे की बलि देंगे । और जब उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो फिर वे बदले मे बकरे की बलि चढ़ाते हैं। ‌‌‌वे बकरे की बलि सिर्फ उन्हीं देवताओं के लिए बोल सकते हैं जोकि इसको स्वीकार करने की आज्ञा देते हैं। यदि उनको इसको स्वीकार करने की आज्ञा नहीं करते तो बकरे की बलि नहीं चढ़ाई जा सकती है।

‌‌‌देवता खुद भी बलि मांगते हैं

बकरे की बलि

दोस्तों इस बात मे कोई शक नहीं है कि देवता ईश्वर नहीं होते हैं वे सिर्फ मरे हुए इंसान होते हैं। और ईश्वर वो होता है जो अजर अमर है। जिसका जन्म नहीं होता है। कई बार आपने देखा भी होगा देवता आपके काम करने के बदले मे भी बलि मांगते हैं। वे आमतौर पर किसी के शरीर के ‌‌‌अंदर आकर यह बोलते हैं कि उन्हें बकरे की बलि चाहिए ? ‌‌‌और इस वजह से भी बहुत से लोग बकरे की बलि देते हैं।

‌‌‌बकरे की बलि देना एक परम्परा

दोस्तों कुछ ज्ञानी लोगों ने मंदिरों के अंदर बलि देने की परम्परा की स्थापना की थी। और इस वजह से अब यह परम्परा हमेशा से ही चलती आ रही है। लोग जब दूसरे लोगों को बलि देते हुए देखते हैं और इस विषय के बारे मे जानते हैं तो फिर वे खुद भी अपने कामों को सिद्व करने के ‌‌‌के लिए बकरे या पड़े की बलि देने के बारे मे सोचते हैं। इस प्रकार से एक दूसरे की देखा देखी के अंदर यह सब चलता आ रहा है। ‌‌‌और अब तो यह एक परम्परा बन चुकी है। इस वजह से लोग इसके अंदर बढ़ चढकर हिस्सा लेते हैं। कई बड़े उत्सवों के अंदर हजारों बकरों की बलि दी जाती है।

देवताओं को ताकतवर बनाने के लिए

दोस्तों देवताओं को हम बलि देते हैं। चाहे वह बलि बकरे के रूप मे हो या किसी और रूप के अंदर यदि आप देवताओं के मंदिर पर नारियल चढ़ाते हैं तो वह भी एक बलि होती है। मतलब है उस नारियल की उर्जा को देवताओं को सौंपते हैं।‌‌‌

और उस उर्जा का प्रयोग देवता अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए करते हैं । दोस्तों बहुत से लोग अपने देवताओं की ताकत बढ़ाने और उनको और अधिक शक्ति प्रदान करके के लिए बली देते हैं।‌‌‌मुख्य रूप से जो बलि देने का मकसद होता है। वह यही होता है। बस यही वह वजह है जिसकी वजह से देवताओं को बली पसंद होती है।

‌‌‌आपने इस बात को नोटिस किया होगा कि देवता प्रसाद वैगरह को खाने नहीं आते हैं । लेकिन उसके बाद भी वे प्रसाद वैगरह से इसी वजह से खुश होते हैं। क्योंकि उनको इसकी उर्जा मिलती है। जिससे उनकी ताकत के अंदर बढ़ोतरी होती है। इतना ही नहीं भूत पलीत भी अपनी उर्जा को बढ़ाने की कोशिश करते हैं।

‌‌‌बिना बलि के नष्ट हो सकते हैं देवता ?

एक वेबसाइट पर मुझे काफी रिसर्च करने पर यह जानकारी मिली है कि मंदिरों के अंदर यदि किसी भी प्रकार की बलि नहीं देंगें । मतलब यदि आप अचानक से मंदिर के अंदर प्रसाद वैगरह चोढना बंद कर देते हैं । तो इसका अर्थ होगा कि अब आपको उसी देवी देवता की आवयश्कता ‌‌‌नहीं है। और इस वजह से जब सब लोग उस देवी देवता की पूजा बंद करदेंगे तो उस देवता की शक्ति घट जाएगी । और एक समय ऐसा आएगा ।जब वह देवता ही नष्ट हो जाएगा ।‌‌‌यदि आपको पता हो तो लगभग हर देवता अपनी पूजा पर प्रसन्न होता है। लेकिन जब आप उसकी पूजा को छोड़ देते हैं तो वह रूष्ट हो जाता है और आपको इससे दोष लग जाता है। ऐसा इसी वजह से होता है क्योंकि ऐसा करने से देवता की उर्जा घट जाती है।

‌‌‌एक लेख के अंदर हम आपको बताया था कि देवता भगवान नहीं हैं। मतलब वे ईश्वर नहीं हैं ईश्वर सिर्फ एक है जो अजर अमर है जिसको किसी ने नहीं बनाया है । और उसे आपकी पूजा की कोई आवश्यकता नहीं है।

‌‌‌हमारे देवता कोई ज्यादा पुराने नहीं हैं

दोस्तों दुनिया को बने हुई काफी मिलियन साल हो चुके हैं। लेकिन आपको बतादें कि हम जिन देवताओं की पूजा करते हैं।‌‌‌वो कोई ज्यादा पुराने नहीं हैं। जब हमारी सभ्यता का विकास हुआ तब कोई भी देवता नहीं रहा होगा या हम जानते नहीं थे ।उसके बाद यह धीरे धीरे अस्ति्व मे आए । आपको बतादें कि दुनिया की पुरानी सभ्यता जिसको सिंधु घाटी की सभ्यता के नाम से जाना जाता है।‌‌‌आज से 5000 साल पहले लोग आज के हमारे देवताओं को जानते ही नहीं थे ।‌‌‌यदि हमारे यह देवता भगवान थे तो उस वक्त कहां थे ?

‌‌‌इतना ही नहीं इंसान का इतिहास तो 5000 साल से ही बेहद पूराना है। लेकिन आपको बतादें कि दुनिया के अंदर अब तक के साक्ष्यों के अंदर 3000 साल पुराना शिव मंदिर मिला है। उसके अलावा हिंदु धर्म का अन्य कोई सबूत नहीं मिला है।‌‌‌

इन सब चीजों को देखकर तो यही लगता है कि देवताओं को बनाए रखना और उनको बलि देना हम सबने किया है। यदि आप किसी भी इंसान को जो देवलोक के अंदर रहता है उसे उर्जा देने लगोगे तो वह ताकतवर बन जाएगा । एक वेबसाइट के अनुसार ‌‌‌देवताओं को हमने बनाया है और उनको बनाए रखने के लिए उनके साथ कुछ विधानों को जोड़ा है ताकि उनको पोषण मिलता रहे ।

‌‌‌बकरे की बलि कैसे दी जाती है उर्जा का उपयोग करना

दोस्तों ऐसा माना गया है कि हर चीज के अंदर उर्जा होती है। और उस उर्जा का उपयोग अपने कल्याण के लिये किया जा सकता है। कुछ तंत्रमंत्र के जानकार अपने देव को बकरे की बलि देते हैं। ऐसा वे इसलिए करते हैं क्योंकि वे उस जीव से देवता को खुश करना चाहते हैं।‌‌‌ताकि देवता उस उर्जा का प्रयोग करके आपका कल्याण कर सके ।

दोस्तों आपको बतादें कि देवता को उर्जा देना या अपनी जिंदगी की बात करें तो एक जीवन से ही दूसरा जीवन चलता है। इस संबंध मे लिखा गया है कि आप जब अन्न को खाते हैं तो एक जीवन को नष्ट कर देते हैं और ऐसा करने से दूसरे जीवन का पोषण होता है।

दोस्तों जहां तक मुझे लगता है की जीव हत्या करना पाप है। अभी भी बहुत सारी ऐसी चीजे हैं । जिनके बारे मे जानना बाकी है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि आज भी हम लोग यह नहीं जानते हैं कि असल मे वह भगवान कौन है जो अजर अमर है ।‌‌‌जिसकी हमे पूजा करनी चाहिए। आज भी हम देवताओं को ही भगवान मानकर बैठे हुए हैं। लेकिन जहां तक गीता की बात है तो उसके अंदर यह लिखा गया है कि देवताओं को मानने वाले देवलोक जाते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनको मोक्ष मिलता है।‌‌‌क्योंकि देवताओं का भी जन्म होता है।

‌‌‌यदि आप जानते हों तो आपने भी किताबों के अंदर देवताओं के बारे मे अनेक ऐसी बाते पढ़ी और सुनी हैं जिनके अंदर देवता किसी स्त्री के प्रति आशक्त हो गये हो या वैगरह वैगहर । लेकिन सच तो यह है कि देवता‌‌‌जिन्हें हम भगवान समझ रहे हैं वे भगवान नहीं हैं। हम सब भ्रम मे जी रहे हैं। और जब भगवान नहीं हैं तो  बकरे की बलि या कोई और बलि लेना कोई बड़ी बात नहीं है।

‌‌‌सच माने तो भगवान या ईश्वर जिसको हम ठीक से जान नहीं पाये हैं। और हर बार देवताओं को भोजन देकर जन्म मरण चक्र मे फंसे हुए हैं।‌‌‌आपके मन मे भी बहुत सी शंकाएं होंगी । और आप उनका समाधान भी चाहते होंगे । तो इसके लिए आपको करना यह है कि आप अपने घर के अंदर गीता लाएं और उसे अच्छी तरीके से पढ़ें । शायद आपको नई चीजों का पता चलसकेगा ।

‌‌‌क्या ईश्वर को बकरे की बलि की आवश्यकता है?

दोस्तों हर विधान के अंदर देवताओं को बलि देने के बारे मे जोड़ा गया है। लेकिन कभी भी परब्रह्रमा या जो निराकार ईश्वर है उसे बलि देने की बात नहीं कही गई है। और ना ही उसे कोई बलि देता है। और ना ही उसे किसी तरीके की बलि की आवश्यकता होती है।‌‌‌क्योंकि वोही सर्वे सर्वा है। और उसी के अंदर सब कुछ है। बकरे की बलि क्यों दी जाती है

‌‌‌अनोखा मंदिर जहां पर बलि के बाद भी बकरा जिंदा रहता है

temple

‌‌‌अब तक आपने यही देखा और सुना होगा कि बकरे की बलि के अंदर बकरे की गर्दन को काट दिया जाता है। लेकिन क्या आपने यह भी सुना है कि बकरे की बलि देने के बाद भी बकरा जिंदा रहे । शायद आपने नहीं सुना होगा । लेकिन आपको बतादें कि एक ऐसा मंदिर भी है। जहां पर बकरे की बलि देने के बाद भी बकरा ‌‌‌जिंदा रहता है।

बिहार के कैमूर जिले में मां मुंडेश्वरी माता का मंदिर है।यह मंदिर काफी प्राचीन मंदिर है। और यह कैमूर पर्वतश्रेणी की पवरा पहाड़ी पर बना हुआ है। ‌‌‌यहां पर बकरे की बलि देने की अनोखी पम्परा है। यहां पर सबसे पहले बकरे को लाया जाता है। उसके बाद मंदिर का पूजारी बकरे के उपर मंत्र कर चावल डालता है। और उसके बाद बकरा बेहोश हो जाता है। और जब उसे होश आता है तो उसे बाहर छोड़ दिया जाता है।

मुंडेश्वरी माता का दर्शन करने के लिए दूर दूर के लोग आते हैं और यदि आप यहां पर जाना चाहते हैं और इस अनोखी बलि परम्परा को देखना चाहते हैं तो जा सकते हैं। पाहड़ पर मंदिर पर चढ़ने के लिए रस्ता बना हुआ है। जिसके माध्यम से आप मंदिर तक आराम से पहुंच सकते हैं।

बकरे की बलि कैसे दी जाती है और बकरे की बलि कैसे चढ़ाते हैं ?

दोस्तों वैसे तो बकरे की बलि देने की प्रोसेस हर धर्म के अंदर अलग अलग हो सकती है। लेकिन आम जन जब बकरे की बलि चढ़ाते हैं तो उसकी एक निश्चित प्रोसेस होती है। जिसका उपयोग हम सभी करते हैं।‌‌‌आइए जानते हैं कि बकरे की बलि कैसे दी जाती है ?

 बकरे का बोलना

दोस्तों यदि किसी इंसान का कोई काम नहीं होता है तो वह इंसान अपने देवता से यह बोलता है कि यदि देवता उसका अमुख काम करदेंगे तो बदले मे वह उसके बलि चढ़ा देगा । और उसके बाद यदि उसका वह काम पूरा हो जाता है तो देवता को बकरे की बलि ‌‌‌चढ़ाई जाती है। हालांकि यदि वह काम पूरा नहीं होता है तो उसके बाद बकरे की बलि नहीं चढ़ाई जाती है।

‌‌‌बकरे को तैयार करना

आमतौर पर भारत के ग्रामीण इलाकों की बात करें तो यहां पर बकरे की बली के लिए बकरा घर के अंदर से ही पाला जाता है और उसे बलि योग्य बनाया जाता है।उसके बाद ही उसकी बलि दी जाती है।

‌‌‌बकरे को बलि के लिए तैयार करना

जब बकरा बलि के योग्य हो जाता है तो उसके बाद माता के मंदिर के अंदर लेकर जाया जाता है। वहां पर कुछ मंत्र तंत्र किये जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि माता जब बकरे की बलि लेने के लिए तैयार हो जाती है तो ही उसे बलि दी जाती है।‌‌‌और उसके बाद बकरे की गर्दन को काट दिया जाता है। यही बकरे की बलि है।

‌‌‌बकरे की बलि के बाद की प्रक्रिया

जब बकरे की बलि हो जाती है। तो सब लोग उसे एक प्रसाद्व समझते हैं और उसका भोजन के रूप मे खाते हैं। हालांकि जो लोग मांस का भेाजन नहीं करते हैं। वे इसका सेवन नहीं करते हैं।

‌‌‌एक अतिरिक्त विकल्प भी मौजूद

कुछ लोग जो मांस का सेवन नहीं करते हैं। वे बकरे की बलि यदि बोल देते हैं तो वे बकरे को बेचने के बाद उससे जो पैसा बंटता है। उससे मिठाई वैगरह ले आते हैं और सबको बांट देते हैं। लेकिन इस तरीके मे भी बकरे की हत्या ही होती है।

क्या बलि प्रर्था सही है ?

दोस्तों यह सवाल अक्सर उठता है , कि बकरे की  बलि देना कितना अधिक सही है ? तो आपको बतादें कि यह सही नहीं है। यह पूरी तरह से गलत है। गीता के अंदर बलि के बारे मे कहीं पर भी उल्लेख नहीं मिलता है। मगर तंत्र के अंदर यह सब चलता है। जैसा कि हमने आपको उपर बताया कि देवताओं को खुश करने के लिए  ही तो बकरे की बलि का प्रयोग किया जाता है। मगर एक संत किस्म के इंसान के लिए यह सब चीजें नहीं होती हैं। जो लोग अक्सर तामसिक होते हैं। वे इस तरह की चीजें करते हैं। मगर उनको भी उनके कर्मों का फल जरूर ही मिलता है।इसलिए बकरे की बलि देने से पहले इन सब चीजों पर एक बार विचार कर लेना चाहिए ।

‌‌‌बकरे की बलि क्यों दी जाती है? बकरे की बलि कैसे दी जाती है? इन सब प्रश्नों के उत्तर आपको मिल गए होंगे । हम यकीन करते हैं।

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arif khan

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