चाँद पर दाग क्यों है ? चंद्रमा पर काले धब्बे क्यों होते हैं

chand par daag kyon hai दोस्तों आप जब भी आकाश के अंदर चंद्रमा को देखते हैं तो उसके अंदर काले धब्बे नजर आते हैं। जिनको देखकर अक्सर दिमाग मे आता है। की चांद पर दाग क्यों है ?चांद के दाग को लेकर अनेक गाने और शायरी बनी हैं। जिसकी वजह से यह काफी ज्यादा फेमस हो चुका है। ‌‌‌और कई बार हमारे दिमाग के अंदर आता है कि चांद पर दाग क्यों है ? बनाने वाले ने इसको खूबसूरत बनाया है। लेकिन इसमे भी दाग छोड़ दिया है। कुल मिलाकर यह तो कवि की बाते हैं। इस लेख के अंदर हम आपको चांद के दाग के बारे मे वैज्ञानिक और धार्मिक दोनो ढंग से समझाने की कोशिश करेंगे । ताकि आपको अच्छी ‌‌‌तरीके से समझ मे आ जाएगा ।

चाँद पर दाग क्यों है

चाँद पर दाग क्यों है ‌‌‌ चंद्रमा पर काले धब्बे क्यों होते हैं chand par daag kaise laga

‌‌‌चंद्रमा पर दिखाई देने वाले काले धब्बे या जिनको हम आम भाषा के अंदर दाग बोलते हैं। वे क्रेटर हैं। जोकि अलग अलग आकार के होते हैं। इनका निर्माण अनेक आकाशिय पीड़ जैसे धूमकेतु, उल्कापिंडों और क्षुद्रग्रहों के टकराव के कारण  हुआ है। ‌‌‌जब यह चंद्रमा से टकराते हैं तो वहां पर होल बन जाते हैं। ‌‌‌यदि आप चुद्रमा को ध्यान से देखेंगे तो आपको इसके अंदर कई सारे काले धब्बे नजर आएंगे । ‌‌‌हमारे ग्रह और चंद्रमा का निर्माण लगभग 4.6 बिलियन साल पहले हुआ था । उस समय सौर प्रणाली काफी डेंजर जगह हुआ करती थी।उल्का, क्षुद्रग्रह और चटटाने इन ग्रहों के आस पास उड़ती थी। यह सब बहुत बार हमारी धरती से भी टकराती थी। और चंद्रमा से भी टकराती थी। जिसकी वजह से यह होल पैदा हुए थे ।

चंद्रमा का अस्तित्व एक ऐसी घटना के कारण है जो अरबों साल पहले हुई थी।एक खगोलीय पिंड पृथ्वी से टक्करा गया और उसके बाद वह पृथ्वी की परिकरमां करने लगा । ‌‌‌मतलब अरबों साल पहले कोई पिंड आया और वह हमारी धरती से टकरा गया । उसकी टक्कर के बाद वह इस धरती की कक्षा के अंदर स्थापित हो गया और परिक्रमा करने लगा । ‌‌‌आपको बतादें की चंद्रमा पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में फंस हुआ है। और इसी वजह से यह इसके चारो और चक्कर लगाता है।

चंद्रमा के पास बहुत सारे दाग हैं। लेकिन प्रथ्वी पर दाग क्यों नहीं दिखते हैं ?

चाँद पर दाग क्यों है

कहने का मतलब है। चंद्रमा पर बहुत सारे क्रेटर हैं लेकिन धरती पर क्रेटर क्यों नहीं हैं ? ‌‌‌चंद्रमा पर बहुत सारे क्रेटर हैं। पृथ्वी जोकि चंद्रमा से कई गुना बड़ा है। यह वैसे तो उल्कापिंड़ों और क्षुद्र ग्रहों के लिए एक आसान लक्ष्य है। लेकिन फिर भी शुरूआती बम बारी के कारण भी इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। इसकी विज्ञान एक वजह बताता है। ‌‌‌इसकी बड़ी वजह है पृथ्वी पर घना वातावरण है। जिसको हम वायुमंडल बोलते हैं।यह पृथ्वी के लिए एक सुरक्षात्मक कवच की भांति काम करता है। यह बाहरी खतरे से धरती को बचाता है। जब भी कोई उल्का पिंड धरती के वायुमंडल के अंदर प्रवेश करता है। तो वह जल जाता है। ‌‌‌कभी कभी रात के अंदर आप देखते हैं कि उल्कापिंड जलता हुआ दिखाई देता है। दरसअल यह उल्कापिंड धरती के वायुमंडल के अंदर प्रवेश करते हुए जलने लगता है। और बीच मे ही समाप्त हो जाता है। प्राचीन निर्माण काल के दौरान चंद्रमा और धरती पर समान रूप से बमबारी हुई थी। ‌‌‌धरती पर क्रेटर इस लिए नहीं हैं क्योंकि अधिकतर उल्का पिंड जल गए थे ।

‌‌‌चांद पर दाग होने का सबसे बड़ा कारण वातावरण भी है। चांद पर वातावरण नहीं है। यदि आप वहां पर कोई भी लाइन खींच दोगे तो वह अनन्त काल तक वैसी ही रहेगी । लेकिन यदि बात करें धरती की तो यदि आप यहां पर कोई क्रेटर खोदते हो तो कुछ समय बाद हवा कटाव और जावनरों और मनुष्यों के द्वारा अपने आप ही भर दिया जाएगा। ‌‌‌

यदि आप यहां पर आप कोई लाइन खींच भी दोगे तो वह अपने आप ही मिट जाएगी । कुल मिलाकर चांद से कोई पिंड टक्कराता है। तो क्रेटर वैसा का वैसा ही अनन्त काल तक बना रहता है। उसे कोई मिटाने वाला नहीं है। यह क्रेटर ही काले धब्बे के रूप मे दिखाई देता है। जिसको हम दाग कह सकते हैं। कनाडा के क्यूबेक में एक अंगूठी के आकार की झील, मणिकौगन,  है जो 200 मिलियन साल पहले बनी थी। जोकि बमबारी का परिणाम थी। ‌‌‌आपको बतादें कि चांद पर दाग को वैज्ञानिक भाषा के अंदर मारिया  के नाम से जाना जाता है।

चंद्रमा का डार्क साइड

आपको बतादें कि चंद्रमा की दो साइड होती हैं। धरती से चंद्रमा का केवल 41 प्रतिशत हिस्सा ही देखा जा सकता है। चंद्रमा की दूसरी साइड को अंधेरी साइड कहा जाता है। जो धरती से नहीं देखी जा सकती है।आपको बतादें कि चंद्रमा की अंधेरी साइड के अंदर इस तरह के काले दाग या धब्बे नहीं होते हैं।

चाँद पर दाग क्यों है ‌‌‌चंद्रमा के काले धब्बे

‌‌‌जब चंद्रमा की अंधेरी साइड से तस्वीर ली गई तो पता चला की इस साइड काले धब्बे नहीं थे ।आपको बतादें की चंद्रमा की दूसरी साइड पर बड़े पैमाने पर पहाड़ हैं। ‌‌‌इस बात की व्याख्या करने को वैसे तो कई सिद्धांत मौजूद हैं। लेकिन सबसे आम यह है कि कई बिलियन साल पहले धरती से जब कोई पिंड टक्कराया तो धरती एक आग का गोला थी। । ऐसी स्थिति के अंदर चंद्रमा का जो भाग धरती की तरफ था वह धरती की गर्मी के अंदर रहा और काफी धीमी गति से ‌‌‌ठंडा हुआ।और दूसरा भाग पहले से ही ठंडा था। इस वजह से वह संघन था। जब क्षुद्रग्रहों  ने चंद्रमा के धरती की तरफ वाले हिस्से पर प्रहार किया तो क्रास्ट कमजोर होने की वजह से विस्फोट हो गया । और जब दूसरी तरफ प्रहार किया तो क्रास्ट संघनन होने की वजह से गहरे क्रेटर नहीं बन सके । बस यही वजह है कि ‌‌‌चांद पर दाग हैं। तो आप समझ गए होंगे कि चांद पर दाग क्यों हैं ?

‌‌‌चांद पर दाग क्यों है पौराणिक कथाओं के अनुसार

chand par daag kyon hai

दोस्तों अब तक तो हमने यह जाना कि चांद पर दाग क्यों है इसका वैज्ञानिक पक्ष जोकि अधिक प्रमाणिक है। लेकिन चांद पर दाग के बारे मे पौराणिक कथाएं कुछ और ही बताती हैं। तो आइए उनके बारे मे भी जान लेते हैं कि आखिर क्या कहती हैं पौराणिक कथाएं ।

‌‌‌इस संबंध मे एक कथा के अनुसार राजा दक्ष को 27 पुत्रियां थी। और उन सभी का विवाह चंद्र के साथ किया गया था। लेकिन चंद्र उनमे से एक पुत्री रोहिणी से अधिक प्रेम करते थे । जिसके परिणाम स्वरूप 26 पुत्रियों ने इसकी शिकायत राजा दक्ष को करदी । ‌‌‌तब दक्ष ने चंद्रमा को क्षीण होने का शाप देदिया । उसके बाद चंद्रमा क्षीण होने लगा । लेकिन दक्ष का क्रोध कम होने पर चंद्रमा को वरदान मिला । इसी वजह से चंद्रमा क्रष्ण पक्ष मे काला होता है। और शुक्ल पक्ष मे ठीक हो जाता है।

‌‌‌एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार कुबेर भगवान शिव के पास अपने महल मे खाने के लिए निमंत्रण देने कैलाश पर्वत पर आए । लेकिन शिव ने उनके निमंत्रण को यह कहते हुए मना कर दिया कि वे किसी काम मे बिजी हैं। क्योंकि शिव जी जानते थे कि कुबेर अपनी धन दौलत का दिखावा करना चाहते हैं। ‌‌‌जब पार्वती से पूछ तो पार्वती ने कहा कि उनके स्वामी यदि नहीं जाते हैं तो वे वहां पर कैसे जा सकती हैं। उसके बाद कुबरे ने बहुत विनती की तो शिव बोले की आप हमारे पुत्र गणेश जी को लेकर जा सकते हैं। उसके बाद कुबरे गणेश जी को ले जाने के लिए राजी हो गए ।

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‌‌‌गणेश जी मिठाइयों के काफी शौकिन थे । उन्होंने कुबेर के महल के अंदर जाकर भर पेट मिठाइयां खाई और उसके बाद काफी सारी मिठाइयां अपने साथ भी लेकर चल पड़े अपने निवास स्थान की ओर । उस समय रात हो चुकी थी। और आकाश के अंदर चंद्रमा चमक रहा था।

‌‌‌लेकिन जब वे अपने वाहन चूहे पर बैठ कर जा रहे थे । तो मार्ग मे एक सर्प दिखा । जिसकी वजह से वे उछल पड़े और सारी मिठाइयां गिर गई। उसके बाद तेजी से उठकर इधर उधर देखा तो उनको कोई नहीं दिखाई दिया । जिससे वे संतुष्ट हो गए कि किसी ने उनको देखा तो नहीं है।

‌‌‌जब गणेशजी मिठाइयों को एकत्रित कर रहे थे तो उन्होंने हंसने की आवाज सुनाई दी। उन्होंने चारों ओर देखा कोई नहीं दिखा । उसके बाद उन्होंने जब उपर देखा तो चंद्रमा हंस रहा था। उसके बाद गणेश जी को क्रोध आ गया और बोले घमंडी चंद्रमा तुम मेरी विवशता पर मेरी मदद करने की बजाय हंस रहे हो जाओ आज के बाद ‌‌‌तुम्हारी रोशनी कोई नहीं देखेगा । और तुम काले पड़ जाओगे । तब चंद्रमा को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसके तुरन्त बाद ही चंद्रमा की रोशनी गायब हो गई चंद्रमा नीचे जमीन पर आए और गणेशजी के पैर पकड़कर बोले मुझे अपनी गनती का एहसास हो चुका है। मुझे माफ करों मे आपको पहचान नहीं सका ।‌‌‌मुझे माफ किजिए यदि मेरा प्रकाश ही नहीं रहेगा तो मेरे होने या ना होने का कोई मतलब ही नहीं रह जाएगा । उसके बाद गणेश बोले कि  चलो ठीक है तुम्हें अपनी गलती का एहसास हुआ । लेकिन मैं चाहकर भी अपना शाप वापस नहीं ले सकता हूं ।लेकिन इसका असर कम करने के लिए एक वरदान दे सकता हूं ।

‌‌‌गणेश जी का दिया हुआ शाप आज भी कायम है। चंद्रमा धीरे धीरे कम होता है। और पूर्णमासी के दिन पुर्ण आकार के अंदर आता है। चंद्रमा को चतुर्थी के दिन शाप मिला था। इस दिन जो भी भक्त इसको देखता है। यह अशुभ फल देता है।

‌‌‌एक अन्य कथा के अनुसार एक बार नारदजी अपने हाथों के अंदर एक फल लेकर आए थे । वे यह फल भगवान शिव को भेंट करना चाहते थे । लेकिन उस फल को गणेश जी और कार्तिकय भी खाना चाहते थे । अबभला एक फल और खाने वाले तीन ऐसी स्थिति के अंदर ब्रह्रमा ने कहा कि यह फल कार्तिकय को मिलना चाहिए ।‌‌‌यह सुनकर गणेश जी क्रोध से भर गए । यह सब चंद्रमा देख रहा था। और वह यह बोला की इस नादान बालक को समझाओ जो अपने क्रोध पर काबू नहीं रख सकता। जिसके परिणाम स्वरूप गणेश जी ने क्रोधित होकर चंद्रमा को क्षीण होने का शाप देदिया ।‌‌‌लेकिन उसके बाद ब्रह्रमा जी के अनुरोध करने पर उन्होंने अपना शाप तो वापस नहीं लिया किंतु बोले की इसका असर गणेश चतुर्थी को सबसे ज्यादा होगा ।

‌‌‌कैसा दिखता है चांद का पिछवाड़ा

दोस्तों जैसा कि हमने आपको इस लेख के अंदर यह बताया है कि चांद के आगे का हिस्सा ही हमें दिखाई देता है। चांद के पीछे का हिस्सा कम से कम हम धरती पर से तो देख ही नहीं सकते हैं लेकिन आपको पता ही है कि वैज्ञानिक इसको बहुत ही आसानी से देख सकते हैं। 1959 में रूस के लूना 3 ने चांद की पीछे वाली साइड की सबसे पहली तस्वीर खींची और इस तस्वीर को देखने के बाद सब चौंक गए कि जो चांद का पीछे वाला हिस्सा था वह पूरी तरह से साफ है और जो चांद के आगे वाला हिस्सा है वह पूरी तरह से धब्बेदार दिखाई देता है। आप इस बात को अच्छी तरह से समझ ही गए होंगे ।

‌‌‌अब इसके पीछे क्या कारण  है ? इसके बारे मे तो हमें कोई जानकारी नहीं है लेकिन आपको बतादें कि यह सब होता है।

क्रेटर चांद पर बने गड्डों को कहा जाता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं।एस्टेरॉइड और मीटियोर जब चांद से टकराएं होंगे तो उसके बाद यह गड्डे बन गए होंगे । अब यदि हम चांद पर बने दाग की बात करें तो मारिया के नाम से चांद के दाग को जाना जाता है। और जब वैज्ञानिक चांद पर ‌‌‌गए और वहां पर कुछ टुकड़े लेकर आए और उनका विश्लेषण किया तो इसके बारे मे पता चला कि यह आमतौर पर काले समुद्र थे और इनके अंदर लावा भरा हुआ था । कहा जाता है कि जब बड़ी बड़ी चट्टाने चांद से टकराई तो चांद की जो धरती थी वह फट गई और लावा बाहर आ गया ।

‌‌‌अब यह लावा जम चुका है। यह जो ठंडा और जमा हुआ लावा होता है वह हमें काले धब्बे के रूप मे दिखाई देता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। यही आपके लिए सही होगा ।

‌‌‌अब आमतौर पर एक यह सवाल भी आता है कि सामने वाली साइड पर यह काले धब्बे क्यों होते हैं तो इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि सामने वाले साइड की मोटाई कम है। जिसकी वजह से यह लावा बाहर निकल गया लेकिन पीछे वाली साइड की मोटाई अधिक होने की वजह से यह लावा बाहर नहीं निकला।

‌‌‌ऐसा नहीं है कि धरती पर चट्टाने टकराई नहीं थी । लेकिन धरती की अपनी खास बात होती है। जैसे कि कोई पिंड धरती के उपर से गिरता है तो वह हमारे वायुमंडल के अंदर आने के बाद जलने लग जाता है और बहुत ही कम पिंड हमारे यहां पर पहुंच पाते हैं जो पहुंच जाते हैं वे काफी बड़े गड्ढे  का निर्माण भी कर देते हैं। ‌‌‌और आज भी इस तरह के गड्डे मौजूद हैं जोकि हमारें यहां पर बने हुए हैं। जैसे कि कैनेडा का Pingualuit Crater इसके अंदर आता है। असल मे हमारे यहां पर हवा वैगरह चलती रहती है तो सब कुछ मिटता रहता है। लेकिन यदि हम बात करें चांद की तो वहां पर किसी तरह का वायुमंडल नहीं होने की वजह से ‌‌‌ वहां पर किसी भी तरह की हलचल नहीं होती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते है। यदि आज चांद पर आप अतंरिक्ष यात्रियों के जूतों के निशान को देखेंगे तो आपको सब कुछ नजर आ जाएगा ।

‌‌‌चंद्रमा के जन्म से जुड़ी मान्यताएं

दोस्तों चांद के जन्म के बारे मे एक कथा और भी मौजूद है। कहा जाता है कि जब सागर मंथन हुआ तो उसके बाद वहां पर 14 रत्न निकले और इसके अंदर एक चंद्रमा भी थे । और यह भगवान शिव के मस्तक पर विराज मान हुए । जब शिव ने विष पिया तो उनको शीतल करने के लिए चंद्रमा ‌‌‌ ने अपनी शीतलता का प्रयोग किया था । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा । आप इस बात को समझ सकते हैं।

‌‌‌इस तरह से लगा था चांद पर कलंक

दोस्तों कहा जाता है कि जब माता सती ने अपने पति शिव के तिरस्कार का अपमान का बदला लेने के लिए जब यज्ञ की आग मे खुद कर खुद के प्राण को त्याग कर दिया तो उसके बाद शिव काफी अधिक क्रोधित हो गए और उसके बाद भगवान शिव ने इसके लिए दक्ष प्रजापति को जिम्मेदार माना और उनका वध करने निकल पड़े। ‌‌‌और आपको पता ही है कि शिव का निशाना अचूक था तो दक्ष मृग बने और उसके बाद चंद्रमा के पीछे छिप गए और उसके बाद यह कहा जाता है कि वही मृग चंद्रमा पर काले धब्बे के रूप मे दिखाई पड़ता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते है। और यही आपके लिए सही होगा । इसीलिए चंद्रमा का नाम मृगांक भी है

‌‌‌जब गणेश जी ने चंद्रमा को दिया था शाप

दोस्तों इस संबंध मे एक अन्य कथा भी प्रचलित है उसके बारे मे भी आपको जान लेना चाहिए।  इस कथा के अनुसार चंद्रमा को अपने तेज और रूप रंग पर इतना अभिमान हो गया था। और उसके बाद चांद ने गणेश जी का अपमान किया था जिसकी वजह से गणेश जी काफी अधिक क्रोधित हो गए और ‌‌‌ उसके बाद चांद को बदसूरत हो जाने का शाप दिया गया । इस तरह से कहा जाता है कि चांद के उपर दाग और धब्बे हो गए । असल मे यह कहानियां हैं जोकि आमजन को समझाने के लिए होती हैं।

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arif khan

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