परमाणु बम का आविष्कार किसने किया था ? parmanu bam ki khoj kisne ki

‌‌‌इस लेख मे हम जानेंगे परमाणु बम का आविष्कार किसने और कब किया था ?parmanu bomb ka avishkar kisne kiya tha ? और परमाणु बम का इतिहास ,परमाणु हथियारों के अंदर नाभिकय संलयन या विखंडन के अंदर भारी मात्रा मे उर्जा निकलती है।1930 के दशक के दौरान किए गए वैज्ञानिक सफलताओं पर निर्माण, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा और मुक्त फ्रांस ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सहयोग किया , जिसे मैनहट्टन परियोजना कहा जाता था।

 ‌‌‌इसी तरह के परमाणु बंमों का इस्तेमाल  August 1945 के अंदर अमेरिका ने जापान के खिलाफ किया था। ब्रिटेन और फ्रांस ने 1950 के दशक से अनेक प्रकार के परमाणु हथियारों का निर्माण किया और अब वे परमाणु शक्ति से सम्पन्न देश के अंदर खुद को खड़ा कर चुके हैं।

Little Boy nuclear weapon dropped on Hiroshima, Japan, in August 1945

परमाणु बम का आविष्कार किसने किया parmanu bam ki khoj kisne ki

‌‌‌परमाणु बम को दुनिया का सबसे खतरनाख बम माना जाता है। और इसका आविष्कार अमेरिकी मूल के वैज्ञानिक जूलियस रॉबर्ट

   ओपेनहाइमर (Robert Oppenheimer) ने किया था। इन्होंने ही पहला परमाणु बम 16 जुलाई 1945 को अमेरिका के अंदर बनाया था। लॉस अलामोस से 200 मील दूर अलेमो गोर्डो जोकि एक रेगिस्तान है मे ‌‌‌ किया गया था।और इसकी खबर जब दूसरे देशों को लगी तो सभी देश खुद को ताकतवर बनाने के लिए परमाणु बम पर कार्य करने लगे जिसका परिणाम यह हुआ कि आज दुनिया के अंदर हजारों परमाणु हथियार बन चुके हैं। और भी निरंतर बनते ही जा रहे हैं।

‌‌‌सन 1930 से 1940 ई के बीच भौतिकी

जब परमाणु की प्रकृति को समझलिया गया तो इस क्षेत्र के अंदर काफी प्रगति होने लगी ।1898 में, पियरे और मेरी क्यूरी ने यह खोजा कि जब किसी तत्व पर अधिक उर्जा का प्रहार किया जा रहा था तो वह छोटे तत्वों के अंदर टूट रहा था। यह उम्मीद की जा रही थी कि हमारे आस पास ‌‌‌ बहुत अधिक उर्जा मौजूद है।एचजी वेल्स को 1914 के एक उपन्यास, द वर्ल्ड सेट फ़्री के अंदर कई तरह के ऐसे हथियारों का वर्णन किया जो आगे आने वाले दिनों मे सच साबित होने वाले थे । हालांकि उन्होंने बस इन सब चीजों की कल्पना ही की थी।

जनवरी 1933 में, नाजियों ने जर्मनी में सत्ता में आए और यहूदी वैज्ञानिकों का दमन किया था और कुछ बचे हुए लंदन भाग गए थे । उसके बाद 1934 में उन्होंने न्यूट्रॉन के माध्यम से परमाणु श्रृंखला प्रतिक्रिया के विचार का पेटेंट कराया । पेटेंट ने श्रृंखला की प्रतिक्रिया को बनाए रखने के लिए आवश्यक सामग्री की न्यूनतम मात्रा का वर्णन करने के लिए महत्वपूर्ण द्रव्यमान को भी पेश किया।

1934 में पेरिस में, इरने और फ्रेडेरिक जूलियट-क्यूरी ने पाया कि कृत्रिम रेडियोधर्मिता को अल्फा कणों की बौछार करने से स्थिर तत्वों के अंदर प्रेरित किया जा सकता है।इटली में एनरिको फर्मी ने न्यूट्रॉन के साथ यूरेनियम पर बमबारी करते हुए इसी परिणाम की सूचना दी थी।

दिसंबर 1938 में, ओटो हैन और फ्रिट्ज़ स्ट्रैसमैन ने बताया कि उन्होंने न्यूट्रॉन के साथ यूरेनियम पर बमबारी के बाद एक नये तत्व बेरियम का पता लगाया था।Lise Meitner और Otto Robert Frisch ने इस प्रक्रिया को विखंडन का नाम दिया था।क्योंकि इस प्रक्रिया के अंदर एक तत्व से दो तत्व बन रहे थे ।

कोलंबिया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने प्रयोग को दोहराने का फैसला किया और 25 जनवरी 1939 को पुपिन हॉल के तहखाने में संयुक्त राज्य अमेरिका में पहला परमाणु विखंडन  प्रयोग किया था।उसके बाद यूरोनियम के सक्रिय घटक की पहचान यूरेनियम 235 के रूप मे की गई थी।

‌‌‌यूरेनियम दो समस्थानिकों से प्रकट होता है। जिसके अंदर यूरेनियम -238 और यूरेनियम -235 आते हैं।जब यूरेनियम -235 का केंद्रक एक न्यूट्रॉन को अवशोषित करता है, तो यह परमाणु विखंडन से गुजरता है, ऊर्जा जारी करता है।यूरेनियम -238 न्यूट्रॉन के अवशोषण के बाद भी उर्जा जारी नहीं करता है।

सितंबर 1939 में युद्ध शूरू होने के बाद परमाणु विखंडन को हथियार के रूप मे प्रयोग होने के बारे मे वैज्ञानिकों को अच्छी तरह से पता था।लेकिन उस वक्त तक यह सुनिश्चित नहीं था कि यह कैसे होगा? और ट्यूब अलॉय प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में ब्रिटेन और कनाडा में पहली बार संगठित अनुसंधान शुरू हुआ।

‌‌‌दुनिया की पहली परमाणु परयोजना मॉड समीति थी।यूरेनियम -235 की गणना के बाद  रुडोल्फ Peierls ने यह कहा गया कि इस प्रकार के सुपर बम के विस्फोट से उर्जा मुक्त होती है। और एक पल के बहुत अधिक तापमान बढ़ जाएगा और यह जीवन के लिए बहुत ही बड़ा खतरा हो सकता है। ‌‌‌यह विस्फोट एक बड़े शहर को कवर करेगा ।

दुनिया में सबसे अधिक गुणवत्ता वाले यूरेनियम अयस्क का उत्पादन करने वाले कांगो में शिंकोलोबवे माइन के एक निदेशक एडगर सेंगियर को बम में यूरेनियम के संभावित उपयोग के बारे में पता चल गया था। और उनको यह डर था कि जर्मनी इसको जब्त कर सकता है। इस वजह से छुपा दिया गया था।

‌‌‌परमाणु बम और प्रयोगशालाओं का विकास

‌‌‌परमाणु बम और प्रयोगशालाओं का विकास

जे। रॉबर्ट ओपेनहाइमर के नेतृत्व में एक वैज्ञानिक टीम के साथ , मैनहट्टन परियोजना के अंदर कई वैज्ञानिकों को लगाया गया । इसके अंदर जर्मनी और ब्रेटेने सूचनाओं को एकत्रित करने पर सहमत हुए और अमेरिका ने इस पर बड़े पैमाने पर निवेश किया था।यह उधोग  अमेरिका और कनाडा में 30 से अधिक साइटों पर फैला था। लॉस अलामोस में एक गुप्त प्रयोगशाला में वैज्ञानिक विकास को केंद्रीकृत किया गया था ।

विखंडन हथियार को चलाने के लिए आपके पास उचित मात्रा मे विखंडनिय सामग्री होना जरूरी होता है।यूरेनियम -238 से फिशाइल यूरेनियम -235 आइसोटोप को अलग करने के लिए, दो तरीकों का विकास किया गया था जिनको प्रथक्करण और गैसिय प्रसार । इसके अलावा दुर्लभ आइसोटोप के उत्पादन के लिए एक गुप्त साइट बनाई गई थी ‌‌‌ जिनके अंदर काम करने वाले मजदूरों को यह भी पता नहीं था कि वे क्या काम कर रहे हैं।

परमाणु बम के प्रारंभिक चरण के लिए यूरेनियम -238 का उपयोग नहीं किया जा सकता है, जब यह एक न्यूट्रॉन को अवशोषित करता है, तो यह यूरेनियम -239 हो जाता है नियंत्रित परमाणु श्रृंखला बनाने के बाद बड़ी मात्रा मे परमाणु रिएक्टरों का निर्माण किया गया था। जिसे अब हनफोर्ड साइट के रूप में जाना जाता है जो यूरेनियम -238 को बम के लिए प्लूटोनियम में बदल देता है।

‌‌‌परमाणु हथियारों के अंदर सबसे सिंपल हथियार बंदूक आधारित विखंडन हथियार होता है।जिसके अंदर एक द्रव्यमान की मदद से दूसरे द्रव्यमान पर गोली मारी जाती है। जिससे विस्फोट हो जाता है।1942 में परिकल्पित हथियार दो बंदूक-प्रकार के हथियार थे, लिटिल बॉय (यूरेनियम) और थिन मैन (प्लूटोनियम), और फैट मैन प्लूटोनियम प्रत्यारोपण बम।

थिन मैन प्रोजेक्ट (प्लूटोनियम गन) और फैट मैन प्रोजेक्ट (प्लूटोनियम इम्प्लांटेशन) को 1943 ई के अंदर आगे बढ़ाने पर विचार किया गया था।अप्रैल 1944 में एमिलियो सेगर ने पाया कि हनफोर्ड रिएक्टरों द्वारा निर्मित प्लूटोनियम -239 में पृष्ठभूमि न्यूट्रॉन विकिरण का स्तर बहुत अधिक था, और प्लूटोनियम-240 अशुद्धियों ‌‌‌ की वजह से सहज खंडन हुआ था।उसके बाद फैट मैन को अधिक प्राथमिकता दी गई।

लेकिन जापान ने भी इसी तरह के हथियारों को विकसित करने के लिए समीति बनाई थी लेकिन सरकार ने इस क्षेत्र के अंदर निवेश नहीं किया था। और इस वजह से जापान परमाणु हथियारों को विकसित करने मे असफल रहा था।

पहला थर्मोन्यूक्लियर हथियार की जानकारी

परमाणु संलयन की एक प्रक्रिया को प्रज्वलित करने के लिए एक विखंडन हथियार का उपयोग करने की धारणा को सितंबर 1941 तक वापस लेलिया गया था। इस संबंध मे एनरिको फर्मी ने कोलंबिया विश्वविद्यालय में एक चर्चा के दौरान अपने सहयोगी एडवर्ड टेलर के साथ चर्चा की थी।

उस समय ‌‌‌वैज्ञानिकों को यह लग रहा था कि एक विखंडन परमाणु हथियार को बनाना बेहद ही सरल होगा लेकिन हकीकत यह थी कि यह इतना आसान नहीं था जैसा कि समझा जा रहा था।August 1949  मे सोवियत संघ ने परमाणु परीक्षण किया था ,जो अमेरिका से पहले हुआ था। उसके बाद अमेरिका के अंदर भी इसको बनाने  पर गहरी बहस हुई थी।

जापान के परमाणु बम विस्फोटों के बाद, लॉस अलमोस के कई वैज्ञानिकों ने हजारो गुणा अधिक शक्तिशाली हथियार बनाने पर विद्रोह कर दिया और हथियार की डिजाइन काफी अनिश्चित थी।इस प्रकार का हथियार एक बड़ी आबादी के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता था।और कई लाख लोगों को मार सकता है।

‌‌‌हालांकि उस समय के कई वैज्ञानिकों ने कहा कि अमेरिका इस प्रकार के हथियारों का विकास ना करें ।क्योंकि यह मानव सभ्यता के लिए उचित नहीं है।ओपेनहाइमर, जो अब मैनहट्टन प्रोजेक्ट के उत्तराधिकारी थे ।उन्होंने कहा कि अमेरिका बहुत ही ताकतवर हथियारों को बना सकता है।

31 जनवरी 1950 को ट्रूमैन ने हाइड्रोजन (संलयन) बम विकसित करने के लिए एक कार्यक्रम की घोषणा की थी। हाइड्रोजन बम, जिससे संलयन सामग्री को प्रज्वलित करने के लिए विखंडन बम की गर्मी का उपयोग किया जाएगा।

‌‌‌सबसे पहला संलयन बम में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा परीक्षण किया गया था । 1 नवंबर, 1952 को मार्शल द्वीप समूह पर इसका परीक्षण हुआ था।माइक ने अपने संलयन ईंधन के रूप में तरल ड्यूटेरियम और इसके ट्रिगर के रूप में एक बड़ा विखंडन हथियार का इस्तेमाल किया। यह उपकरण एक प्रोटोटाइप डिजाइन था।यह विस्फोट के ‌‌‌समय 20 फीट तक उंचा गया और इसके अंदर 11,000 किलोग्राम अतिरिक्त वजन जोड़ा गया था। यह 140,000 पौंड के आस पास वजन का था। ‌‌‌इस विस्फोट के अंदर  10.4 megatons उर्जा निकली ।

सोवियत संघ ने 12 अगस्त, 1953 को भौतिक विज्ञानी आंद्रेई सखारोव द्वारा डिजाइन ‌‌‌एक हथियार विकसित किया गया था जिसका नाम जो 4 था। इसके बाद अमेरिका सेना और लोगों के बीच चिंता पैदा हो गई क्योंकि अमेरिका के पास इसका मुकाबला करने वाला कोई भी हथियार नहीं था। 1 मार्च, 1954 को, अमेरिका ने अपने पहले व्यावहारिक थर्मोन्यूक्लियर हथियार का परीक्षण किया गया ।इस परीक्षण से 15 मेगाटन की पैदावार हुई जो अमेरिका के इतिहास मे सबसे पहली बार रेडियोलॉजिकल आपदा  बन गई।7,000 वर्ग मील के अंदर एक बादल सा बन गया और इसकी वजह से कैंसर और जन्म दोष जैसी समस्याएं आने लगी ।

जापानी ट्यूना-फिशिंग नाव लकी ड्रैगन 5 का चालक दल इसी परीक्षण क्षेत्र के पास मछली पकड़ने का कार्य कर रहा था।विकिरण की समस्या और त्वचा के जलने से वापस मार्च और दिसंबर के बीच पकड़े गए 75 टन के टूना को मानव उपभोग के लिए अयोग्य पाया गया और चालक दल की मौत हो गई । उसके बाद अमेरिका ने परीक्षण की बात को ‌‌‌ सर्वाजनिक की गई  तो जापान की चिंता भी इस बारे मे बढ़ गई।

‌‌‌परमाणु हथियार की होड़

1950 के दशक के दौरान और 1960 के दशक के प्रारंभ में अमेरिका और यूएसएसआर के अंदर परमाणु शक्ति को हाशिल करने की होड़ लग गई थी। उसके बाद सन 1950 ई के अंदर चंद्रमा पर परमाणु बम गिराने के अमेरिका के प्रस्ताव यह दिखा रहा था कि अमेरिका काफी ताकतवर हो चुका है।

पहला परमाणु बम 6 और 9 अगस्त, 1945 को हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराया गया था ‌‌‌यह बम काफी बड़े थे और इनको गिराने के लिए विशेष तरह से सेना के जवानों को प्रशिक्षण दिया गया था। इतना ही नहीं इनको सिर्फ सबसे बड़े बमवर्षक विमानों से गिराया जा सकता था।उस समय  B-29 सुपरफोर्ट्रेस विमान हुआ करते थे और एक विमान बस एक ही बम को ले जा सकता था।

1950 के दशक में अमेरिका ने परमाणू सुधार कार्यक्रम आयोजित भी किये थे ।सन1951 मे नेवादा रेगिस्तान  अमेरिका परमाणु परीक्षण का प्रमुख स्थान बन चुका था।शूरूआत मे यह परमाणु परीक्षण सुरक्षा के संदर्भ मे पानी के भीतर और वायुमंडल के अंदर किये गए थे लेकिन ‌‌‌इसकी वजह से सुरक्षा पर भी सवाल उठाए गए थे । 1958 में, यूएस, यूएसएसआर और यूनाइटेड किंगडम ने परमाणु अप्रसार की संधि की थी लेकिन बाद मे 1961 तक सोवियत संघ ने खुद ही इसको तोड़ दिया था।

राजनीतिक ताकत के प्रदर्शन के रूप में, सोवियत संघ ने अक्टूबर 1961 में सबसे बड़े परमाणु हथियार का परीक्षण किया, जो कि विशाल बॉम्बर था, जिसे कम राज्य में लगभग 50 मेगाटन की उपज के साथ परीक्षण किया गया था। हालांकि यह हथियार के रूप मे प्रयोग होने के लिए अव्यवहारिक था।1963 में, सभी परमाणु और कई गैर-परमाणु राज्यों ने सीमित परीक्षण प्रतिबंध संधि पर हस्ताक्षर किए , जो वायुमंडल, पानी के भीतर, या बाहरी अंतरिक्ष में परमाणु हथियारों के परीक्षण से बचने का वचन देते हैं।

‌‌‌परमाणु हथियारों के अंदर सुधार

MGR-1 ईमानदार जॉन , 1953 में अमेरिका द्वारा पहली बार तैनात किए गए । यह सतह से सतह पर मार  करने वाले मिसाइल थे । इनकी दूरी 15 मील हुआ करती थी।यह पहला विखंडन हथियार था जिसका प्रयोग विशेष सैन्य स्थितियों के अंदर किया जा सकता था। ‌‌‌इसका प्रयोग सामरिक हथियारों के रूप मे प्रयोग कर सकते थे । सामरिक हथियार दुश्मनों के अंदर तक घुसकर मारने की क्षमता रखते थे ।अमेरिका में, इस आवश्यकता का नेतृत्व 1946 में, जनरल कर्टिस लेमी  ने किया था।

‌‌‌परमाणु विरोधी आंदोलन का विस्तार

हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु बम विस्फोट और द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में 1945 के ट्रिनिटी परमाणु परीक्षण के बाद, और लिटिल बॉय डिवाइस 6 अगस्त 1945 को जापानी शहर हिरोशिमा  के उपर डाला  गया था। और इसके अंदर लगभग 50,000 इमारतों को नष्ट कर दिया और लगभग 75,000 लोगों को मार डाला। ‌‌‌इसके बाद दुनिया के अंदर परमाणु हथियारों को बनाने की होड़ लग गई।

ऑपरेशन चौराहा 1946 की गर्मियों में प्रशांत महासागर में बिकनी एटोल के अंदर अमेरिका ने कई परमाणु हथियारों का परीक्षण किया था।बिकिनी के मूल निवासियों को यहां से निकाल दिया गया था और उनको एक छोटे से द्वीपों पर रखा गया जहां उनके लिए काफी मुश्किले हो रही थी।

‌‌‌जापान मे 1954 के अंदर शांति आंदोलनों का उदय हुआ और यह जापानी काउंसिल अगेंस्ट एटॉमिक एंड हाइड्रोजन बम के अंदर बदल गया ।परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने वाली याचिकाओं पर 35 मिलियन लोगों ने हस्ताक्षर किये ।

‌‌‌परमाणु विरोधी आंदोलन का विस्तार
Protest in Bonn against the nuclear arms race between the U.S./NATO and the Warsaw Pact, 1981

यूनाइटेड किंगडम के अंदर सन 1958 ई के अंदर ही कई हजार लोगों ने मार्च किया था। ‌‌‌1960 तक  दशक के अंत में एल्डरमस्टोन मार्च जारी रहा, जब चार दिवसीय मार्च में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। 1961 ई के अंदर परमाणू हथियारों के खिलाफ अमेरिका के 60 शहरों से 50,000 अधिक महिलाओं ने भाग लिया था।यह 20 वीं शताब्दी का सबसे बड़ा महिला शांति विरोध था।

1958 में, लिनस पॉलिंग और उनकी पत्नी ने परमाणु हथियार परीक्षण को समाप्त करने के लिए 11,000 से अधिक वैज्ञानिकों द्वारा हस्ताक्षरित याचिका के साथ संयुक्त राष्ट्र को प्रस्तुत किया । काफी प्रयासों के बाद परमाणू परीक्षण पर रोक लग सकी ।

‌‌‌परमाणु बम के प्रकार

‌‌‌परमाणु बम के प्रकार

परमाणु बम मुख्य रूप से वह होता है जो विस्फोट के बाद बड़ी संख्या मे उर्जा को उत्सर्जित करता है।विखंडन बम हो या संयोजन यह दोनो ही बड़ी संख्या मे उर्जा जारी करते हैं।बम परीक्षण ने लगभग 10 मिलियन टन टीएनटी (42 पीजे) के बराबर ऊर्जा जारी होती है। 2,400 पाउंड (1,100 किलोग्राम) से कम वजन वाले थर्मोन्यूक्लियर हथियार 1.2 मिलियन टन से अधिक टीएनटी (5.0 पीजे) के बराबर ऊर्जा जारी कर सकते हैं।

‌‌‌वैसे आपको बतादें कि दो प्रकार के परमाणु हथियार होते हैं।कुछ हथियार उर्जा को परमाणु विखंडन से प्राप्त करते हैं तो कुछ सलंयन क्रिया से विखंडन का प्रयोग करते हैं।

विखंडन हथियार

सभी मौजूदा परमाणु हथियार परमाणु विखंडन प्रतिक्रियाओं से अपनी कुछ विस्फोटक ऊर्जा प्राप्त करते हैं। वे हथियार जिनके विस्फोटक उत्पादन विशेष रूप से विखंडन प्रतिक्रियाओं से होते हैं, उन्हें आमतौर पर परमाणु बम के नाम से भी जाना जाता है।‌‌‌वैसे आपको बतादें कि इन हथियारों की उर्जा भी नाभिक से ही आती है।जिस तरह से संलयन हथियारों के साथ होता है।

‌‌‌हर परमाणु हथियार को डिजाइन करने मे समस्या यह होती है कि हथियार को नष्ट होने से पहले उचित मात्रा मे ईंधन की खपत होनी चाहिए ।विखंडन बमों द्वारा जारी ऊर्जा की मात्रा केवल एक टन के नीचे से लेकर 500,000 टन (500 किलोटन ) तक टीएनटी (4.2 से 2.1 × 10 6  GJ) तक हो सकती है।

रेडियोधर्मिता का एक अन्य स्रोत हथियार द्वारा उत्पादित मुक्त न्यूट्रॉन का फटना है। जब वे  अन्य नाभिकों से टकराते हैं, तो न्यूट्रॉन उन नाभिकों को अन्य समस्थानिकों में स्थानांतरित कर देते हैं, जिससे उनकी स्थिरता बदल जाती है और वे रेडियोधर्मी हो जाते हैं।

‌‌‌परमाणु बम के अंदर इस्तेमाल की जाने वाली फिसाइल सामग्री यूरेनियम -235 और प्लूटोनियम -239 रही है । कम इस्तेमाल की जाने वाले सामग्री यूरेनियम -233 है । नैप्टुनियम-237  होती है।

फ्यूजन हथियार

यह परमाणु हथियार वे होते हैं जोकि संलयन क्रियाओं से अपनी उर्जा का बहुत बड़ा हिस्सा बनाते हैं।हाइड्रोजन बम से इनको आम भाषा के अंदर  जाना जाता है।इस प्रकार के हथियारों मे फ्यूजन प्रतिक्रियाएं होती हैं जोकि अतिरिक्त विखंडन प्रतिक्रियाओं को जन्म देती हैं।

केवल छह देशों- संयुक्त राज्य अमेरिका , रूस , यूनाइटेड किंगडम, चीन, फ्रांस और भारत ने थर्मोन्यूक्लियर हथियार परीक्षण किए। 2016के अंदर उत्तर कोरिया नें भी हाइड्रोजन बम होने का दावा किया था। हालांकि यह दावा कितना सही है। इस बारे मे नहीं कहा जा सकता है।

थर्मोन्यूक्लियर बम एक फ्यूजन बम की ऊर्जा का उपयोग करके फ्यूजन ईंधन को संपीड़ित और गर्म करने के लिए काम करते हैं।जब विखंडन बम को विस्फोट किया जाता है, तो गामा किरणें और एक्स-किरणें उत्सर्जित होती हैं जो पहले संलयन ईंधन को संपीड़ित करती हैं, फिर इसे थर्मोन्यूक्लियर तापमान तक गर्म करती हैं।संलयन प्रतिक्रिया उच्च गति न्यूट्रॉन की भारी संख्या बन जाती है। जिससे सामग्री विखंडन को प्रेरित होती है।

‌‌‌आज तैनात किये गए थर्मोन्यूक्लियर हथियार उपयुक्त दो चरणों से बने होते हैं हालांकि इनके अंदर अतिरिक्त चरणों को जोड़ना संभव है।जिससे एक बड़े वजन का परमाणु हथियार बनाया जा सकता है।। अब तक का सबसे बड़ा परमाणु हथियार, यूएसएसआर का ज़ार बोम्बा , जिसने टीएनटी (210 पीजे) के 50 मेगाटन से अधिक के बराबर ऊर्जा जारी की, एक तीन-चरण का हथियार था

Boosted fission weapon एक प्रकार का परमाणु हथियार होता है जोकि संलयन प्रक्रियाओं का प्रयोग करता है। न्यूट्रॉन द्वारा जारी संलयन प्रतिक्रियाओं विखंडन के कारण जारी किया गया न्यूट्रॉन को जोड़ने के लिए, जगह लेने के लिए और अधिक न्यूट्रॉन प्रेरित विखंडन प्रतिक्रियाओं के लिए अनुमति देता है।

न्यूट्रॉन बम संवर्धित विकिरण हथियार (ईआरडब्ल्यू)  के नाम से भी जाना जाता है।यह एक कम क्षमता वाला थर्मोन्यूक्लियर हथियार है । इसके विस्फोट होने के बाद आस पास के क्षेत्र मे न्यूट्रॉन  विकिरण अधिकतम हो जाते हैं।न्यूट्रॉन बम की अवधारणा आम तौर पर करने के लिए श्रेय दिया जाता है शमूएल टी कोहेन के लॉरेंस लिवरमोर राष्ट्रीय प्रयोगशाला ‌‌‌ने 1958 ई के अंदर विकसित की थी।विस्फोट के बाद, एक 1 किलोटन न्यूट्रॉन बम के पास-ग्राउंड एयरबर्स्ट एक बड़ी विस्फोट लहर और थर्मल विकिरण और आयनकारी विकिरण दोनों के एक शक्तिशाली नाड़ी को तेज (14.1 MeV ) न्यूट्रॉन के रूप में उत्पन्न करेगा । थर्मल पल्स के कारण लगभग 500 मीटर तक असुरक्षित त्वचा से थर्ड डिग्री बर्न होगा ।

एंटीमैटर हथियार का उत्पादन अभी तक संभव नहीं हो सका है। इसका कारण यह है कि इनकी उत्पादन लागत बहुत अधिक होती है।2004 तक , एंटीमैटर के एक मिलियन ग्राम का उत्पादन करने की लागत का अनुमान यूएस $ 60 बिलियन था। हालांकि छोटे हथियारों का उत्पादन करना काफी आसान होता है।

‌‌‌परमाणु हथियारों की डिलिवरी

    हथियारों की डिलीवरी भी काफी महत्वपूर्ण होती है।परमाणु हथियारों को उनके लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए जिस सिस्टम का प्रयोग किया जाता है उसे डिलिवरी कहा जाता है। वितरण प्रणाली का डिजाइन, विकास और रखरखाव एक परमाणु हथियार कार्यक्रम के सबसे महंगे भागों में से हैं; उदाहरण के लिए, 1940 से परमाणु हथियार परियोजनाओं पर संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा खर्च किए गए वित्तीय संसाधनों का 57% हिस्सा ‌‌‌ था।

‌‌‌परमाणु हथियार को लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए विमान का प्रयोग किया जा सकता है।जैसा कि अमेरिका ने विमान की मदद से परमाणु बम को जापान के उपर गिराया था।हालांकि इस विधि की मदद से आप अधिक बड़े परमाणु बम को नहीं गिरा सकते हैं। और बार बार किसी देश के उपर हमला भी नहीं कर सकते हैं।

परमाणु बम रणनीतिक बमवर्षक और सामरिक लड़ाकू-बमवर्षक दोनों द्वारा वितरित किए जा सकते हैं । यह विधि परमाणु हथियार वितरण का प्राथमिक साधन है; उदाहरण के लिए, अमेरिका के अधिकांश न्यूक्लियर वॉरहेड, बी -61 यानी फ्री-फॉल ग्रेविटी बम हैं ।

‌‌‌इसके अलावा परमाणू बम को वितरण करने के लिए मिसाइल का उपयोग भी किया जाता है। मिसाइल के उपर बम को फिट किया जा सकता है।कम दूरी की मिसाइल आसानी से लक्ष्य को टारगेट कर सकती हैं। आजकल लंबी दूरी की परमाणु मिसाइलें आ चुकी हैं जो लक्ष्य को आसानी से टारगेट करती हैं।

उल्लेखनीय परमाणु हथियार दुर्घटनाएं

उल्लेखनीय परमाणु हथियार दुर्घटनाएं
  • 21 अगस्त 1945 को प्लूटोनियम और गैलियम का एक मिश्र धातु पर प्रयोग करते हुए भौतिक विज्ञानी हैरी डागलियन ने विकिरण निगल लिया था। 15 सितंबर 1945 को उनका निधन हो गया।
  • 21 मई 1946 को  लॉस एलामोस नेशनल लेबोरेटरी में तीसरे प्लूटोनियम कोर पर आगे के प्रयोगों का संचालन करते हुए, भौतिक विज्ञानी लुई स्लोटिन ने विकिरण की घातक खुराक प्राप्त की। 30 मई 1946 को उनकी मृत्यु हो गई।
  • 13 फरवरी, 1950 को  मार्क चतुर्थ परमाणु बम गिराए जाने के बाद उत्तरी ब्रिटिश कोलंबिया में एक कन्वीनर बी -36 बी दुर्घटनाग्रस्त हो गया । यह इतिहास में इस तरह का पहला परमाणु हथियार नुकसान था।शीत युद्ध के दौरान 50 परमाणु हथियार खो गए थे ।
  • 22 मई, 1957 ‌‌‌ को एक 42,000 पाउंड (19,000 किलोग्राम) मार्क -17 हाइड्रोजन बम दुर्घटनावश अल्बुकर्क, न्यू मैक्सिको के पास एक बॉम्बर से गिर गया था जिसकी वजह से जहां पर यह हथियार गिरा था 25 फिट गहरा गड्डा बन गया ।
  • 1960  को फोर्ट डिक्स IM-99 दुर्घटना ने बोइंग CIM-10 बॉम्बर परमाणु मिसाइल को नष्ट कर दिया था।और न्यू जर्सी में BOMARC मिसाइल दुर्घटना स्थल को दूषित कर दिया ।
  • 24 जनवरी, 1961को का सुनार बी -52 दुर्घटना उत्तरी कैरोलिना के गोल्ड्सबोरो के पास हुई । दो बो 39 परमाणु बम ले जाने वाले एक बोइंग बी -52 स्ट्रैटोफोर्त्स इस प्रक्रिया में अपने परमाणु पेलोड को गिराते हुए, मध्य हवा में टूट गया था।
  • 1965 फिलीपीन सी ए -4 दुर्घटना मे स्काईहॉक विमान एक परमाणु हथियार के साथ समुद्र में गिर गया। पायलट, विमान और बी 43 परमाणु बम कभी बरामद नहीं हुए हालांकि उनको बहुत अधिक खोजा गया था।
  • 17 जनवरी, 1966 जो पेलमोरेस बी -52 दुर्घटना तब घटी जब यूएसएएफ का एक बी -52 जी बम स्पेन के तट से दूर हवा में ईंधन भरने के दौरान केसी-135 टैंकर से टकरा गया । KC-135 पूरी तरह से नष्ट हो गया जब इसके ईंधन लोड प्रज्वलित हो गया, जिससे चालक दल के सभी चार सदस्यों की मौत हो गई।
  • 21 जनवरी, 1968: 1968 थ्यूल एयर बेस B-52 दुर्घटना में संयुक्त राज्य वायु सेना (USAF) B-52 बमवर्षक शामिल था । विमान चार हाइड्रोजन बम ले जा रहा था जब एक केबिन में आग लगने से चालक दल को विमान छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। चालक दल के छह सदस्यों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया, लेकिन जिनके पास इजेक्शन सीट नहीं थी, उन्हें बाहर निकालने की कोशिश करते हुए मारा गया। बमबारी ग्रीनलैंड में समुद्री बर्फ पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई , जिससे परमाणु पेलोड टूट गया और फैल गया, जिससे व्यापक रेडियोधर्मी संदूषण हुआ ।

‌‌‌परमाणु रणनीति

परमाणु रणनीति परमाणु युद्ध को रोकने और परमाणु हथियारों के उपयोग के लिए काम करती है।परमाणु प्रतिशोध की धमकी देकर किसी दूसरे देश से एक परमाणु हथियार के एक हमले को रोकने के लिए कोशिश कर के नीति की रणनीति के रूप में जाना जाता है।‌‌‌अलग अलग प्रकार के हथियार अलग अलग प्रकार की परमाणु रणनितियों की संज्ञा देते हैं।

इन रणनितियों का लक्ष्य संभावित संघर्ष के दौरान हथियार की डिलीवरी के खिलाफ रक्षा करना मुश्किल होता है। इसका मतलब यह हो सकता है कि हथियार के स्थानों को छिपा कर रखा जाए, जैसे कि उन्हें पनडुब्बियों या लैंड मोबाइल ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लांचर पर तैनात करना, जिनके स्थानों को ट्रैक करना मुश्किल ‌‌‌ हो ।

परमाणु रणनीतियों के अन्य घटकों में मिसाइल डिफेंस का उपयोग करके मिसाइलों को नष्ट करने से पहले उन्हें जमीन पर उतारना, या नागरिक सुरक्षा को लागू करना शामिल था एक हमले से पहले नागरिकों को सुरक्षित क्षेत्रों में निकालने के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली का उपयोग करना। आदि आते हैं।

हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम

हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम
The first nuclear weapons were gravity bombs, such as this “Fat Man” weapon dropped on Nagasaki, Japan

6 अगस्त, 1 9 45 को, एक अमेरिकी बी -29 बमवर्षक, जिसका नाम इनोला गे ने जापान में हिरोशिमा, के उपर परमाणु बम गिराया था। अमेरिका ने परमाणु बम गिरने के लिए हिरोशिमा को चुना था क्योंकि इससे जापान की युद्ध की इच्छा टूट सकती थी।

8:15 बजे, लिटिल बॉय ने विस्फोट किया, तुरन्त 80,000 से 140,000 लोगों की हत्या कर दी और 100,000 अधिक गंभीर रूप से घायल हो गए। और कई लोगों ने इस विस्फोट को देखा था। उस समय का तापमान एक लाख डिग्री तक पहुंच गया था।

एक सेकेंड से कम समय में, आग का गोला 900 फीट तक बढ़ गया था। विस्फोट की लहर दस मील की दूरी के लिए खिड़कियां टूट गई थी और 37 मील दूर तक महसूस हुई थी। हिरोशिमा की दो-तिहाई इमारतों को ‌‌‌ नष्ट कर दिया गया था।

नागासाखी पर परमाणु बम 9 अगस्त, 1 9 45 को गिराया गया था। इस बम के गिराने से बहुत अधिक नुकसान हुआ और अनेक लोग इसकी चपेट मे आ गए ।इस बम का नाम फैट मैन था। और इसके बाद संचार और परिवहन की व्यवस्था पूरी तरह से ठप्प हो गई थी।

‌‌‌और इस समय घायलों का ईलाज करना भी संभव नहीं था। और इस बम का वहां के लोगों पर बहुत ही बुरा असर हुआ । इस बम कांड के अंदर जिंदा रहने वाले कई लोग अपने अनुभव को शैयर करते हुए लिखते हैं कि जब बम गिरा तो वे काम कर रहे थे और अचानक से उनके पास एक महिला का सर आकर गिरा । हर तरफ लासें बिछी हुई थी।

‌‌‌जिस जमीन पर यह परमाणु बम गिरायेगए  थे उसका प्रभाव वहां पर आज भी देखने को मिलता है।जमीन पूरी तरह से बंजर जो चुकी है। अब वहां पर कुछ भी पैदा नहीं होता है। और अनेक बीमारियां वहां पर होने वाले लोगों मे आज भी मिलती हैं।

  • हिरोशिमा के अंदर जापान ने सन 1965 से ही परमाणु हमले मे मरे लोगों के लिए शांति की लौ जला रखी है। यह तब बंद होगी जब पूरी दुनिया के परमाणु हथियारों को समाप्त कर दिया जाएगा ।
  • परमाणु बमों को गिराने से पहले अमेरिका ने चेतावनी भी जारी की थी।
  • जापान के हिरोशिमा के उपर पहली बार परमाणु बम  गिराया गया तो नागासाखी के अंदर एक पुलिस वाले ने लोगों को परमाणु हमले से बचने के तरीके भी सीखाए थे ।जिसकी वजह से बहुत से लोगों ने खुद को बचाया था।
  • गिंको बिलोया कई मिलियन वर्ष पुराने जापान के पेड हैं । इनके उपर परमाणु हमले का कोई असर नहीं हुआ यह जल्दी ही वापस सही हो गए ।
  • इस परमाणु हमले के अंदर लगभग दो दर्जन अमेरिकी लोग भी मारे गए थे जिसको अमेरिका ने 1970 ई तक स्वीकार भी नहीं किया था।
  • जिमी कार्टर एकमात्र अमेरिकी राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने हिरोशिमा का दौरा किया था।
  • त्सुतोमू यमागुची नामक एक ऐसा व्यक्ति था जो नागासाकी  और हिरोशिमा दोनो विस्फोटों के अंदर सुरक्षित बच गया । और 93 साल तक जिंदा रहा ।
  • हिरोशिमा परमाणु बमबारी के एक महीने बाद, एक बड़े पैमाने पर तूफान (मकाउराज़की तूफान) ने 2000 से अधिक लोगों को मार दिया था।
  • 65 मिलियन वर्ष पहले डायनासोर को खत्म करने वाला  धूमकेतु हिरनशिमा और नागासाकी को नष्ट करने वाले परमाणु बमों की तुलना में एक अरब गुना अधिक उर्जा लिए आया था।
  • ‌‌‌जब हिरोशिमा पर परमाणु बम गिरा तो इसका प्रकाश इतना तेज था कि आस पास के मकानों का तांबा भी पिघल गया था।
  • ओलियंडर हिरोशिमा शहर का आधिकारिक फूल है जोकि परमाणु बम गिराने के बाद पहली बार खिला था ।

द्वितीय विश्वयुद्ध के समाप्त होने के बाद जापानी सरकार ने हमले से प्रभावित लोगों को फ्री सुविधा देने का आदेश दिया और कुछ इलकों को गम्भीर रूप से क्षतिग्रस्त घोषित किया ।और इसके बाद काली बारिश के चपेट मे शहर से बाहर रहने वाले लोग भी आए । विस्फोट की गर्मी के चलते लोगों की त्वचा लटक चुकी थी। और इसके अलावा पेड़ों की पतियां झड़ चुकी थी।पूरा शहर शवों से भरा हुआ था। कहीं पर हाथ कटा हुआ था तो कहीं पर सर पड़ा हुआ था।देखने मे यह जगह नरक से कम नहीं लग रही थी।

‌‌‌विस्फोट के बाद ही काली बारिश होने लगी थी जिसके अंदर रेडियोएक्टिव तत्व थे ।नदी पूरी शवों से भर चुकी थी और कई लोगों के पेर लकड़ी तरह कठोर हो चुके थे । हिरोशिमा और नागासाकी के अंदर रहने वाले 50 प्रतिशत लोग तुरंत ही मारे जा चुके थे । हिरोशिमा के अंदर 1 लाख 40 हजार  लोग मारे गए और नागाशाखी के अंदर 70 से अधिक लोग मारे जा चुके थे ।

‌‌‌दुनिया के पास परमाणु हथियारों की लिस्ट

‌‌‌दुनिया के पास परमाणु हथियारों की लिस्ट

वैसे आपको बतादें कि सन 2018 के अंदर छपी हुई एक न्यूज के अनुसार पुरी दुनिया मे कुल 14,500 हथियार हैं। और सबसे अधिक परमाणु हथियार रूस और अमेरिका के पास हैं। हालांकि उत्तर कोरिया ने भी परमाणु परिक्षण करके सबको चौका दिया है।

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उत्तर कोरिया

  • कुल परमाणु हथियार: ~ 10 से 20
  • कुल परमाणु परीक्षण: ~ 6
  • पहला परीक्षण: अक्टूबर 2006
  • सबसे हालिया परीक्षण: सितंबर 2017

इजराइल

  • कुल परमाणु हथियार: ~ 80

    भारत

  • कुल परमाणु हथियार: ~ 120 से 130
  • कुल परमाणु परीक्षण: ~ 3
  • पहला परीक्षण: मई 1974
  • सबसे हालिया परीक्षण: मई 1998

पाकिस्तान

  • कुल परमाणु हथियार: ~ 130 से 140
  • कुल परमाणु परीक्षण: ~ 2
  • पहला परीक्षण: मई 1998
  • सबसे हालिया परीक्षण: मई 1998

यूनाइटेड किंगडम

  • कुल परमाणु हथियार: ~ 215
  • कुल परमाणु परीक्षण: ~ 45
  • पहला परीक्षण: अक्टूबर 1952
  • सबसे हालिया परीक्षण: नवंबर 1991

चीन

  • कुल परमाणु हथियार: ~ 270
  • कुल परमाणु परीक्षण: ~ 45
  • पहला परीक्षण: अक्टूबर 1964
  • सबसे हालिया परीक्षण: जुलाई 1996

फ्रांस

  • कुल परमाणु हथियार: ~ 300
  • कुल परमाणु परीक्षण: ~ 210
  • पहला परीक्षण: फरवरी 1960
  • सबसे हालिया परीक्षण: जनवरी 1996

संयुक्त राज्य अमेरिका

  • कुल परमाणु हथियार: ~ 6,550
  • कुल परमाणु परीक्षण: ~ 1,030
  • पहला परीक्षण: जुलाई 1945
  • सबसे हालिया परीक्षण: सितंबर 1992

रूस

  • कुल परमाणु हथियार: ~ 6,800
  • कुल परमाणु परीक्षण: ~ 715
  • पहला परीक्षण: अगस्त 1949
  • सबसे हालिया परीक्षण: अक्टूबर 1990

परमाणु बम का आविष्कार लेख के अंदर हमने परमाणु बम के आविष्कार के बारे मे विस्तार से जाना । उम्मीद करते हैं कि आपको लेख पसंद आया होगा । यदि आपका कोई सवाल है तो नीचे कमेंट करने का कष्ट करें ।

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arif khan

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