हिंदी की खोज किसने की ? और hindi language history

‌‌‌इस लेख मे हम जानेंगे हिंदी भाषा की खोज किसने की hindi language history in hindi ।आज हम लोग हिंदी के अंदर बोलते हैं और लिखते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिंदी भाषा की खोज किसने की थी । और हिंदी भाषा का इतिहास किस प्रकार का रहा होगा ? तो आइए जानते हैं इस लेख मे हिंदी भाषा की खोज और इसके रोचक तथ्यों के बारे मे ।

हिंदी इंडो-यूरोपियन भाषा के अंदर आती है।इसके अंदर हिंदी, पंजाबी, अंग्रेजी, जर्मन, स्पेनिश, बंगाली आदि भाषाएं भी आती हैं।Indo-European भाषाओं के अंदर कई सारी भाषाओं का समूह है ।यूरोप, ईरान और दक्षिण एशिया के अंदर यह बोली जाती हैं। आपको बतादें कि 3 बिलियन लोग यह भाषाएं बोलते हैं।

संस्कृत, ग्रीक और लैटिन इस समूह के अंदर सबसे पुरानी भाषाएं हैं और इन्हीं भाषाओं के अंदर से इस समूह की दूसरी भाषाएं भी उत्पन्न हुई हैं। भारत में, हिंदी को पहली भाषा के रूप में लगभग 425 मिलियन लोगों द्वारा और दूसरी भाषा के रूप में कुछ 120 मिलियन अधिक द्वारा बोली जाती है। महत्वपूर्ण हिंदी बोलने वाले समुदाय दक्षिण अफ्रीका , मॉरीशस , बांग्लादेश , यमन और युगांडा में भी पाए जाते हैं

hindi language history in hindi

‌‌‌वैसे आपको बतादें कि भारत के उपर कई विदेशी आक्रांताओं ने आक्रमण किया और हर आक्रांता अपने भगवान और भाषा व रहन सहन और तौर तरीके को लेकर आया । और आज उनका ही प्रभाव है कि भारत मे अनेक भाषाएं बोली जाने लगी और पहनावा भी भिन्न होता गया ।

‌‌‌आज हम जो हिंदी बोलते हैं वह संस्कृत से निकलती है और फारसी से भी प्रभावित है।यदि हम हिंदी और उर्दू की तुलना करेंगे तो दोनों आपको समान ही दिखेंगी लेकिन हिंदी देवनागरी लिपी के अंदर लिखी गई है।हिंदी की यात्रा उत्तर-पश्चिमी भारत में लगभग 1800 ईसा पूर्व में प्रवास से शुरू होती है।

Table of Contents

‌‌‌द्रविड़ भाषाएं hindi language history in hindi

द्रविड़ भाषाएँ भारत की मूल निवासी भाषाएं हैं हालांकि कुछ वैज्ञानिक इससे असहमत भी हैं।लेकिन यह किसी अन्य भाषा परिवार से भी संबंधित नहीं हैं।लेकिन केवल दो द्रविड़ भाषाएं भारत के बाहर बोली जाती हैं जोकि इस प्रकार से हैं।पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान में ब्राहुई और नेपाल और भूटान में धनगर।

‌‌‌वैसे आपको बतादें कि भारत के अंदर द्रविड़ भाषा के लिखित प्रमाण  भी मिलते हैं। इसके अंदर तमिल-ब्राह्मी लिपि है जो तमिलनाडु में गुफा की दीवारों पर ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में मिली थी। ‌‌‌भारत के अंदर बोली जाने वाली द्रविड़ भाषाओं की सूचि कुछ इस प्रकार से है।

‌‌‌भाषा का नाम‌‌‌बोलने वालों की संख्या
तेलुगु 74 मिलियन
तमिल 66 मिलियन
कन्नड़ 37 मिलियन
मलयालम 33 मिलियन
तुलु 1.9 मिलियन
बेरी 1.5 मिलियन)
गोंडी 2 मिलियन
ब्रहुई 2 मिलियन
कुरुख 2 मिलियन
मुरिया 1 मिलियन
कुई 900,000)
कोया 360,000
माड़िया 360,000
माल्टो 200,000
कुवि 155,000
कुरंभाग पहाड़िया12,500
कोलमी120,000
दुरूवा51,000
ओलेरी15,000
नाइकी10,000
मंदा4,000
कलानदी930
होलिया750
अरदान200

संस्कृत

वैदिक संस्कृत 1500 ई.पू. हिंदी साहित्य के सबसे पुराने लेखन मे से एक है।ऋग्वेद नामक ग्रंथ वैदिक संस्कृत में लिखे गए थे।लगभग 800 ईसा पूर्व यह शास्त्रीय संस्कृत में रूपांतरित हुआ था। आपको बतादें कि शास्त्रीय संस्कृत एक ऐसी भाषा थी जोकि अधिकतर उच्च वर्ग के द्धारा बोली जाती थी।वैसे आपको बतादें कि शास्त्रीय संस्कृत ‌‌‌को अभी भी कुछ लोग बोलते हैं।

प्राकृत भाषा

प्राकृत भाषाएँ वैदिक और शास्त्रीय संस्कृत से ही बनी हैं और इनका विकास नाटको और साहित्य की मदद से हुआ था। और इनका कोई भी रोजमर्रा के अंदर इस्तेमाल नहीं करता था। इसके अलावा संस्कृत के खो जाने की वजह से भी कुछ भाषाएं प्राक्रत मे बदल गई थी। सबसे महत्वपूर्ण प्राकृत भाषा अर्धमागधी प्राकृत थी, और इसका व्याकरण आमतौर पर अन्य प्राकृतों को पढ़ाने के लिए मानक के रूप में भी प्रयोग किया गया था।

अपभ्रंश भाषाएं 

‌‌‌500 ई पूर्व अपभ्रंश भाषाएं प्राक्रत से विकसित हुई थी।इनका प्रयोग सामान्य भाषा के रूप मे 13 वीं शताब्दी तक किया जाता रहा ।जब फारसी शासक दिल्ली की गदृी पर बैठे तो 1206 से 1526 ई बीच फारसी भी अपभ्रंश के बीच मिसरण हो गई और बाद मे हिंदी व उर्दू भाषा बन गई। 18 वीं शताब्दी में जब मुगल साम्राज्य जब पतन की ओर जाने लगा तो फारसी भाषा ने खड़ी बोली को आम भाषा के रूप मे बदल थी ।उत्तर भारत में उच्च वर्ग द्वारा उपयोग किए जाने वाले खारीबोली के प्रकार को हिंदुस्तानी के नाम से जाना जाने लगा ।

मुगल साम्राज्य के दौरान भी फारसी भाषा प्रचलित थी। जब 19 वीं शताब्दी में 18 वीं में ब्रिटिशों ने भारत का औपनिवेशीकरण किया तो उन्होंने हिंदुस्थानी भाषा का प्रयोग किया क्योंकि यह व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा थी।और हिंदी भाषा भारत के अंदर और उर्दू पाकिस्तान मे प्रयोग होती थी।

‌‌‌हिंदी भाषा

‌‌‌हिंदी भाषा

हिंदी भाषा के अंदर अनेक शब्द कई दूसरी भाषा से आते हैं।इसके अलावा हिंदुस्तानी बनने वाली खरीबोली का भी हिंदी पर काफी गहरा प्रभाव पड़ा था।तमिल या मराठी से भी हिंदी भाषा के शब्द लिये गए हैं।उर्दू और हिंदी दोनों को हिंदुस्तानी का रजिस्टर माना जाता है – एक ही भाषा के दो संस्करण , जैसे ब्रिटिश अंग्रेजी और अमेरिकी अंग्रेजी दोनों अंग्रेजी के रजिस्टर हैं।और हिंदी व उर्दू की व्याकरण एक ही है लेकिन शब्दावली मे काफी भिन्नता है। और हिंदी शास्त्रीय संस्कृत से बहुत अधिक उधार लेती है जबकि उर्दू फारसी से अधिक उधार लेती है।

‌‌‌बज्रभाषा

हिंदी की जिस भाषा को हम बज्रभाषा के नाम से जानते हैं उसका संबंध बज्रप्रदेश या बज्रमंडल से है।यह भाषा अलिगढ़ ,मथुरा ,आगरा और बरेली के आस पास के क्षेत्रों के अंदर बोली जाती थी।पुरानी हिंदी के आस पास ही इसी भाषा का विकास होने लगा था। हालांकि भक्तिकाल के अंदर बज्रभाषा का विकास काफी ‌‌‌तीव्रगति से होने लगा था।

‌‌‌बज्रभाषा का पहला उल्लेख 16 वीं शताब्दी के अंदर मिलता है।सभी आधुनिक बोलियों की तरह बज्रभाषा भी पुरानी हिंदी से विकसित हुई थी।सौरसेनी अपभ्रंश से यह भाषा बनी थी । पृथ्वीराज रासो के अंदर भी बज्रभाषा का उल्लेख दिखता है। इसी प्रकार से नाथयोगी जलरंधनाथ के पदों के अंदर भी बज्रभाषा का उल्लेख ‌‌‌ मिलता है।

‌‌‌जौगी सौय जोगिणे जग तैं रहे उदास

तत निरजण पाइयै कहे मच्छेंद्रनाथ।।

‌‌‌आपको बतादें कि बज्रभाषा का पहला प्रयोग अमीर खुसरों ने अपनी कविताओं के अंदर किया था। हालांकि इनकी रचनाओं के अंदर कई भाषाएं जैसे खड़ी बोली ,अवधि और फारसी तीन को मिसरित रूप दिखाई देता है।इसी प्रकार से सुधीर अग्रवाल ने 1354 ई के अंदर प्रघुम्न चरित्र के अंदर बज्रभाषा का प्रयोग किया था।‌‌‌संत नाम देव और विष्णुदास ने भी अपनी रचनाओं के अंदर बज्रभाषा का प्रयोग किया था।

‌‌‌खड़ी बोली

जिस बोली को हम खड़ी बोली के नाम से जानते हैं उसका मूल नाम कौरवी या दैहलवी माना जाता है।यह कुरू प्रदेश के अंदर बोली जाती थी। जिसके अंदर दिल्ली ,आगरा ,मेरठ और पानीपत आते थे।यह भाषा पुरानी हिंदी के बाद बोली जाने वाली भाषा थी। और बाहर से जो भी आक्रमण कारी आए । उनके लिए यह भाषा समझना ‌‌‌बेहद ही जरूरी था। और उसके बाद जब दिल्ली सलतनत स्थापित हुई तो यह खड़ी बोली व्यापक रूप से बोली जाने लगी फिर फारसी प्रभाव इस भाषा पर पड़ा और इसकी अलग अलग शैली को हिंदुस्तानी ,रेख्ता ,दखिनी हिंदी और उर्दू के नाम से जाना गया ।‌‌‌वर्तमान मे हम जिस भाषा को मानक हिंदी के रूप मे जानते हैं वह खड़ी बोली का ही एक रूप है। या इसका विकास इससे ही हुआ है।

‌‌‌पुरानी हिंदी क्या है ?

आपको बतादें कि पुरानी हिंदी आधुनिक अपभ्रंश और आधुनिक आर्य भाषाओं के बीच की कड़ी माना गया है।यह भाषा 13 या 14 शताब्दी की है जब बोलियां स्वतंत्र रूप से प्रकट होने लगी थी।वैसे आपको बतादें कि पुरानी हिंदी को कई नामों से जाना जाता है।‌‌‌चंद्रशर्मा गुलेरी ने पुरानी हिंदी का नाम दिया है। इसी प्रकार से पंडित वासुदेव ने इसको उदयमान हिंदी का नाम दिया है।‌‌‌यदि हम पुरानी हिंदी के स्त्रोत की बात करें तो यह सरहपा ,कण्हपा जैसी कुछ रचनाएं हैं जो पुरानी हिंदी का सबूत देती हैं।

‌‌‌भाषा और बोली के अंदर अंतर

वैसे भाषा और बोली के अंदर अंतर करने के लिए कोई खास कसौटी नहीं है। कारण यह है कि यह अंतर व्याकरण के स्तर पर नहीं होता है। वरन सामाजिक स्तर पर होता है।जब कोई बोली किसी कारण से सामाजिक स्तर और राजनैतिक स्तर पर सम्मान प्राप्त कर लेती है तो वह भाषा के नाम से जानी ‌‌‌ जाने लग जाती है।इसी प्रकार से कुछ बोली कुछ समय के लिए एक भाषा की भूमिका निभाने के बाद सहायक बोली के अधीन भी हो सकती है।

  • यदि कोई दो लोग अलग अलग बोल रहे हैं और दोनों आधी चीजों को समझ रहे हैं तो यह माना जाता है कि वे एक ही क्षेत्र की दो बोलियों का प्रयोग कर रहे हैं। यदि वे दो भाषाओं का प्रयोग ‌‌‌करते हैं तो आमतौर पर एक दूसरे की बात को नहीं समझ पायेंगे ।
  • ‌‌‌इसके अलावा भाषा और बोली के अंदर एक अंतर यह होता है कि भाषा का भौगोलिक क्षेत्र काफी अधिक होता है लेकिन बोली का भौगोलिक क्षेत्र काफी कम होता है।
  • इसके अलावा भाषा बोली की तुलना मे काफी विकसित होती है। इसके अंदर काफी रिसर्च किया गया होता है और व्याकरण वैगरह के अंदर सुधार किया गया होता है ‌‌‌लेकिन बोली सिर्फ बोलने तक ही सीमित रहती है। इसका उतना विकास नहीं होता है।
  • ‌‌‌इसी प्रकार से भाषा की व्याकरण निश्चित होती है और भाषा के अंदर शुद्धता का ध्यान रखा जाता है जबकि बोली के अंदर शुद्धता का ध्यान नहीं रखा जाता है।
  • ‌‌‌इसके अलावा भाषा और बोली के अंदर यह है कि भाषा को शाशकीय मान्यता प्राप्त होती है। लेकिन बोली को किसी भी प्रकार की शाशकीय मान्यता प्राप्त नहीं होती है।

‌‌‌हिंदी भाषा के बारे मे कुछ तथ्य

आपको बतादें कि दुनिया की चौथी सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा हिंदी ही है और दुनिया के अंदर 341 मिलियन लोग हिंदी भाषा बोलते हैं।और कुल 615 मिलयन लोग हिंदी की जानकारी रखते हैं।आपको यह भी बतादें कि 14 सिंतबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। यह हिंदी के लिए ‌‌‌एक विशेष दिन होता है।इस अवसर पर 14 सितंबर, 1949 को भारत के राजभाषा के रूप में भाषा को आगे बढ़ाने का काम करने वाले एक हिंदी विद्वान, राजेन्द्र सिम्हा के जन्म दिन को चुना गया है।

‌‌‌हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है

आमतौर पर बहुत से लोगों को यह लगता है कि हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है लेकिन यह हकीकत नहीं है। हिंदी और अंग्रेजी को भारत की आधिकारिक भाषाओं के अंदर मान्यता दी गई है लेकिन संविधान 22 भारतिय भाषाओं को मान्यता देता है। लेकिन वैसे संविधान के अंदर 447 ‌‌‌भाषाओं के बारे मे लिखा गया है।

‌‌‌हिंदी भाषा के कई प्रकार

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हिंदी भाषा बस एक प्रकार नहीं है। जिस प्रकार से अंग्रेजी भाषा है। इसके कई क्षेत्रिय संस्करण भी होते हैं जैसे कि मानक हिंदी, नागरी हिंदी, साहित्यिक हिंदी और उच्च हिंदी।

अरबी और फारसी शब्दों का मिश्रण

हिंदी के अंदर कई भाषाओं का मिश्रण है।हिंदी शब्दकोष में 5,500 से अधिक शब्द पर्सो-अरबी मूल के हैं। और फारसी और अरबी से भी हिंदी के कई शब्द लिये गए हैं।

‌‌‌हिंदी के अंदर कुछ प्रथम

जैसा कि हमने आपको पहले बताया था कि राज्य अपनी आधिकारिक भाषा को चुन सकते हैं।और बिहार ऐसा पहला राज्य था जिसने हिंदी भाषा को अधिकारिक भाषा के रूप मे चुना था।

  • अपभ्रंश में विक्रमोर्वशीयम हिंदी का पहला रिकॉर्ड है जोकि 400 ई के अंदर कालिदास ने लिखा था।
  • 1913 में, हिंदी में “राजा हरिश्चंद्र” नामक पहली फिल्म रिलीज हुई थी। इसका निर्माण और निर्देशन दादासाहेब फाल्के द्वारा किया गया था, जिन्हें भारतीय सिनेमा का संस्थापक माना गया है।
  • हिंदी टाइपराइटर पहली बार 1930  मे मार्केट के अंदर उतारे गए थे ।
  •  1931 में “आलम आरा” नामक संवाद के साथ पहली हिंदी फिल्म भारत में सिनेमाघरों में रिलीज हुई।

‌‌‌हिंदी शब्द फारसी मूल का है

हिंदी शब्द की यदि हम बात करें तो यह खुद एक फारसी मूल का है। हिंदी का मतलब हिंद से है जिसका मतलब होता है भारतीए ।सिंधु नदी की भूमि को पहले हिंद के नाम से जाना जाता था। और इसके आस पास रहने वाले लोगों को हिंद कहा जाता था।

‌‌‌हिंदी मे अंग्रेजी से अधिक अक्षर हिंदी भाषा की खोज

दोस्तों आपको बतादें कि हिंदी के अंदर अंग्रेजी से अधिक अक्षर होते हैं।हिंदी देवनागरी लिपि का उपयोग करती है, जो ब्राह्मी लिपि पर आधारित है । यह लिपि पहली और चौथी शताब्दी के अंदर विकसित हुई थी।इसमें 11 स्वर और 33 व्यंजन होते हैं।

‌‌‌हिंदी की व्याकरण कठिन होती है

यदि हम बात करें अंग्रेजी के व्याकरण की तो यह काफी सरल होती है लेकिन एक हिंदी से अनजान इंसान के लिए हिंदी की व्याकरण सीखने मे काफी समस्याएं हो सकती हैं। क्योंकि यह थोड़ी कठिन होती है।

‌‌‌हिंदी शब्द को उच्चारण करना आसान है

अन्य भाषाओं की तुलना मे हिंदी के अंदर लिखे शब्दों का उच्चारण करना बहुत ही आसान होता है। क्योंकि हर शब्द की ध्वनी अलग अलग होती है।

‌‌‌अधिक लोग हिंदी बोलते हैं

यदि हम हिंदी बोलने वालों की बात करें तो पूरी दुनिया के अंदर बहुत सारे लोग हैं जो हिंदी बोलते हैं। नेपाल, त्रिनिदाद और टोबैगो, सूरीनाम, गुयाना, फिजी, मॉरीशस मे हिंदी बोलने वाले लोग मिलते हैं।

  • ‌‌‌अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जार्जब्रुश हिंदी की शिक्षा के लिए लगभग $114 मिलियन का बजट आवंटित किया था।
  • ‌‌‌हिंदी सबसे अधिक ताकतवर भाषा है। और यह माना गया है कि 2050 ई तक हिंदी दुनिया की सबसे अधिक ताकतवर भाषा हो जाएगी ।
  • ‌‌‌आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 9 हजार से अधिक सरकारी वेबसाइट हैं जोकि अंग्रेजी के अंदर खुलती हैं। जोकि अच्छी बात नहीं है।
  • ‌‌‌आपको यह जानकर हैरानी होती है कि पूरी दुनिया के अंदर 175 विश्वविधालय ऐसे हैं जिनके अंदर हिंदी पढ़ाई जाती है।

‌‌‌राष्ट्रभाषा क्या होती है?

राष्ट्रभाषा का मतलब यह है कि जहां के अधिकांश लोग उस भाषा को बोलते हैं और उस देश का धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव उस भाषा के साथ हो ।जैसे जर्मनी की जर्मन फ्रांस की फ्रेंच आदि ।‌‌‌लेकिन भारत एक ऐसा देश है जहां पर बहुत सारी भाषाएं बोलने वाले लोग रहते हैं और किसी एक भाषा को राष्ट्र की भाषा का दर्जा नहीं दिया जा सकता है।यदि ऐसा किया गया तो भेदभाव उत्पन्न हो जाएगा ।

‌‌‌हालांकि स्वतंत्रता संग्राम के समय इस बात को सहमति दी गई की हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया जाना चाहिए लेकिन स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद विवाद हुआ और उसके बाद हिंदी भाषा को संपर्क भाषा के तौर सम्मान दिया गया ।

‌‌‌किसी भी भाषा के राष्ट्रभाषा होने से पहले कई तथ्यों पर विचार करना होता है। जो भाषा नीचे दिये गए तथ्यों पर खरी उतरती है उसे ही राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया जा सकता है।

  • ‌‌‌वह भाषा देश के अधिकांश लोगों के द्धारा बोली जानी चाहिए ।
  • वह भाषा देश के सांस्क्रतिक पक्षों को धारण करने वाली होनी चाहिए ।
  • एक राष्ट्रभाषा की प्रवति इस प्रकार की होनी चाहिए कि उसके अंदर देश की सभी क्षेत्रिय भाषाओं के शब्द होने चाहिए ।
  • ‌‌‌इस भाषा का व्याकरण सरल होना चाहिए कि इसको सीखने मे किसी प्रकार की समस्या नहीं होनी चाहिए ।
  • इसकी लिपि भी राष्ट्रीय लिपी होनी चाहिए ।
  • इस भाषा के अंदर अनेक प्रकार के साहित्य की रचना की गई हो और पूरा इतिहास इस भाषा से संबंधित होना चाहिए ।

‌‌‌हिंदी भाषा की व्याकरण रचना

आपको बतादें कि हिंदी भाषा की व्याकरण रचना का पहला प्रयास 18 वीं और 19 वीं शताब्दी के अंदर हुआ था।औरंगजेब के समय मिर्जा खां ने ब्रजभाषा का व्याकरण लिखा था।उसके बाद कई जानकारों ने हिंदी के व्याकरण को लिखने मे रूचि दिखाई थी।

‌‌‌1715 ई के अंदर हॉलेंड निवासी जौहन ने हिंदी का व्याकरण लिखा था जिसको पहला हिंदी व्याकरण भी माना गया है। इसके बाद भी कई हिंदी व्याकरण लिखे गए थे । जिसके अंदर हिंदुस्तानी ग्रामर ,येटस्स क्रत आदि आते हैं।

‌‌‌हिंदी भाषा की शब्दावली के प्रयास

बिना शब्दावली के कोई भी भाषा ,भाषा के रूप मे नहीं चल सकती है।हिंदी की शब्दावली के निर्माण के लिए कई प्रयास हुए हैं।शिवाजी के कहने पर रघुनाथ पंथ ने  हिंदी की शब्दावली के निर्माण का प्रयास किया था।इसी प्रकार से 1871 ई के अंदर बंगाल सरकार ने ‌‌‌एक समिति बनाई थी । जिसका कार्य यह था कि विज्ञान और विधि को किस प्रकार से रूपांतरित किया जाए ।1898 ई के अंदर काशी नागरी प्रचारणी सभा ने भी इसी उदेश्य के लिए एक समीति का गठन किया था।

‌‌‌इसी प्रकार से 20 वीं शताब्दी मे भी हिंदी की शब्दावली निर्माण के अनेक प्रयास किये गए और इस उदेश्य को काफी आगे बढ़ाया गया ।

‌‌‌यदि बात करें सन 2010 की तो इंटरनेट पर भी हिंदी बहुत ही कम मिलती थी। और हिंदी की उतनी वेबसाइट भी नहीं थी लेकिन आज के दौर के अंदर इंटरनेट पर हिंदी की बहुत सारी वेबसाइट आ चुकी हैं। और सिर्फ इतना ही नहीं है। हिंदी की वेबसाइट विदेशों के अंदर भी रैंक करती हैं। इनको काफी प्रसिद्धि भी मिली है।

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‌‌‌आज से कुछ साल पहले गूगल भी हिंदी को स्पोर्ट नहीं करता था लेकिन बाद मे जब गूगल ने देखा कि हिंदी के अंदर भी बहुत सारी संभावनाएं हैं तो फिर गूगल ने हिंदी के अंदर अपना योगदान देने के लिए ट्रांसलेटर टूल जैसी सुविधा का विकास किया । जिसकी मदद से आप किसी भी भाषा को हिंदी के अंदर बदल सकते हैं। ‌‌‌और हिंदी भाषा को दूसरी भाषा के अंदर बदलकर पढ़ सकते हैं। इसी प्रकार से गूगल ने हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए सर्च इंजन को भी हिंदी र्स्पोटेड बनाया है। ताकि यूजर आसानी से हिंदी के अंदर सर्च कर सकते हैं।

विकिपीडिया ने भी अब अपने लेख हिंदी के अंदर उपलब्ध करवाने शूरू कर दिये हैं। ताकि लोगों को हिंदी के अंदर अच्छी जानकारी मिल सके । और यदि आप इंटरनेट यूजर हैं तो आपको कई बार यह देखने को मिलेगा कि हिंदी के अंदर जो जानकारी अच्छी तरह से मिलती है उतनी अच्छी तरह से अंग्रेजी के अंदर नहीं मिल ‌‌‌पाती है। जिससे एक बात तो स्पष्ट हो रही है कि इंटरनेट पर भी हिंदी काफी तेजी से ग्रो कर रही है जो बहुत ही अच्छी बात है।

हिंदी भाषा की खोज किसने की hindi language history in hindi के अंदर हमने हिंदी के इतिहास के बारे मे विस्तार से जाना उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आयेगा । यदि आपका कोई विचार है तो हमें बताएं ।

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arif khan

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