female ullu ko kya bolate hain

‌‌‌ female ullu ko kya bolate hain female ullu ko kya kahate hain ‌‌‌दोस्तों यदि हम मादा उल्लू की बात करें तो इसे owl hen कहा जाता है। और नर उल्लू को owl coco के नाम से जाना जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए। उल्लू को आपने भी कई बार देखा ही होगा । उल्लू रात का पक्षी है। इसका मतलब यह है कि यह रात के अंदर काफी अच्छी तरह से देख सकता है। दिन के अंदर यह ठीक तरह से नहीं देख पाता है। उल्लू से जुड़ी अनेक मान्यताएं भारत के अंदर मौजूद हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌उल्लू के बारे मे आपको बतादें कि इसकी 200 से अधिक प्रजातियां मौजूद हैं। और बर्फिले इलाकों को छोड़कर उल्लू पूरी दुनिया के अंदर पाया जाता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

उल्लू के पास बड़ी, आगे की ओर आंखें और कान के छेद, एक बाज जैसी चोंच , एक सपाट चेहरा और आमतौर पर प्रत्येक आंख के चारों ओर पंखों का एक विशिष्ट चक्र, एक चेहरे की डिस्क होती है।और आपको बतादें की उल्लू की आंखे दूरबीन जैसी और काफी बड़ी होती हैं। यह अपनी गर्दन को 270 डिग्री तक घूमा सकते हैं क्योंकि ‌‌‌इनके पास दूरद्रष्टी होती है। ऐसी स्थिति के अंदर यह अपने पास मे कुछ भी साफ नहीं देख सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।सबसे छोटा उल्लू—स्लिपिंग 31 ग्राम (1 .+3 32 ऑउंस) और कुछ 13.5 सेमी (5 .) लंबाई+1 4 इंच)—समतुल्य+1 योगिनी उल्लू) व्हिटनी का उल्लू (माइक्रोथीन व्हिटनी) है। [4] उसी तरह, हालांकि बहुत कम नहीं, कम ज्ञात हैं लंबी पूंछ वाला उल्लू (ज़ेनोग्लोक्स लोरी) ‌‌‌ होता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌दोस्तों आपको बतादें कि जो उल्लू है वह अलग अलग प्रजाति की ध्वनी अलग अलग होती है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।और उल्लू के पंख भी गुप्त होते हैं। एक उल्लू को देखने पर आपको उसके पंख नजर नहीं आएंगे । वे इसी तरह से उसके शरीर के साथ समायोजित होते हैं।

‌‌‌यदि उल्लू की प्रजाति के अंदर नर और मादा की बात करें तो यहां पर मादा नर से काफी बड़ी होती है और नर काफी छोटा होता है यह इसलिए है क्योंकि यह नर को ठीक से वनवासी बनाता है। कुछ प्रजातियों के अंदर यह देखा गया है कि मादा उल्लू घोसले के अंदर रहती है और अंडे सेती है।

‌‌‌और नर उल्लू का काम होता है भोजन लाना । आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते है। और यही आपके लिए सबसे अधिक सही होगा ।इसके अलावा यदि भोजन की कमी होती है तो उसके बाद नर और मादा दोनो ही उल्लू शिकार के लिए निकलते हैं ।उल्लू के बच्चे जोकि छोटे होते हैं उनका पेट भरने की जिम्मेदारी ‌‌‌ वैसे तो नर और मादा दोनो पर ही होती है।

‌‌‌इसके अलावा मादा उल्लू के बड़े होने का एक सबसे बड़ा कारण यह है कि बच्चों के जन्म देने के बाद मादा उल्लू घोसला नहीं छोड़ सकती है। और जब मादा उल्लू काफी बड़ी होती है तो वह कम भोजन के साथ भी अधिक समय तक रह सकती है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌इसके अलावा एक अन्य सिद्धांत यह कहता है कि मादा को इसलिए बड़ा बनाया गया है कि वह नर की आक्रमकता को स्वीकार नहीं कर सकती है। बड़ी होने की वजह से वह अपने साथी को खुद ही चुनती है। और नर उल्लू उसके उपर प्रभाव नहीं बना सकता है।

सभी उल्लू शिकार के मांसाहारी पक्षी हैं और कीड़े, छोटे कृन्तकों और लैगोमोर्फ के आहार पर रहते हैं । और कई उल्लू मछलियों का शिकार करते हुए भी देखे जा सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।

‌‌‌इसके अलावा आपको बतादें कि उल्लू के जो पंख होते हैं वे जलरोधक होते हैं। और यही कारण है कि जब मौसम गिला होता है तो वे भीग जाते हैं और भीगने की वजह से वे शिकार करने मे असमर्थ हो जाते हैं। यही कारण है कि कई बार वे पानी के अंदर डूबे हुए पाये जाते हैं।

उल्लू विशेष श्रवण कार्य और कान के आकार का प्रदर्शन करते हैं जो शिकार में भी सहायता करते हैं। वे कुछ प्रजातियों में खोपड़ी पर विषम कान प्लेसमेंट के लिए विख्यात हैं। और उल्लू के दोनों कानों तक ध्वनी को पहुंचने मे समय लगता है उल्लू अपना सिर तब तक घूमाते हैं जब तक ध्वनी को दोनों कानों से ठीक से सुन ‌‌‌ नहीं लेते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।उल्लू की चोंच छोटी, घुमावदार और नीचे की ओर होती है, और आमतौर पर अपने शिकार को पकड़ने और फाड़ने के लिए टिप पर झुकी होती है।। और यदि एक बार उल्लू अपना शिकार पकड़ लेता है तो उसके बाद उसे आसानी से छोड़ता नहीं है और पटक पटक कर मार देता है। फिर ‌‌‌उसे निगल लेता है।

उल्लू के पंख का रंग स्थिर बैठने और पर्यावरण में घुलने-मिलने की क्षमता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके बारे मे आपको पता होगा । उल्लू आपतौर पर जिस तरह के परिवेश के अंदर रहते हैं उसी तरह के पंख वैगरह उनके होते हैं जिससे कि उनका पता आसानी से नहीं लग पाता है। जैसे सफेद इलाकों के अंदर रहने वाला ‌‌‌ उल्लू सफेद रंग का होता है और आसानी से नजर नहीं आता है । इसका मतलब यह है कि यह आसानी से शिकार को पकड़ सकता है।

उल्लू के अंडों में आम तौर पर एक सफेद रंग और एक अंडाकार या गोल आकार होता है, और उल्लू के प्रकार और मौसम के आधार पर कुछ से लेकर एक दर्जन तक की संख्या होती है। आमतौर पर, उल्लू के अंडे में तीन या चार अंडे होते हैं। कुछ उल्लू प्रजातियों में, मादा उल्लू जीवन भर नर के साथ संभोग नहीं करती है। मादा उल्लू आमतौर पर बाहर जाती है और अन्य साथी ढूंढती है। इस बीच, नर अपने क्षेत्र में रहता है और नए साथियों को आकर्षित करने की कोशिश करता है।

केन्या के किकुयू में, उल्लू को मौत के शगुन के रूप में देखा गया था। यदि किसी व्यक्ति ने उल्लू को देखा या उसकी पुकार सुनी, तो उसके शीघ्र ही मरने की संभावना थी। सामान्य तौर पर, उल्लू दुर्भाग्य या किसी अन्य विपत्ति से जुड़ा होता है।

मंगोलिया में, उल्लू को व्यापक रूप से एक कोमल कुलदेवता माना जाता है। एक कहानी में, चंगेज खान को एक उल्लू के घोंसले में दुश्मनों से छिपने की उम्मीद थी, और उस पेड़ पर उल्लू को स्थापित किया गया था, जिससे उसके अनुयायियों को लगा कि कोई जगह नहीं है जहां एक आदमी को छुपाया जा सकता है।

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arif khan

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