गाभिन भैंस के लक्षण और सावधानिया

गाभिन भैंस के लक्षण, भैंस गाभिन होने के लक्षण ,भैंस को भी भारत के अंदर काफी अधिक पाला जाता है।पालतू पशुओं के अंदर भैंस का महत्व सबसे अधिक है।देश में होने वाले कुल दूध उत्पादन में भैंस से मिलने वाली दूध की हिस्सेदारी लगभग 55 प्रतिशत है।और बोझा ढोने के लिए भैंसे का प्रयोग किया जाता है। भैंसे का मांस भी खाते हैं। यही कारण है कि आपको आवारा ‌‌‌घूमती हुई भैंस एक भी नहीं मिलेगी ।

शोधकर्ता चयनात्मक प्रजनन की मदद से भैंसों की नई किस्म को खोजने मे लगें ।आमतौर पर भैंस को दूध और मांस के लिए रखा जाता है और भैंस से अच्छा घी प्राप्त किया जा सकता है। ‌‌‌यदि आप एक पुराने भैंस पालक हैं तो गाभिन भैंस के लक्षण के बारे मे आप आसानी से जान सकते हैं। लेकिन यदि आप एक नए भैंस पालक हैं तो आपको कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ेगा ।हालांकि इस लेख को पढ़ने के बाद आपकी सारी समस्याएं मिट जाएंगी ।

‌‌‌भैंस पालक के लिए तभी फायदा होता है।जब भैंस सही समय पर बच्चा देती है। आमतौर पर भैंस पालक चाहते हैं कि उनकी भैंस हर साल के अंदर एक बच्चा दें । लेकिन भैंस का बच्चा देर से देना एक समस्या बन चुकी है।

‌‌‌पशुपालक तब परेशान होते हैं। जब वह दो साल के अंदर एक बार बच्चा देती है। वैज्ञानिक बताते हैं कि भैंस एक साल के अंदर बच्चा दे देती है। अगर वह ब्याने के 60 दिन बाद गाभिन हो जाए । लेकिन यदि भैंस ब्याने के 100 दिन बाद गाभिन होती हैं तो 400 दिन बाद बच्चा देती है। ‌‌‌यदि भैंस ब्याने के 200 दिन बाद गाभिन होती है तो यह 600 दिन बाद बच्चा देती है।

‌‌‌भैंस ब्यानें मे अंतर के कई कारण होते हैं। सबसे बड़ा कारण यह है कि कई बार यह पता नहीं चलता है कि भैंस हीट के अंदर । कई बार भैंस का गर्भपात होने की वजह से ऐसा हो जाता है। ‌‌‌और कई बार बच्चे दानी मे इन्फेक्सन होने की वजह से भी भैंस देर से बच्चा देती है।

गाभिन भैंस के लक्षण

‌‌‌भैंस के गर्भकाल को दो भागों के अंदर बांटा जाता है। एक गाभिन के पूर्व समय और दूसरा गर्भठहरने के बाद का समय । भैंस का गर्भ ठहरने के बाद का समय 310 दिन के आस पास होता है।

गर्भाधान के 21 वें दिन के आसपास भैंस को दोबारा मद में न आना गर्भधारण का संकेत मात्र है।लेकिन किसानों को अपनी भैंस की जांच डॉक्टर से करवानी चाहिए ।

‌‌‌वैसे आपकों बता दें कि भैंस की गर्भ के बारे मे पता लगाना उतना आसान कार्य नहीं होता है। कारण यह है कि एक भैंस गर्भवति है या नहीं इसके लिए 60 दिन इंतजार करना होता है। और यदि वह गर्भवती नहीं है तो पशुपालकों को नुकसान होता है।

‌‌‌भैंस का गर्भकाल काफी लंबा होने की वजह से कई बार पशुपालक भाइयों को कन्फयूजन हो जाता है कि उनकी भैंस गाभिणी है या नहीं ? क्योंकि भैंस के गर्भ का पता लगाना इतना आसान नहीं होता है। ‌‌‌जिसकी वजह से पशुपालकों को कई बार काफी लंबा इंतजार करना पड़ता है।

‌‌‌यदि आप भी एक भैंसपालक हैं तो यह लेख आपके लिए है । नीचे कुछ तरीके बताएं गए हैं जिनकी मदद से आप पता लगा सकत हैं।

Table of Contents

गाभिन भैंस के लक्षण ‌‌‌भैंस दांते देना बंद करदें

‌‌‌आपने देखा होगा कि जब भैंस हीट मे होती है तो फिर वह अपने मल द्धार से धागे से धागे छोड़ती है। यदि आप उसे भैंसे के पास लेकर जाते हैं और वह गर्भवति हो जाती है तो यह दांते छोड़ना बंद कर देती है। ऐसी स्थिति के अंदर आपको समझ जाना चाहिए कि आपकी भैंस गर्भवती हो चुकी है।

‌‌‌लेकिन यदि  भैंस को भैंसे के पास ले जाने के बाद भी दांते आ रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि भैंस का गर्भ नहीं ठहरा है आपको उसको एक बार फिर किसी भैंसे के पास ले जाने की जरूरत है। ‌‌‌अक्सर जो पशुपालक भाई रोज मर्रा का यही काम करते हैं । उनको भैंसों के बारे मे पूरी जानकारी होती है। ‌‌‌दोस्तों यदि भैंस  को भैंसे के पास उसके बोलने के 18 घंटे बाद ही लेकर जाना होता है। यदि आप जल्दी करते हैं तो उसके ठहरने की संभावना कम होती है।

गाभिन भैंस के लक्षण बार-बार चीखना बंद हो जाता है

यदि आप भैंस को इंजेक्सन लगवाते हैं या फिर किसी भैंसे के पास लेकर जाते हैं। यदि भैंस का गर्भ ठहर जाता है तो फिर वह बोलना बंद हो जाती है। आमतौर पर  इंजेक्सन लगाने के कुछ समय बाद ही वह बोलना बंद कर देती है। लेकिन यदि वह 15 दिन तक या 1 महिने तक दुबारा ना बोले या ‌‌‌ना चीखे तो आपको समझना चाहिए कि आपकी भैंस का गर्भठहर चुका है।

‌‌‌दांता या जेरा ना दें

भैंसे से क्लोज करवाने के बाद भैंस यदि 2 दिन तक कोई दांता या जेरा ना दे फिर 2 से 7 या 15 दिन के बीच यदि दो गाढे जेरा देती है तो इसका मतलब यह है कि भैंस का गर्भ ठहर चुका है। ‌‌‌लेकिन यदि इंजेक्सन लगवाने या फिर भैंसे के पास ले जाने के बाद भी कभी गाढ़े या फिर कुछ दिन छोड़कर जेरा दे रही है तो इसका मतलब यह है कि भैंस ठहरी नहीं है।

‌‌‌अचानक से अधिक दूध देना

आमतौर पर जब भैंस बोलने लगती है तो दूध कम हो जाता है लेकिन यदि भैंस ठहर जाती है तो वह 7 से  14 दिन के बीच अधिक दूध देगी । यदि भैंस का अचानक से दूध बढ़ जाता है तो इसका मतलब यह है कि उसका गर्भ ठहर चुका है।

‌‌‌दिन के बाद गाढ़े जेरे  ‌‌‌देना

यदि आपकी भैंस 15 दिन के बाद गाढ़े जेरे देती है तो आपको समझ लेना चाहिए कि आपकी भैंस ठहरी नहीं है। अब वह कुछ ही दिनों के अंदर पतले दांते देने वाली है। यह समस्या 18 वें दिन से ही हो जाती है।

‌‌‌भैंस का मूड

यदि भैंस ठहर गई है तो आप उसका पता उसके मूड से भी लगा सकते हैं।जैसे एक गाभिन भैंस कुछ चीजें अधिक खाने लगती है तो कई बार कम खाती है। इसके अलावा दूध देने के अंदर भी वह आनाकानी करती है। यदि आपको इस प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको समझ जाना चाहिए कि आपकी भैंस ठहर गई है।

buffalo pregnancy kit

वैज्ञानिकों ने रिसर्च की मदद से buffalo pregnancy kit को विकसित किया है। हालांकि इसका मिलना हर जगह काफी कठिन होता है। इसकी मदद से आप यह पता लगा सकते हैं कि आपकी भैंस प्रेगनेंट है या नहीं ? केंद्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र ने भैंस के मूत्र का अध्ययन किया और उसके बाद मूत्र के अंदर एक विशेष प्रकार का प्रोटीन होता है जिसकी मदद से यह पता चलता है कि भैंस ठहरी है या नहीं ? केंद्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र हिसार और राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल द्वारा तैयार  यह किट काफी उपयोगी साबित ‌‌‌होगा । ‌‌‌इस किट का फायदा यह है कि पशुपालकों को बार बार अस्पतालों के चक्कर नहीं काटनें पड़ेंग जिससे उनका समय बचेगा ।

‌‌‌रस्सी की मदद से

दोस्तों भैंस ठहरी या नहीं ।इसका पता एक रस्सी से भी लगाया जाता है। हालांकि यह सही तरीका नहीं है। इसके अंदर पशुपालक भाई भैंस के संभोग के बाद उसके शरीर के चारों और रस्सी बांध कर नाप लेते हैं। एक महिने के बाद फिर रस्सी को बांध कर नापते हैं। गर्भवति भैंस का पेट बढ़ जाता है। ‌‌‌हालांकि यह उतना अधिक प्रभावी तरीका नहीं है।लेकिन उसके बाद भी कई लोग इसका यूज करते हैं। इसमे कारण यह है कि आप सही सही अनुमान नहीं लगा सकते हैं। क्योंकि भैंस का पेट कई कारणों से बढ़ सकता है।

‌‌‌ गाभिन भैंस के लक्षण सरसों के तेल का प्रयोग

सरसों के तेल की मदद से भी आप यह पता लगा सकते हैं कि आपकी भैंस गाभिन है या नहीं है ? इसके लिए भैंस के सुबह सुबह का पैशाब एक बर्तन के अंदर लें । उसके बाद उस पैशाब के अंदर सरसों के तेल की 5 बूंदे डालें । एक के बाद एक आपको डालनी हैं। यदि सभी बूंदे आपस मे चिपक जाती हैं तो ‌‌‌इसका मतलब यह है कि आपकी भैंस का गर्भ ठहर चुका है।आप इस प्रयोग को 15 15 दिन के अंतराल पर कर सकते हैं। इसके अलावा इस तरीके की मदद से 70 प्रतिशत भैंसों के बारे मे सही सही पता लगाया जा सकता है।

‌‌‌गुदा के अंदर हाथ डालकर चैक करना

गुदा के अंदर हाथ  डालकर आप भैंस के बारे मे पता लगा सकते हैं कि गाभिन है या नहीं ? गुदा के अंदर हाथ डालकर 42 दिन के बाद चैक कर सकते हैं। लेकिन यह तरीका केवल किसी प्रोफेसनल डॉक्टर से ही करवाएं । यदि आपको इस कार्य का अनुभव नहीं है तो फिर आपको यह काम नहीं करना ‌‌‌चाहिए ।क्योंकि अंदर हाथ डालने से कई बार गर्भपात की समस्याएं भी हो सकती हैं लेकिन आप इससे सही सही पता लगा सकते हैं।

‌‌‌ गाभिन भैंस के लक्षण सींग के बीच के बाल का उड़ना

गाभिन भैंस के लक्षण

यदि आपकी भैंस गाफिन है तो उसके दोनों सींग के बीच के बाल उड़ जाएंगे । आप इसको चैक कर सकते हैं। हालांकि यह तरीका पूरी तरह से सही नहीं है लेकिन कई भैंसों के उपर यह काफी सटीक सिद्ध हुआ है।

‌‌‌गाभिन भैंस इधर उधर अधिक नहीं डोलती हैं

दोस्तों गाभिन भैंस यदि 3 महिने से अधिक समय की है तो वह अधिक भाग दौड़ करना पसंद नहीं करेगी । और अपना अधिक समय ठंडी छाया के अंदर ही बिताएगी । गाभिन भैंस जल्दी थक जाती हैं। जिसकी वजह से यह अधिक भाग दौड़ नहीं करती हैं।

‌‌‌गर्भवती  भैंस के शरीर मे चमक जाती है।

अपनी भैंस के शरीर को 3 महिने बाद चैक करें । यदि भैंस गाभिन है तो आप देखेंगे कि उसके शरीर के उपर आपको काफी अधिक चमक दिखाई देने लगेगी । ‌‌‌यह भैंस और गायों की खास बात होती है।

‌‌‌स्तन का लंबा होना

दोस्तों 6 महिने के बाद भैंस का स्थन नीचे की और लटकने लग जाते हैं।आमतौर पर किसी गर्भवती भैंस की पहचान का यही पहला लक्षण होता है। जिसको देखकर कोई भी पता लगा सकता है कि भैंस गाभिन है या नहीं । क्योंकि भैंस के स्थनों के अंदर दूध साफ साफ दिखने लग जाता है।

गाभिन भैंस के लक्षण ‌‌‌पानी की मदद से

‌‌‌इस तरीके का प्रयोग आप 4 महिने के बाद ही कर सकते हैं। यदि आपकी भैंस गाफिन है तो आप एक बाल्टी पानी लें और उसके बाद भैंस के उपर पानी डालकर उसको नहलाएं । यदि आपका हाथ भैंस के उपर काफी फिसल रहा है तो इसका मतलब यह है कि आपकी भैंस गाफिन है। ‌‌‌लेकिन यदि पानी डालने के बाद आपका हाथ भैंस से फिसल नहीं रहा है तो इसका मतलब यह है कि आपकी भैंस गाभिन नहीं है।

‌‌‌भैंस का शांत रहना

आमतौर पर गाभिनी भैंस शांत और सुस्त सी रहती है। यदि आपकी भैंस हीट मे आई और उसके बाद वह सुस्त सी रहती है तो इसका मतलब यह है कि उसका गर्भठहर चुका है।

‌‌‌पेशाब का कम होना

यदि आपकी भैंस गाभिन है तो उसके बार बार पेशाब नहीं आएगा । हीट के समय आ रहे बार बार पेशाब कम हो जाते हैं तो आपको समझ लेना चाहिए कि आपकी भैंस का गर्भ ठहर चुका है। हालांकि यह एक सही तरीका नहीं है। लेकिन बाद मे आप किसी दूसरे तरीके की मदद ले सकते  हैं।

‌‌‌भैंसे के अंदर रूचि नहीं लेती है

यदि आपकी भैंस गर्भवती हो चुकी है और उसके बाद वह भैंसे के पास जाती है तो आप यह देखेंगे कि वह भैंसे के अंदर बिल्कुल भी रूचि नहीं लेगी और किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया किये बगैर खड़ी रहेगी । ‌‌‌तब आपको समझ जाना चाहिए कि भैंस का गर्भठहर चुका है।

‌‌‌भैंस के बार बार पूंछ उठाने की समस्या नहीं होना

आप यह भी देख सकते हैं कि संभोग के बाद यदि भैंस बार बार पूंछ नहीं उठा रही है और बाकी लक्षण गर्भठहरने के नजर आ रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि गर्भ ठहर चुका है।

‌‌‌डॉक्टर से संपर्क करना

दोस्तों यदि आपको नहीं पता चल रहा है कि भैंस गाभिन नहीं है या है ? तो आप किसी डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं। डॉक्टर आपको अच्छी तरह से देखकर यह बतादेंगे कि आपकी भैंस गाफिन है या नहीं  ? आजकल गांव गांव के अंदर पुश चिकित्सा केंद्र खुल चुके हैं आप वहां पर जाकर पता कर ‌‌‌सकते हैं।

‌‌‌भैंस के गर्भधारण का सही समय की जानकारी ।

यदि आप भैंस रखते हैं तो आपको भैंस के बारे मे सही सही जानकारी पता होना चाहिए ।जैसे कब उसे इंजेक्सन देना चाहिए आदि ।

पशुसंभोग कालवर्ष में 
ऋतुमती
होना
ऋतुकाल
की
अवधि
वीर्य 
डालने
का समय
गर्भ काल
गर्भ न 
ठहरने 
पर
ब्यात
के
बाद

भैंस
वर्ष भर
तथा
गर्मियों 
में
अधिक
हर 18-21
दिन बाद
30-60 
दिन में
20-36 
घण्टे
मदकल 
आरम्भ
होने के
12-18
घण्टे बाद 1
गाय-280
दिन
भैंस-308
दिन

भैंस के हीट में होने के लक्षण

दोस्तों भैंस हीट मे है या नहीं है ? इसके बारे मे भी आपको पता होना चाहिए । यदि आप भैंस पालते हैं तो आपको इसकी जानकारी होगी ही । लेकिन यदि आपको इसकी जानकारी नहीं है तो इसके बारे मे भी हम इस लेख मे विस्तार से बताने वाले हैं।

‌‌‌आपको भैंस के समय के बारे मे जानकारी होना बेहद ही जरूरी होता है।भैंस 18 से 21 दिन के बाद गर्मी मे आती रहती है। यह ब्याने के डेढ महिने के  बाद ही गर्मी के अंदर आती रहती है।

‌‌‌भैंस की गर्मी की अवधि  20 से 36 घटे तक होती है।जिसको तीन भागों के अंदर बांटा गया है। उसके हिसाब से इनके लक्षण भी अलग अलग होते हैं। जिनके बारे मे आपको जान लेना चाहिए ।

‌‌‌भैंस की भूख मे कमी आना

यदि भैंस हीट के अंदर आ चुकी है तो वह खाना कम कर देगी या बिल्कुल भी नहीं खाएगी । आप देखेंगे कि उसके व्यवहार के अंदर यह बहुत बड़ा बदलाव आ जाएगा ।और यदि भैंस को खाना भी देंगे तो वह उसे इग्नोर करने का प्रयास करेगी । ऐसी स्थिति आमतौर पर 1 से 2 दिन तक रह सकती है। यदि ‌‌‌भैंस अधिक समय तक ऐसा कर रही है तो संभव है कि उसे कोई और समस्या भी हो सकती है।

दूध उत्पादन में कमी

भैंस का दूध अचानक से कम हो जाएगा । वह दूध के अंदर रूचि नहीं लेगी । संभव है कि लातफड़ाका करने लग जाए । और दूध का उत्पादन कम हो जाएगा । भैंस का दूध कम हो जाना भी यह दिखाता है कि वह हीट के अंदर हो सकती है।‌‌‌हालांकि दूध कुछ समय के लिए ही कम हो जाएगा । उसके बाद अपने आप ही दूध का उत्पादन बढ़ जाएगा । या वापस उसी स्तर पर पहुंच जाएगा ।

‌‌‌भैंस का बार बार बोलना

यदि आपकी भैंस बार बार बोल रही है तो इसका मतलब यह है कि वह हीट के अंदर आ चुकी है। और अब आपको उसको इंजेक्सन लगवाना चाहिए । भैंस जब हीट के अंदर होती है तो बैचेनी अनुभव करती है और बहुत अधिक बोलती है। भैंस के हीट मे होने का यह सबसे अच्छा  लक्षण है। जो किसी अन्य प्रकार की ‌‌‌समस्या होने पर प्रकट नहीं होता है।

योनि से पतले श्लैष्मिक पदार्थ का निकलना

भैंस जब हीट मे होती है तो योनि से पतले श्लैष्मिक पदार्थ का निकलते आप देख सकते हैं। यदि आपको लग रहा है कि आपकी भैंस हीट मे है तो आप भैंस की योनी से देख सकते हैं कि कुछ पदार्थ तो नहीं निकल रहे हैं ? यदि आप पदार्थ निकलते देखते हैं तो भैंस हीट मे है।

दूसरे पशुओं से अलग रहना

दोस्तों यदि आपकी भैंस अलग अलग रहती है। और वह दूसरे पशुओं के साथ रहना पसंद नहीं करती है। इसका मतलब यह भी हो सकता है कि वह हीट के अंदर आई हुई है। आप उसकी अन्य लक्षणों की मदद से पहचान करें ।

पशु का पूंछ उठाना

आप भैंस की पूंछ  की मदद से पता लगा सकते हैं। यदि भैंस बार बार अपनी पूंछ उठा रही है तो इसका मतलब यह है कि वह हीट के अंदर आई हुई है। अपनी भैंस की पूंछ की ओर ध्यानदें । यदि वह आपको बार बार पूंछ उठाती हुई दिखती है तो इसका मतलब यह है कि वह हीट मे आई हुई है।

‌‌‌भैंस का बार बार पेशाब करना

यदि आपकी भैंस बार बार पेशाब करती है तो वह हीट के अंदर आई हुई है। अपनी भैंस के पेशाब करने के समय को देखें । यदि वह सामान्य से अधिक पेशाब करती है तो यह उसके हीट का संकेत ही होता है।

‌‌‌शरीर के तापमान के अंदर बढ़ोतरी

दोस्तों यदि भैंस हीट के अंदर आती है तो उसके तापमान मे मामूली बढ़ोतरी हो जाती है। आप भैंस के शरीर के उपर हाथ रखकर चैक कर सकते हैं। कुछ दिन यह चैक करेंगे तो आपको पता चल जाएगा ।

योनि द्वार (भग) का सूजना

आप भैंस भग की तरफ देखें । यदि  वह आपको सूजा हुआ दिखाई देता है तो समझ लेना चाहिए कि भैंस हीट के अंदर आ चुकी है।

‌‌‌उपर दिये गए लक्षणों को मद की प्रारम्भिक अवस्था के नाम से जाना जाता है।

मद की मध्यव्स्था काफी महत्वपूर्ण होती हैं। और भैंस कृत्रिम गर्भाधान की यही अवस्था काफी महत्वपूर्ण होती है। और इसको काफी उपयोगी माना जाता है।

‌‌‌दूसरों के उपर पशु का चढ़ना

इस स्थिति के अंदर पशु खुद दूसरे पशुओं यानी दूसरी भैंसों पर चढ़ना शूरू कर देता है। और यदि कोई अन्य भैंस हीट वाली भैंस पर चढ़ती है तो वह इसका विरोध नहीं करती है।‌‌‌यदि आपकी भैंस भी इस प्रकार का व्यवहार करती है तो आपको समझना चाहिए कि भैंस हीट के अंदर आ चुकी है।

‌‌‌भैंस जोर जोर से बोलती है

मध्य अवस्था कि तुलना मे इस अवस्था के अंदर भैंस काफी जोर जोर से बोलती है। और यदि भैंस पहले से अधिक जोर से बोलती है तो आपको यह समझ लेना चाहिए कि यह भैंस का मध्यममद काल है।

‌‌‌दूध का कम होना और पीढ़ का टेढा होना

यदि दोस्तों भैंस हीट के अंदर होगी तो उसका दूध तो कम हो ही जाएगा । इसके अलावा उसकी पीठ के अंदर टेडापन आ जाएगा । आप उसकी पीठ को ध्यान से देखें तो आपको पता चलेगा कि पीठ टेडी हुई रखी है या नहीं ?

योनि द्वार (भग) से निकलने वाले श्लैष्मिक पदार्थ का गढा होना

इस अवस्था के अंदर पशु के भग से निकलने वाला पदार्थ काफी गाढ़ा हो जाता है और आप इसको देखें । यदि आपको यह गाढ़ा दिखाई देता है तो इसका मतलब यह है कि गाय हीट मे आ चुकी है।

श्लैष्मिक झिल्ली की लाली मे बढ़ोतरी

भैंस की  श्लैष्मिक झिल्ली की लाली को आप देख सकते हैं। आपको उसकी लाली के अंदर बढ़ोतरी नजर आएगी । यदि आपको वह अधिक लाल दिखाई देती है तो इसका मतलब यह है कि भैंस हीट के अंदर आ चुकी है।

मद की अन्तिम अवस्था के अंदर भी आपको कुछ सामन्य लक्षण नजर आने लग जाते हैं। जो कुछ इस प्रकार से हैं।

‌‌‌भूख सामान्य होने लग जाती है

जब भैंस अपने हीट के अंतिम समय के अंदर आ जाती है तो फिर उसकी भूख सामान्य होने लग जाती है। और उसके बाद वह धीरे धीरे चरने लग जाती है।यदि आपकी भैंस की भूख धीरे धीरे सामान्य हो रही है तो यह उसके हीट का अंतिम समय है।

‌‌‌दूध मे कमी समाप्त हो जाती है

भैंस जब हीट मे आती है तो वह कम दूध देने लगती है।लेकिन उसके बाद धीरे धीर हीट की अंतिम अवस्था मे दूध मे कमी जो हुई थी । वह सही होने लग जाती है।

‌‌‌भैंस का रंभाना कम होता है

जब भैंस हीट के अंतिम अवस्था के अंदर होती है तो उसका रंभाना धीरे धीरे कम होने लग जाता है। उसके बाद वह बोलना बंद ही कर देती है। इस प्रकार की स्थिति हो रही है तो इसका मतलब यह है कि भैंस हीट के अंतिम पड़ाव मे मौजूद है।

भग की सूजन व श्लैष्मिक झिल्ली की लाली में कमी आती है

भग की सूजन जोकि भैंस के हीट मे होने पर आती है। वह कम हो जाती है। आप ध्यान से देख सकते हैं। यदि यह कम हो रही है तो आपको समझ जाना चाहिए कि भैंस हीट की अंतिम पड़ाव मे है।

पशुओं के मद चक्र पर ऋतुओं का प्रभाव भी देखने में आता हैं| हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा जिले में वर्ष 1990 से 2000 तक किये गये कृत्रिम गर्भधान अनुसार माह जून में सबसे अधिक (11.1%) गये गर्मीं में देखी गयीं। इसी प्रकार से अक्टूबर के अंदर सबसे कम गर्मी 6 प्रतिशत के आस पास होती है। इसी प्रकार से त्रैमास अक्टूबर -नवम्बर-दिसम्बर सर्वोतम पाया गया जिसमें 44.13% भैंसों को मद में रिकाड किया गया है।

‌‌‌एक गर्भवति भैंस की देखभाल

‌‌‌एक गर्भवति भैंस की देखभाल

दोस्तों यदि आपको पता चल जाता है कि भैंस गाभिन है तो आपको उसकी अच्छे से देखभाल करने की जरूरत है। क्योंकि यदि आप सही से भैंस की देखभाल नहीं करेंगे तो फिर वह आपको अधिक दूध नहीं दे पाएगी ।

‌‌‌गर्भकाल के अंतिम 3 महिने के अंदर काफी अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।इस दौरान भैंस का वजन 20 से 30 किलो तक बढ़ जाता है।भैंस को अधिक पौषक तत्व देने से उसके दूध के उत्पादन मे काफी मदद मिलती है।‌‌‌इस दौरान भैंस को उर्जा युक्त आहार का देना आवश्यक होता है ताकि भैंस के गर्भ के अंदर पलने वाले बच्चे को उचित पोषण मिल सके ।

  • ‌‌‌इस अवस्था के अंदर भैंस को दौड़ाना नहीं चाहिए ।यदि आप उसे चराने के लिए भेजते हैं तो दूर चराने के लिए नहीं भेजना चाहिए । दौड़ाने से भैंस के बच्चे को चोट लग सकती है।
  • ‌‌‌यदि भैंस गर्भवती है तो उसको दूसरे पशुओं से लड़ने नहीं देना चाहिए ।क्योंकि कई बार लड़ाई के अंदर दूसरे पशू भैंस को चोट पहुंचा सकते हैं । और हो सकता है जिसकी वजह से भैंस के बच्चे को भी नुकसान हो ।
  • ‌‌‌भैंस यदि गाभिन है तो उसे पीने के लिए साफ पानी देना जरूरी होता है। साफ पानी इसलिए ताकि उसके शरीर के अंदर किसी भी प्रकार की बीमारी को पैदा ना कर सके । और यह उसके बच्चे के लिए भी अच्छा हो ।
  • ‌‌‌यदि गर्मी का मौसम चल रहा है तो भैंस को दिन के अंदर 2 से तीन बार नहलाना चाहिए । क्योंकि भैंस को काफी अधिक गर्मी लगती है। भैंस की चमड़ी मोटी और काली होने की वजह से यह गर्मी सहन नहीं कर पाती हैं।
  • ‌‌‌यदि गर्भकाल का आखरी महिना चल रहा है तो फिर भैंस को तालाब के अंदर लेटने के लिए नहीं ले जाना चाहिए । कारण यह है कि ऐसा करने से भैंस को नुकसान पहुंच सकता है।
  • ‌‌‌यदि भैंस के ब्याने के 2 महिने ही बचे हैं तो अब दूध निकालना बंद कर देना चाहिए । क्योंकि यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो फिर भैंस का बच्चा कमजोर पैदा होगा और दूध उत्पादन की क्षमता भी प्रभावित होगी । अगली बार दूध कम होगा ।
  • ‌‌‌भैंस को रोजाना 3 किलोग्राम तक दाना देना चाहिए ।और कुछ भैंसों को कब्ज की शिकायत रहती है तो अलसी का तैल पिलाना चाहिए ।
  • ‌‌‌भैंस के ब्याने के 20 से 30 दिन बचे तो उसे हरा चारा और अलसी को खिलाया जाना चाहिए ।यदि आपके यहां पर हरा चारा उपलब्ध है तो फिर किसी तरह के दाने वैगरह के खिलाने की जरूरत नहीं पड़ती है।
  • ‌‌‌जब भैंस का प्रसव का समय हो तो उसके आस पास किसी भी प्रकार का शौर नहीं होना चाहिए ।और ना ही फालतू के अंदर अधिक व्यक्तियों को एकत्रित होना चाहिए ।
  • यदि पशु की थैली दिख जाने के 1 घंटा बाद भी बच्चा नहीं देती है तो फिर आपको चाहिए कि आप किसी अनुभवी चिकित्सक की मदद लें ।
  • ‌‌‌यदि भैंस का बच्चा बाहर आ जाता है तो फिर भैंस को उसे चाटने दिया जाना चाहिए । जरूरत होने पर उसको साफ कर देना चाहिए ताकि उसे सांस लेने मे किसी भी प्रकार की समस्या ना हो सके ।
  • ‌‌‌प्रसव के बाद पशु की जेर गिरने तक पशु का पूरा ध्यान दिया जाना चाहिए । पशु कहीं जेर खा ना जाए इसकी पूरी निगरानी आपको करने की जरूरत है। जेर गिरने मे 5 घंटे तक का समय लग जाता है।
  • ‌‌‌भैंस के ब्याने के बाद एक से दो दिन तक गुड़ और जौ से बने दलिया को खिलाया जाना चाहिए । उसके बाद धीरे धीरे आप खली वैगर खिला सकते हैं।
  • ‌‌‌भैंस की जेर आमतौर पर 6 घंटे के अंदर गिर जाती है।लेकिन कई बार जैर नहीं गिरने की वजह से काफी समस्याएं आने लग जाती है। हालांकि इसको लेकर अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है।लेकिन यदि पशु कमजोर होता है जो जेर बच्चेदानी के अंदर ही सड़ती रहती है और इसकी वजह से कई बार मवाद पड़ जाती है। और इन्फेक्सन ‌‌‌ हो जाता है। इसलिए यदि भैंस की जेर नहीं पड़ रही है तो फिर आपको चाहिए कि आप अनुभवी चिकित्सक की मदद लें ताकि जेर जल्दी से गिर जाए । यदि चिकित्सक अनुभवी नहीं है तो फिर जेर शरीर के अंदर ही टूट सकती है जिससे काफी समस्याएं हो सकती हैं।

गाभिन भैंस के लक्षण लेख के अंदर हमने यह जाना कि किस प्रकार से यह जान सकते हैं कि कोई भैंस गाभिन है या नहीं ? यदि भैंस गाभिन नहीं है तो उचित समय पर आप निर्णय ले सकते हैं। आप किसी प्रकार के भम्र के अंदर ना रहें । उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा ।

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arif khan

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