इंद्रधनुष किस कारण से बनता है? इंद्रधनुष के 7 विभिन्न प्रकार

इंद्रधनुष के बारे मे आपने सुना और देखा भी होगा । जब बारिश होती है तो इंद्रधनुष बनता है। लेकिन बहुत से लोगों को नहीं पता इंद्रधनुष किस कारण बनता है ? इंद्र धनुष कब दिखाई देता है , ‌‌‌इंद्रधनुष के प्रकार , इंद्रधनुष के सात रंग आदि के बारे मे हम इस लेख के अंदर आपको बताएंगे ।

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‌‌‌इंद्रधनुष बच्चों को सबसे प्यारा होता है। इस वजह से जब भी इंद्रधनुष बनता है तो बच्चे उसे देखकर बहुत अधिक उत्साहित हो जाते हैं। वैसे देखा जाए तो इंद्रधनुष प्रक्रति का एक मजेदार नजारा होता है। जिसको देखकर वाकाई मे अच्छा लगता है। ‌‌‌अक्सर इंद्रधनुष हमे तब दिखाई देता है। जब बारिश हो जाती है। या फिर कुछ बूंदा बांदी होती है। और सूर्य का प्रकाश होता है। बिना सूर्य के प्रकाश के इंद्रधनुष दिखाई नहीं देता है। क्योंकि यह सूर्य के प्रकाश की वजह से ही बनता है।

‌‌‌इंद्रधनुष क्या होता है ?

सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि इंद्रधनुष क्या होता है। आपको बतादें कि इंद्रधनुष आकाश के अंदर मौजूद रंगों का संगम होता है। जिसके अंदर कई सारे रंग होते हैं। और यह एक धनुष के आकार का होने की वजह से इसको इंद्रधनुष के नाम से जाना जाता है। ‌‌‌यह एक दिशा से दूसरी दिशा की और फैला होता है। जब यह आकाश के अंदर बनता है। कई बार इंद्रधनुष आकाश के अंदर ना बनकर झरने आदि के स्थानों पर सूर्य के प्रकाश की वजह से बनता है। जो अलग प्रकार का होता है।‌‌‌इसके अलावा इंद्रधनुष जरूरी नहीं केवल पानी की बूंदो से ही बनता हो यह धुंध, स्प्रे, और हवाई ओस से भी बन सकता है। क्योंकि इसमे भी कुछ पानी की बूंदे होती हैं।

‌‌‌इंद्रधनुष मे कितने रंग होते हैं

‌‌‌इंद्रधनुष के अंदर 7 रंग होते हैं। इसके बाहर वाले हिस्से के अंदर लाल रंग होता है। जबकि अंदर वाले हिस्से के अंदर बैंगनी रंग होता है।कई बार दो इंद्रधनुष एक साथ बनते हैं तो रंगों का क्रम उल्टा बन जाता है। इंद्र धनुष के रंगों का क्रम कुछ इस प्रकार से होता है। बैंगनी ,आसमानी ,पीला ,नीला ,हरा ,नारंगी ,लाल आदि ।

आसमान में इंद्रधनुष कैसे बनता है

‌‌‌इंद्रधनुष का निकलना प्रिज़्म  के अंदर से निकलने वाले प्रकाश के जैसा होता है। इंद्रधनुष कैसे बनता है ? इस बारे मे जानने से पहले हम एक नजर प्रिज्म के उपर डाल लेते हैं ताकि हम इंद्रधनुष की बनने की प्रक्रिया को और भी बेहतर ढंग से समझ सकें।‌‌‌

प्रिज्म चिकनी सतहों वाला एक प्रकाशिय अवयव होता है। देखने मे यह एक त्रिभुज के आकार के जैसा होता है। आप इसको चित्र के अंदर देख सकते हैं।इसकी दो सपाट सतहों के बीच एक कोण होता है।‌‌‌प्रिज्म पूरी तरीके से इंध्रधनुष के जैसे ही काम करता है। जब प्रकाश इसके अंदर जाता है तो वह थोड़ा झुक जाता है। और उसके बाद बाहर निकलता है तो वह थोड़ा और झुकता है। आपको पता ही होगा की प्रकाश के अंदर सात रंग होते हैं और लाल रंग सबसे कम मुड़ने की वजह से सबसे उपर दिखाई देता है।

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CC BY-SA 3.0, Link

‌‌‌अब रही बात तो प्रकाश अलग अलग क्यों दिखाई देता है ?तो इसका कारण होता है प्रिज़्म के पदार्थ का अपवर्तनांक प्रकाश की आवृत्ति के अनुसार अलग अलग होता है। इस वजह से प्रकाश बाहर निकलता है तो वह अलग अलग रंगों के रूप मे दिखाई देता है।

‌‌‌अब बात आती हैं कि इंद्रधनुष कैसे बनता है ? तो दोस्तों इंद्रधनुष भी प्रिज्म के जैसे ही काम करता है। जब बारिश होती है तो आपको इंद्रधनुष देखने को मिलता है। इसकी वजह यह है कि बारिश की बूंदे एक प्रिज्म का काम करती हैं। बहुत सी बारिश की बूंदे आकाश मे तैरती हैं।‌‌‌जब सूर्य का प्रकाश आकार इन बूंदों के अंदर प्रवेश करता है तो वह मूड जाता है। और वापस निकलते वक्त वह सात रंगों के अंदर दिखाई देता है। ऐसा नहीं है कि इंद्रधनुष केवल बारिश के अंदर ही बनेगा । अक्सर कई जगह जहां पर पानी के झरने वैगरह होते हैं वहां पर इंद्रधनुष दिखाई दे सकता है।

‌‌‌बेहतर तरीके से समझने के लिए आइए एक चित्र का प्रयोग करते हैं। आप नीचे चित्र के अंदर देख रहे हैं कि सूर्य का प्रकाश वातावरण के अंदर मौजूद बहुत सी बूंदों के अंदर 45 डिग्री के कोण पर पड़ता है। उसके बाद उस प्रकाश का कुछ भाग वापस पारावर्तित हो जाता है। और जब वह प्रकाश सूर्य की बूंदों से निकलता है। ‌‌‌है तो उसके कोण के अंदर बदलाव हो जाता है। आपको बतादें कि हर एक बूंद के साथ ऐसा होगा है। और कई सारी बूंदे मिलकर एक इंद्रधनुष का निर्माण करती हैं। जो प्रकाश वापस परावर्तित होता है वह हमे इंद्रधनुष के रूप मे दिखाई देता है।

‌‌‌इंद्रधनुष किस दिशा मे बनता है ?

इंद्रधनुष ऐसा नहीं है कि हर किसी दिशा के अंदर बन जाता है। खास कर बारिश के अंदर बनने वाले इंद्रधनुष की बात करें तो यह शाम के समय पूर्व दिशा के अंदर बनता है। और सुबह पश्चिम दिसा के अंदर ही बनता है।‌‌‌सबसे अच्छा इंद्रधनुष तब दिखाई देता है। जब आधे आकाश के अंदर बादल होते हैं और आधे आकाश बिल्कुल साफ होता है।येलोस्टोन नेशनल पार्क, धुंध में डबल इंद्रधनुष देखा गया है। इंद्रधनुष का प्रभाव फव्वारे के पास भी हो सकता है।इसके अलावा इंद्र धनुष को कृत्रिम रूप से बनाया भी जा सकता है।

‌‌‌लेकिन एक चांदनी रात के अंदर इंद्रधनुष को शायद ही कभी देखा गया हो । क्योंकि चांदनी रात मे मानव रंगों को सही तरीके से नहीं देख पाता है। रंगों को देखने के लिए अच्छे प्रकाश की आवश्यकता होती है।

‌‌‌इंद्रधनुष के प्रकार

बहुत से लोगों को नहीं पता की इंद्रधनुष के भी प्रकार होते हैं। क्योंकि अधिकतर लोग सिर्फ बारिश के अंदर बना हुआ इंद्रधनुष ही देखते हैं। और आज तक तो मुझे भी नहीं पता था कि इंद्रधनुष के भी प्रकार होते हैं। लेकिन यह सच है कि इंद्रधनुष भी कई प्रकार का होता है।‌‌‌नीचे हम आपको इंद्रधनुष के विभिन्न प्रकारों के बारे मे बता रहे हैं।

Double rainbows

Double rainbows
By Alexis Dworsky – Own work, CC BY 2.0 de, Link

‌‌‌जैसा की नाम से ही स्पष्ट हो जाता है। डबल इंद्रधनुष के अंदर दो इंद्रधनुष एक साथ ही दिखाई देते हैं। एक इंद्रधनुष उपर होता है तो दूसरा उसके नीचे होता है। क्या आपने कभी डबल इंद्रधनुष को देखा है ? हालांकि ऐसा कम चांस मे होता है।सिद्धांत रूप में से माध्यमिक इंद्रधनुष हमेशा होता है। लेकिन वह दिखाई नहीं देता है।क्योंकि प्राथमिक इंद्रधनुष की तुलना मे यह काफी कमजोर होता है।

माध्यमिक इंद्रधनुष पानी की बूंदों के अंदर सूर्य के प्रकाश के दोहरे प्रतिबिंब के कारण होता है। यह केवल सूर्य पर ही केंद्रित होता है। इसका कोणिय आकार 90 डिग्री होता है।यह हमेशा प्राथमिक इंद्रधनुष की तुलना मे उल्टा दिखाई देता है। जैसा कि आप चित्र मे देख सकते हैं।

Twinned rainbow

‌‌‌पूर्व के अंदर हमने देखा की दो इंद्रधनुष होते हैं। लेकिन दोनो का आधार अलग अलग होता है। लेकिन Twinned rainbow के अंदर ऐसा नहीं होता है। यहां पर इंद्रधनुष तो दो ही होते हैं। लेकिन दोनों का आधार एक ही होता है। और उपर की तरफ जाने के बाद यह अलग अलग दिखाई देते हैं। ‌‌‌यह ठीक उसी तरीके से होता है। जैसे किसी बच्चे के पैर दो ही हो लेकिन सिर अलग अलग हो । इस प्रकार के इंद्रधनुष के अंदर रंग समान क्रम मे होते हैं। जैसे दोनों के उपर की ओर लाल रंग ही होता है।

‌‌‌इस प्रकार के इंद्रधनुष बनने का कारण होता है। बारिश की बूंदों का अलग अलग आकार की होना । जब दो आकार की बूंदे होते हैं तो यह दोनों अलग अलग इंद्र धनुष बनाते हैं। कुछ बड़ी बूंदों मे चपटापन अधिक होता है। इस वजह से वे अलग इंद्रधनुष का निर्माण करती हैं। ‌‌‌हालांकि इस प्रकार के इंद्रधनुष की घटना काफी दुर्लभ ही होती है।

Full-circle rainbow


By Steve Kaufman – Personal exchange, CC BY-SA 3.0, Link

‌‌‌एक पूर्ण इंद्रधनुष की बात करें तो वह एक वृत्ताकार होता है।यदि एक पूर्ण वृत्ताकार इंद्रधनुष दिखाई देता है तो उसे फुल सर्किल रैनबों कहते हैं। लेकिन बहुत ही कम चांस के अंदर ऐसा होता है। क्योंकि अधिकतर केसों के अंदर इंद्रधनुष का 50 प्रतिशत ही भाग दिखाई देता है। सतह के पास वाला भाग नहीं ‌‌‌दिखाई देता है। ‌‌‌यदि आप एक पूर्ण गोल चक्र को देखना चाहतें हो तो आपको जमीन के उपर भी पानी की बूंदों की आवश्यकता होती है। आमतौर पर जमीन के पास पानी की बूंदे नहीं होने की वजह से यह दिखाई नहीं देता है।

Supernumerary rainbows

Supernumerary rainbows
By Andrew Dunnhttp://www.andrewdunnphoto.com/, CC BY-SA 2.0, Link

‌‌‌इस प्रकार के इंद्रधनुष की पहली व्याख्या पहली व्याख्या 1804 में थॉमस यंग द्वारा प्रदान की गई थी। जो प्रकाश की लहरिए प्रक्रति का एक संकेत था। ‌‌‌इस प्रकार के इंद्रधनुष के अंदर कई सारे इंद्रधनुषों का समूह होता है। मतलब कई सारे इंद्रधनुष एक ही क्रम के अंदर एक दूसरे से चिपके होते हैं। वैसें इस प्रकार का संयोजन वास्तव मे बहुत ही कम देखने को मिलता है।

‌‌‌इस प्रकार के इंद्रधनुष देखने मे कुछ ऐसे लगते हैं। जैसे कि एक सात रंगवाली कई सारी रस्सी कोई कई आकार के अंदर एक दूसरे से जोड़ कर धनुष का आकार दिया गया हो ।

Reflected rainbow

Reflected rainbow

‌‌‌इस प्रकार का इंद्रधनुष पानी के उपर दिखाई देता है। दो पूरक इंद्रधनुष क्षतिज के उपर और नीचे देखे जा सकते हैं। जोकि विभिन्न प्रकाश पुंजों से निकलते हैं। परिलक्षित इंद्रधनुष पानी की सतह मे दिखाई दे सकता है। सूर्य का प्रकाश सबसे पहले बारिश की बूंदो से विक्षेपित  होता है। उसके बाद पानी से विक्षेपित होता है। इस वजह से दो इंद्रधनुष दिखाई देते हैं। यह अक्सर बड़े और छोटे तालाबों के पास देखने को मिल सकता है। ‌‌‌यदि पानी शांत है और एक तालाब बड़ा है तो यह सामान्य इंद्रधनुष को भी पार कर सकता है।हालांकि रिफलेक्सन इंद्रधनुष शायद ही कभी दिखाई देता है।

Monochrome rainbow

Monochrome rainbow
By www.rodjonesphotography.co.uk, CC BY 2.0, Link

‌‌‌यह आम इंद्रधनुष के जैसा ही होता है। लेकिन इसमे सबसे बड़ी जो खास बात होती है। वह यह होती है कि जब सूर्यअस्त होने वाला होता है तब बारिश की बूंदों की वजह से यह इंद्रधनुष दिखाई देता है। अक्सर इस समय एक चक्र सा नजर आता है। जिसके अंदर लाल और नीला रंग नजर आते हैं। बाकि रंग छुप जाते हैं। ‌‌‌हालांकि इस प्रकार का इंद्रधनुष दुर्लभ होता है। हमने भी आज तक ऐसा इंद्रधनुष कहीं पर नहीं देखा है।

Higher-order rainbows

सामान्य प्राथमिक और माध्यमिक इंद्रधनुष के अलावा कई सारे इंद्रधनुष का भी होना संभव है।इंद्रधनुष का रंग पानी के अंदर मौजूद प्रकाश प्रतिबिंमों के वजह से निर्धारित होता है।एक प्रतिबिंम एक इंद्रधनुष का निर्माण करता है तो दूसरा दूसरे का निर्माण करता है। ‌‌‌इस वजह से सैद्धांतिक रूप से अनन्तता तक इंद्रधनुष का निर्माण हो सकता है। लेकिन इन सब को आम आंखों से देखा नहीं जा सकता है। ‌‌‌दो इंद्रधनुष के बाद के इंद्रधनुष मंद होता जाता है। सन 2011 में इसे पहली बार  इस प्रकार के इंद्रधनुष की फोटो ली गई थी।

प्रयोगशाला के अंदर फेलिक्स बिललेट (1808-1882) ने 19-क्रम के इंद्रधनुष तक कोणीय स्थितियों को दर्शाया था। जिससे  इंद्रधनुष का गुलाब कहा जाता है। प्रयोगशालाओं के अंदर हाई लेजर का प्रयोग करके 200 वें कम्र तक इंद्रधनुष का निर्माण किया जा चुका है।

इंद्रधनुष  moonlight के अंदर

‌‌‌सिर्फ सूर्य के प्रकाश से ही इंद्रधनुष का निर्माण नहीं होता है। वरन चंद्रमा के प्रकाश से भी इंद्रधनुष का निर्माण होता है।इस प्रकार के इंद्रधनुष को चंद्रइंद्रधनुष के नाम से जाना जाता है। यह बहुत अधिक दुर्लभ इंद्रधनुष होते हैं। और इनको साधारण आंखों से नहीं देखा जा सकता है। ‌‌‌हालांकि चंद्रमा का प्रकाश कमजोर होने की वजह से यह बहुत कमजोर इंद्रधनुष को बनाता है।

Fogbow

Fogbow
By Brocken Inaglory – Own work, CC BY-SA 4.0, Link

‌‌‌कई बार आपने देखा होगा कि जब सूर्य के प्रकाश के चारो ओर कोहरा आ जाता है तो यह कोहरा कुछ इंद्रधनुष के जैसा बना लेता है। हालांकि इसके अंदर इंद्रधनुष जैसा कुछ नहीं होता है। इसमे रंग भी नहीं दिखाई देते हैं। लेकिन यह देखने मे एक गोल चक्र के समान लगता है। ‌‌‌अक्सर इस प्रकार का गोला आपको लाइट के प्रकाश के चारो ओर देखने को भी मिल जाएगा । जबकि आंधी आई हो और कुछ धूल के कण उड रहे हों ।

‌‌‌दोस्तों हम यकीन करते हैं कि आप इंद्रधनुष के बारे मे सब कुछ समझ गए होंगे । जैसे इंद्रधनुष कैसे बनता है ? इंद्रधनुष कैसे दिखाई देता है , और यह कब दिखाई देता है।‌‌‌यदि आप घर पर इंद्रधनुष बनाना चाहते हैं तो आप बना सकते हैं। इसके लिए बहुत ही ईजी तरीका है। आप एक बड़े बर्तन के अंदर पानी लें और उस पानी के किनारे पर सूर्य के सामने एक कांच रखदें ।ध्यानदें कांच का प्रकाश जहां पर पड़े वहां दिवार वैगरह होनी चाहिए । अब आप सामने देखेंगे तो आपको सात रंगों वाला‌‌‌इंद्रधनुष दिखाई देगा ।

इंद्रधनुष के बारे मे अजीब मान्यताएं

दोस्तों अपने यहां पर कुछ लोग इंद्रधनुष को लेकर एक अलग ही तरह की मान्यता रखते हैं। बचपन के अंदर हमने  यह देखा कि जब भी इंद्रधनुष की तरफ उंगली करने का प्रयास करते थे , तो हमारे माता पिता यह कहते थे। कि यह सब करना ठीक नहीं है। क्योंकि यदि कोई इंद्रधनुष की तरफ उंगली करता है , तो उसकी उंगली गल जाती है , इसलिए इंद्रधनुष की तरफ कभी भी उंगली नहीं करनी चाहिए । हालांकि रियल के अंदर इस तरह की कुछ चीजें हो । इसके बारे मे गारंटी नहीं है। मगर उसके बाद हमने जब भी इंद्रधनुष को बताना होता है , तो हम इस तरह से नहीं बताते हैं। बताने के लिए कोई और तरीके का प्रयोग करते हैं।

क्या आपके यहां पर भी इस तरह की कोई मान्यता मौजूद है ? यदि आपके यहां पर भी इस तरह की मान्यता है तो इसके बारे मे हमें भी बताएं । ताकि अधिक से अधिक लोग इसके बारे मे जानकारी हाशिल कर सकें ।

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arif khan

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