यमराज के पर्यायवाची शब्द यमराज के अलग अलग नाम

‌‌‌ आइए जानते हैं यमराज के पर्यायवाची शब्द yamraj ka paryayvachi shabd के बारे मे यमराज का उल्लेख वेदों मे मिलता है।हिंदू धर्म के अंदर यमराज को मौत का देवता माना जाता है। और जब किसी इंसान की मौत होती है तो उसे लेने के लिए यमदूत आते है। यमदूत का मतलब होता है ,जो यमराज की सेवा करते हों । ‌‌‌वैसे तो यमराज का नाम सुनकर हर कोई डर जाता है।लेकिन इसमे डरने वाली कोई बात नहीं है। कर्मा का हिसाब तो देना ही होता है। जब तक कि आप कर्ता की भावना मे रहते हो ।

यम, धर्मराज, मृत्यु, अन्तक, वैवस्वत, काल, सर्वभूतक्षय, औदुभ्बर, दघ्न, नील, परमेष्ठी, वृकोदर, चित्र और चित्रगुप्तइन चौदह नामों से यमराज की आराधना होती है। ‌‌‌ऐसा माना जाता है कि मनुष्य के शुभ और अशुभ कर्मों का निर्धारण यमराज ही करते हैं। मौत के बाद इन्हीं कर्मो के आधार पर ही आत्मा को उसके आगे की यात्रा के लिए भेजा जाता है।

यमराज के पर्यायवाची शब्द yamraj ka paryayvachi shabd

यम, सूर्यपुत्र, जीवितेश, श्राद्धदेव, कृतांत,  धर्मराज, दण्डधर, कीनाश, अन्तक

यमराज के पर्यायवाची शब्द yamraj ka paryayvachi shabd

‌‌‌इस तरह से हुई थी यमराज की मौत

दोस्तों इस सष्ट्री के नियम उन सभी लोगों के उपर लागू होते हैं ,जिन्होंने यहां पर आकर शरीर को धारण किया था। आपको यह जानकर हैरानी होगी की मौत के देवता की भी मौत हूई थी। ‌‌‌इसी तरह की एक कहानी के अनुसार प्रचीन  काल के अंदर राजा श्वेत कालांजर के अंदर राज्य करते थे ।जब वे थोड़े बूढे हो गए तो अपने बेटो को राजपाट सौंप दिया और खुद  गोदावरी नदी के तट पर शिव की भक्ति के अंदर लीन हो गए । उनके रोमरोम मे शिव बस गए थे ।

‌‌‌उनकी आयु भी पूरी हो चुकी थी लेकिन वे शिव भक्ति के अंदर इतने अधिक लीन थे कि उनको पता ही नहीं चला कि उनकी आयु पूरी हो चुकी है।उसके बाद यमदूत राजा को लेने आये तो  उनके अंग शिथिल  हो गए और शिव ने प्रकट होकर यमदूतों को नष्ट कर दिया ।उसके बाद ‌‌‌जब समय  गुजरने लगा तो चित्रगुप्त ने यमराज से पूछा कि तुम्हारे दूत अभी तक क्यों नहीं आए हैं और राज भी अभी तक यहां पर नहीं पहुंचे है।। उसके बाद यमराज स्वयं अपने भैंसे पर सवार होकर वहां पहुंचे ।

‌‌‌उसके बाद जब श्वेतमुनि को यमराज बलपूर्वक ले जाने लगे तो उनके उपर शास्त्र चलाया गया और वे वहीं पर मर गए ।उसके बाद यमदूतों ने भगवान सूर्य के पास जाकर सारा समाचार सुनाया ।उसके बाद सभी देवता वहां पर प्रकट हुए और भगवान शिव की वंदना की और कहा कि भगवान आपने ही तो यमराज को लोक कल्याण के लिए बनाया था। ‌‌‌यदि आप इनको दुबारा जीवित नहीं करेंगे तो संसार के अंदर अव्यवस्था फैल जाएगी ।उसके बाद भगवान शिव ने यमराज को जीवित कर दिया और कहा कि यमराज मेरे और विष्णु के भगतों को प्रणाम करेंगे ।

‌‌‌नचिकेता की कहानी

नचिकेता की कहानी काफी दिलचस्प है। और इस कहानी के अंदर नचिकेता को प्रथम जिज्ञासु के रूप मे दिखाया गया है।उसके पिता ने यज्ञ करने का निश्चिय  किया और सारी बेकार की वस्तुओं का दान कर दिया । जिनकी उनको किसी तरह की जरूरत नहीं थी।एक तरह से नचिकेता के पिता ने बहुत अधिक दिखावा किया ।‌‌‌लेकिन उन्होंने अपने अपनी पत्नी और बच्चों और दूसरी चीजों को अपने ही पास रखा जिनकी उनको जरूरत थी।नचिकेता ने देखा कि उनके पिता ने सब कुछ  दान करने की शपथ ली थी लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया ।

‌‌‌उसके बाद नचिकेता अपने पिता के पास गए और  उसके बाद उन्होंने पूछा कि आपने सब कुछ दान करने का निर्णय लिया था उसके बाद आप मुझे किसको दान कर रहे हैं ?

तो नचिकेता के पिता ने कहा कि मैं तुम्हे यम को दान करने वाला हूं और उसके बाद नचिकेता यम के पास जाने के लिए तैयार हो गया ।‌‌‌उसके बाद नचिकेता यमलोक के द्वार पर जाकर खड़े हो गए और यमराज की प्रतिक्षा करने लगे । पूरे 3 दिन तक बीत गए लेकिन यमराज नहीं आए । वे उस समय किसी बाहरी जगह पर काम से गए हुए थे ।

‌‌‌जब यम वहां पर आए तो एक ऐसे बालक को देखा जो बिना किसी तरह की भूख प्यास की परवाह किये यम की प्रतीक्षा बड़े ही आराम से कर रहा था। उसको देखकर यम बहुत अधिक प्रभावित हुए और बोले कि ……. तुमको क्या चाहिए ? मैं तुम्हे 3 वरदान देता हूं ।

‌‌‌उसके बाद नचिकेता ने कहा कि मेरे पिता बहुत अधिक लालची हैं उनको बहुत सारा धन दिया जाए और उनको राजा बना दिया जाए ।

यम ने कहा ……. तथास्तू

उसके बाद नचिकेता ने पूछा …ज्ञान प्राप्ति के लिए किस तरह के कर्मों को करने की जरूरत नहीं है? वैदिक साहित्य के अंदर बहुत सारे यज्ञ बताए गए हैं।‌‌‌उसके बाद यमराज ने नचिकेता को इसके बारे मे भी समझाया ।

‌‌‌उसके बाद नचिकेता ने यमराज से पूछा कि मौत के बाद क्या होता है ?

यमराज ने इस प्रश्न को टालते हुए कहा ………………इस प्रकार के प्रश्न का उत्तर जानने का अधिकार देवताओं को भी नहीं है। तुम अपने प्रश्न को वापस लेलो । मैं तुम्हें दुनिया का हर सुख दे सकता हूं । धन दौलत दे सकता हूं ।‌‌‌मैं तुम्हे राजा बना सकता हूं। वरन ऐसी चीजे दे सकता हूं जिसकी तुमने कल्पना भी नहीं की होगी ।

———-‌‌‌लेकिन इस प्रकार की भौतिक चीजों का कोई फायदा नहीं है।आपने ही बताया है कि इंसान भौतिक चीजों के अंदर उलझे रहते हैं और उनका कोई मूल्य नहीं होता है।

‌‌‌उसके बाद यमराज नचिकेता को वहीं पर छोड़कर घूमने के लिए निकल गए ।वे कई महिनों तक उसके पास नहीं आए लेकिन नचिकेता वहीं पर ढटा रहा और उसके बाद यम ने उनको मौत का ज्ञान दिया । यमराज उसकी द्रढता देखकर बहुत अधिक खुश हो गए ।

‌‌‌इस स्टोरी को बताने का मतलब यह है कि यदि आप किसी चीज के अंदर अपनी 100 प्रतिशत उर्जा लगा देते हैं तो उसके बाद आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है। एक दूसरे आयाम के अंदर आप तभी पहुंच सकते हैं जब आपके अंदर बहुत अधिक तीव्रता होगी ।

‌‌‌नचिकेता की कहानी आपको यह समझाती है कि आपके अंदर यदि ज्ञान पाने की तड़प होती है तो आप अपने लक्ष्य तक पहुंच ही जाते हैं। यदि नचिकेता धन और दूसरे साधनों मे खुद को लगा लेता तो वह कभी परम गति को नहीं प्राप्त कर सकता था। 

यमराज के पर्यायवाची शब्द लेख के अंदर हमने यमराज के पर्यायवाची शब्द के बारे मे जाना और यमराज से जुड़ी कुछ कहानियों पर भी चर्चा की है।

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arif khan

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