‌‌‌‌‌‌यह‌‌‌ जानवर पानी पीते ही मर जाता है Kangaroo Rat information

‌‌‌इस लेख मे हम बात करेंगे कौन सा जानवर पानी पीते ही मर जाता है यानि कंगारू रेट के बारे मे ।Kangaroo Rat एक प्रकार का चूहा होता है। कंगारू चूहों , जीनस डिपोडोमिस के छोटे कृन्तकों , पश्चिमी उत्तरी अमेरिका के मूल निवासी हैं।इसके चार पैर होते हैं। इसके सामने के दो पैर छोटे होते हैं और पीछे के दो पैर बड़े होते हैं।सिर भी बड़ा होता है। एक वयस्क चूहे का वजन 70 और 170 ग्राम के बीच होता है।

ऐसा कौन सा जानवर है जो कभी पानी नहीं पीता है

‌‌‌कंगारू चूहों की सबसे बड़ी विशेषता फर-पंक्तिबद्ध गाल पाउच है। जिसमे यह भोजन भंडारण कर सकते हैं।इनका कलर अलग अलग प्रजातियों मे अलग अलग होता है।इनकी लंबाई भी अलग अलग प्रजातियों की अलग अलग होती है। हालांकि सभी प्रजातियों मे नर मादा से बड़े होते हैं। ‌‌‌कंगारू चूहे दो पैरों से भी चलते हैं।इनकी गति 6 मील प्रति घंटे होती है।बैनर-टेल्ड कंगारू चूहे की तीव्र गति ऊर्जा लागत और पूर्वानुमान जोखिम को कम कर सकती है।”मूव-फ़्रीज़” मोड का इसका उपयोग भी रात के शिकारियों के लिए इसे कम कर सकता है।

कौन सा जानवर पानी पीते ही मर जाता है

‌‌‌जब लंबे समय तक बिना पानी के रहने की बात आती है तो सबसे पहले हमारे दिमाग के अंदर उंट का नाम आता है। हम बहुत पहले से ही जानते हैं कि उंट लंबे समय तक बिना पानी पिये रह सकता है।

‌‌‌इसके अलावा दूसरा जन्तु जिराफ है जो लंबे समय तक पानी पिये बिना रह सकता है। यह ऐसा इसलिए कर सकते हैं क्योंकि इनके भोजन मे पानी की मात्रा अधिक होती है। ‌‌‌लेकिन कुछ महिनों के बाद तो इनको भी पानी पिना ही पड़ता है। कंगारू चूहे ही एक ऐसे चूहे होते हैं जो अपने पूरे जीवनकाल के अंदर बिना पानी पिए रह सकते हैं। यह 10 साल तक जिंदा रहते हैं।

‌‌‌कुंगारू चूहे की किड़नी इतनी अधिक कुशल होती है कि वह इसके जीवित रहने के लिए 10 साल तक भी पानी को दे सकती है। इन चूहों को पानी इनके द्वारा खाए जाने वाले पदार्थों से प्राप्त होता है।

‌‌‌कंगारू चूहों का निवास स्थान    

कंगारू चूहों का निवास स्थान अलग अलग हो सकता है ।यह रेतिली और नरम मिटटी पर शुष्क और अद्र्व शुष्क क्षेत्रों के अंदर रहते हैं।मरियम के कंगारू चूहों कम वर्षा और आर्द्रता, और उच्च गर्मी के तापमान और वाष्पीकरण दर वाले क्षेत्रों में रहते हैं। ‌‌‌यह अलग अलग उंचाई के क्षेत्रों मे निवास करते हैं।

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यह समुद्र तल से 4500 फिट तक हो सकती है।बैनर-पूंछ वाले कंगारू चूहों आमतौर पर घास के मैदानों और स्क्रबलैंड्स में रहते हैं। वे शुष्क क्षेत्रों में रहते हैं लेकिन उनके पास मरियम के कंगारू चूहों की तुलना में अधिक पानी उपलब्ध है।

‌‌‌सभी कंगारू चूंहों की प्रजातियां ,तापमान के प्रति संवेदनशील होती हैं। बारिश और खराब मौसम के दौरान वे अपने बूर मे रहना पसंद करती है।कोयोट्स, लोमड़ियों, बैजर्स, वीज़ल्स, उल्लू और सांपों के द्वारा इनका शिकार भी किया जाता है।

‌‌‌कंगारू चूहों का भोजन

‌‌‌कंगारू चूहे मुख्य रूप से बीज खाते हैं और वर्षा के दिनों मे वनस्पति और कुछ कीड़े खाते हुए भी देखे गए हैं।वे गाल के पाउच में मेसकाइट, क्रेओसोट बुश, पर्सलेन, ओकोलेटो और चना घास के बीजों  का भंडारण करते हैं और बाद मे इनका उपयोग करते हैं।

‌‌‌आमतौर पर कंगारू चूहे जब वर्षा का मौसम नहीं होता है तो वे यात्राएं करते हैं और उसके बाद अधिक से अधिक भोजन का सेवन करते हैं। अपने पाउच के अंदर भोजन को एक त्रित करते हैं। जिसका फायदा यह होता है कि वे वर्षा के दिनों मे उसे आराम से खा सकते हैं।

‌‌‌हालांकि छोटे आकार के कंगारू चूहे छोटे खाध्य पदार्थों का सेवन करना पसंद करते हैं और वे लंबी यात्राएं करते हैं। लेकिन बड़े आकार के चूहे कम यात्रा करते हैं जो उनकी उर्जा को बचाता है और भारी खाध्य पदार्थों का सेवन करना उचित समझते हैं।

‌‌‌कंगारू चूहों मे प्रजनन

कंगारू चूहों के अंदर प्रजनन गर्मियों मे उच्च वर्षा के बाद ही अधिक होता है।इस दौरान भोजन की कमी और सूखे मे कुछ मादाएं प्रजनन करती हैं।कंगारू चूहे अपनी स्थितियों का अंकलन करते हैं और उस हिसाब से प्रजनन कर सकते हैं। संभोग से पहले, पुरुष और महिला नाक-गुदा घूमने का प्रदर्शन करेंगे, जब तक कि महिला रुक नहीं जाती और पुरुष उसे माउंट करने की अनुमति नहीं देता। एक मेरियम की कंगारू चूहा मादा कई पुरुषों को थोड़े समय में माउंट करने की अनुमति देगी, शायद संतान पैदा करने की अधिक संभावना सुनिश्चित करें।

बैनर-टेल्ड कंगारू चूहों के अंदर नर मादा का पिछा करते हैं और उसके बाद मादा संभोग की अनुमति देती है। इसी तरीके से बैनर-पूंछ वाले कंगारू चुहों मे पुरूषों के बीच प्रतिस्पर्धा होती है। ‌‌‌कंगारू चूंहों का गर्भकाल 22 से 27 दिन तक का होता है। ‌‌‌जन्म के बाद युवा कंगारू चूहे एक सप्ताह तक घोसले मे रहते हैं और उसके बाद एक सप्ताह बीत जाने के बाद उनके पैर विकसित होते हैं।

‌‌‌कंगारू चूहों का रहन सहन

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कंगारू चूहे का रहन सहन काफी अच्छा होता है। वे पूरी कालोनियों के अंदर रहते हैं। इनके घरों के अंदर सोने ,भंडाण करने ,और भोजन करने के अलग अलग कक्ष होते हैं। ‌‌‌जब दिन के समय तापमान अधिक होता है तो कंगारू चूहे अपने बिल के अंदर आराम करते हैं और सोते समय नमी के नुकसान को कम करने के लिए वे अपनी नाक को नमी वाले ‌‌‌क्षेत्र मे रखते हैं। कंगारू चूहे अधिकतर रात के अंदर बिल से बाहर निकलते हैं।

कंगारू चूहा रोडेंटिया और परिवार हेतेरमाइडे के सदस्य हैं। मरियम के कंगारू चूहे और बैनटेरेल कंगारू चूहे सबसे अधिक अध्ययन की जाने वाली प्रजातियाँ हैं।

‌‌‌कुछ कंगारू चूहों की प्रजातियों के नाम

  •     डिपोडोमिस एजिलिस (एजाइल कंगारू चूहा)
  •     डिपोडोमिस कैलिफ़ोर्निकस (कैलिफोर्निया कंगारू चूहा)
  •     डिपोडोमिस कॉम्पैक्टस (गल्फ कोस्ट कंगारू चूहा)
  •     डिपोडोमिस मरुदी (डेजर्ट कंगारू चूहा)
  •     डिपोडोमिस एल्टर (टेक्सास कंगारू चूहा)
  •     डिपोडोमिस एलिफेंटिनस (बिग- इयर कंगारू चूहा)
  •     डिपोडोमिस माइक्रोप्सेस (छेनी-दांतेदार कंगारू चूहा)
  •     डिपोडोमिस नेल्सोनी (नेल्सन के कंगारू चूहा)
  •     डिपोडोमिस नाइट्रैटाइड्स (फ्रेस्नो कंगारू चूहा)
  •         डिपोडोमिस ग्रेविप्स (सैन क्विंटिन कंगारू चूहा)
  •     डिपोडोमिस हेर्मनी ( हीरमन के कंगारू चूहा)
  •     डिपोडोमिस इनगेंस (विशालकाय कंगारू चूहा)
  •     डिपोडोमिस मेरिअमी (मेरियम के कंगारू चूहा)
  •     डिपोडोमिस ऑर्डि (ऑर्ड की कंगारू चूहा)
  •     डिपोडोमिस पैनामिंटिनस (पैनामिंट कंगारू चूहा)
  •     डिपोडोमिस फिलिप्स (फिलिप्स के कंगारू चूहा)
  •     डिपोडोमिस सिमुलंस (डल्ज़ुरा कंगारू चूहा)
  •     डिपोडोमिस स्पेक्टाबेलिस (बैनर-टेल्ड कंगारू चूहा)
  •     डिपोडोमिस स्टीफेंसी (स्टीफंस का कंगारू चूहा)
  •     डिपोडोमिस वेन्स्टस (संकीर्ण-सामने कंगारू चूहा)

‌‌‌कंगारू चूहों की लुप्त होती प्रजातियां

वर्तमान मे कंगारू चूहों की प्रजातियां भी तेजी से लुप्त होती जा रही हैं।चूहों के रहने के स्थानों पर अतिक्रमण होने की वजह से अब इनको इंसानों द्वारा मारा जा रहा है। इसके अलावा खनन और उधोग धंधों और मानव बस्तियों की वजह और घटते जंगल की वजह से भी कंगारू ‌‌‌चूहों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है।

कंगारू रेट मे मौजूद होता है पानी

आपको बतादें कि कंगारू रेट के अंदर भारी मात्रा के अंदर पानी होता है। इसलिए इसको बाहर का पानी पीने की जरूरत महसूस नहीं होती है।यह रेगिस्तान के अंदर उगने वाले पेड़ पौधे जोकि छोटे होते हैं। उनका सेवन करता है। इसके अलावा यह छोटे मोटे कीड़े मकोड़े को खाने का काम करता है। चूहे बीजों से मिलने वाले मेटाबोलाइज्ड पानी पर जिंदा रहते हैं । इसके अलावा यदि आप इस चूहे की संरचना को देखेंगे , तो आपको यह पता चलेगा कि यह चूहा , आमतौर पर देखने मे कंगारू जैसा ही दिखता है , और यह असल मे उसी तरह से छलांग लगाने का काम करता है , जिस तरह से कंगारू करता है।

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arif khan

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