बालक शब्द के रूप संस्कृत में    balak ke shabd roop

balak ke shabd roop  बालक शब्द के रुप अकारान्त हैं जो पुलिंग शब्द है। दोस्तों बालक के शब्द रूप के बारे मे हम आपको बता रहे हैं। और इसकी नीचे लिस्ट आपको दी गई है तो आइए जानते हैं इसके बारे मे ।

balak ka shabd roop likhiye sanskrit mein बालक शब्द के रूप संस्कृत में

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमाबालकःबालकौबालकाः
द्वितीयाबालकम्बालकौबालकान्
तृतीयाबालकेनबालकाभ्याम्बालकै:
चतुर्थीबालकायबालकाभ्याम्बालकेभ्य:
पंचमीबालकात्बालकाभ्याम्बालकेभ्य:
षष्ठीबालकस्यबालकयो:बालकानाम्
सप्तमीबालकेबालकयो:बालकेषु
संबोधनहे बालक!हे बालकौ!हे बालका!

‌‌‌बालक की बात करें तो बालक वह होता है जिसकी उम्र 18 साल से कम होती है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । दोस्तों बालक की दुनिया ही निराली होती है। एक बड़ी उम्र के इंसान के सामने कई तरह की समस्याएं होती हैं। लेकिन बालक के सामने किसी तरह की कोई समस्या नहीं होती है वह बस खाता है और खेलता है।

‌‌‌और बालक के सामने यह समस्या नहीं होने की वजह से ही हर कोई अपने बालपन को भूल नहीं पाता है। वह चाहता है कि एक  बार फिर से उसका बालपन आ जाए लेकिन ऐसा होना संभव ही नहीं है आप भी इस बात को अच्छी तरह से जानते ही हैं।

‌‌‌आपको भी याद होगा कि जब आप बहुत छोटे होते थे तो उसके बाद आप कितनी अधिक मस्ती करते थे और जब घरवालों से पैसा मांगा करते थे तो घरवाले पैसा भी देदिया करते थे । लेकिन जब हम बड़े हो जाते हैं तो उसके बाद सब कुछ बदल जाता है आप इस बात को समझ सकते हैं।

बालक शब्द के रूप संस्कृत में    balak ke shabd roop

‌‌‌और जब बड़े हो ही चुके हैं तो उसके बाद कौन हमें पैसा देगा । यदि आप घरवालों से पैसों को मांगते हैं तो उसके बाद वे भी आपको मना कर देते हैं और कहते हैं कि आपको अब खुद कमाना चाहिए । और सिर्फ बात इतने तक ही सीमित नहीं होती है एक बड़े इंसान के सामने और भी बहुत सारी ‌‌‌ समस्याएं हो सकती हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं।

‌‌‌जैसे इंसान समझदार हो जाता है और बड़ा हो जाता है तो उसके बाद उसकी शादी करदी जाती है और फिर एक पत्नी आ जाती है तो फिर और समस्याएं काफी अधिक बढ़ जाती है और फिर पैसों की जरूरत काफी अधिक बढ़ जाती है। क्योंकि आप तो जानते ही हैं कि औरतों के काफी अधिक खर्चे होने लग जाते हैं।

‌‌‌लेकिन जब हम बालक होते हैं तो इस तरह की बीमारी वैगरह की कोई चिंता नहीं होती है। हमे पता ही नहीं होता है कि दुख क्या होता है ? क्योंकि हमें तो सब कुछ अपने माता पिता से मिल ही रहा होता है। हमें कहीं पर कमाने जाने की कोई भी जरूरत नहीं होती है आप इस बात को समझ सकते हैं।

‌‌‌पहले आज की तरह स्कूल नहीं हुआ करते थे तो बालक गुरूकुल के अंदर पढ़ने के लिए जाते थे । आजकल पैसा कमाना ही जीवन हो चुका है। ऐसी स्थिति के अंदर लोग गुरूकुल के अंदर नहीं अंग्रेजी स्कूल के अंदर पढ़ने के लिए जाते हैं। उनको यह भी पता नहीं होता है कि उनको क्या करना चाहिए ? क्या उनका धर्म है और ‌‌‌क्या उनको नहीं करना चाहिए और आप जानते ही हैं कि इस तरह के इंसान जिनको कुछ भी पता नहीं होता है बाद मे वे प्रताडित होते हैं आप इस बात को समझ सकते हैं। और इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । लेकिन जो बालक गुरूकुल के अंदर पढ़ते हैं उनको सब कुछ पता होता है। उनको पता होता है कि वे क्या हैं ? और ‌‌‌ उनको यह भी पता होता है कि वे क्यों हैं ?

मतलब यही है कि उनको सब कुछ पता होता है आप इस बात को समझ सकते हैं और इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।मतलब यही है कि गुरूकुल से जो बच्चे निकलते हैं वे एक अच्छे इंसान बनकर निकलते हैं लेकिन आजकल की स्कूलों के अंदर जो बच्चे निकलते हैं भले ही‌‌‌ उनको इतिहास का पता हो । लेकिन जब तक उनको यह पता नहीं रहेगा कि वे क्यों है ? तब तक कोई इतिहास काम का नहीं है । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और यदि इस तरह के लोग किसी काम को हाथ मे लेंगे तो उनका मकसद एक ही होगा कि किसी तरह से लोगों को लुटा जाए ।

‌‌‌भले ही सरकार भ्रष्टाचार वैगरह का कानून बनती रहती है लेकिन भ्रष्टाचार और दूसरी बुराई को आप तब तक नहीं रोक सकते हैं जब तक कि आप इनकी जड़ पर प्रहार नहीं करते हैं। यदि आप पेड़ को उपर से काटते रहेंगे तो आप उसे पेड़ को फिर से बढ़ने से नहीं रोक पाएंगे ।

‌‌‌लेकिन आप यदि उसी पेड़ को जड़ से खोद कर निकाल देंगे तो वह पेड़ फिर से कभी भी खड़ा नहीं हो पाएगा । आप इस बात को समझ सकते हैं और ऐसी स्थिति के अंदर समाज के अंदर मौजूद बुराइयां समाप्त हो जाएंगी । लेकिन यह हर कोई नहीं कर सकता है।

‌‌‌लेकिन हकीकत यह है कि उपर बैठे लोग खुद इसी किस्म के हैं यदि समाज के अंदर बुराई को समाप्त कर दिया जाएगा तो जनता उनको भी समाप्त कर देगी । इसलिए वे नहीं चाहेंगे कि बुराई को समाप्त कर दिया जाए आप इस बात को समझ सकते हैं।

‌‌‌दोस्तों आपने एक कहावत तो सुनी ही होगी कि बच्चे को कुछ भी ना दो लेकिन संस्कार जरूर ही देना चाहिए । यह सबसे बड़ी चीज होगी । यदि आप उनको संस्कार नहीं देंगे तो फिर आपको उम्र भर पछताना पड़ सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।

‌‌‌अक्सर आपने लोगों को बुरे कर्म करते हुए देखा है तो इसके अंदर दो तरह के लोग होते हैं पहले वे लोग होते हैं जोकि जन्म से ही बुरे कर्म करते हैं क्योंकि उनको सही कुछ सीखाया ही नहीं जाता है तो वे क्या करेंगे बुरा ही करेंगे । और दूसरे वे लोग होते हैं जोकि बाद मे सही वातावरण नहीं ‌‌‌मिलने की वजह से बुरे बन जाते हैं। और यदि एक अन्य की बात करें तो कुछ लोग ऐसे होते हैं जोकि अपने उपर हो रहे अन्याय को नष्ट करने के लिए बुरे बनते हैं इस तरह के लोगों को हम बुरे नहीं कह सकते हैं। अपने हक के लिए लड़ना कोई भी बुरी बात नहीं होती है आप इस बात को समझ सकते हैं।

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arif khan

‌‌‌हैलो फ्रेंड मेरा नाम arif khan है और मुझे लिखना सबसे अधिक पसंद है। इस ब्लॉग पर मैं अपने विचार शैयर करता हूं । यदि आपको यह ब्लॉग अच्छा लगता है तो कमेंट करें और अपने फ्रेंड के साथ शैयर करें ।‌‌‌मैंने आज से लगभग 10 साल पहले लिखना शूरू किया था। अब रोजाना लिखता रहता हूं । ‌‌‌असल मे मैं अधिकतर जनरल विषयों पर लिखना पसंद करता हूं। और अधिकतर न्यूज और सामान्य विषयों के बारे मे लिखता हूं ।