आग कितने प्रकार की होती है , आग बुझाने के सिद्धांत

‌‌‌आइए जानते हैं आग कितने प्रकार की होती है ?aag kitne prakar ki hoti hai ? आग बुझाने के सिद्धांत ,आग दहनशील पदार्थों का तीव्र ऑक्सीकरण है, जिससे उष्मा, प्रकाश और अन्य अनेक रासायनिक प्रतिकारक उत्पाद जैसे कार्बन डाइऑक्साइड और जल आदि पैदा होते हैं।और ईंधन के अंदर मौजूद अशुद्धियों की वजह से आग की ज्वाला के अंदर अंतर होता है।

‌‌‌जब ऑक्सीजन उचित मात्रा मे होती है और दहन पदार्थ व उष्मा होने पर आग लग जाती है। और उसके बाद ऑक्सीजन और दहन पदार्थ होने तक आग आसानी से जलती रहती है। और इनमे से किसी भी एक को अलग करके आग को आसानी से भुजाया जा सकता है। कार्बन-डाइऑक्साइड का प्रयोग करके भी आग को बुझा सकते हैं या फिर पानी का प्रयोग करके भी आग को बुझाया जा सकता है। आमतौर पर आग किस प्रकार से लगी है ? इस पर निर्भर करता है कि इसको किस तरह से बुझाया जाना चाहिए ।

‌‌‌वैसे हम इंसान आग का काफी लंबे समय से प्रयोग करते आए हैं।भोजन को पकाने के लिए आग जलाते हैं और उसके बाद भोजन को पकाकर खाते हैं। पका हुआ भोजन काफी स्वादिष्ट लगता है।

‌‌‌इसके अलावा जब ठंड का मौसम होता है तो आग की मदद से सर्दी को दूर करने का प्रयास किया जाता है। आपको बतादें कि पके हुए भोजन के साक्ष्य एक मिलियन साल पुराने मिले हैं।हालांकि 400,000 साल पहले तक शायद नियंत्रित तरीके से आग का इस्तेमाल नहीं किया गया था। हालांकि इस समय लकड़ी के कोयले का प्रयोग होता ‌‌‌था। नवपाषाण क्रांति द्वारा , अनाज आधारित कृषि की शुरुआत के दौरान दुनिया भर के लोगों ने परिदृश्य प्रबंधन में एक उपकरण के रूप में आग का इस्तेमाल किया।

युद्ध में आग का उपयोग एक लंबा इतिहास रहा है । आग सभी शुरुआती थर्मल हथियारों का आधार थी । होमर ने ट्रोजन युद्ध के दौरान ट्रॉय को जलाने के लिए एक लकड़ी के घोड़े का इस्तेमाल किया था।इसके अलावा बाद मे युद्ध के अंदर आग लगाने वाले बमों का इस्तेमाल किया गया था।

‌‌‌वैसे आपको बतादें कि आग का इतिहास बहुत पुराना है।और प्राचीन काल से ही आग के बारे मे इंसानों को पता रहा है। आज भी कई ऐसी जातियां हैं जो केवल जंगलों के अंदर निवास करती हैं लेकिन उन सबको आग के बारे मे जानकारी है।

‌‌‌यदि हम बात करें आदिम इंसानों की तो आदिम इंसानों ने आग को दो पत्थरों से टकराकर पैदा किया था। यह चकमक पत्थर हुआ करते थे । जिनका इस्तेमाल हम आज भी करते हैं।और आज जो हम गैस लाइटर इस्तेमाल करते हैं ना उसके अंदर भी यही पत्थर लगा होता है जिससे कि आग की चिन्गारी निकलती है।

घर्षण तथा टक्कर की मदद से आज भी आप आग उत्पादन को देख सकते हैं। आप माचिस का प्रयोग करते हैं और उसके अंदर माचिस को एक कागज के टुकड़े पर रगड़ा जाता है तो आग पैदा हो जाती है। पत्थर के टुकड़ों के बीच पहले एक रूई रखी जाती थी । और पत्थर से निकलने वाली आग उस रूई को पकड़ लेती थी। ‌‌‌इस प्रकार से लोग आग जलाया करते थे ।

एक-दूसरी विधि में लकड़ी के तख्ते में एक छिछला छेद रहता है। इस छेद पर लकड़ी की छड़ी को मथनी की तरह वेग से नचाया जाता है। इस यंत्र को अरणी के नाम से जाना जाता था।अमेरिका ,सुमात्रा और दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के अंदर भी इसी प्रकार से उत्पन्न आग का प्रयोग किया जाता था।

‌‌‌फ्रांस के अंदर आग की उत्पति के संबंध मे एक कथा प्रचलित है कि हुसेन ने एक राक्षस को मारने के लिए एक भारी पत्थर को फेंका था । वह राक्षस को ना लगकर किसी दूसरे पत्थर से टकरा गया जिससे आग पैदा हुई। ‌‌‌इसी प्रकार से एक अन्य दंत कथा के अनुसार भैंसे के खुर के पत्थरों से टकराने से आग पैदा हुई या आग की खोज हुई थी।

‌‌‌आग कितने प्रकार की होती है जनरल फायर

दोस्तों यह आग का पहला प्रकार होता है।जनरल फायर का मतलब होता है । सामान्य आग जोकि कोयला या कागज या फिर वनों के अंदर लग सकती है। इस आग की सबसे बड़ी खास बात यह होती है कि इसको पानी से बुझाया जा सकता है।

‌‌‌यह सामान्य प्रकार की आग होती है और यदि इसको समय पर नहीं बुझाया जाता है तो रौद्र रूप धारण कर लेती है। पहले जब कच्चे मकान हुआ करते थे तो चूल्हे से मकानों मे आग लग जाती थी। और उसके बाद गांव के लोग एकत्रित होकर पानी और रेत की मदद से आग को बुझाने का प्रयास करते थे ।

‌‌‌प्रथम प्रकार की आग हमारी गलती की वजह से ही लगती है। जैसे कि यदि हमारा घर घास फूस का बना है तो हम उसके अंदर खाना बनाते समय सही तरीके से चूल्हे को नहीं संभाल पाने की वजह से आग लग जाती है । छप्पर पर आग लगने के बाद पूरा छप्पर ही जल जाता है। ‌‌‌और कई बार इस आग की वजह से लाखों का सामान स्वाह हो जाता है।

‌‌‌जंगल मे आग लगने के कारण  06 Apr 2021 के अंदर एक न्यूज आई थी। जिसके अंदर बताया गया था कि उतराखंड के जंगलों मे काफी भयंकर आग लगी हुई है।जंगल के अंदर आग लगने का सबसे पहला कारण मानव जनित होता है। कुछ इंसान सिगरेट या बीड़ी पीकर उसको बिना बुझाए ही जंगल के अंदर फेंक देते हैं। जिसका परिणाम यह

‌‌‌होता है कि सूखी पतियां सुलग जाती हैं और जब तक लोगों को पता चलता है तब तक आग भड़क चुकी होती है। इसके अलावा चीड़ के पेड़ की आग को भड़काने के लिए जाने जाते हैं। इनकी पतियों मे रेजिन होता है जो मामूली चिंनगारी को पाकर ही आग पकड़ लेता है।

जनरल फायर

उत्तराखंड में करीब 16 से 17 फीसदी जंगल चीड़ के हैं।और जिस साल बारिश कम होती है उस साल आग अधिक लगती है। कारण यह है कि पतियां सूख जाती हैं और वे जल्दी आग पकड़ लेती हैं। बारिश अधिक होने पर आग लगने की घटनाएं कम होती हैं।

फरवरी से लेकर जून के आस पास के दिनों को फायर सीजन के नाम से जाना जाता है। इस सीजन के अंदर जंगलों मे बहुत अधिक आग लगती है। इसलिए भारत के अंदर अधिक सुरक्षाकर्मी की आवश्यकता होती है।

ब्राजील में अमेजन एक काफी फेमस जंगल है जिसके अंदर आग लगने की आठ महीने में 73,000 बार आग लगने की घटनाएं दर्ज हुईं।  2018 के मुकाबले इस बार ऐसी घटनाओं में 83% बढ़ोतरी दर्ज की गई है।आपको बतादें कि अमेजन के अंदर यह घटनाएं इसके अंदर खेती करने और पशुपालन की वजह से दर्ज हो रही हैं। और सरकार इसको रोकने मे ‌‌‌ना काम साबित हुई है। असल मे असल मे जंगलों के अंदर आग लगने की घटनाएं काफी तेजी से बढ़ रही हैं। और लोग इतने अधिक स्वार्थी हो चुके हैं कि जंगलों को बचाने के लिए कोई भी कदम नहीं उठाया जा रहा है। पेड़ों की तेजी से कटाई होना भी एक चिंता का विषय है।

‌‌‌माना जाता है कि ब्राजिल का यह क्षेत्र 20 प्रतिशत ऑक्सीजन पैदा करता है।और धरती के  फेफड़े के तौर पर माना जाता है। यदि इस क्षेत्र को आग से नुकसान हो जाता है तो इंसानों को भी काफी नुकसान पहुंचेगा । अमेजन पर आग लगने के बाद ट्रेंड भी चलाया गया और सरकार की तीखी आलोचना हुई।

‌‌‌जानकार यह बताते हैं कि यदि इसी प्रकार से हिमालय के क्षेत्रों मे आग लगती रही तो भारत और विश्व के अंदर ग्लेशियर काफी खतरा पैदा कर सकते हैं। जमा होता कार्बन इसके लिए चिंता का विषय बन सकता है। उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग से पिछले एक महीने में 0.2 मेगाटन कार्बन पैदा हुआ है। इसका मतलब यह है ‌‌‌कि ग्लेशियर जैसे जैसे काले पड़ेंगे वे सूरज की रोशनी को अधिक से अधिक अवशोषित करते चले जाएंगे और उसके बाद वे पिघलना शूरू कर देंगे जोकि काफी चिंता का विषय है।

‌‌‌कोयले के अंदर लगी आग भी काफी लंबे समय तक चलती है।झारखंड के धनबाद मे कोयले के अंदर 1916 ई मे आग लगी थी जो आज तक जल रही है। और यहां के लोगों के अंदर अभी भी डर का माहौल है।

झरिया के भौंरा नामक इलाके मे यह आग 100 सालों से जल रही है फिर भी यहां पर लोग रहने को मजबूर हैं।इस आग की वजह से विषैली गैस निकलती है और जिसकी वजह से यहां के लोग बीमारियों से ग्रस्ति होते जा रहे हैं ।

झारखंड के धनबाद जिले के झरिया के आस पास के कई किलोमीटर के अंदर इंसान रहने लायक नहीं बचा है। क्योंकि यहां पर आग कभी भी हमला बोल सकती है। इसके अलावा अब यहां पर मशीनों की मदद से सुरक्षित कोयले को निकाला जा रहा है। माना जा रहा है कि आग के अंदर अरबो रूपये का कोयला बरबाद हो चुका है।

‌‌‌इसके अलावा कोयले की इस आग को बुझाने के लिए हजारों करोड़ों रूपये बहाये जा चुके हैं लेकिन अभी भी आग बुझने का नाम ही नहीं ले रही है। बताया जा रहा है कि यहां पर कोयला काफी अच्छी क्वालिटी का है।

1890 में पहली बार धनबाद में कोयला होने का पता चला था। 1930 में अंग्रेजों ने यहां पहली कोयला खदान शुरू की थी लेकिन उसके बाद खुदाई का तरका अवैज्ञानिक होने की वजह से खदान मे आग लग गई और जोकि आज तक जल रही है।सन 1997 ई के अंदर बहुत से लोग इस आग के बारे मे जान चुके थे ।

‌‌‌पीछले 100 सालों के अंदर आग ने कोयले को तबाह कर दिया है लेकिन सरकार आधुनिक मशीनों की मदद से कायले को निकालने का प्रयास कर रही है और आग को बुझाने के प्रयास भी जारी हैं।

‌‌‌आपको बतादें कि आग सिर्फ कुछ ही दूर नहीं लगी हुई है। वरन जमीन के नीचे 17 वर्ग किमी में फैल चुकी है। और काफी तेजी से बढ़ भी रही है। लोग इस आग के डर के मारे अपने घर बार को छोड़ने के लिए भी मजबूर हो चुके हैं।

धनबाद जिले के झरिया शहर के नीचे आग जल रही है और उपर लोग रहते हैं कई बार लोगों को वहां से हटने का नोटिस सरकार जारी कर चुकी है लेकिन लोग हटने को तैयार नहीं है। जमीन को तोड़कर आग निकल जाती है। और यदि जमीन पर कोई रहता है तो वह कोयले की खदान मे गिर कर जल जाता है। यहां पर जमीन के अंदर आग दिखना आम हो ‌‌‌चुका है।

झरिया के आसपास के इलाकों लोदना,भौंरा,बरारी, डिगवाडीह, कुजामा के अंदर जमीन से आग निकलते हुए देखा जा सकता है।यहां पर जीवनयापन करने वाले लोग तंगहाली के अंदर जी रहे हैं। और वे इस जगह को छोड़कर भी नहीं जा सकते हैं क्योंकि उनके पास और कोई साधन नहीं है।‌‌‌जमीन के नीचे आग होने की वजह से प्रशासन ने लोगों को वहां से हटाने के लिए प्रयास करना शूरू कर दिया है। और लोगों को घर भी दिये जा रहे हैं।

देश के तीसरे सबसे बड़े ओपन कास्ट कोल माइंस दीपिका के कोयला स्टॉक में भीषण आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं।वैसे इन खदानों के अंदर काम करने वाले लोगों का यह कहना है कि कोयले की खदान के अंदर आ लगना बहुत ही आम बात होती है। लेकिन समय समय पर इन आग को बुझाया भी जाता है।

‌‌‌कोयले की खदानों के अंदर आग लगना बहुत ही मामूली बात होती है।लेकिन यदि कई बार इस आग को नहीं बुझाया जाता है तो यह विकराल रूप लेलेती है और उसके बाद इसको बुझाना कठिन हो जाता है। झारिया के अंदर काफी लंबी दूरी पर फैली इस आग को बुझाना अलगभग असंभव हो चुका है।

‌‌‌वैसे कोयले की आग को बुझाने के लिए पानी का प्रयोग किया जाता है लेकिन कई बार कम्पनियों के पास आग को रोकने के लिए उचित मात्रा मे साधन नहीं होने की वजह से यह आग और अधिक भड़क जाती है।‌‌‌और कोयले की आग की सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि इसको बुझाना काफी कठिन होता है।क्योंकि यह पूरी खदान को ही चपेट मे ले सकती है ।

‌‌‌द्धितीयक श्रेणी की आग

इस प्रकार की आग के अंदर पैट्रोल की आग ,वारनिश की आग और तारकोल की आग आती है।इस आग को बुझाने के लिए ऑक्सीजन की उपस्थिति रोकनी होती है। और कई बार आपने देखा होगा कि पेट्रोल के टैंकर मे आग लग जाती है जोकि काफी घातक साबित होता है।

‌‌‌पेट्रोल की आग की घटनाएं आती रहती हैं।पेट्रोल पंप पर आग लगने से कई बार वहां पर कार्य करने वाले कर्मचारी घायल हो जाते हैं। अजमेर के आदर्शनगर मे पेट्रोल पंप पर आग लग जाने से 9 लोग घायल हुए थे और 3 की हालत काफी गम्भीर थी। ‌‌‌इस हादसे के अंदर वहां रहने वाले लोगों की लापरवाही सामने आई थी। जब पेट्रोल पंप परिसर में बने एलपीजी इस टैंक को सीएनजी में बदले जाने की प्रक्रिया चल रही थी. बताया जा रहा है कि टैंक में कुछ एलपीजी गैस बकाया थी. टैंक को साफ करने के लिए जनरेटर लगाया गया था और उसके बाद आग लग गई ।

‌‌‌कई बार आपने देखा होगा की जब पैंट्रोल के टैंकरों के साथा हादसा होता है तो यह काफी भयंकर साबित हो सकता है। कारण यह है कि जब पैंट्रोल से भरे टैंकर का एक्सीडेंट होता है तो उसके अंदर आग लग जाती है। और यदि पैंट्रोल टैंकर किसी मानविय बस्ती के अंदर खड़ा है तो फिर ‌‌‌वहां पर किसी बड़े नुकसान होने का खतरा होता है।एक बार हमने देखना जब पैट्रोल से भरे टैंकर के अंदर आग लग गई तो चालक ने हिम्मत का परिचय देते हुए ।उस टैंकर को मानविय बस्ती से दूर लेकर चाला गया । वरना कोई बड़ा हादसा हो सकता था। 

‌‌‌हालांकि यह देखा भी गया है कि पेंट्रोल पंपों पर आग बुझाने के साधन भी मौजूद नहीं होते हैं। ऐसी स्थिति मे जब तक बाहर से दमकल आता है तब तक सब कुछ स्वाहा हो चुका होता है। ‌‌‌इसी प्रकार से कई बार बाइक के अंदर पैट्रोल भरते हुए बाइक मे आग लग जाती है।ऐसी स्थिति के अंदर भी सावधानी रखना आवश्यक होता है। वरना काफी नुकसान हो सकता है।

वार्निश का प्रयोग अक्सर पेंट करने के लिए किया जाता है। लकड़ी पर पेट करने के लिए इसका इस्तेमाल होता है। यह लकड़ी को खराब होने से बचाने का कार्य करता है।वारनिश काफी तेजी से आग पकड़ लेता है। ऐसी स्थिति के अंदर यदि समय पर आग नहीं बुझाई जाती है तो यह आग इंसानों के दिमाग पर सीधे ही असर डालने का  ‌‌‌कार्य करती है।

‌‌‌यदि आपकी भी वार्निस की दुकान है तो आपको भी उसे ऐसे स्थान पर रखने की जरूरत है जहां पर आग वैगरह लगने की संभावना काफी कम हो ।

तारकोल की आग  भी काफी खतरनाक होती है। तारकोल का प्रयोग पैंट के अंदर अक्सर किया जाता है।वैसे तारकोल का प्रयोग पहले घरों के अंदर भी किया जाता था लेकिन अब यह सब बंद हो चुका है। तारकोल का प्रयोग करने वाली फैक्ट्री के अंदर काफी भीषण आग लग जाती है। समय रहते इन पर काबू नहीं पाया जाता है तो यह काफी बड़ा ‌‌‌नुकसान कर सकती हैं।

‌‌‌तृतीय श्रेणी की आग

दोस्तों इसके अंदर गैस से लगने वाली आग आती हैं।हम घरों के अंदर गैस सिलेंडर रखते हैं और कई बार लापरवाही की वजह से इसके अंदर आग लग जाती है।और उसके बाद बड़ा हादसा हो सकता है।  ‌‌‌हालांकि इसमे सबसे बड़ी गलती हमारी ही होती है।जो सुरक्षा उपाय हमे करने चाहिंए वे सुरक्षा उपाय हम नहीं कर पाते हैं।और सबसे बड़ी गलती यह रहती है कि हम यह बिना जांचे की गैस ऑन कर लेते हैं कि गैस लीक है या नहीं । ऐसी स्थिति मे इंसान खुद भी जल सकता है।

‌‌‌इसके अलावा कई बार छप्पर के अंदर आग लग जाती है और उसके अंदर गैस सिलेंडर रखे होने से उनके अंदर भी विस्फोट हो जाता है। हमारे गांव के अंदर एक छप्पर मे रात को पता नहीं कैसे आग लग गई थी तो उसके अंदर दो भरे हुए सिलेंडर भी रखे हुए थे ।

‌‌‌जब गर्मी बहुत अधिक बढ़ी तो सिलेंडरों के अंदर काफी तेजी से विस्फोट हुआ और आस पास के घरों की दीवारें भी कांप गई। आमतौर पर जब सिलैंडर के अंदर आग लगती है तो हम आसानी से काबू कर सकते हैं। आग से सिलेंडर नहीं फटता है। तापमान अधिक बढ़ने से वह फट जाता है।

‌‌‌यदि सिलेंडर गलती से आग पकड़ लेता है और आग रेगूलेटर तक आ जाती है तो सबसे पहले तेजी से एक गिला कपड़ा करें और रेगूलेटर के उपर से लपेट दें या सिलेंडर को पानी मे डूबों दें आग अपने आप ही बुझ जाएगी । ‌‌‌लेकिन हमारी सबसे बड़ी समस्या यही होती है कि हम घबरा जाते हैं और उसके बाद वहीं खड़े होकर देखने लग जाते हैं कुछ भी करने की स्थिति मे नहीं होते हैं। ऐसी स्थिति मे हादसा हो जाता है। ‌‌‌वैसे आपको बता ही होगा कि आग ऑक्सीजन की उपस्थिति के अंदर लगती है।और यदि ऑक्सीजन को रोका जाता है तो आग को आसानी से बुझाया जा सकता है।

  • ‌‌‌जिस सिलैंडर के रेगूलेटर मे आग लग गई है तुरंत ही एक गिला कपड़ा लें और उसके चारो ओर लपेटदें । ऐसा करने से आग बुझ जाती है।
  • यदि नलकी के अंदर आग लग गई है तो जितना जल्दी हो सके रेगूलेटर से गैस बंद कर दें और रेगूलेटर को सिलेंडर से अलग करदें। बस आग अपने आप बुझ जाएगी ।
  • ‌‌‌यदि आग रेगूलेटर के अंदर लगी है तो रेगूलेटर को किसी बाल्टी से ढक देना चाहिए ।इससे ऑक्सीजन नहीं पहुंचने से आग बुझ जाएगी ।
  • ‌‌‌यदि आग आपकी कंट्रोल मे नहीं आ रही है तो सिलैंडर के उपर गिला कपड़ा लपेटें और उसके बाद सिलैंडर को किसी सुरक्षित स्थान पर लेकर जाएं ।ताकि सबसे कम नुकसान हो ।
  • ‌‌‌और यदि आप अपने घर के अंदर आग बुझाने का यंत्र रखते हैं तो यह बहुत ही अच्छी बात है । इसकी मदद से आप आग को आसानी से बुझा सकते हैं।वैसे हर घर के अंदर इसको रखा जाना चाहिए लेकिन हम नहीं रखते हैं।
  • ‌‌‌यदि सिलेंडर ने आग पकड़ ली है तो सिलेंडर के आस पास जो भी वस्तु या सामान पड़ा है उसको हटा देना चाहिए ताकि वह आग ना कपड़ सके।
  • घर मे मौजूद बिजली का कनेक्सन भी कट कर देना चाहिए । वरना बिजली के वायर भी आग पकड़ सकते हैं।
  • ‌‌‌सिलेंडर आग की वजह से नहीं फटता है।लेकिन आग लगने की वजह से वह काफी गर्म हो जाता है इस वजह से फट जाता है।
  • खाना बनाने के बाद रेगूलेटर को बंद करके रखना चाहिए । जिससे गैस लीक नहीं होगी और आग लगने की संभावना कम होगी ।
  • गोदाम में या उसके आसपास धूम्रपान न करें, धूम्रपान निशेध का बोर्ड लगाएं ।
  • पर्याप्त मात्रा में अग्निशमन उपकरणों कीव्यवस्था रखें।
  • सिलिण्डर में आग लगने पर उसे गोदाम ‌‌‌से बाहर निकालने
  • व उसे अग्निशमन यत्रों से बुझाने का प्रयत्न करें।
  • आग लगने की सूचना तत्काल फायर/पुलिस कण्टोल रूम

को दें।

  • अग्नि-सुरक्षा से सम्बन्धित निर्देश बना कर प्रमुख स्थलों पर टांगे।
  • फायर-ड्रिल का निश्चित अन्तराल पर आयोजन करें।
  • भरा गैस सिलिण्डर खड़ा करने की स्थिति मे एक के ऊपर एक
  • तीन से अधिक सिलिण्डर रखें।
  • लिटाकर रखने की स्थिति में एक के ऊपर एक पांच से अधिक सिलिण्डर न रखें।
  • सिलिण्डरों के बीच आवागमन के लिए कम से कम 60 मीटर रास्ता होना चाहिए।
  • गोदाम के चारों ओर अनाधिकृत प्रवेश रोकने हेतु निर्धारित ऊंचाई की चार दिवारी
  • गोदाम में वेण्टीलेशन के लिए निर्धारित मानकों के अनुरूप वेण्टीलेटर लगवाएं। वेण्टीलेटर पर निर्धारित मानकों  के अनुरूप  लोहे की जाली लगी होनी चाहिए।

‌‌‌गैस की आग के मामले मे आप समय रहते निर्णय ले सकते हैं।यदि आप समय रहते कुछ भी नहीं करते हैं तो फिर काफी समस्याएं हो जाती हैं। और क्योंकि सिलेंडर का फटना आस पास के घरों को भी डेमेज कर सकता है।

‌‌‌इसके अलावा किसी अन्य कैमिकल की वजह से भी आग लग जाती है।कई बार लैब के अंदर गलत रासायनिक प्रतिक्रियाओं की वजह से आग लग जाती है। लैब मे आग लगने की घटना हमारे कॉलेज के अंदर हुई थी। जब किसी ने गलती से सोडियम मेटल को पानी के अंदर डाल दिया था तो आग लग गई थी। ‌‌‌वैसे लेब मे लगने वाली आग के लिए आपको उचित सावधानी और देखरेख करनी चाहिए ।

‌‌‌चतुर्थ श्रेणी की आग

दोस्तों चतुर्थ क्षेणी की आग के अंदर मैटल की आग आती है। जैसे मेग्निशियम और एल्युमिनियम व जिंग की आग इसमे आती है। ‌‌‌एल्यूमििनयम मे आग लगने की घटनाएं होती हैं। एल्यूमिनियम पर कार्य करने वाली कम्पनियों मे यह आग लग जाती है। हालांकि एल्यूमिनियम काफी तेजी से आग पकड़ लेता है।वैसे आपको बतादें कि एल्यूमिनियम मे सीधी आग लगने के चांस कम होते हैं लेकिन कई बार दूसरे कारणों से आग लग जाती है। जैसे कि शोर्ट सर्किट ‌‌‌होने की वजह से आग लग सकती है।

‌‌‌पंचम श्रेणी की आग

By Santeri Viinamäki, CC BY-SA 4.0, wiki

दोस्तों पंचम श्रेणी की आग बिजली के उपकरणों के अंदर शोर्ट सर्किट होने की वजह से लगती है। बिजली के उपकरणों के अंदर आग लगना सबसे आम होता है। और भारत के अंदर तो स्थिति बहुत अधिक खराब है। कारण यह है कि एक बार सरकारी नौकरी लगने के बाद सरकारी कर्मचारी काम कम करते हैं और  ‌‌‌मौज अधिक करते हैं।हमारे यहां पर जब एक पोल के अंदर चिंगारी उपड़ रही थी तो हमने निगम के कर्मचारी को कई बार कॉल किया लेकिन उसने कॉल तो उठाया पर समस्या का हल करने के लिए कोई भी कदम नहीं उठाया ।

 ‌‌‌काफी दिन इसी प्रकार से वह गोल गोल घूमाता रहा । इस प्रकार से कुछ दिन बीत गए फिर हमने अपने एक जानकार को फोन किया और समस्या बताई तो फिर वही ठीक करने आया । तो आप समझ सकते हैं कि भारत मे पोल के नीचे आग लगने की और चिपकने की बहुत सारी घटनाएं होती हैं लेकिन समाधान कुछ नहीं होता है।

‌‌‌शोर्ट सर्किट यदि पोल के उपर होता है तो यह उतना नुकसान नहीं करेगा लेकिन यदि शोर्ट सर्किट पोल पर नहीं होता है और घर के अंदर होता है तो यह काफी नुकसानदायी हो सकता है। घर मे शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लग सकती है।

‌‌‌और यदि गलती से भी शॉर्ट सर्किट हो जाता है तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है।  जितना जल्दी हो सके पॉवर को कट कर देना चाहिए । और उसके बाद जहां पर आग लगी है उसको बुझाने का प्रयास करना चाहिए । आप घर के अंदर एक सिलेंडर रख सकते हैं जो आपके लिए आग को बुझाने मे काफी उपयोगी साबित हो सकता है।

‌‌‌आग को बुझाने के सिद्धांत

दोस्तों आग को मुख्य रूप से तीन तरीकों की मदद से बुझाया जाता है जिनके बारे मे हम यहां पर चर्चा करने वाले हैं।कौनसी आग के अंदर कौनसा तरीका प्रयोग मे होगा । इस बारे मे भी हम आपको जानकारी प्रदान करने वाले हैं।

‌‌‌ईंधन को हटाकार आग को बुझाना

आग को बुझाने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि जिस स्थान पर आग लगी है उस स्थान के आस पास के ईंधन को आपको हटा देना चाहिए ।ईंधन नहीं मिलने पर आग अपने आप ही बुझ जाएगी । असल मे जंगल मे लगी आग के अंदर यह तरीका प्रयोग मे लाया जाता है।‌‌‌आग दूसरे पेड़ पौधों को नुकसान ना पहुंचा सके । इस लिए कुछ दूरी के पेड़ पौधों को काट दिया जाता है।जिससे आग का फैलना रूक जाता है।

‌‌‌ताप को कम करके आग को बुझाना

दोस्तों ताप को कम करने से भी आग को बुझाया जा सकता है।ताप को कम करने के लिए जल्ती हुई आग के उपर पानी डाला जाता है और उसके बाद आग बुझ जाती है। लेकिन यह तरीका हर जगह प्रयोग मे नहीं लिया जा सकता है। यदि आप बिजली से लगी है तो आपको यह तरीका प्रयोग मे नहीं लेना चाहिए।‌‌‌क्योंकि ऐसा करने से करंट काफी दूर दूर तक फैल सकता है और काफी समस्या का कारण बन सकता है।

‌‌‌आमतौर पर जब आप आग पर पानी डालते हैं तो आग वाष्प के अंदर बदल जाती है।और आग बुझ जाती है।या उसका प्रभाव कम हो जाता है।

‌‌‌ऑक्सीजन को कम करके आग को बुझाना

जैसा कि आप सभी को पता ही है कि ऑक्सीजन की वजह से ही आग जलती है और यदि आप जलती हुई आग पर ऑक्सीजन कम कर देते हैं तो वह बुझ जाती है। इसके लिए

  • आग के चारो ओर बालू, हवा, मिट्टी,कीचड़, कम्बल  का आवरण बनाकर।
  • भवन में लगी आग के लिए सभी दरवाजे-खिड़कियां, रौशनदान बन्द करके।
  • जलती हुई वस्तु के चारो ओर झागबनाकर। आग पर ड्राई पाउडर छिड़क कर।
  • आग पर निश्क्रिय गैस को छोड कर आक्सीजन की पहुंच कम की जा सकतीहै।

आग कितने प्रकार की होती है ? लेख के अंदर हमने आग के प्रकार के बारे मे विस्तार से जाना उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा ।यदि आपका कोई विचार हो तो नीचे कमेंट करके हमें बताएं ।

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This post was last modified on May 6, 2021

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