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    Home»motivational hindi»चाणक्य के महत्वपूर्ण विचार के बारे जानें सच
    motivational hindi

    चाणक्य के महत्वपूर्ण विचार के बारे जानें सच

    arif khanBy arif khanSeptember 17, 2017Updated:March 10, 2024No Comments5 Mins Read
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    ‌‌‌चाणक्य ने कई तरह की बातें बताई थी । हांलाकि उनके बताये सभी सूत्र इस समय उपयोगी नहीं रहे किंतु कुछ ‌‌‌विचार अभी भी उतने ही उपयोगी हैं जितने कि पहले के जमाने मे हुआ करते थे । कुछ का वर्णन नीचे दिगया गया है।
                          

              1

    जिसमें विवेक नहीं होता वह शास्त्र क्या कर सकता है। जैसे अंधे के लिए दपर्ण का महत्व नहीं होता है।
    अंधा कौन होता है
    कुछ प्राणी तो जन्म से ही अंधे होते हैं। जिनको कुछ भी दिखाई नहीं देता ।
    कुछ लोग कामवासना के अंदर अंधे हो जाते हैं। उनके आंखे होकर भी कुछ नजर
    नहीं आता ।
     
    लोभी लालची लोग लोभ के अंदर अंधे हो जाते हैं। इनको भी बादमें कुछ दिखाई नहीं देता । सावन के अंधे को हर तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आती है।
    कुछ लोग नशे के अंदर अंधे हो जाते हैं।
     
                            2
     
    ‌‌‌करे कोई भरे कोई
    राजा अपने राज मे दूसरों के द्वारा किये गए पापों की सजा पाता है।
    पुरोहित राजा के द्वारा किये पापों की सजा पाता है।
    शिष्य अपने गुरू के द्वारा किये पापों की सजा पाता है।
    पत्नी पति के पापों की सजा पाती है।
    पाप करने वाला कोई होता है। और सजा किसी और को मिलती है।
     
                           3
     
    ‌‌‌वश मे करना भी एक कला है
    कुछ लोगों को वश मे करके अपना काम सिद्व किया जा सकता है।
     अहंकारी को हाथ जोड़कर
    मूर्ख को मनमानी करने की आजादी देकर
    विद्वान का दिल जीत कर
    इस प्रकार से आप अपना मतलब पूरा कर सकते हैं।
     
                            4
    ‌‌‌बुरे न हो तो अच्छा है
    बुरे लोग यदि इस दुनिया के अंदर न हों तो अच्छा है।
    बुरे राजा से राजा न होना अच्छा है ।
    बुरे मित्र से मित्र न होना अच्छा है।
    बुरी स्त्री होने से स्त्री न होना अच्छा है।
    इसलिये सभी को अपने लिये अच्छे साथी की तलास करनी चाहिये ।
     
                            5
     
    ‌‌‌बुरे राजा के राज मे न तो जनता सुखी रहेगी और न ही उससे जनता का भला होगा ।
    बुरे मित्र से कभी भले की उम्मीद नहीं की जानी चाहिये ।
    बुरी औरत से कभी भला नहीं होगा ।ऐसी औरत जिस घर के अंदर रहेगी ।उसे शांति नसीब नहीं होगी ।
    बुरे शिष्य कभी अपने गुरू का भला नहीं कर सकते ।
     
                             6
    ‌‌‌हाथी को अंकुश से
    घोड़े को चाबुक से
    दुर्जन को तलवार से
    दंड देना चाहिये । प्रत्येक को उनके स्वभाव और आवश्यकता के अनुसार ही व्यवहार करना चाहिये । सभी को एक ही डंडे से नहीं हांका जा सकता ।
     
                                    7
    ‌‌‌हर प्राणी का स्वभाव अलग होता है। वह अपने स्वभाव के अनुसार ही खुश होता है।
    काले बादल गरजकर खुश होते हैं।
    अच्छे लोग दुसरों को खुश देखकर खुश होते हैं।
    किंतु पापी लोग दूसरों को दुखी देखकर खुश होते हैं। हर प्राणी का स्वभाव अलग अलग होता है।
                               8
     
     
                ‌‌‌हर प्राणी की अपनी अपनी शक्ति होती है।
    औरत की ताकत उसकी सुंदरता होती है।
    विद्वान की ताकत उसका ज्ञान होता है।
    इसी तरह से जिस व्यक्ति के पास कोई ताकत न हो वह अपने आप को कमजोर न समझे वह चाहे तो कुछ भी कर सकता है।
                              9
     
    ‌‌‌धन जिसके पास हो उसके बहुत से मित्र बन जाते हैं। धन मित्रता को जन्म देता है। धन से ही रिश्तेदार आपके करीब करीब रहते हैं।
    सच है धन जिसके पास होता है। उसके सारे गुनाह दब जाते हैं। मनुष्य को धनवान बनने की कोशिश करनी चाहिये ।
     
                                 10
     
    ‌‌‌क्रोध
    बुरे शब्द
    अपनों से वैर
    ऐसे लोग राक्षस होते हैं। इनसे दूर रहना ही अच्छा होता है।
     
                                    11
     
    ‌‌‌शांति से बड़ा कोई तप नहीं ।
    धैर्य और संतोष से बढ़कर कोई सुख नहीं ।
    लालच से बढ़कर कोई रोग नहीं ।
    दया से बड़ा कोई धर्म नहीं ।
     
    इसलिये मनुष्य को सदैव अच्छे गुणों का विकास करते रहना चाहिये ।
     
                                  12
     
    ‌‌‌जिसके पास अपनी बुद्वि नहीं है। वह शास्त्र पढ़कर भी ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता ।
    जैसे कोई अंधा शीशे के अंदर अपना चेहरा नहीं देख सकता ।
    वैसे ही बुद्विहीन शास्त्रों से ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता ।
    किसी भी बात को तभी ग्रहण किया जा सकता है। जब उसे समझने की ताकत हो ।
                                 13
     
    ‌‌‌कंजूसों का शत्रू भिखारी होता है।
    मूर्ख को उपदेशक अपना दुश्मन जैसा लगता है।
    चरित्रहीन स्त्री को अपने पति को दुश्मन समझती है।
    चोर को चांद अपना शत्रू लगता है।
    एक चीज किसी की शत्रू होती है तो वही दूसरे की मित्र बन जाती है।
     
                            
     

     

     
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