खेत से नीलगाय को भगाने के 16 बेहतरीन तरीके

‌‌‌इस लेख मे हम बात करने वाले हैं नीलगाय भगाने का तरीका ,नीलगाय भगाने का उपाय ,नीलगाय भगाने की दवा और नुस्खे नील गाय के बारे मे आप जानते ही हैं जिनको अक्सर रोज के नाम से जाना जाता है। भारत के कई मैदानी ईलाकों के अंदर नीलगाय पाई जाती है।यह एक बड़ा और शक्तिशाली जानवर होता है जो खेतों को नुकसान पहुंचाता है। पहले हमारे ईलाके के अंदर ‌‌‌ भी नीलगाय बड़ी संख्या के अंदर देखने को मिलती थी लेकिन अब इनकी संख्या मे तेजी से गिरावट आई है। इसका कारण यह है कि इनके लिए आवास की काफी समस्या हो चुकी है। जंगल तेजी से काटे जा रहे हैं । और आवारा पशुओं की संख्या अधिक होने की वजह से इनके लिए खाने की समस्या भी बढ़ गई है। ‌‌‌फिर भी नीलगाय कुछ जगहों पर बहुत अधिक संख्या मे पाई जाती हैं जो खेतों को नुकसान पहुंचाती हैं।

‌‌‌नीलगाय एक शक्तिशाली जानवर होता है और देखने मे घोड़े जैसा होता है हालांकि इसकी बनावट घोड़े की तरह संतुलित नहीं होती है।हालांकि नील गाय तेजी से नहीं चल सकती है। यही कारण है कि मैदानी इलाकों के अंदर इनका शिकार तेंदुआ और बाघ आसानी से कर सकते हैं।

नीलगाय भगाने का तरीका

‌‌‌लेकिन नीलगाय अधिकतर  शुष्क प्रदेशों के अंदर रहती है। और यह लंबे समय तक बिना पानी पीये रह सकती है।जबकि इन शुष्क प्रदेशों के अंदर नील गाय को बाघ वैगरह का खतरा कम होंता है क्योंकि यह मांसहारी जानवर पानी वाले स्थान पर अधिक रहते हैं।

नीलगाय राजस्थान, मध्य प्रदेश के कुछ भाग, दक्षिणी उत्तर प्रदेश, बिहार और आंध्र प्रदेश में पाई जाती है।सूखे और पर्णपाति वनों के अंदर यह देखने को मिलती है। इसके आगे की गर्दन लंबी होने की वजह से पेड़ पौधों की पतियों का यह आसानी से सेवन कर सकती है।

‌‌‌पहाड़ी क्षेत्रों के अंदर नीलगाय के लिए रहना मुश्किल होता है क्योंकि यह पहाड़ पर आसानी से नहीं चढ़ सकती है। इसीलिए यह मैदानी इलाकों के अंदर देखी जाती है।

‌‌‌अब हम बात करने वाले हैं नीलगाय भगाने का तरीका या नीलगाय भगाने के उपायों के बारे मे । यदि आपके खेत को नीलगाय नुकसान पहुंचा रही है तो आप नीचे दिये गए तरीकों की मदद से नीलगाय को अपने खेत के अंदर आने से रोक सकते हैं। यह तरीके बहुत ही आसान तरीके हैं।

1.नीलगाय भगाने का तरीका ‌‌‌अंडो से

15 अंडे और 50 ग्राम वाशिंग पाउडर लें और उसके बाद उसको 25 लीटर पानी के अंदर घोल कर खेत के अंदर इसका छिड़काव करें । ऐसा करने से नीलगाय और दूसरे पशु खेत के अंदर नहीं आएंगे । क्योंकि अंडों से एक विशेष प्रकार की गंध निकलती है जो नीलगाय को खेत मे आने से रोकती है। ‌‌‌गर्मी और सर्दी के मौसम मे आप इसका छिड़काव कर सकते हैं। यह काफी फायदेमंद होता है।

2.नीलगाय भगाने का उपाय‌‌‌ तम्बाखू से

21 लीटर गोमूत्र, 5 किलोग्राम नीम की पत्ती, 2 किग्रा धतूरा, 2 किग्रा मदार की जड़ और 502 ग्राम तम्बाखू और 251 ग्राम लहसून और 140 ग्राम मिर्च को मिलाकर और वायुरोधी बनाकर धूप के अंदर रखदेना है। ‌‌‌उसके 45 दिन बाद । 1 लीटर दवा के अंदर 80 लीटर पानी मिलाकर छिड़काव करने से नीलगाय खेतों को नुकसान नहीं पहुंचा पाएगी । हालांकि इसको हर महिने छिड़कना होगा ।

‌‌‌3.नीलगाय को भगाने की विधि लहसुन से

4 लीटर मट्ठे में आधा किलो छिला हुआ लहसुन पीसकर डालदें और इसी के अंदर 500 ग्राम बालू डालकर 15 लीटर पानी के साथ खेत के अंदर छिड़काव करें । ऐसा करने से लगभग 25 दिनों तक खेत के अंदर नीलगाय नहीं आएगी । यह काफी अच्छा तरीका है नीलगाय को अपने खेत से दूर रखने का ।

4.नीलगाय भगाने की दवा ‌‌‌नीम की खली

नीम की खली पौधों के लिए भी काफी उपयोगी होती है। 3 किलो नीम की खली ले और 3 कीलो ही राख उसके अंदर मिलाएं और उसके बाद उसको पौधों के अंदर छिड़कें । ऐसा करने से नीलगाय दूर हो जाएगी । यह बहुत ही अच्छा प्रयोग है। इससे पौधों को कीड़ा लगाने का खतरा भी कम होता है।

‌‌‌5.अपने खेत के अंदर लाइट लगाएं

यदि आप चाहते हैं कि आपके खेत के अंदर नीलगाय नहीं आए तो जिस स्थान से नीलगाय घुसती है। उस स्थान पर एक लाइट की व्यवस्था करदें। और वह लाईट इस प्रकार की होनी चाहिए कि हवा से आसानी से हिलती रहे । ‌‌‌जब नीलगाय इस लाईट को आपके खेत के अंदर देखेगी तो वह नहीं आएगी । क्योंकि उसे यह लगेगा कि आपके खेत के अंदर कोई बैठा हुआ है।लखीमपुर जिले के किसान गुड्डू ने भी एक इसी प्रकार का जुगाड़ बनाया था। और इसके प्रयोग के बाद उन्होंने यह बताया कि यह एक सफल प्रयोग है और इससे नीलगाय खेत के अंदर प्रवेश नहीं करती हैं।

‌‌‌6.नीलगाय का गोबर प्रयोग करें

नीलगाय के गोबर का प्रयोग करके भी नीलगाय को खेतों मे आने से रोका जा सकता है।हालांकि यह एक स्थाई समाधान नहीं है। आपको चाहिए कि नीलगाय का गोबर लें और उसे पानी के अंदर घोल कर फसलों के उपर छिड़काव करें । ऐसा करने से पौधों को नीलगाय नहीं खा पाएगी ।‌‌‌क्योंकि पौधों के अंदर गोबर की सुगंध हो जाएगी ।‌‌‌हालांकि नीलगाय को भगाने का यह कारगर तरीका नहीं है और यह बस एक अस्थाई समाधान हो सकता है।

‌‌‌7.नीलगाय को भगाने का उपाय खेत मे कुत्ता पालें

अक्सर किसान लोग अपने खेत के अंदर कुत्ता पालते हैं। यह आवारा पशुओं को भगाने के लिए बहुत ही उपयोगी होता है। यदि आप खेत के अंदर रहते हैं तो एक कुत्ता पाल सकते हैं। यह आपके खेत की अच्छी तरह से सुरक्षा करेगा ।‌‌‌जिस  जगह से नीलगाय खेत के अंदर प्रवेश करती है उस जगह के आस पास ही उस कुत्ते को रख सकते हैं। और जैसे ही नीलगाय आपके खेत के अंदर प्रवेश करेगी कुत्ता भोगने लग जाएगा । और बाद मे आप जाकर उस नीलगाय को अपने खेत से बाहर कर सकते हैं।

‌‌‌और यदि आपके पास एक बहुत ही आक्रमक कुत्ता है तो उसके डर से नीलगाय खेत के अंदर आना अपने आप ही कम कर देंगी । तो आप कुत्ता भी पालकर अपने खेत की रक्षा नीलगाय से कर सकते हैं।

‌‌‌और यदि आप एक अधिक आक्रमक कुत्ता पालते हैं तो उसको इस प्रकार से रखना चाहिए कि वह किसी इंसान को नुकसान ना पहुंचा सके ।क्योंकि कुछ कुत्ते इंसानों पर भी हमला कर देते हैं।

‌‌‌8.खेत के अंदर एक पुतला लगाना

खेत के अंदर एक पुतला लगाना

हालांकि यह नीलगाय को भगाने का उपयोगी तरीका नहीं है लेकिन एक अच्छा उपाय साबित हो सकता है। अपने खेत के अंदर आप एक सफेद पुतला लगा सकते हैं । जैसाकि आपने अक्सर कुछ लोगों को इस प्रकार का पुतला लगाए हुए देखा होगा ।‌‌‌इस पुतले को आप कपड़े से बनाकर अपने खेत के उस स्थान पर लगा सकते हैं।जहां से नीलगाय प्रवेश करती है। ऐसा करने से हो सकता है उसका प्रवेश रूक जाए । लेकिन यह एक स्थाई समाधान नहीं है।

9.गधों की लीद से नीलगाय को भगाना

यदि आपको नीलगाय को भगाना है तो यह भी एक अच्छा तरीका है। आप गधे की लीद से नीलगाय को भगा सकते हैं। आप सबसे पहले कहीं से गधे की लीद को लेकर आएं। उसके बाद पोल्ट्री का कचरा, गोमूत्र आदि को भी इसके अंदर मिलाएं और एक तरह का घोल तैयार करना होगा । उसके बाद इस घोल को फसलों के उपर छिड़क देना होगा ।

‌‌‌और नीलगाय जब खेत के अंदर प्रवेश करेगी तो उसे तेज सुगंध आएगी और वह इस प्रकार के खेत के अंदर प्रवेश नहीं कर पाएगी । नीलगाय को भगाने का उपाय यह स्थाई नहीं है। हां कुछ समय के लिए इसकी मदद से नीलगाय को खेत मे आने से रोका जा सकता है।‌‌‌इसको प्रयोग करने वाले एक किसान ने बताया कि इस देशी तरीके के प्रयोग से नीलगाय को 15 दिन तक रोका जा सकता है।

‌‌‌यह एक देशी तरीका है और इससे फसलों को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता है।भले ही आप कितनी ही बार इसका प्रयोग करें । इससे कोई समस्या नहीं होगी ।

‌‌‌10.नीलगाय को भगाने का तरीका फिनाइल का उपयोग

फिनाइल मार्केट के अंदर आसानी से मिल जाती है।और फिनाइल का उपयोग घरों को साफ करने के लिए भी किया जाता है। फिनाइल की मदद से भी आप रोज या नीलगाय को भगा सकते हैं क्योंकि इसके अंदर तेजगंध आती है। और इस गंध को नीलगाय पसंद नहीं करती है। ‌‌‌फिनाइल से नीलगाय को भगाने का तरीका बहुत ही सरल है। इसमे आपको करना यह है कि थोड़ी फिनाइल को पानी के अंदर मिलाएं और उसके बाद इसका खेतों के अंदर छिड़काव करदें । इसी तेज गंध की वजह से नीलगाय भाग जाएगी । ‌‌‌ हालांकि नीलगाय को भगाने का यह स्थाई तरीका नहीं है।जैसे भी फिनाइल का असर कम होगा नीलगाय वापस आने लग जाएगी । आपको बार बार फिनाइल का छिड़काव करने की जरूरत होगी ।

11.मिट्टी के तेल की डिबरी से नीलगाय को भगाना

खेत के अंदर मिट्टी के तेल की डिबरी को कई जगह पर जलाएं । यदि नीलगाय रात को आती है तो यह बहुत ही अच्छा उपाय है। ऐसा करने से नीलगाय खेत के अंदर प्रवेश नहीं करेगी । ‌‌‌हालांकि नीलगाय को भगाने का यह कोई अच्छा तरीका नहीं है।और उतना कारगर भी नहीं है। फिर भी आप ट्राई करके देख सकते हैं। हो सकता है यह काम कर जाए ।

‌‌‌12.गहरी खाई देना

खाई के बारे मे आप जानते ही हैं।नीलगाय को भगाने का यह भी एक अच्छा तरीका है। अपने खेत के उस स्थान पर गहरी खाई लगाएं जहां से नीलगाय प्रवेश करती है। यदि आप हाथों से नहीं लगा सकते हैं जो जेसीबी का प्रयोग कर सकते हैं। ‌‌‌जब नीलगाय को गहरी खाई दिखेगी तो वह आपके खेत के अंदर प्रवेश नहीं करेगी । हमारे यहां पर सुरेंद्र नामक किसान से इसी तरीके को आजमाया था। उसने बताया कि उनके खेत के अंदर नीलगाय बहुत अधिक आती थी तो एक घंटे के 1000 रूपये मे किराये पर जेसीबी लेकर आया और उसके बाद ‌‌‌ खेत के उस साइड के अंदर गहरी खाई लगवाली जहां से होकर नीलगाय प्रवेश करती थी। यह तरीका दूसरे अल्पकालिन तरीकों की तुलना मे काफी अच्छा है।

‌‌‌13.खेत के चारो ओर कंटिली बाड करें

नीलगाय को स्थाई रूप से रोकने का यही बस एक मात्र तरीका है जिसकी मदद से आप आसानी से किसी भी दूसरे जानवर और नीलगाय को रोक सकते हैं। आप अपने खेत के चारो और कंटिली तारों की बाड़ लगा सकते हैं। इसके लिए आपको कुछ पैसे खर्च करने होंगे। और कितने पैसे खर्च होंगे यह इस ‌‌‌ बात पर निर्भर करेगा कि आप कितनी दूरी तक बाड़ लगा रहे हैं। आप चाहें तो उस क्षेत्र को चुन सकते हैं जहां पर नीलगाय के घुसने की संभावना है। इससे आप अपने खर्च को भी कम कर सकते हैं।

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जलोढ़ मिट्टी की विशेषता और इसकी जानकारी

‌‌‌अपने खेत के चारो ओर पत्थर की पट्टी को रोपे और उससे कंटिले तारों को बांध देना चाहिए । यह कार्य काफी अच्छे ढंग से किया जाना चाहिए ताकि नीलगाय तारों पर से कूद ना सके । ‌‌‌ नीलगाय को खेत मे आने से रोकने का यह बहुत ही अच्छा तरीका है।और इसमे आपको पैसा सिर्फ एक बार ही खर्च करना होता है।

‌‌‌कई ग्रामीण इलाकों के अंदर इसी प्रकार की कांटेदार बाड़ का प्रयोग किया जाता है।जिससे नीलगाय आसानी से रूक जाती है।

‌‌‌14.नीलगाय को भगाने का तरीका ‌‌‌सेंसर लाइट का प्रयोग करें

सेंसर लाइट आप आसानी से अमेजन से आसानी से खरीद सकते हैं। आमतौर पर यह कम्पन्न को महसूस करती है। आप इसको उस स्थान पर लगा सकते हैं जहां से नीलगाय प्रवेश करती है। और यह आपको एक  जल कर चेतावनी दे सकती है कि नीलगाय खेत के अंदर प्रवेश कर चुकी है।

15.नीलगाय भगाने की बंदूक

नीलगाय भगाने की बंदूक

आप बंदूक की मदद से भी नीलगाय को भगा सकते हैं।इसमे आपको करना यह होता है कि आप मार्केट से एक एयर गन खरीद सकते हैं जो आपको 1500 रूपये के आस पास मिल जाएगी । उसके अंदर आप साउंड क्रोक का उपयोग कर सकते हैं। ‌‌‌यह नीलगाय को भगाने का अच्छा तरीका है।इसके अलावा इन बंदूक के अंदर पैलेट आते हैं जिनका उपयोग भी आप कर सकते हैं। लेकिन इसके साथ समस्या यह है कि आपको हर वक्त निगरानी करते रहना होगा ।

‌‌‌16.झटका मशीन का प्रयोग

दोस्तों झटका मशीन के बारे मे तो आपने सुना ही होगा ।यह एक ऐसी मशीन होती है जो नीलगाय को करंट का झटका देकर भगाती है। इस मशीन की कीमत लगभग 8000 रूपये आ इससे अधिक होती है। Solar FATAKA Machine के अंदर एक सोलर प्लेट आती है और एक बैटरी व एक कन्वर्टर आता है।बैटरी दिन मे सोलर प्लेट की मदद से चार्ज हो जाती है। एक वायर को कन्वर्टर से कनेक्ट किया जाता है। जिसको मशीन कहते हैं। बैटरी 12 वोल्ट ही होती है।

‌‌‌कन्वर्टर की मदद से कन्वर्टर की मदद से 12 वोल्ट को हाई वोल्ट के अंदर बदला जाता है।और मशीन को एक वायर से कनेक्ट किया जाता है। यह वायर खेत की बाड़ पर लगाया जाता है। उसके बाद जब कोई नीलगाय खेत के अंदर घुसने का प्रयास करती है तो वह इस वायर के टच होजाती है। जिससे उसको एक जोर का झटका लगता है और ‌‌‌वह भाग जाती है। कुल मिलाकर यह तरीका काफी अच्छा है और काम करता है।इसके अलावा आप मशीन से स्पीकर को भी कनेक्ट कर सकते हैं।जब भी नीलगाय आएगी और वायर के टच होगी तो स्पीकर बज जाएगा और आपको पता लग जाएगा ।

‌‌‌नीलगाय नाम वैसे नर के उपर रखा गया है क्योंकि मादाएं भूरे रंग की होती हैं जबकि नीला रंग व्यवस्क नर का होता है।इसके आगे के पैर पीछे की तुलना मे अधिक मजबूत होते हैं। नरों की गर्दन पर सफेद बालों का एक लंबा और सघन गुच्छा रहता है । पैरों के नीचे इसके एक सफेद पट्टी होती है।नर का वजन 250 किलो के आस पास होता है। जबकि मादाएं कुछ छोटी होती हैं।नरों में छोटे, नुकीले सींग होते हैं जो लगभग 20 सेंटीमीटर लंबे होते हैं।‌‌‌नीलगाय भारत के अंदर पाये जाने वाले सबसे बड़े मर्गों मे से एक होती है।

‌‌‌नीलगाय दिन के अंदर चरने वाला जंतु है। यह घास चरता है और पेड़ों व झाड़ियों के पत्ते भी खाती है।और इसको बेर बहुत अधिक पसंद होता है। यह फसलों को काफी नुकसान पहुंचा सकती है।‌‌‌पेड़ की उंची डालियों तक पहुंचने के लिए यह अपने पीछले पैरों पर आसानी से खड़ी हो सकती हैं।इनके सुनने और देखने की शक्ति बहुत ही अच्छी होती है।यह शुष्क प्रदेशों के अंदर रहती है। इस वजह से किसी मांसहारी जंतु के द्धारा इनका शिकार करना संभव नहीं है।‌‌‌नीलगाय नर की सबसे बड़ी खास बात तो यह होती है कि सभी नर मल एक स्थान पर ही आकर त्यागते हैं लेकिन मादाएं ऐसा नहीं करती हैं , जो अपने आप मे काफी दिलचस्प है।

  ‌‌‌नीलगाय झुंड के अंदर रहती हैं।और अकेले नर भी घूमते हुए देखे जा सकते हैं। मादा शांत होती है। लेकिन नर काफी झगड़ालू होते हैं।और यह अक्सर मादा के लिए लड़ते रहते हैं। एक नर दो मादा पर अधिकार जमाता है।‌‌‌इनका प्रजनन समय नवंबर-जनवरी मे होता है।प्रजनन के बाद नर झुंड मादा से अलग हो जाते हैं और अपने दूसरे झुंड के अंदर शामिल हो जाते हैं।इस झुंड के अंदर 20 या 12 सदस्य हो सकते हैं। नर आपस मे ही लड़ते हैं और कई बार अपने सींगों को झाड़ियों के अंदर फांस लेते हैं।

‌‌‌नीलगाय मे नर बोलते नहीं हैं लेकिन मादा नीलगाय भैंस की तरह रम्भाती है। नीलगाय जब चरती है तो यह बहुत ही सतर्क रहती है और चलते समय हर दिशा के अंदर झुंड का एक सदस्य होता है।और खतरा होने की दशा मे झुंड का सदस्य इसकी चेतावनी दूसरे सदस्यों को देता है।

छौने सितंबर-अक्टूबर के अंदर जन्म लेते हैं और इस समय घास काफी बड़ा हो जाता है जिसके अंदर वे आसानी से छिप जाते हैं। जन्म के आठ घंटे बाद यह आसानी से खड़े हो सकते हैं।‌‌‌बच्चे को सभी मादाएं मिलकर पालती हैं।वह किसी भी मादा का दूध पी सकता है। इसके अलावा नीलगाय अधिक गर्मी को भी सहन कर सकती है। गर्मी के दिनों मे उसे पानी की बहुत ही कम आवश्यकता होती है।‌‌‌यह आवश्यक नमी भोजन से ही प्राप्त कर लेती है।नीलगाय नाम के पीछे गाय शब्द जुड़ा होने की वजह से लोग इसे पूजा करने योग्य मानते हैं और नर से ‌‌‌गाड़ी भी चलाया जा सकता है।

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arif khan

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