नागालैंड में आदमी कैसे काटते हैं head hunting Nagaland

‌‌‌ ‌‌‌इस लेख मे हम जानेंगे कि नागालैंड में आदमी कैसे काटते हैं और इंसानी सर काटने वाले नागाओं के बारे मे ।नागालैंड भारत का एक राज्य है और इसके बारे मे हम सभी जानते हैं। यहां के लोगों के बारे मे यह कहा जाता है कि यह बहुत अधिक डेंजर होते हैं।या यह बहुत ही अच्छे शिकारी होते हैं। जंगलों के अंदर लंबे समय से रहने की वजह से आज भी इनके अंदर निडरता जैसी चीजें मौजूद हैं। नागालैण्ड भारत का एक उत्तर पूर्वी राज्य है।

इसकी राजधानी कोहिमा है, जबकि दीमापुर राज्य का सबसे बड़ा नगर है। नागालैण्ड की सीमा पश्चिम में असम से, उत्तर में अरुणाचल प्रदेश से, पूर्व मे बर्मा से और दक्षिण मे मणिपुर से टच करती है। ‌‌‌आपको बतादें कि नागालैंड के नाम से आज भी लोग डरते हैं। नागा लोगों का खौफ आज भी लोगों के दिलों मे मौजूद है।कई लोगों ने अपने अनुभव शैयर करते हुए लिखा कि नागा लोग जंगली होते हैं और वे हमारी तरह कायर नहीं होते हैं। मारना और काट देना उनके लिए बहुत ही आम है।

‌‌‌नागालैंड का एक जिला है जिसका नाम है मोन जिला यह भारत-म्यंमार सीमा पर पड़ता है। वैसे यह एक पहाड़ी इलाका है और यहां पर कोनियाक आदिवासी रहते हैं जिनको हेडहंटर्स कहा जाता है।कोनियाक आदिवासियों के बारे मे यह कहा जात है कि यह सिर काटने के लिए काफी मसहूर हैं। इस काम के अंदर इनको पीढ़ियों से  ‌‌‌ महारत हाशिल है।

नागालैंड में आदमी कैसे काटते हैं

‌‌‌एक ही वार के अंदर सिर धड़ से अलग कर देते हैं

कोनियाक आदिवासियों के बारे मे यह कहा जाता है।कि वे एक ही वार से इंसानी सिर को उसके धड़ से अलग कर देते हैं। और इसके लिए वे अपने पास एक भाला रखते हैं। दुश्मन का सिर अलग करने मे इनको बेहद ही अच्छा लगता है।

‌‌‌दरवाजे पर लटकाते है। इंसानी सर

हालांकि अब इस प्रथा को बंद किया जा चुका है। लेकिन पहले जो कोनियाक आदिवासी जितने सिर काटता था उन सभी को दरवाजे के उपर लटका देता था। और जिसके घर के आगे जितने सिर टंग होते थे वह उतना ही बाहदूर समझा जाता था। ‌‌‌हालांकि सरकार के प्रतिबंधों की वजह से अब नागा ऐसा नहीं करते हैं लेकिन जब कोई उनसे इस बारे मे पूछता है तो वे अपनी बाहदूरी का बखान अवश्य ही करते हैं।

‌‌‌दीवार पर टांगी जाती हैं हजारों खोपड़िया

जैसा कि आपको पता ही होगा कि नागा लोग योद्धा हुआ करते थे और वे शिकार करना खासतौर पर पसंद करते हैं। इस वजह से उनके घरों के अंदर आज भी हजारो खोपड़ी टंगी होती हैं। हालांकि अब इंसानी खोपड़ियों को हटा दिया गया है लेकिन जानवरों की खोपड़ियां इस बात का  ‌‌‌प्रमाण हैं कि कौनासा नागा कितना बड़ा शिकारी है।

‌‌‌दुश्मनों का सिर काट कर लाने पर होता है भारी स्वागत

नागाओं के अंदर अपने दुश्मनों का सिर काट कर लाने की प्रथा बहुत अधिक प्राचीन थी। इस प्रथा के अंदर आदिवासी नागा लड़कों को दुश्मन का सिर काटने के लिए भेजा जाता था और यदि वह दुश्मन का सिर काट कर लेकर आता था तो उसका बहुत अधिक स्वागत ‌‌‌ किया जाता था। इस दौरान बकरी की बलि भी दी जाती थी। ‌‌‌हालांकि इस प्रकार की प्रथाएं अब नहीं रही हैं।लेकिन फिर भी नागा लोग अपने पूर्व के किये गए कारनामों के बारे मे दूसरे लोगों को बताकर खुश होते हैं।

‌‌‌खूबसूरत लड़की से शादी करने से पहले साबित करनी होती है अपनी बाहदूरी

नागाओं के अंदर भी यह परम्परा है कि यदि कोई नागा किसी खूबसूरत लड़की से विवाह करना चाहता है तो उसे पहले अपनी बाहदूरी साबित करनी होती है। इसके लिए उसको दुश्मन कबिलों के पास लड़ने के लिए भेजा जाता है। और यदि वह दुश्मन का ‌‌‌सर काट कर ले आता है तो उसे बाहदूर समझा जाता है।

1970 के बाद हैड हंटिग नही हुई है

जैसा कि हमने आपको बताया सिरकाटने की परम्परा अब बंद हो चुकी है लेकिन यहां के लोग इससे खुश है लेकिन सभ्यता के अंदर बदलाव के साथ यह बंद होना भी बेहद जरूरी था।

‌‌‌खुद वाये जाते हैं टेटू

यदि गांव का कोई नोजवान सिर काट कर लाता था तो उसके स्वागत के लिए याक और भैंस की बलि दी जाती थी। इतना ही नहीं उसे एक अच्छा शिकारी माना जाता था और उसके चेहरे पर टेटू की खुदाई की जाती थी। टेटू की खुदाई गांव की महिलाएं करती थी जोकि इस कला के अंदर निपुर्ण थी। ‌‌‌हालांकि टेटू बनाने मे भी काफी समय लग सकता है। कुछ टेटू तो कम समय के अंदर ही बन जाते थे जबकि कुछ टेटू को बनाने मे काफी समय लग जाता है।

‌‌‌लुप्त होती नागाओं की टेटू कला

जैसा कि आपको पता होगा कि नागाओं के अंदर टेटू बनाने की परम्परा है और टेटू बनाने के लिए एक निपूर्ण महिला की आवश्यकता होती है। समय के साथ टेटू कला को यह लोग आगे ट्रांसफर नहीं कर पाए । जिसका परिणाम यह हो रहा है कि यह कला भी लुप्त होने के कगार पर है।

कोनियाक आदिवासी समुदाय में एक महिला टेटू आर्टिस्ट ने बताया कि वही एक मात्र महिला बची है जो टेटू बना सकती है। उसने यह टेटू बनाने की कला अपने परिवार से ही सीखी थी। हमारे यहां पर टेटू बनाने की कला परिवार से बाहर नहीं सिखाई जाती है। ‌‌‌यहां पर कुछ महिलाएं थी जो पहले टेटू बनाया करती थी लेकिन उनकी मौत हो गई है। हालांकि टेटू बनाने मे दर्द झेलना पड़ता है लेकिन यह एक संस्क्रति का हिस्सा है।

‌‌‌बड़े शिकारी को दिया जाता था  हैड हंटर्स  का दर्जा

‌‌‌बड़े शिकारी को दिया जाता था  हैड हंटर्स  का दर्जा

आपको बतादें कि नागाओं के अंदर जो नागा जितना अधिक बाहदुर होता था। उसको हैड हंटर्स का दर्जा दिया जाता था और दूसरे लोग उनको समान से देखते थे । किसी के घर के आगे टंगी इंसानी खोपड़ी से यह अंदाजा लगाया जा सकता था कि कौन कितना मान्य शिकारी है ‌‌‌ इतना सब कुछ बदलने के बाद भी हैडहंटर्स को सम्मान की नजर से देखा जाता है।

कोनियाक नर मुंडो की माला पहना करते थे

कोनियाक नागा पहले नर मुंडो की माला पहना करते थे । हालांकि आज यह लोग पितल के नर मुंडो की माला पहनते हैं। और यदि कोई इनसे पूछता है तो यह अपने युद्ध की कला के बारे मे बताने लग जाते हैं। इतना ही नहीं अपना भाला और ढाल दिखाते हैं।

‌‌‌हडियों से घर को सजाया जाता है

आपको बतादें कि नागा लोग अपने गले के अंदर भी हाथी दांत की माला पहनते हैं। और इनके घर बांस से बने होते हैं। जिनके अंदर अलग अलग जानवरों की हडियां भी लगी होती हैं। ‌‌‌इनके घर के अंदर रहने खाने और पीने के लिए अलग अलग जगह होती है।रसोई घर को यह कमरे की तरह इस्तेमाल करते हैं । जब किसी जानवर को मार कर लाया जाता है तो उसे यहीं पर एक साथ बैठ कर पकाया जाता है और उसके बाद उसे खाया जाता है।

‌‌‌जमीन के लिए भी काट दिये जाते थे सर

नागालैंड में आदमी कैसे काटते हैं ? तो जमीन के लिए यहां के लोग दूसरे कबिले के लोगों के सर काट देते थे । कोयांक आदिवासियों के गांव पहाड़ी की चोटी के उपर होते थे । इससे वह आसानी से किसी पर भी नजर रख सकते थे। यदि कोई इनके ईलाके के अंदर घुसबैठ करने की कोशिश ‌‌‌ करता तो यह लोग उसका सर काट देते थे । हालांकि यहां पर मुख्या प्रथा है। एक व्यक्ति 4 से 5 गांवों का मुख्या होता था और वह कई पत्नी रख सकता था। और उसके कई बच्चे भी होते थे ।

‌‌‌नागा लोग नरभक्षी नहीं हैं

आपको बतादें कि नागा लोग सिर्फ जानवरों का मांस खाते हैं। इंसानों का मांस नहीं खाते हैं। यह पहले अपने दुश्मनों का शिकार किया करते थे । यह नरभक्षी नहीं हैं। हालांकि अब नागालैंड ईलाके के अंदर पर्यटन खुल चुका है और बहुत से लोग नागालैंड को देखने के लिए जाते हैं।

‌‌‌जैसा कि आपको पता होगा कि नागालैंड के लोग काफी डेंजर होते हैं यहां तक की आर्मी भी उनसे पंगा लेने से कतराती है। जब भारत के अंदर अंग्रेज आए थे तो उन्होंने नागालैंड के अंदर अपनी एक छावनी बनाई । नागालैंड के संसाधनों पर कब्जा करने के लिए काफी प्रयास किये थे । नागालैंड के लोगों के कबिले हुआ करते थे और हर कबिले के अंदर खास योद्धा होता था। जिसका कार्य ही अपने कबिले की रक्षा करना होता था।एक कबिले से दूसरा कबिला झगड़ता था और उसके क्षेत्र पर कब्जा कर लेता था। ‌‌‌जो शक्तिशाली कबिले हुआ करते थे उनसे सभी से दूसरे कबिले खौंफ खाते थे।

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‌‌‌वैसे देखा जाए तो संघर्ष नागाओं के जीवन का हिस्सा है। यही वजह है कि वे बहुत अधिक खुंखार होते हैं।

नागालैंड में आदमी कैसे काटते हैं लेख आपको कैसा लगा ? यदि आपका कोई सवाल है तो नीचे कमेंट करके बताएं ।

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arif khan

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