duniya ka sabse purana computer world oldest computer

क्या आप जानते हैं दुनिया के duniya ka sabse purana computer के बारे मे । यदि आप duniya ka sabse purana computer के बारे मे जानने के इच्छुक हैं तो यह लेख आपके लिए ही है। दोस्तों आज हम जिस कम्प्यूटर का इस्तेमाल कर रहे हैं। वह बहुत बाद मे आया है। ‌‌‌रिसर्च बताते हैं कि कम्प्यूटर आज से 2000 साल पहले से ही मौजूद था। जोकि सच है लेकिन उस समय का कम्प्यूटर आज की तरह का नहीं था। वह केवल सीमित कार्य करने मे सक्षम था। आज हम कम्प्यूटर की मदद से लगभग सारे काम कर सकते हैं।


(based on copyright claims)., CC BY 2.5, Link

और हमारे हर घर के अंदर कम्प्यूटर मिल भी जाएगा । लेकिन तब ऐसा नहीं था। कम्प्यूटर आम जनता के लिए उपयोग मे नहीं थे । क्योंकि इनको चलाना काफी कठिन था। खास कर इसकी कमाड़ को हर कोई याद नहीं रख सकता था। ‌‌‌यही वजह थी कि लोग इसका प्रयोग नहीं कर पाते थे । और इसका प्रयोग वैज्ञानिक ही करते थे । ‌‌‌दूसरी बात यह थी कि यह बिकने के लिए नहीं बनाए जाते थे ।

duniya ka sabse purana computer

duniya ka sabse purana computer ‌‌‌एक प्राचीन ग्रीक ऍनालॉग कम्प्यूटर है जिसका प्रयोग कंलैंडर और ज्योतिषिय उदेश्य के लिए किया जाता था।इसका प्रयोग ऐथिलिटिक खेलों के चार साल के चक्र को ट्रेक करने के लिए भी किया जा सकता था। ‌‌‌ Antikythera mechanism के नाम से दुनिया के duniya ka sabse purana computer को जाना जाता है। यह काफी साल पहले खो गया था। पुरातत्व विभाग ने  1901 के अंदर एक समुद्र के अंदर से इसको खोज निकाला था।मलबे के बीच ग्रीक द्वीप एंटीकाइथेरा के अंदर मिला था।ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण 100 ईसा पुर्व ग्रीक वैज्ञानिकों ने किया था।

लकड़ी के बक्से में 34 सेमी × 18 सेमी × 9 सेमी के अवशेष को एक गांठ के रूप मे मिले हैं।जिसको बाद मे तीन टुकड़ों के अंदर विभाजित  किया गया था। और अब यह 82 अलग अलग टुकड़ों के अंदर विभाजित किया गया है। ‌‌‌ऐसा माना जाता है कि इसका प्रयोग 2 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में रोड्स के खगोलशास्त्री हिप्पार्कस ने किया था।बाद मे यह खो गया था। और इसका विकास फिर से नहीं हो सका था।चौदहवीं शताब्दी में यांत्रिक खगोलीय घड़ियों के विकास के बाद इनका प्रयोग गणनाओं के अंदर होने लगा था। एंटीकाइथेरा कम्प्यूटर के सभी ज्ञात अंशों को एथेंस में राष्ट्रीय पुरातत्व संग्रहालय में रखा गया है।

‌‌‌दुनिया के सबसे पुराने कम्प्यूटर एंटीकेथेरा की खोज

कैप्टन दिमित्रिओस कांटोस और सिमी द्वीप के स्पंज गोताखोरों के दल ने 1900 के वसंत के दौरान एंटीकाइथेरा जहाज़ की खोज की थी।1900-1901 में हेलेनिक रॉयल नेवी के साथ पहले अभियान के दौरान भी कलाकृतियों को बरामद किया गया था। एक रोमन मालवाहक जहाज का यह मलबा अंटीकेथेरा के ग्रीक द्वीप से 45 मीटर दूर प्वाइंट ग्लाइफेडिया के अंदर मिला था।टीम ने कांस्य और संगमरमर की मूर्तियों, मिट्टी के बर्तनों, अद्वितीय कांच के बने पदार्थ, आभूषण, सिक्के जैसी चीजों को दुबारा प्राप्त किया था।

ऐसा माना जा रहा था कि जूलियस सीज़र ने लूटे हुए खजाने के साथ इस जहाज को ले जाया जा रहा था।जो संभव है किसी हादसे का शिकार हो गया हो । एथेंस में पुरातत्व के राष्ट्रीय संग्रहालय के अंदर यहां पर मिली सभी चीजों को रख दिया गया । दो साल तक उन चीजों पर किसी का ध्यान नहीं गया ।उसके बाद 17 मई 1902 को पुरातत्वविद वेलेरियोस स्टैस ने एक चटटान के अंदर एक गियर लगा हुआ देखा। उन्हें शूरू के अंदर यह माना की यह एक खगोलिय घड़ी थी।

1951 में ब्रिटिश विज्ञान इतिहासकार और येल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डेरेक जे ने इसकी जांच की ।उसके बाद ग्रीक परमाणु भौतिक विज्ञानी चारलाम्पोस कारकलोस ने 82 टुकड़ों के एक्स-रे और गामा-रे चित्र बनाए। मूल्य ने 1974 में एक रिसर्च पेपर प्रकाशित किया ।

2012 और 2015 में एंटीकाइथ्रा के मलबे के पास मे ही दो अन्य वस्तुओं की खोज की गई थी।यह एक एक कांस्य डिस्क थी और ऐसा माना जाता है कि यह एक एंटीकाइथ्रा का हिस्सा हो सकती है।हालांकि इसकी बहुत कम संभावना है।

  • ‌‌‌दुनिया का सबसे पुराना कम्प्यूटर पहली  नजर के अंदर एक पितल के टुकड़े जैसा दिखता है। और इसके साथ सड़े हुए पितल के गियर का एक सेट होता है।
  • इसके अंदर एक दर्जन से अधिक गियरों का प्रयोग किया गया था। जो काफी सटीकता से जुड़े थे ।
  • ‌‌‌वैज्ञानिकों को दशकों तक इस बात का पता नहीं चल सका की यह किस के लिए बनाया गया था। यह एक बहस का विषय रहा था।हालांकि वे इतना ही जानते थे कि यह यंत्र कोई घड़ी हो सकता है।
  • ‌‌‌इस कम्प्यूटर की मदद से आप जटिल गणनाओं का अनुमान गियर की मदद से करते हैं। यह एक एनॉलाग कम्प्यूटर था। जो उबाउ गणना को को करने का एक आसान रास्ता देता है।

आज कंप्यूटरों की प्रोग्रामिंग डिजिटल कोड में लिखी जाती है। लेकिन इस प्राचीन कम्प्यूटर के अंदर इसका कोड इसके गियर के अनुपात मे लिखा जाता था।उपयोग कर्ताओं को गियर पर एक प्रमुख तिथि को दर्ज करना होता था। उसके बाद आगे की गणना यह अपने आप कर देता था।

‌‌‌सन 2000 ई के अंदर कुछ रिसर्च कर्ताओं ने एक विशेष निर्देशन का खुलासा किया ।जोकि इस यंत्र के उपर लिखा हुआ था।जिसको पहले कभी नहीं देखा गया था।जैसे कि इस मशीन को किस तरीके से चलाना है आदि के बारे मे ग्रीक के अंदर कुछ लिखा हुआ था। ‌‌‌जिसकी वजह से वैज्ञानिक इस यंत्र को अच्छे से समझ पाये थे ।

‌‌‌इस यंत्र के अंदर कई डायल होते हैं। जो सूर्य और चंद्रमा की चाल को मापने का काम करते हैं। जो सभी एक क्रैंक के द्वारा नियंत्रित होते हैं। ‌‌‌वैसें देखा जाए तो वैज्ञानिकों को अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि प्राचीन यूनानी लोग इस तरीके के जटिल यंत्रों का प्रयोग भी करते थे ।और प्राचीन यूनानी लोगों के प्रति हमारी समझ को भी इस खेाज ने प्रभावित किया था। ऐसा माना जाने लगा है की यूनानी लोग भी पतन से पहले हमारी सभ्यता के करीब आ चुके थे।

‌‌‌दोस्तों duniya ka sabse purana computer  के बारे मे आपकी क्या राय है कमेंट करके हमे बताएं ।

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This post was last modified on May 23, 2019

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