भोजपत्र के बारे मे जानकारी ,उपयोंग और फायदे

bhojpatra kya hota hai  भोजपत्र क्या होता है ?इस लेख मे हम भोजपत्र के बारे मे जानेगे।‌‌‌अक्सर आपने भोजपत्र का नाम सुना ही होगा । जो लोग प्राचीन वशीकरण और तंत्र के अंदर रूचि रखते हैं। उनको पता ही होगा कि भोजपत्र क्या होता है ?लेकिन यदि कोई नया नया इंसान वशीकरण वैगरह के बारे मे पढ़ता है तो वह बहुत सी चीजों को लेकर कन्फयूज हो जाता है जिसके अंदर एक है भोजपत्र । पहले मेरे साथ ‌‌‌भी ऐसा ही हो चुका है।

‌‌‌भोजपत्र को अंग्रेजी मे ‌‌Betula utilis के नाम से जाना जाता है। यह हिमालय के अंदर उगने वाला एक वृक्ष है।यह  4,500 m की उंचाई पर उगता है।इसकी छाल सफेद रंग की होती है जिसका प्रयोग ग्रंथों को रचने मे प्राचीन काल मे किया गया था।प्राचीन पांडुलिपियों की बात करें तो उनको भोजपत्र पर लिखा गया था क्योंकि उस समय कागज का आविष्कार नहीं हुआ था।भोजपत्र की सबसे बड़ी खास बात तो यह है कि इस पर लिखा हुआ हजारों सालों तक सुरक्षित रहता है।‌‌‌भारत के अंदर अनेक ग्रंथ भोजपत्र पर ही लिखे गए थे ।

  • ‌‌‌हमारे भारत के अंदर प्राचीन संग्राहलय के अंदर पांडुलिपियां रखी हुई हैं जिनको भोजपत्र पर ही लिखा गया है।
  • ‌‌‌कालीदास ने अपनी रचना कुमार संभवम के अंदर भोजपत्र को वस़्त्र के रूप मे उपयोग करने के बारे मे सूचना दी है।
  • रूस के अंदर भोजपत्र का प्रयोग कागजी मुद्रा और सजावट के अंदर किया जाता था।
  • सुश्रुत एवं वराद मिहिर ने भी अपनी रचनाओं के अंदर भोजपत्र का उल्लेख किया है।
  • भोजपत्र का उपयोग काश्मीर में पार्सल लपेटने में और हुक्कों के लचीले पाइप बनाने में भी किया जाता था।
  • भोजपत्र पर वर्तमान मे कई यंत्र लिखे जाते हैं।
  • ‌‌‌इसकी  छाल में एक आवश्यक तेल और बेटुलिन होता है।

bhojpatra kya hota hai ‌‌‌ भोजपत्र क्या होता है

‌‌‌भोजपत्र वृक्ष की छाल का नाम होता है। पत्ते का नाम नहीं है।‌‌‌भोजपत्र वृक्ष की छाल का प्रयोग प्राचीन काल से ही कागज के रूप मे किया जाता है। यह हिमालय के अंदर 4,500 मीटर की उंचाई पर देखने को मिलता है। और 20 मीटर तक बढ़ता है। भूर्ज या बहुवल्कल जैसे शब्दों के रूप मे इनको संस्कृत के अंदर कहा जाता है।बेटूला यूटिलिस  भी इसको कहा जाता है।

bhojpatra kya hota hai

‌‌‌इस वृक्ष के पत्ते छोटे होते हैं और वृक्ष पर शहतूत जैसी नर और मादा रचनाएं देखने को मिलती हैं इनको मंजरी के नाम से जाना जाता है।भोजपत्र वृक्ष की छाल पतली और कागज की तरह दिखती है। ‌‌‌यह छाल खराब नहीं होती है क्योंकि इसके अंदर रेजिनयुक्त तेल पाया जाता है।भोजपत्र की छाल एक दम से चिकनी होती है। जिस पर आसानी से लिखा जा सकता है। जबकि इमली, पीपल, बरगद  आदि की वृक्ष की छाल खुदरी होती है जिस पर लिखना संभव नहीं है। ‌‌‌भोजपत्र की छाल किचनी होती है और इसके अंदर रेशे होते हैं।भोजपत्र अम्लीय मिट्टी के अंदर अच्छी तरह से पनपते हैं। ‌‌‌भोजपत्र से सिर्फ कागज ही नहीं मिलता है। वरन इससे अच्छे रंग की लकड़ी भी मिलती है। उत्तराखंड में गंगोत्री के रास्ते में 14 किलोमीटर पहले भोजवासा नामक एक स्थान आता है। यहां पर पहले भोजपत्र बहुत हुआ करते थे लेकिन आज बहुत ही कम भोज बच्चे हैं। और अब तो यह वृक्ष विलुप्त होने के कगार पर आ खड़ा हुआ है।

‌‌‌जब उच्च हिमालय के क्षत्रों के अंदर कावडिया वैगरह आते हैं तो वे भोजपत्र को अपने साथ ले जाते हैं जो इसके विलुप्त होने का सबसे बड़ा कारण रहा है। ‌‌‌वर्तमान मे वन विभाग इस वृक्ष को बचाने के लिए काफी प्रयास कर रहा है लेकिन इसके अंदर अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है।संभव है आने वाले समय मे यह वृक्ष विलुप्त हो जाए।गोमुख से भोजपत्र व भोज छड़ी अति शुभ मानी जाती है। और हर महिने यहां से 5000 के करीब यात्री गुजरते हैं। हालांकि सभी पर वन विभाग की नजर बनी हुई है।भोजपत्र को बचाने के लिए सेव भोजपत्र आंदोलन भी चलाया गया था। और भोजपत्र के चारो ओर कंटिली तारों की बाड को भी लगाया गया है।

‌‌‌भोजपत्र कहां से खरीद सकते हैं ?

यदि आप तंत्र मंत्र और दूसरे किसी कार्य के लिए भोजपत्र खरीदने के बारे मे विचार कर रहे हैं तो आप ऑनलाइन इसको खरीद सकते हैं । अमेजन पर भोजपत्र आसानी से मिल जाता है।

‌‌‌भोजपत्र के टोटके

जैसा कि हमने आपको उपर बताया भोजपत्र का प्रयोग अनेक  प्रकार की तांत्रिक क्रियाओं के अंदर होता है। और वशीकरण के अंदर इसका खास प्रयोग होता है। भोजपत्र पर यंत्र लिखे जाते हैं। आइए जानते हैं भोजपत्र से जुड़े हुए । कुछ टोटकों के बारे मे ।

  • ‌‌‌एक साफ और सुथरा भोजपत्र लें और उसके बाद उसके पर चंदन और पानी की मदद से श्रीं लिखदें और फिर इसको तिजोरी के अंदर रखदें । ऐसा करने से धन की बढ़ोतरी होने लग जाती है।
  • ‌‌‌यदि किसी ने आपका पैसा ले रखा है और पैसा लौटा नहीं रहा है तो आपको एक भोजपत्र लेना है और उसके उपर कपूर को जलाकर उससे उस व्यक्ति का नाम लिखना है जो पैसा नहीं दे रहा है तो ऐसा करने से रूका हुआ पैसा वापस आ जाएगा ।
  • ‌‌‌यदि कोई किरायेदार आपका मकान खाली नहीं कर रहा है तो भोजपत्र पर लालचंदन से नाम लिखें और उसके बाद इसको शहद के अंदर डूबो कर रखदें । यह प्रयोग काली अमावश्या की रात को ही करना चाहिए ।
  • ‌‌‌यदि आप किसी से प्यार करते हैं और आप उसके दिल मे अपनी जगह बनाना चाहते हैं तो यह भोजपत्र का टोटका प्रयोग कर सकते हैं।भगवान श्रीकृष्ण का नाम लेकर भोजपत्र पर अपने प्रेमी का नाम लिखदें और इसको एक शहद से भरी शीशी के अंदर दबा कर रखदें । जब भी इस शीशी पर नजर पड़े प्यार भरा स्पर्श इसको करते रहें ।
  • ‌‌‌यदि किसी महिला का पति किसी दूसरी स्त्री के चक्कर के अंदर फंस गया है तो आपको चाहिए कि सुबह स्नान करके बैठ जाएं और अपने अनामिका के रक्त से भोजपत्र पर मंत्र को लिखें उसके बाद मंत्र का 108 बार जाप करें । उसके बाद इस भोजपत्र को शहद के अंदर डूबो कर कहीं पर भी रखदें । उसके बाद कुछ ही दिनों  ‌‌‌ के अंदर आपका पति सिर्फ आपका ही होकर रह जाएगा ।ॐ नमः अदि पुरुषायः अमुकं कुरु कुरु स्वाहः
  • ‌‌‌भोजपत्र की मदद से आकर्षण भी होता है। नीचे दिये गए मंत्र को भोजपत्र पर लिखलें और एक लाख बार जपने के बाद अपने हाथ मे बांध लें । आपके अंदर आकर्षण शक्ति पैदा हो जाएगी । यह बहुत ही अच्छा प्रयोग है।‌‌‌इसको सिर्फ पुष्य नक्षत्र के अंदर ही प्रयोग करना होगा ।ॐ नमहः सर्व लोकः वशं करायः कुरु कुरु स्वाहः
  • ‌‌‌किसी को आकर्षित करने के लिए भी भोजपत्र का प्रयोग किया जा सकता है।शनिवार की रात को आकर्षण प्रयोग करें और एक बर्तन के अंदर सिद्ध गुटिका रखें और उसके बाद उसके सामने भोजपत्र रख देना चाहिए ।‌‌‌उसके बाद उसके उपर केसर और कुमकुम मिलाकर एक यंत्र बना लेना चाहिए ।फिर पूजा करें । मंत्र को अधिक से अधिक बार जपें। उसके बाद  भोजपत्र को चांदी के आमुलेट में बंद कर दे और उसे अपने गले में डाल ले, फिर उस वशीकरण गुटिका को अपने घर में  एक सन्दुक में डाल दे।-ॐ अमुंक वेगेन आकर्षण मणिभद्राये स्वाह
  • ‌‌‌व्यापार बंध को दूर करने के लिए भोजपत्र के टोटके का प्रयोग किया जाता है जो इसप्रकार होता है।रात में अपने पास भोजपत्र, दो हरे नीबूं, चाकू, फूल वाली चार लौंग, भोजपत्र और काली स्याही वाला पेन अपने पास रखें और सो जाएं । उसके बाद सूर्योदय से पहले उठ जाएं ।‌‌‌उसके बाद बिस्तर से नीचे ना उतरे जिस किसी के उपर आपको व्यापार बांधने का शक है उसे तीन गालियां दें। फिर भोजपत्र पर उस व्यक्ति का नाम लिखें ।उसके बाद उस व्यक्ति को कभी गाली ना दें । और ना ही किसी प्रकार की उससे शत्रुता ही रखें ।‌‌‌उसके बाद नींबू को दो टुकड़ों के अंदर कांट लें फिर दोनों के अंदर एक एक लौंग चुभो दें ।उसके बाद श्मसान मे जाएं और नींबू के टुकड़ों को चारो दिशाओं मे फेंक दें और भोजपत्र को पीपल के पेड़ के नीचे दबा दें ।श्मसान से घर आते समय कुछ सिक्के गिरादें ।
  • ‌‌‌यदि आप एक महिला हैं और आपको यह लगता है कि आपके पति का आपके प्रति रूझान कम हो गया है तो यह प्रयोग कर सकते हैं। यह प्रयोग करवाचौथ के दिन ही करना होता है। एक भोजपत्र पर उस महिला का नाम लिखें जिसके प्रति आपका पति आकर्षित है। उसके बाद ‌‌‌उसके बाद उस भोजपत्र के उपर 3 गोलियां कपूर की रखकर जलादें । ऐसा करने से आपकी समस्या का समाधान हो जाएगा । इसके अलावा बेसन के लड्डू, आटे और चीनी से बने 5 पेड़े, 5 केले, 250 ग्राम चने की दाल को गाय को अवश्य ही खिलादें । और प्रार्थना करें कि आप दोनों के बीच प्रेम हमेशा बना रहे ।

‌‌‌भोजपत्र का अन्य भाषाओं के अंदर नाम

‌‌‌भोजपत्र का अन्य भाषाओं के अंदर नाम
By J.M.Garg – अपना काम, CC BY-SA 3.0,wik
  • सामान्य नाम: भोज पत्र वृक्ष, हिमालयन सिल्वर बर्च
  •      हिंदी: भोजपत्र भोज पत्र
  •       तमिल: भूर्जमराम, पूर्वाचल
  •       मलयालम: भुजपतराम, भूर्जमराम
  •       तेलुगु: भुजपावतमा
  •       कन्नड़: भुरजा मारा
  •       संस्कृत: बाहुलवल्कल्लाह, बहुपता, भूर्जपात्रका

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भोजपत्र का उपयोग कई प्रकार की दवाओं के निर्माण मे किया जाता है। खासकर आयुर्वेदिक दवाओं को बनाने मे इसका प्रयोग प्रमुखता से होता है।‌‌‌इसकी छाल का प्रयोग काढ़ा बनाने और पाउडर के रूप मे किया जाता है।‌‌‌चरक सहिंता के अंदर भोजपत्र के अनेक उपयोग दिये गए ।

  • ‌‌‌यदि कान के अंदर मवाद आता है तो भोजपत्र की छाल का प्रयोग किया जाता है। जिससे मवाद और दर्द दूर हो जाता है।
  • ‌‌‌भोजपत्र की छाल का क्वाथ  बनाएं और उसके बाद पीने से बुखार के अंदर लाभ होता है।
  • भोजपत्र वृक्ष की गाँठ, लहसुन, शिरीषत्वक्, वचा, गुगल के अंदर सरसों का तेल मिलाकर कुष्ठ रोगियों को मालिस करने से लाभ होता है।
  • भोजपत्र वृक्ष की गाँठ, कासीस, त्रिवृत् और गूगल को पीस कर लगाने से घाव जल्दी ही भर जाता है।
  • जौ, घृत, भोजपत्र, मदनफल, गन्धविरोजा तथा देवदारु का धूप देने से वातावरण अच्छा होता है।
  • यह जड़ी बूटी जहर के प्रभाव को कम करती है ।
  • यह नाक के रक्त स्त्राव को रोकने मे उपयोगी होता है।
  • दस्त को रोकने मे भी उपयोगी है।
  • यह कफ रोगों, कान के रोगों, पित्त और रसतज के लिए उपयोगी है।
  • स्वाद में भोजपत्र कसैला होता है, यह जहर के प्रभाव को कम करता है
  • मेलेनोमा के उपचार मे भोजपत्र का उपयोग अच्छा है। अमेरिका के अंदर हुए रिसर्च मे पाया गया कि हिमालय सिल्वर बर्च की छाल जिसमें बेटुलिनिक एसिड होता है जो मेलेनोमा के अंदर उपयोगी है।
  • ‌‌‌भोजपत्र का उपयोग किडनी के ईलाज के लिए भी किया जाता है।
  • हिमालयन सिल्वर बर्च में एंटी-इंफ्लेमेटरी होता है   गुण जो दर्द और सूजन को कम करने का काम करता है।
  • बोटुलिन युक्त छाल को प्रजनन-विरोधी होती है।
  • मोटापा के उपचार के लिए भोजपत्र का उपयोग किया जाता है।
  • ‌‌‌इसके अलावा भोजपत्र की छाल को शुभ माना जाता है। इस वजह से इसका प्रयोग नगेटिव उर्जा से सुरक्षा के लिए भी किया जाता है।

                                              ‌‌‌भोजपत्र क्या होता है ? bhojpatra kya hota hai ? लेख के अंदर हमने जाना कि भोजपत्र के उपयोग और इसको हम कहां से खरीद सकते हैं। उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा । यदि आपका कोई विचार है तो नीचे कमेंट करके हमे बता सकते हैं।

This Post Has One Comment

  1. Marut chawla

    भोजपत्र पर गहरे रंग के हिस्से पर लिखते हैं या हल्के रंग वाले हिस्से पर लिखा जाता है

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arif khan

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