बन्दर के दिल होता है कि नहीं ? बंदर के कलेजे की सुंदर कहानी

‌‌‌दोस्तों यह बंदर की एक प्राचीन कहानी है।बन्दर के दिल होता है कि नहीं ? ‌‌‌या बंदर के कलेजा होता है कि नहीं ?

 वैसे आपको बतादें कि बंदर के अंदर दिल होता है। बंदर कोई दिल रहित नहीं होता है। जिस तरह से हमारे सीने के अंदर दिल धड़कता है । ठीक उसी प्रकार से बंदर के अंदर भी दिल होता है। जो उनके पूरे शरीर के अंदर खून भेजने का काम करता ‌‌‌ है। यदि यह दिल बंद हो जाता है तो फिर बंदर की मौत हो जाती है।

‌‌‌क्या बंदर के सीने मे दिल होता है या नहीं ?

दोस्तों आपको बतादें कि बंदर के सीने के अंदर दिल होता है। बिना दिल के कोई भी बंदर नहीं होता है। आप इस बात को समझ सकते हैं। और इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। ‌‌‌बंदर के सीने मे दिल भी इंसानी दिल की तरह ही होता है। और वह इंसानी दिल की तरह की बंदर के शरीर के अंदर खून की सप्लाई करने का काम करता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । वैसे इस कहानी के अंदर तो ऐसे ही बताया गया है। यह कहानी आमतौर पर कल्पना पर आधारित होती हैं।

‌‌‌इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा । आप इस बात को समझ सकते हैं। बंदर के सीने मे दिल को बंदर भूल गया था । इस बात को कहकर बंदर ने मगरमच्छ को बेवकूफ बनादिया था । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं।

बन्दर के दिल होता है कि नहीं

बन्दर के दिल होता है कि नहीं ‌‌‌कहानी bandar ka kaleja hota hai ki nahi

‌‌‌प्राचीन काल की बात है कि एक नदी के किनारे एक पेड़ था और उस पेड़ के उपर एक बंदर रहता था। वह बंदर वहां पर अकेला ही रहता था। उसके मां बाप ,बहन का कोई पता नहीं था। यह एक बैर का पेड़ था और उसके उपर मीठे बैर लगे हुए थे । बंदर दिन भर आराम से बैर खाता और पेड़ पर उछल कूद करता था।

‌‌‌बंदर अपनी दुनिया के अंदर बहुत अधिक खुश था और उसे वहां पर किसी भी प्रकार की कोई कमी भी नहीं थी।एक दिन उसने नदी के अंदर एक विशाल जीव को तैरते देखा ।उसने आज से पहले ऐसा जीव कहीं पर नहीं देखा था। ‌‌‌वह जीव पेड़ पर बैठे बंदर को देखकर उसके पास आ गया। बंदर बोला

…… अरे भाई तुम कौन हो ?

………मैं मगरमच्छ हूं और इस बार नदी के अंदर एक भी मछली नहीं है। इस वजह से भूखा मर रहा हूं । ‌‌‌और मच्छली की तलास करते करते इधर आ गया हूं ।

‌‌‌उसके बाद बंदर को उस मगरमच्छ पर दया आ गई और फिर उसने मगरमच्छ की तरफ एक फल तोड़कर फेंका। उसने खाया तो वह काफी स्वादिष्ट और रसीला फल था। उसके बाद बंदर ने कई सारे फल मगरमच्छ को दिये । उसने सब फलो को खाया और डकार लेते हुए बोला ……… ‌‌‌बहुत बढ़िया बंदर भाई ,मैं आपका शुक्रगुजार हूं ।

…… ठीक है भाई तुम कल और आ जाना । बंदर ने कहा था।

‌‌‌उसके बाद दूसरे दिन मगरमच्छ फिर आया और बंदर ने उसको मीठे मीठे बैर खिलाए ।उसके बाद तो मगर और बंदर को दोस्ती बहुत अच्छी हो गई। मंदर भी अकेला ही रहता था तो मगर के आने की वजह से दोनो गपशप करते थे और टाइम भी कट जाता था। इसके अलावा दोनो मजाक भी कर लिया करते थे ।

‌‌‌एक दिन बातो ही बातों के अंदर पत्ता चला कि मगरमच्छ का घर नदी के उस पार है और वहां पर मगरमच्छ की पत्नी भी रहती है तो बंदर बोला ……..क्योंरे भाई अपने कभी भाभीजी के बारे मे बताया नहीं ।मैं उनके लिए भी मजेदार फल भेज देता ।

‌‌‌उस दिन बंदर ने बहुत सारे स्वादिष्ट फल मगरमच्छ को दिये ताकि वह उन्हें अपनी पत्नी को दे। मगरमच्छ अपने घर गया और बोला ………अरे सूनती हो ।

………..क्या तुम भी घर आते ही चिल्लाने लगते हो । खाने का कोई पता नहीं है ? मगरमच्छनी गुस्से से बोली थी।

………..मैं तुम्हारे लिए ‌‌‌बहुत ही शानदार चीजे लाया हूं । एक बार देखो ।

मगरमच्छनी ने देखा और एक फल को चखा वह बहुत स्वादिष्ट थे ।उसके बाद बोली ……….अरे बाप रे इतने सारे फल कहां से लाए थे आप ?

………..मेरा एक बंदर दोस्त बन गया है उसने ही मुझे यह फल दिये हैं । मगरमच्छ बोला था।

………..तुम भी पागल हो  गए हो ‌‌‌बंदर की और मगरमच्छ की दोस्ती कैसे हो सकती है ?

…………अरे पागल नहीं हूं सच बोल रहा हूं मां कसम । मैं पेड़ पर थोड़ी चढ़ सकता हूं यह तो उसने ही मुझे दिये हैं। मगरमच्छ ने यकीन दिलाते हुए कहा था।

उसके बाद मगरमच्छनी को यकीन करना पड़ा इसके अलावा उसके पास कोई और रस्ता भी नहीं था।

‌‌‌मगरनी को रोज रोज बैर खाने को मिल जाते वह खुश होने की बजाय दुखी हो रही थी कि बंदर के चक्कर मे रोज रोज उसे अपने मगर से दूर रहना पड़ता है। वह काफी दुष्ट थी तो उसके मन मे विचार आया कि यदि बंदर इतने मीठे फल खाता है तो उसका कलेजा कितना मीठा होगा ? ‌‌‌सोचकर ही उसके मुंह के अंदर पानी आ गया ।उसके बाद जब उसका मगरमच्छ घर आया तो बोली

………..आज डॉक्टर ने कहा है कि तुमको एक घम्भीर बीमारी हो गई है ,जो सिर्फ बंदर का कलेजा खाने से ठीक हो सकती है।तुम मुझे अपन मित्र का कलेजा मुझे लाकर दो ।

यह सुनकर मगरमच्छ सन्न रह गया और बोला …….तेरा ‌‌‌दिमाग तो सही है क्या ? वो मेरा मित्र है। मैं उसके साथ यह सब नहीं कर सकता ।

……..तो ठीक है हाय रे मर गई ……. मेरे पेट मे तुम्हारे बच्चे हैं वो भी मरेंगे । उसके बाद बंदर के साथ फल खाते रहना ।

मगरमच्छ की अकल पर पत्थर पड़ गए और उसने कहा ………….ठीक है मैं अभी लाकर देता हूं । और ‌‌‌वह बंदर का कलेजा लाने के लिए निकल पड़ा ।बंदर ने जब सुबह सुबह मगरमच्छ को आए देखा तो पूछा ………..

भाई आप तो बहुत जल्दी आ गए ?

……..भाई तुम्हारी भाभी बहुत नाराज है और वह बोल रही है कि देवरजी रोज अच्छे फल भेजते हैं इसलिए उनको बुलाकर लाओ मैं उनकी सेवा करना चाहती हूं ।‌‌‌यदि आप मैं तुमको लेकर नहीं गया तो वह मुझे घर के अंदर नहीं घुसने देगी ।

……..लेकिन मैं पानी के अंदर कैसे जा सकता हूं । तुमको पता है कि मुझे तैरना नहीं आता है।

……….. उसकी तुम चिंता मत करना और तुम मेरी पीठ पर बैठ जाना । उसके बाद बंदर मान गया । और मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया ।‌‌‌कुछ दूर चलने के बाद जब मगरमच्छ ने पानी मे गोता लगाया तो बंदर चिल्लाया ……..अरे क्या कर रहे हो ?

……….तुम को तो मरना ही है आज । मगरमच्छ अपने असली रंग के अंदर आ गया ।

उसके बाद मगरमच्छ ने बंदर को कलेजे वाली बात बताई । बंदर काफी समझदार था तो बोला

………अरे सिर्फ इतनी सी बात है ‌‌‌क्या ? पहले बताना था। भाभी के लिए तो मैं 100 कलेजे दे सकता हूं । लेकिन वो मेरे पास नहीं हैं। मैं उनको पेड़ के उपर ही भूल आया हूं । चल उस पेड़ के पास चल । जल्दी कर वरना भाभी मर जाएगी ।

मगरमच्छ बंदर की चाल समझ नहीं सका और जैसे ही वह पेड़ के पास गया । बंदर उछल कर पेड़ पर चढ़गया ।

‌‌‌……..अरे मूर्ख अपना कलेजा कोई पेड़ पर भी छोड़ता है क्या ? अब जा और अपनी बीवी के साथ बैठकर आंसू बहा । कलेजा हाशिल करने के लिए भी अक्ल होनी चाहिए । और उसके बाद बंदर पेड़ के अंदर गायब हो गया ।

‌‌‌संकट के समय अपने दिमाग का यूज करना चाहिए ।

सांप का बेटा सपोला ही होता है। ऐसे किसी इंसान पर विश्वास मत करो जो विश्वास के योग्य नहीं है।

बन्दर के दिल होता है कि नहीं कहानी पंच तंत्र के अंदर ही हुई है। इस कहानी को बताने का मतलब यही है कि हम यदि अपनी बुद्वि से काम मे लें तो सब कुछ संभव है।

‌‌‌बंदर के कलेजा होता है कि नहीं ?

‌‌‌बंदर के कलेजा होता है कि नहीं

‌‌‌दोस्तों बंदर के कलेजे की कहानी रियल लाइफ के अंदर पूरी तरह से सेट होती है। आइए इससे जुड़ी दूसरी कहानी भी आपको बताते हैं। हालांकि यह पंचतंत्र से जुड़ी कहानी नहीं है लेकिन यह काफी उपयोगी है।

‌‌‌प्राचीन काल की बात है  एक जंगल के अंदर एक पेड़ था ।उस पेड़ के उपर एक बंदर रहता था।वह काफी शांत किस्म का आदमी था। वह जंगल के अंदर अकेला ही रहता था। पेड़ के उपर लगे केले को तोड़कर खाता और वहीं पर अपना जीवनयापन करता था। ‌‌‌एक भूखी लोमड़ी जो अब शिकार नहीं कर सकती थी। उसको जंगल के राजा ने भेजा था ताकि वह शिकार को फंसा सके । लोमड़ी बंदर के पास आकर बोली ………….बंदर भाई तुम बहुत अच्छे हो । मैने ने कई दिनों तक भोजन नहीं खाया है क्या तुम केला दे सकते हो ।बंदर ने लोमड़ी को एक केला देदिया ।

‌‌‌लोमड़ी ने केला खाया और वहां से चली गई। उसके बाद लोमड़ी रोज ही वहां पर आने लगी और केला खाने लगी ।मौका पाकर एक दिन लोंमड़ी बोली …..बंदर भाई क्या आप मेरे साथ चल सकते हैं। मेरे बच्चे मुश्बित के अंदर फंसे हुए हैं।

‌‌‌……….कोई बात नहीं है बहन चल तेरी मैं मदद करता हूं । और बंदर लोमड़ी के पीछे पीछे चलने लगा । उसके बाद लोमड़ी एक गुफा के अंदर गई । उसके बाद बंदर भी उसके पीछे पीछे चला गया । और मौका पाकर लोमड़ी ने गुफा का दरवाजा बंद कर दिया ।

‌‌‌………..यह लो तुम्हारा शिकार जंगल के राजा अब मेरे बच्चों को छोड़दों । लोमड़ी बोली

……….बहुत दिनों से किसी जीव का कलेजा नहीं खाया है। शेर बोला और लोमड़ी के बच्चों को आजाद कर दिया ।

बंदर काफी समझदार था। तो बोला

…………….आप गलती कर रहे हैं। मेरे पास कलेजा है ही नहीं मैं तो ‌‌‌मशीन की मदद से ही जिंदा हूं । हां यदि तुम चाहो तो मेरा कलेजा मेरे घर के अंदर पड़ा है ला सकते हो ।लोमड़ी को भेजो वह पेड़ के पास मिलेगा ।

……ठीक है तब तक तुम यहीं रहो । शेर बोला और लोमड़ी कलेजा लेने गई लेकिन उसको कोई कलेजा नहीं मिला तो वापस आकर बोली ………महाराज मुझे नहीं मिला इस बंदर ‌‌‌को मेरे साथ भेजो वैसे भी यह कोई काम का नहीं है। और उसके बाद जैसे ही बंदर को गुफा से खोला वह भाग निकला और बोला ……….अरे मूर्खों यह बात सच है कि आज मशीन का हर्ट आ चुका है लेकिन वह बंदरों को लगाने के लिए नहीं है। ‌‌‌मेरा कोई कलेजा बाहर नहीं पड़ा है। चलो भाग जाओ ।

‌‌‌क्या बंदर के सीने मे दिल होता है या नहीं ?

उसके बाद लोमड़ी को भी समझ मे आ चुका था कि बंदर ने हमको बेवकूफ बना दिया है।

‌‌‌इस कहानी का मतलब यही है कि यदि आप दिमाग का इस्तेमाल करते हो तो आप बड़ी से बड़ी मुश्बित को खत्म कर सकते हो ।

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arif khan

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