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    Home»‌‌‌मंत्र और टोटके»यह है पीपल मे जल देने के 3 मंत्र pipal me jal chadhane ka mantra
    ‌‌‌मंत्र और टोटके

    यह है पीपल मे जल देने के 3 मंत्र pipal me jal chadhane ka mantra

    arif khanBy arif khanJuly 18, 2020No Comments16 Mins Read
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    ‌‌‌क्या आप जानते हैं पीपल में जल देने का मंत्र के बारे मे हम यहां पर आपको 3 pipal me jal chadhane ka mantra के बारे मे बताएंगे । सनातन धर्म एक वैज्ञानिक धर्म है और यदि आप इसकी गहराई मे उतरेंगे तो इसके पीछे एक विज्ञान आपको मिलेगा । सनातन धर्म के अंदर हर वस्तु के अंदर ईश्वर का वास माना जाता है और पीपल की बात करें तो इसको सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। आप देख सकते हैं कि श्मसान के अंदर पीपल का पेड़ लगाया जाता है।

    ‌‌‌क्योंकि पीपल को लंबी आयु के लिय जाना जाता है और यह नए जीवन का प्रतीक होता है।पीपल मे पेड़ के अंदर जल चढ़ाने की परम्परा हमेशा से ही रही है। और आज भी बहुत सी महिलाएं पीपल पूजती हैं और जल चढ़ाती हैं।

    pipal ko jal dene ka mantra
    By Teacher1943 – अपना काम, CC BY-SA 4.0,wiki

    ‌‌‌पीपल के पेड़ को बहुत अधिक पवित्र माना गया है और इसके अंदर हनुमान जी,श्री हरी विष्णु और महादेव शिव का वास माना जाता है। यदि आप शनिवार के दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाते हो तो आपको शनि दोष  नहीं लगता है। भगवान क्रष्ण ने गीता के अंदर कहा था

    अश्वत्थ: सर्ववृक्षाणाम, मूलतो ब्रहमरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे, अग्रत: शिवरूपाय अश्वत्थाय नमो नम:।।

    मैं वृक्षों में पीपल हूं। जिसके मूल  में ब्रह्मा जी, मध्य  में विष्णु जी तथा अग्र भाग में भगवान शिव जी का साक्षात रूप से बसते हैं ।

    स्कंदपुराण के अंदर यह उल्लेख मिलता है कि पीपल के अंदर सभी देवताओं का निवास होता है। इसलिए पीपल को कभी भी काटना नहीं चाहिए । पीपल पर जल चढ़ाने को लेकर शास्त्रों के अंदर अनेक नियम हैं।

    • शनिवार के दिन पीपल पर जल चढ़ाना शुभ फल प्रदान करता है।
    • रविवार के दिन पीपल को जल नहीं देना चाहिए ऐसा करने ‌‌‌यह दरिद्रता को आमंत्रण देता है । इसलिए इस बात का ध्यान रखना बेहद ही जरूरी हो जाता है।
    • ‌‌‌पीपल को कभी भी काटना नहीं चाहिए यह अशुभ होता है। इतना ही नहीं काटने से वंश व्रद्धि मे समस्याएं आती हैं और धन की हानि होती है और पितृ को कष्ट होता है।यदि किसी वजह से पीपल को काटना ही पड़ रहा है तो पहले पीपल की पूजा करें और उसके बाद हवन आदि करने के बाद ही पीपल को काटें ।
    • ब्रह्म मुहुर्त मे पीपल को जल नहीं देना चाहिए । वरन सूर्योदय के बाद ही पीपल को जल चढ़ाना चाहिए ।ऐसा करने से माता लक्ष्मी की क्रपा आपके उपर बनी रहती है।
    • ‌‌‌इसके अलावा यह भी कहा गया है कि जो इंसान पीपल के पेड़ को लगाता है वह जन्म और मरण के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष धाम को प्राप्त करता है।
    • शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दिया जलाएं और उसके बाद हनुमान चालिसा का पाठ करें ऐसा करने से घर के अंदर सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।
    • ‌‌‌पुराणों मे यह लिखा हुआ मिलता है कि पीपल के पेड़ की पूजा करने से  काल सर्प दोष, पितृदोष शांत हो जाते हैं और उसकी परिक्रमा करने से सभी प्रकार की मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं और शत्रू दोष शांत हो जाता है।

    Table of Contents

    • पीपल में जल देने का मंत्र pipal ko jal dene ka mantra
    • ‌‌‌पीपल को जल देने का मंत्र दूसरा
    • पितृ देवता का मंत्र पीपल को जल देते समय बोलें
    • पीपल मे पानी डालने की कथा
    • ‌‌‌पीपल के पेड़ की कहानी
    • ‌‌‌पीपल मे पितरों का वास
    • ‌‌‌पीपल मे प्रेत आत्माओं का वास
    • ‌‌‌पीपल और अगस्त्य ऋषि की कहानी
    • पिप्पलाद मुनि और पीपल की कहानी
    • ‌‌‌पीपल का एतिहासिक उल्लेख
    • ‌‌‌पीपल का अन्य भाषाओं मे नाम
    • ‌‌‌पीपल के पेड़ को घर मे क्यों नहीं लगाया जाता है ?
    • ‌‌‌घर मे उग आये पीपल का पौधा तो क्या करें ?

    पीपल में जल देने का मंत्र pipal ko jal dene ka mantra

    ‌‌‌पीपल पर जल चढ़ाने के नियम होते हैं। शुक्ल पक्ष के गुरूवार को आप यह कर सकते हैं। एक पानी के लौटे को लें । उसके अंदर पानी भरें ,इसमे थोड़ी मात्रा के अंदर पीसी हुई हल्दी डालें और फिर शक्कर डालें और चने की दाल डालें और थोड़ा गंगाजल डालकर पीपल के पेड़ के पास जाएं जो पुराना हो या जिसको पूजा जाता ‌‌‌हो उसके बाद दूर चप्पल खोलें और पीपल की जड़ों के अंदर पानी डालते हुए  ॐ श्री विष्णु -ॐ श्री विष्णु  मंत्र का जितना हो सके जाप करते जाएं । उसके बाद 7 बार पीपल की परिक्रमा मंत्र जाप करते हुए करें ।और जब 7 परिक्रमा पूरी हो जाती हैं तो फिर विष्णू को हाथ जोड़कर प्रणाम करें । यही प्रक्रिया आपको ‌‌‌ 40 दिन तक लगातार करनी है।इससे आपकी मनोकामना पूर्ण होगी और फायदा मिलेगा ।

    ‌‌‌पीपल को जल देने का मंत्र दूसरा

    उपर दिये हुए मंत्र के अलावा भी कई और मंत्र हैं जो पीपल को जल देने के दौरान प्रयोग मे लाये जाते हैं। गाय का दूध, तिल, चंदन मिला गंगाजल  और पानी को एक लौटे में भरें और उसके बाद नीचे दिये गए मंत्र का जाप करते हुए पीपल की जड़ मे जल अर्पित करें ।

    मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे। अग्रत: शिवरूपाय वृक्षराजाय ते नम:।।आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसम्पदम्। देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:।।

    पितृ देवता का मंत्र पीपल को जल देते समय बोलें

    दोस्तों शनिवार को पीपल के वृक्ष पर जल, कच्चा दूध थोड़ा दूध चढ़ाने के बाद सूर्य और शंकर की पूजा करें और चढ़ा हुआ जल नेत्र के अंदर लगाकर पितृ देवाय नम:  मंत्र का जाप करें ।

    पीपल मे पानी डालने की कथा

    पीपल मे पानी डालने की कथा
    By Bijay chaurasia – Own work, CC BY-SA 3.0,wiki

    पीपल के अंदर जल डालने से जुड़ी अनेक प्रकार की कहानियां मौजूद हैं। कहा जाता है कि एक गांव के अंदर एक गुजरी रहती थी और एक दिन गुजरी ने अपनी बहु को कहा की वह दूध और दही लेकर जाए और उसे बेचकर आए । गुजरी दूध और दही को लेकर निकल पड़ी  गांव के बाहर कुछ महिलाओं को पीपल के ‌‌‌अंदर जल डालते हुए देखा तो वह वहां पर रूकी और पूछा … आप यहां पर क्या कर रही हैं ?

    दूसरी महिलाओं ने कहा … हम पीपल मे जल डाल रही हैं।

    ……. पीपल को सींचने से क्या होता है ? गूजरी की बहू ने पूछा । ऐसा करने से अन्न धन की प्राप्ति होती है और सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। यदि किसी का ‌‌‌पति उससे बिछुड़ गया हो तो वह वापस मिल जाता है। उसके बाद गुजरी  ने सोचा कि यदि पीपल को पानी से सींचने पर इतना कुछ हो सकता है तो दूध से सींचना तो बहुत ही उपयोगी होगा और गुजरी ने सारा दूध और दही पीपल की जड़ों मे डाल दिया ।

    ‌‌‌इस प्रकार से गुजरी की बहू रोजाना आती और अपनी सास के दिये दूध और दही से पीपल को सींचती ।सास जब पैसा मांगती तो वह कहती की कार्तिक का महिना पूर्ण हो जाने के बाद दूध और दही का हिसाब हो जाएगा । उसके बाद जब सास बहू को परेशान करने लगी कि उसे दूध और दही के पैसे चाहिए तो बहू पूर्णिमा को ‌‌‌ पीपल के पेड़ के पास गई और वहां पर सर पटक कर रोने लगी ।और जब पीपल देवता ने उसको रोते हुए देखा तो कहा कि आप क्यों रो रही हैं ? तो बहु ने कहा कि मेरी सास ने जो दूध दिया था मैंने वो आपकी जड़ो मे डाल दिया है और अब वह मेरे से पैसा मांग रही है तो मैं पैसा कहां से लाउं ?

    ‌‌‌उसके बाद पीपल देवता ने कहा कि पैसा तो मेरे पास है नहीं लेकिन यहां पर पड़े सूखे पत्ते को एकत्रित करके ले जा और चुपके से तिजोरी मे रख देना ।बहु ने ऐसा ही किया । जब सास ने हिसाब मांगा तो बहू ने तिजोरी मे देखने को कहा । सास ने जैसे ही तिजोरी खोली वह हैरान रग गई ।‌‌‌उसके अंदर हीरे और मोती जगमगा रहे थे ।‌‌‌उसके बाद बहू ने सास को पूरी बात बतादी । सास बहुत अधिक चालाक थी तो उसने भी ऐसा ही करने की ठानी ।

    ‌‌‌उसके बाद सास रोज पीपल को सींचने के लिए जाती और दूध व दही को तो बेच आती और हांड़ी को धोकर पीपल के अंदर डाल देती । उसके बाद सास घर आकर अपनी बहू से बोली की तू मुझसे पैसा मांग ? लेकिन बहू ने कहा कि सास से वह पैसा नहीं मांग सकती । लेकिन बाद मे बहू को समझाया तो वह अपनी सास से पैसा मांगने लगी ।‌‌‌इस प्रकार से एक महिना बीत जाने के बाद सास भी पीपल के नीचे जाकर रोने लगी तो पीपल ने उसको वहां पर पड़े सूखे पत्ते दिये और कहा कि अपनी तिजोरी मे रख देना । खैर उसके बाद सास ने वैसा ही किया लेकिन जब बाद मे तिजोरी को सास ने देखा तो उसके अंदर कीड़े और मकोड़े घूम रहे थे ।‌‌‌उसके बाद सास ने दूसरी महिलाओं से पूछा कि ऐसा क्यों हुआ तो महिलाओं ने बताया कि तुम्हारी बहू ने सच्चे मन से पीपल को सींचा था । यदि कोई सच्चे मन से पीपल को सींचता है तो उसको फायदा जरूर ही मिलता है।

    ‌‌‌पीपल के पेड़ की कहानी

    पीपल के पेड़ से जुड़ी एक अन्य कहानी का भी उल्लेख मिलता है। इस कहानी के अनुसार एक बार माता लक्ष्मी अपनी छोटी बहन दरिद्रा के साथ विष्णू के पास गई और बोली कि हे जगतके पालनहार हमे भी कोई ऐसा स्थान दो जहां पर हम निवास कर सकें तो ‌‌‌उसके बाद विष्णू ने कहा कि आप पीपल के पेड़ पर आप निवास करो तो उसके बाद दोनो वहां पर रहने लगी ।

    उसके बाद से  ही रविवार को पीपल की पूजा करने से धन की प्राप्ति होती है।उसके बाद जब विष्णू ने माता लक्ष्मी से विवाह करना चाहा तो उन्होंने मना कर दिया और कहा कि जब तक मेरी छोटी बहन दरिद्रा का ‌‌‌विवाह नहीं हो जाता है । तब तक मैं कैसे विवाह कर सकती हूं तो उसके बाद विष्णू ने दरिद्रा से पूछा कि आप कैसा वर चाहती हैं तो वह बोली की कोई ऐसा व्यक्ति चाहिए जो पूजा पाठ ना करता हो और उस स्थान पर भी पूजा पाठ नहीं होना चाहिए जहां पर वह रहता हो ।

    ऋषि नामक एक वर दरिद्रा के लिए तलास किया गया और उसके बाद ऋषि ने अपनी पत्नी के लिए ऐसा स्थान ढूंढने का प्रयास किया जहां पर कोई भी पूजा पाठ नहीं होता हो लेकिन ऐसा कोई स्थान उनको नहीं मिला तो दरिद्रा अपने पति के वियोग मे विलाप करने लगी।

    ‌‌‌उसके बाद फिर विष्णू ने माता लक्ष्मी से विवाह करने के बारे मे पूछा तो माता ने कहा कि वह जब तक विवाह नहीं करेगी जब तक उसकी बहन का घर नहीं बस जाता तो उसके बाद विष्णू ने रविवार को लक्ष्मी की बहन दरिद्रा और उसके पति को देदिया । इसी वजह से रविवार के दिन पीपल के पेड़ पर जल नहीं चढ़ाया ‌‌‌ जाता है।‌‌‌रविवार के दिन एक भी देवता का पीपल के अंदर वास नहीं होता है।

    ‌‌‌पीपल मे पितरों का वास

    ‌‌‌पीपल मे पितरों का वास

    दोस्तों प्राचीन काल से ही यह माना जाता है कि पीपल के अंदर पितरों का वास होता है।और पीपल की पूजा कर पितरों को प्रसन्न किया जा सकता है।‌‌‌और पितरों के नाराज हो जाने की वजह से जीवन के अंदर कई प्रकार की समस्याएं आती ही रहती हैं।पितरों की नाराजगी को दूर करने के लिए कई सारे तरीके हैं। जिसके अंदर एक तरीका यह है कि रविवार को स्नान आदि करने के बाद पीपल की पूजा करें ।

    ‌‌‌पीपल के नीचे जाएं और उसके बाद हाथ मे जल लेकर संकल्प ले कि मैं अपने पाप कर्मों का नाश करने के लिए यह कर रहा हूं । उसके बाद गणेश जी का पूजन करें ।पंचामृत व गंगाजल से पीपल को स्नान कराएं और जनेउ अर्पण करें उसके बाद पूजा करें और आरती करके 108 बार पीपल की परिक्रमा करें और हर चक्र पर पीपल को ‌‌‌ मिठाई अर्पित करते जाएं ।

    ‌‌‌पीपल मे प्रेत आत्माओं का वास

    दोस्तों तंत्र मंत्र करने वाले यह मानते हैं कि पीपल के अंदर प्रेतआत्माएं भी रहती हैं। जो लोग कर्मकांड वैगरह करते हैं वे पीपल के अंदर डाल देते हैं। यदि आपने पीपल के पेड़ हो देखा हो तो उसके नीचे अनेक प्रकार की तांत्रिक सामग्री मिल जाएगी । खैर यदि आप पीपल का पूजन ‌‌‌ कर रहे हैं तो आपको इससे कोई नुकसान नहीं है।श्मसान के अंदर पीपल का पेड़ इसीलिए लगाया जाता है ताकि वहां पर प्रेतआत्मका को प्राण उर्जा मिल सके और जल्दी वह प्रेतयोनी से मुक्ति प्राप्त कर मोक्ष धाम मे जा सके ।

    ‌‌‌पीपल और अगस्त्य ऋषि की कहानी

    अगस्त्य ऋषि दक्षिण दिशा में अपने शिष्यों के साथ गोमती नदी के तट पर एक वर्ष तक यज्ञ करते रहे । उस समय स्वर्ग पर देवताओं का राज था। कैटभ नामक राक्षस  एक पीपल के पेड़ का रूप धारण करके आया । वह इनके यज्ञ को नष्ट कर देना चाहता था। जब कोई ब्रहा्रमण पीपल के पेड़ की टहनियां ‌‌‌तोड़ने के लिए जाता तो यह राक्षस उसे खा जाता ।ऋषियों को इसके बारे मे पता ही नहीं चला और जब पता चला तो बहुत देर हो चुकी थी।दक्षिण तीर पर तपस्या रत मुनिगण सूर्य पुत्र शनि के पास गए और उनको अपनी समस्या बताई । शनि ने विप्र का रूप धारण किया और पीपल की परिक्रमा करने लगे । और राक्षस ने उनको एक आम

    ‌‌‌इंसान समझ कर खा लिया । लेकिन उसके बाद शनि राक्षस को मारकर बाहर निकल गए ।उसके बाद समस्त ऋषियों ने शनि का गुणगान किया । उसके बाद शनि ने कहा कि जो भी शनिवार के दिन पीपल की पूजा करेगा ।प्रदिक्षणा करेगा ,तेल का दीपक जलाएगा । उसकी सभी समस्याएं दूर होंगी और ग्रह दोष नहीं होगा । उसके बाद ‌‌‌भारत के अंदर पीपल की पूजा होने लगी ।

    पिप्पलाद मुनि और पीपल की कहानी

    पीपल से जुड़ी एक कहानी का और उल्लेख मिलता है।इस कहानी के अनुसार पिप्पलाद मुनि के पति की मौत तब हो गई जब वह बहुत छोटा था। यमुना नदी के किनारे जब वह पीपल के पेड़ के नीचे तपस्या कर रहे थे तो उनकी अकाल मौत हो गई थी। ‌‌‌उनके पिता की मौत शनिजन्य पीड़ा की वजह से हूई थी। जब पिप्पलाद बड़ा हुआ तो उसकी माता ने उसके पिता की मौत के बारे मे बताया ।जब उसकी तपस्या पूर्ण हुई तो पिप्पलाद का क्रोध शनि के प्रति भड़क गया और उसने शनि को तीनो लोकों के अंदर तलास किया । उसके बाद ‌‌‌एक दिन शनि पिप्पलाद को पीपल के पेड़ पर मिले तो ब्रह्मदण्ड  उठाकर पिप्पलाद ने शनि को मारा तो भागते हुए शनि का ब्रह्मदण्ड  ने तीनो लोकों के अंदर पीछा किया ।और उसके बाद शनि के हाथ पैर तोड़ दिये गए ।

    ‌‌‌उसके बाद शनि ने भगवान शिव का ध्यान किया और वे प्रकट हुए । पिप्पलाद मुनि से बोले की तुम्हारे पिता की मौत शनि की वजह से नहीं हुई है। वरन उनके खुद के पीछले जन्म के पापकर्म की वजह से हुई है। पिप्पलाद मुनि ने कहा कि जो इंसान शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे पूजा करेगा और इस कथा का ध्यान करेगा उसके शनि से पैदा होने वाले कष्ट दूर हो जाएंगे ।

    ‌‌‌पीपल का एतिहासिक उल्लेख

    एक लेख के अनुसार चाणक्य के काल मे सांप के विष के प्रभावों को दूर करने के लिए पीपल के पत्तों को रखा जाता था। इसके अलावा कुएं के आस पास पीपल को उगाया जाता था। मोहन-जोदड़ो के अंदर मिली एक मुद्रा पर पीपल की पतियों का अंकन है और उसके उपर देवता बने हुए हैं। जिससे यह  ‌‌‌प्रतीत होता है कि लोग उस समय मे भी पीतल की पवित्रता को जानते थे ।

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    ‌‌‌पीपल का अन्य भाषाओं मे नाम

    • संस्कृत        पिप्पल, अश्वत्थ
    • हिन्दी          पीपली, पीपर और पीपल
    • गुजराती      पीप्पलो और पीपुलजरी
    • बांग्ला          अश्वत्थ, आशुदगाछ और असवट
    • पंजाबी         भोर और पीपल
    • मराठी         पिंगल
    • नेपाली         पिप्पली
    • फ़ारसी         दरख्तेलस्भंग
    • अंग्रेज़ी         सैकरेड फ़िग
    • अरबी थजतुल – मुर्कअश
    • बौद्ध साहित्य         बोधिवृक्ष

    ‌‌‌पीपल के पेड़ को घर मे क्यों नहीं लगाया जाता है ?

    ‌‌‌पीपल के पेड़ को घर मे क्यों नहीं लगाया जाता है ?

    दोस्तों आपको पता ही होगा कि पीपल के पेड़ को घर मे नहीं लगाया जाता है।इसके पीछे कई कारण होते है।। यहां पर लगे हाथ उन कारणों पर भी हम चर्चा कर लेते हैं।

    • ‌‌‌पीपल पेड़ को वैराग्य देने वाला माना जाता है।और ऐसी स्थिति के अंदर यदि घर मे पीपल का पेड़ है तो वैवाहित जीवन के लिए यह अच्छा नहीं माना जाता है। इसलिए घर मे पीपल के पेड़ को ना लगवाएं ।
    • ‌‌‌पीपल के पेड़ को घर मे लगाने से दोष भी हो सकता है।इसको मोक्ष दायक माना गया है और इसके अंदर कई प्रकार के संस्कार किये जाते हैं। सो इसको घर मे नहीं लगाना चाहिए ।
    • ‌‌‌वैसे तो पीपल बहुत ही शानदार होता है लेकिन ऐसा माना जाता है कि जिस घर के उपर पीपल की छाया आती है वह घर कभी भी प्रगति नहीं कर सकता है ।
    • ‌‌‌इतना ही नहीं पीपल वंशव्रद्धि के लिए उचित नहीं होता है। जिस घर मे पीपल का पेड़ होता है । उस घर मे संतान के साथ कई प्रकार की समस्याएं आती हैं। 
    • ‌‌‌इसके अलावा ऐसा माना जाता है कि पीपल पर अनेक प्रकार की प्रेतआत्माओं का वास भी हो सकता है जो आपके घर को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
    • ‌‌‌पीपल का पेड़ निर्जनता का वास करता है।इसलिए जिस घर मे पीपल का पेड़ होगा वहां के सदस्य अधिक उम्र तक जिंदा नहीं रहेंगे ।

    ‌‌‌घर मे उग आये पीपल का पौधा तो क्या करें ?

    दोस्तों कई बार घर के अंदर अपने आप ही पीपल का पौधा उग आता है।आमतौर पर पीपल के बीज की मदद से ऐसा हो सकता है। पीछले दिनों एक यूजर ने कमेंट करते हुए यह लिखा था कि उनके घर के पीछले हिस्से के अंदर पीपल का पेड़ उग आया है तो क्या करना चाहिए ?

    ‌‌‌जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि सबसे पहले आपको उस पीपल के पेड़ की पूजा करनी होती है। उसके बाद उसको उखाड़ कर किसी गमले के अंदर लगा देना होता है। कुछ दिन घर के अंदर उसे खाद और पानी देते रहें । उसके बाद ‌‌‌गमले के अंदर लगे पौधे को आपको वहां से उठाकर किसी मंदिर के अंदर लगवा सकते हैं या किसी खेत के अंदर भी लगा सकते हैं। इसके अलावा आप श्मसान घाट के अंदर भी उस पौधे को लगा सकते हैं। ‌‌‌एक बात का अवश्य ही ध्यान रखें की  पीपल के पौधे को  गमले  मे  लगाने के बाद घर की पूर्व दिशा के अंदर कभी नहीं रखना चाहिए ।ऐसा करना अशुभ माना जाता है।

    पीपल में जल देने का मंत्र लेख के अंदर हमने यह जाना कि हम किसी प्रकार से पीपल के पेड़ की पूजा कर सकते हैं। और उसके बाद हमे कौनसा मंत्र का जाप करना चाहिए ? यदि आपको यह लेख अच्छा लगा तो नीचे कमेंट करके बताएं ।

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