शादी करने से पहले लड़के जान लें यह 7 वचन अधिकतर लड़के इनकों नहीं जानते

‌‌‌शादी के सात वचन या विवाह के 7 वचन shadi ke 7 vachan  का वर्णन हम यहां पर कर रहे हैं हिंदू विवाह को एक पवित्र रिश्ता माना गया है। हिंदुओं के अंदर विवाह एक करार नहीं होता है।उसे किसी भी हालत मे तोड़ा नहीं जा सकता है।किंतु दूसरें धर्म के अंदर विवाह एक करार होता है जिसको आवश्यकता पड़ने पर खत्म किया जा  ‌‌‌सकता है।
‌‌‌आपकों एक बात हम बतादें की हिंदू धर्म के अनूसार स्ति्रयों की स्थिति पुरूष के बाएं भाग के अंदर मानी जाती है। इसलिए पुरूष स्ति्री को अपने वामांन या बाएं भाग मे आने को कहता है।

‌‌‌हममें से बहुत से लोग ऐसे हैं जिनको विवाह के समय कन्या द्वारा लिए गए सात वचनों के बारे मे जानकारी नहीं होती है। मुझे भी पता नहीं था । लेकिन एक लेख को पढ़ने के बाद पता चला तो सोचा अपने पाठकों को भी इस बारे मे बतादूं।

।दोस्तों यह सब चीजें पहले बनाई गई थी। अब ऐसा नहीं है कि विवाह के 7 वचनों का कोई रोल नहीं है। लेकिन अब पहले जैसा कोई इंसान ही नहीं है। असल मे यहां पर पूरी तरह से जानवरों का सम्राज्य हो चुका है। जिस तरह से अपराधियों के लिए रेड कारर्पेट बिछाएं जाते हैं , तो आजकल वचनों की कोई वैल्यू नहीं रह गई है। एक इंसान यहां पर कुछ बोलता है आगे जाने के बाद कुछ और बोल देता है। उपर से लेकर नीचे तक पूरा खेल भ्रष्टाचार का हो चुका है। बहुत से लोग अब यह साबित करने लगे हैं , कि प्राचीन महापुरूष वहां गलत थे यह गलत थे । लेकिन वे खुद रियल मे उन महापुरूषों के आधे भी नहीं है। तो जब मूर्ख लोग किसी ज्ञानी को गलत ठहराने लगें , कुतर्क और किसी और तरीके से तो इसका मतलब यही है कि समाज का पतन हो चुका है। ना अब पहले जैसी स्त्री बची है। और ना पहले जैसा पुरूष ही बचा है। हालांकि कुछ लोग हो सकते हैं। पति कुछ दिन पत्नी से अलग काम करने के लिए चला जाता है ,तो पत्नी किसी और के साथ चक्कर चला लेती है। और कोर्ट के अंदर पति पर केस कर देती है , कि पति ऐसा था वैसा था । पहले यह सब सिस्टम नहीं था , क्योंकि आज की तरह पहले जरा भी सुरक्षित माहौल नहीं था । औरतों के लिए इतने कानून कायदे भी नहीं थे ।

वैसे देखा जाए तो आज के समाज के अंदर यह 7 वचन लागू ही नहीं होते हैं। क्योंकि जब तक आप खुद सत्यवादी नहीं होंगे । आप से किसी भी तरह के वचन के पालन करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। किसी की भी शादी होती है , तो पंडित बस सब कुछ जल्दी जल्दी के अंदर निपटा देता है। दुल्हा शराब के नसे मे रहता है। उसको पता ही नहीं होता है , कि पंडित ने क्या बोला था ? बस सब कुछ मशीनी ढंग से हो जाता है। जल्दी जल्दी शादी करदी जाती है। और कुछ दिन बाद यही शादी समाप्त हो जाती है। तलाक हो जाता है। फिर कोर्ट मे केस चलता है ।पति को जेल होती है। और औरत कहीं और शादी कर लेती है। फिर भी हम आपकों यहां पर आपको शादी के 7 वचनों के बारे मे विस्तार से बताने जा रहे हैं।

‌‌‌      shadi ke 7 vachan – पहला वचन

  1. तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सहैव प्रियवयं कुर्या:,

वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी !!

मतलब यही है कि यदि कोई धार्मिक ​कार्य किया जाता है , तो उसके अंदर पति अकेला शामिल नहीं हो सकता है। पत्नी को भी उसके अंदर शामिल किया जाना सबसे अधिक जरूरी होता है। बिना पत्नी के वह धार्मिक कार्य सम्पन्न नहीं किया जा सकता है। यही कारण है , कि किसी भी धार्मिक कार्य के अंदर पत्नी को भी शामिल किया जाता है।

कन्या वर से कहती है कि यदि आप तीर्थ स्थान पर जाएं या कोई धार्मिक कार्य करें तो मुझे अपने बाएं भाग के अंदर रखें । यदि आप ऐसा करने का वचन देते हैं तो मैं आपके वामांग मे आना स्वीकार करती हूं ।

‌‌‌   shadi ke vachan दूसरा वचन

पुज्यौ यथा स्वौ पितरौ ममापि तथेशभक्तो निजकर्म कुर्या:,  

वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं द्वितीयम !!

पत्नी भी यही चाहती है , कि जिस प्रकार से पति अपने माता पिता का सम्मान करते हैं। उसी प्रकार से वह पत्नी यानी अपने सास ससुर का भी अपने माता पिता की तरह ही सम्मान करें । यह सबसे अधिक जरूरी है। मतलब उनका कभी भी अपमान नहीं करें , तो यह वचन पति से शादी के समय लिया जाता है।

दूसरे वचन के अंदर कन्या वर मांगती है कि जिस प्रकार आप अपने माता पिता का सम्मान करते हैं उसी प्रकार मेरे माता पिता का भी सम्मान करें । परिवार की मर्यादा के अनुसार धार्मिक कार्य करते हुए जीवन यापन करें ।यदि आप ऐसा करने का वचन देते हैं तो मैं आपके वामांग के अंदर आना स्वीकार करती हूं
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shadi ke vachan तीसरा वचन

जीवनम अवस्थात्रये मम पालनां कुर्यात,

वामांगंयामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं तृ्तीयं !!

उसके बाद पत्नी पति से यह भी वचन लेती है , कि आप मेरे जीवन की तीनों अवस्था , जैसे कि युवा , पौढ और बूढ़ापे के अंदर मेरा सहारा बनें रहेंगे । ऐसा नहीं करेंगे कि आप मुझे बीच रस्ते के अंदर ही छोड़कर चले जाएं । तभी मैं आपके वामांग मे आना स्वीकार करूंगी । असल मायेने के अंदर इन 7 वचों के बारे मे कन्या को पता ही नहीं होता है। वह बस शादी करने वाला पंडित जी बोल देता है। और बिना सुने ही हां भरदी जाती है।

यदि आप जीवन के तीनों अवस्थाओं व्रद्व अवस्था प्रोढ अवस्था और युवा अवस्था के अंदर मेरा पालन करने का वचन देते हैं तो मे आपके वामांग मे आना स्वीकार करती हूं

‌‌‌     चौथा वचन

कुटुम्बसंपालनसर्वकार्य कर्तु प्रतिज्ञां यदि कातं कुर्या:,

वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं चतुर्थं !!

उसके बाद कन्या कहती है , कि यदि आप विवाह बंधन मे बंधने जा रहे हैं , तो भविष्य के अंदर पूरे परिवार का भार आपके कंधों पर होगा । और यदि आप उस भार को उठाने के लिए तैयार हैं तो फिर मैं आपके वामांग मे आने के लिए तैयार हुं । वैसे भी आजकल शादी होने के बाद पत्नी का भार उठाता ही है। और ऐसा नहीं हो सकता है , कि अबाद मे आप जिम्मेदारी से बचे रह जाएं ।

इसका मतलब यही है , कि आपको अपनी पत्नी और बच्चों की जिम्मेदारी निभानी होगी । आप उस जिम्मेदारी से बच नहीं सकते हैं।

यदि आप परिवार का पालन पोषण करने और परिवार के प्रति सारे दाईत्वों का निर्वाहन करने का वचन देते हैं तो मैं आपके वामांग मे आना स्वीकार करती हूं ।

‌‌‌   पांचवा वचन

स्वसद्यकार्ये व्यवहारकर्मण्ये व्यये मामापि मन्त्रयेथा,

वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रूते वच: पंचमत्र कन्या !!

इसके अंदर कन्या कहती है , कि यदि आप किसी तरह का घर का खर्च या फिर घर का काम करते हैं , तो उसके अंदर आपको मेरी सलाह लेनी होगी । यदि आप यह सब करने के लिए तैयार हैं , तो मैं आपके वामांग के अंदर आने के लिए तैयार हूं। मतलब यही है कि आपको अपने घर से जुड़े किसी भी तरह के बड़े कार्य को करने से पहले अपनी पत्नी से सलाह लेना जरूरी होता है।

इस वचन मे कन्या वर से कहती है कि आप अपने घर के कामों के अंदर और दूसरे कार्यों के अंदर मेरी भी सलाह लेने का वचन देते हैं तो मैं आपके वामन मे आना स्वीकार करती हूं।

‌‌‌   छठा वचन

न मेपमानमं सविधे सखीनां द्यूतं न वा दुर्व्यसनं भंजश्चेत,

वामाम्गमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं च षष्ठम !!

उसके बाद कन्या कहती है , कि जब मैं अपनी सहेलियों के अंदर बैठी हूं , तो आप मेरा अपमान नहीं करेंगे । और आप तमाम तरह की बुरी आदतों से दूर रहेंगे । हालांकि बहुत से दुल्हे तो आजकल ऐसे हो चुके हैं , जोकि शराब पीकर फेरे लेते हैं। उनको होश ही नहीं रहता है , कि क्या हो रहा है। तो यह सब एक तरह से फोरमल्टी बन चुकी है।

इस वचन मे कन्या कहती है कि यदि मैं अपनी सखियों के बीच बैठी हूं तो आप मेरा अपमान नहीं करेंगे और  आप जुआ व अन्य बुरी आदतों से दूर रहेंगे । यदि आप ऐसा करने का वचन देते हैं तो मैं आपके वामांग मैं आना स्वीकार करती हूं।

‌‌‌     सातवां वचन

परस्त्रियं मातृसमां समीक्ष्य स्नेहं सदा चेन्मयि कान्त कुर्या,

वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रूते वच: सप्तममत्र कन्या !!

उसके बाद कन्या कहती है , कि आप सभी पराई स्त्री को मां के समान समझेंगे । और पति और पत्नी के बीच किसी को भी भागीदार नहीं बनाएंगे । मतलब यही है , कि आपको बस अपनी पत्नी का होकर रहना है , शादी के बाद दूसरी किसी भी स्त्री की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देखना है। यह भी एक वचन ही है।

‌‌‌सातवें वचन मे कन्या वर से कहती है कि आप पराई स्ति्रयों को माता के समान समझेंगे और अपने और मेरे बीच किसी को नहीं आने देंगे । यदि आप ऐसा करने का वचन देते हैं तो मैं आपके वामांग मे आना स्वीकार करती हूं ।

शादी मे 7 वचनों का महत्व

दोस्तों आपको बतादें कि वर्तमान मे इन 7 वचनों का कोई महत्व नहीं रह गया है। क्योंकि आज आपको इस तरह का इंसान मिलना मुश्किल होगा जो अपनी बात का पक्का हो । जो उसने कह दिया उसे पूरा करने का दम रखता हो । और यदि कोई ऐसा इंसान है , तो उसके लिए आज भी इन वचनों का महत्व है। यदि उसने किसी बात के लिए हां कह दिया , तो फिर इस तरह के लोग उस बात को पूरा करते हैं। इस तरह के लोगों का मिलना कलयुग के अंदर बेहद ही दुर्लभ है। लेकिन इस तरह के लोग सही मायेने मे इंसान होते हैं , जोकि यदि कोई बात अपने मुंह से बोल देते हैं , तो उसके बाद उसको पूरा करके ही दम लेते हैं।

यदि आप भगवान और देवी देवता के बारे मे एक बात सबसे कॉमन देखोंगे कि यह जो कहते थे , उसको पूरा करते थे । तभी तो आज उच्च लोकों मे निवास करते हैं। झूठ बोलने वाले धूर्त लोग अधिकतर प्रेत योनी को प्राप्त हो जाते हैं। और सच्च की राह पर चलने वाले स्वर्ग जाते हैं। तो आजकल अधिकतर लोग धुर्त हो चुके हैं। उनके लिए बस शादी एक मजाक से अधिक कुछ नहीं है। रिश्तों से उनको कोई मतलब नहीं है। बस अधिक से अधिक शरीर का सुख चाहिए । मन नहीं भरा तो और कहीं पर मुंह मारने लग जाते हैं। तो इस तरह के लोगों से आप शादी के 7 वचन को पूरा करने की उपेक्षा नहीं कर सकते हैं।

शादी के 7 वचन सिर्फ वही पूरा कर सकता है , जिसकी बात की वैल्यू हो । जो एक बात  कुछ बोलता है , दूसरी बात कुछ और बोल देता है। तो इस तरह का इंसान प्रेत योनी से अधिक कुछ हाशिल नहीं कर पाता है। भले ही वह किसी भी पद पर क्योंना हो । मरने के बाद पद कद का कोई मतलब नहीं रह जाता है।

हिंदु धर्म के अंदर शादी एक पवित्र बंधन माना जाता है। 7 जन्मों का बंधन इसको यूं ही नहीं कहते हैं । एक बार यदि आप किसी के हो जाते हैं , तो जन्म जन्म मे आपको उसका संग मिलता है। लेकिन अब कलयुग है। 7 जन्म तो बहुत दूर की बात है , असल मे एक घंटे मे ही 7 रहना खत्म हो चुका है। और उपर से लिवनरिलेशन शिप जैसी घटिया चीजों का चलन हो चुका है। मजे से भोग करो मन भर जाए तो दूसरी के संग रास करने लग जाओ । यही कलयुग है।

‌‌‌यह थे दोस्तों वो सात वचन जोकि कन्या वर से शादी के समय मांगती है। आपको कैसा लगा हमारा यह प्रयास कमेंट कर बताएं

This post was last modified on July 25, 2023

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