भ्रम जाल

प्राचीन समय की बात है एक बार एक बहुत बड़े महात्मा से उनके शिष्य ने पूछा गूरू जी भ्रम क्या होता है। गूरू ने उसे कहा की वक्त आने पर वे उसके प्रश्न का उत्तर देंगे । बात आई गई हो गई । काफी समय बीत गया । एक दिन गूरू ने उस शिष्य को बुलाया और बोले की जाओ मेरी कुटिया के अंदर से मेरी

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‌‌‌किताब लेकर आओ। शिष्य गया और खाली हाथ आ गया। गूरू ने पूछा . तुम किताब क्यों नहीं लाए । शिष्य बोला … गूरूजी आपकी कुटिया के अंदर अंधेरा है। और वहां मुझे आत्मा खड़ी दिख रही है। गूरू ने उसे समझाया और वापस भेज दिया किंतु वह दुबारा खाली हाथ लोट आया । उसके बाद गूरू ने उसे दीपक जलाकर दिया

 

‌‌‌और बोले अब तुमको कोई आत्मा नहीं दिखेगी । शिष्य गया और किताब लेकर आ गया । गूरू ने पूछा …. क्या वहां पर आत्मा थी । तब शिष्य बोला … नहीं गूरू देव वहां कोई आत्मा नहीं थी। बस एक कम्बल था । जो हिल रहा था । तब गूरू बोले

‌‌‌तुमने अंधेरे मे जो देखा वो एक भ्रम था । और जो प्रकाश मे देखा वो सत्य था ।

 

जिंदगी के अंदर जो इंसान अपने ज्ञान के प्रकाश से चीजों को देखते हैं। वो सत्य के मार्ग पर चलने वाले होते हैं। और जिस इंसान के अंतर्मन मे ज्ञान का प्रकाश नहीं होता है। वह इस संसार मे भ्रमित होकर करोड़ों साल भटकता है। और ‌‌‌ज्ञानी पुरूष मुक्त हों जाता है।

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arif khan

‌‌‌हैलो फ्रेंड मेरा नाम arif khan है और मुझे लिखना सबसे अधिक पसंद है। इस ब्लॉग पर मैं अपने विचार शैयर करता हूं । यदि आपको यह ब्लॉग अच्छा लगता है तो कमेंट करें और अपने फ्रेंड के साथ शैयर करें ।‌‌‌मैंने आज से लगभग 10 साल पहले लिखना शूरू किया था। अब रोजाना लिखता रहता हूं । ‌‌‌असल मे मैं अधिकतर जनरल विषयों पर लिखना पसंद करता हूं। और अधिकतर न्यूज और सामान्य विषयों के बारे मे लिखता हूं ।