नैत्रहीन लड़की कैसे बनी IFS पढिए संघर्ष भरी कहानी

जब कोई इंसान शारीरिक रूप से कमजोर होता है । तो उसके अंदर प्रतिभा की कोई कमी नहीं होती है। वरन उसके अंदर तो एक सामान्य इंसान से दुगुनी प्रतिभा होती है। लेकिन कुछ लोग अपनी इस शरीरिक कमजोरी को आडे नहीं आने देते हैं। और शारिरिक कमजोरी ‌‌‌होने के बाद भी वो सब कुछ कर देते हैं जोकि एक आम इंसान नहीं कर पाता है। हम आपके लिए एक ऐसी ही स्टोरी लेकर आएं हैं। जिसको पढ़कर आप यह सोचने को मजबूर हो जाएंगे कि इंसान अपनी शारिरिक कमजोरी से नहीं मानसिक कमजोरी से असफल होता है।

‌‌‌बेनो जेफाइन तमिलनाडू की रहने वाली हैं। उनकी जन्म से ही दोनों आंखे नहीं हैं। उनके पिता एंथोनी रेलवे कर्मचारी हैं। और उनकी माता ग्रहणी हैं।  उनकी माता पिता ने कभी यह एहसास नहीं होने दिया कि वे अंधी हैं। उनकी मां ने हमेशा बेनो को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया ‌‌‌मतलब बेनो के माता पिता उन बच्चों के माता पिता के समान नहीं थे जोकि अपने बच्चे को अंधा समझ कर अपनी किस्मत को कोसतें हैं।

 

‌‌‌भले ही ‌‌‌बेनो की आंखों की रौशनी नहीं थी लेकिन वे दिमाग से काफी तेज थी। और हमेशा पढ़ाई के अंदर अच्छी थी। उनकी मां ने उनका दाखिला एक अंधों से बने स्कूल के अंदर करवा दिया । ‌‌‌बेनो ने ब्रेल लिपि के अंदर पढ़ना लिखना सीखा ।

‌‌‌उसके बाद ‌‌‌बेनो ने चैन्नई के स्टैला मॉरिसस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया । उसके बाद उन्होने मद्रास यूनिवर्सिटी के एक कॉलेज से पोस्ट ग्रेजुएशन भी पूरा कर लिया था ।

 

 

‌‌‌उसके बाद उन्होंने बैंकिग परीक्षा दी और उनका चैन एसबिआई के अंदर एक ऑफिसर के पद पर हुआ। उसके बाद बेनो ने बैंक के अंदर नौकरी करना शूरू कर दिया । लेकिन उनका सपना तो कुछ और ही बनने का था । उसके बाद उन्होंने यूपिएसी की परीक्षा के लिए तैयारी करनी शूरू करदी । पहली बार मे उनको सफलता नहीं मिली। ‌‌‌लेकिन दूसरी बार उनका चैन आईएफएस के अंदर हो गया था ।लेकिन उस वक्त 2013 के अंदर आईएफएस के अंदर अंधों के लिए कोई जगह नहीं थी।

 

लेकिन बेनो ने हिम्मत नहीं हारी और गुहार लगाई तो आईएफएस ने अपने नियमों के अंदर बदलाव किये और पूरे एक साल बाद बेनो को उनकी मनपसंद नौकरी मिल गई । ‌‌‌इस प्रकार बेनो ने इतिहास रच दिया । बेनो 2014 के अंदर पहली पूर्ण रूप से द्रष्टिहीन महिला आईएफएस है।

 

‌‌‌वे अपनी सफलता के पीछे अपनी माता का हाथ बताती हैं। जो उनको घंटों किताबे पढ़कर सुनाती थी। ताकि उनकी बेटी की पढ़ाई के अंदर कोई कमी नहीं रह जाए । उनके पिता भी बेनो की मदद करते थे । वे उनको हर किताब लाकर देते थे । लेकिन हर किताब का ब्रेल लिपि के अंदर मिलना संभव नहीं था ।

‌‌‌इसके लिए उनके पिता ने टेक्स्ट टू स्पीच नामक एक प्रोग्राम को बेनो के कम्प्यूटर के अंदर इंस्टॉल कर दिया । इस प्रोग्राम की मदद से अंधे भी कम्प्यूटर स्क्रीन को पढ़ सकते हैं।

 

‌‌‌सीख

इंसान यदि शारीरिक रूप से कमजोर है और मानसिक रूप से ताकतवर है तो वह अवश्य ही सफल होगा । लेकिन जो मानसिक रूप से कमजोर है वह कभी सफल नहीं हो सकता है। यह बात बेनो पर ही नहीं वर दुनियां के हर अपंग इंसान पर लागू होती है। जिसने अपंग होने के बाद भी सक्सेस हाशिल की ।

 

Leave a Reply

arif khan

‌‌‌हैलो फ्रेंड मेरा नाम arif khan है और मुझे लिखना सबसे अधिक पसंद है। इस ब्लॉग पर मैं अपने विचार शैयर करता हूं । यदि आपको यह ब्लॉग अच्छा लगता है तो कमेंट करें और अपने फ्रेंड के साथ शैयर करें ।‌‌‌मैंने आज से लगभग 10 साल पहले लिखना शूरू किया था। अब रोजाना लिखता रहता हूं । ‌‌‌असल मे मैं अधिकतर जनरल विषयों पर लिखना पसंद करता हूं। और अधिकतर न्यूज और सामान्य विषयों के बारे मे लिखता हूं ।