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    Home»‌‌‌धर्म और त्यौहार»कुंभकरण की पत्नी और पुत्र का नाम कुंभकरण की कहानी
    ‌‌‌धर्म और त्यौहार

    कुंभकरण की पत्नी और पुत्र का नाम कुंभकरण की कहानी

    arif khanBy arif khanMarch 15, 2018Updated:November 4, 20181 Comment5 Mins Read
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    kumbkarn
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    ‌‌‌क्या आप जानते हैं कुंभकरण की पत्नी का नाम क्या था ? और कुंभकरण के पुत्र कौन थे ? पढि इस पूरी स्टोरी।

    रामायण के एक पात्र कुंभकरण के बारे मे तो आप परिचित ही होंगे । कुंभकरण रावण का भाई था । उसकी माता का नाम कैकेसी राक्षस वंश की थी । और पिता विशर्वा थे वे ब्राहामण कुल से थे ।‌‌‌माता पिता के गुण एक दूसरे से भिन्न होने का प्रभाव कुंभकरण पर भी पड़ा था । कुंभकरण अपने पिता के समान काफी ज्ञानी था । और उसे सब वेदो का पूरा ज्ञान था। कुंभकरण पर भी अपने माता के गलत गुणों का प्रभाव पड़ा था । उसके अंदर भी कुछ लोभ लालच मौजूद था । जबकि रावण पर माता के गुणों का पूरा प्रभाव था ।

    ‌‌‌कुंभकरण का शरीर काफी बड़ा था । इतना बड़ा उसका शरीर था कि वह इंसानों को तो हथेली पर बैठा सकता था । और पल भर मे किसी कोभी मार सकता था । कुंभकरण को खाना देने के लिए सेवक सिढ़ियों से चढ़कर उसके पलंग तक पहुंचते थे ।

    Table of Contents

    • ‌‌‌कुंभकरण 6 महिने तक क्यों सोता था
    • ‌‌‌कुंभकरण को किसी से कोई मतलब नहीं था
    • ‌‌‌कुंभकरण की पत्नी का नाम और उसके पुत्र
    • ‌‌‌कुंभकरण से भयभीत हो गये थे देवता
    • ‌‌‌बुद्विमान भी था कुंभकरण

    ‌‌‌कुंभकरण 6 महिने तक क्यों सोता था

    एक स्टोरी के अनुसार इंद्र और कुंभकरण के अंदर दुश्मनी थी । इंद्र कुंभकरण से बदला लेने की फिराक मे थे । जब तीनों भाइयों ने ब्रह्रा की तपस्या की और यज्ञ किया तो भगवान प्रश्न हुए और प्रकट होकर बोले की तुम लोगों को क्या वरदान चाहिए । कुंभकरण मांगना तो इंद्रासन ‌‌‌चाहते थे लेकिन उनके मुंह से निकला निंद्रासन और भगवान ने तथास्तु कह दिया । उसके बाद से ही कुंभकरण 6 महिने सोते थे । और 6 महिने जागते थे । जब वे सोकर उठते थे तो जो भी मिलता उससे अपनी भूख मिटाते । ‌‌‌कुंभकरण के मुंह से इंद्रासन की जगह पर निंद्रासन निकलना भी इंद्र की चाल थी । क्योंकि इंद्र ने सरस्वती देवी को यह सब पहले ही बोल दिया था ।

    ‌‌‌मूल रूप से देवी सरस्वती ने कुंभकरण की बुद्वि भ्रमित करदी थी । जिससे वह 6 महिने तक सोया रहे और कोई अन्न का दाना भी ना खाए । क्योंकि वह इतना अधिक खाता था कि पूरी धरती को अन्न रहित कर देता । कुंभकरण शराब पीकर 6 महिने तक सोया रहता था ।

    ‌‌‌कुंभकरण को किसी से कोई मतलब नहीं था

    कुंभकरण को धर्म अधर्म से कोई मतलब नहीं था । उसका पूरा समय तो सोने और खाने मे ही बीत जाता था । जब रावण ने कुंभकरण को जगाकर बताया कि उसने सीता को हर लिया है तो कुंभकरण को बहुत दुख हुआ । क्योंकि यह सरासर अर्धम था । ‌‌‌कुंभकरण ने रावण को समझाया भी था कि आप गलत कर रहे हैं । राम की पत्नी का हरण करके आपने बहुत बड़ी गलती की है। राम आपको नष्ट कर देगा । वह साक्षात भगवान विष्णु है। उसको पराजित करपाना असंभव है। ‌‌‌लेकिन कुंभकरण को अपने भाई के आगे घुटने टेकने पड़े और और राम के सामने युद्व मे जाना पड़ा लेकिन कुंभकरण जानता था कि वह जल्दी ही मारा जाएगा । और वैसा ही हुआ कुंभकरण ने कुद देर मार काट मचाई । लेकिन बाद मे राम के केवल एक तीर ने कुंभकरण को हमेशा शांत कर दिया।

    ‌‌‌कुंभकरण की पत्नी का नाम और उसके पुत्र

    कुंभकरण कुंवारे नहीं थे एक अन्य लेख के अनुसार उसका विवाह वरोचन की कन्या वज्र ज्वाला के साथ हुआ था । उसकी पत्नी का नाम कर्कटी था । कुंभकरण ने एक पर्वत पर रहने वाली एक महिला से विवाह किया था । कुछ समय बाद कुंभकरण को उससे एक पुत्र भीम पैदा हुआ था । जब राम ने कुंभकरण का वध कर दिया था तो भीम की माता कर्कटी ने अपने पुत्र को अलग ‌‌‌रखने का फैसला किया । उसके बाद भीम बड़ा हुआ तो उसने अपने पिता की मौत का कारण पूछा तो उसने देवताओं से बदला लेने की ठानी । और उसने कठोर तपस्या की जिससे भीम को वरदान मिल गया । अब वह काफी ज्यादा ताकतवर हो चुका था ।

    ‌‌‌उसके राज्य के अंदर कामरूपेश्वप नामक राजा रहता था । वे भगवान शिव का भक्त था । एक दिन भीम ने उसे भगवान शिव की पूजा करते हुए देख लिया । तो उसे ऐसा करने के लिए मना किया किंतु वह नहीं माना तो उसको जेल मे डाल दिया गया । लेकिन वह जेल के अंदर शिव की पूजा करने लगा । जिसे देख भीम को गुस्सा ‌‌‌आ गया और जैसे ही उसने शिवलिंग को तलवार से काटने की कोशिश की वहां पर शिव खुद प्रकट हो गए ।

    ‌‌‌कुंभकरण से भयभीत हो गये थे देवता

    कुंभकरण जन्म लेते ही कई प्रजाजनों को खा लिया था । क्योंकि उसे भूख बहुत लगती थी। जिसकी वजह से प्रजा के अंदर त्राही त्राही मच गई थी। सारी प्रजा इंद्र के पास गई और मदद मांगने लगी । उसके बाद इंद्र और कुंभकरण के अंदर युद्व हुआ । तब कुंभकरण ने ऐरावत नामक एक हाथी के‌‌‌ दांत को इंद्र के शरीर के अंदर चुभो दिया था । जिसकी वजह से इंद्र का शरीर जलने लगा था । उसके बाद इंद्र भी कुंभकरण से भयभीत हो गया था। जब कुंभकरण ने वर मांगने की कोशिश की तो सब देवताओं ने बह्रमा से वर न देने की प्रार्थना की ।

    ‌‌‌बुद्विमान भी था कुंभकरण

    यह सच है कि कुंभकरण ने अधर्म का साथ दिया था । लेकिन वह खुद भी कम बंद्विमान नहीं था । वह 6 महिने जागते रहने के दौरान कई प्रकार के शोधकार्य भ करता था । जिसका प्रयोग रावण शत्रू सेना पर करता था । ‌‌‌यह बात सच है की रामायण के अंदर जिस पुष्पविमान का उल्लेख मिलता है। वह कुंभकरण ने ही तैयार किया था । लेकिन कुंभकरण ने भी रावण ने अपनी प्रतिभा का गलत इस्तेमाल किया था । इसी वजह से कुंभकरण भी नष्ट हो गया ।

    arif khan
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    1 Comment

    1. Ramayana on April 19, 2020 9:57 am

      Ramayan ki katha

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