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आत्मा क्या है आत्मा कितने प्रकार की होती है what is soul and types of soul

‌‌‌इस लेख के अंदर हम जानेंगे आत्मा क्या है? प्रेत आत्मा और सुक्ष्म आत्मा के बारे मे । लगभग सभी धर्मों के अंदर आत्मा के अस्ति्व को स्वीकार किया जाता है। दुनिया के हर धर्म के अंदर आत्मा का किसी न किसी रूप के अंदर उल्लेख मिलता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार आत्मा एक प्रकार की उर्जा होती है। जोकि जीव के शरीर और बिना शरीर के ‌‌‌भी निवास कर सकती है।

 

‌‌‌जब तक इंसान जिंदा रहता है आत्मा उसके शरीर के अंदर रहती है। लेकिन जब इंसान मर जाता है तो आत्मा उसके शरीर को छोड़कर अन्यत्र चली जाती है। आत्मा के बारे मे यह कहा जाता है कि आत्मा मरती नहीं है। वह अमर रहती है। मरता तो शरीर है। आत्मा शरीर को छोड़ने के बाद दूसरे शरीर के अंदर ‌‌‌प्रवेश कर जाती है।

‌‌‌आत्मा दूसरे शरीर के अंदर कैसे प्रवेश करती है ? और किस शरीर के अंदर प्रवेश करेगी  इन बातों का उत्तर सही सही किसी के पास नहीं है। अलग अलग धर्म के अंदर अलग अलग मान्यताएं मौजूद हैं हिंदु धर्म के अनुसार कोई आत्मा 84 लाख योनियों से होने के बाद वापस मनुष्य शरीर के अंदर आती है।

 

‌‌‌लेकिन यह मान्यता भी बहुत हद तक सही नहीं है क्योंकि कई ऐसे पूर्व जन्म के किस्से मिलते हैं जिसमे किसी एक व्यक्ति की मौत होने के बाद दुबारा उसका जन्म हो जाना । यह साबित करता है कि हर आत्मा के साथ ऐसा नहीं होता है।

 

‌‌‌वेद पुराणों के अंदर कहा गया है कि आत्मा का कोई शरीर नहीं होता है। शरीर तो पंच तत्व से बना होता है जोकि अंत मे उन्हीं पंच तत्वों के अंदर विलीन हो जाएगा । आत्मा का जन्म  चक्र चलता रहता है। जब तक वह मोक्ष को प्राप्त नहीं हो जाती है।

‌‌‌गीता के अनुसार आत्मा क्या है?

‌‌‌आत्मा अचल है सनातन है और यह प्रत्यक्ष नहीं दिखती है। आत्मा का अनुभव किया जा सकता है।

गीता के अंदर भगवान बताते हैं कि आत्मा न तो मरती है न उसे कोई मार सकता है। आत्मा अजर अमर है। शरीर मर जाने के बाद भी आत्मा नहीं मरती है। आत्मा को न तो शास्त्र काट सकते हैं। आत्मा को आग जला नहीं सकती आत्मा को वायु सुखा नहीं सकती है

 

 

‌‌‌आत्मा कितने प्रकार की होती है?

 

आत्मा वैसे तीन प्रकार की होती है। प्रेतात्मा जीवात्मा और सूक्षात्मा आदि । प्रेतात्मा वह होती है इंसान के मरने के बाद यदि उसकी आत्मा प्रेत योनी के अंदर चली जाती है तो उसको प्रेतात्मा कहा जाता है। यह आत्मा लम्बे समय तक जन्म नहीं लेती है। और संसार के अंदर ‌‌‌ऐसे ही भटकती रहती है। दूसरी होती है। जीवात्मा यह वह आत्मा होती है जोकि किसी शरीर के अंदर प्रवेश करती है। जैसे हम लोगों के अंदर जो आत्मा होती है वह जीवात्मा ही होती है। और आत्मा जब सूक्ष्म शरीर के अंदर प्रवेश करती है तो इसको सूक्षात्मा कहा जाता है।

 

‌‌‌मरने के बाद आत्मा कैसा अनुभव करती है?

 

इंसान की मौत हो जाने के बाद आत्मा उसके शरीर को छोड़ देती है। और बाहर निकल जाती है। जैसे ही आत्मा शरीर को छोड़ देती है। उसे अलग ही तरह का एहसास होता है। उसे लगता है कि उसका शरीर बहुत हल्का हो गया है और वह हवा के अंदर उड सकता है। आत्मा अपने शरीर को दूर ‌‌‌पड़े देखती रहती है।

उसे यह एहसास भी नहीं होता है कि वह मर चुका है। उसे लगता है कि वह एक सपना देख रहा है। लेकिन यह वह कभी नहीं मानता है कि वह मर गया है। वह जब अपने मरे हुए शरीर को पड़े देखता है तो उसमे घुसने की कोशिश करता है। लेकिन वह इसमे कामयाब नहीं होता है। तब उसे लगता है कि वह मर चुका है।

‌‌‌वह अपने आस पास के लोगों को देखता रहता है। और अपने प्रियजनों को कुछ कहना चाहता है। लेकिन वह कुछ कह नहीं पाता है। कई लोग मरने के बाद अपने शरीर का मोह छोड़ नहीं पाते हैं जिसकी वजह से शरीर को जला देने के बाद भी आत्मा श्मसान घाट के अंदर रोती हुई घूमती रहती है। कई आत्मा को अपने प्रियजनों से प्रेम ‌‌‌होने की वजह ये वे उनके आस पास घूमती रहती हैं।

 

‌‌‌मरने के बाद आत्मा किन लोकों की यात्रा करती है?

पुराणों के अंदर यह उल्लेख मिलता है कि मरने के बाद आत्मा तीन मार्गें से होते हुए यात्रा करती है।

 

अर्चि मार्ग

‌‌‌जब कोई आत्मा को देवलोक की यात्रा करनी होती है तो उसे इस मार्ग पर ले जाया जाता है। हर आत्मा को देव लोक की यात्रा नसीब नहीं होती है। वरन कुछ आत्माओं को ही देवलोक की यात्रा नसीब होती है। जिन्होने अच्छे कर्म किये हैं।

 

उत्पत्ति-विनाश मार्ग

 

‌‌‌जिस व्यक्ति ने अपने जीवनकाल के दौरान पाप किये हैं। उसकी आत्मा को मौत के बाद इस मार्ग पर चलना होता है। यह मार्ग नर्क के अंदर जाता है। यहां पर आत्मा को सजा दी जाती है। और दुबारा जन्म लेने के लिए धरती पर भेजा जाता है।

 

धूम मार्ग

 

‌‌‌यह र्मा पित्र लोक की यात्रा करने के लिए होता है। जो इंसान मरने के बाद पित्र बनते हैं ।वे इस मार्ग पर यात्रा करके जाते हैं।

 

‌‌‌कौनसी आत्मा किस मार्ग पर यात्रा करेगी यह कैसे निर्धारित होंता है?

 

यह सब निर्धारित करना सरल नहीं है। फिर भी कुछ मान्यताओं के अनुसार इंसान जैसे कर्म करता है उसकी वैसी ही गति हो जाती है। यदि कोई इंसान की मरने से पहले कोई इच्छा शोष रह जाती है तो वह इस लोक के अंदर भटकता रहता है।

 

‌‌‌आत्मा के बारे मे क्या कहता है इस्लाम धर्म

 

इस्लाम धर्म के अनुसार इंसान की मौत हो जाने के बाद आत्मा  उसके शरीर के अंदर से बाहर निकल जाती है। वह अपने शरीर मे दुबारा घुस जाने के बाद भी इंसान चल फिर नहीं सकता । और 40 दिन तक अपने स्वजनों के पास रहती है और चिल्लाती है कि सब क्यों रो रहे हो

‌‌‌उसके बाद आत्मा अल्लाह के पास चली जाती है। इस्लाम के अनुसार सारी मर चुकी इंसानों की आत्मा का लेखा जोखा रहता है। उसको एक तराजु के अंदर तोला जाता है। तराजु के अंदर एक तरफ पाप रखा जाता है और दूसरी तरफ पुण्य रखा जाता है। उसके हिसाब से स्वर्ग नर्क का रस्ता तय होता है।

 

‌‌‌क्या इंसान अपनी इंच्छा से जन्म और मोत को प्राप्त कर सकता है?

 

महाभारत के अंदर इच्छा म्रत्यु के बारे मे उल्लेख मिलता है। जब भिष्म पिताहमाह मौत की शया पर थे तो उन्होने इच्छा म्रत्यु को चुना था । उनको इसका वरदान था । हालांकि अब ऐसा संभव कम ही लगता है। इच्छा म्रत्यु को अपने शरीर को ‌‌‌त्याग करने की शक्ति केवल सिद्व योगियों के पास ही होती है। साथ ही ऐसी कई घटनाएं भी हुई हैं। जिनकी मदद से यह साबित होता है कि कुछ सिद्व योगी अपने आपस ऐसी शक्ति भी होती है जिसकी मदद से वे अपनी इच्छा से जन्म भी ले सकते हैं। लेकिन विज्ञान इस बात को नहीं मानता है।

 

‌‌‌क्या कहता है आत्मा के बारे मे विज्ञान

 

वैज्ञानिकों के अनुसार हमारे दिमाग के अंदर आत्मा एक प्रोग्राम की तरह ही होती है। और मौत के बाद यह ब्रहा्रमांड के अंदर विलीन हो जाती है। तब हमे मौत का अनुभव होता है। इस सिद्वांत को दो वैज्ञानिक प्रोफेसर एमरेटस वडॉ. स्टुवर्ट हेमेराफ ने प्रतिपादित

 

‌‌‌किया था। सर रोजर पेनरोस नामक एक अन्य मनोवैज्ञानिक ने क्वांटम सिद्वांत विकसित किया था । उसी की आधार पर यह सिद्वांत आत्मा की व्याख्या करता है। डेली मेल अखबार मे छपे एक लेख के अनुसार माइक्रोटयूबुल्स जैसी दिमागी जगह पर क्वांटम गुरूत्वाकर्षण प्रभाव की वजह से हमे चेतना का अनुभव होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार हमारी आत्मा काफी अधिक व्यापक है। जिन पदार्थों से ब्रह्रांमाड बना है। उन्हीं पदार्थों से आत्मा बनी है।

 

‌‌‌वैज्ञानिको के अनुसार जब इंसान की मौत हो जाती है तो वह अपनी क्वांटम सूचना या अपनी चेतना को खो देता है। लेकिन इस दौरान इंसान की मैमोरी के अंदर सेव डेटा नष्ट नहीं होता है। और आत्मा शरीर के बाहर मौजूद रहती है। जोकि कभी नष्ट नहीं होती है।

 

 

 

 

 

This post was last modified on October 29, 2018

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