अलंकार और उसके भेद study hindi

अलंकार काव्य सौदर्य को बढाने का काम करते हैं। जिस प्रकार स्ति्री का सौदर्य उसके आभूषण बढ़ाते हैं। उसकी प्रकार अलंकार कव्य के लिए होते हैं। ‌‌‌जब कोई कवि कविता की रचना करता है तो वह अलंकारों का प्रयोग करता है ताकि उसके कव्य सोर्दय के अंदर बढ़ोतरी हो सके ।

अलंकार के प्रकार

‌‌‌1.उपमा अलंकार

2.अतिशियोक्ति अलंकार

3.विभावना अलंकार

4.रूपक अलंकार

विभावना अलंकार

‌‌‌जहां पर कारण न होते हुए भी कार्य होता है वहां पर विभावना अलंकार होता है जैसे

बिनु पग चलै सुनै बिनु काना।

कर बिनु कर्म करै विधि नाना।

‌‌‌उपर के पद मे आप दे सकते हैं कि कोई व्यक्ति बिना पग और बिना कान के सुन रहा है। यानि बिना कारण के । इसमे  विभावना अलंकार

है।

उपमा अलंकार

‌‌‌जब काव्य मे किसी व्यक्ति के गुणों की तुलना किसी दूसरे समान गुण वाली वस्तु या व्यक्ति से की जाती है तो उपमा अलंकार होता है।

‌‌‌जैसे चन्द्र के समान तेज

रूपक अलंकार

‌‌‌जहां पर उपमये के अंदर उपमान का आरोप किया जाता हो वहां पर रूपक अलंकार होता है।

मतलब किसी एक चीज के अंदर दूसरी चीज प्राप्त होना साधारण शब्दो के अंदर ।

जैसे राम रतन धन पायो

मतलब राम नाम मे धन का होना।

अतिशियोक्ति अलंकार

‌‌‌जब किसी बात को बढ़चढा कर पेस किया जाता है तो अतिशियोक्ति अलंकार होता है जैसे

हनुमान की पूँछ में, लग न पायी आग।

लंका सारी जल गई, गए निशाचर भाग

This post was last modified on June 18, 2019

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