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    Home»‌‌‌विज्ञान»4 प्रकार का होता है कोयला types of coal in hindi
    ‌‌‌विज्ञान

    4 प्रकार का होता है कोयला types of coal in hindi

    arif khanBy arif khanNovember 12, 2023No Comments13 Mins Read
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    ‌‌‌‌‌‌इस लेख मे हम बात करने वाले हैं कोयला कितने प्रकार का होता है types of coal in hindi के बारे मे ।कोयला एक प्रकार का ठोस कार्बनिक पदार्थ होता है जिसका प्रयोग इंधन के अंदर किया जाता है।आपको बतादें कि कोयले की मदद से ही उर्जा का 40 प्रतिशत भाग प्राप्त होता है। अलग अलग प्रकार के कोयले के अंदर कार्बन की मात्रा अलग अलग होती है। कोयला एक जीवाश्म ईंधन है जो मुख्य रूप से कार्बनों तथा हाइड्रोकार्बनों से बनता है।बिजली उधोगों के अंदर कोयले का बड़ी मात्रा मे प्रयोग किया जाता है । कोयले को जलाकर वाष्प बनाई जाती है और उसके बाद उस वाष्प से टरबाइन को चलाकर बिजली पैदा की जाती है। ‌‌‌

    कोयला कितने प्रकार का होता है

    भारत सहित कई ऐसे देश हैं जो बिजली के उत्पादन के लिए केवल कोयले पर ही निर्भर हैं। अब सरकार स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी पर कार्य कर रही है। इसका मकसद यह है कि इस प्रकार से कोयले से बिजली का उत्पादन किया जाए कि पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो । चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका (USA), ग्रेट ब्रिटेन, जर्मनी, पोलैंड, ऑस्ट्रेलिया तथा भारत के अंदर कोयले को निकाला जाता है। यदि हम बात करें भारत की तो यहां पर कई कोयला खादाने हैं। जैसे  झारखंड, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल आंध्र प्रदेश or तेलंगाना एवं तमिनाडु में पाया जाता है। जनवरी 2000 में किए गए आंकलन के अनुसार भारत की खानों में कुल 211.5 अरब टन कोयले का भंडार है।

    ‌‌‌आधुनिक उधोगों के अंदर इस प्रकार के कोयले की आवश्यकता है जिसकी मदद से कोक बनाया जा सकता हो ।भारत के अंदर आम कोयले के भंडार तो प्रचुर मात्रा के अंदर हैं लेकिन ऐसे कोयले के भंडार कम ही हैं जिससे कोक बनाया जा सकता हो ।

    ‌‌‌कोक बनाने के लिए कोयले को दो प्रकारों के अंदर बांटा गया है।पहला  गोंडवाना युग  का कोयला जो काफी अच्छा होता है। और काफी बेहतरीन कोयला होता है।इसके अंदर राख की काफी कम मात्रा होती है। ‌‌‌ जबकि दूसरा कोयला तृतीय कल्प समय के अंदर विकसित कोयला है जो घटिया किस्म का होता है। क्योंकि इसके अंदर गंधक अधिक मात्रा मे होती है। भारत में गोंडवाना युग के अनेक कोयले के क्षेत्र बने हुए हैं।  झरिया (झारखंड) तथा रानीगंज (बंगाल)  बोकारो, गिरिडीह, करनपुरा, पेंचघाटी, उमरिया, सोहागपुर, सिगरेनी आदि हैं।

    ‌‌‌कोयले का प्रयोग ,घरेलू कामों ,अनेक प्रकार के उधोग धंधों के अंदर प्रयोग किया जाता है।कोयला धुंधा बिल्कुल भी नहीं देता है। और काफी अच्छी आग देता है।कोयले के अंदर गंधक कम होता है। जिसकी वजह से यह जल्दी ही आग पकड़ लेता है। टायर, ट्यूब और जूते के निर्माण में तथा पेंट और एनैमल पालिश, ग्रामोफोन और फोनोग्राफ के रेकार्ड, कारबन, कागज, टाइपराइटर के रिबन, चमड़े, जिल्द बाँधने की दफ्ती के निर्माण के लिए कोयले का प्रयोग किया जाता है।

    ‌‌‌अब आइए हम कोयले के प्रकार के बारे मे विस्तार से जानने का प्रयास करते हैं।

    Table of Contents

    • (1) एंथ्रेसाइट(Anthracite) types of coal in hindi
    • कोयला कितने प्रकार का होता है बिटुमिनस (Bituminous)
      • Bituminous कोयले का वर्गीकरण काल के अनुसार
        • Carboniferous coals
        • Permian coals
        • Triassic coals
        • Jurassic coals
        • Cretaceous coals
    • लिग्नाइट (Lignite)
    • पीट (Peat)

    (1) एंथ्रेसाइट(Anthracite) types of coal in hindi

    Anthracite

    ‌‌‌इस प्रकार के कोयले को हार्ड कोयला भी कहा जाता है।इसमे अधिक कार्बन सामग्री होती है और कम से कम अशुद्धियां होती हैं। अपने अधिक उर्जा घनत्व के लिए यह जाना जाता है। ‌‌‌इस कोयले के अंदर कार्बन की मात्रा 86% और 98% के बीच होती है। और Anthracite को अलग अलग ग्रेड के अंदर वितरित किया गया है।और ग्रेड के हिसाब से इसके अलग अलग उपयोग होते हैं। जैसे उच्च ग्रेड का प्रयोग धातु विज्ञान और बिजली उत्पादन के अंदर किया जाता है। ‌‌‌इस कोयले का खनन केवल कुछ ही देशों के अंदर किया जाता है। रूस , यूक्रेन , उत्तर कोरिया , दक्षिण अफ्रीका , वियतनाम , यूके , ऑस्ट्रेलिया , कनाडा और अमेरिका  मे इसका खनन होता है। 2010 में कुल उत्पादन 670 मिलियन टन था।

    इस कोयले को  कई नामों से जाना जाता है जैसे काला कोयला , कठोर कोयला , पत्थर का कोयला , काला कोयला , कॉफी कोयला , अंधा कोयला ,  किलकेनी कोयला ,  कौआ कोयला या रेंगता कोयला , और काला हीरा ,ब्लू कोल।

    एन्थ्रासाइट अपनी अधिक कठोरता की वजह से और चमक की वजह से बिटुमिनस कोयले  से अलग होता है।इसमे कार्बन का उच्च प्रतिशत और वाष्प का प्रतिशत कम होता है। नरम रेशेदार परते इसके अंदर नहीं होती है। और हाथ से रगड़ने पर यह मिट्टी नहीं देता है।

    ‌‌‌ताजा खनन करने वाले एन्थ्रेसाइट कोयले की नमी 15 प्रतिशत से कम होती है।दक्षिण-पश्चिम वेल्स में  एन्थ्रेसाइट को मध्ययुगिये काल के अंदर ईंधन के रूप मे प्रयोग किया गया था और 20 वीं शताब्दी के अंत तक दक्षिण वेल्स कोलफील्ड के पश्चिमी भाग में एन्थ्रेसाइट का बड़े पैमाने पर खनन हुआ था हालांकि अब कम हो ‌‌‌ गया है।

    ‌‌‌अमेरिका के अंदर इस एन्थ्रेसाइट कोयले का इतिहास 1970 ई के अंदर शुरू हुआ था।एलन ब्रॉड ने इस कोयले को तब खोजा था जब वह एक पर्वत पर सो रहा था । और उसने देखा कि यहां पर कुछ स्पेसल प्रकार का है जो आग लगाने पर अधिक अष्मा दे सकता है।

     1795 तक, Schuylkill नदी पर एक एन्थ्रेसाइट- लौह लोहे की भट्ठी बनाई गई थी । एंथ्रेसाइट को पहली बार 11 फरवरी 1808 को अमेरिका में ईंधन के रूप मे घरों के अंदर काम मे लिया गया था। ‌‌‌1808 ई के अंदर पेनसिल्वेनिया से सुशेखना नदी के नीचे एन्थ्रेसाइट का पहला व्यावसायिक खनन भार भेजा था और यहां से पहली बार 1917 में 100 मिलियन टन कोयले का उत्पादन किया गया था।

    आयरन गलाने की पहले एक बड़ी समस्या थी लेकिन एन्थ्रेसाइट कोयले ने इस समस्या को हल कर दिया था और बाद मे कोक को विस्थापित कर दिया गया था। 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध से 1950 के दशक तक, उत्तरी अमेरिका में हीटिंग घरों और अन्य इमारतों के लिए एन्थ्रेसाइट सबसे लोकप्रिय ईंधन था।

    वूटीन फायरबॉक्स के आविष्कार ने लोकोमोटिव को एन्थ्रेसाइट को सीधे कुशलता से जलाने में सक्षम किया।उसके बाद बने रेल के इंजनों के अंदर भी एन्थ्रेसाइट कोयले का प्रयोग करना शुरू कर दिया गया था। एन्थ्रेसाइट की आम तौर पर नियमित कोयले से दो से तीन गुना अधिक लागत आती है। जून 2008 में, एन्थ्रेसाइट की थोक लागत $ 150 / लघु टन थी । एन्थ्रेसाइट का प्रयोग हाथ से चलने वाले स्टोव और भटियों के अंदर किया जाता है।हालांकि यह बिजली के उत्पादन के लिए काफी महंगा होता है। चीन आज वैश्विक एन्थ्रेसाइट का बड़ा  उत्पादन है।जो पूरी दुनिया के एन्थ्रेसाइट  का तीन चौथाई उत्पादन करता है।चीनी एन्थ्रेसाइट   मानक ग्रेड का होता है जिसका प्रयोग बिजली उत्पादन मे किया जाता है। ‌‌‌चीन के वियतनाम  के अंदर ऐंथेसाइट कोयले का उत्पादन किया जाता है।

    अमेरिकी एन्थ्रेसाइट उत्पादन औसतन लगभग 5 मिलियन टन प्रति वर्ष है। उसमें से, पेंसिल्वेनिया राज्य में लगभग 1.8 मिलियन टन खनन किया जाता है।HG और UHG एन्थ्रेसाइट का उत्पादन करने वाले देशों के अंदर रूस और दक्षिणी अफ्रिका आते हैं। एचजी और यूएचजी एन्थ्रेसाइट का उपयोग खास कर धातु कर्म के अंदर किया जाता है।

    ‌‌‌जैसा कि हमने आपको बताया कि एन्थ्रेसाइट को अलग अलग ग्रेड के अंदर बांटा गया है और उन ग्रेड के हिसाब से उनका अलग अलग प्रयोग किया जाता है।

    मानक ग्रेड का उपयोग घरेलू ईंधन के रूप में और औद्योगिक बिजली उत्पादन में किया जाता है। एन्थ्रेसाइट के दुर्लभ उच्च ग्रेड शुद्ध होती है। जिसका प्रयोग धातुकर्म मे होता है।

    मानक ग्रेड एन्थ्रेसाइटउच्च ग्रेड एन्थ्रेसाइटअल्ट्रा हाई ग्रेड एन्थ्रेसाइटकोक
    नमी (अधिकतम)15%15%13%5%
    ऐश (अधिकतम)20%15%12%14%
    ज्वालामुखी (अधिकतम)10%10%5%2%
    फिक्स्ड कार्बन (न्यूनतम)73%80%85%84%
    सल्फर (अधिकतम)1%1%0.6%0.8%

    एन्थ्रेसाइट कोयले कभी कभी गलत खनन और लापरवाही की वजह से आग पकड़ लेते हैं।यदि एक खदान के अंदर आग लग जाती है तो उसको बुझाना काफी मुश्किल होता है।और यह काफी सालों तक लगातार जलती ही रहती है। आज भी कई ऐसे स्थान हैं जहां पर निरंतर आग जल रही है। इसको बुझाने के प्रयास भी विफल हो जाते हैं।

    कोयला कितने प्रकार का होता है बिटुमिनस (Bituminous)

    कोयला कितने प्रकार का होता है बिटुमिनस (Bituminous)

    बिटुमिनस कोयला एक प्रकार का नरम कोयला होता है । इसके अंदर डामर नामक एक पदार्थ मौजूद होता है।एन्थ्रेसाइट कोयले की तुलना मे यह खराब गुणवकता का होता है। ‌‌‌इसका रंग काला या भूरा हो सकता है।बिटुमिनस कोयला एक कार्बनिक तलछटी चट्टान है जो पीट बोग सामग्री के डायजेनेटिक और उप मेटामॉर्फिक संपीड़न द्वारा बनाई गई है ।

    बिटुमिनस कोयले पानी ,हवा ,सल्फर और हाइड्रोजन से बना होता है।बिटुमिनस कोयले के खनन को सावधानी पूर्वक करना होता है क्योंकि गैसों का मिसरण  विस्फोट का कारण बन सकता है। बिटुमिनस कोयले को भी नमी , वाष्पशील सामग्री और प्लास्टिसीटी के अनुसार वर्गीक्रत किया जा सकता है।उच्चतम मूल्य वाले बिटुमिनस कोयले में प्लास्टिसिटी , अस्थिरता और कम राख देते हैं।

    • स्मिथिंग कोयला-  ‌‌‌यह कोयला भी प्रकार का बिटुमिनस कोयला होता है जिसके अंदर राख ,सल्फर जैसी अशुद्धियां नहीं होती हैं।और यह काफी महंगा आता है।
    • कैंडल कोल – कैनेल कोयला या कैंडल कोल एक प्रकार का बिटुमिनस कोयला होता है।भौतिक आकृति और कम खनिज सामग्री के कारण कोयले का कोयला माना जाता है।
    • कोकिंग कोल- ‌‌‌जब कोयले का प्रयोग औधोगिक कार्य के लिए किया जाता है तो उसके अंदर मौजूद बेकार के तत्वों को हटाने की आवश्यकता होती है।ऑक्सीजन की अनुपस्थिति के अंदर कोयले को गर्म किया जाता है और इससे कोकिंग मिलता है।कोकिंग कोल का प्रयोग स्टील के निर्माण मे किया जाता है।

    Bituminous कोयले का वर्गीकरण काल के अनुसार

    संयुक्त राज्य अमेरिका में बिटुमिनस कोयला 100 से 300 मिलियन वर्ष पुराना है।।काल के अनुसार इस कोयले को अलग अलग प्रकारों के अंदर बांटा जा सकता है।

    Carboniferous coals

    उत्तरी अमेरिकी कोयला क्षेत्रों के अंदर इस कोयला के भंडार मौजूद हैं। Carboniferous coals का प्रयोग बिजली के उत्पादन के लिये किया जाता है।एक समय में पोकाहोंटस बिटुमिनस कोयला ने दुनिया की आधी नौसेनाओं को ईंधन दिया और आज दुनिया भर में स्टील मिलों को भी इससे ईंधन की आपूर्ति हो रही है।

    Permian coals

    ‌‌‌बिटुमिनस कोयले का भंडार रूस में पर्मियन स्ट्रैट के भीतर भी है। क्वींसलैंड के बॉउन बेसिन में ऑस्ट्रेलियाई जमा , सिडनी बेसिन और पर्थ बेसिन पर्मियन कोयला हैं। जिसकी मोटाई 300 वर्षों से अधिक की बताई जा रही है। ऑस्ट्रेलियाई दुनिया भर के अंदर कोयले का निर्यात करता है। और यह भंडार 200 वर्षों तक चलने का अनुमान है।

    Triassic coals

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    जीवाश्म और फूलों और पौधों के दब जाने से इन कोयलों का निर्माण हुआ है । हालांकि इस युग के अंदर इनका मिलना काफी कठिन है।

    Jurassic coals

    ऑस्ट्रेलिया में सूरत बेसिन के अंदर यह मिलते हैं। यहां पर डायनासोर की गतिविधि के सबूत मिलते हैं।

    Cretaceous coals

    संयुक्त राज्य अमेरिका में, व्योमिंग कोलम्बिया और न्यू मैक्सिको में क्रेटेशियस बिटुमिनस कोयले हैं। इसके अलावा कनाडा में, अल्बर्टा और ब्रिटिश कोलंबिया के पश्चिमी कनाडा सेडिमेंटरी बेसिन में बिटुमिनस कोयले का बड़ा भंडार मौजूद है।

    लिग्नाइट (Lignite)

    By Edal Anton Lefterov – Own work, CC BY-SA 3.0, wiki

    लिग्नाइट एक प्रकार का भूरे रंग का कोयला होता है। यह नरम, भूरा, दहनशील , तलछटी चट्टान है जो प्राकृतिक रूप से संकुचित पीट से पैदा होता है।इसके अंदर कार्बन की मात्रा 25 से 35 प्रतिशत तक होती है।

    ‌‌‌इस कोयले को दुनिया भर के अंदर खनन किया जाता है। और भाप उर्जा को बनाने के लिए प्रयोग मे लिया जाता है। हालांकि यह मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद ही खराब कोयला है।

    ‌‌‌इस कोयले के अंदर 75 प्रतिशत से लेकर 6 प्रतिशत तक राख होती है।इस कोयले के अंदर काफी अधिक नमी का होना और सहज दहन की समस्या होने की वजह से इसको परिवहन और भंडारण मे परेशानी होती है। ‌‌‌इस कोयले को जाइलोइड लिग्नाइट और कॉम्पैक्ट लिग्नाइट दो भागों के अंदर विभाजित किया जाता है।

    लिग्नाइट सड़ चुके पौधें के रूप मे प्राप्त होता है।जियोथर्मल ग्रेडिएंट और टेक्टोनिक सेटिंग वैगरह के कारण तापमान मे बढ़ोतरी होती है।इस प्रक्रिया को कोयलाकरण के नाम से जाना जाता है।इसी प्रक्रिया से लिग्नाइट  बनता है। ‌‌‌जर्मनी के अंदर यह बहुत अधिक मात्रा मे पाया जाता है। इसके अलावा चीन और रूस के अंदर भी पाया जाता है।

    पीट (Peat)

    Peat

    ‌‌‌यह आशिंक रूप क्षय होने वाली वनस्पति और कार्बनिक पदार्थ का संचय है।इसमे कार्बन की मात्रा 27 प्रतिशत से भी कम होती है। और यह कोयला स्वास्थ्य के लिए बेहद ही हानिकारक होता है।

    ‌‌‌पीट को हाथ से काटकर सूखने के लिए रखा जाता है।इसके अलावा जो कम्पनियां पीट का प्रयोग करती हैं वे दबाव का प्रयोग करके इससे पानी निकाल लेती हैं। ‌‌‌यदि यह एक बार सूख जाता है तो इसको ईंधन के रूप मे इस्तेमाल किया जा सकता है।खाना पकाने और घरेलू हिटिंग के लिए इसका प्रयोग किया जा सकता है।

    ‌‌‌पीट कोयले के अंदर भी आग लग सकती हैं और हल्की बारिश से भी आसानी से नहीं बुझती है।कांस्य और लौह युग में आत्माओं और देवताओं के अनुष्ठान के लिए पीट बॉक्स का इस्तेमाल किया जाता था।

    • स्वीडन में सूखे हुए पीट का प्रयोग सर्दियों के अंदर मवेशियों के मल मूत्र को सोखने के लिए भी किया जाता है। क्योंकि यह नमी को आसानी से बनाए रख सकता है।
    • पीट का प्रयोग मीठे पानी के एक्वैरिया को बनाने मे किया जाता है।यह नदी के पानी को स्टोर कर सकता है और बाद मे इस पानी का उपयोग किया जा सकता है।‌‌‌यह मछलियों के प्रजनन स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। पीट शैवाल के विकास को रोक सकता है और सूक्ष्मजीवों को मार सकता है। टैनिन की लीचिंग के कारण पीट अक्सर पानी को पीला या भूरा कर देता है ।

    विश्व ऊर्जा आपूर्ति में पीट का बहुत ही कम योगदान है।कनाडा, चीन, इंडोनेशिया, रूस, स्कैंडिनेविया और संयुक्त राज्य अमेरिका में पीट कोयला बड़ी मात्रा के अंदर जमा है।कोयले के निर्माण में पीट का गठन पहला कदम है। दफन की बढ़ती गहराई और बढ़ते तापमान के साथ, पीट जमा धीरे-धीरे लिग्नाइट में बदल जाते हैं।उच्च तापमान की वजह से यही कोयला बिटुमिनस  कोयले के अंदर बदल जाता है।

    पीट का उपयोग घरेलू ताप प्रयोजनों के लिए जलाऊ लकड़ी के विकल्प के रूप में किया जाता है और बायलर या पिलराइज्ड रूप में बॉयलर के लिए उपयोगी ईंधन होता है। इसके अलावा बिजली को पैदा करने के लिए भी किया जाता है।

    बागवानी के अंदर भी पीट कोयले का उपयोग रेतीली भूमी का जलधारण करने की क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

    यह कुछ पॉटेड पौधों की अम्लता आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पॉटिंग मिक्स में भी जोड़ा जाता है।जल को नरम करने और मीठे पानी की मछली के आवासों की नकल करने मे भी पीट कोयले का उपयोग होता है।‌‌‌सूखा हुआ पीट एक विशिष्ट प्रकार की गंध के साथ आसानी से जलता है जो घरों मे प्रयोग किया जा सकता है।

    कोयला कितने प्रकार का होता है ? लेख के अंदर हम कोयले के अलग अलग प्रकार के बारे मे विस्तार से जाना।

    दोस्तों कोयला हमारे घरों के अंदर भी प्रयोग किया जाता है। और कोयले की मदद से हम अपने घरों मे काफी कुछ प्रयोग करते है। हमारे यहां पर तो पुराने जमाने की एक प्रेस आज भी है। उस प्रेस की मदद से अपने कपड़ों को सही करते हैं। हालांकि पहले यह कोयले वाली प्रेस काफी अधिक चलती थी। लेकिन अब यह ऐसा नहीं रहा है। और अब बिजली से चलने वाली प्रेस आ चुकी है। और इसके अंदर उतना अधिक झंझट भी नहीं रहता है। बस बिजली के प्लग के अंदर प्रेस को लगाएं । और फिर इसको चलाना शूरू कर दें । यह बहुत ही आसान है।

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