बकरी का दूध बढ़ाने के 11 उपाय bakri ka doodh badhane ka tarika

‌‌‌आइए जानते हैं बकरी का दूध बढ़ाने का उपाय ,bakri ka doodh badhane ka tarika ,बकरी का दूध बढ़ाने का तरीका ,बकरी का दूध बढ़ाने का दवा  आदि के बारे मे जानेंगे। दोस्तों भारत एक गांवों का देश है और यहां पर बकरी पालन होता ही है। आपको हर गांव के अंदर हर घर मे बकरी आसानी से मिल जाएगी । घर मे एक या दो बकरी कम से कम रखी जाती हैं। और बकरियों के दूध से चाय वैगरह बनाई जाती है। इसके अलावा बकरी का मांस भी खाया जाता है।‌‌‌हम खुद अपने घर के अंदर बकरियां रखते हैं।

घर मे बकरी को रखना गाय की तुलना मे काफी बेहतर होता है क्योंकि गाय को अधिक भोजन और स्थान की आवश्यकता होती है लेकिन बकरी को अधिक भोजन की जरूरत नहीं होती है। आपको उसकी देखभाल भी उतनी करने की जरूरत नहीं होती है।

‌‌‌बस आप बकरी को कम स्थान पर रख सकते हैं।और घर के बचे हुए खाने और लौंग से भी बकरी को पाला जा सकता है। यही वजह है कि बकरी गाय से अधिक मुनाफा देने वाली होती है। कई लोग बकरियों का पालन करते हैं । वे उनके दूध को घर के अंदर उपयोग करते हैं और बकरी के बच्चों को बेच कर अच्छा पैसा कमाते हैं।

‌‌‌यदि आप अच्छी गुणवकता और नस्ल वाली बकरी रखते हैं तो यह रोजाना 2 से 3 किलो तक दूध देदेती हैं। और यदि आपके पास ऐसी 3 बकरी हैं तो आप एक गाय के बराबर दूध प्राप्त कर सकते हैं। और इनका खाना भी कम होता है। और यह बहुत ही कम स्थान को घेरती हैं।

‌‌‌वैसे आपको बतादें कि गाय के दूध की तुलना मे बकरी का दूध अलग होता है और बकरी के दूध के अपने फायदे होते हैं।ब्रिटिश जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में छपे  रिसर्च के अनुसार बकरी के दूध मे प्रीबायोटिक और एंटी इनफेक्शन के गुण होते हैं। और खास कर बच्चों के लिए बकरी का दूध बहुत अधिक फायदेमंद होता है।‌‌‌बकरी रखने के कई सारे फायदे हैं। और सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपको दूध 24 घंटे के अंदर आसानी से मिल जाता है। जो काफी बेहतर होते हैं।

‌‌‌ 1.बकरी का दूध बढ़ाने के उपाय चावल का मांड और गुड का शर्बत

दोस्तों बकरी का दूध बढ़ाने के लिए चावल को उबालने के बाद उसका जो पानी बचता है उसको लें और उसके अंदर गुड के पानी को मिलाएं । यह आप बकरी को पिलाते रहें । ऐसा करने से बकरी के दूध को बहुत ही आसानी से बढ़ाया जा सकता है। यह एक बहुत ही सरल तरीका है। बकरी के दूध को बढ़ाने ‌‌‌का ।

‌‌‌2.बकरी के लिए सहीं बांटा दें

  • मसूर 50 ग्राम
  • बाजरा 100 ग्राम
  • चना 50 ग्राम

चना और मसूर व बाजारा इन तीनों को मोटा पीस लें ।और इनके अंदर गुड़ मिला दें । फिर पानी मे गर्म करें । फिर इसके अंदर 50 एमएल सरसो का तेल व 25 ग्राम मिलिनर मिक्सचर लेना है। आधे से भी कम चमच मीठा सोड़ लें । और थोड़ा नमक ‌‌‌बकरी को आप दें । ऐसा करने से बकरी का दूध बढ़ जाएगा ।

‌‌‌3.बकरी को खली दें

दोस्तों बकरी को खली देने से भी दूध बढ़ता है। आप सरसों की खली को मार्केट से खरीद सकते हैं और उसको एक तय मात्रा के अंदर बकरी को आप दे सकते हैं। हालांकि आप जो खली प्रयोग मे ले रहे हैं । वह अच्छी गुणवकता की होनी चाहिए क्योंकि खराब खली को बकरी नहीं खाएगी ।

‌‌‌खली को बकरी को देने से पहले 3 घंटे तक पानी के अंदर अच्छी तरह से भिगोकर छोड़दें । उसके बाद जब वह अच्छी तरह से भीग जाए तो उसको बकरी को खिलादें । यह आपके बकरी का दूध बढ़ाने के लिए बहुत ही उपयोगी होगी ।

‌‌‌4.बकरी को हरा चारा खिलाएं

आपने देखा होगा कि बकरियां अक्सर तब अधिक दूध देती हैं जब उनके लिए हरा चारा उपलब्ध होता है। तो आपको चाहिए कि आप बकरियों के लिए हरा चारा खिलाएं । यदि आप खेती करते हैं तो फिर आप हरा चारा अपने खेत से लाकर बकरी को खिला सकते हैं। और यदि आप खेती नहीं करते हैं तो ‌‌‌आप किसी दूसरे के खेत से हरा चारा लाकर बकरी को खिला सकते हैं।

हरे चारे से बकरी को आवश्यक तत्वों की पूर्ति मिलती है। जिससे बकरी अधिक दूध देती है। यह बकरी के दूध को बढ़ाने का काफी अच्छा तरीका है।‌‌‌यदि आप खेत मे रहते हैं और खेती करते हैं। आपके यहां पर पानी की अच्छी व्यवस्था है तो आप बकरी के लिए अलग से हरा चारा बो सकते हैं और बाद मे उसे रोजाना काट कर खिला सकते हैं। यह काफी बेहतरीन चीज है।

‌‌‌5.बकरी की डिवोर्मिंग करवाएं

दोस्तों अक्सर देखा गया है कि हम लोग जो गांवों के अंदर रहते हैं बकरी का डिवोर्मिंग बिल्कुल भी नहीं करवाते हैं। जिसकी वजह से बकरी के पेट के अंदर किड़े पड़ जाते हैं और यह बकरी को पनपने नहीं देते हैं। बकरी कितना भी खा ले लेकिन उसकी स्थिति के अंदर सुधार नहीं ‌‌‌नहीं होता है तो आपको यह समझना चाहिए कि बकरी के पेट के अंदर कीड़े हैं और अक्सर जिस बकरी के पेट मे कीड़े होते हैं वह अच्छा खाना खिलाने के बाद भी मोटी नहीं होती है। तो आपको कम से कम हर 6 महिने के अंदर डिवोर्मिंग करवाना जरूरी होता है।

‌‌‌मार्केट के अंदर आपको डिवोर्मिंग टेबलेट आसानी से मिल जाएंगी । आप उनको खरीद सकते हैं। और यह आपको कई तरीके की मिलती हैं। इसके अलावा किस प्रकार से डिवोर्मिंग करवानी है तो इसका तरीका भी आपको स्टोर वाले बतादेंगे ।

‌‌‌एक बार जब बकरी के पेट के कीड़े मर जाते हैं तो उसके बाद आसानी से आप बकरी को अच्छा खाना देंगे तो दूध उत्पादन भी बढ़ जाएगा ।और यदि आप खुद बकरी का डिवोर्मिंग नहीं करवा सकते हैं तो फिर आप किसी डॉक्टर के पास जा सकते हैं। और वह आपकी बकरी को डिवोर्मिंग किस प्रकार से करना है ? उसके बारे मे ‌‌‌बतादेगा ।

‌‌‌6.बकरी का दूध बढ़ाने के उपाय गेंहू और गुड़ की मदद से

दोस्तों का दूध बढ़ाने का यह एक बहुत ही अच्छा उपाय है। आप बकरियों को प्रेगनेंसी के पहले खिला सकते हैं। दूध को बढ़ाने के लिए रात के अंदर थोड़े गेहूं आप लें और उनको पानी के अंदर भीगोकर रखदें । फिर सुबह गेंहू के अंदर गुड़ को अच्छी तरह से ‌‌‌मिलाएं । उसके बाद बकरी को खिलादें । यह आपकी बकरी का दूध बढ़ाने का काफी अच्छा तरीका है। यदि आप रोजाना अपनी बकरी को खिलाते हैं तो आपकी बकरी के दूध मे अवश्य ही बढ़ोतरी होगी ।

‌‌‌7.मसूर की दाल बकरी का दूध बढ़ाने का तरीका

‌‌‌मसूर की दाल के बारे मे आप जानते ही होंगे ।असल मे मसूर की दाल का प्रयोग घरों के अंदर किया  जाता है। लेकिन आप मसूर की दाल की मदद से भी बकरी का दूध बढ़ा सकते हैं। इसके लिए आप पांव मसूर की दाल लें और उसको रात के अंदर पानी मे भीगो कर छोड़दें । सुबह उसके अंदर गुड़ मिलाएं और अपनी बकरी को खिलादें । ‌‌‌ऐसा करने से बकरी  के दूध की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है। हालांकि यह तरीका थोड़ा महंगा पड़ता है। लेकिन काफी उपयोगी तरीका है। जिसका प्रयोग आप बिना किसी सलाह के घर पर कर सकते हैं।

‌‌‌8.बकरी का दूध बढ़ाएं सतावर की मदद से

शतावर का वनस्पतिक नाम Asparagus racemosus होता है। यह औषधी गुणों वाला पादप होता है और यह भारत व लंका के अंदर भी उगता है।इसका उपयोग स्त्री रोगों जैसे प्रसव के उपरान्त दूध का न आना, बांझपन, गर्भपात आदि में किया जाता है। यह जोडों के दर्द एवं मिर्गी में भी लाभप्रद होता है।

‌‌‌वैसे आपको बतादें कि शतावर आपको पंसारी की दुकान पर आसानी से मिल जाएगा । बकरी का दूध बढ़ाने के लिए आप इसको खिला सकते हैं। इसके अंदर यदि आप गुड़ मिलाकर बकरी को खिलाते हैं तो आपकी बकरी का दूध आवश्य ही बढ़ जाएगा । बकरी का दूध बढ़ाने का उपाय के अंदर यह काफी उपयोगी है।

9.बकरी का दूध बढ़ाने का दवा Vitamins and Minerals

Vitamins and Minerals भी आपको बकरी का दूध बढ़ाने के लिए मार्केट के अंदर आसानी से मिल जाते हैं। इनके अंदर एक विशेष प्रकार की दवा होती है जिसके अंदर बकरी के लिए आवश्यक सभी तत्वों का मिश्रण होता है। तो यह बकरी के लिए काफी फायदेमंद होता है। आप इनको बाजार से खरीद सकते हैं। बकरी का दूध बढ़ाने का ‌‌‌यह एक बेहतरीन उपाय है। ‌‌‌मार्केट के अंदर कई तरह के मिनरल आपको मिल जाएंगी आप कोई भी खरीद सकते हैं। बहुत से पशुपालक गायों और भेंसों का दूध बढ़ाने के लिए भी इनका प्रयोग करते हैं।

Vitamins and Minerals की कीमत की यदि हम बात करें तो यह आपको 600 रूपये से लेकर 1000 रूपये तक आसानी से मिल जाएंगी । इनको किस प्रकार से देना है। इन सबके बारे मे इनके उपर लिखा रहता है आप उसको पढ़कर बकरी को दे सकते हैं।

‌‌‌10. बकरी का दूध बढ़ाने का तरीका बकरी के स्वास्थ्य पर ध्यानदें

दोस्तों बकरी यदि बीमार हो जाती है तो उसकी दूध उत्पादन क्षमता अपने आप ही कम हो जाती है।यदि आपकी बकरी की दूध उत्पादन क्षमता अपने आप ही कम हो रही है तो आपको बकरी पर ध्यान देने की जरूरत है। आपको यह देखने की जरूरत है कि बकरी के अंदर क्या समस्या है। संभव है कि ‌‌‌इसके अंदर कोई ना कोई बीमारी पनप रही हो । तो आपको उसका निरिक्षण करना चाहिए । और उसके बाद यदि कुछ गड़बड़ लगती है तो फिर उसे आप डॉक्टर को दिखा सकते हैं।

11.best dairy goat breeds in india

‌‌‌अब तक हमने बकरी के दूध को बढ़ाने के तरीकों के बारे मे जाना लेकिन आपको यदि बकरी का अधिक दूध चाहिए तो आपके पास अच्छी नस्ल की बकरी भी होनी चाहिए । नीचे हम आपको दूध उत्पादन के लिए बेहतर बकरी की नस्ल के बारे मे बता रहे हैं। जिनमे से आप कोई भी अपनी सुविधा के अनुसार पाल सकते हैं।

Jamnapari goat

By (Nepali keto62 (talk)) – Own work, CC BY-SA 4.0,wiki

‌‌‌जमुनापारी उत्तरप्रदेश की घरेलू नस्ल है जिसको इंडोनेशिया भी निर्यात किया गया है। इसका पालन दूध और मांस के लिए किया जाता है।इसका जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा जिले मे हुआ था।भारत में 1972 की जनगणना में अनुमानित 580,000 नस्लें थीं, हालांकि 5000 से कम को शुद्ध नस्ल माना जाता है।

‌‌‌इस बकरी के रंग मे काफी भिन्नता होती है लेकिन  गर्दन और सिर पर तन के पैच के साथ सफेद होती है। उनके सिर में अत्यधिक उत्तल नाक होती है, जो उन्हें तोते जैसी दिखती है। इनके लंबे और सपाट कान होते हैं जोकि 25 सेमी तक लंबे होते हैं। इसके अलावा जमनापारी का वजन 40 किलो तक हो सकता है।और यदि दूध की बात ‌‌‌करें तो यह रोजाना 2 किलो तक दूध को आसानी से दे सकती है।और यह अपना अधिकतर समय खाने के अंदर बिताती हैं इनके गर्भधारण की अवधि 2 साल होती है।

संरक्षण की स्थिति‌‌‌जोखिम मे नहीं है
दुसरे नामजमुनापारीइटावाचंबल रानीचकरनगर पेरिस
उद्गम देशभारत
वितरणउत्तर प्रदेशमध्य प्रदेशइंडोनेशिया
प्रयोग करेंदूध
लक्षण
वजनपुरुष: औसत 45 किग्रा महिला: औसत 38 किग्रा
ऊंचाईपुरुष: औसत 78 सेमी महिला: औसत 75 सेमी

जमुनापारी बकरी खास कर दूध उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है और इसके दूध की कीमत भी अच्छी मिलती है। इसके दूध का मेडिकल उपयोग भी किया जाता है।यह अपने जीवन काल के अंदर 13 से 15 बच्चे तक दे सकती है।‌‌‌और इस बकरी को आप 15 से 20 हजार के अंदर आसानी से खरीद सकते हैं।

Surati goat

‌‌‌यह इंडिया की एक घरेलू नस्ल है।यह मुख्य रूप से दूध उत्पादन के लिए जानी जाती है। इस नस्ल का नाम भारत के गुजरात के सूरत के नाम से लिया गया है।वर्तमान मे इस नस्ल की आबादी बहुत कम है और यह लुप्त होने की कगार पर तेजी से आ रही है।सुरती बकरी महाराष्ट्र के सूरत, बड़ौदा और नासिक के आसपास के क्षेत्रों में वितरित की जाती है।इस बकरी को 10 से 15 बकरियों के झुंड के अंदर पाला जा सकता है।

‌‌‌सुरती बकरी छोटे और मध्यम आकार के जानवर होते हैं।जिनका शरीर सुगठित होता है और इनके बाल छोटे व चमकदार होते हैं।इसके अलावा इसके मध्यम आकार के गिरने वाले कान होते हैं।‌‌‌इनके पास मध्यम आकार के सींग हो सकते हैं जो पीछे की तरफ मुड़े हुए हो सकते हैं।इसका वजन 32 से 30 किलो के आस पास ही होता है।‌‌‌वैसे तो हम आपको बतादें कि यह दूध उत्पादन के लिए प्रयोग मे ली जाती है लेकिन मांस के उत्पादन के लिए भी आप इसका प्रयोग कर सकते हैं।

‌‌‌यदि इस बकरी के दूध उत्पादन की बात करें तो यह 2 किलो से अधिक दूध एक दिन मे देती है। और यह जुड़वा बच्चे के उत्पादन के लिए जानी जाती है। यह एक बार मे तीन बच्चे भी पैदा कर सकती है।

Boer Goat

बोअर बकरी एक दक्षिणी अफ्रिकी नस्ल है जिसका विकास सन 1900 ई के अंदर किया गया था।वैसे यह बकरी मांस उत्पादन के लिए लोकप्रिय नस्ल है लेकिन इसको दूध उत्पादन के लिए भी रखा जाता है। बोअर बकरी संभवत: नामाक्वा , सैन और फूकू जनजातियों द्वारा रखी गई स्वदेशी दक्षिण अफ्रीकी बकरियों से पैदा हुई थी। चयनात्मक प्रजनन की वजह से बकरी के अंदर अनेक तरह के बेहतरीन गुण विकसित हुए हैं।और इसकी रोक प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है। जिसकी वजह से इसको शुष्क रेगिस्तानों के अंदर भी आसानी से ‌‌‌पाला जा सकता है।

बोअर बकरियों में आमतौर पर सफेद शरीर और विशिष्ट भूरे रंग के सिर होते हैं। कुछ बोअर बकरियां पूरी तरह से भूरे या सफेद या पेंट की हो सकती हैं, जिसका अर्थ है कि उनके शरीर पर एक अलग रंग के बड़े धब्बे होते हैं।यह बकरियां तेजी से वजन बढ़ाने वाली होती हैं। इनका वजन 22 से 36 किलो तक का होता है।

बच्चे का वजन 90 दिनों में 36 किग्रा (79 पाउंड) हो सकता है, जबकि खराब गुणवत्ता वाले सर के बच्चे का वजन 90 दिनों में केवल 15 किग्रा (33 पाउंड) हो सकता है।इसके अलावा इनक बकरियों की सबसे बड़ी खास बात यह होती है कि यह अपने दो पैरों पर खड़े होकर भी घास खाने मे सक्षम होती है। नम्रता, उच्च प्रजनन क्षमता और तेजी से विकास दर कुछ ऐसे लक्षण हैं जो बोअर बकरी को अमेरिकी मांस बकरी उद्योग के शुद्ध नस्ल और वाणिज्यिक क्षेत्रों में अलग करते हैं। बोअर बकरियों की वर्तमान मे बहुत अधिक मांग है। अपनी उच्च प्रजनन क्षमता की वजह से यह जानी जाती हैं। और इस वजह से बहुत से लोग अब इनको केवल प्रजनन के लिए भी पालते हैं।

Barbari

By Lazarus000 – Own work, CC BY-SA 4.0,wiki

‌‌‌यह बकरी की एक छोटी नस्ल है जिसको भारत और पाकिस्तान के अंदर पाला जाता है। यह भारत मे पंजाब ,हरियाणा और उत्तर प्रदेश के सिंध के अंदर देखने को मिलती है।बारबरी बकरी का नाम सोमालिया में हिंद महासागर पर स्थित एक तटीय शहर बरबेरा से मिलता है । ‌‌‌इसके अलावा यह शुष्क और अर्दशुष्क क्षेत्रों के अंदर देखने को मिलती है।विश्व की जनसंख्या लगभग 2.4 मिलियन आंकी गई है, जिनमें से लगभग सभी पाकिस्तान में हैं।

‌‌‌इस बकरी का सिर छोटा और साफ-सुथरा होता है, जिसमें ऊपर की ओर छोटे कान और छोटे सींग होते हैं। कोट छोटा है और आमतौर पर भूरे लाल रंग के साथ सफेद धब्बेदार होता है।

‌‌‌बारबरी बकरी को आप दूध और मांस दोनों के लिए पाल सकते हैं। यह बकरी 150 दिनों के अंदर 107 लीटर दूध देती है।वैज्ञानिक अध्ययन से यह पता चलता है कि यह भारतिय मौसम के लिए पूरी तरह से अनुकूल है। ‌‌‌इस बकरी के अंदर नर का वजन 38 किलो तक जा सकता है तो मादा बकरी का वजन 23 किलो तक हो सकता है।

बारबरी बकरी का पालन करना काफी अच्छा साबित होता है।क्योंकि आप केवल 2 बकरी से भी शूरू कर सकते हैं और यह  बच्चे होने के तुरंत बाद रिर्टन देना शूरू कर देती है। कारण यह है कि आप इनका दूध बेच सकते हैं।वैसे आपको बतादें कि बकरी की कई नस्ल होती हैं लेकिन वजन के आधार पर कुछ नस्ले 60 किलो वजन वाली ‌‌‌होती हैं तो कुछ 30 किलो वजन वाली भी होती हैं।

इसकी प्रजनन क्षमता अच्छी होती है। यह आपको एक साल के अंदर 4 बच्चे देती है। जिससे आप अच्छी कमाई कर सकते हैं।इसके अलावा बारबरी बकरी 10 से 11 महिने के अंदर ही परिपक्व हो जाती है।‌‌‌वैसे आपको बतादें कि बारबरी बकरी को पालने के लिए अधिक नमी की आवश्यकता होती है। यदि आप खेत के अंदर रहते हैं तो आपके लिए यह एक बेहतरीन बकरी साबित हो सकती है।

‌‌‌यह बकरी अच्छी रोग प्रतिरोधी होती है और बच्चों को दिन मे 5 बार दूध चूसने की आवश्यकता होती है।इनक बकरियों को अपने शरीर के वजन के 20 प्रतिशत दूध की आवश्यकता होती है। जब बच्चा थोड़ा बड़ा हो जाता है तो उसे चारा देना शूरू कर सकते हैं।

‌‌‌बारबरी बकरी की प्रजनन क्षमता भी अच्छी होती है। यह बकरी मात्र एक साल के अंदर ही परिपक्व हो जाती हैं। और इनका पिरियड 21 दिन का होता है। एक बार संभोग करने के बाद यह गर्भवति हो जाती हैं और 150 दिन बाद बच्चा देती हैं।

‌‌‌यदि आप बारबरी बकरी को खरीदने का विचार कर रहे हैं तो एक नर  बकरी को खरीदें जिसका वजन 35 और मादा का 25 किलो हो । आपको गर्मी के दिनों मे बकरी खरीदनी चाहिए । एक बकरी की कीमत लगभग 14 हजार रूपये होती है। आप 5 बकरी से शूरू कर सकते हैं।‌‌‌लेकिन सर्दी के अंदर बकरी को खरीदने से बचना चाहिए ।

Beetal

Beetal बकरी से एक नस्ल है पंजाब क्षेत्र की भारत और पाकिस्तान के अंदर पाली जाती है।यह दूध और मांस के लिए पाली जाती है।यह लाहौरी बकरी के नाम से भी जानी जाती है।यह शरीर के अंदर बड़े आकार की और अच्छा दूध देने वाली मानी जाती है।इन बकरियों के कान चपटे लबें और लटके हुए होते हैं।इन बकरियों की खाल अपने बड़े आकार और कपड़े, जूते और दस्ताने बनाने के लिए वेलोर, साबर और चामो जैसे महीन चमड़े की उपज के कारण उच्च गुणवत्ता की मानी जाती है।

  • Faisalabadi strain of Beetal
  • Makhi-Cheeni Beetal
  • Nuqri Beetal
  • Nagri Beetal
  • Gujrati Beetal
  • RY Khan Beetal

पंजाब के गुरदासपुर, अमृतसर और फिरोजपुर व हरियाणा के अंदर देखने को मिलती है।प्रौढ़ नर बकरी का भार 50-60 किलो और मादा बकरी का भार 35-40 किलो होता है। और नर बकरी की लंबाई 86 सेमी होती है। इसके अलावा मादा बकरी की लंबाई लगभग 81 सेमी तक होती है।यह रोजाना 2 किलो दूध तक देदेती है।

‌‌‌यह बकरी कई प्रकार के भोजन को खा सकती है। ,जैसे कड़वे ,नमकीन और मीठे खाने को पसंद करती है।लोबिया, बरसीम, लहसुन आदि खाते हैं लेकिन सबसे अधिक चारा खाना इनको पसंद होता है। Beetal बकरी को भोजन देने के लिए एक विशेष स्थान बनाना होता है। क्योंकि यह भोजन को खराब कर सकते हैं।

‌‌‌इन बकरियों के भोजन के अंदर बरसीम, लहसुन, फलियां, मटर, ग्वार,शलगम, आलू, मूली, गाजर, चुकंदर, फूल गोभी और बंद गोभी।घास: नेपियर घास, गिन्नी घास, दूब घास, अंजन घास, स्टाइलो घास ,पीपल, आम, अशोका, नीम, बेरी आदि। चने, अरहर और मूंगफली, संरक्षित किया चारा ,नारियल बीज की खल, सरसों की खल, मूंगफली की खल, अलसी, शीशम, गेहूं का चूरा, चावलों का चूरा यह खा सकते हैं।

‌‌‌यदि बकरी ने बच्चे को जन्म दिया है तो उसको सबसे पहले मां का दूध पिलाया जाना चाहिए । क्योंकि मां के दूध के अंदर विटामिन ए, डी, खनिज पदार्थ जैसे कॉपर, आयरन, मैगनीज़ और मैगनीशियम जैसे तत्व होते हैं जोकि बच्चे को लड़ने की क्षमता प्रदान करते हैं।400 मि.ली दूध बच्चे को रोजाना पिलाया जाना ‌‌‌चाहिए । ‌‌‌और दूध देने वाली बकरी को हरा चरा देना चाहिए। व दूध को बढ़ाने के लिए उपर दिये गए तरीकों का प्रयोग आप कर सकते है।।

Osmanabadi

‌‌‌यह नस्ल महाराष्ट्र के अंदर उस्मानाबाद ,अहमदनगर ,सोलपुर आदि के अंदर पाली जाती है।तेलंगाना ,और कर्नाटक के अंदर पाया जाती है।यह बकरी दूध और मांस के लिए पाली जाती है।यह 4 महिने की स्तनपान अवधि होती है।यह डेढ लिटर तक दूध देती है। ‌‌‌यह साल के अंदर दो बार प्रजनन करती है और जुड़वा बच्चे देती हैं।यह देखने मे यह मध्यम आकार की होती हैं और इनके कोट का रंग काला होता है।90 प्रतिशत बकरियों के अंदर सींग होते हैं और इनके शरीर के 30 प्रतिशत भाग पर धब्बेदार होती हैं।

‌‌‌इस बकरी की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी अच्छी होती है। इसी वजह से इसको सूखे के अंदर भी आसानी से रखा जा सकता है।यह बकरी पहला बच्चा 15 महिने के अंदर देती है और यह 4 महिने तक दूध पीता है।इस बकरी का चमड़ा अच्छी गुणवकता का होता है ।जिसको कई कार्यों के अंदर प्रयोग होता है।

‌‌‌नर बकरी का वजन 32 से 36 किलो होता है। लेकिन मादा बकरी का वजन 30 से 32 किलो का होती है। नर बकरी के शरीर की औसत लंबाई 68 सेमी तक होती है।इनमे नर बकरी की उच्च मांग होती है। और यह 4500 से 6000 रूपये के अंदर बिकती है। ‌‌‌इसके अलावा मादा बकरी की कीमत नर बकरी की तुलना मे कम होती है। मादा की कीमत 3500 रूपये से 4500 तक होती है। ‌‌‌वैसे तो बकरी की कीमत उसके वजन पर निर्भर करती है। यदि बकरी का वजन अधिक है तो उसकी कीमत अधिक हो जाती है।

Malabari

मालाबारी बकरियों को केरल के मालाबार जिलों में पाला जाता है, और कभी-कभी उन्हें टेलिचेरी बकरियां भी कहा जाता है । वैसे इन बकरियों को मांस के लिए पाला जाता है लेकिन दूध भी इनसे पैदा होता है।इनके अंदर नर का वजन 41 किलो होता है तो मादा का वजन 31 किलो होता है। ‌‌‌इनके कोट सफेद रंग के होते हैं और यह बीटल बकरी के समान होती हैं। इनका वजन कम होता है।इनके कान और पैर छोटे होते हैं।

Jakhrana goat

‌‌‌यह नस्ल बीटल नस्ल से मिलतीजुलती है। और यह हरियाणा व पंजाब के अंदर देखने को मिलती है।यह मुख्य रूप से काले रंग की होती है और इसके शरीर के उपर सफेद धब्बे होते हैं।यह नस्ल दूध और मांस के लिए पाली जाती है।इस नस्ल की स्तनपान की अवधी 6 से 7 महिने तक होती है। ‌‌‌यह इस दौरान 2 से 3 किलो तक दूध देती है। ‌‌‌यह बकरियां कई मामलों मे एकल बच्चे भी देती हैं तो कई मामलों मे जुड़वा बच्चे भी देती हैं।‌‌‌इस बकरी के शरीर का वजन 55 से 45 किलो होता है तो शरीर की लंबाई। 84 से 87 सेमी तक होती है।बच्चे के जन्म के 3 महिने बाद वजन 12 किलो से 13 किलो के बीच हो जाता है। और 6 महिने बाद 16 से 17 किलो वजन होता है।‌‌‌और उसके बाद जब 12 महिने बीत जाते हैं तो शरीर का वजन 26 से 28 किलो तक हो जाता है।‌‌‌वैसे इस बकरी की मांग बाजार के अंदर अलग अलग होती है यदि वजन के हिसाब से इसको बेचा जाता है तो यह 200 रूपये प्रतिकिलो के हिसाब से बिकती है।

Sirohi goat

By Akbarkq – Own work, CC BY-SA 3.0, wiki

सिरोही एक भारतीय है नस्ल की घरेलू बकरी । इसका नाम उत्तर-पश्चिमी भारत में राजस्थान के सिरोही जिले के मूल क्षेत्र के लिए रखा गया है । और यह दूध और मांस के लिए पाली जाती है। वैसे इस बकरी को मांस के लिए पसंद किया जाता है। राजस्थान के शुष्क क्षेत्र के लिए यह बहुत अधिक अनुकूल है।

1972 के अंदर इस नस्ल की कुल आबादी 200000 तक थी।इस नस्ल की उत्पति राजस्थान के सिरोही जिले के अंदर हुई थी। इस वजह से इसको सिरोही नाम दिया गया है।

सिरोही बकरियां मध्यम से बड़े आकार के जानवर होते हैं जिनका शरीर कॉम्पैक्ट बेलनाकार से शंक्वाकार होता है।।इनका शरीर घने बालों से ढ़का होता है जो छोटे और मोटे होते हैं। इनका कोट हल्के भूरे रंग का होता है। और चमकदार होता है। बहुत कम ही बकरियों का कोट सफेद रंग का होता है।

सिरोही बकरी का चेहरा आमतौर पर सीधा या कभी-कभी थोड़ा ऊपर उठा हुआ होता है।और इनके कान सीधे सपाट और मध्यम आकार के होते हैं।नर और मादा दोनों के सींग होते हैं जो आमतौर पर ऊपर की ओर और पीछे की ओर नुकीले सिरों से घुमावदार होते हैं। इनकी पूंछ मध्यम लंबाई की छोटी और उपर की तरफ मुड़ी हुई होती है।

लक्षण
वजनपुरुष: 50 किलो  महिला: 23 किलो
ऊंचाईपुरुष: 86 सेमी  महिला: 68 सेमी
हॉर्न की स्थितिदोनों लिंगों में छोटे पीछे के घुमावदार सींग

‌‌‌इस बकरी को मांस उत्पादन के लिए भी पाला जाता है क्योंकि यह अन्य बकरियों की तुलना मे तेजी से अपना वजन बढ़ाती है।सिरोही बकरी के बच्चे का जन्म का वजन 3.5 से 4 किलोग्राम होता है और यह 3 महीने की उम्र में आसानी से 12 किलोग्राम शरीर का वजन प्राप्त कर लेता है।

‌‌‌वैसे देखा जाए तो सिरोही नस्ल के दूध कम होता है।यह रोजाना आधा किलो तक दूध देती है। और स्तनपान की अवधी 4 महिने की होती है।120 दिन के अंदर यह 70 किलो तक दूध दे देती है।‌‌‌यह बकरी पहला बच्चा 19 महिने के अंदर देना शूरू करती है।40 प्रतिशत जुड़वा बच्चों के जन्म देने की संभावना होती है तो 60 प्रतिशत एकल बच्चे के जन्म देने की संभावना होती है।

‌‌‌सिरोही बकरी का मूल्य कई चीजों पर निर्भर करता है जैसे ,वजन , स्थान और बाजार के अंदर मांग आदि लेकिन आमतौर नर का मूल्य 175 रूपये से लेकर 200 रूपये प्रतिकिलो होता है तो मादा का मूल्य 150 रूपये प्रतिकिलो के हिसाब से होता है।

बकरी का दूध बढ़ाने के उपाय bakri ka doodh badhane ka tarika लेख आपको पसंद आया होगा यदि आपका कोई विचार हो तो नीचे कमेंट करके हमे बताएं ।

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This post was last modified on May 20, 2021

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