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    Home»success story»दृष्टिहीन होने के बाद भी ब्रह्मानंद शर्मा कैसे बने जज How to become a judge Brahmanand Sharma despite being blind?
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    दृष्टिहीन होने के बाद भी ब्रह्मानंद शर्मा कैसे बने जज How to become a judge Brahmanand Sharma despite being blind?

    arif khanBy arif khanApril 25, 2018Updated:May 5, 2024No Comments4 Mins Read
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    शर्मा
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    दोस्तों यदि इंसान के मन मे हौसला हो तो क्या कुछ नहीं किया जा सकता ।बहुत बार शारीरिक रूप से विकलांग इंसान भी वो कर जाते हैं जो अच्छे खासे इंसान भी नहीं कर पाते हैं। दोस्तों हर विकलांग सक्सेस नहीं हो पाते हैं। वैसे दुनिया ‌‌‌के अंदर दो प्रकार के व्यक्ति होते हैं। कुछ अपने अंदर कमियां होने के बाद भी अपनी कमियों को कभी भी अपनी कमजोरी नहीं बनने देते हैं। आज की सक्सेस स्टोरी कुछ ऐसी ही है।

    ब्रह्मानंद शर्मा ने अनेक समस्याओं का सामना किया लेकिन हार नहीं मानी और हर समस्या से जीत कर अपने सपनो को पूरा कर दिखाया । कहते हैं इंसान का जनून और पागल पन उसे उसके अंजाम तक पहुंचा देता ही है।

    ‌‌‌ब्रह्मानंद शर्मा राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के मैट्रास गांव के रहने वाले हैं। वे अब राजस्थान के अजमेर जिले के अंदर न्यायायिक मजिस्ट्रेट के पद पर काम करते हैं। वे दूसरे जजों से अलग हैं। क्योंकि उनके आंखे नहीं हैं। लेकिन बिना आंखों के बाद भी वे वो सब कुछ करते हैं जो आंखे वाले लोग करते हैं। ‌‌‌22 साल की उम्र मे ग्लेकोमा बिमारी की वजह से उनकी आंखों की रोशनी चली गई। उसके बाद उन्हें हर कामों के अंदर परेशानियों का सामना करना पड़ा ।

    Table of Contents

    • ‌‌‌बचपन मे किया था बहुत संघर्ष
    • Very struggling in childhood
    • ‌‌‌पहली बार हाथ लगी असफलता
    • First hand failure
    • ‌‌‌रूकी नियुक्ति की प्रक्रिया
    • stoop  appointment process
    • कैसे देते हैं ब्रह्मानंद शर्मा फैसला
    • How are the decisions of Brahmanand Sharma living?
    • ‌‌‌इतिहास हमेशा पागल लोग रचते हैं
    •  History always makes by mad people

    ‌‌‌बचपन मे किया था बहुत संघर्ष

    Very struggling in childhood

    ब्रह्मानंद शर्मा राजस्थान के पहले नेत्र हीन जज हैं।इस मुकाम पर पहुंचने के लिए उन्हें बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा । उन्हें अपनी प्रारम्भिक शिक्षा को सरकारी स्कूल के अंदर ही पूरा किया । उनके परिवार के अंदर कोई जज नहीं था । उनके पिता एक शिक्षक थे ‌‌‌घर की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से उनको जहां पर नौकरी मिली करली ।

    कुछ समय बाद उनको 1996 के अंदर उनको सर्वाजनिक निर्माण विभाग के अंदर एलडीसी की नौकरी मिली । उनका मन नौकरी करने का नहीं था । फिर भी उन्हें नौकरी की लेकिन ‌‌‌दफतर मे उनको हीनता से देखते थे । तभी से उन्होंने ठान लिया की वे उच्च पद पर नयुक्त होकर दिखाएंगे । पारिवारिक जिम्मेदारी की वजह से वे वह नौकरी छोड़ नहीं सकते थे ।

    ‌‌‌पहली बार हाथ लगी असफलता

    First hand failure

    सन 2008 के अंदर ब्रह्मानंद शर्मा ने आरजेएस की परीक्षा दी लेकिन उनको सफलता नहीं मिली । फिर उन्होंने कोचिंग ज्याईन करने का फैसला किया लेकिन कोचिंग वालों ने अंधे होने की वजह से पढ़ाने से इंनकार कर दिया । ‌‌‌उनकी जज बनने की ख्वाहिश को पूरा करने के लिए उनके पत्नी और भतीजे ने खूब मदद की । वे उनको प्रश्नों की वाइस रिकार्डिंग करके देते थे ।ब्रह्मानंद शर्मा उन्हें रात पर सुनते रहते थे । जिसे उनको बहुत कुछ याद हो चुका था । सन 2013 के अंदर आरजेएस की परीक्षा के अंदर 83 वीं रैंक उनको हाशिल हुई ।

    ‌‌‌रूकी नियुक्ति की प्रक्रिया

    stoop  appointment process

    सन 2013 के अंदर सारे परीक्षा के अंदर पास हो चुके स्टूडेंट की नियुक्तिे चुकी थी । लेकिन ब्रह्मानंद शर्मा अंधे होने की वजह से उनकी नियुक्ति रोक ली गई। जब मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा तो हाईकोर्ट ने उनकी नियुक्ति की सिफारिश की । तब उनका भी चैयन हो गया । एक साल ‌‌‌की ट्रेनिंग देने के बाद उनकी नियुक्ति 2016 के अंदर चितौड़गढ के अंदर पदभार दिया गया । उसके बाद उनका स्थानान्तरण ‌‌‌किया गया ।

    कैसे देते हैं ब्रह्मानंद शर्मा फैसला

    How are the decisions of Brahmanand Sharma living?

    ‌‌‌उनके सुनने की शक्ति बहुत तेज है। और वे हर वकील को उसकी आवाज से ही पहचान लेते हैं। कभी भी धोखा नहीं खाते हैं। और मैरिट लिस्ट के आधार पर फैसला सुनाते हैं। दोनो पक्षों की हर प्रकार की दलिलों को सुनते हैं। वे तेज सुनने के लिए एक होई स्पीड डिवाइस का इस्तेमाल करते हैं।

    ‌‌‌इतिहास हमेशा पागल लोग रचते हैं

     History always makes by mad people

    दोस्तों यह बात हमेशा सच रही है कि इतिहास सिर्फ वोही लोग रच पाते हैं जो अपने लक्ष्य को पाने के लिए उसी तरह से दिन रात तड़पते रहते हैं जिस तरह से बिन पानी मछली तड़पति है। वे लोग ही सक्सेस होते हैं। लेकिन बुद्विमान लोग सिर्फ इतिहास पढ़ सकते हैं रच नहीं

    ‌‌‌सकते ।

    एक बार मन मे ठान लिजिए हर नामुमकिन मुमकिन बन जाएगा ।

    arif khan
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