Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    cool thoughtscool thoughts
    • Home
    • Privacy Policy
    • About us
    • Contact Us
    Facebook X (Twitter) Instagram
    SUBSCRIBE
    • Home
    • Tech
    • Real Estate
    • Law
    • Finance
    • Fashion
    • Education
    • Automotive
    • Beauty Tips
    • Travel
    • Food
    • News
    cool thoughtscool thoughts
    Home»‌‌‌शिक्षाप्रद कहानियां»पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की प्रेम कहानी
    ‌‌‌शिक्षाप्रद कहानियां

    पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की प्रेम कहानी

    arif khanBy arif khanFebruary 4, 2018Updated:November 4, 2018No Comments4 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Reddit WhatsApp Email
    चौहान और संयोगिता
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest WhatsApp Email

    पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की प्रेम कहानी पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की love story

    दिल्ली की राज गददी पर बैठने वाले भारत के महान शासक पृथ्वीराज चौहान का नाम कौन नहीं जानता है? जिनके विरता के किस्से दूर दूर तक फैले हुए हैं। जिन्होंने बचपन मे ही शेर का जबड़ा फाड़ डाला था । और अपने शब्द बेदी बांण से मोहम्मद गौरी को मौत के घाट उतार ‌‌‌दिया था । जिनके बारे मे बहुत कम लोगों को पता होगा कि वे एक अच्छे प्रेमी भी थे । पृथ्वीराज चौहान कन्नोज के महाराज जयचंद की पुत्री से प्रेम करते थे । दोनों का प्रेम इतना गहरा था कि संयोगिता के स्वयंवर के अंदर जाकर पृथ्वीराज चौहान ने उसको उठा लिया था ।

    Table of Contents

    • पृथ्वीराज चौहान को कैसे पसंद आई संयोगिता ?
    • पृथ्वीराज चौहान कैसे पसंद आए संयोगिता को ?
    • ‌‌‌चित्रकार ने निभाया अहम रोल
    • ‌‌‌संयोगिता का स्वयंवर
    • ‌‌‌जयचंद्र गददार ने लिया बदला
    • ‌‌‌शब्द बेदी बाण से गौरी को उतार दिया मौत के घाट

    पृथ्वीराज चौहान को कैसे पसंद आई संयोगिता ?

    ‌‌‌यह बात उस समय कि है जब पृथ्वीराज चौहान अपने नाना दिल्ली के समा्रट अनंगपाल की मौत के बाद दिल्ली की राज गददी पर बैठे थे । अनंगपाल को कोई पुत्र नहीं था तो उसने अपने दामाद सोमेश्वर सिंह से पृथ्वीराज चौहान को दिल्ली की राजगददी पर बैठने की अनुमति प्रदान करने को कहा था । पृथ्वीराज चौहान जैसे ही राजगददी पर बैठे उनको कन्नौज के राज जयचंद की पुत्री संयोगिता भा गई थी ।

    पृथ्वीराज चौहान कैसे पसंद आए संयोगिता को ?

    उस समय कन्नौज का राजा जयचंद्र था । उसका छोटा सा राज्य था । वह पृथ्वीराज चौहान की बढ़ती ताकत से ना खुश था । और ईष्या का भाव रखता था । उसकी एक खूबसूरत बेटी थी संयोगिता । ‌‌‌एक बार कन्नौज राज्य के अंदर एक चित्रकार आया । उसके पास देस विदेस के अलग अलग राजकुमारों के चित्र थे । उनमे पृथ्वीराज का भी चित्र था । जब कन्नौज की लड़कियों ने पृथ्वीराज का चित्र देखा तो उनकी सुंदरता उन सभी के मन को भा गयी । और लड़कियों ने पृथ्वीराज की अच्छी प्रसंसा की । जब यह बात ‌‌‌राजकुमारी संयोगिता के कानों तक पहुंची तो वह भी पृथ्वीराज को देखने के लिये लालायति हो गई ।

    ‌‌‌चित्रकार ने निभाया अहम रोल

    जब पृथ्वीराज चौहान के चित्र को राजकुमारी ने देखा तो एक ही पल मे अपना र्स्वस्व पृथ्वीराज चौहान को सर्पित कर दिया । लेकिन दोनों का मिलना इतना सरल नहीं था । क्योंकि जयचंद्र और पृथ्वीराज चौहान के बीच कटर दूश्मनी थी । चित्रकार फिर राजकुमारी का चित्र बनाकर

    पृथ्वीराज चौहान के पास पहुंचा और उन्हें यह चित्र दिखाया । राजकुमारी की सुंदरता को देखकर पृथ्वीराज चौहान एक पहल मे ही उसे पसंद कर लिया और दोनों का प्रेम काफी गहरा हो गया ।

    ‌‌‌संयोगिता का स्वयंवर

    संयोगिता के विवाह करने के लिए उसके पिता जयचंद्र ने स्वयंवर का आयोजन किया था । जिसके अंदर आस पास के कई राजकुमारों को बुलाया गया था । लेकिन उसमे पृथ्वीराज चौहान को नहीं बुलाया गया । यह उनका अपमान करने के लिए था । जयचंद्र ने एक मूर्ति गेट पर लगादी थी । जब राजकुमारी ‌‌‌आई तो उनको उनका पसंद का वर कहीं पर नहीं दिखाई दिया जिसकी वजह से उन्हें जैसे ही पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति पर वर माला डालनी चाही पृथ्वीराज चौहान वहां आ खड़े हुए तो संयोगिता ने पृथ्वीराज चौहान के गले मे वर माला डालदी । यह देख उसके पिता जयचंद्र आग बबूला हो गया और तलवार निकाल कर दौड़ा । ‌‌‌लेकिन सब बेकार रहा पृथ्वीराज चौहान वहां से संयोगिता को लेकर भाग खड़े हुए ।

    ‌‌‌जयचंद्र गददार ने लिया बदला

    जयंचद्र अपने अपमान का बदला लेना चाहता था । इसके लिए उसने मोहम्मद गौरी से हाथ मिलाया व पृथ्वीराज चौहान को मारने के लिए आमंत्रित किया । पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को 16 बार परास्त किया लेकिन सबसे बड़ी गलती पृथ्वीराज चौहान ने यह कि की उसने हर बार मोहम्मद ‌‌‌गौरी को जीवित छोड़ दिया । लेकिन 17 वीं बार मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को हरा दिया और उसे बंदी बना लिया गया । यातनाएं दी गई। व गर्म सलाखों से उनकी आंखे तक निकाल ली गई ।

    ‌‌‌शब्द बेदी बाण से गौरी को उतार दिया मौत के घाट

    अंत हार कार मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को मारने का फैसला किया । लेकिन तभी वहां पर पृथ्वीराज चौहान के दोस्त चंद्रबरदाई पहुंच गया । उसने मोहम्मद गौरी को पृथ्वीराज चौहान की एक खास कला के बारे बताया। और मोहम्मद गौरी मान गया ।

    ‌‌‌भरी सभा के अंदर चंद्रबरदाई ने एक दोहे के द्वारा प्रथ्वी राज को मोहम्मदगौरी के बैठने के स्थान के बारे मे बताया था । वह दोहा इस प्रकार है।

    चार बांस चौबिस गज अंगुल अष्ट प्रमाण

    ता उपर सुल्तान है मत चुके चौहान

    उसके बाद चौहान ने अपने अचूक शष्द बेदी बाण से मोहम्मदगौरी को मार गिराया और ‌‌‌चंद्रबरदाई और प्रथ्वीराज चौहान ने एक दूसरे को खत्म कर दिया । जैसे ही यह सूचना संयोगिता को मिली वह बहुत दुखी हुई और सती हो गई।

    arif khan
    • Website
    • Facebook
    • Instagram

    यदि आपको गेस्ट पोस्ट करनी है। तो हमें ईमेल पर संपर्क करें । आपकी गेस्ट पोस्ट पेड होगी और कंटेंट भी हम खुदी ही लिखकर देंगे ।arif.khan338@yahoo.com

    Related Posts

    बन्दर के दिल होता है कि नहीं ? बंदर के कलेजे की सुंदर कहानी

    February 24, 2020

    ननकू कहानी शिक्षा का धन Wealth of education

    February 1, 2019

    सबसे सुखी पक्षी ज्ञानवर्धक और शिक्षा प्रद स्टोरी in hindi

    April 1, 2018
    Leave A Reply

    Categories
    • Home
    • Tech
    • Real Estate
    • Law
    • Finance
    • Fashion
    • Education
    • Automotive
    • Beauty Tips
    • Travel
    • Food
    • News

    Subscribe to Updates

    Get the latest creative news from FooBar about art, design and business.

    Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
    • Home
    • Privacy Policy
    • About us
    • Contact Us
    © 2025 Coolthoughts.in

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.