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    Home»‌‌‌शिक्षाप्रद कहानियां»शिक्षाप्रद कहानियां भाग – 2
    ‌‌‌शिक्षाप्रद कहानियां

    शिक्षाप्रद कहानियां भाग – 2

    arif khanBy arif khanNovember 19, 2017Updated:November 4, 2018No Comments8 Mins Read
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    Table of Contents

    • ‌‌‌ 1.निरोगी काया
    • ‌‌‌ 2. दूसरों के अंदर अच्छाइंया खोजे
    • ‌‌‌ 3.ईश्वर की सेवा
    • ‌‌‌ 4.कठिन परिस्थितियों मे मे होश से काम लें
    • ‌‌‌ 5. समय की गति
    • ‌‌‌ 6. दान की महिमा
    • ‌‌‌ 7. लोहे को सोना बनाना
    • ‌‌‌ 8.साहूकार से कर्ज

    ‌‌‌ 1.निरोगी काया

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    एक बार एक गरीब व्यक्ति गरीबी से तंग आकर आत्महत्या करने जा रहा था कि रास्ते के अंदर उसे एक अंधा संत मिल गया । वह संत से बोला मैं काफी गरीब हूं और अपनी गरीबी से तंग आ गया हूं । इसलिए आत्महत्या करने जा रहा हूं । संत उसके बात को सुनकर बोले कोई बात नहीं आत्महत्या ‌‌‌तो करलो किंतु मरने से पहले तुम्हारी एक आंख मुझे देदो । मैं तुमको 100 मुहरे दुंगा । लेकिन तब गरीब बोला मैं अपनी आंख तुम्हें कैसे दे सकता हूं । तब संता बोला चलो कोई बात नहीं एक हाथ ही देदो । गरीब असंमजस मे पड़ गया ।

    ‌‌‌तब संत बोले संसार के अंदर पहला सुख निरोगी काया है। तुम्हारे पास सब कुछ है फिर भी तुम आत्महत्या करने जा रहे हो । जबकि मेरे पास तो एक आंख भी नहीं है फिर भी मैं मरने के बारे मे नहीं सोचता हूं ।

    ‌‌‌तब वह गरीब शर्मिंदा हुआ और कभी न आत्महत्या करने की कसम खाई।

    ‌‌‌ 2. दूसरों के अंदर अच्छाइंया खोजे

    एक किसान के पास दो बाल्टी थी । एक बाल्टी अच्छी हालत के अंदर थी । और दुसरी की तली के अंदर छेद था । किसान रोज दूर तालाब से पानी भरकर लाता था । और किसान के घर तक पहुंचते पहुंचते छेद वाली बाल्टी के अंदर आधा ही पानी बचता था । वह अपने जीवन से पूरी तरह से निराश हो ‌‌‌चुकी थी। जबकि बिना छेदवाली बाल्टी को घमंड हो गया था । एक दिन छेदवाली बाल्टी किसान से बोली कि उसे वह फेंक देन वह कोई काम की नहीं है। तब किसान ने कहा कि वह इतनी बुरी नहीं है जितना की खुद को समझती है। पगड़ंडी के आस पास देखो तुमको तुम्हारे पानी के रिसाव से अनेक फूल खिलने लगे हैं। और इन ‌‌‌फूलों को बेचकर तो मैं अच्छी कमाई भी कर रहा हूं । यह सब तुम्हारी कमियों की वजह से ही तो हुआ है।

    ‌‌‌ 3.ईश्वर की सेवा

    एक गांव के अंदर एक पूजारी रहता था । पूजारी दिनरात भगवान की सेवा के अंदर लीन रहता था । गांव के लोग भी अपना काम जल्दी निपटाके उसकी पूजा के अंदर शामिल होने आ जाते और उसके प्रवचन सुनते । किंतु उसकी गाव के अंदर एक गाड़ीवान रहता था । वह अपने काम मे इतना अधिक व्यस्थ रहता था कि ‌‌‌उसे पूजारी के प्रवचन सुनने का मौका ही नहीं मिल पाता था । एक दिन वह पूजारी के पास आया और बोला की मैं आपके प्रवचन तो सुनने की बहुत इच्छा करता हूं ।लेकिन मैं क्या करू मुझे यह सब करने का समय ही नहीं मिल पाता है। तब पूजारी ने पूछा कि क्या तुमने दीन दुखियों को को अपनी गाड़ी के अंदर बैठाकर मदद ‌‌‌की है। ‌‌‌तब गाड़ी वान बोला हां ऐसे अनके अवसर आए हैं। जब मैंने दीन दुखियों को बिना पैसा लिए उनके गंतव्य स्थान पर छोड़ा है। तब पूजारी बोला यही सच्ची ईश्वर की सेवा है। इससे बड़ा कोई धर्म नहीं है।

    ‌‌‌ 4.कठिन परिस्थितियों मे मे होश से काम लें

    बहुत पूराने समय की बात है। एक बार एक राजा की पत्नी की प्रसंसा उसकी इस बात को लेकर थी कि उसे कभी भी क्रोध नहीं आता है। उस स्त्री के घर के अंदर एक नौकर भी काम करता था । नौकर ने उसकी ख्याति को जानकर उसकी परिक्षा लेने की सोची । वह जानना चाहता था कि उस ‌‌‌कि मालकिन को क्रोध आता है या नहीं । उसके बाद वह कल सुबह देर से आया मालकिन ने उसे देर से आने का कारण पूछा तो उसने कोई जवाब नहीं दिया । उसके अगले दिन फिर देर से आया । फिर उसकी मालकिन ने देर से आने का कारण पूछा तो उसने कोई जवाब नहीं दिया । तो उसकी मालकिन बहुत गुस्से मे आ गयी। ‌‌‌और एक डंडा उठाकर नौकर के सर पर मार दिया । नोकर अपनी जान बचाकर वहां से भाग निकला उस के बाद दूर दूर तक यह बात आग की तरह फैल गई और उसकी ख्याति मिटटी के अंदर मिल गई। इसलिए कहा जाता है। हर काम सोच समझ कर ही करना चाहिए।।

    ‌‌‌ 5. समय की गति

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    एक नदी के किनारे दो पेड़ थे । एक शमी का और दूसरा बांस का । शमी का पेड़ काफी अच्छी हालत के अंदर था। और उसे घमड़ था कि तूफान उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते । जबकि इसके विपरित बांस के पेड़ को कोई घमंड नहीं था । वह काफी विनम्र स्वभाव का पेड़ था । ‌‌‌एक दिन सचमुच नदी के अंदर तूफान आ गया और धीरे धीरे तूफानी लहरों ने शमी की जड़ों की मिटटी को हटाना शूरू कर दिया । देखते ही देखते । लहरों ने सारे पेड़ की जड़ों का बाहर निकाल दिया और अंत मे पेड़ गिर गया । जबकी उसके पास वाला बांस का पेड़ लचीला था । वह उखड़ा नहीं वर जमीन पर पसर गया । जब तुफान ‌‌‌खत्म हुआ तो लोगो ने देखा कि बांस का पेड़ सही सलामत है। जबकि शमी का पेड़ गिर चुका है। यानि जो लोग समय की गति को पहचानते नहीं है। और विनम्र नहीं होते वे शमी के पेड़ की तरह ही नष्ट हो जाते हैं।

    ‌‌‌ 6. दान की महिमा

    एक व्यक्ति ने बहुत सा धन गांव के अंदर धर्मशाला बनाने के लिए दिया । किंतु किसी वजह से उस व्यक्ति को प्रबंध समिति से हटा दिया गया । और वह बापू के पास आकर सारी बात बताई । तब बापू बोले की भाई तुम दान की महिमा को नहीं समझे । दान देने का मतलब यह नहीं की आप उसके विपरित कुछ ‌‌‌आसा करो दान देने का मतलब है दान दो और उसे भूल जाओ । यानि दान देने के बाद किसी से यह नहीं कहना चाहिए कि मैंने दान किया है। ऐसा कहने पर दान देने का कोई फायदा नहीं होता है।

    ‌‌‌ 7. लोहे को सोना बनाना

    प्राचीन समय की बात है। जब गुरूजी बुढ़े होने लगे तो उन्होने सोचा की वे तो अब मरने वाले हैं। और अपनी गुप्त विधा अपने सबसे अच्छे शिष्य को बता देना चाहिए । इसी बीच उन्होने अपने प्रिय शिष्य को रात को खाना खाने आमंत्रित किया और साथ ही लोहे को साथ लाने को कहा । शिष्य ‌‌‌समझ गया कि गुरूजी उसे कोई गूढ रहस्य बताने जा रहे हैं। यह वे रहस्य किसी ओर को ना बतादे इसलिए उसने गुरूजी को ही बताने के बाद मारने का निश्चय करलिया । जब गुरू और शिष्य खाना खाने लगे तो शिष्य ने गुरू की थाली मे जहर मिला दिया । और वह वापस जब जहर को फेंकर आया तो जहर मिली थाली को पहचान न ‌‌‌नहीं सका और खुद ही जहर मिले भोजन को खागया जिसकी वजह से शीघ्र ही अचेत हो गया । गुरूजी ने उसका उपचार किया और जब शिष्य ठीक हुआ तो गुरूजी के पैरों मे गिर बोला मुझे मांप करदिजिए मैंने आपको जहर देने की कोशिश की गुरूजी बोले मेरी शिक्षा के अंदर कोई ‌‌‌चूक रह गई थी इसी वजह से यह सब हुआ ।

    ‌‌‌तब शिष्य बोला ऐसा कुछ नहीं है अब मैं आपके द्वारा बताई गई कोई भी विधा का गलत उपयोग नहीं करूंगा ।

    ‌‌‌ 8.साहूकार से कर्ज

    बहुत प्राचीन समय की बात है। एक गांव के अंदर एक बनिया रहता था । अचानक से उसका धंधा काफी कमजोर पड़गया तो उसने ‌‌‌विदेश जाकर पैसे कमाने की सोची । लेकिन ‌‌‌विदेश जाने मे भी पैसे लगते हैं। सो उसने अपना लौहे का तराजू एक साहूकार के पास गिरवी रखदिया । और उसके बदले पैसे लेकर ‌‌‌विदेश चला गया। ‌‌‌जब उसने काफी पैसा कमालिया तो वह वापस आ गया और साहूकार से अपना तराजू वापस मांगा ।लेकिन साहू कार ने बोल दिया की भाई उसे तो चूहे खा गये । बनिये ने कुछ नहीं कहा और साहूकार से बोला कि वह नहाने जा रहा है। इसलिए उसके कपड़े भिजवादेना । साहूकार ने अपने बेटे के हाथ बनिये कपड़े भिजवा दिये ।

    ‌‌‌बनिये ने साहूकार के बेटे को एक गूफा के अंदर बंद करदिया और साहूकार के पास आकर बोल दिया आपके बेटे को तो बाज ले गया । यह सब सुनकर साहूकार गुस्सा हो गया और राजा के पास आकर बोला कि उसके बेटे को बनिये ने गायब करदिया है। ‌‌‌और कह रहा है आपके बेटे को तो बाज लेगया । तब राजा हंस कर बोला किसी बच्चे को बाज कैसे ले जा सकता है। तब बनिया बोला कि तो महाराज तो मेरा लौहे का तराजू को चूहे कैसे खा सकते हैं। तब राजा ने कहा साहूकार आप बनिये के तराजू को वापस कर दिजिए और बनिया आपके लड़के को वापस करदेगा ।

    arif khan
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