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    Home»‌‌‌शिक्षाप्रद कहानियां»jatak katha इन हिंदी महत्वपूर्ण जातक कथाओं का संकलन भाग – 1
    ‌‌‌शिक्षाप्रद कहानियां

    jatak katha इन हिंदी महत्वपूर्ण जातक कथाओं का संकलन भाग – 1

    arif khanBy arif khanJanuary 18, 2018Updated:November 4, 2018No Comments21 Mins Read
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    jatak katha महात्मा बुद्व के पूर्व जन्म की कथाएं हैं। jatak katha के अंदर यही कोई 600 के आस पास कहानियां मौजूद हैं। जिनके अंदर निति और धर्म का उपदेस दिया गया है। jatak katha विश्व की सबसे प्राचीन कथाओं के अंदर आती हैं। इन कथाओं का उल्लेख बोद्व ग्रंथ त्रिपिटक के अंदर उल्लेख ‌‌‌मिलता है।

    story photo

    यहां पर हम आपको मोस्ट मोस्ट जातक कथाओं के बारे मे बताने जा रहे हैं। यह भाग प्रथम है।

    1.jatak katha इन हिंदी अक्लमंद हंस
    ‌‌‌ 2.jatak katha इन हिंदी आपस की फूट
    3.जातक कथाएं इन हिंदी एकता की ताकत
    ‌‌‌ 4.जातक कथाएं इन हिंदी आपस की फूट
    ‌‌‌ 5.जातक कथाएं इन हिंदी खरगोश की चतुराई
    ‌‌‌ 6.जातक कथाएं इन हिंदी गजराज और मुषकराज
    ‌‌‌ 7.जातक कथाएं इन हिंदी गधे की मूर्खता
    ‌‌‌ 8.जातक कथाएं इन हिंदी सच्ची मित्रता
    9.जातक कथाएं इन हिंदी उंट का अहंकार
    10.जातक कथाएं इन हिंदी मूर्ख मेंढक

    Table of Contents

    • 1.jatak katha इन हिंदी अक्लमंद हंस
    • ‌‌‌ 2.jatak katha इन हिंदी आपस की फूट
    • ‌‌‌ 3.जातक कथाएं इन हिंदी एकता की ताकत
    • ‌‌‌ 4.जातक कथाएं इन हिंदी आपस की फूट
    • ‌‌‌ 5.जातक कथाएं इन हिंदी खरगोश की चतुराई
    • ‌‌‌ 6.जातक कथाएं इन हिंदी गजराज और मुषकराज
    • ‌‌‌ 7.जातक कथाएं इन हिंदी गधे की मूर्खता
    • ‌‌‌ 8.जातक कथाएं इन हिंदी सच्ची मित्रता
    • ‌‌‌ 9.जातक कथाएं इन हिंदी उंट का अहंकार
    • ‌‌‌ 10.जातक कथाएं इन हिंदी मूर्ख मेंढक

    1.jatak katha इन हिंदी अक्लमंद हंस

    प्राचिन समय की बात है एक वन के अंदर कई सारे हंस गुट बनाकर रहते थे । उनमे एक बूढ़ा हंस भी था । अन्य हंस उसे ताउ कहके बुलाते थे । वह काफी अक्ल मंद था । एक दिन बूढे हंस ने एक छोटी सी बेल को पेड़ के तने के सहारे उपर चढ़ते हुए देखा । बूढे हंस ने अन्य हंसों को कहा कि वे इस बेल को‌‌‌नष्ट करदे नहीं तो यह किसी दिन हमे मुश्बित के अंदर डाल सकती है। एक अन्य युवा हंस ने कहा की ताउ यह छोटी से बेल हमे कैसे मुश्बित के अंदर डाल सकती है। ताउ ने उसे समझाते हुए बताया कि यह बेल धीरे धीरे मोटी होती चली जाएगी । और यह बड़ी द्रढता से पेड के चिपक जाएगी । और फिर पेड़ पर चढ़ने के लिए

    ‌‌‌सीढ़ी बन जाएगी। और कोई भी शिकारी इस सीढ़ पर से चढ़कर हम लोगों को आसानी से पकड़ लेगा । और हम सारे मारे जाएंगे । एक अन्य हंस ने ताउ की बात सुनकर कहा … ताउ यह छोटी से बेल कैसे बड़ी बन सकती है?

    दूसरे ने कहा ताउ बात को लम्बा खींच रहा है।

    ‌‌‌यानि किसी ने उसकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया समय बीतता गया और बेल पेड़ की शाखाओं पर से होते हुए उंचे स्थानों तक पहुंच गई ।उसका तना मोटा होता गया । सबको ताउ की बातों के अंदर सच्चाई नजर आने लगी । लेकिन अब हंस उस बेल को नष्ट नहीं कर सकते थे । क्योंकि वह अब ताकतवर हो चुकी थी।

    ‌‌‌एक दिन जब हंस दाना चुगने बाहर गए हुए थे तो वहां से होकर एक शिकारी गुजरा उसने बेल को पेड़ पर चढे हुए देखा तो बेल के सहारे पेड़ पर चढ़कर अपना जाल वहां पर बिछा दिया । जब हंस दाना चुगकर आए तो जाल के अंदर फंस गए । सभी को अब बहुत पछतावा हो रहा था।

    ‌‌‌सभी हंस ताउ से बोले की आपकी बात नहीं मानने की वजह से हम सब लोगों को यह सजा मिली है। अब आप ही कोई उपाय बताएं । ताउ ने अपना दिमाग लगाया और बोला … सुबह शिकारी आए तो तुम सब मरे हुए के समान हो जाना और जब वह तुम को एक एक जमीन पर रखे और अंतिम को जमीन पर रखदे तो मैं सीटी बजाउंगा ‌‌‌उसके बाद तुम उड जाना । सुबह शिकारी ने सबको मरा हुआ समझकर एक एक जमीन पर रखना शूरू करदिया । जैसे ही उसने अंतिम हंस को जमीन पर रखा । ताउ ने सीटी बजाई तो सारे हंस उड गए ।

    ‌‌‌शिक्षा – बुद्विमानों की सलाह गम्भीरता से लेनी चाहिए।

     

    ‌‌‌ 2.jatak katha इन हिंदी आपस की फूट

    ‌‌‌प्राचीन समय की बात है। एक भारूंड नामक एक विचित्र पक्षी रहता था। जिसके सर दो थे किंतु धड़ एक ही था। दोनों सिर के अंदर कोई एकता नहीं थी।‌‌‌दो दिमाग होने की वजह से वे दो दिसाओं के अंदर सोचते थे । यदि एक दिमाग एक दिसा की ओर जाने की सोचता था तो दूसरा दूसरी दिसा की ओर जाने की सोचता था। दोनो सर का आपस के अंदर बैर था।

    ‌‌‌एक दिन भारूंड भोजन की तलास के अंदर निकला । उसे एक फल गिरा देख चोंच मारी और बोला वाह क्या मस्त फल है इसको तो मैं ही खाउंगा।

    ………….मैं भी चख्कर देख लेता हूं ऐसा कहकर उसके दूसरे सर ने जैसे ही चोंच मारकर फल को खाना चाहा दूसरे सर ने उसे रोक लिया और बोला …..

    ‌‌‌……अपनी गंदी चोंच इस फल से दूर रख इसको मैंने ढूंढा है तो इसको खाउंगा भी मैं ही

    …….अरे हम दोनों एक ही शरीर के दो भाग हैं और इसलिए खाने पीने की चीजें तो हमे कमसे कम बांट कर खानी चाहिए ।

    दूसरा सर बोला ——-‌‌‌खाने का मतलब सिर्फ पेट भरना ही नहीं होता है भाई । जीभ का स्वाद भी कोई चीज होती है। जीभ के स्वाद से ही तो पेट को संतुष्टिी मिलती है।

    ‌‌‌—————–मैंने तेरी जीभ के स्वाद का कोई ठेका नहीं ले रखा है। पहले आराम से फल खाने दे उसके बाद डकार आएगी तब मजा आएगा। उसके बाद वह फल खाने लगा।

    ‌‌‌अपने अपमान का बदला लेने की अब दूसरा सिर ठान चुका था। एक दिन भारूड भोजन की तलास मे घूम रहा था । उसे एक फल दिखा । दूसरे सिर ने उस फल को उठा लिया और खाने ही वाला था कि पहला सिर जोर से चिल्लाकर बोला … अरे इस फल को मत खाना यह जहरीला फल है जिससे हमारी मौत हो सकती है।

    ‌‌‌दूसरा सिर हंस कर बोला …. तू चुपचाप अपना काम देख मैं क्या खा रहा हूं और क्या नहीं खा रहा उससे तुम्हें क्या मतलब । भूल गया उस दिन की बात । पहले सिर ने उसको समझाने की कोशिश की किंतु वह नहीं माना और अंत मे सारा फल खा लिया और भारूड तड़प तडप कर मर गया ।

    सीख .. आपस की फूट ले डूबती है।

     

    ‌‌‌ 3.जातक कथाएं इन हिंदी एकता की ताकत

    एक समय की बात है । बहुत सारे कबूतर रास्ता भटक कर ऐसे स्थान पर आ गए जहां अकाल पड़ा था। और कबूतरों का सरदार इस बात को लेकर चिंतित था कि उनकी मंडली की ताकत तेजी से भूख की वजह से कमजोर हो रही है। यदि सभी को जल्दी से ही भोजन नहीं मिला तो सबके सब मारे जाएंगे ।

    ‌‌‌एक युवा कबुतर नीचे ही नीचे उड रहा था और देख रहा था कि कहीं पर भोजन है कि नहीं ? अचानक से उसे एक खेत के अंदर कुछ दाने भिखरे दिखे । उसने अपने सरदार कों इस बारे मे बताया तो सरदार ने सभी कबूतरों को नीचे उतरने का आदेस दिया ।

    ‌‌‌लेकिन वास्तव मे वहां पर एक शिकारी ने अपना जाल बिछा रखा था । जैसे ही कबूतर दाना चुगने लगे । एक जाल उन पर आ गिरा और वे सारे जाल के अंदर फंस गए । कई कबूतर रोने लगे । और चिल्लाने लगे । किंतु सरदार एकदम से शांत था। उसके बाद सरदार बोला … यदि हम एक साथ उड़ने का प्रयास करें तो इस जाल को उड़ा ‌‌‌कर आसानी से ले जा सकते हैं। क्योंकि एकता के अंदर शक्ति होती है। तब एक कबूतर बोला … मगर यह होगा कैसे?

    तब सरदार ने बताया कि तुम सब जाल को चोंच से पकड़ो और जब मैं कहूं कि फूर्र तो सारे एक साथ उड जाना । सभी को एक आशा की किरण दिखाई दी।

    ‌‌‌जब शिकारी आया और अपने जाल के अंदर कबूतरों को फंसा देखा तो उसकी आंखें चमक उठी । और तेजी से जाल की ओर चलने लगा । लेकिन अचानक से सारे कबूतर जाल को लेकर उड गए । शिकारी को कुछ भी समझ मे नहीं आया । और वह उनके पीछे भागने लगा । कबूतरों का सरदार यह जानता था कि अधिक देर तक कबूतर जाल को लेकर उड़ नहीं ‌‌‌सकते । उसने सभी कबूतरों को निकट पहाड़ी पर चलने को कहा जहां पर उसका मित्र चूहा रहता था । वे पहाड़ी पर उतरे और अपने चूहे मित्र को आवाज लगाई । उनका चूहा मित्र आया और जाल को काट दिया । वे सभी आजाद हो चुके थे ।

    शिक्षा .. संगठन मे शक्ति होती है। पानी की एक बूंद कुछ नहीं बिगाड़ सकती लेकिन कई ‌‌‌सारी पानी की बूंदे । दुनिया को भी तबाह कर सकती हैं।

     

    ‌‌‌ 4.जातक कथाएं इन हिंदी आपस की फूट

    प्राचीन समय की बात है । एक घने जंगल के अंदर एक बरगद का पेड़ था । उस पर बहुत से कौवे रहते थे । उस पेड़ के पास ही कई सारी घूफाएं भी मौजूद थी। उन घूफाओं के अंदर उल्लू रहते थे । कौवों और उल्लूओं के अंदर वैर था । उल्लू रात को कौवों पर आक्रमण कर देते और उनको मार देते ।‌‌‌कौवे बेचारे रात के अंदर देख नहीं पाने की वजह से कुछ नहीं कर पाते यह सिल सिला काफी दिनों तक चलता रहा । जब बहुत अधिक कौवे मारे जाने लगे तो कौवों के सरदार को चिंता हुई । उसने अपनी एक गुप्त सभा बुलाई और हर कौवे से इस समस्या का उपाय सुझाने के लिए बोला । एक बुद्विमान कौवे ने सूझाव दिया कि

    ‌‌‌हम उल्लूओं की गुफा के अंदर नहीं जा सकते । क्योंकि उसमे अंधेरा रहता है। लेकिन इस समस्या का एक ही सौल्यूशन है यदि हम मेसे कोई एक उल्लूओं के साथ मिल जाए । एक काम करो कल तुम मेरे को सबके सामने मारो और बोलो की मैं चोर हूं । जब उल्लू यह सब देगेंगे तो मुझे अपनी मंडली मे मिला लेंगे ।

    ‌‌‌दूसरे दिन सभी कौवों ने ऐसा ही किया और उस बुद्विमान कौवे ने जाकर उल्लूओं से हाथ मिला लिया । समय अपनी गति से बितता रहा ।और वह कौवा उल्लूओं के सारे भेद अपने साथियों को बता दिया । और एक दिन दिन के अंदर जब सारे उल्लू आराम कर रहे थे तो कौवों ने चोंच के अंदर जलती हूई लड़की डालकर घूफा के ‌‌‌आकर उल्लूओं पर आक्रमण कर दिया । वहां रखी लकड़ियों के अंदर आग लगादी । और इस प्रकार सारे उल्लू मारे गए ।

    शिक्षा .. अपने घर का भेद किसी को नहीं बताना चाहिए ।

     

    ‌‌‌ 5.जातक कथाएं इन हिंदी खरगोश की चतुराई

    एक जंगल के अंदर बहुत ही ताकतवर शैर रहता था । वह जब भी शिकार के लिये निकलता था । वह कई जानवरों को मौत के घाट उतार देता था । जंगल के सारे जानवर उससे डरने लगे थे। और सोच रहे थे कि आने वाले दिनों के अंदर तो जंगल का कोई भी जानवर नहीं बचेगा ।

    ‌‌‌इस समस्या का समाधान करने के लिए एक दिन जंगल के सारे जानवर एक स्थान पर एकत्रित हुए । सभी ने एक सुझाव दिया कि शैर के पास चलते हैं और इस बारे मे बात करेंगे । दूसरे दिन जानवरों का एक दल शैर के पास पहुंचा इतने सारे जानवरों को देखकर शैर घबरागया और गर्ज कर बोला …. तुम सब यहां पर क्यों आए हो ?

    ‌‌‌उसके बाद जानवरों के सरदार ने कहा महाराज आप जंगल के राजा हैं । जब आप शिकार के लिए निकलते हैं तो बहुत से जानवरों को मार देते हैं जिनको आप पूरा खा भी नहीं पाते हैं । यदि ऐसा ही चलता रहा तो जल्दी ही हमारी संख्या कम हो जाएगी । और बिना प्रजा के राजा का भी कोई काम नहीं होगा । इसलिए हमारी आप से ‌‌‌विनती है कि आपको शिकार के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं है रोज आपके पास एक शिकार अपने आप ही पहुंच जाएगा । शैर को भी यह विचार अच्छा लगा और उसने इसकी सहमती देदी । उसने भी सोचा की चलो अच्छा है भाग दौड़ नहीं करनी पड़ेगी ।

    ‌‌‌उसके बाद शैर बोला कि मेरी एक शर्त है। जिस दिन तुमने मेरे लिए भोजन नहीं भेजा मैं जितने चाहूंगा ।उतने जानवरों को मार डालूंगा । शैर की बात सभी ने मान ली क्योंकि उनके पास इसके अलावा कोई चारा भी नहीं था ।

    ‌‌‌एक एक करके जानवरों को शैर के पास भेजा जाने लगा । और एक दिन एक खरगोश की बारी आई । वह देखने मे काफी छोटा था । लेकिन काफी चतुर भी था । उसने सोचा शैर के हाथों मरने से अच्छा है इस समस्या के हल के लिए कोई तरकीब निकाली जाए और वह शैर के पास देरी से पहुंचा । शैर उसे देरी से आए देख गुस्से से बोला .———– ‌‌‌एक तो तुम देरी से आए हो और उपर से काफी छोटे भी हो । किसने तुमको भेजा है मैं तुमको खाने के बाद सबको ठीक कर दूंगा

    खरगोश विनम्रता से बोला .. महाराज आप मेरी पूरी बात सुनने के बाद आप हम लोगों पर गुस्सा नहीं करेंगे । भेजने वालोने तो पूरे 7 खरगोश को भेजा था । लेकिन मार्ग के अंदर दूसरा शैर मिल गया ‌‌‌उसने बाकी के खरगोश खा लिये । मैं जैसे तैस बच कर यहां आ गया ।

    ……….क्या दूसरा शैर वह कहां पर रहता है शैर गर्जकर बोला

    ….. महाराज वह जमीन के नीचे से बनी एक गुफा के अंदर रहता है। हमने उससे कहा था ।कि तुम गलती कर रहे हो । हम सभी अपने राजा के भोजन के लिये जा रहे हैं। यदि तुमने कोई गलती ‌‌‌की तो हमारे राजा तुमको छोड़ेगे नहीं । लेकिन वह शैर नहीं माना । और बोला इस जंगल का राजा तो मैं हूं । जिसे तुम अपना राजा समझ रहे हो वह कोई राजा नहीं है। और आज से तुम सब मेरी प्रजा हो ।

    खरगोश की बातें सुनकर वह शैर काफी ज्यादा क्रोधित हो गया और

    ‌‌‌…….बोला चलो मुझे बताओ वह शैर कहां रहता है। उसकी सारी हेकड़ी मैं निकाल देता हूं । और ऐसा कहकर शैर खरगोश के पीछे हो लिया । खरगोश शैर को एक गहरे कुए के पास ले जाकर बोला … महाराज वह शैर इसके अंदर रहता है। मूर्ख शैर ने जब कुए के अंदर झांका तो उसे अपनी परछाई को देख उसे दूसरा शैर समझबैठा और कुए

    ‌‌‌के अंदर छलांग लगादी और वह मर गया ।‌‌‌जैसे ही शैर की मरने की खबर जंगल मे फैली सारे लोग खरगोश की जय जय कार करने लगे ।

    ‌‌‌शिक्षा.. बुद्वि से काम लिजिए तो हर मुश्बित का हल मुमकिन है।

     

     

    ‌‌‌ 6.जातक कथाएं इन हिंदी गजराज और मुषकराज

     

    प्राचीन समय की बात है। एक नदी के किनारे एक बहुत बड़ा व्यापार के्रंद था। लेकिन एक समय वहां पर घनी वर्षा हुई और सारा नगर तबाह हो गया । अब वहां इंसान का कोई नामूनिशान तक नहीं रहा । वहां पर चूहों ने अपना घर बना लिया हर तरफ चूहे ही चूहे नजर आने लगे । ‌‌‌चूहों का राजामुषकराज था । कुछ समय बाद वहां पर एक तालाब भी बन गया । पास ही एक जंगल था । वहां पर सैंकड़ो हाथी भी रहते थे । एक वर्ष जंगल के अंदर भंयकर सूखा पड़ा और सभी हाथियों के लिए पीने के पानी की समस्या पैदा हो गई। उसके बाद गजराज की दोस्त चील ने बताया कि ‌‌‌पास ही एक सरोवर है वहां पर आप पानी के लिए जा सकते हैं। दूसरे दिन सारे हाथी पानी पीने के लिए उस सरोवर पर जाने लगे । हाथियों के पैरों के नीचे चूहे आकर मरने लगे । लेकिन चूहे कुछ कर भी नहीं सकते थे ।

    ‌‌‌जब चूहे काफी ज्यादा संख्या के अंदर मरने लगे तो चूहों का राजा मुषकराज परेशान होकर हाथियों के राजा गजराज के पास पहूंचा और जोर से बोला । लेकिन गजराज ने सुना नहीं । उसके बाद गजराज ने अपना कान पास करके चूहे को बोलने के लिए कहा । तग चूहा बोला … गजराज महाराज आप जिस रस्ते पानी पीने के लिए जाते‌‌‌हैं। उधर हमारे सैकड़ों चूहे रहते हैं जोकि आपके साथियों के पैरों के नीचे आकर मारे जा रहे हैं। तब गजराज को अपनी गलती का एहसास हुआ और बोला … कोई बात नहीं हम अपना रस्ता बदल लेते हैं। तब चूहों के राजा ने कहा … आपका धन्यवाद आपसे यही उम्मीद थी। यदि मुझसे कोई मदद चाहिए तो बोल देना ।

    ‌‌‌गजराज ने सोच कि यह चूहा मेरे किस काम आ सकता है। उसके बाद समय बीतता गया और एक दिन किसी राज्य के सैनिक ने अपनी सैना को ताकतवर बनाने के लिए जंगल से हाथी पकड़कर लाने का आदेस दिया । जंगल के अंदर जाल बिछाकर सैनिक हाथियों को पकड़ने लगे । और एक दिन तो खुद गजराज ही जाल के अंदर फंस गया ।

    ‌‌‌वह चाहकर भी उस जाल को नहीं तोड़ पाया । गजराज का एक मित्र बेल भी था ।वह गजराज के पास आया और बोला कि मैं आपकी मदद करना चाहता हूं । इसके लिए क्या कर सकता हूं । गजराज ने उसे मुषकराज को बुलाने के लिए भेजा । वह तेजी से भगता हुआ गया और मुषकराज को सारी बात बतायी । मुषकराज और उसके साथी बेल की पीठ पर ‌‌‌सवार होकर आए और जाल को अपने दांतों से काट दिया । इस प्रकार गजराज आजाद हो गया और उसने चूहे को धन्यवाद दिया।

    ‌‌‌शिक्षा … आपसी सदभाव और प्रेम एक दूसरे के कष्टों को हर लेते हैं।

     

    ‌‌‌ 7.जातक कथाएं इन हिंदी गधे की मूर्खता

    एक जंगल के अंदर शेर और गिदड़ रहता था । शैर काफी कमजोर था और वह अन्य शैरों से युद्व हा चुका था । इस लिए उनसे अलग थलग ही रहता था । गिदड़ शैर का चमचा था । वह शैर के जुटाए खाने मे से कुछ भाग खाता था और शैर की विरता के गुणगान करता था । जिसकी वजह से शैर का सीना चौड़ा हो जाता । ‌‌‌एक दिन की बात है शैर ने एक ताकतवर सांड पर आक्रमण किया किंतु सांड इतना ताकतवर था कि वह कमजोर शैर के वश मे नहीं हो सका और शैर दूर जा गिरा ।

    जैसे ही वह उठने वाला था । सांड ने उसे अपने सींग मारकर घायल कर दिया। शैर के जख्म काफी गहरे थे । जब काफी समय तक जख्म ठीक नहीं हुए तो दोनों को अपने भोजन ‌‌‌कि चिंता होने लगी । शैर ने गिदड़ से कहा कि तुम जाओ और किसी को अपने जाल के अंदर फंसा कर मेरे पास लाओ । मैं इन झाडियों के अंदर बैठा रहूंगा । गिदड़ को यह बात जंच गई और वह शहर की ओर चल पड़ा वहां पर उसे एक मरियल सा गधा चरता हुआ नजर आया । वह उसके पास गया और बोला …. कैसे हो चाचा ?

    ‌‌‌गधे ने अपना दुखड़ा रोया और बोला … क्या करूं भाई हमारा मालिक काम तो करवा लेता है लेकिन खाने को कुछ नहीं देता

    ……… कोई बात नहीं है आप जंगल मे चलो वहां पर हरी हरी घास मिल जाएगी । आप उसको खा लेना जंगल के अंदर एक गधी भी है तुम उसके साथ घर बसा सकते हो ।

    ……… लेकिन जंगल में तो जानवर ‌‌‌मुझे खा जाएंगे ।

    …… नहीं अब सारे जानवर शाकहारी हो चुके हैं तुमको डरने की कोई आवश्यकता नहीं है।

    इस प्रकार से गिदड़ ने गधे को अपनी बातों के अंदर फंसा लिया और गधा उसके साथ चल पड़ जैसे ही वह झाडियों के पास पहुंचा ।शैर ने उस पर आक्रमण कर दिया और गधा बेचारा बेमोत मारा गया ।

    ‌‌‌शिक्षा .. दूसरों की चिकनी चुपड़ी बातों के अंदर आने की मूर्खता कभी नहीं करें

     

    ‌‌‌ 8.जातक कथाएं इन हिंदी सच्ची मित्रता

     

    एक बार दो दोस्त थे गोलू और मोलू । गोलू काफी दुबला पतला था । और मोलू काफी अधिक मोटा था । एक दिन वे एक जंगल से गुजर रहे थे कि सामने एक भालू आता दिखा । गोलू दुबला पतला होने की वजह से एक पेड़ पर चढ़ गया । लेकिन मोलू अधिक मोटा होने की वजह से पेड़ पर नहीं चढ़ सकता था । उसने सुन ‌‌‌रखा था कि भलू मरे हुए शरीर को नहीं खाते और वह मरने का अभिनय करने लगा । भलू उसके पास आया और उसे मरा हुआ समझ कर छोड़कर चला गया । जब गोलू पेड़ से नीचे उतरा तो उसने पूछा … भालू तुम्हारे कान मे क्या है कह रहा था ?

    तब भोलू बोला … झूंठे मित्रों पर भरोशा नहीं करना चाहिए । और उसके बाद दोनो की

    ‌‌‌मित्रता हमेशा हमेशा के लिए समाप्त हो गई।

    ‌‌‌शिक्षा .. सच्ची मित्रता वही है जो संकट के समय काम आए।

    ‌‌‌ 9.जातक कथाएं इन हिंदी उंट का अहंकार

    प्राचीन समय की बात है । एक गांव के अंदर एक जुलाहा रहता था । वह काफी गरीब था । एक साल जब गांव मे अकाल पड़ा तो सब गांव के लोग इधर उधर चले गए । वह भी शहर जाने लगा । रस्ते के अंदर उसे एक उंटनी मिली जोकि काफी बिमार थी। जुलाहे ने उसको अपने साथ लिया और वापस घर आ गया । ‌‌‌उसने उंटनी को अच्छा खिलाया तो वह एकदम से सही हो गई और उसने एक बच्चे को जन्म दिया । उसके बाद तो जुलाहे के दिन ही बदल गए । और उसी समय गांव के अंदर एक चित्र कार आया और वह अपनी पेंटिग बनाने के लिए उंट के बाल ले जाता था । जिससे जुलाहे को पैसा मिलने लगा ।

    ‌‌‌और उंटनी के दूध को बेचकर भी वह कमाई करने लगा । इस प्रकार अच्छे दिन गुजरने लगे । एक दिन वह पेंटर उसके गांव फिर आया और जुलाहे को बहुत पैसा दिया क्योंकि उसकी पेंटिग अच्छी खासी बिकने लगी थी। उन पैसों से जुलाहे ने कई सारे उंट खरीदे और अब वह एक उंटो का बड़ा व्यापारी बन चुका था ।

    ‌‌‌उसने छोट उंट के गले के अंदर एक घंटी भी बांध रखी थी। जब अन्य उंट जंगल के अंदर चरने जाते तो वह छोटा उंट भी उनके साथ जाता था । लेकिन वह उनसे काफी दूर ही चरता था । जब अन्य उंटों ने इस बारे मे पूछा तो वह बोला कि मैं अपने मालिक का खास हूं इसलिए मैं तुम लोगों के अंदर मिलकर नहीं रहना चाहता ।

    ‌‌‌और एक शैर रोज पहाड़ी पर से उस अकेले उंट को चरते देखता था । और एक दिन मौका पाकर उसने उंट पर आक्रमण कर दिया और उसे मार डाला ।

    शिक्षा .. इंसान का अहंकार उसे ले डूबता है।

     

    ‌‌‌ 10.जातक कथाएं इन हिंदी मूर्ख मेंढक

    किसी जंगल के अंदर कई कुए थे । उनके अंदर कई सारे मेंढक रहते थे ।और हर कुए का अपना राजा होता था । एक कुए का राजा मेंढक गंगादत था । वह काफी झगड़ालू स्वभाव का था । और अन्य कुए के मेंढ़कों से हमेशा झगड़ता रहता था । एक दिन वह किसी अन्य कुए के मेंढकों से झगड़ा करके आया और बोला … की ‌‌‌उस कुए के मेंढ़कों ने मेरा अपमान किया है तुम सब मिलकर उन पर आक्रमण करदो । वह इसके लिए कई मेंढ़कों से बोला लेकिन कई बुद्विमान मेंढ़कों ने कहा कि उस कुए के अंदर हमशे दूगुने मेंढक रहते हैं और हम उनसे लड़ाई करके जीत नहीं सकते । उसके बाद गंगादत अपने बेटों के पास गया और बोला .. तुम्हारे पिता का ‌‌‌दूसरे कुए के मेंढ़को ने अपमान किया है चलो हम सबको उनसे बदला लेना चाहिए । लेकिन उसके पुत्रों ने मना कर दिया । उसके बाद वह और गुस्से से भर गया और कुए से बाहर आ गया । उसे एक बिल के पास सांप दिखा और वह उसके पास जा पहुंचा .. मान्यवर आप क्या मेरी मदद कर सकते हैं ?

    ….. तुम जानते नहीं मैं कौन ‌‌‌हूं ? उसके बाद भी तुम मेरी मदद मांगने आ गये ।

    ….. इसमे तुम्हारा ही फायदा है। उस कुए के अंदर बहुत सारे मेंढक रहते हैं तुम उसमे जाओ और उनको खालो ।

    …….. लेकिन मे पानी मे जा नहीं सकता ।

    …… कोई बात नहीं मैंने नीचे सुरंग खुदवा रखी हैं तुम उनकी मदद से अंदर जा सकते हो ।

    ‌‌‌सांप ने उसकी बात मानली और । वह धीरे धीरे एक एक करके सारे मेंढ़कों को खा गया । उसके बाद सांप बोला … अब बोलो किसको खाना है? मेरे को अच्छा खाने की आदत हो चुकी है । उसके बाद गंगादत ने कहा कि वह उसके कुए के सारे बुद्विमान मेंढ़कों को भी खा सकता है। उसके बाद उनको भी खाकर सांप ने समाप्त कर दिया

    ‌‌‌उसके बाद सांप बोला …. अब किसको खाना है?

    मेंढक समझ चुका था कि यह सांप अब सबको मार डालेगा । और ऐसा ही हुआ अंत मे गंगादत को भी सांप ने अपना भोजन बना डाला ।

    ‌‌‌शिक्षा … अपनों से बदला लेने के लिए जो अपने दुश्मन का साथ लेता है उसका अंत निश्चित है।

    ‌‌‌यह जातक कथा आपको कैसी लगी नीचे कमेंट करके बताएं

    arif khan
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