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    dalda ghee kis cheez se banaya jata hai? dalda ghee making process

    arif khanBy arif khanJanuary 21, 2019Updated:October 17, 2019No Comments7 Mins Read
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    dalda ghee kise banta haihgjh
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    दोस्तों आप डालडा घी[ dalda ghee kis cheez se banaya jata hai dalda ghee banane ki vidhi] के बारे मे तो जानते ही होंगे । वैसे डालडा किसी घी का नाम नहीं है। वरन यह एक ब्रांड है। और अब तो डालडा घी इतना लोकप्रिय हो चुका है कि इसका प्रयोग खाने पीने की हर चीजों के अंदर किया जाता है। दरसअल डालडा एक प्रकार का वनस्पति घी होता है।‌‌‌खाने पीने के अंदर यह असली घी के जैसा ही लगता है। लेकिन दरसअल यह गाय के घी की तुलना मे कम फायदे मंद होता है। इस लेख के अंदर हम बात करेंगे की डालडा घी कैसे बनता है। और डालडा का नामाकरण कैसे हुए । इन चीजों पर हम विस्तार से चर्चा करेंगे ।

    Table of Contents

    • ‌‌‌dalda ghee banane ki vidhi डालडा घी का नामांकरण कैसे हुआ ?
    • ‌‌‌डालडा घी किस चीज से बनता है ? डालडा घी सामग्री
      • ‌‌‌डालडा घी बनाने के लिए आवश्यक वनस्पति तेल
      • ‌‌‌तेल शोद्वन प्रक्रिया
      •  Pre-Neutralization [डालडा घी किस चीज से बनता है ?]
      • Pre-Bleaching [डालडा घी किस चीज से बनता है ?]
      • Hydrogenation  dalda ghee kis cheez se banaya jata hai
      • Neutralization dalda ghee kis cheez se banaya jata hai
      • Post-Bleaching[डालडा घी किस चीज से बनता है ?]
      • Deodorization
      • Blending[डालडा घी किस चीज से बनता है ?]
      • Packaging

    ‌‌‌dalda ghee banane ki vidhi डालडा घी का नामांकरण कैसे हुआ ?

    यह बात है 20 वीं शताब्दी की , उस समय भारत के अंदर हाइड्रोनेटेड वनस्पति तेल का आयात डच कम्पनी डाडा करती थी। 1933 में जब ब्रिटिश-डच कंपनी लीवर ब्रदर्स इंडिया लिमिटेड ने तेल का उत्पादन करना चाहा तो यह शर्त रखदी गई कि उसके ब्रांड के नाम का प्रयोग किया जाए । ‌‌‌तब डाडा के बीच ल और डाल दिया गया और यह शब्द बना डालडा।‌‌‌उसके बाद डालडा घी का अच्छा प्रचार प्रसार हुआ और वह देशी घी की जगह लेली । लेकिन बादमे इसका मार्केट कम हुआ तो हिंदुस्तान लीवर ने इस ब्रांड को बुंगे लिमिटेड को बेच दिया और आज यही कम्पनी भारत के अंदर डालडा घी का उत्पादन करती है।

    ‌‌‌डालडा घी किस चीज से बनता है ? डालडा घी सामग्री

    दोस्तों डालडा घी बनाने की प्रोसेस थोड़ी लम्बी है। लेकिन हम आपको इसको समझाने का प्रयास करेंगे । जैसा कि हम आपको बता चुके हैं। डालडा घी एक तरह का वनस्पति घी होता है। इसका निर्माण वनस्पति तेल से किया जाता है।

    ‌‌‌डालडा घी बनाने के लिए आवश्यक वनस्पति तेल

    कच्चा तेल मलेशिया, इंडोनेशिया, अमेरिका और ब्राजील से मंगाया जाता है। इसे लॉरी टैंकरों के माध्यम से कारखाने में पहुँचाया जाता है। आमतौर पर कपास का तेल, कैनोला का तेल, सूरजमुखी का तेल, सोयाबीन का तेल और आर.बी.डी. पाम तेल का  प्रयोग डालडा धी बनाने मे होता है।

    ‌‌‌तेल शोद्वन प्रक्रिया

    सबसे पहले वनस्पति तेल को निकाला जाता है। उसके अंदर कई प्रकार की अशुद्वियां होती हैं। जैसे बीज का पदार्थ ,नमी , गंध और श्लेष्मा व ठोस पदार्थ होते हैं। इन सभी को तेल से दूर किया जाता है और तेल को साफ सुथरा बनाया जाता है। ताकि इससे डालडा घी तैयार किया जा सके ।

     Pre-Neutralization [डालडा घी किस चीज से बनता है ?]

    इस प्रक्रिया के अंदर 7 से 8 घंटे लगते हैं। इस प्रक्रिया को करने का मकसद है फैटी एसिड को हटाना ।तेल में 2-2.5% मुक्त फैटी एसिड होते हैं। इसे घटाकर 1-1.5% करना है। इससे तेल के रंग के अंदर भी सुधार होता है।मुक्त फैटी एसिड को हटाने की सामान्य विधि सोडियम हाइड्रॉक्साइड है। ‌‌‌इस प्रोसेस को करने के लिए विशेष मसीनों का प्रयोग किया जाता है। आमतौर पर इस प्रोसेस को तेल धोना भी कह सकते हैं। तेल से Soapy particles  अलग करने के बाद तेल का नमूना लिया जाता है और उसकी जांच की जाती है।Soapy particles  मौजूद नहीं होने चाहिए । यदि Soapy particles  मौजूद होते हैं तो तेल को ‌‌‌को फिर से धोया जाता है।

    यदि Soapy particles  मौजूद हैं, तो तेल फिर से पानी से धोया जाता है और 1 घंटे आराम दिया जाता है। पानी धोने की संख्या तेल की प्रकृति पर निर्भर करती है कपास के बीज और सोयाबीन को तीन वॉशर की आवश्यकता होती है, कैनोला को दो वॉशर की आवश्यकता होती है। मुक्त फैटी एसिड को बेअसर करने के लिए आवश्यक कास्टिक सोडा की मात्रा 9 किलोग्राम ठोस NaOH  के साथ मिलाया जाता है।

    Pre-Bleaching [डालडा घी किस चीज से बनता है ?]

    https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Butterschmalz-3.jpg#/media/File:Butterschmalz-3.jpg

    प्री-ब्लीचिंग करने के लिए ब्लीचिंग नामक बर्तन का प्रयोग किया जाता है। यह आकार मे बेलनाकार होता है। और इसके अंदर एक इलेक्ट्रीक मोटर लगी होती है।इसमें इनपुट तेल का तापमान बढ़ाने के लिए तापमान नापने का यंत्र, वैक्यूम गेज, प्रेशर गेज और स्टीम हीटिंग कॉइल भी होती हैं। प्री-ब्लीचिंग की प्रक्रिया 3-4 घंटों में पूरी होती है और इसका प्रमुख उदेश्य होता है अनचाहे पिगमेंट और रंग को दूर करना होता है।‌‌‌इस प्रक्रिया मे तेल के अंदर शोषक पाउडर भी मिलाया जाता है। ताकि तेल के अंदर से अनावश्यक पदार्थों को अवशोषित किया जा सके ।100 ग्राम / टन की दर से सक्रिय कार्बन को कोटेड तेल के में भी मिलाया जाता है, ताकि कोटेड तेल के गहरे रंग को ब्लीच किया जा सके।

    Hydrogenation  dalda ghee kis cheez se banaya jata hai

    हाइड्रोजनीकरण एक बर्तन में किया जाता है ।जिसे कनवर्टर या आटोक्लेव कहा जाता है। यह पूरी तरह से वायुरोधी पोत है। व इसमें हीटिंग कॉइल, स्टीयरिंग शाफ्ट युक्त बाफल्स, छिद्रित हाइड्रोजन कॉइल, दबाव और वैक्यूम को मापने के लिए कम्पाउंड गेज और तापमान को मापने के लिए तापमान ‌‌‌भी लगे होते हैं।आमतौर पर हाइड्रोजनीकरण की प्रक्रिया 6-8 घंटे में पूरी ‌‌‌हो जाती है।।‌‌‌पहले बर्तन मे प्रक्षालित तेल से भर दिया जाता है।इसके बाद इसमे पाम तेल 1100 ग्राम / टन, सोयाबीन तेल  2250 ग्राम / टन, और सूरजमुखी और नारियल तेल  2200 ग्राम / टन मिलाया जाता है।

    Neutralization dalda ghee kis cheez se banaya jata hai

    खराब निस्पंदन के कण मौजूद होने पर Soapy particles  और नी उत्प्रेरक को हटाने के लिए पोस्ट-न्यूट्रलाइजेशन ‌‌‌करते हैं।  सबसे पहले कठोर तेल को न्यूट्रलाइज़र में ‌‌‌डाला जाता है। गर्म या ठंडा करके कठोर तेल का तापमान 90 +_ 5 C पर बनाए रखा जाता है। मुक्त फैटी एसिड प्रतिशत की गणना की जाती है और कास्टिक सोडा ‌‌‌उसके हिसाब से जोड़ा जाता है। आम तौर पर 8-10 बॉम के कास्टिक सोडा को बिना किसी vreation के जोड़ा जाता है, पानी की हल्की धुलाई दी जाती है। इसके बाद 2 घंटे का आराम दिया जाता है, बाकी Soapy के कण नीचे की तरफ ‌‌‌चले जाते हैं।  और ऊपरी सतह पर तेल ‌‌‌आ जाता है।

    Post-Bleaching[डालडा घी किस चीज से बनता है ?]

    प्री-ब्लीचिंग के समान ही पोस्ट -ब्लीचिंग होती है। पोस्ट-न्यूट्रलाइज़्ड  तेल को ब्लीचर के अंदर चार्ज किया जाता है।इसका तापमान 110 ° C तक बढ़ाया जाता है। फिर वैक्यूम के तहत निर्जलित किया जाता है।अंत में ब्लीचिंग एजेंट को तेल से हटाने के लिए फिल्टर प्रेस के माध्यम से ब्लीच किए गए तेल को फ़िल्टर किया जाता है। ‌‌‌इस प्रक्रिया के अंदर 3 से 4 घंटे लग जाते हैं।

    Deodorization

    डिओडोराइज़ेशन एक बेलनाकार बर्तन के अंदर किया जाता है।इसके अंदर स्टीम हीटिंग कॉइल और लो एंड हाई वैक्यूम सिस्टम है। इस पर भाप का दबाव, तापमान और वैक्यूम गेज भी होते हैं।इस प्रक्रिया को करने मे प्रक्रिया 7-8 घंटे लग जाते हैं। ‌‌‌इस प्रक्रिया का प्रमुख उदेश्य तेल से अवांछित गंध को हटाना और उसकी गंध और स्वाद के अंदर सुधार करना होता है।और अन्य वाष्पशील वसायुक्त पदार्थों को हटाना है। स्वाद और तेल के गंध के लिए जिम्मेदार कुछ यौगिकों केटोन्स, टेरपेनोइड्स और एल्डिहाइड होते हैं।

    Blending[डालडा घी किस चीज से बनता है ?]

    सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसके अंदर विटामिन ए और डी 3  को जोड़ा जाता है। आमतौर पर विटामिन को जर्मनी से आयात किया जाता है। इस वक्त यह तेल एक घी की तरह लगता है। और पैक होने के लिए तैयार हो जाता है।

    Packaging

    सभी प्रक्रिया के बाद डालडा घी बन जाता है। और इसको ठंडा किया जाता है। तो यह पूरी तरह से जम जाता है। डालडा घी को मसीनों की मदद से पैक किया जाता है। एक मसीन एक घंटे के अंदर 2000 से लेकर 2400 तक पाउच पैक करदेती है। उसके बाद सील करके इनको मार्केट मे बेचा जाता है।

    डालडा घी किस चीज से बनता है ? लेख आपको कैसा लगा समझ मे आ चुका होगा । यदि आपकी कोई समस्या है तो आप नीचे कमेंट करके हमे बताएं।

    arif khan
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