Cotard’s syndrome एक रहस्यमय बिमारी जिंदा लाश

Cotard’s syndrome – कभी-कभी चलने वाली शव सिंड्रोम कहा जाता है, यह विकार व्यक्ति को विश्वास करता है कि वे या तो मर चुके हैं, अस्तित्व में नहीं हैं, अपने सभी रक्त और आंतरिक अंग खो चुके हैं या खो गए हैं। यह भ्रम उन्हें तब विश्वास कर सकता है कि उन्हें अब भोजन या पानी की आवश्यकता नहीं है क्योंकि जाहिर है कि एक मृत व्यक्ति को उन चीजों की आवश्यकता नहीं है। जब व्यक्ति इस स्थिति में होता है तो यह समझदारी से गंभीर अवसाद और सामाजिक वापसी का कारण बन सकता है

मैडेमोइसेल एक्स का मामला उस महिला का वर्णन करता है जिसमे एक महिला ने इस वजह से खाने से इनकार कर दिया था । कि उसने कहा कि उसे अब खाने की कोई आवश्यकता नहीं है। क्योंकि वह मर चुकी है। उसे लगता था कि वह मरी हुई है। लेकिन वास्तव मे वह जिंदा थी । जो बाद मे भूख से मर गई।

Cotard's syndrome

Cotard’s syndrome संकेत और लक्षण

Cotard’s syndrome बिमारी से पिड़ित व्यक्ति अपने अस्तित्व से इनकार करता है। या वह अपने शरीर के कुछ हिस्सों के नहीं होने का दावा करता है। या वह कहता है कि वह मर चुका है। कोटार्ड सिंड्रोम तीन चरणों में मौजूद है

[i) अंकुरण चरण- मनोवैज्ञानिक अवसाद और हाइपोकॉन्ड्रिया के लक्षण प्रकट होते हैं;

(ii) ब्लूमिंग चरण- सिंड्रोम का पूर्ण विकास और अस्वीकृति के भ्रम; और

(iii) पुराने मनोवैज्ञानिक अवसाद के साथ क्रोनिक चरण-निरंतर, गंभीर भ्रम।

Cotard’s syndrome से ग्रस्ति व्यक्ति खुद की अनदेखी करने लग जाता है। जैसे वह मर चुका है। उसे अब नहाने खाने की कोई आवश्यकता नहीं है। इस वजह से वह खुद की स्वस्था के साथ खिलवाड़ करने लग जाता है। उसे यह गम्भीर भ्रम हो जाता है कि उसका शरीर खत्म है। बस आत्मा बची है। जिसे खाने पीने की कोई आवश्यकता नहीं है।

‌‌‌Cotard’s syndrome के केस

कोटार्ड डील्यूशन (2005) के अंदर एक 14 साल के लड़के की घटना का जिक्र भी मिलता है। उस लड़के को कोटार्ड सिंड्रोम था ।वह कहीं पर कोई सामाजिक गतिविधी नहीं करता था । उसकी किसी कार्य के अंदर रूचि नहीं रही । वह हमेशा उदास उदास रहता था । उसे साल के अंदर दो बार इसके दौरे का सामना ‌‌‌करना पड़ा था । प्रत्येक दौरे के दौरान, उन्होंने कहा कि हर कोई और सब कुछ मर चुका था (पेड़ समेत), खुद को एक मृत शरीर के रूप में वर्णित किया, और चेतावनी दी कि दुनिया घंटों के भीतर नष्ट हो जाएगी।

January 1990, के अंदर एक व्यक्ति बाइक से एक्सीडेंट हो गया था । उसके दिमाग पर चोटे लगी थी । जब वह अस्पताल से डिसचार्ज हुआ तो उसकी माता उसे साउथ अफ्रिका लेकर गई थी । उसे लगा कि वह नरक के अंदर जा रहा है। उसे यह पूरा विश्वास हो चुका था । वहां पहुंचने के बाद उसे लगा कि उसकी माता रियल मे नहीं ‌‌‌है। वरन उसकी आत्मा नरक के अंदर भटक रही है। उसे यह तीव्र विश्वास हो गया था ।जबकि वह खुद को पहले से ही मरा हुआ समझ रहा था ।

Cotard’s syndrome कैसे काम करता है

यह एक प्रकार का न्यूरोफिजियोलॉजी और psychology  से जुड़ा हुआ रोग है।प्रत्येक प्रकार का भ्रम मस्तिष्क के फ्यूसिफार्म चेहरे क्षेत्र में न्यूरल मिस्फायरिंग (जो चेहरों को पहचानता है) और amygdalae (जो एक मान्यता प्राप्त चेहरे पर भावनाओं को जोड़ता है) में न्यूरल मिस्फायरिंग के परिणामस्वरूप माना जाता है।

‌‌‌कहने का मतलब है कि व्यक्ति जब इस सिंड्रोम से ग्रस्ति हो जाता है तो वह चेहरों को अपने दिमाग मे पड़ी पूर्व सूचनाओं  से नहीं जोड़ पाता है। जिससे उसे लगता है। कि यह व्यक्ति मर चुका है। या मौजूद नहीं है। Cotard’s syndrome मूल रूप से कुछ मनोवैज्ञानिक रोगों से पिड़ित रोगी को भी अधिक प्रभावित करता है। जैसे

स्किज़ोफ्रेनिया ,न्यूरोलॉजिकल बीमारी, मानसिक बीमारी, नैदानिक अवसाद, अवमूल्यन, मस्तिष्क ट्यूमर,  और माइग्रेन सिरदर्द चिकित्सा secience इंगित करता है कि कोटार्ड के भ्रम की घटना पैरिटल लोब में घावों से जुड़ी हुई है

Cotard’s syndrome का उपचार

Cotard’s syndrome के उपचार के लिए अनेक प्रकार की दवाएं मौजूद हैं।एंटीड्रिप्रेसेंट, एंटीसाइकोटिक और मूड को स्थिर करने वाली मूड का उपयोग करके भी इसका उपचार किया जाता है।इसके अलावा रोगी के मूड को सही करने के लिए इलेक्ट्रोकोनवल्सिव थेरेपी (ईसीटी) फार्माकोथेरेपी ‌‌‌का यूज किया जाता

Leave a Reply

arif khan

‌‌‌हैलो फ्रेंड मेरा नाम arif khan है और मुझे लिखना सबसे अधिक पसंद है। इस ब्लॉग पर मैं अपने विचार शैयर करता हूं । यदि आपको यह ब्लॉग अच्छा लगता है तो कमेंट करें और अपने फ्रेंड के साथ शैयर करें ।‌‌‌मैंने आज से लगभग 10 साल पहले लिखना शूरू किया था। अब रोजाना लिखता रहता हूं । ‌‌‌असल मे मैं अधिकतर जनरल विषयों पर लिखना पसंद करता हूं। और अधिकतर न्यूज और सामान्य विषयों के बारे मे लिखता हूं ।