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    Home»love and relationship»तलाक के आधार जिनिए साथी कब कर सकता है तलाक की मांग
    love and relationship

    तलाक के आधार जिनिए साथी कब कर सकता है तलाक की मांग

    arif khanBy arif khanFebruary 10, 2018Updated:October 27, 2018No Comments16 Mins Read
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    इस लेख मे हमने  तलाक लेने के आधार या पत्नी से तलाक लेने के आधार और एक तरफा तलाक के नियमों के बारे मे ‌‌‌जानेंगे।

    जैसे जैसे समय बीत रहा है। लोगों के अंदर नॉलेज बढ़ रहा है। वैसे वैसे ही भारत के अंदर भी पश्चिम देशों की तरह तलाक के मामले बहुत बढ़ चुके हैं। पश्चिम देशों के अंदर तो लोग केवल जिंदगी का आनन्द उठाने के लिए शादी करते हैं। और जब ‌‌‌मन भर जाता है तो तलाक ले लेते हैं। और भारत के बड़े शहरों के अंदर तो आजकल ऐसा ही हो रहा है। छोटे गांवों मे ऐसा इस वजह से बहुत कम होता है क्योंकि वहां पर लोग बहुत कम पैसे वाले होते हैं उनके लिए बार बार शादी करना भी काफी मुश्किल होता है। दूसरी और गांवों मे इसको बदनामी के डर से देखा जाता है। वहीं ‌‌‌शहरों की बात करें तो वहां पर तलाक देना एक ट्रेड सा बनगया है। तलाक के मामले अमेरिका और ब्रेटेन के अंदर 50 फिसदी तक आ जाते हैं तो वहीं भारत के अंदर 1000 शादियों मे से मुश्किल से केवल 11 मामले ही तलाक के सामने आ पाते हैं। यदि तलाक की आंकड़ों की बात करें तो यह भारत के अंदर तेजी से बढ़ रहे हैं।

    ‌‌‌लेकिन यह आंकड़े दूसरे देशों को देखते हुए काफी कम हैं। जिससे देखकर यह लगता है कि भारत के अंदर आज भी लोग दांम्प्त्य जीवन पर यकीन करते हैं। वहीं कुछ कानूनविद्वों का कहना है कि आने वाले समय के अंदर भारत के अंदर भी तलाक के आंकड़े बढ़ जाएंगे । इसकी वजह है लोग आजकल समझौता करना पसंद नहीं करते हैं।

    ‌‌‌और खुलकर जीना चाहते हैं। और यह सही भी है कि लोग आजकल समझौता नहीं करना चाहते हैं। पहले पत्नी केवल पति की आज्ञा का पालन करती थी । और आजकल वह अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो चुकी है। और वह नहीं चाहती कि कोई उसके अधिकारों का हनन करे ।

    Table of Contents

    • तलाक लेने के आधार
      • तलाक लेने के आधार व्यभिचार
      • तलाक लेने के आधार क्रूरता
        • देहज के लिए गाली देना
        • असंगत यौनसंबंध बनाना
        • मानसिक उत्पीड़न करना
        • ‌‌‌अदालत के अंदर क्रूरता को कैसे साबित किया जाए
      • ‌‌‌ तलाक लेने के आधार  ‌‌‌परित्याग
      • तलाक लेने के आधार धर्मान्तरण
      • तलाक लेने के आधार मानसिक विकार
      • तलाक लेने के आधार कुष्ठ जैसे असाध्य रोग
      • ‌‌‌ तलाक लेने के आधार गम्भीर यौन रोग
      • तलाक लेने के आधार त्याग
      • तलाक लेने के आधार जिंदा नहीं मिलना
      • तलाक लेने के आधार सहवास की बहाली
    • ‌‌‌तलाक के आधार केवल पत्नी के लिए धारा 13 (2)
        • जब पति पहले से ही विवाहित है
      • इर्रिटीवेबल ब्रेकडाउन ऑफ मैरिज’
    • ‌‌‌ईटली मे तलाक का मेला

    तलाक लेने के आधार

    भारत में तलाक के लिए हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत कई आधार हैं। जिन आधारों के आधार पर पति या पत्नी या दोनों तलाक की याचिका कोर्ट के अंदर दायर कर सकते हैं। तो आइए जानते हैं। तलाक के इन आधारों के बारे मे विस्तार से ।

    • . तलाक लेने के आधार व्यभिचार
    • तलाक लेने के आधार क्रूरता
    •  तलाक लेने के आधार  परित्याग
    • तलाक लेने के आधार धर्मान्तरण
    • तलाक लेने के आधार मानसिक विकार
    • तलाक लेने के आधार कुष्ठ जैसे असाध्य रोग
    •  तलाक लेने के आधार गम्भीर यौन रोग
    • तलाक लेने के आधार त्याग
    • तलाक लेने के आधार जिंदा नहीं मिलना
    • तलाक लेने के आधार सहवास की बहाली
    • तलाक के आधार केवल पत्नी के लिए धारा 13 (2)

    तलाक लेने के आधार व्यभिचार

    व्यभिचार संबंधित कानून भारतीय दंड संहिता की धारा-497 के अंदर उल्लेख मिलता है। इस कानून के अनुसार यदि कोई पुरूष अपनी पत्नी के अलाव किसी दूसरी महिला के साथ संबंध बनाता है तो उस महिला का पति उस पुरूष के पर व्यभिचार का कैस दर्ज करवा सकता है। ‌‌‌सही मायने के अंदर कहा जाए तो शादी के बाद किसी भी प्रकार के बाहर संभोग को व्यभिचार करार दिया जाता है। जैसे पति किसी दूसरे व्यक्ति के साथ रिलेशन मे हो तो यह व्यभीचार है। यह तलाक का प्रमुख आधार है।यदि पति या पत्नी व्यभिचार के अंदर लिप्त रहता है ‌‌‌तो इस संबंध के अंदर केवल एक पति पर मुकदमा चलाया जा सकता है। कहने का अर्थ है कि महिला को इस संबंध मे दण्ड़ नहीं दिया जा सकता । लेकिन पुरूष को भी केवल तभी दण्ड दिया जा सकता है। जब उस महिला का पति केस दर्ज करवाता है।

    ‌‌‌आपकी जानकारी के लिए बतादें कि एक अविवाहित महिला और एक विवाहित पुरूष के बीच आपसी सहमती से हुई कोई भी यौन क्रिया व्यभिचार के अंदर नहीं आती है। लेकिन यदि दोनों विवाहित हैं और उनके बीच की गई यौन क्रिया व्यभिचार के अंदर आती है। व्यभीचार तलाक का एक ठोस आधार भी है। व्यभिचार को समझने के लिए इसकी परिभाषा को हमे अच्छी तरह से समझना होगा । हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 के प्रावधानों के अनुसार एक पुरूष और एक महिला इस आधार पर तलाक ले सकते हैं कि उनके पति या पत्नी उक्त प्रावधानों के तहत व्यभिचारीणी हैं।

    हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार यदि पति या पत्नी अपने साथी को छोड़कर किसी पर पुरूष या किसी अन्य स्त्री के साथ रिलेशन बनाता है। तो पति या पत्नी कोर्ट के अंदर एक याचिका दायर कर यह कह सकती है कि उसे इस आधार पर तलाक दिया जाए कि उसके पति या पत्नी व्यभिचारी है।

    ‌‌‌इसके अलावा इस आधार पर भी तलाक लिया जा सकता है कि पति पत्नी को जिस समय साथ होना चाहिए उस समय साथ नहीं थे । उसके बाद भी पत्नी ने बच्चे को जन्म दिया । यह भी तलाक का एक बड़ा आधार है।

    ‌‌‌व्यभिचार के अंदर निम्न सबूत पेश किये जा सकते हैं

    • पति पत्नी के संबंध समाप्त होने के बाद 12 महिने बाद जन्मा बच्चा
    • पति या पत्नी द्वारा व्यभिचार स्वीकारना
    • गवाहों जिनकी इसमे कोई दिलचस्पी नहीं ने दोनों को व्यभिचार करते हुए देखा।

    Whatsapp, Facebook जैसे शोसल मिडिया पर एकत्रित किये एक साक्ष्य अब अदालतों के अंदर मान्य होने लगे हैं। यदि पति या पत्नी इन सोसल मिडिया पर किसी व्यक्ति के साथ संपर्क मे है तो आप सबूत इकठा करके इन्हें भी अदालत के अंदर प्रस्तुत कर सकते हैं।

     

    तलाक लेने के आधार क्रूरता

    ‌‌‌सन 1955 के हिंदू विवाह अधिनियम के अंदर संशोधन करके इसके अंदर क्रूरता को भी जोड़ा गया । पहले केवल शरीरिक प्रताड़ना के आधार पर ही तलाक मिल सकता था ।

    पति या पत्नी क्रूरता के आधार पर भी अदालत के अंदर केस दर्ज करवा सकते हैं। क्रूरता के अंदर कई बाते आती हैं। जैसे

    •  देहज के लिए गाली देना ।
    •  असंगत यौनसंबंध बनाना ,
    • खाना देने के लिए मना करना ,
    • मानसिक उत्पीड़न करना आदि क्रूरता मे आते हैं।

     

    देहज के लिए गाली देना

    ‌‌‌यदि कोई पति अपनी पत्नी को देहज के लिए बार बार गाली देता है। और पत्नी को परेशान करके रखा है तो पत्नी सबूत के साथ अदालत के अंदर याचिका दायर कर सकती है। कि उसके साथ क्रूरता हो रही है। लेकिन इसके लिए पत्नी को यह साबित करना होगा कि पति लंबे समय से ऐसा कर रहा है।

    असंगत यौनसंबंध बनाना

    ‌‌‌असंगत यौन संबधों के अंदर वैसे यौन संबंध आते हैं जो वेल्डि नहीं हैं। यह तलाक का आधार है। यदि पति अपनी पत्नी के साथ अप्राक्रतिक यौन संबंध बनाता है।तो पत्नी इस आधार पर भी तलाक की याचिका दायर कर सकती है। ऐसे कई मामले प्रकाश मे आ चुके हैं। जिनमे पति द्वारा पत्नी के साथ अप्राक्रतिक यौन सबंध ‌‌‌बनाएं हो ।

    मानसिक उत्पीड़न करना

    मानसिक उत्पीड़न भी तलाक का एक प्रमुख आधार है। पटना 1963 के अंदर कोर्ट ने इस आधार पर पति को तलाक दिया कि उसकी पत्नी बार पति को धमकी देती थी कि वह आत्महत्या कर लेगी । उसके परिवार के खिलाफ देहज की शिकायत दर्ज करवादेगी । उसकी बदनामी करवादेगी । और वह गाली भी देती थी । इस ‌‌‌वजह से पति को मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ा और उसने तलाक की याचिका दायर की ।

    ‌‌‌राजेन्द्र सिंह बनाम तारा 1980 के अनुसार क्रूरता का अर्थ है दूसरों को नाखुश देखकर खुद खुश होना और अकारण दूसरों को पीड़ा देना क्रूरता की क्ष्रेणी मे आता है। वैसे हर मामले के अंदर क्रूरता की परिभाषा बदलती रहती है।

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    ‌‌‌वैसे कई सारी चीजें ऐसी हैं जिनको क्रूरता के अंदर रखा जा सकता है। जैसे पार्टनर का लापरवाह होना , बात बात पर कमी निकालना , पार्टनर पर ध्यान न देना , बिना बताए ससुराल छोड़कर जाना , जिम्मेदारी ना समझना , गलत लोगों के साथ संबंध बनाने का दबवा डालना , गाली देना , शराब पीकर परेशान करना , आत्महत्या ‌‌‌की धमकी देना आदि। हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13 के अंदर मानसिक क्रूरता को और अधिक अच्छे तरीके से साबित किया गया है।

     

    इसके अनुसार तीव्र मानसिक पीड़ा जिसकी वजह से पति पत्नी का साथ रहना संभव नहीं है क्रूरता के अंदर आता है। एक लंबे समय तक एक विशेष प्रकार का गलत आचरण क्रूरता है। जैसे लंबे समय तक बच्चे नही ‌‌‌पैदा करने की वजह से भी क्रूरता हो सकती है। इसके अलावा बिना किसी वैध कारण के शारीरिक संबंध बनाने से इंनकार करने की वजह से भी क्रूरता हो सकती है।

    ‌‌‌अदालत के अंदर क्रूरता को कैसे साबित किया जाए

    अदालत के अंदर क्रूरता को साबित करने के लिए गवाही महत्वपूर्ण होती है। लेकिन इसके साथ ही सबूत भी पैस किया जाना आवश्यक होता है। क्रूरता का सबूत विडियों ओडियों के रूप मे आसानी से पेश किया जा सकता है। इसके अलावा गवाह भी पेश किये जा सकते हैं।

    दिल्ली हाईकोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम  के तहत क्रूरता के आधार पर हाल ही मे एक तलाक का मामला प्रकाश मे आया था । यह मामला नलिनी और गणेश का है। जिनका एक बेटा भी है। गणेश को उसकी पत्नी बार बार मोटा हाथी कहकर चिढ़ाती थी । इतना ही नहीं उसके मना करने के बाद भी वह ऐसा कर रही थी । यहां तक की वह कई बार

    ‌‌‌चह खुद पर केरोसनी डालकर मरने के लिए उतारू हो जाती तो कई बार गणेश को ही पिटने दौड़ती थक हार कर उसने अदालत के अंदर तलाक का मुकदमा दायर किया और अदालत ने उसे तलाक देदिया।

    ‌‌‌ तलाक लेने के आधार  ‌‌‌परित्याग

    यदि कोई पति या पत्नी दो साल तक बिना कारण अपने साथी को छोड़ देता है। तो इस आधार पर भी तलाक की याचिका दायर की जा सकती है। इस संबंध मे एक फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि केवल इस आधार पर कोई व्यक्ति तलाक नहीं ले सकता है दोनो पति पत्नी के बीच अनबन हो । यह तो आम बात है। परित्याग का अर्थ है। ‌‌‌2 साल तक दोनो पति पत्नी के बीच सारे संबंध समाप्त हो चुके हों और वे दोनों अब साथ नहीं रहना चाहते हों । ‌‌‌परित्याग को बेहतर तरीके से समझने के लिए एक यूजर के द्वारा उल्लेख समस्या को हम आपको बता देते हैं। एक व्यक्ति सैना के अंदर कार्यरत था । क्योंकि वह सैना के अंदर होने की वजह से कम ही घर आता था । उसकी पत्नी ससुराल के अंदर रहती थी ।

    शादी के बाद उसका एक बेटा भी हो गया । उसके बाद उसकी पत्नी ‌‌‌बिना कारण के ससुराल के अंदर रहने लगी और फिर पति के बुलाने पर भी आने से उसने इंनकार करदिया । और उसके बाद उसने घर से भाग कर एक युवक से शादी करली । मतलब यह जो मामला है परित्याग को अच्छे से परिभाषित करने के लिए काफी है। इसके अब पति अपनी पत्नी को परित्याग के आधार पर तलाक दे सकता है।

     

    तलाक लेने के आधार धर्मान्तरण

    यदि पति या पत्नी मे से किसी एक ने दूसरे धर्म को अपना लिया हो तो दोनों मे से कोई एक तलाक के लिए याचिका दायर कर सकता है। ‌‌‌धर्मान्तरण के आधार पर भारत के अंदर तलाक के मामले काफी कम ही आते हैं। क्रूोंकि अधिकतर लोग अपने धर्म को छोड़ने के लिए राजी नहीं होते हैं। हालांकी कई बार ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। जिनके अंदर व्यक्ति ने पहले झूठ बोलकर अपना धर्म छुपाकर शादी करली हो ।

    तलाक लेने के आधार मानसिक विकार

    मानसिक विकार के आधार पर भी तलाक मिल सकता है। यदि साथी का मानसिक संतुलन सही नहीं है और वह पागलपन से ग्रस्ति है तो ऐसी स्थिति के अंदर साथ रहने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। ‌‌‌आपको बतादें की यदि सामान्य मानसिक बिमारी है तो पति या पत्नी तलाक इस आधार पर नहीं ले सकते है। मानसिक बिमारी की वजह स्थिति जिसमे रोगी सही गलत का निर्णय नहीं ले सके और पागलपन के हद तक पहुंच जाए ऐसी स्थिति के अंदर पति या पत्नी तलाक ले सकते हैं।

    इस संबध मे सन 2013 के अंदर आए एक मामले मे पति ने अपनी पत्नी को इस आधार पर तलाक देने की याचिका दायर की क्योंकि उसकी पत्नी को मानसिक बिमारी थी । उसे सिजोफ्रिनिया था । नीचले कोर्ट ने पति की याचिका को मंजूर कर लिया । लेकिन पत्नी ने इसके लिए हाई कोर्ट के अंदर अपील की तो पति इस संबंध मे पर्याप्त सबूत

    ‌‌‌पेश नहीं कर पाया तब कोर्ट ने कहा की पत्नी की मानसिक बिमारी अभी इस हालत के अंदर नहीं है कि वह पागल हो । सिजोफ्रिनियां अभी तक सामान्य है। और उसका ईलाज हो सकता है।

     

    तलाक लेने के आधार कुष्ठ जैसे असाध्य रोग

    ‌‌‌कुष्ठ रोग जैसे ऐसे कई असाध्य रोग हैं। जिनके आधार पर भी पति या पत्नी तलाक की मांग कर सकते हैं। लेकिन पर्सनल लॉज संशोधन बिल 2018 के अनुसार अब कुष्ठ रोग के आधार को समाप्त किया जा सकता है। एक अधिकारी ने बताया कि जब कानून बने थे तो उस समय कुष्ठ रोग का कोई ईलाज नहीं था । लेकिन अब कई तरह की ‌‌‌दवाएं मौजूद हैं जिनकी मदद से कुष्ठ रोग पूरी तरह से ठीक हो सकता है।

    ‌‌‌ तलाक लेने के आधार गम्भीर यौन रोग

    यदि पति या पत्नी को कोई गम्भीर यौन रोग की बिमारी है तो तलाक की याचिका दायर की जा सकती है। एडस जैसे रोग यौन रोग के अंदर आते हैं। एक यौन रोग विशेषज्ञ के अनुसार भारत के अंदर 50 प्रतिशत से अधिक तलाक यौन समस्याओं की वजह से होते हैं । हो सकता है। इसमे वे इन समस्याओं को छुपा लेते हैं। लेकिन ‌‌‌वे प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से यौन समस्याओं का परिणाम होते हैं। अवैध संबंध का पनपना भी बहुत हद तक यौन समस्याओं मे से एक है।

    तलाक लेने के आधार त्याग

    ‌‌‌यहां पर त्याग का अर्थ है यदि कोई पति या पत्नी सभी सांसारिक कार्यों को त्याग कर साधु या सन्यासी बन जाता है तो इस आधार पर भी तलाक मिल सकता है। यदि किसी महिला का पति घर घरहसथी को छोड़कर साधु बन गया है। तो इस आधार पर भी मिला कोर्ट के अंदर तलाक की याचिका दायर कर सकती है।

    तलाक लेने के आधार जिंदा नहीं मिलना

    यदि किसी व्यक्ति को लगातार 7 साल तक न तो देखा और न ही सुना जाता है तो उसे मरा हुआ माना जाता है। और उसका साथी इसके लिए कोर्ट मे तलाक की याचिका दायर कर सकता है।

    ‌‌‌यदि पति पत्नी मे से कोई एक सात साल तक बिना बताए कहीं पर गायब हो जाता है। और उसकी किसी को सूचना नहीं रहती है तो पति या पत्नी उससे तलाक लेने के लिए अदालत के अंदर याचिका दायर कर सकती है। ‌‌‌कुछ समय पहले एक ऐसा ही केस आया था जिसमे एक महिला का पति लगातार 10 साल से गायब था । महिला ने तलाक के लिए कोर्ट के अंदर आवेदन किया और उसका तलाक हो गया । लेकिन इस संबंध मे भी कोर्ट मे सबूत पेश करने होते हैं।

    तलाक लेने के आधार सहवास की बहाली

    यदि पति और पत्नी दोनों की शादी हो चुकी है। लेकिन उसके बाद भी दोनों अलग रह रहे हैं तो इस आधार पर भी तलाक दिया जा सकता है। यदि पत्नी सुलह करना चाहती हो और पति सुलह करना नहीं चाहता हो और दोनों का लबे समय तक संबंध न बना हो तो यह भी तलाक का आधार हो सकता है। ऐसे रिश्ते जिनके अंदर ‌‌‌सुलह की कोई उम्मीद नहीं होती है। तलाक का आधार  हो सकता है।

    ‌‌‌तलाक के आधार केवल पत्नी के लिए धारा 13 (2)

    भारत के अंदर कुछ ऐसे तलाक के आधार भी मौजूद हैं जिनकी याचिका सिर्फ पत्नी की तरफ से ही दायर की जा सकती है। तो आइए जान लेते हैं ।तलाक के ऐसे कौनसे आधार हैं।

    • पति जो बलात्कार, वहशीता या पुरुषमैथुन का दोषी हो
    • यदि महिला का पति बलात्कारी हो पुरूषमैथुन हो तो पत्नी ऐसे पति से तलाक लेने के लिए कोर्ट के अंदर याचिका दायर कर सकती है।
    • ‌‌‌जब महिला का 15 वर्ष की उम्र मे ही विवाह हो गया हो

    यदि महिला यह साबित कर देती है कि उसका विवाह 15 वर्ष की आयु मे ही हो गया हो तो वह 18 वर्ष की होने के बाद तलाक ले सकती है। लेकिन यह आधार तभी काम करता है। जब महिला का विवाह 15 वर्ष की आयु से पहले होना चाहिए।यहनियम हिंदु विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 5 में सूचित किए गए हैं ।

    जब पति पहले से ही विवाहित है

    भारतीय दंड संहिता की धारा 494 के तहत यदि कोई पुरूष पहली पत्नी के जीवित होने के बाद भी दूसरी शादी करता है तो पहली पत्नी बिना अपने पति की सहमती के तलाक भी ले सकती है। और यदि वह तलाक नहीं लेना चाहती है तो वह अपने पति को दंड़ित करवा सकती है। ‌‌‌इसमे पति को अधिकतम 7 साल की सजा हो सकती है और इसके अलावा भारतिए का नून के अंदर यह कहा गया है कि पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी यदि कोई पूरूष करता है तो दूसरी शादी को शून्य माना जाएगा ।

    इर्रिटीवेबल ब्रेकडाउन ऑफ मैरिज’

    यानी संबंधों में ऐसा बिगाड़, जिसमें समझौजे की कोई उम्मीद ना रह गयी हो,

    वैसे देखा जाए तो यह तलाक का 10 वां प्रमुख आधार भविष्य के अंदर बन सकता है। नवीन कोहली और नीलू 1975 के केस के अंदर नवीन और नीलू एक दूसरे के साथ नहीं रहना चाहते थे । लेकिन एक दूसरे को परेशान करने ‌‌‌के लिए तलाक देने को राजी नहीं थे ।नवीन ने अपनी पत्नी पर खराब व्यवहार, झगड़ालू होने और किसी अन्य पुरुष से उसके रिश्ते होने जैसे आरोप लगाए थे वहीं नीलू ने अपने पति पर देहज और घरेलूं हिंसा जैसे आरोप लगाए थे । ‌‌‌लेकिन अंत मे कोर्ट ने नविन को 25 लाख रूपये जमा कराने को कहा उसके बाद दोनों को तलाक की ईजाजत देदी गई।

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    ‌‌‌ईटली मे तलाक का मेला

    ईटली के अंदर पीछले दिनों तलाक का एक मेला भी आयोजित किया गया था। जानकार बताते हैं। कि ईटली मे कभी ऐसा समय भी था जब तलाक का कोई मामला सामने आता भी नहीं था । लेकिन अब समय तेजी से बदल रहा है। और ब्रेटेन और अमेरिका की तरह यहां पर भी ‌‌‌अधितकर संबंधों का अंत तलाक के रूप मे हो रहा है। इस मेले के अंदर तलाकशुदा लोंगों को नया जीवन देने और उनकी मानसिक पीड़ा को कम करने के कई साधन मौजूद थे । इसके अलावा यहां पर कई वैवाहिक संस्थाओं ने भी भाग लिया ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैवाहिक संबंधों के अंदर बांधा जा सके ।

    ‌‌‌इस मेले का मकसद था लोगों को जागरूक करना और तलाक को रोकना ।ईटली मे यह मेला ऑस्ट्रिया मे लगे तलाक के मेले से प्रेरित होकर लगाया गया था ।

    इस लेख मे हमने  तलाक लेने के आधार या पत्नी से तलाक लेने के आधार और एक तरफा तलाक के नियमों के बारे मे जाना यह लेख आपको कैसा लगा?

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