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    भारत का पहला रेलवे स्टेशन 1853 के बारे मे रोचक जानकारी

    arif khanBy arif khanAugust 1, 2019Updated:August 1, 2019No Comments9 Mins Read
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    का पहला रेलवे स्टेशन
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    ‌‌‌क्या आप जानते हैं कि भारत का पहला रेलवे स्टेशन 1853 के अंदर बना था और इस रेलवे स्टेशन का नाम रोयापुरम रेलवे स्टेशन है। जिसको भारत का पहला रेलवे स्टेशन के नाम से भी जाना जाता है।रॉयपुरम में एक रेलवे स्टेशन है , जो चेन्नई , भारत में चेन्नई उपनगरीय रेलवे नेटवर्क के अरककोनम खंड – चेन्नई ‌‌‌बीच बना हुआ है। ‌‌‌यह ही एक वर्तमान मे सबसे पुराना रेलवे स्टेशन है। जो सक्रिय है। और बंबे और ठांणे के अंदर भी दो पुराने रेलवे स्टेशन थे जो अब बंद हो चुके हैं।

    ‌‌‌दक्षिण भारत के अंदर पहली ट्रेन की शुरूआत जून 1956 के अंदर हुई थी।यह रॉयपुरम रेलवे स्टेशन से शुरू हुई थी।यह 1922 तक मद्रास का रेलवे का मुख्यालय भी रहा था।वैसे बॉम्बे और ठाणे स्टेशनों की मूल संरचनाएँ अब मौजूद नहीं हैं, रॉयपुरम स्टेशन भारत का पहला रेलवे स्टेशन 1853 या भारत का सबसे पुराना रेलवे स्टेशन बना हुआ है।

    भारत का पहला रेलवे स्टेशन 1853

    By Darren Burnham – Own work, CC BY-SA 4.0

    ‌‌‌रखरखाव की कमी की वजह से भारत का पहला रेलवे स्टेशन 1853 अब जर्जर हालत के अंदर हो चुका है।इस स्टेशन का एक छोर सैन्य मंच के लिए इस्तेमाल होता था। रेलवे परिसर अब एक खेल का मैदान बन चुका है।स्टेशन के दूसरे छोर का प्रयोग मालगाड़ी के माल के परिवहन के लिए होता है। जबकि रेलवे प्लेटफोर्म का ‌‌‌उपयोग यात्री करते हैं। ‌‌‌सन 2005 के अंदर 4 मिलियन अनुमानित लागत से रेल मंत्री आर वेलु ने इसको सुधारने का काम किया था।अब यह भारतिए रेलवे का सबसे पुराना जीवित ढांचा बचा हुआ है।

    Table of Contents

    • भारत का पहला रेलवे स्टेशन 1853 ‌‌‌का इतिहास History of India’s first railway station 1853
    • ‌‌‌ भारत का पहला रेलवे स्टेशन 1853 का लेआउट
    • रोयापुरम रेलवे स्टेशन का विकास Development of Royapuram Railway Station
    • ‌‌‌पुरानी चीजों के साथ जुड़ी यादें

    भारत का पहला रेलवे स्टेशन 1853 ‌‌‌का इतिहास History of India’s first railway station 1853

    रॉयपुरम रेलवे स्टेशन से सन 1853 ई के अंदर दक्षिण एशिया की दूसरी रेल सेवा का परिचालन हुआ था।जब भारत के अंदर रेलवे लाइन की बात आई तो सबसे पहले मद्रास के अंदर रेलवे लाइन बिछाने का प्रस्ताव पास किया गया था। 1832 के अंदर भाप इंजन बनने के लगभग 16 साल बाद 1840 के आस पास भारत का दौरा विदेशियों ने किया था। क्योंकि वे यहां पर एक रेल लाइन बिछाना चाहते थे ।1845 ई के अंदर ‌‌‌म्रदास रेलवे कम्पनी का गठन किया गया था। उस समय यह योजना काफी चर्चा मे थी। 1849 में ग्रेट इंडिया पेनिनसुला कंपनी को बनाया गया ।उसी कम्पनी ने भारत के अंदर 21 मील लंबा रेल मार्ग बनाया था। बॉम्बे से ठाणे में बोरी बन्दर तक था जो भारत की पहली रेलवे लाइन बन गई थी।

    1849 में मद्रास रेलवे कंपनी का पुनर गठन किया गया । और मद्रास के व्यापारियों ने मद्रास के लिए रेलवे लाइन बिछावाने का प्रयास किया ।और उसके बाद कम्पनी ने सभी मांगों को मान लिया और सरकार ने भी इसकी आज्ञा प्रदान कर दी और सन 1853 ई के अंदर ‌‌‌इस पर काम शूरू हो गया था। रोयापुरम (मद्रास) से अर्कोट तक रेलवे लाइन का विस्तार किया गया, उसके बाद कर्नाटक के नवाब की राजधानी रॉयपुरम को नए स्टेशन के लिए स्थान के रूप में चुना गया था। रायपुर के अंदर रेलवे स्टेशन बनने के बाद 28 जून 1956 के अंदर लॉर्ड हैरिस द्वारा  ‌‌‌इसको यातायात के लिए खोल दिया गया ।

    History of India's first railway station 1853
    By Rasnaboy – Own work, CC BY-SA 4.0

    सिम्पसन एंड कंपनी ने पहली ट्रेन की व्यवस्था की थी और उस ट्रेन के अंदर 300 यूरोपियन और गवर्नर ने यात्रा की थी। सबके लिए रात मे खाने की व्यवस्था भी की गई थी। उसके बाद दूसरी ट्रेनके अंदर भारतियों ने यात्रा की थी।

    ‌‌‌इस तरीके से भारत का पहला रेलवे स्टेशन 1853  बनकर तैयार हो गया था। 6 सितंबर 1856 को, द इलस्ट्रेटेड लंदन न्यूज़  ने मद्रास रेलवे स्टेशन के बारे मे प्रमुखता से निम्न लिखित खबर को प्रकाशित किया था।

    ”     जैसा कि ट्रेन कर्नाटक के शुष्क मैदान में आगे बढ़ी, ‌‌‌ट्रेन को देखने के लिए बहुत से लोग आए थे । …… ट्रेन रंगों के द्रव्यमान से धराशायी हो गई, ‌‌‌जैसे एक पुल से टकराकर गहरी खाई के नीचे एकत्र हुई एक टोपे, भीड़ वाले स्टेशन स्टेशन के चक्कर में, या ट्रेन के उड़ते ही जोर-जोर से चीरते हुए किनारों को काटते हुए। तब भी, एक चंचल हंसी फूट पड़ी, जब कुछ चरागाह जमीन से गुजरते हुए, आलसी मवेशी, जो ट्रेन की भागती हुई चीख से घबराए हुए थे, दूर तक उड़ गए, कभी-कभी डरते-डरते चरवाहे खुद भी चले जाते थे, जो सोचते थे ‌‌‌कि यह क्या बला आप पड़ी है

    कैप्टन बार्नेट फोर्ट ने रॉयपुरम के कमरो को अच्छे से सजाया था।राज्यपाल लॉर्ड हैरिस ने अपने भाषण के दौरान मद्रास कम्पनी के प्रबंधक को बधाई दी और कहा कि उन्होंने रेलवे के लिए काम किया इस वजह से मैं उनका आभारी हूं ।

    मद्रास सेंट्रल स्टेशन 1873 से पहले रॉयपुरम एक मात्र रेलवे स्टेशन था। 1873 से, देश के उत्तरी क्षेत्रों की ओर जाने वाली ट्रेनें चेन्नई सेंट्रल से और राज्य के दक्षिणी क्षेत्रों की ओररॉयपुरम स्टेशन से संचालित किए गए थे। चेन्नई बंदरगाह के विकास हो जाने के बाद बंदरगाह से कार्गो को रॉयपुरम स्टेशन से होकर ले जाया जाने लगा था। इस वजह से एग्मोर रेलवे स्टेशन 1907 दक्षिण की ओर जाने वाली टे्रन का हब बन चुका था। 26 सितंबर 1987 को रॉयपुरम से कोरुक्कुपेट तक विधुतिकरण कर दिया गया था।

    ‌‌‌ भारत का पहला रेलवे स्टेशन 1853 का लेआउट

    ‌‌‌ भारत का पहला रेलवे स्टेशन 1853 का लेआउट
    By Rasnaboy – Own work, CC BY-SA 4.0

    ‌‌‌ भारत का पहला रेलवे स्टेशन 1853 या रॉयपुरम रेलवे स्टेशन कोलकाता में हावड़ा स्टेशन के बगल में 246,000 वर्ग मीटर तक फैला हुआ है। और यह 1015 मीटर लंबा और 420 मीटर चौड़ा है।चेन्नई सेंट्रल से यह 2 किमी की दूरी पर है। और इसके अंदर 28 ट्रेक बने हुए हैं।

    रोयापुरम रेलवे स्टेशन का विकास Development of Royapuram Railway Station

    सन 2006 मे रेलवे ने सीमेंट और कॉपरेट डिपो विकसित करने के लिए इस रेलवे स्टेशन के एक हिस्से को कॉर्पोरेट क्षेत्र को पटे पर देने की योजना बनाई थी। लेकिन बाद मे इसका विरोध हुआ । रेलवे ने 2007 में लोकोमोटिव रखरखाव शेड 155 मिलियन आवंटित किये गए थे।लोको शेड का शिलयान्यास सन 2007 के अंदर बनाया गया था।

    लोको के विभिन्न उपकरणों के रखरखाव के लिए एक सेवा भवन ‌‌‌भी बनाया है।, जिसमें परीक्षण और ओवरहालिंग सुविधाएं होंगी। इसके अलावा, लोको शेड में दिन के रखरखाव के लिए एक स्टोर डिपो था। योजना में एक फुट ओवरब्रिज और अनाज के लिए एक गोदाम की सुविधा भी शामिल थी। इस परियोजना को जून 2008 तक पूरा ‌‌‌कर लिया गया है।

    दक्षिणी रेलवे ने पहले भारत का पहला रेलवे स्टेशन 1853 के अंदर शूरू के अंदर एक माल ढुलाई का केंद्र बनाने की योजना बनाई थी। लेकिन बाद मे इसको कैंसिल कर दिया गया था। ‌‌‌इसके अलावा यहां पर इतनी भूमी है कि 72 रेलवे प्लेटफोर्म का निर्माण किया जा सकता है। इसके अलावा सर्वाजनिक और नीजी बसों के लिए और आम वहानों के लिए पार्किंग भी बनाया जा सकता है।

    ‌‌‌पुरानी चीजों के साथ जुड़ी यादें

    भारत का पहला रेलवे स्टेशन 1853  ही अब एक मात्र ऐसा स्टेशन बचा है। जिसको हम कह सकते हैं। कि यह सबसे पुराना है। एक तरह से यह रॉयपुरम रेलवे स्टेशन हमारी पुरानी यादों को ताजा करता है। ‌‌‌इस स्टेशन की बहुत सी ऐसी चीजे हैं जोकि अब नष्ट हो चुकी हैं। यकीन मानिए यदि वे सब चीजें आज वहां पर होती तो देखने वाले को अजीब महसूस होता है। यदि आप खुद वहां पर देखने जाते तो आपको लगता कि प्राचीन काल के अंदर किस तरीके से क्या क्या होता था। ‌‌‌रेलवे खुद अपनी धरोहर को नष्ट करने मे लगा हुआ है। जब इस स्टेशन को पटटे पर देने की बात आई तो लोगों ने इसका विरोध भी किया था। क्योंकि यही एक मात्र भारत का पहला रेलवे स्टेशन 1853  बचा हुआ था। और सीमेंट गोदाम इसको बना दिया जाता तो

    ‌‌‌निश्चित रूप से यह पूरी तरीके से नष्ट हो जाता । बाद मे कोर्ट के अंदर किसी ने याचिका लगाई और रेलवे को कोर्ट की फटकार लगी तब उसे कुछ समझ आया । चेन्नई रेल पैसेंजर्स एसोसिएशन ने बाद मे यह कहा की स्टेशन के तकनीकी ढांचे को किसी भी तरीके से बिगाड़े बिना इसको फिर से बनाया जाएगा और उसके बाद यात्रियों को और अधिक बेहतर सुविधाएं दी जाएंगी । ‌‌‌खबरों के अनुसार  दक्षिण रेलवे के अधिकारियों ने हेरिटेज इमारतों की सूची मे से इस रेलवे स्टेशन को हटाने के लिए काफी कुछ किया था।ताकि वह यहां पर कोई और परयोजना चला सके । रॉयपुरम स्टेशन तमिलनाडु सरकार द्वारा तैयार विरासत संरचनाओं की सूची में 16 वें स्थान पर रखा गया है।

    ‌‌‌कुछ अधिकारियों ने यह भी कहा है कि रॉयपुरम स्टेशन को चेन्नई में तीसरे प्रमुख टर्मिनल के अंदर बदल सकते हैं। और इसके लिए वे इसकी मूल संरचना के अंदर बदलाव नहीं करने वाले हैं। क्योंकि यह इतिहासिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। ‌‌‌इस रेलवे स्टेशन के संबंध मे एक अन्य अधिकारी ने यहा की इस स्टेशन को नया बनाने का काम जल्दी ही शूरू होने वाला है। और यहां पर एक प्रर्दशनी भी लगाई जाएगी । जिसके अंदर इस रेलवे स्टेशन के बारे मे बताया जाएगा ।

    भारत का पहला रेलवे स्टेशन 1853   के संबंध मे पुरातत्वा से जुड़े लोगों को लगता है कि जब रेल्वे इस स्टेशन को नया बनाएगा तो इसके अंदर की बहुत सी चीजों को बदल दिया जाएगा । और इस वजह से यह पहले जैसा नहीं रह पाएगा । वैसे अधिकतर लोग यही चाहते हैं कि इस रेल्वे स्टेशन के साथ छेड़ छाड़ नहीं होनी ‌‌‌चाहिए।

    ‌‌‌तमिलनाडू के पुरातत्वविदों ने इस स्टेशन के नविनिकरण पर कहा  है कि वे इस मामले की अच्छे से निगरानी कर रहे हैं। और स्टेशन को इस प्रकार से विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है कि इसमे किसी भी प्रकार की पुरातनता मे क्षति ना हो सके ।

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