पढ़िए अफसाना परवीन की दास्तां नौकरी छोड़ गरीब बच्चों को पढ़ा रही

दुनिया के अंदर कई तरह के लोग हैं। कुछ लोग अपनी पूरी जिंदगी धन कमाने मे लगा देते हैं। अपने पराये के लिए झगड़ते रहते हैं। वे दूसरों के लिए कुछ करना तो दूर उनका हड़प कर जरूर खा जाते हैं। ‌‌‌कुछ लोग ही ऐसे होते हैं जोकि अपना सब कुछ छोड़कर दूसरों के भले के लिए अपने जीवन को कुर्बान कर देते हैं।

‌‌‌दिसम्बर 2012 का वह दिन याद कर अपसाना बताती है कि उस दिन निर्भया के साथ बहुत बुरा हुआ  दरिंदों ने उनके पाईवेट पार्ट के अंदर रॉड तक घुसा दी थी । इस घटना का अफसान के जीवन और सोच पर गहर प्रभाव पड़ा । इसकी वजह से उनको समस्त भारत की लड़कियों की सुरक्षा की चिंता सताने लगी ।

‌‌‌इस चिंता के अंदर उसकी तीन बहने भी शामिल थी । उसके बाद वह 2000 के अंदर नौकरी की तलास मे दिल्ली आ गई किंतु वहां का वातावरण उसे पसंद नहीं आया वहां पर बहुत छेड़खानी होंती थी। उसके बाद उन्होंने शादी की और मुम्बई आ गई

 

‌‌‌बीए तक पढ़ाई कर चुकी अफसान को ‌‌‌मुंबई के अंदर एक अच्छी जॉब भी मिल गई किंतु 16 दिसम्बर के कांड के बाद उनको काफी चिंता होने लगी और । वे अपने पति से परामर्श लिया तो उनके पति ने उनका समर्थन किया ।

 

‌‌‌उसके बाद अफसाना ने नौकरी को अलविदा कर दिया और कई राज्यों का दौरा किया । और यह जानने की कोशिश की की रेप का कारण क्या है तो उन्होने पाया कि इसकी बड़ी वजह यही है कि शिक्षा की कमी ।

 

‌‌‌मुंबई मे शूरू किया स्कूल

‌‌‌2014 के अंदर वे वापस मुंबई आई और झुग्गी वाले बच्चों को बेसिक शिक्षा देने का काम शूरू किया उनसे शीघ्र ही 800 बच्चे जुड़ गए ।  बिहार के अंदर तो इसके पांच केंद्र भी हैं। उन्होंने इस कार्यक्रम को पहचान नाम दिया है। उनके पढ़ाये गए बच्चों मे से कइयों का एडमिशन तो बड़े स्कूलों के अंदर हो चुका ‌‌‌है।

 

‌‌‌अफसाना का यह मानना है कि शिक्षा बचपन से ही दिया जाना जरूरी है। ताकि बच्चे को सही गलत की पहचान हो सके । और वह कुछ भी गलत ना कर सके । अपसाना का शिक्षा देने का मकसद है कि देस के अंदर हर लोग शिक्षित होगा तो निर्भया जैसा मामला प्रकाश मे नहीं आये गा ।

 

‌‌‌यदि देस का हर इंसान अफसाना की तरह सोचने लगेगा तो निश्चय की भारत बहुत आगे बढ़ जाएगा । लेकिन ऐसा होना संभव नहीं है।

This post was last modified on November 5, 2018