क्यों रह जाते हैं आपके बच्चे पढ़ने मे कमजोर

दोस्तों आज कल competition  का माहोल है। जो लड़का पढ़ने मे कमजोर होता है। उसका सरकारी नोकरी के अंदर नम्बर आने का चांस कम हो जाता है। यदि आप चाहते हैं कि आपका बच्चा कोई ‌‌‌बड़ा अफसर बने तो पहले से ही उसपर ध्यान देना सूरू कर दिजिये

और यदि कोई बच्चा पढ़ने लिखने मे कमजोर है तो वह इतना चतुर भी नहीं हो सकता आजकल दो ही तरह के लोगों का बोल बाला है। एक तो वे जोकि पढ़ने मे ‌‌‌होशियारहैं दूसरे जोकि षातिर दिमाग के हैं। और उनका दिमाग काफी तेजी से दौड़ता है। चाहे वो गलत कामों के अंदर ही क्योंना हो इसलिए आपको अपने बच्चे के दिमाग को कुछ इस प्रकार से बनाना होगा कि आजकल की गला काट प्रतियोगिता के अंदर वो विजय रह सके सच है कमजोर लोगों का अभी भी कोई महत्व नहीं है। फिर तो और भी उनका महत्व कम हो जाता है। जो गरीब हैं। और पढ़ने मे भी कमजोर हैं।
इसके पीछे वैसे तो बहुत से कारण हो सकते हैं किंतु यहां पर हम इसके पीछे कुछ खास कारणों पर ही चर्चा करेंगे
वो बच्चे पढ़ने मे कमजोर रह जाते हैं। जिनके माता पिता उन पर कोई ध्यान नहीं देते हैं। मैंने देखा है बहुत से बच्चे पढ़ने मे इसी वजह से कमजोर रह जाते हैं। यदि किसी बच्चे का उसके माता पिता पूरा ध्यान रखते हैं। तो वह पढ़ने मे कमजोर नहीं रह पायेगा घर पर उसके प्रेरेंटस उसको पढ़ाएंगे और जो बातें उसके समझ मे नहीं आई वे उसको फिर से बताएंगे क्योंकि माता पिता बच्चे के सबसे नजदिग होते हैं। वह उनसे ही बहुत कुछ सीखता है। उनकी सीखाई बातों को वह आसानी से याद भी रख लेता है।
लेकिन वास्तव मे अधिकतर माता पिता अपने बच्चों को लेकर सिरियस नहीं होते हैं। वे उन्हें स्कूल के अंदर तो डाल देते हैं किंतु यह कभी भी पता करने की ‌‌‌कोशिश नहीं करते की उनका लाडला स्कूल के काम को समय पर करता है कि नहीं गांवों के अंदर यह स्थिति सबसे अधिक होती है। क्योंकि वहां पर बच्चों के माता पिता पढ़े लिखे नहीं होते हैं। इस वजह से उनको इस बारे मे कोई जानकारी  नहीं होती है।
कुछ माता पिता ऐसे भी होते हैं जिनको बाद मे पता चलता है कि उनका बच्चा बिगड़ गया है। सारे दिन खेलता रहता है। टीवी से ‌‌‌चिपका रहता है पढाई नहीं करता है। किंतु तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। आपका लाडला इतना दूर जा चुका होता है कि उसे वहां से वापस लाना आसान नहीं होता है।

2.सही स्कूल का चुनाव नहीं करते हैं।

        बच्चे की पढाई के विकास के अंदर स्कूल की बहुत बड़ी भूमिका होती है। हमारे देस के अंदर बहुत से स्कूल तो ऐसे हैं जोकि बेकार हैं। उनके अंदर सरकारी स्कूल बड़ी संख्या के अंदर आती है। सरकारी स्कूल के अंदर पढ़ाने वाले टीचर को इस बात से कोई मतलब नहीं होता है कि बच्चे पढ़ रहे है। यदि सरकारी स्कूलों की बात करें तो हमारे गांव के अंदर भी एक घटिया सरकारी स्कूल है। जिसके अंदर टीचर तो तास का गेम खेलते रहते हैं। और बच्चे मजे करते रहते हैं। मेरे विचार से इस तरह के माहौल वाले स्कूल  के अंदर आपके बच्चे को नहीं पढ़ाया जाना चाहिए क्योंकि ऐसे वातावरण के अंदर पले पढ़े बच्चों का बेस कमजोर हो जाता है। और एक बार जब उनका बेस कमजोर रह जाता है तो फिर बाद मे उसको सुधारना बहुत ही कठिन होता है।

3.घर का सही माहौल नहीं होता

स्टडी करते समय इन बातों का ध्यान अवश्य

 

किसी भी बच्चे को पढ़ने के लिए उसके घर का सही माहौल होना बेहद जरूरी होता है। यहां पर बहुत से घर तो ऐसे होते हैं ‌‌‌जिनके अंदर सारे दिन रात किच पिच होती रहती है। जैसा की आप सभी जानते हैं कि पढ़ने के लिए सही माहौल की ‌‌‌आवश्यकता होती है।
 बेकार के सौर गुल वाले वातावरण के अंदर बच्चे पढ़ नहीं सकते यदि घर के अंदर ‌‌‌झगड़ा होता है तो भी बच्चों के दिमाग पर इसका गहरा असर पड़ता है। और रोज रोज के झगड़े की वजह से बच्चों के दिमाग पर इसका असर लगातार पड़ता जाता है। और वे धीरे धीरे उनका बेस कमजोर हो जाता है। इसलिए यदि आप बच्चों के माता पिता हैं। या आपके घर के अंदर बच्चे हैं तो अपने घर के माहौल को सही रखें ताकि उनको किसी तरह की ‌‌‌परेशानी ना आए याद रखे कि बच्चों के पास इतना दिमाग नहीं होता है  िकवे सब कुछ वे एडजस्ट कर सकें इसलिए आपको यह सब उनको करके देना होगा

4.बच्चों की रूचि को भूलिए

याद रखें रूचि और बेस के अंदर सीधा संबंध होता है। मेरे कहने का मतलब है कि यदि आप बच्चे से उसकी रूचि का कोई काम करवाते हैं तो वह उसको करने के लिए ‌‌‌हमेशा बेताब सा दिखेगा किंतु यदि आप उसको बिना रूचि का कोई काम करवाएंगे तो वह इसके लिए कभी तैयार नहीं होगा यदि आपने उसे तैयार कर भी लिया तो उसकी फर्मोमेंस गिर जाएगी इसलिए यह ‌‌‌हमेशा याद रखें की यदि आप किसी बालक की बेस सुधारना चाहते हैं तो उसकी रूचि के काम को उसे करने को दिया जाए

5.बच्चों को प्रेरित करने की गलती

बहुत से माता पिता ऐसे भी होते हैं जोकि अपने बच्चों को किसी भी तरह से प्रेरित नहीं करते यदि उनका बच्चा कक्षा के अंदर फस्र्ट आता हो या कक्षा के अंदर कम नम्बर प्राप्त करता हो यदि कोई बच्चा कम नम्बर प्राप्त करता है। यदि उसके माता पिता उसे ज्यादा नम्बर बनाने मे उसकी मदद करें और उसे प्रेरित करें तो हो सकता है। वह अबकि बार सबसे अधिक नम्बर प्राप्त करे। यदि आप भी इस तरह की गलती करते रहे हैं तो अब इस गलती को सुधार लिजिए इसमे सुधार करने का यही सही वक्त है।

6.बच्चों की संगति पर ध्यान नहीं देते

संगति सभी इंसानों को प्रभावित करती है किंतु बच्चों का मन कोमल होता है। उनपर इसका गहर असर पड़ता है। यदि किसी बच्चे पर कु संगति का असर पड़ जाता है। तों वह गलत दिसा की ओर चला जाता है। और पढ़ने की तरफ उसका ध्यान नहीं जाता सो उसका बेस तो कमजोर होता ही है
वो कहावत तो आपने सुनी होगी कि एक गंदा आम सौ और आमों को गंदा बना देता है। इसलिए आपको अपने बच्चे की संगति कैसी है पर भी ध्यान देना चाहिए ताकि उसका पढ़ने मे अधिक मन लग सके और उसके बेस मे और सुधार हो सके
दोस्तो बहुत से लोग ऐसे होते हैं जोकि समझदार होने के बाद अपने बेस मे सुधार करने की कोषिष करते हैं किंतु बाद मे बेस के अंदर सुधर करना बेहद ‌‌‌मुश्किल हो जाता है। यदि आपका बेस कमजोर है तो कोई बात नहीं आपके बेटे बेटी का बेस तो कमजोर मत रहने दिजिए इस लेख को लिखने का हमारा यही मकसद है।

 

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arif khan

‌‌‌हैलो फ्रेंड मेरा नाम arif khan है और मुझे लिखना सबसे अधिक पसंद है। इस ब्लॉग पर मैं अपने विचार शैयर करता हूं । यदि आपको यह ब्लॉग अच्छा लगता है तो कमेंट करें और अपने फ्रेंड के साथ शैयर करें ।‌‌‌मैंने आज से लगभग 10 साल पहले लिखना शूरू किया था। अब रोजाना लिखता रहता हूं । ‌‌‌असल मे मैं अधिकतर जनरल विषयों पर लिखना पसंद करता हूं। और अधिकतर न्यूज और सामान्य विषयों के बारे मे लिखता हूं ।