कोहलर थ्योरी ऑफ़ लर्निंग इन हिंदी or सूझ का सिद्वांत

‌‌‌इस सिद्वांत को गैस्टाल्ट सिद्वांत भी कहा जाता है। इसका प्रतिपादन जर्मन मनौवैज्ञानिक वर्दीमर कोफा और कोहल्र ने किया था । इसको सूझ या अंतर्दष्टि सिद्वंात भी कहा जाता है।

‌‌‌इस सिद्वांत के अनुसार हम कुछ कार्यों को करके सिखते हैं। कुछ को दूसरों को देखकर सिखते हैं । जबकी कुछ को अपने आप ही सीख जाते हैं।इस प्रकार सीखने को सूझ द्वारा सीखना कहा जाता है। इसका अर्थ है कि सूझ वास्तविक स्थिति का आकस्मिक निश्चित और तात्कालिक ज्ञान है।

‌‌‌कोहलर के प्रयोग

गेस्टाल्ट मनोविज्ञान (Gestalt psychology) की स्थापना जर्मनी में मैक्स बरदाईमर (Max Wertheimer) द्वारा 1912ई0 मे हुई थी। स्कूल के विकास में कर्ट कौफ्का (1887-1941) तथा ओल्फगैंग कोहलर (1887-1967) ने भी योगदान दिया था।

इस सिद्वांत को गेस्टाल्ट सिद्वांत भी कहा जाता है। इसके अनुसार व्यक्ति अपनी सम्पूर्ण परिस्थिति को अपनी मानसिक ताकत से समझ लेता है।और उसे अच्छी तरह से करना सीख लेता है।वह ऐसा अपनी सूझ के कारण करता है।

‌‌‌इस संबंध मे अनेक प्रयोग किये जा चुके हैं जिसमे सबसे प्रसिद्व प्रयोग कोहलर का है। जिसका हम यहां पर उल्लेख कर रहे हैं।

कोहलर ने 6 वनमानुषों को एक कमरे के अंदर बंद कर दिया और कमरे की छत के पास एक केला लटका दिया पास ही एक डिब्बा रख दिया।‌‌‌उन्होंने काफी कोशिश की केले को लेने की किंतु वे सफल नहीं हो सके । उसमे से एक वनमानुष का नाम सुल्तान था । वह थोड़ी देर इधर उधर घूमा बाक्स के पास खड़ा हुआ । फि र बाक्स को केले के नीचे खींचकर ले आया ।उस पर चढ़कर केले को लेलिया । सुल्तान ने यह सिद्व किया कि उसमे सूझ थी।

‌‌‌वनमानुष की तरह बालक भी सूझ के द्वारा सीखते हैं सूझ का आधार कल्पना शक्ति है। जिस व्यक्ति के पास जितनी अधिक कल्पना करने की ताकत होगी ।उसमे सूझ भी उतनी ही अधिक होगी । और वह जल्दी सीख जाएगा।

‌‌‌बड़े बड़े दार्शनिकों इंजनियरों की सफलता का रहस्य उनकी सूझ ही तो है।

‌‌‌इस सिद्वांत का महत्व

यह सिद्वांत रचात्मक कार्यों के लिए उपयोगी है।

यह सिद्वांत बालकों की बुद्वि और तर्क शक्ति विकास करता है।

यह गणित जैसे कठिन विषयों के लिए बहुत उपयोगी है।

‌‌‌क्रो एवं क्रो के अनुसार यह सि द्वांत कला और संगीत के लिये भी उपयोगी है।

यह सिद्वांत सीखने के यांत्रिक स्वरूप के महत्व को कम करता है।

यह सिंद्वांत बालक को ज्ञान खोज कर विकास करने की आदत डालता है।

‌‌‌यह बालक को कोई लक्ष्य प्राप्त करने के लिए उचित व्यवहार की चेतना प्रदान करता है।

This post was last modified on November 2, 2018

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