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    Home»‌‌‌विज्ञान»उल्लू के बारे में जानकारी उल्लू से जुड़े मजेदार तथ्य history of owl in hindi
    ‌‌‌विज्ञान

    उल्लू के बारे में जानकारी उल्लू से जुड़े मजेदार तथ्य history of owl in hindi

    arif khanBy arif khanJanuary 27, 2018Updated:November 1, 20182 Comments6 Mins Read
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    उल्लू के बारे में जानकारी
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    उल्लू के बारे में जानकारी उल्लू का भोजन क्या है उल्लू का इतिहास उल्लू क्या खाता है उल्लू का खाना ? ‌‌‌यदि यह प्रश्न आपके दिमाग के अंदर भी घूम रहे हैं तो हम आपको बता रहे हैं। उल्लू से जुड़ी रोचक जानकारी।

     

    उल्लू एक ऐसा पक्षी है जिसको दिन की बजाय रात के अंदर अधिक दिखाई देता है। उल्लू की आंखे बड़ी बड़ी होती हैं जोकि रात के अंदर अच्छे से देखने के लिए बनी होती हैं। उल्लू के कान काफी संवेदनशील होते हैं जिसकी वजह से वह अपने शिकार को आसानी से पकड़ सकता है। उसके चार पंजे भी होते हैं जो शिकार ‌‌‌को पकड़ने मे मदद करते हैं। चूहे उल्लूओं का विशेष भोजन होता है। जिन पक्षिओं को रात के अंदर दिखाई देता है। उनको बुद्विमान भी माना जाता है। ग्रीक पौराणिक कथाओं के अनुसार उल्लू के रूप मे उनकी बुद्वि की देवी धरती पर आई थी। वहीं भारत के हिंदु धर्म के अनुसार उल्लू देवी लक्ष्मी का वाहन है जो ‌‌‌मूर्ख नहीं हो सकता । कुछ लोग उल्लू से डरते भी हैं।‌‌‌उल्लू की 200 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं।

    उल्लू के बारे में जानकारी

    Table of Contents

    • ‌‌‌उल्लू अपनी गर्दन को 270 डिग्री तक घूमा सकता है
    • ‌‌‌उल्लू की आंखे तीन पलकों वाली होती हैं
    • ‌‌‌बिना आवाज किये उल्लू कई मील तक उड़ सकता है।
    • ‌‌‌उल्लू के 6 करोड़ साल पूराने जिवाश्म मिले हैं
    • ‌‌‌उल्लू को देखना अधिकतर जगह पर अशुभ माना जाता है
    • उल्लू के बारे में जानकारी
    • ‌‌‌उल्लूओं के अंदर प्रजनन
    • उल्लू का भोजन क्या है ?
    • ‌‌‌उल्लू का घर
    • ‌‌‌विभिन्न जगहों से जुड़ी उल्लू की मान्यताएं

    ‌‌‌उल्लू अपनी गर्दन को 270 डिग्री तक घूमा सकता है

    आपको यह जानकार हैरानी होगी कि उल्लू 270 डिग्री तक अपनी गर्दन आसानी से घूमा सकता है। यदि आप उल्लू के पीछे खड़े रहेंगे तो वह आपको अपनी गर्दन घूमाकर ही देख लेता है।

    ‌‌‌उल्लू की आंखे तीन पलकों वाली होती हैं

    उल्लू की आंखों पर तीन पलके होती हैं और इन तीनों पलकों का काम भी अलग अलग होता है। एक पलक झपकने का काम करती है। तो दूसरी सोने का काम करती है। और तीसरी उसकी आंखों को साप करने का काम करती है।

    ‌‌‌बिना आवाज किये उल्लू कई मील तक उड़ सकता है।

    यह उल्लू की सबसे बड़ी खास बात होती है। उल्लू बिना आवाज किये हुए कई मील तक उड़ सकने की वजह से वह आसानी से अपने शिकार को पकड़ लेता है।

    ‌‌‌उल्लू के 6 करोड़ साल पूराने जिवाश्म मिले हैं

    एक वैज्ञानिक रिसर्च के अंदर यह साबित हुआ है कि मरने के बाद उल्लू का शरीर जल्दी ही नष्ट नहीं होता है। और ऐसा माना जाता है कि आज से 6 करोड़ साल पहले भी उल्लू धरती पर रहते थे ।उल्लू के बारे में जानकारी

    ‌‌‌उल्लू को देखना अधिकतर जगह पर अशुभ माना जाता है

    चीन के अंदर उल्लू दिखने पर यह माना जाता है कि उसके पड़ोसी की मौत होने वाली है। वहीं अफ्रिका के अंदर उल्लू दिखना अशुभ माना जाता है। भारत के अंदर भी उल्लू का घर पर बैठना अच्छा नहीं माना जाता ।

     

    उल्लू के बारे में जानकारी

    ‌‌‌उल्लू की गर्दन के अंदर 14 कशेरुका होती हैं। जब वे अपनी गर्दन को घूमाते हैं तो सिर के अंदर रक्त आपूर्ति को रोक लेते हैं। विभिन्न प्रजाति के उल्लू अलग अलग आवाज भी निकालते हैं। जो अपने साथी उल्लूओं को पहचानने मे मदद करती हैं।‌‌‌सबसे छोटे उल्लू का वजन 31 ग्राम होता है।बड़ा उल्लू दो आकार के ईगल आउल्स हैं; यूरेशियन ईगल आउल (बुबो बुबो) और ब्लैकिस्टन की मछली उल्लू (बुबो ब्लैकिस्टोनी)। इन प्रजातियों की सबसे बड़ी मादाएं 71 सेमी (28 इंच) लंबे हैं, 54 सेमी (21 इंच) लंबे पंख हैं, और 4.2 किलो (9.3 पौंड) वजन के होते हैं।

    ‌‌‌उल्लूओं के अंदर प्रजनन

    उल्लू के बारे में जानकारी

    नर उल्लू मादा उल्लू की तुलना मे छोटा होता है। यह केवल प्रजन्न के मौसम के अंदर ही प्रजनन करते हैं। मादा उल्लू घोसले भी बनाती है। लेकिन कुछ उल्लूओं की प्रजातियों के अंदर मादा उल्लू घोसले नहीं बनाती है। मादा उल्लू का नर उल्लू से बड़े होने के पीछे वैज्ञानिक कई तर्क‌‌‌ देते हैं।

    कि यदि मादा उल्लू बड़ी होगी तो उसके शरीर के अंदर अधिक ताकत होगी और वह भूख से अधिक समय तक लड़ सकने मे सक्षम होगी । क्योंकि उंडे देने के बाद मादा उल्लू ही घोसले के अंदर रहती है। और नर उल्लू भोजन की व्यवस्था करता है।‌‌‌एक अन्य सिद्वांत के अंदर यह कहा गया है कि मादा उल्लू के आकार को इस लिए भी बड़ा रखा गया है कि वे अपने मनपसंद नर से संभोग कर सकें । और कोई भी नर उनके साथ बल का प्रयोग करने मे सक्षम नहीं हो सके ।

    ‌‌‌नर उल्लू अपने पूरे जीवन काल के अंदर केवल एक ही मादा के साथ नहीं रहते हैं। वरन वे अपने पूरे जीवनकाल के अंदर कई सारे मादाओं के साथ रहते हैं। और इस प्रकार से मादाएं भी अलग अलग नर के साथ रहती हैं। मतलब उनका संबंध कोई फिक्स नहीं होता है।

    उल्लू का भोजन क्या है ?

    उल्लू दिया के लगभग हर हिस्से के अंदर पाये जाते हैं। किंतु सारे ही उल्लू मांसहारी होते हैं। वे चूहे किडे और खरगोश तक का शिकार करते हैं। वे अपने शिकार के अंदर काफी अच्छे से कुशल होते है। अधिकांश उल्लू शिकार के अन्य पक्षियों की तुलना में लगभग चुपचाप और अधिक धीरे-धीरे उड़ान भरने के लिए एक सहज क्षमता का हिस्सा होते हैं। ‌‌‌उल्लू के एक तीखी चोंच भी होती है। जोकि उल्लू को अपने शिकार को मार ने मे मदद करती है। उल्लू शिकार का केवल मांस खाता है और उसकी हडियों को अलग कर देता है।

    ‌‌‌उल्लू का घर

    अनेक ऐसे जिवाश्म मिले हैं जिससे यह साबित होता है कि आज से 56 मिलियन वर्ष पूर्व उल्लू एक विशिष्ट वंश के रूप मे मौजूद थे । उल्लू रात के अंदर काम करने वाला जीव है। क्योंकि वह रात के अंदर स्पष्ट देख सकता है। उल्लू दिन के अंदर खास कर ऐसी जगहों पर रहते हैं जहां पर अंधेरा ‌‌‌होता है। ऐसे सुनसान ईलाकों को उल्लू ज्यादा पसंद करते हैं जहां पर कोई भी नहीं जाता है। वे पेड़ के कटोरों के अंदर भी घोषले बनाकर रहते हैं। और सुने पड़े मकानों को भी अपना आसियाना बना सकते हैं।

    ‌‌‌विभिन्न जगहों से जुड़ी उल्लू की मान्यताएं

    1. अफ्रिका के अंदर उल्लू को देखना बुरा माना जाता है।अगर कोई उल्लू को देखता है या उसकी झपकी सुनाता है, तो यह माना जाता है कि कोई मरने वाला है। सामान्य तौर पर, उल्लू को बुरी किस्मत, बीमार स्वास्थ्य या मौत के शिकार के रूप में देखा जाता है। यह विश्वास आज भी व्यापक है
    1. आधुनिक जापान में, उल्लुओं को भाग्यशाली माना जाता है और उन्हें ताबीज या आकर्षण के रूप में रखा जाता है।
    1. एशिया के अंदर

    मंगोलिया में उल्लू को एक सौम्य शगुन माना जाता है। महान सरदार चंगेज खान ने एक उल्लू से मदद मांगी थी । और चंगेज खान के दुश्मनों से वह खुद इस वजह से बच गया था ।

    1. ज्यादातर मूल अमेरिकी लोककथाओं में उल्लू मृत्यु का प्रतीक हैं।कुछ आदिवासी किंवदंतियों में, उल्लू मृतकों की आत्माओं के साथ जुड़ा हुआ है, एज़्टेक और माया, मेसोअमेरिका के अन्य निवासी के साथ, उल्लू को मौत और विनाश का प्रतीक माना जाता है। वास्तव में, मौत के एज़्टेक देवता, मिक्टालेंटचुहत्ली को अक्सर उल्लू के साथ चित्रित किया गया था
    arif khan
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    2 Comments

    1. Vinod Kumar meena on May 31, 2019 3:52 pm

      आप की मानते है पर उल्लू को रात में चुहा मिलेगा कहाँ

    2. shankar on June 1, 2019 5:10 am

      ‌‌‌क्या आप नहीं जानते हैं कि चूहे दिन की बजाय रात मे अधिक घूमते हैं और उल्लू को रात के अंदर देखने की क्षमता प्राप्त होती है। बस हो गया काम ।

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